संसद के दोनों सदनों में प्रस्ताव पास, अन्ना कल तोड़ेंगे अनशन
नई दिल्ली। लोकसभा और राज्य सभा में अन्ना की तीनों मांगों पर प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हो गया। प्रस्ताव का सदस्यों ने मेजें थपथपाकर स्वागत किया। इसके बाद यह प्रस्ताव स्टेंडिंग कमेटी को भेज दिया गया है। प्रस्ताव पास होने के तत्काल बाद प्रधानमंत्री का पत्र लेकर केन्द्रीय मंत्री विलासराव देशमुख अन्ना हजारे से मिलने रामलीला मैदान पहुंचे
संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में लोकपाल मुद्दे पर हुई मैराथन बहस के बाद केन्द्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने एक संक्षिप्त निष्कर्ष पेश किया जिसमें यह मतंव्य शामिल था कि सदन सिटिजन चार्टर लागू करने, निचले स्तर के कर्मचारी तंत्र को लोकपाल या लोकायुक्त के अधीन लाने तथा राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति संबंधी अन्ना की तीनों मांगों को सिद्धांत रूप से स्वीकार करता है। सदन में ध्वनिमत से इसे पारित किया गया। तीनों मांगों पर सहमति के बाद स्टेंडिंग कमेटी के पास भेज दिया गया है। प्रणब की तरफ से पेश इस प्रस्ताव पर मतदान नहीं हुआ और संसद सोमवार तक के लिए स्थगित कर कर दी गई।
इससे पहले संसद में जारी बहस के दौरान अन्ना की मांगों पर भाजपा की तरफ से नेताप्रतिपक्ष सुषमता स्वराज की सहमति के बाद कांग्रेस ने भी हामी (सशर्त) भर दी। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय में इस प्रस्ताव का ड्राफ्ट तैयार किया गया।
नए प्रस्ताव के बारे में प्रधानमत्री के साथ हुई बैठक में सरकार की तरफ से वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, संसदीय कार्य मंत्री पवन बंसल व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, अरूण जेटली मौजूद थे। भाजपा ने यह कहकर सरकार की मुश्किल आसान कर दी कि अन्ना की मांगों और उनका अनशन तुड़वाने के लिए जो भी प्रस्ताव लाएगी हम सदन के दोनों सदनों में उस प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करेंगे।
संसद में बनी अन्ना की मांगों पर बनी सहमति
अन्ना की तीनों मांगों को लेकर शनिवार को लोकसभा में तीखी बहस हुई। वित्त प्रणव मुखर्जी के बयान के बाद शुरू हुई चर्चा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने अन्ना की मांगे माने जाने के साथ न्यायपालिका को लोकपाल के दायर से बाहर रखने की वकालत की। सुषमा ने न्यायपालिका के लिए पृथक न्यायिक आयोग के गठन के साथ पीएम को लोकपाल के दायरे में लाने पर पार्टी की सहमति जताई। सुषमा ने कहा कि सदन यदि सीबीआई को लोकपाल के अधीन चाहता है तो भाजपा भी इस पर सहमत है।
सुषमा स्वराज ने सरकार पर लोकपाल बिल पर प्रधानमंत्री के बयान और सर्वदलीय बैठक के निर्णय की अनदेखी का आरोप लगाया है। सुषमा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सदन में जो बातें कहीं अब सरकार उनसे पलट गई है, शुक्रवार को कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने अपने बयान से सरकार सभी प्रयासों पर पानी फेर दिया है। स्वराज ने कहा कि लोकसभा में लोकपाल विधेयक 9वीं बार पेश हो रहा है, लेकिन अभी तक इसे पास नहीें किया जा सका। सुषमा ने कहा कि हमारे कार्यकाल में भी विधेयक आया था लेकिन पास नहीं होना गलती थी। उन्होंने कहा कि 43 साल से लोकपाल विधेयक हिचकोले खा रहा है। सुषमा ने कहा कि लोकपाल एक जनआंदोलन बन चुका है। अन्ना ने आंदोलन को निचले स्तर तक पहुंचाया।
राहुल गंाधी पर हमला बोलते हुए विपक्षी नेता ने कहा कि शून्यकाल में प्रश्न उठाने का मौका दिया जाता है प्रवचन करने का मौका नहीं दिया जाता है। उन्होंने यहा भी कहा कि राहुल गंाधी का नाम बोलने वालों की लिस्ट मेें नहीं था।
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के बयान के साथ लोकसभा में हुई बहस में सरकार भी कुछ शत्तोü के साथ अन्ना की तीनों मांगों पर सहमत हुई है। इससे पहले प्रणव ने सदन के सामने लोकपाल मुद्दे पर सरकार की तरफ से अब तक की गई कार्रवाई की जानकारी दी। प्रणव ने कहा कि सशक्त और मजबूत लोकपाल बिल पर सभी दल एकमत है और संविधान की गरिमा बनाए रखने के लिए हमें सर्वदलीय बैठक का सम्मान करना चाहिए। टीम अन्ना की मांगों का सर्वदलीय बैठक में रखा गया था और सियासी दलों ने संविधान की समप्रभुता की वकालत की है। इससे पहले प्रणव ने अपने बयान में अन्ना हजारे से अनशन खत्म करने की अपील की।
प्रणव के अनुसार सरकार और अन्ना के बीच प्रारम्भ में 6 मुद्दों पर मतभेद था, जिनपर सरकार सहमत हो गई। लेकिन बाद में टीम अन्ना ने तीन नई मांगे रख दी। सभी राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति, सिटीजन चार्टन और नीचले स्तर के सभी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में हों। प्रणव ने कहा कि सरकार ने अन्ना से 15 अगस्त को भी अनशन पर न जाने की अपील की थी।
सदन की राय अन्ना तक पहुंचाई जाए : आडवाणी
प्रणव के बयान के तुरंत बाद भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि सदन की राय अन्ना तक पहुंचाई जाए। बहस तभी सार्थक है जब अन्ना का उपवास टूटेगा। इस बीच राष्ट्रीय जनता पार्टी के लालू प्रसाद यादव ने कहा कि इस बहस के मद्देनजर स्टैंडिंग कमेटी को नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
सरकार के खिलाफ गलत माहौल बनाया गया : दीक्षित
सरकार की ओर से सदन में संदीप दीक्षित ने कहा कि अन्ना हजारे और हमारे बीच कोई द्वंद नहीं है, लेकिन सरकार पर सवाल उठाना गलत। सरकार ने वक्त और जरूरत के मुताबिक काफी बदलाव किए हैं। सरकार ने अन्ना हजारे की 40 में 34 बातें मान ली थी। अब लोकपाल चयन समिति पर भी सबकी सहमति हो। दीक्षित ने कहा कि एनजीओ पर भी अंकुश जरूरी है और इन्हें लोकपाल के दायरे में लाना चाहिए।
जदयू मानी, बसपा का इनकार
जनता दल यूनाइटेड के सांसद शरद यादव ने लोकसभा में अन्ना की तीनों मांगों पर सहमति दर्ज कराई। यादव ने कहा कि टीम अन्ना को बोलने में संयम रखे की बात कही और फिल्म अभिनेता ओम पूरी के बयान की कड़ी आलोचना की। उधर, बसपा ने लोकायुक्त पर अपनी असहमति जाहिर की है, बाकि सभी मांगों पर सहमत।
नई दिल्ली। लोकसभा और राज्य सभा में अन्ना की तीनों मांगों पर प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हो गया। प्रस्ताव का सदस्यों ने मेजें थपथपाकर स्वागत किया। इसके बाद यह प्रस्ताव स्टेंडिंग कमेटी को भेज दिया गया है। प्रस्ताव पास होने के तत्काल बाद प्रधानमंत्री का पत्र लेकर केन्द्रीय मंत्री विलासराव देशमुख अन्ना हजारे से मिलने रामलीला मैदान पहुंचे
संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में लोकपाल मुद्दे पर हुई मैराथन बहस के बाद केन्द्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने एक संक्षिप्त निष्कर्ष पेश किया जिसमें यह मतंव्य शामिल था कि सदन सिटिजन चार्टर लागू करने, निचले स्तर के कर्मचारी तंत्र को लोकपाल या लोकायुक्त के अधीन लाने तथा राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति संबंधी अन्ना की तीनों मांगों को सिद्धांत रूप से स्वीकार करता है। सदन में ध्वनिमत से इसे पारित किया गया। तीनों मांगों पर सहमति के बाद स्टेंडिंग कमेटी के पास भेज दिया गया है। प्रणब की तरफ से पेश इस प्रस्ताव पर मतदान नहीं हुआ और संसद सोमवार तक के लिए स्थगित कर कर दी गई।
इससे पहले संसद में जारी बहस के दौरान अन्ना की मांगों पर भाजपा की तरफ से नेताप्रतिपक्ष सुषमता स्वराज की सहमति के बाद कांग्रेस ने भी हामी (सशर्त) भर दी। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय में इस प्रस्ताव का ड्राफ्ट तैयार किया गया।
नए प्रस्ताव के बारे में प्रधानमत्री के साथ हुई बैठक में सरकार की तरफ से वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, संसदीय कार्य मंत्री पवन बंसल व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, अरूण जेटली मौजूद थे। भाजपा ने यह कहकर सरकार की मुश्किल आसान कर दी कि अन्ना की मांगों और उनका अनशन तुड़वाने के लिए जो भी प्रस्ताव लाएगी हम सदन के दोनों सदनों में उस प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करेंगे।
संसद में बनी अन्ना की मांगों पर बनी सहमति
अन्ना की तीनों मांगों को लेकर शनिवार को लोकसभा में तीखी बहस हुई। वित्त प्रणव मुखर्जी के बयान के बाद शुरू हुई चर्चा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने अन्ना की मांगे माने जाने के साथ न्यायपालिका को लोकपाल के दायर से बाहर रखने की वकालत की। सुषमा ने न्यायपालिका के लिए पृथक न्यायिक आयोग के गठन के साथ पीएम को लोकपाल के दायरे में लाने पर पार्टी की सहमति जताई। सुषमा ने कहा कि सदन यदि सीबीआई को लोकपाल के अधीन चाहता है तो भाजपा भी इस पर सहमत है।
सुषमा स्वराज ने सरकार पर लोकपाल बिल पर प्रधानमंत्री के बयान और सर्वदलीय बैठक के निर्णय की अनदेखी का आरोप लगाया है। सुषमा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सदन में जो बातें कहीं अब सरकार उनसे पलट गई है, शुक्रवार को कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने अपने बयान से सरकार सभी प्रयासों पर पानी फेर दिया है। स्वराज ने कहा कि लोकसभा में लोकपाल विधेयक 9वीं बार पेश हो रहा है, लेकिन अभी तक इसे पास नहीें किया जा सका। सुषमा ने कहा कि हमारे कार्यकाल में भी विधेयक आया था लेकिन पास नहीं होना गलती थी। उन्होंने कहा कि 43 साल से लोकपाल विधेयक हिचकोले खा रहा है। सुषमा ने कहा कि लोकपाल एक जनआंदोलन बन चुका है। अन्ना ने आंदोलन को निचले स्तर तक पहुंचाया।
राहुल गंाधी पर हमला बोलते हुए विपक्षी नेता ने कहा कि शून्यकाल में प्रश्न उठाने का मौका दिया जाता है प्रवचन करने का मौका नहीं दिया जाता है। उन्होंने यहा भी कहा कि राहुल गंाधी का नाम बोलने वालों की लिस्ट मेें नहीं था।
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के बयान के साथ लोकसभा में हुई बहस में सरकार भी कुछ शत्तोü के साथ अन्ना की तीनों मांगों पर सहमत हुई है। इससे पहले प्रणव ने सदन के सामने लोकपाल मुद्दे पर सरकार की तरफ से अब तक की गई कार्रवाई की जानकारी दी। प्रणव ने कहा कि सशक्त और मजबूत लोकपाल बिल पर सभी दल एकमत है और संविधान की गरिमा बनाए रखने के लिए हमें सर्वदलीय बैठक का सम्मान करना चाहिए। टीम अन्ना की मांगों का सर्वदलीय बैठक में रखा गया था और सियासी दलों ने संविधान की समप्रभुता की वकालत की है। इससे पहले प्रणव ने अपने बयान में अन्ना हजारे से अनशन खत्म करने की अपील की।
प्रणव के अनुसार सरकार और अन्ना के बीच प्रारम्भ में 6 मुद्दों पर मतभेद था, जिनपर सरकार सहमत हो गई। लेकिन बाद में टीम अन्ना ने तीन नई मांगे रख दी। सभी राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति, सिटीजन चार्टन और नीचले स्तर के सभी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में हों। प्रणव ने कहा कि सरकार ने अन्ना से 15 अगस्त को भी अनशन पर न जाने की अपील की थी।
सदन की राय अन्ना तक पहुंचाई जाए : आडवाणी
प्रणव के बयान के तुरंत बाद भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि सदन की राय अन्ना तक पहुंचाई जाए। बहस तभी सार्थक है जब अन्ना का उपवास टूटेगा। इस बीच राष्ट्रीय जनता पार्टी के लालू प्रसाद यादव ने कहा कि इस बहस के मद्देनजर स्टैंडिंग कमेटी को नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
सरकार के खिलाफ गलत माहौल बनाया गया : दीक्षित
सरकार की ओर से सदन में संदीप दीक्षित ने कहा कि अन्ना हजारे और हमारे बीच कोई द्वंद नहीं है, लेकिन सरकार पर सवाल उठाना गलत। सरकार ने वक्त और जरूरत के मुताबिक काफी बदलाव किए हैं। सरकार ने अन्ना हजारे की 40 में 34 बातें मान ली थी। अब लोकपाल चयन समिति पर भी सबकी सहमति हो। दीक्षित ने कहा कि एनजीओ पर भी अंकुश जरूरी है और इन्हें लोकपाल के दायरे में लाना चाहिए।
जदयू मानी, बसपा का इनकार
जनता दल यूनाइटेड के सांसद शरद यादव ने लोकसभा में अन्ना की तीनों मांगों पर सहमति दर्ज कराई। यादव ने कहा कि टीम अन्ना को बोलने में संयम रखे की बात कही और फिल्म अभिनेता ओम पूरी के बयान की कड़ी आलोचना की। उधर, बसपा ने लोकायुक्त पर अपनी असहमति जाहिर की है, बाकि सभी मांगों पर सहमत।
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