मुंबई ॥ अपनी बहुचर्चित फिल्म 'आरक्षण' के प्रदर्शन को लेकर चल रहे विवाद से नाराज मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने कहा कि जिस तरीके से रचनात्मक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जा रहा है उससे लगता है कि लोग सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण फासीवादी स्थिति में जी रहे हैं। उन्होंने कहा है कि अगर कानून यह कहता है कि हर राजनीतिक दल, हर समाज और हर नागरिक से अनुमति लेनी होगी तो फिल्म निर्माण कोई 'कला' नहीं रह जाएगी।
अमिताभ ने अपने ब्लॉग में सवाल किया कि भारतीय फिल्म समुदाय में ऐसा कोई निकाय क्यों नहीं है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करने वाले के खिलाफ उठ खड़ा हो? बिग बी ने कहा कि राजनीतिक शक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले निकायों की अपनी विचारधारा और जनशक्ति होती है और वे उन्हीं चीजों का समर्थन करते हैं जिनका अंतत उन्हें ही फायदा होता है। लेकिन कलाकार एक रचानात्मक व्यक्ति होता है उसका राजनीति से कोई मतलब नहीं होता।
उन्होंने कहा कि सरकार ने एक संवैधानिक निकाय केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड बनाया है जो इन गड़बड़ियों की जांच करता है। अब किसी फिल्म निर्माता को अपने काम को पास कराने के लिए ऐसे कितने निकायों के पास जाना होगा। राजनीतिक दल, हर समाज और हर नागरिक से अनुमति लेनी होगी तो फिल्म निर्माण कोई 'कला' नहीं रह जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि प्रत्येक व्यक्ति की स्वीकृति की जरूरत होगी तो थियेटर में फिल्म देखने के लिए कौन बचेगा?
उन्होंने कहा 'फिल्म उद्योग में कलाकर समुदाय हमेशा प्रभावित रहेगा क्योंकि हमारा काम फिल्म बनाना, या पेंटिंग करना या किताब लिखना है। हमारा पूरा करियर इस बात को सुनिश्चित करने पर निर्भर करता है कि अधिकतम संख्या में लोग हमारे काम की प्रशंसा करें।'
बिग बी ने कहा, 'हमें इस बात को दर्शकों पर छोड़ देना चाहिए कि वे क्या देखना चाहते हैं और क्या नहीं। आपको नहीं पसंद है तो मत देखिए। फिल्म देखने के बाद पसंद नहीं आए तो इसकी आलोचना कीजिए। लेकिन इस पर हमला करना, फिल्म और उसमें शामिल लोगों के यहां तोड़ - फोड़ करना हमारे कानून में नहीं आता है। '
उन्होंने कहा कि एक बार सेंसर बोर्ड के पास किए जाने और उच्च न्यायालय द्वारा प्रदर्शित किए जाने की अनुमतिदिए जाने के बाद बहुत कुछ किए जाने की गुंजाइश नहीं थी। फिल्म प्रदर्शित होगी और जो लोग इसका विरोधकर रहे हैं उन्हें यह पता चलेगा कि इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिसका वे विरोध कर रहे हैं। '
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