गुरुवार, 11 अगस्त 2011

राजीव गाँधी विद्युतीकरण योजना के मुद्दे पर बैठक में हंगामा बरपा




राजीव गाँधी विद्युतीकरण योजना के मुद्दे पर बैठक में हंगामा बरपा


बाड़मेर से हमारे संवाद दाता दुर्ग सिंह राजपुरोहित की खास रिपोर्ट


बाड़मेर भारत सरकार के द्वारा शुरू की गई योजनाए क्यों अमली जामा पहन नहीं पाती इसका बड़ा उदाहरण बाड़मेर में देख सकते हैं ! यहाँ राजीव गाँधी विद्युतीकरण योजना के 209 करोड़ रूपए ना जाने कहा फ़ना हो गए ! ना तो लोगो को रौशनी की कोई हकीक़ती किरन मयस्सर हो सकी और नाही अँधेरे में जीवन बिताने से निजात मिली ! यहाँ के विधायक ही अब सरकार के खिलाफ आ खड़े हुए हैं ! राजीव गाँधी विद्युतीकरण योजना के मामले में बाड़मेर के बायतु इलाके के विधायक सोना राम चौधरी तो पानी के मुद्दे पर पूर्व पंचायती राज राज्य मंत्री अमीन खान सरकार को इन समस्याओं का कारण बता रहे हैं !

राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) भारत सरकार द्वारा अप्रैल 2005 में चालू की गयी थी। इस योजना का उद्देश्य देश में ग्रामीण विद्युतीकरण अभियान को गति प्रदान करना है। ऊर्जा मंत्रालय इस योजना को क्रियान्वित करने वाली नोडल एजंसी बनाई गयी ताकि राष्ट्रीय सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम “नेशनल कामन मिनिमम प्रोग्राम (एनसीएमपी) के तहत सन 2010 तक सभी घरों में बिजली पहुंचाने के लक्ष्य को अनिवार्य रूप से हासिल किया जा सके।
योजना आयोग ने इस योजना को “भारत निर्माण” कार्यक्रम का भी हिस्सा बनाया और योजना की समय अवधि को दो साल के लिए और बढा दिया लेकिन इस योजना को लागू करने की धीमी रफ्तार को देखते हुए सरकार अब इसे 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) में शामिल करने के बारे में सोच रही है।
ये तो थी इस योजना की बात... बाड़मेर राजस्थान का वो जिला जहा पर इंसान की मूलभूत सुविधाओं का टोटा रहता हैं.. ऐसा नही हैं की सरकार बदल जाने पर समस्याए खत्म हो गई हो .. उल्टा समस्याओं में बढ़ोतरी हुई हैं .. केंद्र से जो पैसा बाड़मेर के लोगो की सहूलियतो को मयस्सर करने की खातिर आता हैं वो कहा फ़ना हो जाता हैं कोई नही जानता ! बाड़मेर में राजीव गाँधी विद्युतीकरण योजना के नाम पर 209 करोड़ रूपए स्वीकृत हुए थे वो रूपए तीस फीसदी भी कारगर साबित नही हुए और लोग अंधेरो के दरमिया ज़िन्दगी बिता रहे हैं ! बाड़मेर में जिला परिषद् की बैठक के दौरान तो जिला प्रमुख मदन कौर ने यह कह कर सभी के कान खड़े कर दिए की कुछ अधिकारियों ने इस योजना का बेडा गर्क कर डाला हैं ! यही कुछ कहना हैं बायतु के विधायक कर्नल सोना राम चौधरी का ... चौधरी के अनुसार सरकार की मोनिटरिंग भी प्रभावी नही हैं और योजना का बर्बाद होना ही हैं ! उन्होंने इसका दोषी राज्य सरकार को बताया !


दूसरा मुद्दा पानी का हैं .. बाड़मेर में ऐसे सैकड़ो गाँव हैं जहा पानी के लिएर इतनी परेशानिया बनी हैं की कई सरकारे इस मुद्दे पर बनी और गिर भी गई .. लेकिन समस्या ऐसी हैं की खत्म नही होती और कहा यह भी जाता हैं की अगर यह मुद्दा खत्म हुआ तो बाड़मेर के नेताओ को दूसरा चुनावी मुद्दा ढूंढना पड़ेगा !
पानी के मामले में राष्ट्रपति पर अभद्र टिपण्णी कर अपनी लाल बत्ती गँवा चुके पूर्व पंचायती राज राज्य मंत्री अमीन खान भी सरकार को कोस रहे हैं .. उनका कहना हैं की पानी की समस्या का मुख्य कारण कर्मचारियों की संख्या कम होना हैं और लोगो को कोसो दूर से पानी लाना पड़ रहा हैं !


राज्य की अशोक गहलोत सरकार की कार्यप्रणाली के खिलाफ कांग्रेस के सत्ता रूढ़ विधायको का ही आवाज़ बुलंद कर देना अब गहलोत की मुश्किलों को बढाने का काम कर सकता हैं .. और दोनों मुद्दे आम जन से जुड़े हैं इसलिए इसको जनसमर्थन भी कुछ ज्यादा मिलेगा !

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