राजस्थानी भाषा के लिए दिखाई एकजुटता
जैसलमेर
राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति जैसलमेर ने राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग के समर्थन में कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति को राजस्थानी भाषा में लिखा ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में बताया गया है कि राजस्थान के 13 करोड़ लोग पिछले 63 वर्षों से अपनी मायड़ भाषा राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।
सोमवार को संघर्ष समिति के आनंद जगाणी, सिकंदर शेख, गिरिश व्यास, आनंद व्यास, मनीष, ओमप्रकाश, लीलाधर दैया, आदर्श व्यास, बंशीलाल मंगल, मुरलीधर खत्री, रवि शर्मा, भवानीसिंह, चुन्नीलाल माली, योगेश कुमार, आनंद व्यास, आशीष व्यास, अशोकसिंह, राम तंवर, रविन्द्र छंगाणी व राजेन्द्र व्यास सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता एकत्र हुए और राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे। संघर्ष समिति द्वारा भेजे गए ज्ञापन में बताया गया है कि पूरे देश के बच्चे अपनी मायड़ भाषा में शिक्षा ले रहे हैं लेकिन राजस्थान के बच्चे परभाषा में प्राथमिक शिक्षा लेने को मजबूर है। ज्ञापन में बताया गया है कि राजस्थान विधानसभा से अशोक गहलोत ने राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर लोकसभा में पारित करवाने के लिए भिजवाया गया था। जो प्रस्ताव वहां करीब सात वर्षों से लम्बित पड़ा है। उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की है कि शीघ्र ही इस प्रस्ताव को लोकसभा में पारित करवाया जाकर राजस्थानी को मान्यता दिलवाई जाए।
राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति जैसलमेर ने राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग के समर्थन में कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति को राजस्थानी भाषा में लिखा ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में बताया गया है कि राजस्थान के 13 करोड़ लोग पिछले 63 वर्षों से अपनी मायड़ भाषा राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।
सोमवार को संघर्ष समिति के आनंद जगाणी, सिकंदर शेख, गिरिश व्यास, आनंद व्यास, मनीष, ओमप्रकाश, लीलाधर दैया, आदर्श व्यास, बंशीलाल मंगल, मुरलीधर खत्री, रवि शर्मा, भवानीसिंह, चुन्नीलाल माली, योगेश कुमार, आनंद व्यास, आशीष व्यास, अशोकसिंह, राम तंवर, रविन्द्र छंगाणी व राजेन्द्र व्यास सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता एकत्र हुए और राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे। संघर्ष समिति द्वारा भेजे गए ज्ञापन में बताया गया है कि पूरे देश के बच्चे अपनी मायड़ भाषा में शिक्षा ले रहे हैं लेकिन राजस्थान के बच्चे परभाषा में प्राथमिक शिक्षा लेने को मजबूर है। ज्ञापन में बताया गया है कि राजस्थान विधानसभा से अशोक गहलोत ने राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर लोकसभा में पारित करवाने के लिए भिजवाया गया था। जो प्रस्ताव वहां करीब सात वर्षों से लम्बित पड़ा है। उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की है कि शीघ्र ही इस प्रस्ताव को लोकसभा में पारित करवाया जाकर राजस्थानी को मान्यता दिलवाई जाए।
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