मंगलवार, 3 मार्च 2015

foto..सीमा सुरक्षा बल महिला कैमल सफारी बाड़मेर सरहद पर- -----

सीमा सुरक्षा बल महिला कैमल सफारी सरहद पर- -----











सीमा सुरक्षा बल महिला कैमल सफारी बाड़मेर सरहद पर- -----

बाड़मेर बछेन्द्री पाल के नेतृत्व में महिला कैमल सफारी दल भारत पाकिस्तान सरहद गुजरात से राजस्थान सीमा बी के डी में प्रवेश किया।सताईस सदस्यीय महिला कैमल सफारी दल का भव्य स्वागत उप महानिरीक्षक प्रतुल गौतम सहित सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियो ने और ग्रामीणों ने कियाअर्जुन पुरस्कार ज़ से नवाजी बछेंद्री पाल प्रेमलता और डॉ सरोज के नेतृत्व में गुजरात पाकिस्तान सरहद का सात सौ पचास किलोमीटर का सफ़र तय कर बी जी डी पोस्ट में प्रवेश किया।जंहा दल के समनं में सांस्कृतिक कार्यक्रम जा आयोजन किया किया।मुख्य आरक्षी राजेश कुमार ने देश भक्ति गीतों की शानदार प्रस्तुति दी।इस वसर पर मुनाबाव कमांडेंट रविन्द्र ठाकुर ,शेर सिंह ,विजय चाहर सहित सीमा सुरक्षा बल के कई अधिकारी मौजूद थे ,बाखासर के जन प्रतिनिधियों और बड़ी तादाद में उपस्थित ग्रामीणो ने दल का स्वागत किय। 



यह पहला अवसर होगा कि सीमा सुरक्षा बल की महिला कैमल सफारी इन दिनों सरहद पर है।- यह महिला टीम करीब 2300 किमीका सफर तय करेगी। सीमा सुरक्षा बल के स्थापना के स्वर्ण जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित किये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की श्रृखला में वृहद महिला कैमल सफारी इन दिनों सरहद के दौरे पर है। महिला कैमल सफारी 2015 का शुभारम्भ- 24 फरवरी को 30 बटालियन सीमा सुरक्षा बल भुज (गुजरात) में- एम के सिघंला (आईपीएस) अपर महानिदेशक, सीमा सुरक्षा बल द्वारा ध्वज दिखाकर रवाना किया गया। इस अवसर पर- सन्तोष मेहरा (आईपीएस) महानिरीक्षक, गुजरात सीमान्त सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी , अधीनस्थ अधिकारी, बल के अन्य कार्मिक तथा उनके परिवारजन उपस्थित थे।
सीमा सुरक्षा बल राजस्थान फ्रंटीयर के सूत्रों अनुसार कैमल सफारी के रवानगी से पूर्व एक रंगारंग और भव्य समारोह आयोजित किया गया जिसमें कैमल परेड और टैटू शो का भी आयोजन किया गया। इसके पश्चात् मुख्य अतिथि द्वारा महिला ऊँट सवारों- का परिचय प्राप्त किया गया। महिला कैमल सफारी का नेतृत्व डॉ. सुजाता शिंदे, सहायक कमाण्डेंट, पशु चिकित्साधिकारी द्वारा किया जा रहा है। सफारी में- सीमा सुरक्षा बल की 13 महिला आरक्षक और टाटा फांउडेशन की 14 महिलायें भी हिस्सा ले रही है।
सीमा सुरक्षा बल राजस्थान फ्रंटीयर के सूत्रों अनुसार कैमल सफारी भुज (गुजरात) से शुरू होकर पाकिस्तान के साथ लगी अन्तरराष्ट्रीय सीमा मे भारत के सीमाई गाँवों से गुजरती हुई 22 मार्च- को अपने समापन स्थल पंजाब में भारत पाक सीमा पर स्थित अट्टारी- पर रीट्रिट परेड के दौरान होगा। कैमल सफारी 3 राजयों गुजरात ( लगभग 900 किलोमीटर), राजस्थान ( लगभग 1100 किलोमीटर) एवं पंजाब (लगभग 300 किलोमीटर)े कुल लगभग 2300 किलोमीटर का सफर तय करेगी। इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि- ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से महिलाशक्ति को बढावा मिलता है। यह कैमल सफारी- सीमाई इलाकों में रहने वाले लोगों के मन में सुरक्षा की भावना पैदा करेगी। साथ ही सीमाई गांव के लोग सीमा सुरक्षा बल द्वारा कठिन परिस्थ्तियों में की जा रही- ड्यूटी के बारे में अवगत होगें। कैमल सफारी-2  मार्च- को राजस्थान सीमान्त में प्रवेश कर गयी 

सोमवार, 2 मार्च 2015

मप्र की मंत्री ने मांगी घरों में शेर पालने की इजाजत



नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की पशुधन, बागवानी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री कुसुम मेहदेले ने देश में शेर और बाघ की संख्या बढ़ाने के लिए एक नायाब सुझाव दिया है। इसके लिए वह अन्य घरेलू जानवरों की तरह इन दोनों खूंखार जानवरों का पालन करने की इजाजत चाहती हैं। उन्होंने इस बारे में कानून बनाने की वकालत की है।

बकौल कुसुम, 'ऐसा कानून बने, जो लोगों को शेर और बाघ पालने की मंजूरी दे। इससे इन जानवरों को बेहतर संरक्षण संभव होगा।' कुसुम मेहदेले ने इससे संबंधित एक प्रस्ताव राज्य के वन विभाग को भेजा है। उन्होंने कुछ अफ्रीकी और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे थाइलैंड आदि का हवाला दिया है, जहां इस जानवर की जनसंख्या बढ़ाने के लिए यह कानूनन वैध है।

अपने प्रस्ताव में मेहदेले ने कहा है कि बाघों के संरक्षण के लिए देशभर में कई योजनाएं चल रही हैं। इन योजनाओं अब तक करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं, बावजूद इसके इस जानवर की संख्या में कोई अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज नहीं हुई है।

मंत्री के सुझाव पर मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक नरेंद्र कुमार ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) से उनकी प्रतिक्रियाएं मांगी हैं। भोपाल स्थित आरटीआइ कार्यकर्ता अजय दुबे द्वारा मांगी गई जानकारी से उपरोक्त सच्चाई उजागर हुई।

बरसाना की होली के बारे में ये अद्भूत बातें आपने आज तक नहीं सुनी होगी



बरसाना/ मथुरा। 'थकित भये रवि चन्द्र भी अहो हरि होली हैÓ सैकड़ों वर्ष पहले किसी विद्वान ने ये पद यूं ही नहीं लिखा होगा। द्वापर युग में रंग-रंगीले बरसाना में छैल-छबीली हुरियारिनों और मस्ती में डूबे हुरियारों की जीवंत परंपरा आज भी कायम है। ग्रंथों में जिक्र है कि बरसाना की होली देखने के लिए देवगण भी आते हैं।



अंग्रेजों के जमाने में ब्रिटिश कलक्टर एफएस ग्राउस को होली के रंगों से जलन थी, मगर बाद में उसे हुरियारिनों की दैवी शक्ति का आभास हो गया था। लठामार होली जब तक होती रही, सूरज अपनी जगह पर टिके रहे थे। पौराणिक तथ्य कुछ भी रहे हों, मगर होली देखने को आसमां में सूरज और चंद्रमा की तनातनी शुक्रवार को भी देखी गई। सूरज तभी अस्ताचल को गए, जब हुरियारिनों के हाथों की शोभा बने अगले बरस फिर हुरियारों पर बरसने की तमन्ना के साथ घर लौट गए।

चंद्रमा तो होली का आनंद उठाने के लिए सूरज के सामने ही आसमान में आ डटे। बरसाना की होली की गाथा सुन मथुरा के तत्कालीन अंग्रेज कलक्टर एफएस ग्राउस 22 फरवरी 1877 को पहली बार लठामार होली देखने बरसाना आए थे। अपने शोध ग्रंथ 'ए डिस्टिक्ट मेमोयरÓ में इस आंखों देखी होली का वर्णन उन्होंने कुछ इस तरह किया था। लिखा था कि ग्रामीण बिदूषकों की ठिठोलियां, कामुक युवा सुलभ नृत्य और हास्योत्पादक ढंग से हस्त संचालन के साथ उछल-कूद आदि पारंपरिक क्रियाकलाप काफी मनोरंजन दृश्य उपस्थित कर रहे हैं।

ये जानकर आश्चर्य हुआ कि होली खत्म होने के बाद ही सूरज अस्त हुए। बरसाना की रंगीली गली निवासी 85 वर्षीय चेतराम पहलवान बताते हैं कि उन्हें बुजुर्गों ने बताया था कि अंग्रेज कलक्टर ग्राउस ने इम्तिहान बतौर लठामार होली को जारी रखवाया था। वो देखना चाहता था कि सूरज अपने निर्धारित समय पर अस्त हुए या नहीं। बकौल चेतराम, ग्राउस ये देखकर चमत्कृत हो गया कि काफी देर होने के बावजूद सूरज अस्त नहीं हुए थे। जब उसने होली बंद कराई तो तत्काल बाद सूरज भी धीरे-धीरे अस्ताचल की ओर चले गए थे।

शुक्रवार को भी यही हुआ। बरसाना की धरा पर तड़ातड़ लाठियां बरस-गरज रही थीं, तो आसमान में चंद्रमा सूरज के सामने ही आसमान में आ चुके थे। ब्रह्मंड में घटित ये वाकया बरसाना वासियों के लिए नया नहीं था। विद्वतजन तो शुक्रवार को इस नजारे का पुराणों में वर्णित तथ्यों से मिलान कर रहे थे। ब्रज की होली को लेकर ग्रंथों में उल्लिखित है- श्रीजी बरसाना की रंगीली होली को देखते-देखते सूरज भी थक गए। 'थकित भये रवि-चंद्र अहो हरी होरी है।Ó विद्वतजन कहते हैं कि जब तक बरसाना में होली होती है, सूरज भी निहारते रहते हैं। होली देखते-देखते इतने मस्त हो जाते हैं कि उन्हें अस्ताचल की ओर जाने की सुधि ही नहीं रहती या फिर ये कहा जाए कि वे जाना ही नहीं चाहते, बल्कि इस नजारे को निहारने के लिए सूरज के अस्त होने का इंतजार करते हैं! शाम करीब साढ़े छह बजे हुरियारिनों ने बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। छोटों को आशीर्वाद दिया। सब लौटने लगे अपने-अपने घर की ओर और नंदगांव के हुरियारे चल दिए अपने नंदगांव की ओर।

तभी सूरज ने भी रुख बदल लिया। किरणों धीरे-धीरे अस्त होती गईं और चंद्रमा ने चांदनी रोशनी बिखेर जताई अपनी खुशी।

राष्ट्रपति भवन में पुलिसकर्मियों को बंधक बनाकर मारपीट



नई दिल्ली, नई दुनिया। राष्ट्रपति भवन परिसर में पुलिसकर्मियों को बंधक बनाकर मारपीट करने का मामला प्रकाश में आया है। राष्ट्रपति भवन में काम करने वाले स्टॉफ के परिवार ने पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट कर उनकी वर्दी फाड़ दी। बचने के लिए पुलिसकर्मियों ने खुद को राष्ट्रपति भवन के गेट पर बने पुलिस बूथ में बंद कर लिया था। आरोपियों ने दोनों को बाहर निकालकर पीटने के लिए बूथ का शीशा भी तोड़ दिया। भारी पुलिस बल को वहां बुलाकर बंधक पुलिसकर्मियों को मुक्त कराया जा सका। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह वारदात 27 फरवरी मध्यरात्रि में हुई। राष्ट्रपति भवन परिसर में मौजूद रीक्रिएशन क्लब में एक शादी समारोह चल रहा था। इसी बीच रात करीब साढ़े 11 बजे वहां से झगड़े की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को मिली। झगड़ा डीजे वाले व शादी में आए कुछ लोगों के बीच गाना बजाने को लेकर हुआ था। मामला शांत करने के लिए चाणक्यपुरी थाने से एएसआइ रोहताश और सिपाही अश्विनी वहां पहुंचे। उनसे लोगों ने मारपीट की।

कहां थे सुरक्षाकर्मी

इस घटना से राष्ट्रपति भवन के भीतर मौजूद रहने वाले सुरक्षाकर्मियों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। पुलिसकर्मियों को जान बचाने के लिए पंद्रह मिनट तक बूथ के अंदर पनाह लेनी पड़ी। वे मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई सुरक्षाकर्मी उनकी मदद करने नहीं आया।

जान लीजिए शिव,शंकर और शंभु के बीच का भेद



शास्त्रानुसार काल पर शिव का नियंत्रण है, अतः शिव महाकाल भी कहलाए जाते हैं। ऐसे शिव स्वरूप में लीन रहकर ही काल पर विजय पाना भी संभव है।सांसारिक मनुष्य के दृष्टिकोण से शिव व काल के संबंधों में छिपा संकेत यही है कि काल अर्थात् समय की महत्वता समझते हुए उसके साथ बेहतर तालमेल व गठजोड़ ही जीवन व मृत्यु दोनों ही स्थिति में सुखद है।



अतः जीवन में शिव भाव में रम जाना ही महत्वपूर्ण है।शिव भाव से जुडऩे हेतु वेदों में वर्णित शिव के अतिरिक्त अन्य दो नाम शंकर व शंभु के अर्थ को भी समझना आवश्यक है।इस लेख के माध्यम से जान लीजिए कि एक ही होने पर भी इन तीन नामों के बीच क्या भेद हैं।




वेद अनुसार: शंभु मोक्ष देने वाले हैं।वहीं शंकर शमन करने वाले और शिव कल्याण करने वाले हैं।इस भांति शंभु नाम ऐसे भाव जागृत करता है कि शांति हेतु सद्‍भावना व सुकर्म का मार्ग ही अपनाएं।इनसे मन भय से व तन रोगों से दूर रहेगा तथा मनोवांछित लक्ष्य प्राप्ति संभव होगी।शंकर का अर्थ है शमन करने वाला।शंकर नाम स्मरण यही भाव जागृत करता है कि शंकर के योगी स्वरूप की भांति मन को सैदेव शांत, संयमित व संकल्पित रखें।संकल्पों से मन को जागृत रखने से ही अशांति का शमन होता है।शिव नाम का अर्थ है कल्याणकारी।शिव नाम से कर्म, भाव व व्यवहार में पावनता का संदेश मिलता है।




इसके लिए जीवन में हर प्रकार से पवित्रता, आनन्द, ज्ञान, मंगल, कुशल व क्षमा को अपनाएं, ताकि अपने साथ दूसरों का भी शुभ हो।शिव नाम के साथ जब मंगल भावों से जुड़ते हैं, तो मन की कई बाधाएं, विकार, कामनाएं और विकल्प नष्ट हो जाते हैं।व्यक्ति मजबूत संकल्पों से जुड़ जाता है।इस प्रकार शिव, शंकर और शंभु तीनों ही नाम हमेशा जीवन में सोम्यस्य सुंदरता व सफलता प्रदान करते हैं।




पुराण अनुसार: शिव परम पिता और परमेश्वरी (शक्ति) जगजननी तथा जगदम्बा कहलाती हैं।अपनी संतान पर उनकी असीम करुणा और कृपा है।उनका नाम ही आशुतोष है।दानी और उदार ऐसे हैं कि नाम ही पड़ गया औढ़नदानी।उनका भोलापन भक्तों को बहुत ही भाता है।अकारण अनुग्रह करना, अपनी संतान से प्रेम करना भोलेबाबा का स्वभाव है।उनके समान कल्याणकारी व प्रजा रक्षक और कौन हो सकता है।शिव ही समस्त प्राणियों के अंतिम विश्रामस्थान भी है।उनकी संहारिका शक्ति प्राणियों के कल्याण के लिए प्रस्फुटित होती है।शंकर ही सबसे बड़े ज्ञानी है क्योंकि वे ही समस्त विद्याओं, वेदादि शास्त्रों, आगमों तथा कलाओं के मूल स्रोत है। इसलिए उन्हें विशुद्ध विज्ञानमय, विद्यापति तथा सस्त प्राणियों का ईश्वर कहा गया है।शंभु स्वयं नीतिस्वरूप हैं।




अपने प्राणों की बलि देकर भी जीवों की रक्षा करना,सदा उनके हित चिंतन में संलग्न रहना- इससे बड़ी नीति और क्या हो सकती है।कृपालु शंभु ने यह सब कर दिखाया।ऐसा कह वे हलाहल पी गए और नीलकंठ कहलाए।तीनों लोकों की रक्षा हो गई।साधुजन, नीतिमान जन अपने क्षणभंगुर जीवन की बलि देकर भी प्राणियों की रक्षा करते हैं।कल्याणी ! जो पुरुष प्राणियों पर कृपा करता है, उससे सर्वात्मा कहते हैं।




रामचरितमानस अनुसार: "जासु नाम बल संकर कासी। देत सबहि सम गति अबिनासी"।। अर्थात् भगवन्नाम के बल से शंकर जी काशी में मरनेवालों को मुक्ति देते हैं। "कासी मरत जन्तु अवलोकी। जासु नाम बल करउँ बिसोकी"।। अर्थात् शंभु स्वरुप में वह कहते है की काशी में मरते हुए जीव को यदि मैं देख लेता हूँ तो हे पार्वती ! उन परमप्रभु के नाम अर्थात् ओम् के बल से मैं उसे अविनाशी पद प्रदान कर देता हू।अतः शिव शरण जो कोई आया, जैसे– कागभुशुण्डि, उन सबको भगवान की भक्ति प्रदान कर उद्धार किया गया।




आदि शंकराचार्य मत: शिव आदि योगेश्वर हैं।शिव से ही योग-साधना प्रारम्भ होती है अतः उन्हें माता-पिताविहीन, स्वयंभू, स्वरूपस्थ, परमात्मस्वरूप इत्यादि विशेषणों से अलंकृत किया जाता है।उन्हें भूतनाथ भी कहा जाता है क्योंकि वे प्राणिमात्र की शरणस्थली हैं।उनके शरण बिना कोई मोक्ष को प्राप्त नहीं कर सकता।




आदि शंकराचार्य प्रश्नोत्तरी अनुसार वह पूछते हैं कि सृष्टि में पूजनीय कौन है ? उत्तर है - जो शिवतत्त्व में स्थित है वह महापुरुष! जो प्रकृति की सीमाओं से उपराम है उसे शिव कहते हैं।ऐसा महापुरुष पूजनीय है।उनके गणों अर्थात् सेवकों की एक लम्बी परम्परा है उनमें गणेश भी हैं, कार्तिकेय हैं, समस्त प्राणी एवं देवता भी हैं।




आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल kamal.nandlal@gmail.com

मनभावन इच्छाओं की पूर्ति करता है शिव मंत्र का जाप

भगवान शिव जिनके नाम का अर्थ ही है कल्याणस्वरूप और कल्याणप्रदाता । शास्त्रों के अनुसार शिव ही सांसारिक सुखों का आधार हैं । शिव उपासना तन, मन व धन से जुडी कामनाओं में आने वाली बाधाओं को भी दूर करती है । सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है । इस दिन मन ही मन या रुद्राक्ष माला से इस मंत्र का जाप करना मंगलकारी और अापकी सारी इच्छाओं की पूर्ति करता है ।

'ॐ अघोराय नम:'
इस मंत्र का जाप करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं । शास्त्रों में उल्लेखनीय  है कि देव, दनुज, ऋषि , मुनीन्द्र, सिद्ध, गन्धर्व ही नहीं, अपितु ब्रह्मा-विष्णु तक भगवान शिव की आराधना करते हैं और उनसे अपनी मनभावन इच्छाओं की पूर्ति करवाते हैं ।

रविवार, 1 मार्च 2015

जोधपुर होटल में देह व्यापार पकड़ा, तीन गिरफ्तार



जोधपुर खाण्डा फलसा थाना पुलिस ने शनिश्चरजी का थान के पास होटल में शनिवार देर रात दबिश देकर देह व्यापार में लिप्त दो युवतियों व एक युवक को गिरफ्तार किया।

अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (पूर्व) कैलाश सिंह सांदू के अनुसार होटल वेलकम में प्रथम मंजिल स्थित कमरे में देह व्यापार होने की सूचना मिली। एसीपी (मण्डोर) जसवंतसिंह की अगुवाई में थानाधिकारी राजेन्द्र चौधरी ने वहां दबिश दी।

कमरे में बनाड़ थानान्तर्गत नांदड़ा कला गांव निवासी आइदानराम पुत्र मांगीलाल मेघवाल तथा देह व्यापार के लिए भरतपुर से यहां लाई गई मिनेष कुमारी व हेमलता को संदिग्ध हालात में पकड़ लिया। जिन्हें पीटा एक्ट में गिरफ्तार किया गया।

एएसआई पुखाराम ने रविवार शाम तीनों को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया।

झुंझुनूं पत्नी की गर्दन काटकर हत्या, पति को 10 साल कैद




झुंझुनूं के अपर सेशन न्यायालय संख्या 2 ने कल दहेज हत्या के आरोपी पति सुभाष मीणा को 10 साल के कठोर कारावास से दंडित किया है।



मामले के तथ्योंनुसार काकलासर थाना भालेरी के सुभाष पुत्र महावीर मीणा ने पुलिस को ढाणी मिश्रावाली टोडपुरा में लिखित रिपोर्ट दी कि उसकी छोटी बहन सुमन की शादी गांव टोडपुरा के सुभाष पुत्र सुगनाराम मीणा के साथ दो साल पहले हुई थी।




कई दिनों से उसकी बहन को उसका पति सुभाष ससुर सुगनाराम सास ङ्क्षसजिया देवी दहेज के लिए प्रताड़ित कर रहे थे। उसे उदयपुरवाटी थाना प्रभारी ने सूचना दी कि उसकी बहन की हत्या हो गई है। टोडपुरा पहुंचे तो सुमन की गर्दन काटकर बेरहमी से हत्या की हुई थी। मौके पर दीवारों पर खून बिखरा हुआ था।




इस्तगासा पक्ष की ओर से 17 गवाहों के बयान कराए गए। न्यायाधीश ने पत्रावली पर आई साक्ष्य का बारीकी से विश्लेषण कर सुमन के ससुर सुगनाराम सास ङ्क्षसजिया देवी को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया।




आरोपी पति सुभाष को 10 साल की कैद की सजा देते हुये पांच हजार रूपये के अर्थदंड की सजा सुनाई।

बाड़मेर जैसलमेर प्रमुख अंजना मेघवाल सहित १७१ का सम्मान किया समाज ने


बाड़मेर  जैसलमेर प्रमुख अंजना मेघवाल सहित १७१ का सम्मान किया समाज ने 

171 मेघवाल समाज के जनप्रतिनिधियों का हुआ सम्मान

समारोह में समाज के नवनिर्वाचित सरपंचो, जिला परिषद सदस्यों एवं पंचायत समिति सदस्यों को किया गया सम्मानित

बाड़मेर राजस्थान मेघवाल परिषद जिला शाखा बाड़मेर द्वारा मेघवाल समाज के 171 नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों का सम्मान एवं स्नेह भोज तरूण शिक्षण संस्थान में किया गया। परिषद के मीडिया प्रभारी प्रेम परिहार ने बताया कि इस सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि परिषद के संरक्षक रूपाराम धन्दे एवं अध्यक्षता चैहटन विधायक तरूणराय कागा रहे। जबकि विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक गोपाराम मेघवाल, बाड़मेर जिला प्रमुख प्रियंका मेेघवाल, जैसलमेर जिला प्रमुख अंजना मेघवाल, समाजसेवी आदूराम मेघवाल, धनाऊ प्रधान भगवतीदेवी, सेड़वा प्रधान पदमाराम मेघवाल, गडरारोड़ प्रधान तेजाराम कोडेचा, परिषद के संरक्षक पन्नालाल प्रेमी, मेघवाल शोध एवं शैक्षणिक संस्थान के अध्यक्ष डाॅ. बीएल मंसुरिया, परिषद के सचिव डंूगरलाल, हीरालाल गुलसर, परिषद के अध्यक्ष मूलाराम मेघवाल, पूर्व विधायक मोटाराम मेघवाल, मंहत नेमनाथ व गणेशनाथ रहे। कार्यक्रम के संयोजक एवं परिषद के महासचिव वीराराम भूरटिया ने परिषद की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि सर्वप्रथम मंचासीन अतिथियों द्वारा डाॅ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर समारोह का शुभारंभ किया गया। समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि रूपाराम धन्दे ने कहा कि मेघवाल समाज में बालिका शिक्षा की कमी है ऐसे में हमें बालिका शिक्षा पर जोर देना चाहिए। उन्होंने युवा वर्ग को संदेश देते हुए कहा कि नशे की प्रवृति से दूर रहकर कड़ी मेहनत से अध्ययन करे ताकि हम अपनी मंजिल को पा सके। कार्यक्रम में तेजाराम कोडेचा ने कहा कि इससे पहले वे सरकारी सेवा में थे उस समय भी हर व्यक्ति का कार्य प्राथमिकता से किया। जबकि अब राजनीति में आने का मौका मिला है। राजनीति में रहकर आम जनता के कार्यों को प्राथमिकता सेे लूंगा। कार्यक्रम में जिला प्रमुख प्रियंका मेघवाल ने बाबा साहेब के संदेशों का अनुसरण करने की बात कहते हुए कहा कि समाज को संगठित होकर कार्य करना चाहिए। एवं समाज में फैली कुरितियां मिटाने की बात कही। जैसलमेर जिला प्रमुख अंजना मेघवाल ने भी बालिका शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि एक बालिका पढ़ने से दो परिवारों को संवारेगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चैहटन विधायक तरूणराय कागा ने शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो का संदेश दिया। कार्यक्रम को आदूराम मेघवाल, डाॅ. बीएल मंसुरिया, पदमाराम मेघवाल, मोटाराम मेघवाल, दीपाराम मेघवाल ने भी संबोधित किया। इससे पूर्व समाज के 91 सरपंचों, 72 पंचायत समिति सदस्यों एवं 8 जिला परिषद सदस्यों का स्मृति चिन्ह के साथ साफा बंधाकर स्वागत किया गया। स्वागत भाषण तरूण शिक्षण संस्थान के निदेशक तिलाराम पन्नू ने दिया। जबकि कार्यक्रम का संचालन भगवान बारूपाल व वीराराम भूरटिया ने किया। व धन्यवाद ज्ञापित परिषद के अध्यक्ष मूलाराम मेघवाल ने किया। समारोह में इंजिनियर लुभाष राठौड़, मोहनलाल बारूपाल, नींबाराम बारूपाल, सालगराम परिहार, जसराज नामा, डाॅ.राहुल बामणिया, जयरामदास वंणल, प्रेम परिहार, मदन बारूपाल, भगवान आकोड़ा, रूपाराम नामा, उदय सेजू, गेमराराम सेजू, कौशलाराम पन्नू, खुशालाराम पन्नू, तगाराम खती, पूंजाराम कागा, अचलाराम पंवार, बालाराम मेहरा, घेवाराम पाटोदी, चैखाराम, सोनाराम टाक, पूंजराज बामणिया, दीपक मसानिया, रतन धन्दे, जीवराज कागा, शेखाराम ख्याला, शंकरलाल ख्याला, पूंजाराम कागा, बाबूलाल गर्ग, खेमराज परिहार, मोबताराम पूनड़, दीपाराम वायल, भीखाराम वायल, तिलोकाराम सेजू, उम्मेदाराम डाभी, गुमानारा बालवां, देवराज मुंगेरिया, पूर्व छात्र अध्यक्ष छगन मेघवाल, रमेश खती, मोडाराम लखानी, पदमाराम सहेलिया, रूपाराम रावतसर, मोहन पंवार, जगदीश सिंहटा सहित मेघवाल समाज के कई जानी मानी हस्तियों ने शिरकत की।

धीरे धीरे मंजर मंजर वक्त चलता रहता है:- कवि अमन

धीरे धीरे मंजर मंजर वक्त चलता रहता है:- कवि अमन
होली के उपलक्ष में काव्य गोष्ठी का हुई आयोजित
बाड़मेर । अन्तर प्रान्तीय कुमार साहित्य परिषद बाड़मेर की ओर से रविवार को होली के उपलक्ष में काव्य गोष्ठी पेंषनर समाज के महामंत्री मोहनलाल बोहरा के मुख्य आतिथ्य, डाॅ. बी.डी. तातेड़ की अध्यक्षता, पेंषनर समाज के अध्यक्ष जयकिषन जोषी के संरक्षकत्व व सीताराम व्यास राहगीर के विषिष्ट आतिथ्य में आयोजित हुई ।

गोष्ठी के मुख्य आतिथ्य मोहनलाल बोहरा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि कवि और तमाम साहित्यकार देष, समाज और परिस्थितियों का सच्चा आईना होते है जो कुछ भी घटता है उसे कवि बहुत ही करीब से महसूस कर समाज को सही राह प्रषस्त करता है । गोष्ठी के संरक्षक जयकिषन जोषी ने स्वयं के कवियों से रहे नजदीकी तालुकातों का जिक्र करते हुए वीर रस कविता प्रस्तुत कर कवियों को देष के लिए कुछ करने की प्रेरणा दी ।

काव्य गोष्ठी के संयोजक मुकेष बोहरा ‘अमन’ ने बताया कि इस अवसर पर कवियों ने होली, फागुन, बसन्त सहित कई विषयों पर श्रृंगार, हास्य, शान्त व वीर रस की कविताएं प्रस्तुत की । गोष्ठी का आगाज रेंवताराम मायला की रचना ‘मैं पतझड़ हूं, तू मधुमास है’ से हुआ । तिलोकाराम मायला ने ‘महकी-महकी सी हवा’, दीपसिंह रणधा ने ‘नवप्रभात निरखतौ गीत खुषी रा गावै’, गौतम संखलेचा चमन ने ‘अंग अंग में रंग है’, हनुमान प्रजापत ने ‘कैथ गैरियों री टोळी’, कमल शर्मा राही ने ‘बिखरे ख्वाब समेटने आया हूं’, महेन्द्र तिवारी ने ‘वो खूबसूरती क्या’, सीताराम व्यास राहगीर ने ‘तकदीर क्या करेगा कुछ इल्म जान लिजिए’, मुकेष बोहरा ‘अमन’ ने ‘धीरे धीरे मंजर मंजर वक्त चलता रहता है’, डाॅ. बी.डी. तातेड़ ने हो सके तो उन्हें सलाम करना’ रचना प्रस्तुत कर खूब वाह वाही बटोरी । गोष्ठी के अन्तिम पायदान में परिषद के सचिव गौतम संखलेचा चमन ने सभी आभार व धन्यवाद ज्ञापित किया ।

जैसलमेर की फर्म के चैक द्वारा बैक से पाॅच लाख रूपये उठाने वालों की पहचान, एक व्यक्ति गिरफतार


जैसलमेर की फर्म के चैक द्वारा बैक से पाॅच लाख रूपये उठाने वालों की पहचान, एक व्यक्ति गिरफतार

शेष रहे साथी की तलाष जारी
जैसलमेर  प्रार्थी श्री गिरीराज लाहोटी मारबल वल्र्ड षिल्पग्राम रिको जैसलमेर का फर्म मालिक पुलिस थाना कोतवाली जैसलमेर उपस्थित होने एक लिखित रिपोर्ट पेष कि की आज के रोज मेरी फर्म के बैंक खाता से सेल्फ चैक से पाॅच लाख रूपये के आहरण पर मेरे मोबाईल पर मैसेज आया है। जो किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा उठाये गये है। जिसके विरूद्ध मुकदमा दर्ज कर तलाष करावे।

जिस पर पुलिस थाना कोतवाली में चोरी मुकदमा दर्ज कर जाॅच बस्ताराम हैड कानि0 को सुपूर्द की गई। अनुसंधान जेठाराम निरीक्षक पुलिस, थानाधिकारी पुलिस थाना कोतवाली के नेतृत्व में एक विषेष टीम हैड कानि. बस्ताराम, अचलाराम कानि. ड्रा0 अर्जूनसिंह, कानि. दिनेष चारण , भीमरावसिंह एवं मुकेष बीरा, पुलिस अधीक्षक कार्यालय की गठित कर रूपये उठाकर ले जाने वाली की तलाष पुलिस थाना कोतवाली के हल्का क्षेत्र एवं जिले के अन्य थानों क्षेत्रों में की गई। इसके साथ-साथ पुलिस टीम द्वारा एसबीबीजे बैंक की सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखकर उसमें संदिग्ध व्यक्तियों की फोटो से संदिग्ध व्यक्ति दिलबरखाॅ पुत्र अलाबक्स मुसलमान निवासी भागू का गाॅव की पहचान कर दस्तयाब कर पुछताछ की गई। दौरान पुछताछ दिलबर खाॅ ने साथी साबिरखाॅ पुत्र पठानखाॅ मुसलमान निवासी जोड पुलिस थाना फलोदी के साथ मिलकर चैक द्वारा पाॅच लाख रूपये एसबीबीजे बैंक से उठाकर ले जाना स्वीकार किया । जिस पर पुलिस टीम द्वारा दिलबरखाॅ पुत्र अलाबक्स मुसलमान निवासी भागू का गाॅव को गिरफतार कर उसके साबीरखाॅ की तलाष की जा रही है।

बाड़मेर: युवा अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण निष्ठावान रहे - जोशी


बाड़मेर: युवा अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण निष्ठावान रहे - जोशी
-सिणधरी में एक दिवसीय जागरूकता कार्यशाला आयोजित
बाड़मेर: ‘युवा अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण निष्ठावान रहे, जिससे समय पर लक्ष्य प्राप्त हो सके। समाज एवं देश को आगे बढाने के लिए युवा जागृत रहकर अपनी भूमिका निभाएं। खाद्य सुरक्षा अधिकार के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस योजना का अधिक से अधिक लाभ लेवें।’

यह बात जिला युवा समन्वयक ओमप्रकाश जोशी ने नेहरू युवा केन्द्र बाड़मेर द्वारा सिणधरी ब्लाॅक के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, सांजटा में रविवार को एक दिवसीय विषय आधारित कार्यशाला में कही। उन्होंने क्षेत्र की बेरोजगारी को समाप्त करने के लिए विभिन्न तेल कंपनियों व पाॅवर प्लांट से आह्वान किया कि भारत सरकार से उनके हुए अनुबंध के आधार पर स्थानीय युवाओं को अधिकाधिक रोजगार दें, साथ ही रोजगार के अवसरों को अधिक से अधिक विकल्पों को सुझाएं। कंपनियां कौशल विकास के कार्यक्रम नेहरू युवा केन्द्र के माध्यम से आगे बढ़ाएं ताकि ग्रामीण अंचलों के दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं को लाभ मिल सकें।

कार्यशाला के मुख्य अतिथि मदर टेरेसा आदर्श एकेडमी उप्रा विद्यालय सांजटा के निदेशक करनाराम चैधरी ने कहा कि युवाओं को देश में व्याप्त सामाजिक कुरूतियों एवं बुराइयों को मिटाने के लिए जागरूक होना चाहिए। जब देश का हर युवा अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जायेगा, तो देश अपने आप प्रगति की ओर अग्रसर हो जायेगा। पर्यावरण जागरूकता एवं स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में जानकारी दी।

विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ अध्यापक मोहनलाल सियोल ने कहा कि युवा देश की कर्णधार है, युवा ज्यादा से ज्यादा नेहरू युवा केन्द्र संगठन से जुड़कर समाज सेवा करने का आह्वान किया।

विशिष्ट अतिथि समाजसेवी खेताराम गोदारा ने कहा कि गांव एवं समाज सुख समृद्धि लाने के लिए युवाओं का जागरूक होना अत्यंत आवश्यक है। मनरेगा योजना में युवाओं की भागीदारी को विस्तार से समझाया।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक हरदान राम चैधरी ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, बेटी बचाओं-बेटी पढाओ, स्वच्छ भारत अभियान के उद्देश्यों को विस्तार से युवाओं के सामने रखा।

इस अवसर पर भगाराम, रामाराम, कमला चैधरी, शांति जाखड़, गिरधारीराम, देवाराम, हनुमानराम, अनिल चैधरी, ईश्वर चैधरी, दिनेश कुमार सहित कई नेहरू युवा मण्डल के युवा उपस्थित रहें। कार्यक्रम का संचालन हरखाराम भादू ने किया। कार्यशाला में संबंधित क्षेत्र के 95 संभागियों ने भाग लिया।

खबर का असर। बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग का भ्रष्ट स्टोर कीपर चार्ज शीट सहित ऐ पी ओ

खबर का असर। बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग का भ्रष्ट स्टोर कीपर चार्ज शीट सहित ऐ पी ओ
बाड़मेर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बाड़मेर के भरष्टाचार के आरोपो से घिरे और कार्यमुक्त हुए स्टोर कीपर गंगाराम चौधरी को तीन माह की कश्म काश के बाद आखिरकार चार्जशीट के साथ ऐ पी ओ कर दिया।बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक ने लगातार भरष्टाचार की पोल खोल बेनकाब किया था ।स्टिर कीपर पर गौज पट्टी खरीद निःशुल्क दवा कगरीद में बड़े पैमाने पर हेरा फेरी की गयी की ।न्यूज़ ट्रैक में इनके खुलासे के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय सहित कई हांचे शुरू हुई।बाद में इन्हें पद से हटा दिया ।मगर स्टोर कीपर अपना चार्ज लम्बे समय से नही दे रहा था।राजनेताओ तक दौड़ धुप में असफल रहने के बाद इनके द्वारा चिकित्सा अधिकारी पर जातिगत द्वेष के झूठे आरोप लगाये ।सरकार के मुखय सचिव तक नेताओ के माध्यम से शिकायते की मगर जब उन्हें हकीकत का पता चला तो चिकित्सा अधिकारी को कार्यवाही के निर्देश दिए ।जिस पर कार्यवाही कर स्टोर कीपर को ऐ पी ओ कर जयपुर बगेज दिया

बाड़मेर फाग की मस्ती छाई हैं थार मरुस्थल में,चंग बजने लगे


बाड़मेर फाग की मस्ती छाई हैं थार मरुस्थल में,चंग बजने लगे
चन्दन सिंह भाटी
बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले में मदोत्सव एवं रंगोत्सव की मस्ती छाई हुई हैं।आधुनिकता की दौड़ के बावजूद थार मरुस्थल में लोक कला और संस्कृति से जुड़ी परम्पराओं का निर्वाह किया जारहा हैं।ग्रामीण अंचलों में होली की धूम मची हैं।ग्रामीण अंचलों में रंगोत्सव की मदमस्ती बरकरारहैं।ग्रामीण चौपालों पर सूरज लते ही ग्रामीण चंग की थाप पर फाग गाते नजर आते हैं।वहीं फागुनी लूर गाती महिलाओं के दल फागोत्सव के प्रति दीवानगी का एहसास कराती हैं।सीमावर्ती बाड़मेर जिले की लोक परम्पराओं का निर्वहन ग्रामीण क्षैत्रों में आज भी हो रहा हैं।रंग और मद के इस त्यौहार के प्रति ग्रामीण अंचलों में दीवानगी बरकरार हैं।ग्रामीण चौपालों पर गा्रमीणों के दल सामुहिक रुप से चंग की थाप पर फाग गीत गाते नजर आते हैं।जिले में लगातार

पड़ रहे अकाल का प्रभाव अधिक नजर नहीं आ रहा ।अलबता होली के धमाल के लिए प्रसिद्धसनावड़ा गांव के बुर्जुग माधो सिंह दांता ने बताया कि अकाल के कारण गांव के युवा रोजगार के लिएगुजरात गए हुए हैं। के आभाव हमारे गॉव में होली का रंग फीका नही। पडता।होली सेतीन चार रोज पूर्व रोजगार के लिए बाहर गए युवा पर्व मनाने पहफॅच जाएगे।गांव की परम्परा हैंजो हम अपने बुजुर्गों के समय से देखते आ रहे हैं।इसकी पालना होती हैं।होली से 15 दिन पूर्व गांव में होली का आलम शुरु होता हैं।चोपाल पर शाम होते होते गांव के बडे बुे जवान बच्चे सभी एकत्रित हो जाते हैं।चंग बजाने वालो की थाप पर गा्रमिण सामुहिक रुप से फाग गाते हैं।वहीं गांव की महिलाए रात्री में एक जगह एकत्रित हो कर बारी बारी से घरों के आगे फाग गाती हैं।जो महिलाऐं इस दल में नहीं आती उस महिला के घर के आगे जाकर महिला दल अश्लील फाग गाती हैं,जिसे सुनकर अन्दर बैठी महिला शर्माकर दल मे शामिल हो जाती हैं।महिलाओं द्घारा दो दल बनाकर लूर फाग गाती हैं।लूर में दोनों महिला दल आपस में गीतों के माध्यम से सवालजवाब करती हैं।लूर थार की परम्परा हैं।लुप्त हो रही लूर परम्परा सनावडा तथा सिवाना क्षैत्र के ग्रामीण अंचलों तक सिमट कर रह गई हेैं।फाग गीतों के साथ साथ डाण्डिया गेर नृत्य का भी आयोजन होता हैं।भारी भरकम घुंघरु पांवों में बांध कर हाथें में आठ आठ मीटर लम्बे डाण्डियेंल े कर ोल की थाप और थाली िी टंकार पर जब गेरिऐं नृत्य करते हैं तों लोक संगीत की छटा माटी की सौंधी में घुल जाती हैं। सनावडा में होली के दूसरे दिन बडे स्तर पर गेर नृत्यो का आयोजन होता हैं।जिसमें आसपास के गांवों के कई दल हिस्सा लेते हैं।ग्रामीण क्षैत्रों में होली का रंग जमने लगा हैं।शहरी क्षैत्र में भी गेरियों के दल इस बार नजर आ रहे हैं।जो शहर की गलियों में चंग की थाप पर फाग गाते नजर आते हैं।

पाकिस्तान के कराची शहर में पंचमुखी हनुमानजी


पाकिस्तान के कराची शहर में एक मंदिर है। जिसका रहस्य काफी पुराना और पाताल लोक से है। शास्त्रों के मुताबिक उस मंदिर में भगवान राम भी पहुंच चुके हैं। मंदिर का निर्माण 1882 में हुआ था।


मंदिर में डेढ़ हजार साल पुरानी एक पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति है। लेकिन मूर्ति की कहानी 17 लाख साल पुरानी है। क्योंकि उस मूर्ति का संबंध त्रेता युग से है।


मान्यता है कि सपने में कहे अनुसार पंचमुखी मूर्ति जमीन के अंदर से निकालने लगे। जिस जगह पर स्थित है उस जगह से ठीक 11 मुट्ठी मिट्टी हटाई गई थी और हनुमान जी मूर्ति प्रकट हुई।


शास्त्रों के मुताबिक पंचमुखी हनुमान समुद्र निवासी थे। लेकिन कुछ साल पहले उस जगह पर एक विचित्र घटना घटी थी। जब कोई मंदिर नहीं था। मंदिर के स्थान पर एक तपस्वी तपस्या किया करते थे। सालों तक तपस्या करने के बाद उन्हें एक दिन सपने में पंचमुखी हनुमान का दर्शन हुआ। सपने में हनुमान जी ने उनसे कहा कि मैं इस जगह के नीचे पाताल लोक में निवास कर रहा हूं। लेकिन तुम मुझे यहां स्थापित करो।


मंदिर के पुजारी के मुताबिक मंदिर में सिर्फ 11 या 21 परिक्रमा लगाने से सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। अब तक लाखों लोग अपने दुखों से निजात पा चुके हैं।


कराची के उस मंदिर में हिंदू परंपरा के तमाम देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। लेकिन उस मंदिर में हर समुदाय के लोग जाते हैं।