शनिवार, 27 अगस्त 2011

हत्याकांड में 13 जनों को आजीवन कारावास, दो बरी

सीकर. बहुचर्चित भगवान सिंह हत्याकांड में अपर जिला एवं सेशन न्यायालय (फास्ट ट्रैक) ने 13 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जबकि संदेह का लाभ देते हुए दो लोगों को बरी कर दिया। सभी आरोपियों पर अलग से जुर्माना भी लगाया गया है। अपर लोक अभियोजक किशोर कुमार सैनी ने बताया कि 27 मई, 2005 में नागवा गांव निवासी भगवान सिंह की हत्या कर दी गई थी। मृतक के भाई प्रभु सिंह राजपूत ने पर्चा बयान के जरिए 20 लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया। बाद-विवेचना पुलिस ने अभियुक्त गण नारायण सिंह, सुरेंद्र सिंह, नारायण चंदेलिया, जीवण सिंह, प्रहलादराम, नेमीचंद उर्फ नेमाराम, भींवाराम, पूर्णमल, जयसिंह उर्फ शौकीन सिंह, रामलाल, पोखरमल जाट, अर्जुनलाल, गिरधारी, हरफूल, झाबरमल, डूंगर सिंह, जितेंद्रसिंह, सुनील, नौरंगीलाल और पोखरमल चंदेलिया के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया।





अभियुक्त गिरधारी पुत्र ईश्वर राम और हरफूल पुत्र गिरधारी के खिलाफ तितंबा आरोप पत्र पेश होने पर उनके खिलाफ अलग से मुकदमा इसी न्यायालय में लंबित है। मुकदमे की सुनवाई के दौरान अर्जुनलाल की मौत हो गई। पोखरमल चंदेलिया और सुनील फरार चल रहे हैं। ट्रायल में 15 आरोपी थे। बहस के दौरान बचाव पक्ष का कहना था कि अभियुक्त गण युवा हैं। उनका प्राथमिक अपराध है। पोखरमल कैंसर रोग से पीड़ित है। अभियुक्त गण में दो सरकारी सेवा में हैं। उनके प्रति नरमी का रुख अपनाया जाए। अपर लोक अभियोजक और परिवादी के अधिवक्ता सत्यनारायण शर्मा ने इसका विरोध करते हुए कोर्ट से सख्त सजा की अपील की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक) शैलेंद्र व्यास ने संदेह का लाभ देते हुए झाबरमल जाट और जितेंद्र सिंह को बरी कर दिया। 13 अन्य आरोपियों नारायण सिंह राजपूत, डूंगर सिंह, जय सिंह, नेमीचंद उर्फ नेमाराम चंदेलिया, नारायण चंदेलिया, सुरेंद्र सिंह, जीवण सिंह, रामलाल, प्रहलाद, पूर्णमल, भींवाराम, पोखरमल जाट और नौरंगलाल पर हत्या का दोषसिद्ध पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सभी आरोपियों को अन्य धाराओं में भी सजाएं सुनाई गई हैं, जो साथ-साथ चलेंगी।



हत्या करने के बाद ट्रैक्टर से घसीटा था शव
27 मई, 2005 की शाम साढ़े छह बजे दो ट्रैक्टर और जीप में सवार होकर आए लोगों ने नागवा गांव निवासी भगवान सिंह के घर में घुसकर मारपीट शुरू कर दी। घर का सामान तोडफ़ोड़ करने लगे और महिला-बच्चों और भगवान सिंह के भाई प्रभु सिंह को पीटा। भगवान सिंह उनसे बचने के लिए मकान की छत पर चढ़ गया। आरोपियों ने भगवान सिंह को छत के नीचे फेंक दिया। घायल हालत में लाठियों और तलवारों से बुरी तरह पीट-पीटकर भगवान सिंह की हत्या कर दी। उसकी लाश को प्रहलाद चंदेलिया के ट्रैक्टर के पीछे बांध दिया और शव को घसीटते हुए गांव के बीच से ले गए थे। प्रभुसिंह ने हत्या की वजह पारिवारिक रंजिश बताई थी। हत्या का मुख्य आरोपी नारायण सिंह उसका रिश्तेदार ही है।



फैसले के दौरान परिसर में तैनात रही फोर्स भगवान सिंह हत्याकांड के फैसले को लेकर कोर्ट परिसर में भारी फोर्स तैनात रहा। अतिरिक्त जाप्ते के साथ ही कोबरा टीम भी लगाई गई थी। अभियुक्तों को पुलिस सुरक्षा घेरे में जेल से कोर्ट लाया गया। सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें सुरक्षा घेरे में ही वापस सीकर कारागार भेज दिया गया। जेलर ने बताया कि सभी आरोपियों को केंद्रीय कारागार, जयपुर भिजवाया जाएगा।

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