शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

PHOTOS: जोधपुर सड़क हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर हुई 16

PHOTOS: जोधपुर सड़क हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर हुई 16
 जोधपुर. राजस्थान के जोधपुर (Jodhpur) शहर से करीब 60 किलोमीटर दूर बालेसर (Balesar) के पास शुक्रवार दोपहर को एक ट्रैवलर बस (Traveller Bus) और जीप कैंपर में जोरदार भिड़ंत हो गई. इस दुर्घटना में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है. यह हादसा इतना भीषण था कि आधा दर्जन लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. टक्कर से बस और कैंपर के परखच्चे उड़ गए और लोगों ने तड़प-तड़प कर गाड़ी में ही दम तोड़ दिया. जब तक उन्हें बचाकर निकाला जाता तब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी थी. गंभीर रूप से घायल एक व्यक्ति ने जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के रास्ते में दम तोड़ दिया. फिलहाल 6 घायलों को उपचार जारी है.

 यह भीषण सड़क हादसा (Road Accident) शुक्रवार दोपहर में हुआ

 दुर्घटना में पहले चार लोगों की ऑन द स्पॉट मौत की सूचना मिली, लेकिन पुलिस के पहुंचने तक 12 लोगों की मौत हो चुकी थी

 इस हादसे में एक यात्री बस और कैंपर के बीच टक्कर के बाद मौके पर कोहराम मच गया

 दुर्घटना में 16 लोगों की मौत हो गई है जबकि करीब 6 लोग जख्मी हुए हैं. घायलों को बालेसर अस्पताल भेजा गया

 बालेसर एसएचओ देवेंद्र सिंह के अनुसार गंभीर घायलों को बालेसर से जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल रेफर किया गया है


जोधपुर. राजस्थान के जोधपुर शहर से करीब 60 किलोमीटर दूर बालेसर के पास शुक्रवार दोपहर को एक ट्रैवलर बस और जीप कैंपर में जोरदार भिड़ंत हो गई. इस दुर्घटना में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है. यह हादसा इतना भीषण था कि आधा दर्जन लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. टक्कर से बस और कैंपर के परखच्चे उड़ गए और लोगों ने तड़प-तड़प कर गाड़ी में ही दम तोड़ दिया. जब तक उन्हें बचाकर निकाला जाता तब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी थी. गंभीर रूप से घायल एक व्यक्ति ने जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के रास्ते में दम तोड़ दिया. फिलहाल 6 घायलों को उपचार जारी है.बालेसर एसएचओ देवेंद्र सिंह के अनुसार गंभीर घायलों को बालेसर से जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल रेफर किया गया है


हनुमानगढ़.मां से रेप, बेटी से ज्यादती की कोशिश के आरोपी की सरेआम पिटाई का VIDEO वायरल

हनुमानगढ़.मां से रेप, बेटी से ज्यादती की कोशिश के आरोपी की सरेआम पिटाई का VIDEO वायरल

मां से रेप, बेटी से ज्यादती की कोशिश के आरोपी की सरेआम पिटाई का VIDEO वायरल
हनुमानगढ़. शादी का झांसा देकर विवाहिता से रेप और उसकी बेटी के साथ अश्लील हरकतें और रेप के प्रयास मामले में आरोपी भाजयुमो नगर मण्डल हनुमानगढ़ के पूर्व अध्यक्ष विकास नागपाल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरलहो रहा है. इस वीडियो में रेप का आरोप लगाने वाली महिला विकास नागपाल की पिटाई कर रही है. पीड़िता के हाथों नागपाल और उसकी पत्नी के साथ मारपीट का ये घटनाक्रम एक वीडियो के रूप में पूरे इलाके में वायरल हो गया है. घटना के बाद दोनों पक्षों की ओर से टाउन थाना में परिवाद दिया गया है. जानकारी के अनुसार भाजयुमो के पूर्व अध्यक्ष विकास नागपाल और बाल कल्याण समिति अध्यक्ष जोधा सिंह के बीच कई मुकदमें चल रहे हैं और कॉलेज फाटक पर हुए झगड़े को भी इसी कड़ी में जोड़कर देखा जा रहा है.

पीड़िता की शिकायत पर कोर्ट ने भेजा था जेल
विवाहिता से देहशोषण के बाद पीड़िता की बेटी से रेप के प्रयास मामले में नामजद विकास नागपाल को इसी साल मई में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. कोर्ट में पेश करने पर उसे जेल भिजवा दिया गया. इस मामले में विकास का भाई विक्रम और इंद्रा नामक महिला भी आरोपी नामजद हैं.

ये है विवाद की पूरी कहानी
पीड़िता ने जैसा पुलिस को बताया उसके अनुसार 15 वर्ष पहले पीड़िता की शादी हुई थी. शादी के बाद उसे एक बेटा व एक बेटी हुई. उसके पति और भाजयुमो के पूर्व मंडल अध्यक्ष विकास नागपाल के बीच दोस्ती थी. घर भी आना-जाना था. पीड़िता के अनुसार इसी दौरान एक रोज विकास ने शादी करने की बात कही. मना करने पर आत्महत्या की चेतावनी भी दी. लेकिन बात नहीं बनी तो पीड़िता के अनुसार पति से उसे तलाक दिलवा दिया. इसके बाद जो हुआ उसके खिलाफ पीड़िता ने केस कर रखा है. दरअसल, विकास ने उसे किराए पर मकान लेकर दिया और शादी के झांसे में उसका देह शोषण करता रहा. विकास का अपनी पत्नी से तलाक लेने के बाद भी पीड़िता से शादी नहीं की और झांसा देकर दुष्कर्म करता रहा.पीड़िता ने बताया की विकास ने तलाक के बाद इंद्रा नाम की महिला को घर पर रख लिया. इस पर जब उसने विकास पर शादी के लिए दबाव बनाया तो उसने अपने भाई विक्रम को घर भेजा, जिसने पीड़िता का रेप किया. पीड़िता ने बताया कि करीब 3-4 महीने पहले जब उसकी नाबालिग बेटी घर पर अकेली थी तो उसे पिस्तौल से डरा-धमकाकर दुष्कर्म का प्रयास किया गया.

झालावाड़.8 साल की मासूम से रेप और फिर हत्या करने वाले कोमल लोधा को कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा


8 साल की मासूम से रेप और फिर हत्या करने वाले कोमल लोधा को कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा
8 साल की मासूम से रेप और फिर हत्या करने वाले कोमल लोधा को कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा
झालावाड़. राजस्थान के झालवाड़ाजिले के कामखेड़ा थाना इलाके में करीब एक साल पहले 8 साल की मासूम बच्ची  से रेप और फिर हत्या करने के आरोपी को दोषी पाए जाने पर पॉक्सो कोर्ट-1 ने गुरुवार को मौत की सजा सुनाई. 26 साल के कोमल लोधा पर अपने ही गांव मोग्याबेह की मासूम बच्ची को बहलाकर खेत में ले जाने, वहां उसके साथ रेप करने और पहचान उजागर होने के डर से हत्या करने का आरोप था. यह वारदात पिछले साल 27 जुलाई 2018 को हुई थी. बच्ची खेत में लहुलूहान हालत में मृत मिली थी. झालावाड़ पुलिस ने इस केस में तीन दिन बाद ही रेप और हत्या की गुत्थी सुलझाते हुए गांव के ही युवक कोमल लोधा को गिरफ्तार किया था.

पहले एक युवती से रेप की कोशिश कर चुका था कोमल
वारदात के समय झालावाड़ जिला पुलिस अधीक्षक रहे आनंद शर्मा के अनुसार बालिका की दुष्कर्म के बाद हत्या का मुख्य आरोपी गांव का ही कोमल लोधा निकला. आरोपी मोहल्ले में कई बार घंटो तक बैठा रहता था. एक युवती के साथ रेप की कोशिश में उसके साथ मारपीट का मामला भी सामने आया था. वारदात वाले दिन भी युवक गांव में ही मौजूद था और वारदात से पहले एक दुकान पर बैठा देखा गया था. शक होने पर युवक से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उसने अपना जुर्म कबूल लिया था.जानकारी के अनुसार वारदात के दिन कोमल गांव में ही एक दुकान पर बैठा था और मोबाइल पर वीडियो देख रहा था. इस दौरान एक बच्ची शौच के लिए गांव से बाहर जाते नजर आई तो वह उसके पीछे-पीछे चला गया. बच्ची को सड़क से दूर खेत में ले जाकर उसके साथ रेप किया. बच्ची से रेप के बाद कोमल ने जब बच्ची को किसी से कुछ भी नहीं बताने के लिए डराया और धमकाया था. लेकिन बच्ची लहुलूहान हालत में लगातार चीख रही थी ऐसे में उसने अपनी पहचान उजागर होने के डर से गला दबाकर उसकी हत्या कर दी.

बाड़मेर,गांधी सप्ताह के तहत 2 से 9 अक्टूबर तक आयोजित होंगे कई कार्यक्रम -जिला कलक्टर ने बेहतरीन एवं भव्य कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए।

बाड़मेर,गांधी सप्ताह के तहत 2 से 9 अक्टूबर तक आयोजित होंगे कई कार्यक्रम
-जिला कलक्टर ने बेहतरीन एवं भव्य कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए।


बाड़मेर, 27 सितंबर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्य में बाड़मेर जिले में  2 से 9 अक्टूबर तक गांधी सप्ताह के तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होगा। संबंधित विभाग उनको सौंपे गए उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने के साथ कार्यक्रमों में अधिकाधिक जन भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास करें। जिला कलक्टर राकेश कुमार शर्मा ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट कॉन्फ्रेंस हॉल में गांधी सप्ताह के संबंध में आयोजित बैठक के दौरान यह बात कही।
जिला कलक्टर राकेश कुमार शर्मा ने कहा कि गांधी सप्ताह के दौरान राज्य सरकार की ओर से जो कार्यक्रम निर्धारित किए गए है। उनको गंभीरता के साथ बेहतरीन ढंग से आयोजित करवाएं। इसमें किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने समस्त कार्यक्रमों में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी के साथ इसकी कार्य योजना बनाकर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। शर्मा ने बताया कि गांधी सप्ताह की शुरूआत में 2 अक्टूबर को सर्व धर्म प्रार्थना सभा, प्रभात फेरी के साथ ही गांधीजी के प्रिय भजनों पर आधारित भजन संध्या का आयोजन होगा। इसके लिए उन्होंने नगरपालिका आयुक्त पवन मीणा को समुचित व्यवस्था करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने इसी दिन पुलिस विभाग को शान्ति समितियों की बैठकें आयोजित कराने एवं जेल के अधिकारी को जेल सम्वासियों के साथ कार्यक्रम आयोजित कराने के निर्देश दिए।
जिला कलक्टर शर्मा ने ने उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पी.सी. दीपन को निर्देश दिए कि 2 अक्टूबर को बाड़मेर जिला मुख्यालय एवं बालोतरा में आयोजित होने वाले रक्तदान शिविर के लिए पुख्ता इंतजाम करें। उन्होंने इसके व्यापक प्रचार-प्रसार करने एवं रक्त संग्रहण की टीमें गठित करने के साथ अन्य समुचित व्यवस्थाएं कराने के निर्देश दिए। उन्होंने 3 अक्टूबर को आयोजित होने वाले महिला सशक्तिकरण दिवस के उपलक्ष्य में कार्यकम के लिए महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक प्रहलाद सिंह राजपुरोहित को आवश्यक निर्देश दिए। इसी तरह 4 अक्टूबर को स्वच्छता दिवस पर सफाई कर्मचारियों का सम्मान समारोह तथा श्रमदान आयोजित करवाने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि 5 अक्टूबर को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से जेरियाट्रिक पीडित, शारीरिक रूप से असक्षम अपाहिज बच्चांे ओर कुष्ठ पीडितों के साथ सप्ताह पर्यन्त कार्यक्रम किए जाएंगे। इसके अलावा 2 से 9 अक्टूबर तक खादी उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। इसमें सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग और खादी विभाग की ओर से चरखा चलाने का जीवंत प्रदर्शनी लगाई जाएगी।  उन्होंने खादी अधिकारी को खादी उत्सव का पूरे सप्ताह आयोजन कराने एवं गांधी दर्शन के आगे चरखें चलाने का जीवंत प्रदर्शन करने के निर्देश दिए। जिला कलक्टर शर्मा ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक सुरेन्द्र प्रताप सिंह को राज्य सरकार के निर्देशानुसार समाज कल्याण सप्ताह के तहत 1 से 7 अक्टूबर तक विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी कार्यक्रमों के लिए गांधीजी की 150 वीं जयंती वर्ष का लोगो का उपयोग लेकर हर कार्यक्रम के लिए अलग-अलग बैनर बनाने के निर्देश दिए। बैठक के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी जीवन दर्शन समिति के संयोजक महावीर बोहरा, सहसंयोजक अमित बोहरा, परियोजना अधिकारी जसराज चौहान, जिला परिवहन अधिकारी टीकू राम पुनड़, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी डालू राम चौधरी, जिला रसद अधिकारी कंवरा राम चौधरी, कोतवाल रामप्रताप सिंह समेत विभिन्न विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

रात्रि चौपाल में सुनी परिवेदनाएं,दो दिन मंे समाधान करने के निर्देश

बाड़मेर, 27 सितंबर। जिला कलक्टर राकेश कुमार शर्मा ने गुरूवार को सनाउ ग्राम पंचायत मुख्यालय पर आयोजित रात्रि चौपाल के दौरान आमजन की समस्याएं सुनी। उन्हांेने अधिकाधिक प्रकरणांे को दो दिन मंे निस्तारण कर आमजन को राहत पहुंचाने के निर्देश दिए।
रात्रि चौपाल के दौरान प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना, शौचालय का भुगतान नहीं करने , विद्युत कनेक्शन करवाने एवं जलापूर्ति संबंधित शिकायतें प्राप्त हुई। जिला कलक्टर शर्मा ने संबंधित विभागीय अधिकारियांे को इनका दो दिन मंे निस्तारण करने के निर्देश दिए। इस दौरान जिला कलक्टर राकेश कुमार शर्मा ने आमजन से टिडडी नियंत्रण के लिए जागरूक रहने एवं किसी भी क्षेत्र में टिडडी आने की जानकारी मिलने पर तत्काल कंट्रोल रूम में सूचना देने की बात कही। इस दौरान विभागीय अधिकारियों ने राज्य सरकार की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाआंे की जानकारी दी। रात्रि चौपाल में चौहटन उपखंड अधिकारी वीरमाराम, तहसीलदार , सरपंच, ब्लॉक सामाजिक सुरक्षा अधिकारी समेत विभिन्न विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

उत्तरलाई यार्ड मंे स्थित फाटक सी 322 मंगलवार को बंद रहेगा

बाड़मेर, 27 सितंबर। उत्तरलाई यार्ड मंे स्थित फाटक सी 322 को आवधिक अनुक्षण कार्य के लिए 1 अक्टूबर को बंद रखा जाएगा।
उत्तर पश्चिमी रेलवे के सीईसी रेलपथ ने बताया कि ़ फाटक बंद रहने के दौरान आमजन को दिक्कत नहीं हो, इसके लिए जिला कलक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं थानाधिकारी शहर यातायात को सूचित किया गया है।


जैसलमेर ’हर घर पोषण त्यौहार चलो अपनाए पोषण व्यवहार अभियान सम्पन

जैसलमेर ’हर घर पोषण त्यौहार चलो अपनाए पोषण व्यवहार अभियान सम्पन 



जैसलमेर महिला बाल विकास विभाग द्वारा शुक्रवार को पोषण मेले का आयोजन किया गया ,उपनिदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग, जैसलमेर , राजेन्द्र चैधरी ने बताया कि राष्ट्रीय पोषण माह क तहत् जिला स्तरीय पोषण मेला तथा बेटी बचाओं बटी पढाओं के अन्तर्गत सुपोषित बेटी स्वस्थ बेटी जागरूकता अभियान समारोह का आयोजन हाट बाजार रामगढ रोड़ जैसलमेर मे किया गया।  जिसका प्रमुख ध्येय ’’हर घर पोषण त्यौहार चलो अपनाए पोषण व्यवहार ’’ रखा गया। सर्व प्रथम उपनिदेषक राजेन्द्र चैधरी ने सभी का स्वागत किया तथा पोषण माह के दौरान विभिन्न गतिविधियों की विस्तरित जानकारी प्रदान की। तथा पोषण के उद्देष्य के महत्वता के बारे में बताया।  इस अवसर पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जिला पुलिस अधीक्षक डाॅ.किरण कंग ने बताया कि पोषण की जिम्मेदारी न केवल विभाग की होती है अपितु परिवार मे प्रत्येक महिला की होती है, एवं महिला अत्याचार रोकने तथा महिला सुरक्षा के क्षेत्र मे भी आंगनवाड़ी मानदेय कर्मियों कि जन समुदाय कों जागरूक करने मे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कार्यक्रम की अध्यक्ष जिला प्रमुख अंजना मेघवाल ने विभाग द्वारा पोषण माह के दौरान कि जाने वाली गतिविधियो की सरहाना करते हुए कहा पोषण अभियान के उद्देषयो का जन-जन से पहुंचाकर जनआंदोलन का रूप देने के लिए प्रेरित किया । विषिष्ट अतिथि जैसलमेर प्रधान अमरदीन ने आंगनबाड़ी कार्मिको को कहा कि उनके कार्य के प्रति कर्तव्य निष्ठा एवं विभिन्न परिस्थियों में संषर्घ से अवगत कराकर पोषण अभियान को आगे बढाने के लिए प्रोत्साहित किया । सम प्रधान ने सभी का सम्बाधित करते हुए कहा की पोषण अभियान में  एवं अपने कार्य के प्रति कोई लापरवाही नही बरतनी चाहिए।
मेेले के आयोजन के दौरान मेले मे सभी विभागो द्वारा अपनी विषय वस्तु से सम्बन्धित प्रदर्षनी लगायी गई महिला एवं बाल विकास द्वारा विभिनन्न प्रकार के व्यंजनो की स्टाॅल लगवायी । चिकित्सा विभाग द्वारा एनीमीया लघु षिविर एवं विभिन्न प्रकार की स्वास्थय जांच स्टाॅल लगवायी पोषण माह में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कार्मिको का अतिथियों द्वारा प्रषस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। सामूदायिक उत्सव अन्नप्राषन एवं गोद भराई एवं बेटी जन्मोत्सव का मेेले में आयोजन किया गया। जिसमें गर्भवती महिलाओं की गोदभराई रस्म तथा 6 माह पूर्ण कर चुके बच्चो का अन्नप्राषन व केक काटकर बैटियो का जन्मोत्सव का आयोजन किया गया।  अन्त में उपनिदेषक द्वारा सभी का धन्यवाद व्यक्त कर अथितियों को प्रदर्षनी का अवलोकन करवायां गया।  इस अवसर पर कांग्रेस प्रदेष सचिव अमृत सोनी, मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी बी.के. बारूपाल,सहायक निदेषक हिमतंिसह कविया,एस.बी.पी.डाॅ.चेतन यादव, जिला समन्वयक अर्जुनसिह , कैलाष भाटी, अतिरिक्त प्रषानिक अधिकारी, पिरामल फाउन्डेषन की टीम उपस्थित रहे।

जैसलमेर पुलिस थाना सदर द्वारा 02 अलग-अलग मामलो में 02 वांछित मुलजिम गिरफ्तार*

जैसलमेर  पुलिस थाना सदर द्वारा 02 अलग-अलग मामलो में 02 वांछित मुलजिम गिरफ्तार*

जैसलमेर

01 मुलजिम रिसोर्ट में तोड़फोड़ करने तथा 01 मुलजिम पुलिस थाना कोतवाली  के एनडीपीएस एक्ट में था वांछित

*गिरफ्तार कुंदनसिंह पुलिस थाना रामगढ़ में है स्थाई वारंटी*

   जैसलमेर  जिले में वांछित अपराधियो की धड़पकड़ हेतु जिला स्तर पर जिला पुलिस अधीक्षक जैसलमेर डॉ. किरन कंग के आदेशानुसार चलाये जा रहे अभियान के तहत थानाधिकारी पुलिस थाना सदर जैसलमेर महेन्द्रसिंह निपु  के निर्देशन में सउनि खुशालचंद, कानि जेठुसिंह, गजेन्द्रसिंह, विजय, मुकेश, श्रीमति कमला के द्वारा रिसोर्ट में तोड़फोड़ करने  में वांछित मुलजिम कुंदनसिंह पुत्र आईंदानसिंह राजपुत निवासी जामडा पुलिस थाना खुहडी को आज दिनांक 27.09.2019 को अथक प्रयास कर गिरफतार किया जाकर न्यायालय में पेश किया गया।
जो पुलिस थाना रामगढ जिला जैसलमेर का स्थाई वारंटी भी है। जो फरार चल रहा था ।
तथा दिनांक 26.09.2019 को पुलिस थाना कोतवाली जैसलमेर में एनडीपीएस एक्ट में वांछित मुल्ज्मि ओमप्रकाश पुत्र रामचंद्रराम जाति विश्नोई निवासी रोहिली पुलिस थाना सेडवा जिला बाडमेर की सरगर्मी से तलाश की जाकर गिरफतार किया गया।

जैसलमेर विश्व पर्यटन दिवस पर देशी रंग बिखेरे विदेशी सैलानियों ने

जैसलमेर  विश्व पर्यटन दिवस पर देशी रंग बिखेरे विदेशी सैलानियों ने 


 जैसलमेर शहरी क्षेत्र की तंग गलियों में सैकडों देशी-विदेशी पावणो का शहरवासियों ने पलक-पावड़े बिछाकर स्वागत किया, तो यहां की अनूठी स्वागत परम्परा, साम्प्रदायकि सौहार्द और बहुरंगी संस्कृति देखकर विदेशी भी अभिभूत हो गए और उनके मुंह से अनायास ही निकल पड़ा, 'वाओ! इट्स ग्रेट'। ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिला रविवार को ऐतिहासिक सोनार किले की प्राचीर और   हवेलियों से शुरू विश्व पर्यटन दिवस के जश्न  के दौरान।

शुक्रवार  को सुबह 8 बजे से ही   हवेलियों के आसपास देशी-विदेशी पर्यटक एकत्रित होने लगे। हवेलियों की सूक्ष्म नक्काशी देखकर वे खुद को रोक नहीं पाए और अपने कैमरों में इन दृश्यों को कैद करने की हौड़ सी देखने को मिली। कमायचा,खड़ताल और नड़   वादक  के कलाकारों ने जब स्वरलहरियां बिखेरनी शुरू की तो देशी-विदेशी पर्यटकों ने जमकर ठुमके लगाए।   नगाड़ों और चंग की थाप पर थिरकते लोगों का कारवां आगे बढ़ा। पर्यटन विभाग,  और स्थानीय लोगो ने विश्व पर्यटन दिवस पर आये पर्यटकों का शहरवासियों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।

   अंदरूनी शहर के बच्चों ने विदेशी मेहमानों को देखकर 'हैलो, हाउ आर यू' से अभिवादन किया तो विदेशी पर्यटकों ने 'नमस्कार', 'पगेलागूं सा' और 'खम्मा घणी सा' कह जवाब दिया। सजे-संवेरे ऊंटों और ढोल की थाप के बीच मोहता चौक पहुंचे पर्यटकों ने यहां की पाटा संस्कृति के बारे में जानकारी दी तोकुछ मांगणियार लोक कलाकारों ने रावणहत्थे की लय के साथ 'केसरिया बालम' गीत सुनाई।

  पर्यटन दिवस पर आये देशी विदेशी सैलानी स्थानीय  पारम्परिक राजस्थानी वेशभूषा में नजर आए तथा नगाड़ों की थाप पर अनेक स्थानों पर ठुमके लगाए। 

जैसलमेर*जिले जैसलमेर में केंद्र सरकार ने मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की घोषणा की*

जैसलमेर*जिले जैसलमेर में केंद्र सरकार ने मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की घोषणा की*

*केंद्र सरकार ने इसके लिए 325 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति भी प्रदान की*

राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद ने इस संबंध में मंजूरी दी है, जिला प्रशासन द्वारा मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन भी आरक्षित की जा चुकी हैं
इसके लिए 55 बीघा जमीन भी आवंटित की जा चुकी है ,
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ, केबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद,विधायक रूपा राम,व खास तौर पर
वरिष्ठ IAS अधिकारी सुंधाश पंत,  वरिष्ठ IAS हेमंत गेरा व जिला कलेक्टर नामित मेहता के अच्छे प्रयास रहे

बिग ब्रेकिंग जोधपुर के बालेसर के पास सड़क दुर्घटना में13 की मृत्यु एक दर्जन घायल

बिग ब्रेकिंग

जोधपुर के बालेसर के पास सड़क दुर्घटना में 13 की मृत्यु एक दर्जन घायल

बालेसर! बालेसर थाना क्षेत्र ढाढणिया के पास एनएसआई 125 पर बस एवं बोलेरो 13लोगों की मृत्यु एवं एक दर्जन घायल होने की सूचना है पुलिस पहुंची मौके पर घायलों को लाया राजकीय  अस्पताल बालेसर !
 टक्कर इतनी भीषण है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती हैं
 मृतक एवं घायलों के नामों की सूची बना रही है पुलिस

बाड़मेर स्मैक जैसे नशीले पदार्थ के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया

बाड़मेर   स्मैक जैसे नशीले पदार्थ के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया



बाड़मेर | सदर थाना पुलिस ने स्मैक जैसे नशीले पदार्थ के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया है। नशीले पदार्थ को एमवीएम भी कहते हैं। इसे गुटखा के साथ मिलाकर नशा किया जाता है।
सदर थाना सब इंस्पेक्टर सुमन चौधरी, एएसआई सोनाराम मय टीम ने दबिश देकर रीको इंडस्ट्रीयल एरिया से दो लोगों को 50 ग्राम स्मैक जैसे नशीले पदार्थ के साथ सुरेश कुमार व संजना राम निवासी सांचोर को गिरफ्तार किया है। धोरीमन्ना, गुड़ामालानी क्षेत्र में इस एमवीएम नशीले पदार्थ का सेवन कुछ वर्षों से शुरू हुआ है। प्रदेश में पहली बार एमवीएम का मामला सदर थाना पुलिस ने बनाया है। मुंबई से एमवीएम की तस्करी कर सरहदी बाड़मेर जिले में युवाओं को सप्लाई किया जाता है। युवा इसके नशे के शिकार होकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हंै। ऐसे में पुलिस ने पहली बार इस तरह के नशीले पदार्थ का केस बनाया है।

बाड़मेर विवाहिता के साथ चाकू की नोक पर दुष्कर्म ,मामला दर्ज

बाड़मेर  विवाहिता के साथ चाकू की नोक पर दुष्कर्म ,मामला दर्ज 


बाड़मेर भीलो की ढाणी कल्ला गांव में एक विवाहिता को चाकू दिखाकर दुष्कर्म करने और वीडियो क्लिप बनाकर ब्लैकमेल करने और मारपीट का मामला दर्ज किया गया।
पीड़िता ने धोरीमन्ना थाने में दी रिपोर्ट में बताया कि 15 सितंबर की रात 10 बजे जब वह घर पर अकेली थी तो जोगाराम निवासी भीलों की ढाणी जबरदस्ती उसके घर में घुसा और चाकू दिखाकर उससे दुष्कर्म किया, साथ ही मोबाइल फोन से वीडियो भी बनाया। इसके बाद वीडियो वायरल करने की धमकी देकर आरोपी ने उससे दो-तीन बार और दुष्कर्म किया। 25 सितंबर को सुबह 7 बजे वह खेत में काम कर रही थी, तभी जोगाराम ने एक बार फिर दुष्कर्म का प्रयास किया। पीड़िता के विरोध करने पर आरोपी ने एक बार फिर मोबाइल फोन में वीडियो दिखाते हुए वायरल करने की धमकी दी। इस पर विवाहिता ने मोबाइल फोन छीनकर वीडियो डिलीट करने का प्रयास किया तो आरोपी जोगाराम ने उसकी पत्नी व मां को बुलाकर मारपीट शुरू कर दी। इससे पीड़िता को कई गंभीर चोटें आईं। घटना की जानकारी विवाहिता ने पति को दी तो थाने पहुंच मामला दर्ज करवाया। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।

जैसलमेर अहमदाबाद में स्क्रेप विस्फोट की जाँच के लिए जैसलमेर में पूछताछ

जैसलमेर अहमदाबाद में स्क्रेप विस्फोट की जाँच के लिए जैसलमेर में पूछताछ 

अहमदाबाद में गत 4 अप्रैल को एक कबाड़ी के यहां स्क्रेप में हुए विस्फोट में तीन लोगों की मौत के मामले में अहमदाबाद पुलिस का एक जांच दल जैसलमेर पहुंचा। इस दल ने पुलिस व सेना के अधिकारियों से घटना स्थल पर मिले ब्लाइंड बम के टुकड़े व एक अन्य जीवित बम के बारे में जांच पड़ताल शुरू की। बताया जा रहा है कि जिस स्क्रेप में विस्फोट हुआ था, वह ब्लाइंड बम के टुकड़े जैसलमेर से कबाड़ी द्वारा भिजवाए गए थे। इस संबंध में गुजरात पुलिस की टीम ने सेना व पुलिस से इस संबंध में तहकीकात की है व बमों पर लिखे कोड के आधार पर जांच पड़ताल की जा रही हैं। प्रथम दृष्टया जो जानकारी मिली है कि एन्युएशन फैक्ट्री से यह एन्युएशन जैसलमेर में स्थित सैन्य बलों को आपूर्ति किया गया था।

जैसलमेर सरहद पर चार संदिग्ध पकड़े बी एस एफ ने

जैसलमेर सरहद पर चार संदिग्ध पकड़े बी एस एफ ने 

जैसलमेर 139वीं वाहिनी सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने सीमावर्ती तनोट क्षेत्र में संदिग्धावस्था में घूमते चार लोगों को पकड़ कर रामगढ़ पुलिस के सुपुर्द किया।
बीती रात चार लोग तनोट से तीन किलोमीटर दूर रामगढ़ मार्ग के समीप एक पिकअप गाड़ी में गधे भर रहे थे। ग्रामीणों की सूचना पर बीएसएफ के अधिकारी व जवान मौके पर पहुंचे और उन्हें पकड़ कर पूछताछ की गई। पूछताछ में उन्होंने बताया कि वे अपने गांव में पानी के मटके बनाने का काम करते हैं और उन मटकों काे गधों पर लादकर आस पास के गांव ढाणियों में बिक्री करने जाते हैं। इसलिए वे यहां पदमसिंह पुत्र बाग सिंह निवासी आसलोई ग्राम पंचायत कोटड़ी जिला जैसलमेर के कहने पर गधे लेने आए थे, लेकिन प्रतिबंधित क्षेत्र में आने की अनुमति नहीं थी। इस पर बीएसएफ ने पूछताछ के बाद बशीर खान पुत्र आरीफ खान निवासी लाखेटारी मुरड़ों की ढाणी बाड़मेर, सोढ़ाखान पुत्र हमीदखान निवासी बिशाला बाड़मेर तथा रहमानखान पुत्र हसनखान निवासी बिशाला बाड़मेर को चिकित्सकीय परीक्षण के बाद रामगढ़ पुलिस को सुपुर्द किया तथा इनके पास से पिकअप गाड़ी को जब्त किया गया। इनके पास से किसी प्रकार की कोई भी संदिग्ध वस्तु बरामद नहीं हुई।

गुरुवार, 26 सितंबर 2019

जैसलमेर स्थापना दिवस जैसलमेर के संस्थापक रावळ जैसलदेव की कहानी

जैसलमेर  स्थापना दिवस  जैसलमेर के संस्थापक रावळ जैसलदेव की कहानी 


रावल जैसल देव :- यह अपने छोटे भाई रावल बिजयराव लाँझा के पुत्र , रावल भोजदेव को मारकर वि. सं . 1209 ( सन् 1152 ई . ) में लुद्रवा में अत्यन्त दुखद हादसे के बाद राजगद्दी पर बैठे। इनके पाँच रानियाँ , दो राजकुमार एवं दो राजकुमारियाँ थीं। युवराज केलणजी और राजकुमार शालिवाहन , दो पुत्र एवं बाई सरसकॅवर व पेमकंवर , दो पुत्रियाँ थीं ।
रावल जैसल भाटी ने भूतपूर्व रावल बिजयराव लाँझा द्वारा अपनाई गई साम्राज्यिक उपाधियाँ धारण नहीं कीं । इन्होंने रावल भोजदेव की मृत्यु के पश्चात् सम्राट विग्रहराज चौहान ( चतुर्थ ) की प्रभुता स्वीकार करली थी, इसलिए इन्हें उक्त उपाधियाँ त्यागनी पड़ीं । यह आंशिक सत्य था , परन्तु भाटी शासक चौहान सम्राट की प्रभुता को कितना महत्व देते थे , संभवतः नाममात्र से अधिक नहीं ! चौहान सम्राट चालुक्य शासकों की शक्ति का सम्मान करते थे , क्योंकि दोनों आपस में अनेक निष्फल युद्ध लड़ चुके थे ।
रावल बिजयराव लाँझा और भोजदेव , दोनों से कुमारपाल चालुक्य के गहरे पारिवारिक सम्बन्ध थे , इसलिए चालुक्यों की ओर से दंडात्मक कार्यवाही के भय से रावल जैसल भाटी ने चतुराई से पार्श्व भूमिका अपना कर सारी साम्राज्यिक उपाधियाँ त्याग दीं और चालुक्यों के बजाय चौहानों की प्रभुसत्ता स्वीकार करके उनकी सुरक्षा में आ गए ।
वि स.1209 में लुद्रवा की प्रजा की धन – सम्पत्ति लुटी जाने के पश्चात् वहाँ अशांत परिस्थितियाँ हो गई और जनजीवन असुरक्षित रहने से अनेक व्यावसायिक परिवार एवं दोनों भूतपूर्व शासकों के समर्थक भाटियों के परिवार लुद्रवा छोड़कर सिन्ध , मुलतान , नगरथट्टा और पंजाब चले गए । इन लोगों ने वहाँ बसकर क्षत्रियों का सेना संबंधी पेशा त्याग दिया और उद्योग , व्यापार , दुकानदारी आदि के व्यवसाय अपना लिए । इस प्रकार इनका भाटी क्षत्रियों की उच्च – श्रेणी से जातीय अवमूल्यन हो गया , इन्हें ‘ भाटिया ‘ , गौरवहीन भाटी , नाम से विदेशों में पुकारा जाने लगा । ‘ भाटी ‘ के साथ ‘ या ‘ तू प्रत्यय जोड़कर इन्हें ‘ भाटिया ‘ निम्नश्रेणी के तुच्छ भाटी से पहचाना गया । अपने कुलगुरु पुष्करणा पुरोहितों की सहमति से इन माटियों को उनचास पीढ़ियों के अन्तर से आपस में स्वजातीय विवाहों की मान्यता मिल गई । लुद्रवा छोड़कर गए हुए यह भाटी , विदेशों में पहले से रह रहे अपने पूर्वज , राव केहर के राजकुमार जाम के वंशज , भाटिया खत्रियों में विलीन हो गए ।
राजगद्दी पर बैठने के तुरन्त पश्चात् रावल जैसल ने अपने स्वयं के समर्थकों , पूर्व के इनके विद्रोही प्रमुखों व सामंतों को सान्त्वना देने व संतुष्ट करने के लिए उन्हें जागीरें और उदारता से उपहार दिए ।
रावल जैसल ने अनुभव किया कि काक नदी के किनारे समतल मैदान में बना होने से लुद्रवा का किला प्राकृतिक बाधाओं से चारों ओर से रक्षित नहीं होने से रक्षा करने योग्य नहीं था और शत्रुओं के आक्रमण से भेद्य था । पठानों की सहायता से उन्होंने मात्र तीन दिनों में लुदवा के किले का समर्पण करवा कर अधिकार कर लिया था । इसलिए भविष्य में स्वयं वह और अपने वंशजों के लिए ऐसी भयावह स्थिति टालना चाहते थे । अपने पूर्वज रावल सिद्ध देवराज , जो वीरभूमि नहीं होने के कारण देरावर त्यागकर लुद्रवा आए थे , की भाँति लुद्रवा के बजाय भाटियों की नई राजधानी के लिए वह ऐसे स्थान का चयन करना चाहते थे जो सामरिक दृष्टि से अभेद्य हो और शत्रुओं की शक्ति के सामने अडिग रहकर भाटियों को स्थायी सुरक्षा प्रदान का सके । किले के लिए उपयुक्त स्थान की खोज में वह गोडाहरे की पहाड़ियों में पहुँचे , जहाँ उन्हें एक एक सौ चालीस वर्षीय वृद्ध ब्राह्मण , शालु आचार्य , मिले , जिनके पूर्वजों को प्रतिपादन में दी गई पैतृक भूमि इन पहाड़ियों से पश्चिम में थी । आचार्य का पुत्र जगन्नाथ , रावल की राजकीय सेवा में था । आचार्य के आश्रम को ‘ ब्रह्मसर ‘ कहते थे । इसी आश्रम में प्राचीन ऋषि काक ने वर्षों तक ध्यान व तपस्या की थी , जिनके दिव्य चमत्कार से यहाँ के पानी के कुंड में मीठे पानी का सोता फूट पड़ा था , जिससे काक नदी में जल का प्रथम प्रवाह सृजित हुआ ।
वृद्ध ब्राह्मण को परम्परागत श्रद्धा अर्पित करने के पश्चात् रावल जैसल ने उन्हें उस क्षेत्र में अपने भ्रमण के उद्देश्य बताया। बुद्धिमान व पण्डित आचार्य ने रावल जैसल को बताया कि प्राचीनकाल में हस्तिनापुर से द्वारिका जाते हुए श्रीकृष्ण और अर्जुन इस क्षेत्र में पहुंचे थे और श्री कृष्ण ने अर्जन को बताया कि भविष्य के किसी काल में , एक सो इक्कीस पीढ़ियों पश्चात उनके वंशज मरुदेश में शासन करेंगे और गोडाहरे पहाड़ियों पर एक अभेद्य दुर्ग का निर्माण करवाएँगे ।
जैसलनाम भूपति यदुवंशी इक थाय ,
कोई कालरे अंतरै एथ रहसी आय ।
विस्मित अर्जुन ने जिज्ञासु भाव से श्रीकृष्ण की ओर प्रश्नात्मक दृष्टि से ऐसे देखा जैसे कि वह इस सूखे क्षेत्र में जलापूर्ति के विषय में जानना चाहते हो , उसी क्षण श्रीकृष्ण ने चट्टान पर दिव्य बाण मारा , जिससे वहाँ तत्काल मीठे जल का सोता फूट पड़ा । उन्होंने उस स्थान को पत्थर की विशिष्ट शिला से ढक दिया । आचार्य ने रावल जैसल को बताया कि उनके पूर्वजों द्वारा उन्हें दान में दी हुई भूमि पर अनेक वर्षों पहले गायें चराते हुए उन्होंने कपूरदेसर तालाब के बन्धे के नीचे वह शिला देखी थी । कई दिनों तक खेतों में खोज करने के पश्चात् रावल जैसल को वीरान पहाड़ियों शिलावाला वह स्थान मिल गया । शिला को ऊपर उठाने पर नीचे मीठे जल का कुआँ पाया और उसे उलटने पर उस पर एक अभिलेख उत्कीर्ण था ।
लुद्रवा हूँती उगमण , पाँचै कोसे गाम ।
उ पाड़े ओ मंइज्यो , तिण रह अमर नाम । ।
इस अभिलेख में लुद्रवा से पाँच कोस पूरब में किला बनाने के लिए स्थान निर्दिष्ट किया गया था ।
यह शुभ मंगल स्थान पाकर उल्लसित रावल जैसल ने पूजनीय आचार्य को अनेक बहुमूल्य उपहार और भेट देकर संतुष्ट किया । उन्होंने उनके पूर्वजों द्वारा आचार्य को दी हुई भूमि को पुनः अनुमोदित व प्रमाणित किया और किले के प्रस्तावित स्थान से पश्चिम में दो कोस के प्रसार क्षेत्र में अतिरिक्त भूमि की जागीर नित्यता के लिए उन्हें प्रदान की । सन् 1947 ई . तक यह सारे खेत में भूमि, इशालु आचार्य के वंशजों के अधिकार में थी और सभी उन्हें ‘ इशाल के खेत के नाम से पहचानते थे । बुद्धिमान व दूरदर्शी आचार्य ने किले के स्थान के चयन के साथ ही रावल जैसल की किले का भविष्य भी बता दिया ताकि आनेवाली पीढियों को उसके शुभ – अशुभ के विवाद में उलझना पड़े और किले को देरावरा व लुद्रवा की भाँति फिर त्यागने की नौबत नहीं आए । आचार्य ने रावल को बताया कि ढाई बार किला टूटेगा , खून की नदियाँ बहेंगी , उनके वंशजों के लिए सब कुछ समाप्त हो जाएगा , किन्तु थोड़े समय पश्चात् ही उनका वहाँ पुनः अधिकार हो जाएगा ।
प्रारम्भिक अन्वेषणा के पश्चात् रावल जैसल ने लुद्रवा से पाँच कोस पूरब में स्थित गोडाहरे की पहाडियों पर श्रावण शुक्लपक्ष 12 , मूल नक्षत्र , वि . सं . 1212 ( सन् 1155 ई . ) , वार रविवार , 12 जलाई , सन् 1155 ई . को धार्मिक अनुष्ठान से किले की नींव रखी और स्वयं के नाम किले और नगर का नाम ‘ जैसलमेर रखा । चूंकि किले की स्थापना तिकोनी गोडाहरे पहाड़ी पर की गई थी , इसलिए इसे ‘ गोडहारा ‘ या ‘ त्रिकूटाचल ‘ किला भी कहते थे । वि . सं . 1219 ( सन् 1162 ई . ) में किले के पास जैसलमेर नगर की विधिवत स्थापना की गई और मनःकल्पित दृष्टि से लुद्रवा से जैसलमेर राजधानी स्थानांतरित की गई ।
दोहा : बारे सो बारोतरे सावण मास सुदेर ।
जैसल थाप्यो जोरवर महिपत जैसलमेर । ।
लंका ज्यू अगजीत है घणा थाट रे घेर । ।
रिधु रहीसी भाटियाँ मही पर जैसलमेर । ।
रावल जैसल ने भाटियों के बही – भाटों को बुलवाकर अपनी वंशावली अभिलिखित करवाई और स्वयं द्वारा नया किला व नगर स्थापित किए जाने का तथ्य भी बहियों में लिखवाया । उन्होंने टीकमदास भाट को अत्युत्तम उपहार देकर , याँकोहर और भाद्रियो , दो गाँवों की जागीर दान में दी और हाथी के हौदे पर बैठाकर उन्हें उनके घर की ओर विदा किया । उन्होंने इन्हें ‘ कुरब ‘ का सम्मान प्रदान करके राज – दरबार में गलीचे पर बैठने का विशेष अधिकार भी साथ में दिया ।
छप्पय :
बारे सो बरोतरे कियो जैसल जैसल गिरी ,
ईसा वरस सोवनमेर मंइयो मेरावर ,
सुद सावण बारस 12 मूल नक्षत्र रविवारे ,
प्रथी में प्रगटयो त्रकुट गढ़ लंका कारे ,
तहाँ छेद न भेद लगे नको , सुख नीवास जादव रहै । पहवीय गढ़ सिंणगार ए , देखेय दुर्जन उदहे । ।
रावल जैसल के शासनकाल में नए किले की पश्चिमी प्रोल व कुछ अन्य कार्य ही हो सका था , बाकी का काम मय प्रोलों , कुएँ , महल , तहखाने , अन्य मकानात , आवास – गृह आदि इनके पुत्र रावल शालिवाहन ने बनवाए । इस किले में कुल बाईस तिकोने बुर्ज हैं ।
प्रारम्भ के वर्षों में जैसलमेर केवल सांकेतिक राजधानी थी , राज्य प्रशासन का सारा कार्य यथावत लुद्रवा से संचालित किया जाता था और लुद्रवा, , माडप्रदेश का एक बहुत समृद्ध व्यावसायिक व व्यापारिक केंद्र पहले की भांति चलता रहा। जैसलमेर से लुद्रवा केवल पाँच कोस ( 15 कि.मी.) दूर होने से आवागमन और संवाद में कोई कठिनाई नहीं थी । लोगों को भी तत्काल स्थान बदलने की कोई आवश्यकता नहीं हुई । इनके उत्तराधिकारी रावल शालिवाहन ने अपनी वैकल्पिक राजधानी देरावर में रखी हुई थी । वहीं सन् 1189 ई . में उनका देहान्त हो गया था , इसलिए राजधानी के रूप में शीघ्र विकसित करने का कोई ठोस कारण भी नहीं था । तेरहवीं शताब्दी के प्रथम चरण में , स्थापना के पचास वर्षों बाद , कहीं जाकर जैसलमेर राजधानी के कार्य संबंधी व्यवस्था के योग्य बना ।
रावल जैसल ने एक विद्वान् पाहू भाटी , बीरमसी को अपना देश – दीवान नियुक्त किया । यह रावल बाछुजी के पड़पोते व सोढ़ल पाहू भाटी के पुत्र थे । ‘ रावल ने पास – पड़ोस के विस्तत क्षेत्रों को जीतकर अपने राज्यक्षेत्र को बढ़ाया । उन्होंने उन प्रधानों व सामंतों को अतिरिक्त सुविधाएँ और जागीरें देकर राजी किया , जो उनके द्वारा रावल भोजदेव को मारकर राजगद्दी प्राप्त करने में अपनाई गई पद्धति से नाराज थे ।
रावल जैसल के समय में जैसलमेर राज्य के सतरह परगने थे : ( 1 ) जैसलमेर . ( 2 ) देरावर , ( 3 ) तणोट ( तणवट ) , ( 4 ) दीकमपुर , ( 5 ) रोहड़ी ( सिन्ध में ) , ( 6 ) मक्खड़ ( सिन्ध में ) , ( 7 ) घोटड़ा ( घोटारू ) , ( 8 ) फलौदी , ( 9 ) खावड़ , ( 10 ) मारोठ , ( 11 ) सातल , ( 12 ) नोहर ( नोसर , ( 13 ) चोहटन , ( 14 ) पूगल , ( 15 ) बाड़मेर , ( 16 ) नाचणा , ( 17 ) जूनागढ़ ( भटनेर ) ।

छन्ना राजपूतों और बलौचियों के नेतृत्व में एक ‘ कटक ‘ , सशस्त्र लुटेरों का गिरोह , ने खुहड़ी ग्राम पर आक्रमण किया । रावल जैसल ने न केवल उन्हें पराजित किया बल्कि घात लगाकर उनके भाग निकलने का मार्ग भी अवरुद्ध कर दिया । उन्हें जीवनदान तभी दिया जब उन्होंने दाँतों तले घास के तिनके दबाकर बार – बार सौगन्धे खाई कि भविष्य में वह कभी भी भाटियों के राज्य में अनुचित प्रवेश करने का दुस्साह नहीं करेंगे ।
रावल की वृद्धावस्या में भाटियों के प्राचीन शत्रुओं , चौहानों , छन्नों व बलौचियों ने भाटी राज्य में घुसपैठ की अपनी गतिविधियाँ काफी बढ़ा ली थी और धन – सम्पत्ति , गायें , ऊँट , भेड़ – बकरा लूटकर ले जाते थे । ‘ प्रत्येक बार रावल की सेना लुटेरों का पीछा करके लूटा हुआ माल उनसे प्राप्त करके फिर से उनके स्वामियों के सुपुर्द करती थी ।
वि . सं . 1224 ( सन् 1167 ई . ) में रावल जैसल का देहान्त हो गया ।
दोहा : बारे सै चौबीस में सावण सुद पूनम ।
एता दिन सुख भोगवै स्त्रग पोहतो जादम ।।
जैसलमेर कराये गढ़ पाँच वर्ष कियौ राज ।
जैसल सरग पधारिया देय दत्त द्रव वाज । ।
रावल जैसल सन् 1162 ई . में अपनी राजधानी लुद्रवा से जैसलमेर लाए थे । नई राजधानी से उन्होंने केवल पाँच वर्ष , सन् 1167 ई . तक , शासन किया । उनका शासनकाल कुल पन्द्रह वर्षों का रहा । वृद्धावस्था में अल्पकाल के शासन में वह सार्वजनिक हित के ज्यादा कार्य नहीं करवा सकै , केवल जैसलसर तालाब खुदवाया।
रावल जैसल के दो पुत्र , युवराज कालणजी और राजकुमार शालिवाहन थे । देश – दीवान बीरमसी पाहु भाटी और उनके छोटे भाई तालपसी , युवराज कालणजी के प्रति शत्रुमाव रखते थे । इसलिए इन्होंने वृद्ध रावल को बहकाकर छोटे पुत्र राजकुमार शालिवाहन को युवराज कालणजी के स्थान पर उत्तराधिकारी घोषित करवा लिया । इससे पहले भी देश – दीवान बीरमसी पाहू भाटी के पिता सोढ़ल पाहू भाटी की सलाह पर रावल दुसाजी ने युवराज जैसल के स्थान पर उनके छोटे भाई राजकुमार बिजयराव लाँझा को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था , परन्तु अपने भतीजे रावल भोजदेव को मारकर जैसल ने अपना पैतृक अधिकार प्राप्त कर लिया । अब सोढ़ल पाहू भाटी के दोनों पुत्रों के बहकावे में आकर , रावल जैसल ने युवराज कालणजी के साथ भी वैसा ही बरताव करने की भूल की , जैसा उनके पिता रावल दुसाजी ने उनके साथ किया था । परन्तु इस बार भी कालणजी , रावल शालिवाहन के पुत्र बीजल का उसके धाभाई द्वारा वध किए जाने के पश्चात् अपना पैतृक अधिकार प्राप्त करके रावल बन गए । उस काल में पाहू भाटी जैसलमेर के बहुत शक्तिशाली प्रधान रहे । वस्तुतः वही राजा बनाने वाले थे , किन्तु भाटियों की अन्य शाखाओं के भय से स्वय शासक नहीं बन सके ।
रावल दुसाजी के देहान्त के पश्चात् युवराज जैसल को रावल नहीं बनने देने में सोढ़ल पाहू भाटी का कोई योगदान व दोष नहीं था , और न ही दिवंगत रावल ने राजकुमार बिजयराव लाँझा को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था । उनके देहान्त के पश्चात् राजकुमार बिजयराब लाँझा ने अपने शक्तिशाली ससुराल – पक्ष के सोलंकियों की सहायता से अन्यायपूर्ण तरीके से राजगद्दी हथिया ली , या जैसल को राजगद्दी से उतार कर स्वयं रावल बन गए । जैसल के भयंकर आक्रोश का संभवतः यही उपरोक्त कारण था कि अपना पैतृक अधिकार प्राप्त करने के लिए वह तीस वर्षों तक अथक प्रयास व धैर्य से प्रतीक्षा करते रहे और जब उनके पास अन्य विकल्प नहीं रहे तभी वृद्धावस्था में वह युवा रावल को मारने से नहीं चूके । अगर उनको रावल नहीं बनने देने में सोढ़ल पाहू भाटी का हाथ होता तो वह उनके पुत्र बीरमसी पाहू भाटी को अपना देश – दीवान बनाने की भूल कभी नहीं करते।
अपनी वृद्धावस्था में रावल जैसल को दो बातों का मलाल रहा , कि तुच्छ सत्ता स्वार्थ के वशीभूत होकर उन्होंने युवा रावल भोजदेव को मरवा डाला और कि उनके स्वयं के बुलावे पर आए पठानी ने उनके सामने उनकी प्रजा को लूटा । इस भीरू कुकृत्य के अपराध बोध से वह जीवनपर्यन्त नहीं उबर सके ।
अनेक इतिहासज्ञों ने जैसलमेर की स्थापना के वर्ष , वि . सं . 1212 ( सन् 1156 ई . ) को विवाद का विषय बनाकर उस पर एक प्रश्नचिह्न लगा दिया है । इससे भाटियों के ऐतिहासिक मुलाधार पर प्रहार करके एक अत्यन्त प्राचीन क्षत्रिय जाति , जिसे पीढ़ियों से इसी सत्य में पाला – पोसा गया था कि वि . सं . 1212 में जैसलमेर की स्थापना की गई थी , के ब्रहा को उखाड़ने का प्रयास है । यह तकालीन सत्तायुक्त प्रभावशाली ऐसी राजपूत जातियों की अन्यायपूर्ण धारणा का है जिन सबको मिलाकर भी भाटियों जैसी गौरवपूर्ण ऐतिहासिक श्रेष्ठता प्राप्त नहीं हो सकती और वह भाटियों के इतिहास को अस्थिर करने के अब भी यदा – कदा प्रयास करती रहती हैं । जैसन भाटी द्वारा लुद्रवा पर अधिकार किए जाने की घटना को सुलतान शाहबुद्दीन मोहम्मद घोरी द्वारा सन् 1175 ई . में मुलतान पर आक्रमण किए जाने को उन्हें सहायता दिए जाने के रूप में जोड़कर उसे एक प्रामाणिक आधार मान लिया । हमारी विकृत मानसिकता , अरबों , फारसियों चीनियों और मुसलमान लेखकों व यात्रियों के कथाप्रसंगों को ब्रह्म – वाक्य मानती है , किन्त हमारे स्वयं के लोगों , ख्यातों एवं इतिहास के वृत्तान्तों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं । दाह पीढ़ी – दर – पीढ़ी मौखिक तौर पर सुनाया गया आख्यान हो , या लिखित इतिहास वृत्तान्त , इस सत्य को झूठा नहीं कहा जा सकता कि जैसलमेर की स्थापना वि . सं . 1212 में की गई थी । इसलिए सुलतान घोरी की सहायता से जैसल भाटी की लुद्रवा – विजय का तथ्य मिथ्या है । उस समय घोर के शासक हुसैन से भगौड़ा शाहबुद्दीन मोहम्मद घोरी , गज़नी के सुलतान बहरामशाह द्वारा नियुक्त किया गया सिन्य प्रदेश का मात्र एक सूबेदार था । उन्होंने सुलतान मोहम्मद घोरी के नाम को ऐसा प्रभावी मोहरा बना दिया , जैसे कि उसके नाम को जोड़ने से जैसल भाटी द्वारा लुद्रवा की राजगद्दी प्राप्त करने को साम्राज्यिक मान्यता मिल गई हो ।
उस समय ऊँच्छ में भाटियों का शासन था , और ऐसा आरोप है कि भाटी राजा के उनकी रानी से संबंधों में तनाव होने से रानी ने सुलतान मोहम्मद घोरी के साथ मिलकर राजा को मरवा दिया और किला घोरी के अधिकार में दे दिया । यह घटना निश्चय ही रावल भोजदेव के शासनकाल की नहीं थी , परन्तु तथाकथित घटना रावल शालिवाहन के शासनकाल की हो सकती थी।
सुलतान मोहम्मद घोरी द्वारा मुलतान , पाटण , दक्षिणी सिन्ध प्रदेश पर सन् 1175 , 1175 व 1182 ई . में किए आक्रमणों के समय रावल शालिवाहन जैसलमेर के शासक थे । वह जैसलमेर छोड़कर ऊच्छ से केवल पचास मील दूर , देरावर में रहने लग गए थे . उन्होंने उस क्षेत्र में सुलतान घोरी के आक्रमणों के विरुद्ध निर्णायक भूमिका निभाई थी ।
“जैसलमेर राज्य का इतिहास” में लेखक माँगीलाल मयंक ने राय व्यक्त की है कि मोहम्मद घोरी के सन् 1178 ई . के गुजरात पर आक्रमण को ध्यान में रखते हुए जैसलमेर के किले निर्माण सन् 1178 – 87 ई . के बीच हुआ होगा । उनके विचार में निर्माण वर्ष वि . स . 1234 (सन 1178 ई . ) होना चाहिए , न कि 1156 ई . । खत्तरागच्छ बृहद्गुर्वावलि के अनुसार वि. स. 1244 (सन् 1187 ई . ) में जैसलमेर का किला अस्तित्व में था । सम्भवतः वह यह भूल गए कि जैसलमेर के किले का निर्माण रावल जैसल ने सन् 1156 ई . में आरम्भ करवाया था , सन् 1167 ई . में अपने देहान्त तक , ग्यारह वर्षों में वह किले का थोड़ा सा निर्माण कार्य करवा पाए थे। अगर प्राम्भिक काल के उत्साह में भी अन्य कठिनाईयों के कारण , रावल जैसल किले के निर्माण में वांछित प्रगति नहीं करा सके , तो ऐसी व अन्य समस्याओं के कारण , दूरस्थ देरावर में रहते हुए रावल शालिवाहन को कार्य सम्पूर्ण करवाने में बीस वर्ष और लग गए । अन्ततः सन 1187 में जाकर जैसलमेर के किले का कार्य सम्पूर्ण हुआ।
सब कठिनाइयों के अलावा रावल शालिवाहन ने अपना अधिकांश समय अपनी वैकल्पिक राजधानी देरावर में व्यतीत किया था, इसलिए जैसलमेर के किले के निर्माण- कार्य को शीघ्र पूर्ण करवाने में स्वाभाविक था , उनकी अधिक रुचि नहीं थी । उस काल में योजनाएँ आज की भाँति समय की परिधि में बन्धी हुई नहीं होती थीं , शासक के लिए वित्तीय कठिनाइयाँ , शत्रुओं की कार्यवाहियाँ , युद्ध, विद्रोह , आपसी मतभेद आदि अनेक समस्याएँ रहती थी , इसलिए जैसलमेर के किले के निर्माण ई में तीस वर्षों का समय लगना कोई अनहोनी बात नहीं थी । इस किले से पहले के भाटियों के किलो के निर्माण में , मारोठ 25 वर्ष ( सन् 599 – 623 ई . ) व तनोट सतरह वर्ष ( सन् 770 – 787 ई ) , में भी कम समय नहीं लगा था ।
History of Jaisalmer ‘ में लेखक रामवल्लभ सोमानी ने माँगीलाल मयंक का अनुरण करने की भूल की है । उनके अनुसार , ‘ अपनी राजगद्दी प्राप्त करने के लिए जैसल सुलतान के पास सहायता माँगने गए । सन् 1175 ई . में सुलतान ने मुलतान पर अधिकार कर लिया । अपनी रानी के कारण ऊँच्छ के भाटी शासक ने समर्पण कर दिया । सुलतान ने मजेजखाँ के नेतृत्व में एक सैनिक दस्ता लुद्रवा भेज दिया और स्वयं फलौदी , ओसियाँ , मेड़ता , सांडेराव , नाडौल व आबू होकर गए । सेना के एक पाश्र्व भाग ने मजेजखाँ के नेतृत्व में लुद्रवा को लूटा और किराडू के मंदिरों को तोड़ा । राजपूतों की संयुक्त सेना ने घोरी को आबू के पास पराजित किया और उसे सिन्ध होकर पीछे लौटने के लिए बाध्य किया । आक्रमणकारियों से जैसल बहुत खिन्न हुए । उन्होंने उनसे धन वापस लूट लिया । इसके पश्चात् मुसलमानों ने उन्हें लुद्रवा का शासक बना दिया , या वह उनसे लुद्रवा छीनकर शासक बन गए । ‘ उपरोक्त वर्णन की गणित बड़ी सुहावनी है , परन्तु अगर हम लगभग पचीस वर्ष पीछे , सन् 1150 ई . के आसपास , लौट जाएँ तो जैसलमेर के स्थापना के वर्ष के विवाद का समाधान मिल जाता है । जैसल ने पड़ोस के सिन्ध प्रदेश में गजनी के सुलतान के सूबेदार मोहम्मद घोरी से सहायता माँगी , जिसने करीमखाँ और मजेजखाँ के नेतृत्व में इन शर्तों पर सेना भेजना स्वीकार किया कि तत्कालीन व्यापारिक केन्द्र , वैभवशाली लुद्रवा की धन – सम्पदा लूटने का उनका स्वतंत्र अधिकार होगा , जिससे वह सेना भेजने पर हुए खर्चे की भरपाई करेंगे और बचे हुए धन को अपने साथ ले जाएंगे । एक बार जैसल के पुष्ट अधिकार में लुद्रवा के आते ही दूरदर्शी और चतुर जैसल ने पठानों को धत्ता बताया और उन्हें जीवित रहने का विकल्प देकर नगरथट्टा लौट जाने का मार्ग बताया ! अगर यह सैनिक टुकड़ी सूबेदार मोहम्मद घोरी की नहीं होकर गज़नी के शासक सुलतान मोहम्मद घोरी की होती , तो जैसल चुनौती देकर मजेजखाँ का वध करने का साहस नहीं कर सकते थे और न ही पठानों द्वारा लूटा हुआ धन अपने कब्जे में वापस लेते । उस समय घोरी केवल सुलतान बहरामशाह सिन्ध में सूबेदार था और वह , और उसका भाई ग्यासुद्दीन , घोर से निर्वासित भगोड़े थे। इसीलिए उसने जैसल भाटी द्वारा उसके सेनानायक का वध , अपमान व दुर्दशा को बिना प्रतिक्रिया किए चुपचाप सह लिया ।
ऐसा लगता है कि माँगीलाल मयंक और रामवल्लभ सोमानी ने उस काल के गज़नी और घोर स पर और उनके आपसी शत्रुतापूर्ण संबंधों की ओर ध्यान नहीं दिया, जिससे वह जैसल व जैसलमेर के ऐतिहासिक निष्कर्षों में भूल कर गए।
रावल जैसल ‘ के शासनकाल में अजमेर के चौहान और गुजरात के चालुक्य एक दूसरे पर * लिए उनके पड़ोस में संघर्षरत थे इसलिए वह अपने राज्य का पूरब की ओर विस्तार नहीं कर पाए, अपितु उन्होंने राज्य के पश्चिम में पड़नेवाली सिन्ध और सतलज नदियों तक राज्य – विस्तार कर लिया ।
जैसलमेर के गढ़ की ख्याति में किसी कवि ने कहा है :
गढ़ दिल्ली , गढ़ आगरो , अधगढ़ बीकानेर । ।
भलो चिणायो भाटियों , सिरेज जैसलमेर । ।
जैसलमेर के किले की चर्चा करते हुए भाटी इस दोहे को कहते हुए पूर्ववर्ती दुर्गा का स्मरण करते हैं :
काशी , मथुरा , प्राग बड़ , गजनी , गढ़ भटनेर ।
दिगम – देरावल , लुद्रवो , नमोह जैसलमेर । ।
इस प्रकार यह विख्यात नौ गढ़ थे , जैसलमेर नौवाँ गढ़ था , जिसे नमस्कार है । जय जैसाण।।


बाड़मेर.अवैध डोडा पोस्त लाने के आरोपी को दस साल की कैद, एक अन्य मफरूर घोषित

बाड़मेर.अवैध डोडा पोस्त लाने के आरोपी को दस साल की कैद, एक अन्य मफरूर घोषित


बाड़मेर.विशिष्ट न्यायधीश एनडीपीएस मामलात (अपर जिला एंव सेशन न्यायधीश संख्या-एक) सुशील कुमार जैन ने एनडीपीएस एक्ट में दर्ज एक मामले में गुरुवार को सुनवाई करते हुए एक आरोपी को दस साल की कैद और एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। इसी मामले में एक अन्य आरोपी को कोर्ट ने मफरूर घोषित किया है।
विशिष्ट लोक अभियोजक जसवंत बोहरा ने बताया कि 15 जनवरी 2008 को शहर कोतवाली के तत्कालीन एसएचओ जयसिंह राजकार्य से बालोतरा से बाड़मेर आ रहे थे। बालोतरा और बायतु के बीच गोल फांटे पर काले रंग की एक स्कार्पियो के चालक ने पुलिस की गाड़ी देखकर स्कार्पियों की स्पीड तेज कर दी। इसकी सूचना बायतु के तत्कालीन थानेदार मनीष चारण को दी। पीछा कर स्कार्पियो को रोका। एक व्यक्ति झाड़ियों की तरफ भाग गया तथा दो को पुलिस ने दबोच लिया। पकड़े गए आरोपियों ने अपना नाम मूलसिंह और केवलसिंह बताया।  पुलिस ने गाड़ी में से सात कट्‌टों में भरे 179 किलोग्राम अवैध डोडा पोस्त बरामद किए। मूलसिंह और केवलसिंह को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने एनडीपीएस न्यायालय जोधपुर में तीनों आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया। 
गुरुवार को 11 साल से लंबित मामले की सुनवाई करते हुए विशिष्ट न्यायधीश एनडीपीएस मामलात सुशील कुमार जैन ने आरोपी दिनेश उर्फ दिनिया उर्फ लालाराम पुत्र डूंगराराम जाट निवासी भूरटिया को धारा 8/15 एनडीपीएस एक्ट में दोषी पाये जाने पर दस वर्ष के कठोर कारावास और एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। इसी प्रकरण में कोर्ट ने केवलसिंह पुत्र बख्तावरसिंह निवासी नाहरखान सिंह की ढाणी को मफरूर घोषित किया। इसलिए पत्रावली के किसी भाग को नष्ट नहीं किया जाए। कोर्ट ने आरोपी केवलसिंह के खिलाफ स्थाई वारंट जारी कर नागाणा और सदर पुलिस को भेजा। इसी मामले में एक अन्य आरोपी मूलसिंह पुत्र शंकरसिंह रावणा राजपूत की निवासी मातासर की मौत हो जाने के कारण उसके खिलाफ कार्यवाही ड्राप की गई। आरोपी दिनेश की ओर से अधिवक्ता राजेश विश्नोई ने पैरवी की। सरकार की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक जसवंत बोहरा ने पैरवी की।