नई दिल्ली। कला इंसान को कितना महान बना देता है इसका उदाहरण तिहाड़ जेल के पूर्व कैदी दल-लामा है। कला से प्रेम कर दल-लामा मादक द्रव्यों के तस्कर से एक महान कलाकार बन गए हैं। यह बोल हैं मशहूर अभिनेत्री और सांसद जया प्रदा के। जया प्रदा ने कल दिल्ली के गांधी दर्शन सत्यग्रह हॉल में तिहाड़ जेल के कैदियों द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स प्रदर्शनी का उटघाट्न किया। जया इन पेंटिंग्स को देख काफी प्रसन्न हुई। यहीं नहीं उन्होंने पेंटरों कि भी प्रशंसा की। सबसे ज्यादा दल लामा पेंटर की पेंटिंग्स ने सबका मन मोह लिया।
दरअसल दल-लामा एक समय में नशे के सौदागर थे । आज एसबीसीटी(सिद्धार्था बाशिष्ठ चैरिटेबल ट्रस्ट) के संपर्क में आकर जब कोरे कैनवास पर कूची से रंगों से खेलना शुरू किया तो जल्द ही कलाकार के रूप में ख्याती अर्जीत कर ली।
क्या है मामला:
दल-लामा के अनुसार उन्हें वर्ष 2002 में दिल्ली पुलिस ने साथियों के साथ इंदीरा गांधी एयरपोर्ट से 812 ग्राम सफेद हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया था। अल-लामा ने भास्कर डॉट कॉम से विशेष बात-चीत के दौरान बताया कि तिहाड़ में ही वह पेंटिंग्स की तरफ आकर्षित हो गए और वहीं अपने सीनियरों से पेंटिंग्स की कला सिखी। कुछ ही दिनों के अभ्यास में दल-लामा अच्छी पेंटिंग्स बनाने लगे। वह अपनी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगाकर पैसे कमाने लगे। पेंटिंग्स की बिक्री से वह अपने घर वालों की मदद् करते थे।
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने कोर्ट के सामने अपना अपराध कूबूल लिया तब अदालत ने उनके अच्छे चाल-चलन और कला के प्रति झुकाव को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम सजा़ 10 साल मुकर्रर कर दी।
सात साल की सजा़ काट चुके लामा तीन साल की सजा़ और काट कर तिहाड़ से बाहर आ गए। इसी साल उनकी शादी भी हुई। अब वे इसी एनजीओ के लिए पेंटिंग्स बनाते हैं और राजधानी में रह रहे हैं। लोंगो में उनकी पेंटिंग्स की अच्छी डिमांड है। दल-लामा न्यूड पेंटिंग्स के साथ लैंड स्कैप, पोर्टेट में विशेषर रूचि रखते हंै।
दरअसल दल-लामा एक समय में नशे के सौदागर थे । आज एसबीसीटी(सिद्धार्था बाशिष्ठ चैरिटेबल ट्रस्ट) के संपर्क में आकर जब कोरे कैनवास पर कूची से रंगों से खेलना शुरू किया तो जल्द ही कलाकार के रूप में ख्याती अर्जीत कर ली।
क्या है मामला:
दल-लामा के अनुसार उन्हें वर्ष 2002 में दिल्ली पुलिस ने साथियों के साथ इंदीरा गांधी एयरपोर्ट से 812 ग्राम सफेद हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया था। अल-लामा ने भास्कर डॉट कॉम से विशेष बात-चीत के दौरान बताया कि तिहाड़ में ही वह पेंटिंग्स की तरफ आकर्षित हो गए और वहीं अपने सीनियरों से पेंटिंग्स की कला सिखी। कुछ ही दिनों के अभ्यास में दल-लामा अच्छी पेंटिंग्स बनाने लगे। वह अपनी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगाकर पैसे कमाने लगे। पेंटिंग्स की बिक्री से वह अपने घर वालों की मदद् करते थे।
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने कोर्ट के सामने अपना अपराध कूबूल लिया तब अदालत ने उनके अच्छे चाल-चलन और कला के प्रति झुकाव को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम सजा़ 10 साल मुकर्रर कर दी।
सात साल की सजा़ काट चुके लामा तीन साल की सजा़ और काट कर तिहाड़ से बाहर आ गए। इसी साल उनकी शादी भी हुई। अब वे इसी एनजीओ के लिए पेंटिंग्स बनाते हैं और राजधानी में रह रहे हैं। लोंगो में उनकी पेंटिंग्स की अच्छी डिमांड है। दल-लामा न्यूड पेंटिंग्स के साथ लैंड स्कैप, पोर्टेट में विशेषर रूचि रखते हंै।
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