गुरुवार, 12 मई 2011

बाडमेर ने भी मारी बाजी




बाडमेर ने भी मारी बाजी 

रमेश जांगिड संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा 2010 का परिणाम बुधवार को घोषित हुआ। इस परीक्षा में मारवाड के विद्यार्थियों ने भी अपनी जगह बनाई है। सीमावर्ती शिव तहसील के भिंयाड गांव के रमेश जांगिड की 203 वीं रंैक है। रमेश जांगिड के पिता, सेवानिवृत शिक्षक नीम्बाराम जांगिड ने बताया कि रमेश की प्रारंभिक शिक्षा भिंयाड गांव व स्नातक बाडमेर महाविद्यालय से हुई।
इसके बाद दिल्ली में रहकर पिछले दस साल से तैयारी में जुटा रहा। तीन बार साक्षात्कार तक पहुंचने के बावजूद चयन नहीं हुआ। यह अंतिम अवसर था। इस बार चयन होने पर पूरे परिवार को खुशी है। रमेश जांगिड ने दूरभाष पर बताया कि उसकी सफलता का श्रेय वह अपने स्वर्गीय छोटे भाई कैलाश को देते हैं, जिसने उसकी पढाई में कई साल तक योगदान दिया। माता आशादेवी और पिता नीम्बाराम जांगिड ने हर समय हौंसला अफजाई की।

श्रीराम विश्नोई: बाडमेर जिले के पचपदरा तहसील अन्तर्गत घडसी का बाडा निवासी श्रीराम विश्नोई ने इस परीक्षा में 392 वां स्थान प्राप्त किया है। वर्तमान में वे पाली जिले के गिरादडा ग्राम पंचायत में ग्राम सेवक का प्रशिक्षण ले रहे हैं। श्रीराम ने अपने अंतिम प्रयास में यह सफलता प्राप्त की। श्रीराम के पिता खेती करते हैं व माता गृहिणी है। श्रीराम का कहना है मेहनत करने वाले को अवश्य ही सफलता मिलती है। वे अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और भाई-बहन के साथ अपने मित्रों को देते हैं। चाणक्य संस्थान के निदेशक मनवीर सिंह बेैनीवाल ने बताया कि श्रीराम ने आई.ए.एस. के लिए संस्थान से कोचिंग ली और अभी भी संस्थान में ही आई.ए.एस. बैच को पढा रहे है।
लडकियां भी कर सकती मुकाम हासिल
गजराजसिंह चारण: बाडमेर जिले के कसुमबला गांव के निवासी गजराजसिंह ने इस परीक्षा में 720 वां स्थान प्राप्त किया है। वर्तमान में वे राजस्थान पुलिस अकादमी में आरपीएस का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. गजराजसिंह इससे पूर्व राजस्थान सहकारी सेवा में निरीक्षक के पद पर कार्य कर चुके हैं। गजराज का मानना है कि विफलता से हताश होने के बजाय परीक्षार्थियों को आत्मविश्वास के साथ लक्ष्य की ओर बढते रहना चाहिए।

नीतू सिंह: शहर के महामंदिर इलाके में शिवपुरी निवासी नीतू सिंह ने इस परीक्षा में 653 वां स्थान प्राप्त किया है। वर्तमान में वे सहकारिता निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। नीतू को चौथे प्रयास में यह सफलता मिली। उनके पिता रोडवेज में मैकेनिक व माता गृहिणी है। चार भाई-बहनों में सबसे बडी नीतू के साथ उनकी छोटी बहन ने भी आई.ए.एस. का साक्षात्कार दिया, लेकिन उनको सफलता नहीं मिली। बकौल नीतू अगर लडकियों को मौका दिया जाए तो वे अपने मुकाम पर पहुंच सकती है। जेएनवीयू से रसायन शास्त्र में एमएससी नीतू ने अपनी सफलता का श्रेय अपने मित्र सुरेश कुमार भाटी को दिया, जो स्वयं साक्षात्कार तक पहुंचे थे।
आत्मविश्वास बनाएं रखें

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें