जिनालयों और दादा वाडिय़ों में दर्शनार्थ लगी कतारें, चैत्य परिपाटी जुलूस निकला
बाड़मेर जैन समाज की आस्था एवं तप का महापर्व पर्यूषण पर्व शुक्रवार को संवत्सरी के साथ संपन्न हुआ। पर्यूषण के अंतिम दिन थार नगरी में विशेष तपस्या, उपासना और पोषद की आराधना हुई।
प्रवक्ता खेतमल तातेड़ ने बताया कि पर्यूषण के अंतिम दिन संवत्सरी महापर्व के उपलक्ष्य में धर्मावलंबियों की जिनालयों में भीड़ उमड़ पड़ी। शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे तपस्या एवं पोषद वाले श्रावक-श्राविकाओं के साथ श्रद्धालु शांतिनाथ, गोड़ीसा पाŸवनाथ, आदिनाथ और चिंतामणि पाŸवनाथ सहित अन्य जिनालयों और दादावाड़ी में सामूहिक चैत्य वंदन और दर्शन के लिए पहुंचे। स्थानीय गुणसागर सूरी साधना भवन में साध्वी कलाप्रभ सागर और तेरापंथ भवन में समणी निर्देशिका मंजू प्रज्ञा ने शुक्रवार को बारसा सूत्र पर प्रवचन दिया। साधना भवन में मुनि कलाप्रभ सागर ने कहा कि फूल बोने वाले को हमेशा फूल मिलता है और कांटे बोने वाले को त्रिशूल। जिन्हें अपनी गलतियों का अहसास नहीं होता वे हमेशा भटकते रहते है। मानवीय चेतना में देवत्व का विकास गलती न दोहराने के निर्णय की दृढ़ता से होता है।
पर्यूषण का संदेश
हमें शब्द में नहीं भाव में जीना है। आचरण बिना का उपदेश व्यर्थ है। ठीक उसी प्रकार क्षमा का प्रयोग भी हृदय से होना चाहिए। उपदेश आचरण में व्यक्त होना चाहिए। ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ शब्द का प्रयोग अंतर के आचरण से जुड़ा हुआ होना चाहिए।
सामूहिक प्रतिक्रमण का आयोजन: पर्यूषण के समापन अवसर पर शुक्रवार शाम साधना भवन, आराधना भवन और चौबीस गांव भवन में सामूहिक प्रतिक्रमण का आयोजन किया गया। इस मौके सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने प्रतिक्रमण कर अपनी भूलों पर क्षमा मांगी और क्षमा किया।
तपस्वियों का बहुमान: साधना भवन में तपस्या करने वाले और 17, 16, 15, 10, 9, 8 व 5 उपवास करने वाले श्रावक-श्राविकाओं का अचलगच्छ जैन श्री संघ की ओर से बहुमान किया गया।
चैत्य परिपाटी का आयोजन: पर्यूषण के समापन अवसर पर शुक्रवार दोपहर बारह बजे साधना भवन से चैत्य परिपाटी का आयोजन किया गया। जिसमें सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। यह जुलूस साधना भवन से पीपली चौक होता हुआ ढाणी जैन मंदिर जिनालय पहुंचा। जहां सामूहिक चैत्य वंदन किया गया। इसके बाद जुलूस वापस साधना भवन पहुंचा।
प्रतिमाओं पर रचाई आंगी
शुक्रवार को जिनालयों और दादावाडिय़ों में प्रभु की प्रतिमा एवं दादा गुरुदेव की प्रतिमाओं की अंग रचना की गई। इस आंगी में रुई, मोती, कपड़ा, हार, वासक्षेप आदि सामग्री का प्रयोग किया गया।
सामूहिक क्षमापना दिवस कल
जैन श्रीसंघ के तत्वावधान में चार सितंबर को सामूहिक क्षमापना दिवस का आयोजन किया जाएगा। जिसमें जैन साधु-साध्वियां मौजूद रहेंगे। वहीं विधायक मेवाराम जैन, जैन श्री संघ के अध्यक्ष रिखबदास मालू, नगरपालिका अध्यक्ष उषा जैन बतौर अतिथि उपस्थित रहेंगी।
प्रवक्ता खेतमल तातेड़ ने बताया कि पर्यूषण के अंतिम दिन संवत्सरी महापर्व के उपलक्ष्य में धर्मावलंबियों की जिनालयों में भीड़ उमड़ पड़ी। शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे तपस्या एवं पोषद वाले श्रावक-श्राविकाओं के साथ श्रद्धालु शांतिनाथ, गोड़ीसा पाŸवनाथ, आदिनाथ और चिंतामणि पाŸवनाथ सहित अन्य जिनालयों और दादावाड़ी में सामूहिक चैत्य वंदन और दर्शन के लिए पहुंचे। स्थानीय गुणसागर सूरी साधना भवन में साध्वी कलाप्रभ सागर और तेरापंथ भवन में समणी निर्देशिका मंजू प्रज्ञा ने शुक्रवार को बारसा सूत्र पर प्रवचन दिया। साधना भवन में मुनि कलाप्रभ सागर ने कहा कि फूल बोने वाले को हमेशा फूल मिलता है और कांटे बोने वाले को त्रिशूल। जिन्हें अपनी गलतियों का अहसास नहीं होता वे हमेशा भटकते रहते है। मानवीय चेतना में देवत्व का विकास गलती न दोहराने के निर्णय की दृढ़ता से होता है।
पर्यूषण का संदेश
हमें शब्द में नहीं भाव में जीना है। आचरण बिना का उपदेश व्यर्थ है। ठीक उसी प्रकार क्षमा का प्रयोग भी हृदय से होना चाहिए। उपदेश आचरण में व्यक्त होना चाहिए। ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ शब्द का प्रयोग अंतर के आचरण से जुड़ा हुआ होना चाहिए।
सामूहिक प्रतिक्रमण का आयोजन: पर्यूषण के समापन अवसर पर शुक्रवार शाम साधना भवन, आराधना भवन और चौबीस गांव भवन में सामूहिक प्रतिक्रमण का आयोजन किया गया। इस मौके सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने प्रतिक्रमण कर अपनी भूलों पर क्षमा मांगी और क्षमा किया।
तपस्वियों का बहुमान: साधना भवन में तपस्या करने वाले और 17, 16, 15, 10, 9, 8 व 5 उपवास करने वाले श्रावक-श्राविकाओं का अचलगच्छ जैन श्री संघ की ओर से बहुमान किया गया।
चैत्य परिपाटी का आयोजन: पर्यूषण के समापन अवसर पर शुक्रवार दोपहर बारह बजे साधना भवन से चैत्य परिपाटी का आयोजन किया गया। जिसमें सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। यह जुलूस साधना भवन से पीपली चौक होता हुआ ढाणी जैन मंदिर जिनालय पहुंचा। जहां सामूहिक चैत्य वंदन किया गया। इसके बाद जुलूस वापस साधना भवन पहुंचा।
प्रतिमाओं पर रचाई आंगी
शुक्रवार को जिनालयों और दादावाडिय़ों में प्रभु की प्रतिमा एवं दादा गुरुदेव की प्रतिमाओं की अंग रचना की गई। इस आंगी में रुई, मोती, कपड़ा, हार, वासक्षेप आदि सामग्री का प्रयोग किया गया।
सामूहिक क्षमापना दिवस कल
जैन श्रीसंघ के तत्वावधान में चार सितंबर को सामूहिक क्षमापना दिवस का आयोजन किया जाएगा। जिसमें जैन साधु-साध्वियां मौजूद रहेंगे। वहीं विधायक मेवाराम जैन, जैन श्री संघ के अध्यक्ष रिखबदास मालू, नगरपालिका अध्यक्ष उषा जैन बतौर अतिथि उपस्थित रहेंगी।
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