साहित्य की रचना इतिहास को प्रदर्शित करती है’ |
स्वर्णनगरी जैसलमेर ख्यातकार मुहणौत नैणसी की ४००वीं जयंती पर साहित्यकार एवं इतिहासकारी की दो दिवसीय संगोष्ठी |
पदमश्री डॉ सीपी देवल ने कहा कि इतिहास का लोक व लोक का इतिहास एक दूसरे के सामने होते हैं। उन्होंने कहा कि लोक साहित्य की रचना अपने आप में इतिहास को प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि ख्यातकार मुहणौत नेणसी ने राजस्थानी गद्य के क्षेत्र में जो विशिष्ट कार्य किया है, वह अविस्मरणीय एवं प्रेरणा का स्त्रोत है। पद्मश्री देवल स्थानीय पंचायत समिति जैसलमेर के सभागार में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। साहित्य अकादमी नई दिल्ली और राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के संयुक्त तत्वाधान में ‘ख्यातकार मुहणौत नैणसी की 400वीं जयंती पर पंचायत समिति जैसलमेर के सभागार में दो दिवसीय साहित्यकारों एवं इतिहासकारों की विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घघाटन सत्र के मुख्य अतिथि कलेक्टर गिरिराज सिंह कुशवाहा थे। समारोह की अध्यक्षता पद्मश्री डॉ. सीपी देवल ने की। सत्र के विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति कोटा विश्वविद्यालय डॉ. जीएसएल देवड़ा, इतिहास विभाग जेएनवी विश्वविद्यालय नई दिल्ली के प्रोफेसर दिलबाग सिंह, विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग डूंगर महाविद्यालय डॉ. शिवकुमार भुनौत, नगरपालिका अध्यक्ष अशोक तंवर थे। नैणसी की ख्याति के लिए करें प्रयास विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति प्रो. जीएसएल देवडा ने मुहणौत नैणसी के चरित्र एवं व्यक्तित्व के साथ उनके द्वारा लिखित ख्यात, विगत एवं परगनों के इतिहास वृतांत के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने राजस्थानी भाषा एवं शब्दों के माध्यम से नैणसी की ख्यात को और अधिक ऊंचाईयों तक ले जाने के लिए साहित्यकारों से विशेष प्रयास करने का आग्रह किया। साहित्य एवं इतिहास एक दूसरे के पूरक प्रो. दिलबागसिंह ने ख्यातकार नैणसी की जयंती पर आयोजित की गई राष्ट्रीय सेमीनार के प्रति आभार व्यक्त जताया |
मुहणौत नैणसी पर डाक टिकट जारी करवाने का प्रयास हो
कलेक्टर गिरिराजसिंह कुशवाहा ने कहा कि ख्यातकार मुहणौत नैणसी की ४००वीं जयंती पर जैसलमेर में जो राष्ट्रीय सेमिनार रखी गई है, उससे यहां के इतिहासकारों एवं साहित्यकारों को शोध कार्य करने में सहयोग मिलेगा। वहीं इस राष्ट्रीय सेमिनार में इतिहासकारों एवं साहित्यकारों को परिचर्चा से राजस्थानी साहित्य को अधिक बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने मुहणौत नैणसी पर डाक टिकट जारी करने के लिए राष्ट्रीय साहित्य अकादमी एवं राजस्थानी भाषा साहित्य अकादमी के साथ ही इतिहासकारों एवं साहित्यकारों को प्रयास करने का आग्रह किया ताकि मुहणौत नैणसी की याद को और अधिक चिर स्थाई बनाया जा सके। उन्होंने जैसलमेर में राजस्थानी साहित्य फेस्टीवल की शुरूआत करने की भी आवश्यकता जताई
कलेक्टर गिरिराजसिंह कुशवाहा ने कहा कि ख्यातकार मुहणौत नैणसी की ४००वीं जयंती पर जैसलमेर में जो राष्ट्रीय सेमिनार रखी गई है, उससे यहां के इतिहासकारों एवं साहित्यकारों को शोध कार्य करने में सहयोग मिलेगा। वहीं इस राष्ट्रीय सेमिनार में इतिहासकारों एवं साहित्यकारों को परिचर्चा से राजस्थानी साहित्य को अधिक बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने मुहणौत नैणसी पर डाक टिकट जारी करने के लिए राष्ट्रीय साहित्य अकादमी एवं राजस्थानी भाषा साहित्य अकादमी के साथ ही इतिहासकारों एवं साहित्यकारों को प्रयास करने का आग्रह किया ताकि मुहणौत नैणसी की याद को और अधिक चिर स्थाई बनाया जा सके। उन्होंने जैसलमेर में राजस्थानी साहित्य फेस्टीवल की शुरूआत करने की भी आवश्यकता जताई
ख्यात गोठ के दूसरे दिन जामिया मिलिया विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रो. इनायत अली जैदी की अध्यक्षता में आयोजित प्रथम सत्र में पुष्पलता कश्यप, शैलेन्द्र उपाध्याय व बुलाकी शर्मा ने बीसवीं सदी में राजस्थानी काव्य, उपन्यास व अन्य विधाओं की विकास यात्रा पर अपने परचे पढ़े। जिसका संयोजन एवं समाहार नंद भारद्वाज ने किया। इस गोष्ठी में जिला कलेक्टर गिरिराजसिंह कुशवाहा ने उपस्थित होकर समस्त साहित्यकारों एवं इतिहासकारों से ऐसे आयोजन करवाने की मंशा जाहिर की।
संगोष्ठी का दूसरा सत्र अर्जुन देवचारण की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। जिसमेंमीठेश निर्मोही मालचंद तिवाड़ी, डॉ. चेतन, श्याम जांगिड़ ने अपने विचार रखे। वहीं भगवतीलाल व्यास की अध्यक्षता में आयोजित अंतिम सत्र में ओम प्रकाश भाटिया, भंवरलाल भ्रमर, कमल रंगा ने अपनी राजस्थानी कहानियों का पठन किया जिस पर व्यापक चर्चा की गई। सत्र के मध्य में जिला कलेक्टर द्वारा साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। वहीं स्थानीय बुद्धिजीवियों व साहित्यकार मोहनलाल बरसा, चंद्रशेखर पुरोहित, सांगीदास भाटिया व सतीश छंगाणी द्वारा स्वागत किया गया। कार्यक्रम में विशेष सहयोग के लिए जिला कलेक्टर द्वारा स्थानीय सहित्यकार आनंद जगाणी को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।
संगोष्ठी का दूसरा सत्र अर्जुन देवचारण की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। जिसमेंमीठेश निर्मोही मालचंद तिवाड़ी, डॉ. चेतन, श्याम जांगिड़ ने अपने विचार रखे। वहीं भगवतीलाल व्यास की अध्यक्षता में आयोजित अंतिम सत्र में ओम प्रकाश भाटिया, भंवरलाल भ्रमर, कमल रंगा ने अपनी राजस्थानी कहानियों का पठन किया जिस पर व्यापक चर्चा की गई। सत्र के मध्य में जिला कलेक्टर द्वारा साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। वहीं स्थानीय बुद्धिजीवियों व साहित्यकार मोहनलाल बरसा, चंद्रशेखर पुरोहित, सांगीदास भाटिया व सतीश छंगाणी द्वारा स्वागत किया गया। कार्यक्रम में विशेष सहयोग के लिए जिला कलेक्टर द्वारा स्थानीय सहित्यकार आनंद जगाणी को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें