शनिवार, 25 जून 2011

श्रीरामचरितमानस.....तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।


श्रीरामचरितमानस
श्री राम चरित मानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचा एक महाकाव्य है। श्री रामचरित मानस भारतीय संस्कृति मे एक विशेष स्थान रखती है। उत्तर भारत में रामायण के रूप में कई लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। श्री राम चरित मानस में श्री राम को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में दर्शाया गया है जब कि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में श्री राम को एक मानव के रूप में दिखाया गया है। तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। शरद नवरात्रि में इस के सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है।

रामचरित मानस १५वीं शताब्दी के कवि गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा लिखा गया महाकाव्य है। जैसा कि तुलसीदास जी ने रामचरित मानस के बालकाण्ड में स्वयं लिखा है कि उन्होंने रामचरित मानस की रचना का आरंभ अयोध्यापुरी में विक्रम संवत १६३१ (१५७४ ईस्वी) के रामनवमी, जो कि मंगलवार था, को किया था। गीताप्रेस गोरखपुर के श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार के अनुसार रामचरितमानस को लिखने में गोस्वामी तुलसीदास जी को २ वर्ष ७ माह २६ दिन का समय लगा था और संवत् १६३३ (१५७६ ईस्वी) के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाह के दिन उसे पूर्ण किया था. इस महाकाव्य की भाषा अवधी है जो कि हिंदी की ही एक शाखा है। रामचरितमानस को हिंदी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। रामचरितमानस को सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसी कृत रामायण' भी कहा जाता है।

रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचन्द्र, जिन्हें कि केवल राम भी कहा जाता है, के निर्मल एवं विशद् चरित्र का वर्णन किया है। महर्षि वाल्मीकि रचित संस्कृत रचना रामायण को रामचरितमानस का आधार माना जाता है। यद्यपि रामायण और रामचरितमानस दोनों में ही राम के चरित्र का वर्णन है परंतु दोनों ही महाकाव्यों के रचने वाले कवियों की वर्णन शैली में उल्लेखनीय अंतर है। जहाँ वाल्मीकि ने रामायण में राम को केवल एक सांसारिक व्यक्ति के रूप में दर्शाया है वहीं तुलसीदास ने रामचरितमानस में राम को भगवान विष्णु का अवतार माना है।

रामचरितमानस को तुलसीदास ने सात काण्डों में विभक्त किया है। इन सात काण्डों के नाम हैं - बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड और उत्तरकाण्ड। छन्दों की संख्या के अनुसार अयोध्याकाण्ड और सुन्दरकाण्ड क्रमशः सबसे बड़े और छोटे काण्ड हैं। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में हिंदी के अलंकारों का बहुत सुन्दर प्रयोग किया है विशेषकर अनुप्रास अलंकार का। रामचरितमानस पर प्रत्येक हिंदू की अनन्य आस्था है और इसे हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ माना जाता है।

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