अमृतसर . बारूद का दंश झेलने वाली पाकिस्तान से सटी भारतीय सीमा पर गेहूं, दलहन व तिलहन के रूप में तैयार होने वाले बीज देश भर के खेतों में सोना उगलेंगे। अत्याधुनिक ढंग से बन रहा यह सीड फार्म दक्षिण एशिया का ऐसा पहला फार्म है, जो किसी संवेदनशील सरहद पर बन रहा है। यह फार्म बीज के रूप में किसानों की जरूरतें तो पूरी करेगा ही, राष्ट्रीय सुरक्षा में भी अहम योगदान देगा।
पाकिस्तान से सटी अमृतसर जिले से संबंधित पंजाब की सीमा पर प्रदेश सरकार ने दो साल पहले सीड फार्म बनाने की योजना बनाई थी। तत्कालीन डीसी काहन सिंह पन्नू के विशेष प्रपोजल के तहत 1,200 एकड़ ऐसी जमीन चिन्हित की गई, जो रावी दरिया के पार है। सुरक्षा कारणों से किसान यहां खेती नहीं कर पाते। योजना में कक्कड़, रानियां गांवों के अलावा संवेदनशील तोता पोस्ट के आसपास की जमीन भी शामिल है।
प्रदेश सरकार ने इस इलाके के किसानों की रावी दरिया के पार स्थित 852 एकड़ जमीन साढ़े चार लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से खरीदी है। इसमें से अकेले बदलू गांव की 600 एकड़ जमीन शामिल है। फार्म के इंचार्ज अश्विनी कुमार रामबानी का कहना है कि बाकी की जमीन सरकारी है। दशकों से खेती न होने से जमीन झाड़ से ढक गई थी। फिलहाल 400 एकड़ को बिजाई के लिए तैयार किया गया है।
पहले इन जमीनों पर मालिक काम करने के लिए जाते थे। कई बार खतरा रहता था, लेकिन अब देखरेख में खेती होगी। ऐसे में जाहिर है कि बीएसएफ को भी राहत मिलेगी। -हिम्मत सिंह आईजी, बीएसएफ (पंजाब फ्रंटियर)
पाकिस्तान से सटी अमृतसर जिले से संबंधित पंजाब की सीमा पर प्रदेश सरकार ने दो साल पहले सीड फार्म बनाने की योजना बनाई थी। तत्कालीन डीसी काहन सिंह पन्नू के विशेष प्रपोजल के तहत 1,200 एकड़ ऐसी जमीन चिन्हित की गई, जो रावी दरिया के पार है। सुरक्षा कारणों से किसान यहां खेती नहीं कर पाते। योजना में कक्कड़, रानियां गांवों के अलावा संवेदनशील तोता पोस्ट के आसपास की जमीन भी शामिल है।
प्रदेश सरकार ने इस इलाके के किसानों की रावी दरिया के पार स्थित 852 एकड़ जमीन साढ़े चार लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से खरीदी है। इसमें से अकेले बदलू गांव की 600 एकड़ जमीन शामिल है। फार्म के इंचार्ज अश्विनी कुमार रामबानी का कहना है कि बाकी की जमीन सरकारी है। दशकों से खेती न होने से जमीन झाड़ से ढक गई थी। फिलहाल 400 एकड़ को बिजाई के लिए तैयार किया गया है।
पहले इन जमीनों पर मालिक काम करने के लिए जाते थे। कई बार खतरा रहता था, लेकिन अब देखरेख में खेती होगी। ऐसे में जाहिर है कि बीएसएफ को भी राहत मिलेगी। -हिम्मत सिंह आईजी, बीएसएफ (पंजाब फ्रंटियर)
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