शिकागो. अमेरिकी अदालत ने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा को मुंबई आतंकी हमले की साजिश रचने के आरोपों से बरी कर दिया है। राणा पर मुंबई अटैक में डेविड कोलमैन हेडली की मदद के आरोप थे। हालांकि जूरी ने उसे लश्कर-ए-तैय्यबा की मदद और डेनमार्क के एक अखबार पर नाकाम हमले के मामले में दोषी करार दिया।
शिकागो में 12 सदस्यीय जूरी ने 2 दिन के विचार-विमर्श के बाद अपना यह फैसला सुनाया। राणा के खिलाफ मुकदमे की शुरुआत 23 मई को हुई थी।
राणा पर 2008 के मुंबई हमले की साजिश में भागीदार होने का आरोप था। मुंबई हमलों में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिसमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे।
सजा पर सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं की गई है। उसे इन दो आरोपों में 30 साल की जेल हो सकती है। अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के प्रवक्ता ने कहा कि 'जूरी इस बात से सहमत थी कि राणा डेनमार्क हमले की साजिश रचने में शामिल था और उसने लश्कर- को सामान पहुंचाने में भी मदद की थी।
हालांकि जूरी उस पर लगे मुंबई हमले के लिए सामान मुहैया कराने के आरोप से सहमत नहीं हुई।
शिकागो में 12 सदस्यीय जूरी ने 2 दिन के विचार-विमर्श के बाद अपना यह फैसला सुनाया। राणा के खिलाफ मुकदमे की शुरुआत 23 मई को हुई थी।
राणा पर 2008 के मुंबई हमले की साजिश में भागीदार होने का आरोप था। मुंबई हमलों में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिसमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे।
सजा पर सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं की गई है। उसे इन दो आरोपों में 30 साल की जेल हो सकती है। अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के प्रवक्ता ने कहा कि 'जूरी इस बात से सहमत थी कि राणा डेनमार्क हमले की साजिश रचने में शामिल था और उसने लश्कर- को सामान पहुंचाने में भी मदद की थी।
हालांकि जूरी उस पर लगे मुंबई हमले के लिए सामान मुहैया कराने के आरोप से सहमत नहीं हुई।
भारत सरकार ने कहा, झटका नहीं
भारत सरकार के आंतरिक सुरक्षा सचिव यूके बंसल ने कहा कि यह भारत के लिए झटका नहीं है। हम नए सिरे से सारे सबूत जुटाएंगे और फिर कोई निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय एजेंसियां अभी निर्णय को देख रही हैं।
भारत में नाराजगी
वरिष्ठ अधिवक्ता उज्जवल निकम ने इस फैसले से हैरानी जताई है और कहा है कि भारत सरकार को इस फैसले के खिलाफ अपील करनी चाहिए। वरिष्ठ वकील माजिद मेनन ने कहा है कि एक तरफ अदालत ने माना है कि राणा आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा की मदद करता रहा है और भारतीय अदालतों में मुंबई हमलों में इसी संगठन का हाथ पाया गया है। फिर शिकागो कोर्ट ने राणा का हाथ मुंबई हमलों में कैसे नहीं पाया गया, यह आश्चर्यजनक है।
भारत में नाराजगी
वरिष्ठ अधिवक्ता उज्जवल निकम ने इस फैसले से हैरानी जताई है और कहा है कि भारत सरकार को इस फैसले के खिलाफ अपील करनी चाहिए। वरिष्ठ वकील माजिद मेनन ने कहा है कि एक तरफ अदालत ने माना है कि राणा आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा की मदद करता रहा है और भारतीय अदालतों में मुंबई हमलों में इसी संगठन का हाथ पाया गया है। फिर शिकागो कोर्ट ने राणा का हाथ मुंबई हमलों में कैसे नहीं पाया गया, यह आश्चर्यजनक है।
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