शुक्रवार, 3 जून 2011

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल का निधन

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल का निधन



चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल को दिल का दौरा पड़ जाने से निधन हो गया है। दिल का दौरा पडऩे के बाद उन्हें आज दोपहर को हिसार के एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया हैं। 12 साल तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे भजन लाल हिसार के रविंद्रा अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था जहां उनकी हालत नाजुक थीं। । डॉक्टरों की ओर से प्रयास किए जाने के बावजूद भी उनकी जान को नहीं बचाया जा सका और अस्पताल के आईसीयू में उनका निधन हो गया। वह हरियाणा के मुख्यमंत्री रहने के अलावा दो केंद्र में भी मंत्री रह चुके थे।
देश की राजनीति में 60 के दशक के लगातार अहम योगदान देने के बाद चौधरी भजनलाल बिश्नोई शुक्रवार को अलविदा कह गए। इसी के साथ राजनीति से लेकर बॉलीवुड तक चर्चित लालो की राजनीति का अंत हो गया। देवीलाल,बंसी लाल के बाद करीब 82 वर्षीय भजनलाल के निधन से हरियाणा शोक में डूब गया। वर्तमान में उन्होंने क्षेत्रीय दल हरियाणा जनहित कांग्रेस के संरक्षक एवं हिसार लोकसभा सीट से सांसद भी थे।
11 वर्ष 9 माह 27 दिन मुख्यमंत्री, राजीव गांधी की केंद्र सरकार में कृषि मंत्री के रूप में उन्होंने अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अब तक का सर्वाधिक कार्यकाल बिताया। वे हरियाणा में जून 1979 में देवीलाल की जनता पार्टी सरकार में कृषि मंत्री रहते पहली बार मुख्यमंत्री बनें। बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। 1989 में केन्द्रीय कृषि एवं पर्यावरण मंत्री रहे। विशेष बात यह भी रही भजनलाल ने करनाल,फरीदाबाद संसदीय क्षेत्र से भी संसद का रास्ता तय किया। फिलहाल वे हिसार से सांसद थे। अपने जीवन में वे केवल करनाल से लोकसभा का एक चुनाव हारे। हिसार जिले का आदमपुर उनका अभेद दुर्ग रहा। यहां से वे उनका परिवार का सदस्य 68 से आजतक कोई चुनाव नहीं हारे।
गांधी परिवार से भजनलाल के प्रगाढ़ रिश्ते रहे। उनको इंदिरा गांधी ने ही मुख्यमंत्री बनाया,बाद में राजीव गांधी ने अपने केन्द्रीय मंत्री मंडल में सहयोग लिया। गांधी परिवार ने भजनलाल का प्रयोग अन्य राज्यों के लिए भी किया। 91 में राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनाने के लिए भजनलाल को भेजा गया। यह बात अलग है कि भैरोंसिंह शेखावत बाजी मार गए। हरियाणा के तीन लालों के किस्से देश के कौनसे-कोने में मशहूर हैं। तीनों ही लालों ने देश की राजनीति में अपना पूरा योगदान दिया। केन्द्रीय मंत्री मंडल में तीनों से अपना वर्चस्व अलग ही रखा। यहां तक कि अनिल कपूर की एक फिल्म में तीनों लालों के नाम पर कलाकारों के नाम रखे गए।
भजनलाल को हरियाणा की राजनीति का पीएचडी भी कहा जाता रहा है। इस हरफनमौला खिलाड़ी के सामने अच्छों अच्छों के कदम डगमगा जाते थे। ये 77 में देवीलाल के अति बहुमत वाली सरकार गिराने के बाद चर्चा में आए। 2005 में सोनिया गांधी ने भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बना दिया। इससे खफा होकर भजनलाल ने कांग्रेस ने नाता तोड़ दिया। इससे पूर्व 2004 में भजनलाल ने एक चैलेंज को स्वीकार करते हुए भिवानी लोकसभा सीट से बेटे कुलदीप बिश्नोई को चुनाव लड़ाया। सामने देवीलाल के पोते अजय चौटाला व बंसी लाल के बेटे सुरेंद्र सिंह थे। इस चुनाव में जीत से भजनलाल की पीएचडी की तारीफ हुई। पंजाबी बोली के क्षेत्र व पानी के मुद्दे पर वे पंजाब के आतंकवादियों के निशाने पर भी थे। उनको सरकार ने विशेष सुरक्षा दे रखी थी। जीवन के 81 बसंत देखने के बाद भी वे राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय थे।

 

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