शनिवार, 20 अगस्त 2011

अन्ना हजारे के अनशन के सौ घंटे पूरे

अन्ना हजारे के अनशन के सौ घंटे पूरे

नई दिल्ली। सशक्त लोकपाल के मुद्दे को लेकर आंदोलन कर रहे समाजसेवी अन्ना हजारे के अनशन के शनिवार को सौ घंटे पूरे हो गए। मंगलवार से अनशन कर रहे अन्ना हजारे ने कहा है कि वह तब तक रामलीला मैदान नहीं छोडेंगे जब तक कि सरकार संसद में सशक्त लोकपाल विधेयक पारित नहीं कर देती।

तिहाड जेल में तीन दिन तक अनशन करने के बाद 74 वर्षीय समाज सेवी अपना अनशन जारी रखने के लिए शुक्रवार को रामलीला मैदान पहुंचे थे।

अन्ना हजारे ने कहा है कि वह उपवास के कारण थके नहीं हैं और युवा समर्थकों के समर्थन के कारण उन्हें भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए और ऊर्जा मिल रही है।

भ्रष्टाचार निरोधी प्रभावी लोकपाल विधेयक के समर्थन में अपने अनशन के पांचवें दिन शनिवार को अन्ना हजारे ने रामलीला मैदान में कहा कि आने वाले दिनों में और आंदोलनों की शुरूआत होगी। उन्होंने कहा कि ये आंदोलन भूमि सुधारों, किसान अधिकार और एक बेहतर शिक्षा प्रणाली के लिए होंगे। अन्ना हजारे ने रामलीला मैदान स्थित मंच से वहां उपस्थित विशाल जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि वह "अपनी मांग नहीं छोड़ेंगे।"

आमरण अनशन के कारण आए थकान के लक्षणों को दरकिनार करते हुए 74वर्षीय अन्ना हजारे ने कहा कि पिछले चार दिनों में मेरा वजन 3.5 किलो कम हुआ है... लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। मैं अनशन नहीं छोड़ूंगा...प्रभावी लोकपाल विधेयक हासिल करने तक हम अपना अनशन जारी रखेंगे। गांधीवादी ने यह भी कहा कि एक प्रभावी लोकपाल विधेयक हासिल हो जाने के बाद उनका संघर्ष रूकेगा नहीं।

उन्होंने कहा कि किसानों को आत्महत्या के लिए बाध्य किया जाता है। उनकी भूमि जबरन लेकर बिल्डरों और कम्पनियों को दे दी जाती है...हमें किसानों के लिए लड़ना है। शिक्षा की प्रणाली इतनी भ्रष्ट हो गई है कि हमें अपने बच्चों का दाखिला स्कूलों और कॉलेजों में दिलाने के लिए पैसे देने पड़ते हैं।

गांधीवादी ने कहा कि सरकार यह सब जानती है लेकिन कुछ भी नहीं करती। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की एक लम्बी श्रृंखला है और हमें उसे तोड़ना है... हम इस देश में बदलाव लाएंगे।

उन्होंने कहा कि सिर्फ "जन गण मन" गा लेना ही प्रजातंत्र नहीं है। हमें 64 साल बाद भी सही मायने में प्रजातंत्र नहीं मिल पाया है। हम आजाद नहीं हैं। किसानों की जमीन जबरन लेकर बिल्डरों को दी जा रही है। यह कैसा प्रजातंत्र है। जब तक सत्ता प्रजा के हाथ में नहीं, कैसा प्रजातंत्र?

लोकपाल की लड़ाई पूरी हो जाने के बाद अगली लड़ाई किसानों-मजदूरों के लिए लड़नी है। बगैर ग्रामसभा की अनुमति के किसानों की भूमि का अधिग्रहण नहीं हो सकता। हमें यह व्यवस्था सुनिश्चित करानी होगी।

देश की पूरी सम्पत्ति हमारी है, जनता की है। जनता की मर्जी के बगैर कुछ नहीं होगा। सरकारों ने जनता को लूटा है। सरकार पूंजीपतियों को, उद्योगपतियों को कारखाने लगाने के लिए सारी सुविधाएं देती है, और वही कम्पनियां मजदूरों का खून चूसती हैं।

अन्ना हजारे ने कहा कि देश के सामने कई सारे ऎसे ज्वलंत सवाल हैं, जिसके जवाब अब हमें खुद तलाशने होंगे। किसानों का सवाल, मजदूरों का सवाल, अपने होनहारों के लिए शिक्षा का सवाल। इन सभी सवालों को हमें सुलझाना होगा।

ज्ञात हो कि अन्ना हजारे प्रभावी लोकपाल की मांग को लेकर मंगलवार से ही अनशन पर हैं। अनशन शुरू होने से पहले दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर सात दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। लेकिन भारी जन दबाव के कारण उसी दिन शाम को सरकार को उन्हें रिहा करना पड़ा। लेकिन अन्ना हजारे आंदोलन की शर्ते पूरी होने के बाद ही जेल परिसर से बाहर निकले। वह शुक्रवार को रामलीला मैदान पहुंचे।

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