रिश्वत नहीं दी तो थाने में दलित को बेरहमी से पीटा, तीन निलंबित
और पिटाई के साथ शराब और पेशाब पिलाया?
दलित जाति के सिणधरी निवासी जबरनाथ ने बताया कि उसे 2 मार्च को चोरी का कथित आरोपी बताते हुए पुलिस ने बिना कागजों में गिरफ्तारी दिखाए थाने में छह दिन तक बंधक बनाए रखा। 8 मार्च तक उसे पुलिस के जवान थाने में बेहरमी से पीटते बाद में निदरेष मानते हुए पुलिस ने उसे छोड़ दिया। पुलिस की यातनाओं से जबरनाथ की तबीयत बिगडने पर परिजन उसे सरकारी अस्पताल लेकर आए। जहां उपचार चल रहा है।
रिश्वत नहीं दी तो किया गिरफ्तार:
जबरनाथ ने बताया कि दो कांस्टेबलों ने 15 हजार रुपए की रिश्वत के पूरे रुपए नहीं देने पर उसे झूठे मामले में फंसाया है। मांगी। उसने पांच हजार रुपए दे दिए। शेष राशि नहीं चुकाने पर कांस्टेबल आए दिन उसे परेशान करते थे। 1 मार्च को पुलिस ने उसे झूठे मामले पकड़ कर ले गई।
सिणधरी थानाधिकारीमूलाराम से सवाल
क्या जबरनाथ को थाने में बंधक बना कर रखा गया?
थानाधिकारी : हां उसे चोरी के एक मामले में पूछताछ के लिए थाने लाए थे। बंधक नहीं बनाया।
तो फिर कागजों में इसे दर्ज क्यों नहीं किया?
थानाधिकारी : जरूरत नहीं समझी और पूछताछ के बाद छोड़ दिया।
जबरनाथ पर शक करने का आधार क्या था?
थानाधिकारी : वो तो एक पागी (पैरों के निशान देखकर पहचान करने वाले) को दिखाया था। उसने उसके पैर होने की बात कही।
तो क्या पुलिस के पास पागी होते हैं और रिकॉर्ड में ये बात दर्ज होती है?
थानाधिकारी : ऐसे कोई सरकारी पागी तो नहीं होते। न ही जांच में इसे माना जाता है लेकिन ऐसे ही पैर दिखा दिए थे।
लेकिन पीड़ित का आरोप है कि उसे 6 दिन थाने में रखा और पिटाई के साथ शराब और पेशाब पिलाया?
थानाधिकारी : आरोप बेबुनियाद हैं। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। आप जरा हमारा ध्यान रखना।
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