शनिवार, 23 जुलाई 2011

और अच्छी बातें,,,,,,,,,,,,,,,,,,ॐ जय श्री राधा जय श्री कृष्ण



  • क्यों व्यर्थ की चिंता करते होकिससे व्यर्थ डरते होकौन तुम्हें मार सक्ता हैआत्मा ना पैदा होती है, मरती है।
  • जो हुआ , वह अच्छा हुआजो हो रहा हैवह अच्छा हो रहा हैजो होगावह भी अच्छा ही होगा। तुमभूत का पश्चाताप  करो। भविष्य की चिन्ता  करो। वर्तमान चल रहा है।
  • तुम्हारा क्या गयाजो तुम रोते होतुम क्या लाए थेजो तुमने खो दियातुमने क्या पैदा किया था,जो नाश हो गया तुम कुछ लेकर आएजो लिया यहीं से लिया। जो दियायहीं पर दिया। जोलियाइसी (भगवानसे लिया। जो दियाइसी को दिया।
  • खाली हाथ आये और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा हैकल और किसी का थापरसों किसी औरका होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।
  • परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते होवही तो जीवन है। एक क्षण में तुमकरोड़ों के स्वामी बन जाते होदूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेराछोटा-बड़ा,अपना-परायामन से मिटा दोफिर सब तुम्हारा हैतुम सबके हो।
  •  यह शरीर तुम्हारा है तुम शरीर के हो। यह अग्निजलवायुपृथ्वीआकाश से बना है औरइसी में मिल जायेगा। परन्तु आत्मा स्थिर है - फिर तुम क्या हो?
  • तुम अपने आपको भगवान के अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इसके सहारे को जानता हैवह भयचिन्ताशोक से सर्वदा मुक्त है।
  • जो कुछ भी तू करता हैउसे भगवान के अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवन-मुक्त का आनंदअनुभव करेगा।

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