सोमवार, 9 मई 2011

मण्डल रेल वित्त प्रबंधक अशोक मंगल रविवार को करीब पचास लाख रूपए के नोट जलाते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया।


मण्डल रेल वित्त प्रबंधक अशोक मंगल रविवार को करीब पचास लाख रूपए के नोट जलाते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया।

अजमेर। मण्डल रेल वित्त प्रबंधक अशोक मंगल रविवार को करीब पचास लाख रूपए के नोट जलाते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया। मंगल रेलवे में करोड़ों का गबन कर फरार हुए लेखा सहायक मुजफ्फर अली बोहरा से नजदीकी को लेकर शक के दायरे में था। मंगल को गिरफ्तार कर लिया गया है। मंगल लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व तक अजमेर में मण्डल वित्त प्रबंधक पद पर तैनात था।
फिलहाल वह बीकानेर में पदस्थापित है। उसकी अजमेर में तैनाती के दौरान ही बोहरा ने फर्जी चेकबनाकर रेलवे को करोड़ों रूपए की चपत लगाने का खेल प्रारंभ किया। बोहरा का मंगल के सरकारी बंगले पर नियमित आना-जाना था। गबन प्रकरण में किसी वरिष्ठ अधिकारी की मिलीभगत की संभावना देख आरपीएफ ने उस पर शिकंजा कसना शुरू किया। रविवार सुबह से आरपीएफ जवान डीआरएम कार्यालय परिसर स्थित मंगल के सरकारी बंगले पर नजर रखे हुए थे। घर पर मौजूद मंगल को इसकी भनक लग गई। 
तलाशी के दौरान घर पर रखी लाखों की नकदी बरामद होने के डर से उसने यह राशि जलाकर सबूत मिटाने का प्रयास किया। दोपहर दो बजे बंगले के बाहर तैनात कांस्टेबल पप्पूखान को बंगले के पिछवाड़े में धुआं उठता नजर आया। पप्पूखान तत्काल चारदीवारी फांद अंदर भागा। उस समय बड़े ड्रम में आग लगी थी और उसके अंदर नोटों की गçaयां साफ नजर आ रही थी। मंगल ड्रम के पास खड़ा था। खान ने जैसे-तैसे पानी से आग बुझा दी लेकिन तब तक ड्रम में रखे लाखों के नोट राख में तब्दील हो चुके थे।
दस करोड़ के गबन की आशंका
डीआरएम कार्यालय में लेखा सहायक बोहरा की ओर से फर्जी चेक बनाकर लगभग दस करोड़ रूपए के गबन की आशंका व्यक्त की जा रही है। बोहरा पिछले चार वर्षो से लाखों रूपए के फर्जी चेक बनाकर राशि अपने खाते में स्थानांतरित करता रहा है। वरिष्ठ मण्डल वित्त सलाहकार संजीव कुमार ने बताया कि तीन-चार दिन पूर्व आरबीआई से पांच लाख रूपए के एक चेक की जानकारी के लिए फोन आया था। जांच में गबन का मामला सामना आया। जयपुर के सतर्कता दल के अधिकारी रविवार को डीआरएम कार्यालय स्थित लेखा विभाग का पूरा रिकार्ड खंगालते रहे।
हाथ नहीं आया बोहरा
गबन का मुख्य आरोपी बोहरा रविवार को भी आरपीएफ के हाथ नहीं लगा। मामला खुलने के दो दिन पूर्व ही बोहरा भूमिगत हो चुका है।
2.50 लाख रू. अधजले
ड्रम में पड़ी राख के नीचे 1000, 500, 100, 50, 20 एवं 10 रूपए के नोटों की लगभग ढाई लाख रूपए की कुछ अधजली गçaयां निकाल ली गई। डेढ़ लाख रू. के नोट सुरक्षित मिले है। आरपीएफ के वरिष्ठ मण्डल सुरक्षा आयुक्त डी.बी. कासार ने बताया जले हुए नोटों की कीमत चालीस से पचास लाख रूपए हो सकती है।
नए नोटों का प्रावधान नहीं
रिजर्व बैंक के सेवानिवृत्त उप महाप्रबन्धक सुभाष शर्मा के अनुसार, नोट जलाना अपराध है, रिजर्व बैंक में भी केवल एक विभाग को ही गले या फटे नोट जलाने का अघिकार है। ये नोट भी ऎसे होते हैं, जो गलने या फटने के कारण चलन में आने लायक नहीं रहते। शर्मा का कहना है कि रिजर्व बैंक एकाउंटिंग के लिए मुद्रा का हिसाब रखता है, नोट जलाने के मामले में जांच एजेंसी जांच के बाद रिजर्व बैंक को बता देगी। लेकिन मुद्रा लेप्स नहीं होगी, इनके बदले में नए नोट जारी करने का भी प्रावधान नहीं है। रिजर्व बैंक नई सीरिज के नोट जारी करता रहता है।

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