कर्ज लेकर किया शहीद का अंतिम संस्कार
छुरा। गरियाबंद पुलिस जिलांतर्गत सोमवार को नक्सली हमले में शहीद जवानों के परिजनों को अभी तक अनुग्रह राशि नहीं मिली है। जबकि शासकीय कर्मचारियों की मृत्यु पर 24 घंटे के भीतर परिजनों को अनुग्रह राशि दिए जाने का प्रावधान है। विभाग से तात्कालिन सहायता नहीं मिलने के कारण परिजन अंतिम क्रिया-कर्म के लिए सेठ-साहूकारों से उधारी में रूपए लेने को मजबूर हैं।
किसी भी शासकीय कर्मचारी की मृत्यु पर अनुग्रह राशि के रूप में 24 घंटे के अंदर 35 हजार रूपए दिए जाने का प्रावधान है। ओडिशा सीमा पर नक्सली हमले को 72 घंटे से ज्यादा समय हो गया है, लेकिन अभी तक उनके परिजनों को अनुग्रह राशि नहीं मिली है। विभागीय उपेक्षा से परिजन क्षुब्ध हैं। नक्सली हमले में छुरा क्षेत्र के तीन जवान शहीद हो गए हैं। इनमें से होमेश्वर ठाकुर गरीब परिवार का था। उसके पिता फिरतूराम भूमिहीन खेतिहर मजदूर हैं।
उसकी माली हालत दयनीय है। विभाग से कोई तात्कालिक सहायता नहीं मिलने की वजह से होमेश्वर के अंतिम क्रिया-कर्म के लिए उसे साहूकार से ऊंचे ब्याज पर रकम लेनी पड़ी। होमेश्वर के बड़े भाई त्रिलोक ठाकुर ने व्यथा प्रकट करते हुए कहा कि क्रिया-कर्म के लिए साहूकार से उधारी में रूपए लेकर सामान खरीदना पड़ा।
दस्तावेज तैयार हो रहे हैं
गरियाबंद पुलिस जिला नया बना है। सेट-अप में समय लगता है। कल ही नांदगांव से स्टाफ आया है। दस्तावेज तैयार हो रहे हैं। शहीदों के परिजनों को शीघ्र ही अनुग्रह राशि का भुगतान कर दिया जाएगा।
एके बैरागी, एसडीओपी, गरियाबंद
छुरा। गरियाबंद पुलिस जिलांतर्गत सोमवार को नक्सली हमले में शहीद जवानों के परिजनों को अभी तक अनुग्रह राशि नहीं मिली है। जबकि शासकीय कर्मचारियों की मृत्यु पर 24 घंटे के भीतर परिजनों को अनुग्रह राशि दिए जाने का प्रावधान है। विभाग से तात्कालिन सहायता नहीं मिलने के कारण परिजन अंतिम क्रिया-कर्म के लिए सेठ-साहूकारों से उधारी में रूपए लेने को मजबूर हैं।
किसी भी शासकीय कर्मचारी की मृत्यु पर अनुग्रह राशि के रूप में 24 घंटे के अंदर 35 हजार रूपए दिए जाने का प्रावधान है। ओडिशा सीमा पर नक्सली हमले को 72 घंटे से ज्यादा समय हो गया है, लेकिन अभी तक उनके परिजनों को अनुग्रह राशि नहीं मिली है। विभागीय उपेक्षा से परिजन क्षुब्ध हैं। नक्सली हमले में छुरा क्षेत्र के तीन जवान शहीद हो गए हैं। इनमें से होमेश्वर ठाकुर गरीब परिवार का था। उसके पिता फिरतूराम भूमिहीन खेतिहर मजदूर हैं।
उसकी माली हालत दयनीय है। विभाग से कोई तात्कालिक सहायता नहीं मिलने की वजह से होमेश्वर के अंतिम क्रिया-कर्म के लिए उसे साहूकार से ऊंचे ब्याज पर रकम लेनी पड़ी। होमेश्वर के बड़े भाई त्रिलोक ठाकुर ने व्यथा प्रकट करते हुए कहा कि क्रिया-कर्म के लिए साहूकार से उधारी में रूपए लेकर सामान खरीदना पड़ा।
दस्तावेज तैयार हो रहे हैं
गरियाबंद पुलिस जिला नया बना है। सेट-अप में समय लगता है। कल ही नांदगांव से स्टाफ आया है। दस्तावेज तैयार हो रहे हैं। शहीदों के परिजनों को शीघ्र ही अनुग्रह राशि का भुगतान कर दिया जाएगा।
एके बैरागी, एसडीओपी, गरियाबंद
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