राजस्थान के बाड़मेर में लगने वाले सुपर क्रिटिकल पॉवर प्लांट के लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने दो कोल ब्लॉक्स की मंजूरी दी है। इसके तहत अगले 15 साल तक हर साल दस मिलियन टन कोयला राजस्थान को मिलेगा। इसके बाद दूसरा चरण ओर बढ़ाया जा सकेगा। पिछले 18 माह से केन्द्र सरकार के पास यह प्रस्ताव विचाराधीन था। पहले पर्यावरण मंत्रालय ने इस क्षेत्र को नो गो एरिया घोषित कर रखा था। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आज जयपुर में हुई लम्बी बैठक के बाद दोनों नेताओं ने पत्रकारों से बातचीत में यह घोषणा की। यह कोल ब्लॉक्स छत्ताीसगढ़ के पाटसाईस्ट और कांटेबासा में है। मुख्यमंत्री ने बताया कि अगले कुछ समय में राजस्थान में चार पॉवर प्लांट लगेंगे। इनमें बाड़मेर में सुपर क्रिटिकल पॉवर प्लांट, बाड़मेर में ही निजी क्षेत्र में ,छबड़ा और सूरतगढ़ में सरकारी क्षेत्र में पॉवर प्लांट लगेंगे। प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र बांसवाड़ा में भी बिजली का प्रोजेक्ट लगेगा। मुख्यमंत्री और जयराम रमेश की बैठक में धौलपुर से झालावाड़ तक 11,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को बायोस्फियर रिजर्व की स्थापना के लिए भी चर्चा हुई। इसके साथ ही जयपुर के पास शाहपुरा में स्मिथसोनियन इन्स्टीट्यूशन के सहयोग से प्रस्तावित जैव विविधता के संरक्षण के संबंध में शोध और अनुसंधान के लिए भी केन्द्र सरकार द्वारा सहायता देने पर सहमति हुई। सरिस्का अभ्यारण्य के बाहर से बाईपास हाइवे बनाने पर सहमति हुई। इस पर खर्च होने वाले 20 करोड़ रुपए में से आधा राज्य सरकार और आधा केन्द्र सरकार वहन करेगी। प्रदेश के रेगिस्तानी इलाके जैसलमेर में चीता अभ्यारण्य स्थापित करने पर भी विचार किया गया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें