शनिवार, 23 जुलाई 2011

रूपाराम बना पन्द्रह बार "मां"

रूपाराम बना पन्द्रह बार "मां"
 

उदयपुर। कोटड़ा जैसे दुर्गम आदिवासी क्षेत्र में संस्थागत प्रसव संख्या बढ़ाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग जिस प्रसाविका के काम की तारीफ करते नहीं अघा रहा था, असल में वह जननी सुरक्षा योजना की राशि में गबन का खेल निकला।

गोगरूद उप स्वास्थ्य केन्द्र की प्रसाविका रेखा भाटी ने गत वर्ष नवम्बर से लेकर अब तक आठ महीने में करीब 250 प्रसव सम्पन्न कराना दर्ज किया है। इनमें प्रसाविका ने खुद को 11 बार प्रसूता बताकर राशि उठा ली। यही नहीं केन्द्र से 32 पुरूषों को प्रसूता बताते हुए योजना की राशि उठा ली गई और 62 वर्षीय वृद्धा को भी प्रसूता बता दिया गया।

रूपाराम नामक पुरूष को प्रसूता और दाई बताते हुए कुल तीस बार राशि का भुगतान उठा लिया गया। यही नहीं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सीतादेवी के नाम से 24 बार प्रसूता और 60 बार दाई की राशि उठाई गई। पंजाब नेशनल बैंक में स्वास्थ्य केन्द्र के खाते के विवरण से यह जानकारी मिली है, लेकिन रिकॉर्ड सामने नहीं आ पाया है। दरअसल, मामला खुलने के बाद से भाटी स्वास्थ्य केन्द्र पर ताला लगाकर नदारद है।

लाख का गबन
तीन चिकित्साधिकारियों को नियुक्त करते हुए सात गांवों में ढाई सौ प्रसूताओं का भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है ताकि गबन की कुल राशि का खुलासा हो सके। हालांकि प्रथम दृष्टया करीब एक लाख रूपए से ज्यादा राशि का गबन सामने आ रहा है। उल्लेखनीय है कि योजना के तहत दाई को दो सौ रूपए जबकि प्रसूता को 1700 रूपए की राशि देय है।

"प्रसाविका द्वारा गत आठ महीनों में करीब 250 प्रसव कराना दर्ज है और वह उप स्वास्थ्य केन्द्र पर ताला लगाकर गायब है। भौतिक सत्यापन में दस-पन्द्रह दिन लग सकते हैं, जिसके बाद गबन की राशि सामने आने पर ही मुकदमा दर्ज कराया जा सकेगा।"
डॉ.शंकरलाल चव्हाण, ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी, कोटड़ा

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