राजस्थान का सांस्कृतिक विकास राजस्थानी के बिना अधूरा डॉ आईदानसिंह भाटी
बाड़मेर। मायड़ भाषा राजस्थानी को मान्यता दिलाने के लिये कृष्णा संस्था, संकल्प एज्यूकेशनल एण्ड डवलपमेंन्ट सोसायटी तथा गु्रप फोर पीपुल्स के तत्वाधान में राजस्थानी भाषा मान्यता सघर्ष समिति द्वारा संचालित मान्यता हस्ताक्षर अभियान के छठे दिन समर्थनों का तातां लगा रहा रही वरिष्ठ साहित्य कार्यो ने अभियान को सार्थक व बहुउद्देशीय बताते हुए समर्थन किया। हिन्दी साहित्य के वरिष्ठ साहित्यकार एवं थार संस्थान के संरक्षक ने आईदानसिह भाटी ने सघर्ष समिति को भेजे समर्थन पत्र में लिखा है कि मायड़ भाषा के अभाव में संस्कृतियां नष्ट हो रही है
हस्ताक्षर अभियान में शामिल होकर वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. ओकॉर नारायणसिंह ने कहा कि राजस्थानी भाषा मॉ और हिन्दी बेटी है। बेटी मॉ से आगे निकल गई। उन्होने कहा कि इतिहास को कुरेदने से बेहतर से राजस्थानी भाषा को मान्यता में आ रही अड़चनों को दूर किया जाए। उन्होने कहा कि पिछले कुछ सालों से राजस्थानी को मान्यता देने की मांग बराबर की जा रही है मगर इस बार जो पूरे राजस्थान में राजस्थानी भाषा के प्रति आस्था का ज्वार उमड़ा है। उससे लगता है कि हम कायम होगें। उन्होने कहा कि जनगणना सबसे मजबूत कड़ी है, राजस्थानी अपनी मातृ भाषा के रूप में राजस्थानी दर्ज कराकर अपना धर्म निभाए। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार कन्हैयालाल वक्र, रणवीरसिंह भादू, सीताराम राहगीर, गौतम चमन, जेठमल पुरोहित, डॉ. ओम भाटिया, कवि कृष्ण कबीर, सुन्दरदल देथा, खुशालनाथ धीर, पुरूषोंतम सिंघल तथा डॉ. बंशीधर तातेड़ ने राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के प्रयासों का पुरजोर समर्थन कर भरपूर सहयोग के लिए आश्वस्त किया। अभियान में अब तक 38 सौ से अधिक थारवासियों ने राजस्थानी भाषा को मान्यता देने के लिए हस्ताक्षर का अपना समर्थन दे चुके है। समिति के संयोजक रिड़मलसिंह दांता, चन्दनसिंह भाटी, विजय कुमार, पार्षद सुरतानसिंह के प्रयासों की सराहना की।
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