प्रशासन की सरपरस्ती से भू माफियो के होंसले बुलंद ,वायुसेना के निकट खालसा जमीं पर अतिक्रमण जारी
बाड़मेर। पश्चिमी सीमा के सामरिक लिहाज से अतिमहत्वपूर्ण वायुसेना स्टेशन उत्तरलाई के निकट करीब 69 बीघा जमीन कृषि भूमि का गैर कृषि उपयोग होने से जिला प्रशासन द्वारा खालसा घोषित कर सरकारी खाते में दर्ज कर दी गई लेकिन इस जमीन से भौतिक बेदखली नहीं हो पाई। अतिक्रमी आज भी इस जमीन पर काबिज है। अधिनस्थ राजस्व अधिकारियों व कार्मिकों की सांठगांठ के चलते सात साल से केवल कागजी खानापूर्ति हो रही है।
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार उत्तरलाई वायुसेना क्षेत्र के निकट 69.01 बीघा भूमि को वर्ष 2004 में खालसा घोषित किया गया था। खालसा घोषित होने के वक्त इस जमीन पर करीब 43 व्यक्तियों के कब्जे थे। जमीन खालसा होते ही इस पर सरकारी हक हो गया। बावजूद इसके अतिक्रमियों को बेदखल नहीं किया गया। बाद में राजस्व अधिनियम की धरा 90 ए व 91 के तहत मामले बनाकर इतिश्री कर दी गई। लिहाजा अतिक्रमी इस जमीन का उपभोग कर रहे है।
निरंतर अतिक्रमण
उत्तरलाई देश का महत्वपूर्ण वायुसेना का बेस स्टेशन है। इसके निकट अवांछित गतिविधियों का बढ़ना सुरक्षा लिहाज से खतरनाक है। इसको दृष्टिगोचर रखते हुए कई बार जिला प्रशासन को निर्देश भी मिले है बावजूद इसके अधिनस्थों की सांठगांठ और स्थानीय राजनीतिक दबाव के चलते कार्यवाही अमल मेे नहीं लाई जा रही है। पूर्व में जहां यहां केवल 43 अतिक्रमी थे अब यह संख्या सौ के करीब पहुंच गई है। कार्यवाही नहीं होते देख अतिक्रमियो के हौंसलें बुलंद है।
कीमती है जमीन : जिस सरकारी 69.01 बीघा जमीन पर अतिक्रमी काबिज है वह इस वक्त काफी कीमती है। तेल कंपनियों के आने के बाद बाड़मेर में जमीन की दरें आसमान पर पहुंच गई है। 69 बीघा जमीन का मोल करोड़ों रूपए पहुंच गया है। इतनी कीमती जमीन को लेकर बेपरवाही समझ से परे है।
वायुसेना भी परेशान
उत्तरलाई वायुसेना के बेस स्टेशन के निकट लगातार अवांछित गतिविधियां बढ़ रही है। व्यापारिक प्रतिष्ठान खड़े होने, दो मंजिला भवन बनने, मोबाइल टॉवर खड़े कर देने को लेकर वायुसेना ने कई बार प्रशासन को शिकायत की है।
कार्रवाई के नाम पर नोटिस
जिला कलक्टर द्वारा इस मामले में बार बार तहसीलदार व उपखण्ड अधिकारी को निर्देश दिए गए है। इस मामले में तहसील स्तर से नोटिस निकालकर कत्तüव्य की इतिश्री हो रही है। भौतिक बेदखली नहीं होने का कारण भी लोगों का आबाद होना ही बताया जा रहा है।
नोटिस दिए हैं
अतिक्रमियों को नोटिस दिए है। इसके बाद आगे कार्यवाही करेगे।
- चन्द्रभानसिंह भाटी, तहसीलदार बाड़मेर
बाड़मेर। पश्चिमी सीमा के सामरिक लिहाज से अतिमहत्वपूर्ण वायुसेना स्टेशन उत्तरलाई के निकट करीब 69 बीघा जमीन कृषि भूमि का गैर कृषि उपयोग होने से जिला प्रशासन द्वारा खालसा घोषित कर सरकारी खाते में दर्ज कर दी गई लेकिन इस जमीन से भौतिक बेदखली नहीं हो पाई। अतिक्रमी आज भी इस जमीन पर काबिज है। अधिनस्थ राजस्व अधिकारियों व कार्मिकों की सांठगांठ के चलते सात साल से केवल कागजी खानापूर्ति हो रही है।
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार उत्तरलाई वायुसेना क्षेत्र के निकट 69.01 बीघा भूमि को वर्ष 2004 में खालसा घोषित किया गया था। खालसा घोषित होने के वक्त इस जमीन पर करीब 43 व्यक्तियों के कब्जे थे। जमीन खालसा होते ही इस पर सरकारी हक हो गया। बावजूद इसके अतिक्रमियों को बेदखल नहीं किया गया। बाद में राजस्व अधिनियम की धरा 90 ए व 91 के तहत मामले बनाकर इतिश्री कर दी गई। लिहाजा अतिक्रमी इस जमीन का उपभोग कर रहे है।
निरंतर अतिक्रमण
उत्तरलाई देश का महत्वपूर्ण वायुसेना का बेस स्टेशन है। इसके निकट अवांछित गतिविधियों का बढ़ना सुरक्षा लिहाज से खतरनाक है। इसको दृष्टिगोचर रखते हुए कई बार जिला प्रशासन को निर्देश भी मिले है बावजूद इसके अधिनस्थों की सांठगांठ और स्थानीय राजनीतिक दबाव के चलते कार्यवाही अमल मेे नहीं लाई जा रही है। पूर्व में जहां यहां केवल 43 अतिक्रमी थे अब यह संख्या सौ के करीब पहुंच गई है। कार्यवाही नहीं होते देख अतिक्रमियो के हौंसलें बुलंद है।
कीमती है जमीन : जिस सरकारी 69.01 बीघा जमीन पर अतिक्रमी काबिज है वह इस वक्त काफी कीमती है। तेल कंपनियों के आने के बाद बाड़मेर में जमीन की दरें आसमान पर पहुंच गई है। 69 बीघा जमीन का मोल करोड़ों रूपए पहुंच गया है। इतनी कीमती जमीन को लेकर बेपरवाही समझ से परे है।
वायुसेना भी परेशान
उत्तरलाई वायुसेना के बेस स्टेशन के निकट लगातार अवांछित गतिविधियां बढ़ रही है। व्यापारिक प्रतिष्ठान खड़े होने, दो मंजिला भवन बनने, मोबाइल टॉवर खड़े कर देने को लेकर वायुसेना ने कई बार प्रशासन को शिकायत की है।
कार्रवाई के नाम पर नोटिस
जिला कलक्टर द्वारा इस मामले में बार बार तहसीलदार व उपखण्ड अधिकारी को निर्देश दिए गए है। इस मामले में तहसील स्तर से नोटिस निकालकर कत्तüव्य की इतिश्री हो रही है। भौतिक बेदखली नहीं होने का कारण भी लोगों का आबाद होना ही बताया जा रहा है।
नोटिस दिए हैं
अतिक्रमियों को नोटिस दिए है। इसके बाद आगे कार्यवाही करेगे।
- चन्द्रभानसिंह भाटी, तहसीलदार बाड़मेर
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