वॉशिंगटन. क्या 21 मई यानी शनिवार को यह दुनिया खत्म हो जाएगी? ईसाई धर्म की पवित्र पुस्तक बाइबल के हवाले से दावा किया जा रहा है कि कल (21 मई, 2011) दुनिया खत्म हो जाएगी।
कैलिफोर्निया के धार्मिक प्रसारणकर्ता फैमिली रेडियो के अध्यक्ष हेरोल्ड कैंपिंग ने बाइबल की तारीखों की गणना के बाद 21 मई, 2011 को दुनिया के खत्म होने की शुरुआत की तारीख बताया है। कैंपिंग ने बाइबल के हवाले से कहा कि दुनिया को खत्म करने वाली बिबलिकल बाढ़ की तारीख उस समय के कैलेंडर में दूसरे महीने का 17 वां दिन था। कैंपिंग के मुताबिक 21 मई और बिबलिकल बाढ़ के 17 वें दिन में बहुत सी समानताएं हैं।
क्या है आधार कैंपिंग की गणना के मुताबिक यीशु को एक अप्रैल, 33 एडी को सूली पर चढ़ाया गया था। धरती को सूरज का एक चक्कर लगाने में 365. 2422 दिन लगते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि 1 अप्रैल, 2011 को यीशु को सूली पर चढ़े ठीक 722, 449.07 दिन हो चुके हैं। इसमें 51 दिन जोड़ने पर यह आंकड़ा 722, 500.07 हो जाता है। गणितीय आधार पर गणना के बाद कैंपिंग का मानना है कि 21 मई, 2011 को दुनिया के खत्म होने की शुरुआत हो जाएगी।
कई हैं सवाल आलोचकों का कहना है कि दुनिया के खत्म होने की तारीख यीशु के सूली पर चढ़ाए जाने से क्यों जोड़ी जा रही है? वे उनकी गणितीय गणना पर भी सवाल उठाते हैं और कहते हैं कि संख्याएं-5, 10 और 17 को कैंपिंग एक साथ गुणा क्यों करते हैं, फिर उसका वर्ग क्यों करते हैं? आलोचकों का कहना है कि बाइबल में दुनिया के खत्म होने का गणितीय आकलन ही क्यों होगा? आलोचकों का यह भी कहना है कि कैंपिंग 1 अप्रैल, 2011 की तारीख की गणना दो बार करते हैं। अमेरिका के धर्म उपदेशक मैनी का मानना है कि साल 4990 को जब दुनिया में बाढ़ आई थी तब ईश्वर ने नोह को बताया था कि सात दिनों में मैं दुनिया को खत्म कर दूंगा। मैनी ने कहा कि बाइबल में लिखा है कि पूरी दुनिया में भूकंप आएगा, जिससे चारों ओर तबाही मच जाएगी। यूरोप में हलचल, एशिया में शांतिकैंपिंग की भविष्यवाणी को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा और अफवाहों का बाज़ार गर्म है। पूरी दुनिया में करीब दो हजार बिल बोर्ड 21 मई के बारे में लोगों को आगाह कर रहे हैं। न्यूयॉर्क में कई धर्म उपदेशक टी-शर्ट, ब्रॉशर, किताबें और पोस्टर बांट रहे हैं। न्यूयॉर्क शहर के सबवे पर एक विज्ञापन लगा है, जिसमें ‘जजमेंट डे’ (कयामत का दिन) को लेकर चेतावनी दी गई है। इसमें पूरी दुनिया में आने वाले भयानक भूकंप के बारे में बताया गया है। अमेरिका के अलावा यूरोपीय देशों में भी इसे लेकर हलचल है। हालांकि एशिया और अफ्रीका जैसे महाद्वीपों में इस भविष्यवाणी को लेकर ज़्यादा हलचल नहीं है।
कई ऐसी भविष्यवाणियां
प्रलय शब्द का जिक्र लगभग हर धर्म के ग्रंथों में मिलता है। करीब 250 साल पहले महान भविष्यवक्ता नास्त्रेस्देमस ने भी दुनिया के खत्म हो जाने (प्रलय) को लेकर घोषणा की थी, हालांकि इसमें उसके समय को लेकर कोई घोषणा नहीं है। दुनिया के खत्म होने को लेकर की गई भविष्यवाणियों पर एक नज़र:
महाभारत: महाभारत में कलियुग के अंत में प्रलय होने का जिक्र है, लेकिन यह किसी जल प्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा। महाभारत के वनपर्व में उल्लेख मिलता है कि सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा कि सातों समुद्र और नदियां सूख जाएंगी। संवर्तक नाम की अग्रि धरती को पाताल तक भस्म कर देगी। वर्षा पूरी तरह बंद हो जाएगी। सबकुछ जल जाएगा, इसके बाद फिर बारह वर्षों तक लगातार बारिश होगी। जिससे सारी धरती जलमग्र हो जाएगी।
बाइबल: इस ग्रंथ में भी प्रलय का उल्लेख है जब ईश्वर, नोहा से कहते हैं कि महाप्रलय आने वाला है। तुम एक बड़ी नौका तैयार करो, इसमें अपने परिवार, सभी जाति के दो-दो जीवों को लेकर बैठ जाओ, सारी धरती जलमग्र होने वाली है।
इस्लाम: इस्लाम में भी कयामत के दिन का जिक्र है। पवित्र कुरआन में लिखा है कि कयामत का दिन कौन सा होगा इसकी जानकारी केवल अल्लाह को है। इसमें भी जल प्रलय का ही उल्लेख है। नूह को अल्लाह का आदेश मिलता है कि जल प्रलय होने वाला है, एक नौका तैयार कर सभी जाती के दो-दो नर-मादाओं को लेकर बैठ जाओ।
पुराण: हिदू धर्म के लगभग सभी पुराणों में काल को चार युगों में बांटा गया है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब चार युग पूरे होते हैं तो प्रलय होती है। इस समय ब्रह्मा सो जाते हैं और जब जागते हैं तो संसार का पुन: निर्माण करते हैं और युग का आरम्भ होता है।
नास्त्रेस्देमस की भविष्यवाणी: नास्त्रेस्देमस ने प्रलय के बारे में बहुत स्पष्ट लिखा है कि मै देख रहा हूं कि एक आग का गला पृथ्वी कि ओर बाद रहा है, जो धरती से मानव के काल का कारण बनेगा। एक अन्य जगह नास्त्रेस्देमस लिखते हैं, कि एक आग का गोला समुद्र में गिरेगा और पुरानी सभ्यता के देश तबाह हो जाएंगे।प्रलय को लेकर वैज्ञानिकों के बयान
ई देशों में वैज्ञानिकों ने प्रलय की अवधारणा को सही माना है। कुछ महीनों पहले अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने घोषणा कि है कि 13 अप्रैल 2036 को पृथ्वी पर प्रलय हो सकता है। खगोलविदों के अनुसार अंतरिक्ष में घूमने वाला एक ग्रह एपोफिस 37014.91 किमी/ प्रति घंटा) की रफ्तार से पृथ्वी से टकरा सकता है। इस प्रलयंकारी भिडंत में हजारों लोगों की जान भी जा सकती है। हालांकि नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
माया कैलेंडर की भविष्यवाणी
माया कैलेंडर भी कुछ ऐसी ही भविष्यवाणी कर रहा है। साउथ ईस्ट मेक्सिको के माया कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 के बाद की तिथि का वर्णन नहीं है। कैलेंडर उसके बाद पृथ्वी का अंत बता रहा है।माया कैलेंडर के मुताबिक 21 दिसंबर 2012 में एक ग्रह पृथ्वी से टकराएगा, जिससे सारी धरती खत्म हो जाएगी। करीब 250 से 900 ईसा पूर्व माया नामक एक प्राचीन सभ्यता स्थापित थी। ग्वाटेमाला, मैक्सिको, होंडुरास तथा यूकाटन प्रायद्वीप में इस सभ्यता के अवशेष खोजकर्ताओं को मिले हैं।ऐसी मान्यता है कि माया सभ्यता के काल में गणित और खगोल के क्षेत्र उल्लेखनीय विकास हुआ था। अपने ज्ञान के आधार पर माया लोगों ने एक कैलेंडर बनाया था। कहा जाता है कि उनके द्वारा बनाया गया कैलेंडर इतना सटीक निकला है कि आज के सुपर कम्प्यूटर भी उसकी गणनाओं में 0.06 तक का ही फर्क निकाल सके और माया कैलेंडर के अनेक आकलन, जिनकी गणना हजारों सालों पहले की गई थी, सही साबित हुए हैं।
चीन के धार्मिक ग्रंथ ‘आई चिंग’ व ‘द नेशनल फिल्म बोर्ड ऑफ कनाडा’ ने भी इन मतों को बल दिया है। लेकिन विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता व हिंदू मान्यताओं के प्रतीक 5123 वर्ष पुराने टांकरी कलेंडर ने इस बात को पूरी तरह से नकार दिया है
कैलिफोर्निया के धार्मिक प्रसारणकर्ता फैमिली रेडियो के अध्यक्ष हेरोल्ड कैंपिंग ने बाइबल की तारीखों की गणना के बाद 21 मई, 2011 को दुनिया के खत्म होने की शुरुआत की तारीख बताया है। कैंपिंग ने बाइबल के हवाले से कहा कि दुनिया को खत्म करने वाली बिबलिकल बाढ़ की तारीख उस समय के कैलेंडर में दूसरे महीने का 17 वां दिन था। कैंपिंग के मुताबिक 21 मई और बिबलिकल बाढ़ के 17 वें दिन में बहुत सी समानताएं हैं।
क्या है आधार कैंपिंग की गणना के मुताबिक यीशु को एक अप्रैल, 33 एडी को सूली पर चढ़ाया गया था। धरती को सूरज का एक चक्कर लगाने में 365. 2422 दिन लगते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि 1 अप्रैल, 2011 को यीशु को सूली पर चढ़े ठीक 722, 449.07 दिन हो चुके हैं। इसमें 51 दिन जोड़ने पर यह आंकड़ा 722, 500.07 हो जाता है। गणितीय आधार पर गणना के बाद कैंपिंग का मानना है कि 21 मई, 2011 को दुनिया के खत्म होने की शुरुआत हो जाएगी।
कई हैं सवाल आलोचकों का कहना है कि दुनिया के खत्म होने की तारीख यीशु के सूली पर चढ़ाए जाने से क्यों जोड़ी जा रही है? वे उनकी गणितीय गणना पर भी सवाल उठाते हैं और कहते हैं कि संख्याएं-5, 10 और 17 को कैंपिंग एक साथ गुणा क्यों करते हैं, फिर उसका वर्ग क्यों करते हैं? आलोचकों का कहना है कि बाइबल में दुनिया के खत्म होने का गणितीय आकलन ही क्यों होगा? आलोचकों का यह भी कहना है कि कैंपिंग 1 अप्रैल, 2011 की तारीख की गणना दो बार करते हैं। अमेरिका के धर्म उपदेशक मैनी का मानना है कि साल 4990 को जब दुनिया में बाढ़ आई थी तब ईश्वर ने नोह को बताया था कि सात दिनों में मैं दुनिया को खत्म कर दूंगा। मैनी ने कहा कि बाइबल में लिखा है कि पूरी दुनिया में भूकंप आएगा, जिससे चारों ओर तबाही मच जाएगी। यूरोप में हलचल, एशिया में शांतिकैंपिंग की भविष्यवाणी को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा और अफवाहों का बाज़ार गर्म है। पूरी दुनिया में करीब दो हजार बिल बोर्ड 21 मई के बारे में लोगों को आगाह कर रहे हैं। न्यूयॉर्क में कई धर्म उपदेशक टी-शर्ट, ब्रॉशर, किताबें और पोस्टर बांट रहे हैं। न्यूयॉर्क शहर के सबवे पर एक विज्ञापन लगा है, जिसमें ‘जजमेंट डे’ (कयामत का दिन) को लेकर चेतावनी दी गई है। इसमें पूरी दुनिया में आने वाले भयानक भूकंप के बारे में बताया गया है। अमेरिका के अलावा यूरोपीय देशों में भी इसे लेकर हलचल है। हालांकि एशिया और अफ्रीका जैसे महाद्वीपों में इस भविष्यवाणी को लेकर ज़्यादा हलचल नहीं है।
कई ऐसी भविष्यवाणियां
प्रलय शब्द का जिक्र लगभग हर धर्म के ग्रंथों में मिलता है। करीब 250 साल पहले महान भविष्यवक्ता नास्त्रेस्देमस ने भी दुनिया के खत्म हो जाने (प्रलय) को लेकर घोषणा की थी, हालांकि इसमें उसके समय को लेकर कोई घोषणा नहीं है। दुनिया के खत्म होने को लेकर की गई भविष्यवाणियों पर एक नज़र:
महाभारत: महाभारत में कलियुग के अंत में प्रलय होने का जिक्र है, लेकिन यह किसी जल प्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा। महाभारत के वनपर्व में उल्लेख मिलता है कि सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा कि सातों समुद्र और नदियां सूख जाएंगी। संवर्तक नाम की अग्रि धरती को पाताल तक भस्म कर देगी। वर्षा पूरी तरह बंद हो जाएगी। सबकुछ जल जाएगा, इसके बाद फिर बारह वर्षों तक लगातार बारिश होगी। जिससे सारी धरती जलमग्र हो जाएगी।
बाइबल: इस ग्रंथ में भी प्रलय का उल्लेख है जब ईश्वर, नोहा से कहते हैं कि महाप्रलय आने वाला है। तुम एक बड़ी नौका तैयार करो, इसमें अपने परिवार, सभी जाति के दो-दो जीवों को लेकर बैठ जाओ, सारी धरती जलमग्र होने वाली है।
इस्लाम: इस्लाम में भी कयामत के दिन का जिक्र है। पवित्र कुरआन में लिखा है कि कयामत का दिन कौन सा होगा इसकी जानकारी केवल अल्लाह को है। इसमें भी जल प्रलय का ही उल्लेख है। नूह को अल्लाह का आदेश मिलता है कि जल प्रलय होने वाला है, एक नौका तैयार कर सभी जाती के दो-दो नर-मादाओं को लेकर बैठ जाओ।
पुराण: हिदू धर्म के लगभग सभी पुराणों में काल को चार युगों में बांटा गया है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब चार युग पूरे होते हैं तो प्रलय होती है। इस समय ब्रह्मा सो जाते हैं और जब जागते हैं तो संसार का पुन: निर्माण करते हैं और युग का आरम्भ होता है।
नास्त्रेस्देमस की भविष्यवाणी: नास्त्रेस्देमस ने प्रलय के बारे में बहुत स्पष्ट लिखा है कि मै देख रहा हूं कि एक आग का गला पृथ्वी कि ओर बाद रहा है, जो धरती से मानव के काल का कारण बनेगा। एक अन्य जगह नास्त्रेस्देमस लिखते हैं, कि एक आग का गोला समुद्र में गिरेगा और पुरानी सभ्यता के देश तबाह हो जाएंगे।प्रलय को लेकर वैज्ञानिकों के बयान
ई देशों में वैज्ञानिकों ने प्रलय की अवधारणा को सही माना है। कुछ महीनों पहले अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने घोषणा कि है कि 13 अप्रैल 2036 को पृथ्वी पर प्रलय हो सकता है। खगोलविदों के अनुसार अंतरिक्ष में घूमने वाला एक ग्रह एपोफिस 37014.91 किमी/ प्रति घंटा) की रफ्तार से पृथ्वी से टकरा सकता है। इस प्रलयंकारी भिडंत में हजारों लोगों की जान भी जा सकती है। हालांकि नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
माया कैलेंडर की भविष्यवाणी
माया कैलेंडर भी कुछ ऐसी ही भविष्यवाणी कर रहा है। साउथ ईस्ट मेक्सिको के माया कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 के बाद की तिथि का वर्णन नहीं है। कैलेंडर उसके बाद पृथ्वी का अंत बता रहा है।माया कैलेंडर के मुताबिक 21 दिसंबर 2012 में एक ग्रह पृथ्वी से टकराएगा, जिससे सारी धरती खत्म हो जाएगी। करीब 250 से 900 ईसा पूर्व माया नामक एक प्राचीन सभ्यता स्थापित थी। ग्वाटेमाला, मैक्सिको, होंडुरास तथा यूकाटन प्रायद्वीप में इस सभ्यता के अवशेष खोजकर्ताओं को मिले हैं।ऐसी मान्यता है कि माया सभ्यता के काल में गणित और खगोल के क्षेत्र उल्लेखनीय विकास हुआ था। अपने ज्ञान के आधार पर माया लोगों ने एक कैलेंडर बनाया था। कहा जाता है कि उनके द्वारा बनाया गया कैलेंडर इतना सटीक निकला है कि आज के सुपर कम्प्यूटर भी उसकी गणनाओं में 0.06 तक का ही फर्क निकाल सके और माया कैलेंडर के अनेक आकलन, जिनकी गणना हजारों सालों पहले की गई थी, सही साबित हुए हैं।
चीन के धार्मिक ग्रंथ ‘आई चिंग’ व ‘द नेशनल फिल्म बोर्ड ऑफ कनाडा’ ने भी इन मतों को बल दिया है। लेकिन विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता व हिंदू मान्यताओं के प्रतीक 5123 वर्ष पुराने टांकरी कलेंडर ने इस बात को पूरी तरह से नकार दिया है
इस आलेख के द्वारा बहुत सी नई जानकारियां मिलीं।
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारियाँ मिली |
जवाब देंहटाएं१- कल दुनियां ख़त्म नहीं हुई तो क्या इसाई बाइबिल पर फिर भरोसा रखेंगे ?
२- पुराणों को ब्राह्मणों ने लिखा है उनमे मन घडन्त बाते लिखी गयी |
३- पृथ्वी का तापमान बढ़ने के चलते महाभारत वाला अंदाजा ज्यादा सही लग रहा है |
kiya jankari di aap ne bhai shree me to jeslmer aaa jaunga waha pani ko to sukhana hi hai
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