शनिवार, 9 जुलाई 2011

दुनिया की पहली कृत्रिम सांस नली

दुनिया की पहली कृत्रिम सांस नली
 

लंदन। लंदन में वैज्ञानिकों ने कृत्रिम सांस की नली बनाई जिसपर मरीज के स्टेम सेल का लेप चढ़ाया गया। 36 साल के कैंसर मरीज में ऑपरेशन के बाद तेजी से सुधार हो रहा है। ऑपरेशन की सबसे बड़ी बात ये है कि इसमें किसी दाता या डोनर की जरूरत नहीं है और इस बात का भी खतरा नहीं रहता है कि शरीर उस नए अंग को स्वीकार नहीं करेगा। डॉक्टरों का दावा है कि सांस की नली को कुछ दिनों में ही बनाया जा सकता है।


चिकित्सकों को उम्मीद है वे इस तकनीक का इस्तेमाल कोरिया में नौ साल के एक मरीज की खराब सांस नली को ठीक करने में कर पाएंगे। शोध से जुड़े प्रोफेसर मैकियारिनी ने सांस की नली के दस ट्रांसप्लांट ऑपरेशन किए हैं लेकिन इन सभी मामलों में एक डोनर की जरूरत रही है।

आखिर कैसे होता है ये कमाल


इस तकनीक की सबसे महत्वपूर्ण बात है मरीज की सांस की नली का हूबहू ढांचा तैयार किया जाता है। इसके लिए मरीज की नली का 3-डी स्कैन डॉक्टरों को दिया गया। फिर शीशे से बने इस ढांचे पर मरीज के बोन मैरो से स्टेम सेल निकाल कर तैयार किया गया लेप लगाया गया। जिस मरीज का इलाज इस तकनीक से किया गया उसका नाम ऎंडेमरियम टेकलेसेन्बेट है।

 

दो दिनों में परिणाम : दो दिनों के भीतर मरीज की लाखों छेद वाली सांस की नली पर मरीज के ही टिश्यू (रेशे)चढ़ गए। मरीज की सांस की नली में एक ऎसा ट्यूमर हो गया था जिसे ऑपरेशन कर हटाया नहीं जा सकता था। ट्रांसप्लांट ही इसका एक उपाय था।

12 घंटे लंबे इस ऑपरेशन के बाद मरीज की ट्यूमर ग्रसित पुरानी सांस की नली हटाकर एक कृत्रिम सांस की नली लगा दी गई। सबसे अहम बात ये है कि ये कृत्रिम नली कुछ ही दिनों में बिल्कुल शरीर के असली अंग की तरह हो जाएगी। इसमें किसी दूसरे शरीर से कुछ नहीं लिया गया है इसीलिए इसे मरीज का शरीर अस्वीकार भी नहीं करेगा।

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