गुरुवार, 2 मई 2013

भीनमाल विधायक के भतीजे की हादसे में मौत


भीनमाल विधायक के भतीजे की हादसे में मौत 

कावतरा से भीनमाल आ रहा थे परिवार के सदस्य। जुंजाणी में सड़क किनारे खड़े पेड़ से टकराई बोलेरो
भीनमाल

भीनमाल विधायक पूराराम चौधरी के भतीजे की बुधवार को सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। घटना की सूचना पर पुलिस ने पीएम के बाद शव परिजनों को सुपुर्द किया। पुलिस सूत्रों के अनुसार कावतरा निवासी मेघाराम पुत्र सादाराम चौधरी बुधवार सवेरे करीब 9.30 बजे बोलेरो जीप नंबर आरजे 16 यूए 9595 को लेकर परिवार के तीन अन्य सदस्यों के साथ कावतरा से भीनमाल आ रहा था। इस दौरान सरहद जुंजाणी में सड़क किनारे खड़े पेड़ से बोलेरो अचानक टकरा गई, जिससे मेघाराम की मौत हो गई। घटना की सूचना पर एएसआई कुंदनसिंह देवड़ा मय दल ने मौका स्थल पर पहुंचकर शव को स्थानीय राजकीय अस्पताल लाया। यहां पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सुपुर्द किया। विधायक के भतीज की दुर्घटना में मौत की खबर पर नगरपालिका अध्यक्ष हीरालाल बोहरा और पूर्व सरपंच वरधाराम चौधरी सहित बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए। शाम करीब 4 बजे गमगीन माहौल में मेघाराम का अंतिम संस्कार किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।

खुशियां बदली मातम में

मृतक मेघाराम के भाई प्रकाश की शादी 20 मई को होने वाली है। शादी की तैयारियों को लेकर परिवार के सदस्य मुंबई सहित अन्य शहरों से गांव आए हुए थे। शादी को लेकर घर में तैयारियां चल रही थी, लेकिन दुर्घटना में मेघाराम की मौत ने खुशियों को मातम में बदल दिया।

सरहदी गांवों में मनरेगा बेमानी, रोजगार को मोहताज ग्रामीण


सरहदी गांवों में मनरेगा बेमानी, रोजगार को मोहताज ग्रामीण 

गडरारोड



मनरेगा से जरूरतमंद लोगों को रोजगार मुहैया करवाने के दावे सरहदी गांवों में बेमानी साबित हो रहे हैं। करीब एक दर्जन अकालग्रस्त गांवों में मनरेगा से एक भी कार्य स्वीकृत नहीं है। इसके चलते ग्रामीणों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। ताज्जुब की बात यह है कि जॉबकार्ड धारकों ने रोजगार की डिमांड कर रखी है, मगर प्रशासन की लापरवाही के चलते जरूरतमंद लोगों को रोजगार के लिए तरसना पड़ रहा है। अकाल के चलते लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। तहसील क्षेत्र के करीम का पार, लालासर, द्राभा, पूंजराज का पार, समद का पार, डोकर, सरगुवाला समेत एक दर्जन गांवों के लोगों के लिए मनरेगा योजना दूर की कौड़ी साबित हो रही है। अकाल की मार झेल रहे ग्रामीणों के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोजगार की है। नजदीक क्षेत्र में रोजगार नहीं मिलने से ग्रामीण मजबूरन दूर दराज के गांवों में दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर है। जबकि मनरेगा योजना के तहत प्रत्येक पंचायत में डिमांड के अनुसार करोड़ों रुपए का बजट आवंटित किया जा रहा है। सरहदी गांवों के लोगों की पीड़ा को प्रशासन समझ नहीं पा रहा है। नतीजतन लोगों को रोजगार के लाले पड़ रहे हैं। द्राभा गांव के ग्रामीण बताते हैं कि गांव में एक भी मनरेगा से कार्य स्वीकृत नहीं है। नजदीक के गांव व ढाणियों में भी कार्य मंजूर नहीं होने पर रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। डोकर गांव के खेतसिंह सोढ़ा ने बताया कि प्रशासन की अनदेखी के चलते मनरेगा कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। इस संबंध में ग्राम सेवक व सरपंच को कई बार अवगत करवाने के बावजूद कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। बीपीएल परिवारों को भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस स्थिति में पलायन की नौबत आ गई है।

फिर जाएं तो जाएं कहां: सरहदी गांवों में सरकारी योजनाओं के तहत कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। जबकि अन्य पंचायतों के प्रत्येक राजस्व गांव में कार्य स्वीकृत किए जा रहे हैं। ग्राम पंचायत खानियानी के पूर्व सरपंच जबल खां ने बताया कि करीम का पार, लालासर में बीते कई सालों से मनरेगा के कार्य बंद है। जॉबकार्ड धारक ग्राम सेवक के पीछे चक्कर काटते काटते थक चुके हैं। अकाल की घड़ी में लोगों के लिए दो जून की रोजी रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है। प्रशासन की अनदेखी का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।

मशीनों से कार्य, जॉबकार्ड ठेके पर: कई ग्राम पंचायतों में तो मनरेगा से स्वीकृत कार्य मशीनों से करवाए जा रहे हैं। जॉब कार्ड पंचायत के कार्मिकों ने ठेके पर ले रखे है। मस्टररोल में फर्जी नाम अंकित कर भुगतान उठाया जा रहा है। ग्राम पंचायत खानियानी, खबडाला में लंबे अर्से से श्रमिकों के जॉबकार्ड के आधार पर कार्य मशीनों से करवाया जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच व ग्रामसेवक अपने ही स्तर पर कार्य करवा रहे हैं।

अकाल त्रासदी 



एक दर्जन गांवों में एक भी कार्य स्वीकृत नहीं, फिर कैसे मिलेगा रोजगार, प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे है बेकसूर
॥सरहदी गांवों में सरकारी योजनाएं विफल साबित हो रहे हैं। अकाल पीडि़तों को रोजगार के लिए तरसना पड़ रहा है। प्रशासन ग्रामीणों को रोजगार मुहैया करवाने को तैयार ही नहीं है। डिमांड देने के बावजूद भी कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं।  उगमसिंह, सोढ़ा द्राभा 

॥रोजगार मुहैया करवाने की सरकार की मंशा के बावजूद प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। अगर समय रहते अकालग्रस्त गांवों में मनरेगा से कार्य स्वीकृत नहीं किए गए तो आंदोलन किया जाएगा।
दशरथ मेघवाल, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष भाजपा शिव
॥डिमांड पर रोजगार मुहैया करवाना अनिवार्य है। इस संबंध में रिपोर्ट मंगवाई जाएगी। ग्रामीणों की ओर से डिमांड दी गई है तो संबंधित ग्राम सेवकों को निर्देश दिए जाएंगे।
 एल.आर. गुगरवाल, सीईओ जिप

जवानों को गर्मी से बचाव के लिए 'कूलवेस्ट' : डीजी


जवानों को गर्मी से बचाव के लिए 'कूलवेस्ट' : डीजी 



बीएसएफ डीजी सुभाष जोशी पहुंचे बाड़मेर, सीमा क्षेत्र का लेंगे जायजा


 बाड़मेर  'बीएसएफ के जवान रेगिस्तानी इलाकों में 50 डिग्री तापमान होने के बावजूद देश की सुरक्षा का कार्य कर रहे हैं। जवानों को भीषण गर्मी में किसी प्रकार की तकलीफ ना हो इसके लिए डीआरडीओ को 'कूलवेस्ट' नामक ड्रेस तैयार करने को कहा गया है। कूलवेस्ट से सामान्य तापमान 15 डिग्री तक कम हो जाएगा।' यह बात सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक सुभाष जोशी नेे बुधवार को बाड़मेर में कही। जोशी बीएसएफ के क्षेत्रीय मुख्यालय पर आयोजित संयुक्त सैनिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। जोशी दो दिन तक सीमा क्षेत्र का भ्रमण करने के साथ ही बॉर्डर की सुरक्षा व्यवस्था तथा जवानों के कल्याण के लिए किए जा रहे कार्यों का जायजा लेंगे।



जवानों से हुए रूबरू

बीएसएफ डीजी विशेष विमान से सुबह 10:30 बजे उत्तरलाई वायुसेना स्टेशन पहुंचे। जहां पर उनका गुजरात फ्रंटियर के आईजी ए.के. सिन्हा, डीआईजी माधोसिंह चौहान व यू.के. नियाल सहित अन्य अधिकारियों ने अगवानी कर स्वागत किया। डीजी के साथ स्पेशल डीजी (वेस्ट) राजदीपसिंह तथा डीआईजी हरमिंदरपाल भी विशेष विमान से बाड़मेर पहुंचे। यहां से सभी अधिकारी बीएसएफ के क्षेत्रीय मुख्यालय पहुंचे। यहां पर उन्होंने सैनिकों को संबोधित किया तथा जवानों की समस्याओं से रूबरू होकर उनके निराकरण के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए।


मौजूदा वर्ष 'जवानों का वर्ष' 

डीजी ने सैनिक सम्मेलन में जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि यह वर्ष 'जवानों का वर्ष' के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान ही सभी सीमा चौकियों पर भोजनालय, बैरक तथा शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही वे स्वयं सीमांत मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर जवानों के लिए अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करेंगे।



सतर्कता घुसपैठ पर लगाम 

उन्होंने कहा कि बाड़मेर सेक्टर में पिछले तीन वर्षों से तस्करी व घुसपैठ की कोई भी घटना सामने नहीं आई है, कभी घुसपैठ की कोशिश भी नहीं हुई। यह सब बीएसएफ के जवानों की चौकसी और सतर्कता के कारण संभव हो पाया है। जवानों ने घुसपैठियों को दबोचा भी है। जवानों से फायरिंग और शारीरिक दृढ़ता के क्षेत्र में अधिक से अधिक दक्षता प्राप्त करने के लिए डीजी ने जवानों को प्रेरित किया। साथ ही उन्होंने जवानों से अपने स्वास्थ्य का भी बराबर ख्याल रखने की बात कही।


केमिकल फैक्ट्री में आग

केमिकल फैक्ट्री में आग

जोधपुर। बासनी द्वितीय फेज बंगाली कॉलोनी के पास बुधवार शाम एक कलर केमिकल फैक्ट्री में आग लग गई। आग से फैक्ट्री में पड़ा लाखों रूपए का माल स्वाह हो गया। निगम की 12 और रीको की दो दमकलों ने डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। फैक्ट्री में आग की ऊंची-ऊंची लपटे देख वहां बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो गए थे।

मुख्य अग्निशमन अधिकारी सुरेश थानवी ने बताया कि यह फैक्ट्री रातानाडा सुनारों की बगेची निवासी अजय चांडक की है। फैक्ट्री में पैकिंग मेटेरियल, चाइना ट्रे, रेगजीन, ड्रम केमिकल और अकाउंट्स से जुड़ा सामान जलकर खाक हो गया। यह आग ग्राउंड व प्रथम मंजिल वाले हिस्से में लगी थी। इसमें करीब 50 से 60 लाख रूपए का माल जलने की पुष्टि हुई है।

थानवी ने बताया कि इस आग पर काबू पाने के लिए नगर निगम अग्निशमन विभाग की 4 शास्त्रीनगर, 4 बासनी, 2 नागौरी गेट, 2 मंडोर और 2 दमकलें रीको से मंगाई गई। विभाग से प्रशांतसिंह चौहान, हेमराज, जितेन्द्रसिंह मनीष पुरोहित, रामचंद्र मोहनलाल और देवेन्द्र सहित कई दमकलकर्मियों ने मौके पर पहुंच आग को नियंत्रण में लिया।

मां-बेटे आग में जिंदा जले

मां-बेटे आग में जिंदा जले

जोधपुर-भोपालगढ़। जिले की भोपालगढ़ तहसील में पालड़ी राणावता ग्राम पंचायत में बुधवार दोपहर रायड़ी के कचरे में आग लगने से मां-बेटे जिंदा जल गए। भोपालगढ़ थाना पुलिस से मिली जानकारी अनुसार हस्तुदेवी (27) पत्नी हुकमाराम व सुनील (9) पुत्र हुकमाराम निवासी बाघोरिया, हाल पालड़ी राणावता अपने कृषि कुएं पर कुछ कार्य कर रहे थे।

इस दौरान रायड़ी के कचरे में अचानक आग लग गई। इसकी चपेट में आकर दोनों मां-बेटे झुलस गए। इलाज के लिए परिजन उन्हें भोपालगढ़ अस्पताल ले आए, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने दोनों का पोस्टमार्टम कर शव परिजनों के सुपुर्द कर दिए। मृतक महिला के देवर ने थाने में मामला दर्ज कराया।

बंदूक की जगह पिस्टल पहली पसंद

बंदूक की जगह पिस्टल पहली पसंद

बाड़मेर। रेगिस्तान मे तेल उत्खनन से आई आर्थिक उन्नति के बाद शौक भी परवान चढ़ने लगे हंै। लग्जरी गाडियो के साथ अब हथियार लाइसेस लेने वालों में "पिस्टल" रखने की चाह बढ़ी है। पहले हथियार के नाम पर अधिकांश लोगों के पास बारह बोर बंदूक ही थी और कुछ के पास रिवाल्वर। बीते आठ साल में बीस से ज्यादा लोगों ने रिवाल्वर और पिस्टल खरीदे हंै।

बंदूकें हजारों में
जिले में बंदूक के लाइसेंस हजारो में है। 1965 व 1971 के युद्ध के दौरान बड़ी संख्या में लाइसेस जारी हुए। इसके बाद भी लगातार बंदूक के लिए लाइसेंस जारी होते रहे हैं।

कीमत डेढ़ से दस लाख तक
रिवाल्वर की कीमत डेढ़ लाख के करीब है लेकिन नए पिस्टल खरीदने वालों ने साढ़े पांच से दस लाख तक के अत्याधुनिक विदेशी पिस्टल खरीदे हैं।

उद्योगपति और नेता भी
रिवाल्वर और पिस्टल खरीदने वालों में उद्योगपति और राजनेता हैं, जिन्होंने नए लाइसेंस लिए हैं और सुरक्षा के तौर पर अत्याधुनिक पिस्टल खरीदे है।

लाइसेंस के बाद कोई भी हथियार
शस्त्र लाइसेंस जारी होने के एक साल के भीतर हथियार खरीदना जरूरी होता है। इस हथियार को लाइसेंस जारीकर्ता यानि जिला कलक्टर के यहां रजिस्टर्ड करवाना पड़ता है। जिसमें हथियार का प्रकार और उनकी अन्य जानकारी दर्ज होती है।

समृद्धि व प्रतिष्ठा वजह
समय बदला है, साथ ही आर्थिक समृद्धि आई है। इस कारण सुरक्षा व सामाजिक प्रतिष्ठा के लिहाज से महंगे हथियार खरीदे जा रहे हैं। पिस्टल की सार-संभाल आसान है।
एडवोकेट किरण मंगल

एक योजना में गरीब, दूसरी में अमीर!

एक योजना में गरीब, दूसरी में अमीर!
बाड़मेर। गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए डिस्कॉम में दोहरे मापदण्ड चल रहे हैं। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में विद्युतीकृत होने वाले बी पी एल परिवारों को नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन दिए जा रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री विद्युतीकरण योजना सबके लिए में बी पी एल परिवारों से डिमाण्ड राशि वसूली जा रही है। योजनाओं के मकड़जाल में उलझे बी पी एल परिवारों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि एक योजना में वह गरीब है तो दूसरी योजना में अमीर कैसे हो गए?

बाड़मेर जिले में करीब एक लाख अठाइस हजार बीपीएल परिवार हैं। इनमें से करीब साठ हजार परिवार राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत विद्युतीकृत हो चुके हैं। इन्हे नि:शुल्क घरेलू विद्युत कनेक्शन दिए गए हैं। इसके अलावा पच्चीस हजार बी पी एल परिवार अन्य योजनाओं में विद्युतीकृत हो चुके हैं। चालीस हजार से अधिक बीपीएल परिवारों का जीवन अभी भी अंधेरे में ही गुजर रहा है। अंधेरे से निकलकर रोशनी में आने का सपना देखने वाले इन बीपीएल परिवारों को बस इतनी-सी जानकारी है कि सरकार उन्हें नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन देती है। विद्युत कनेक्शन के लिए उन्होंने जो आवेदन जमा किए हैं, वह किस योजना में किए हंै, इसकी उन्हें समझ नहीं है।

राजीव गांधी में बजट नहीं
केन्द्र सरकार की राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में फिलहाल बजट ही नहीं है। केन्द्र सरकार से जब बजट आएगा, तब ही यह योजना आगे बढ़ेगी। स्थिति एकदम साफ है कि जब तक केन्द्र से बजट नहीं आता, तब तक बीपीएल परिवारों को नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन दिया जाना संभव नहीं है।

बीपीएल को डिमाण्ड नोटिस
नए वित्तीय वर्ष में मुख्यमंत्री विद्युतीकरण योजना सबके लिए में प्राप्त आवेदनों में डिस्कॉम की ओर से डिमाण्ड नोटिस भिजवाए जा रहे हैं। बीपीएल परिवारों को भी 3700 रूपए का डिमाण्ड नोटिस मिल रहा है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि बीपीएल को नि:शुल्क कनेक्शन दिए जाने का प्रावधान है तो फिर डिमाण्ड नोटिस क्यों दिया जा रहा है? इन हालात में बीपीएल परिवार अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। वे यह नहीं जानते कि सरकार की एक योजना में गरीब तो दूसरी में अमीर हैं।

दोनों अलग-अलग
राजीव गांधी विद्युतीकरण व मुख्यमंत्री विद्युतीकरण दोनों योजनाएं अलग-अलग हैं। मुख्यमंत्री विद्युतीकरण योजना सबके लिए में नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन का प्रावधान नहीं है। इसलिए डिमाण्ड नोटिस भिजवाए हैं।
प्रेमजीत धोबी अधीक्षण अभियंता, डिस्कॉम

परिजनों की मांग,शहीद घोषित करो

परिजनों की मांग,शहीद घोषित करो

नई दिल्ली। सरबजीत सिंह की मौत की खबर मिलने के बाद परिजनों को रो-रो कर बुरा हाल है। परिजनों ने सरबजीत का शव सौंपे जाने की मांग की है। साथ ही सरबजीत को शहीद घोषित करने और राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किए जाने की भी मांग की है।

अनुसूचित आयोग के वाइस चेयरमैन राजकुमार वरका ने बताया कि परिजनों ने गृह मंत्री के समक्ष ये मांगे रखी है। उन्होंने बताया कि परिजों ने यह भी मांग की है कि केन्द्र सरकार पूरे परिवार की जिम्मेदारी लें। परिजनों की मांग पर गुरूवार को सरकार ने बैठक बुलाई है।

गौरतलब है कि सरबजीत की पत्नी सुखप्रीत कौर,बहन दलबीर कौर,बेटी स्वप्नदीप और पूनम 15 दिन के आपतकालीन वीजा पर लाहौर गए थे। चारों बुधवार को ही भारत लौट आए थे। वरका ने बताया कि उन्होंने सरबजीत के परिजनों की मांगें गृह मंत्रालय को भेज दी है। वह खुद गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के साथ साथ अन्य कई नेताओं के संपर्क में हैं। सरबजीत का परिवार वरका के नई दिल्ली स्थित आवास पर रूका हुआ है।

पाक की जिद ने ली सरबजीत की जान

पाक की जिद ने ली सरबजीत की जान
लाहौर/नई दिल्ली। भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए। करीब एक हफ्ते से लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती सरबजीत ने देर रात अस्पताल में दम तोड़ दिया।

मेडिकल बोर्ड के महमूद शौकत ने बताया कि उन्हें देर रात करीब एक बजे जिन्ना अस्पताल में डयूटी पर तैनात डॉक्टर ने बताया कि सरबजीत सिंह नहीं रहे। इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने बताया कि जिन्ना अस्पताल के अधिकारियों ने उन्हें सरबजीत की मौत के बारे में जानकारी दी। बताया जा रहा है कि सरबजीत सिंह की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई है।

26 अप्रेल को लाहौर की कोट लखपत जेल में सरबजीत पर कातिलाना हमला हुआ था। हमले में वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनके सिर में गंभीर चोट लगी थी। इस कारण वह नॉन रिवर्सिबल कोमा में चले गए थे।

सरबजीत की तबीयत में जब सुधार नहीं हो रहा था तो परिजन और भारत सरकार लगातार पाकिस्तान से अपील करते रहे कि उसे इलाज के लिए भारत या किसी अन्य देश भेज दिया जाए लेकिन उसने एक नहीं सुनी। पाकिस्तान इस बात पर अड़ा रहा कि इलाज वहीं होगा। पाकिस्तान की इसी जिद ने उनकी जान ले ली।

हमला करने वाले जेल के ही कैदी थी। आरोपी रिजवान और आमिर के खिलाफ हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया गया था। सरबजीत सिंह को 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का दोषी करार दिया गया था। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी।

28 अगस्त 1990 को सरबजीत गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे। पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के आठ दिन बाद पुलिस ने उन पर लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का आरोप लगाया। 1990 से ही वह लाहौर की कोट लखपत जेल में कैद थे। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। कई बार उनकी फांसी टल गई। उनकी ओर से पांच दया याचिकाएं दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरबजीत की फांसी की सजा को बरकरार रखा।

मार्च 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी फांसी की सजा पर पुर्नविचार के लिए दाखिल याचिका खारिज कर दी थी। मामले पर सुनवाई के दौरान उनके वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए इसलिए याचिका खारिज कर दी गई। 3 मार्च 2008 को तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उनकी दया याचिका खारिज कर दी। 26 जून 2012 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने सरबजीत को रिहा करने का फैसला किया लेकिन कुछ घंटे बाद ही अपना फैसला बदल लिया क्योंकि जमात ए इस्लामी और जमात उद दावा ने कड़ा एतराज जताया था। पाकिस्तान की सरकार ने सफाई दी कि सरबजीत नहीं बल्कि सुरजीत सिंह को रिहा किया जा रहा है।

बुधवार, 1 मई 2013

सम्मान के नाम पर पिता ने की बेटी की हत्या

सम्मान के नाम पर पिता ने की बेटी की हत्या

काबुल। अफगानिस्तान के बगढीश प्रांत में प्रेमी के साथ भागी विवाहिता की पंचो के फरमान पर उसके पिता ने तीन सौ से अधिक तमाशबीनों की भीड1 के बीच गोली मारकर हत्या कर दी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को अबकमरी जिले मेंउत्तर पश्चिम में सुदुर अभावग्रस्त कूकचचील गांव में दो बच्चों की मां हलीमा (18) पति के ईरान जाने के बाद अपने चचेरे भाई के साथ भाग गई, लेकिन उसका प्रेमी दस दिन बाद उसे उसके घर कूकचचील गांव में छोड़ गया।

लड़की के पिता ने घर लौटी बेटी के मामले में पंचायत के वरिष्ठ सदस्यों से सलाह ली। मामला गांव के बूढे-बुजुर्गो तक पहुंचा तो लड़की के व्यवहार से गुस्सा गए और तीन बुजुर्ग नेताओं ने लड़की के खिलाफ फतवा जारी करके उसे सार्वजनिक स्थल पर गोली मारने का फरमान सुना दिया। पंचों का कहना है कि युवती ने पति की गैरमौजूदगी में घर से भागकर अपने परिवार की प्रतिष्ठा को कलंकित किया है।

पंचों ने हालीमा के इस अपराध को जघन्य बताया और कहा कि यह युवती के माता पिता तथा ससुराल पक्ष दोनों के लिए अपमानित करने वाली घटना है। इसलिए उसे कड़ी सजा दी जानी चाहिए। सम्मान के लिए अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ अत्याचार की इस तरह की घटनाएं लगातार होती रहती हैं। हाल के वर्षो में देश में हुई इस तरह की कई घटनाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मीडिया की सुर्खियां बनी थीं।

गत वर्ष नवंबर में कुंडुज जिले के इमाम साहिब में एक किशोरी का चाकू से गला रेत दिया गया था। पंद्रह वर्षीय लड़की की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने परिवार के सदस्यों के खिलाफ अपनी मर्जी से विवाह करने का निर्णय लिया था। इसी तरह के एक अन्य मामले में तालिबान आतंककारियों ने पिछले वर्ष जुलाई में एक 22 वर्षीय युवती का सिर कलम कर दिया था। तालिबान आतंककारियों के साथ त्रिकोणीय प्रेम संबंध के कारण उसकी हत्या की गई। इस हत्या का विडियो बनाया गया थाजिसके फुटेज दिखाए गए थे।

कांग्रेस में शामिल होंगी जयाप्रदा?

हैदराबाद. गुजरे जमाने की अदाकारा और यूपी के रामपुर से सांसद जयाप्रदा के कांग्रेस में आने की चर्चा गर्म है। ऐसी खबर है कि जयाप्रदा जल्द ही कांग्रेस में शामिल होकर अपने गृह राज्य आंध्र प्रदेश वापस लौट सकती हैं।
कांग्रेस में शामिल होंगी जयाप्रदा?
जयाप्रदा ने पिछले हफ्ते कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात भी की है। अभिनेत्री ने हाल ही में कहा था कि वह आंध्र प्रदेश की राजनीति में लौटने वाली हैं। उन्होंने इसका भी खुलासा करने को कहा था कि वह किस पार्टी में जाएंगी।जयाप्रदा ने अपने गृह नगर राजमुंदरी से लोकसभा का चुनाव लड़ने की मंशा भी व्यक्त की है। जया की ऐसी इच्छा के बाद राजमुंदरी से सांसद वुंदावाली अरुण कुमार ने कहा कि वह जयाप्रदा के लिए अपनी सीट छोड़ने को तैयार हैं। अरुण कुमार ने कहा, ' इससे उन्हें खुशी ही होगी।'

उल्लेखनीय है कि फिल्मों के बाद जयाप्रदा ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 90 के मध्य दशक में तेलगूदेशम पार्टी से की थी। आंध्र प्रदेश से तेलगूदेशम की तरफ से वह 1996 में राज्यसभा सदस्य भी रहीं। बाद में उन्होंने तेलगूदेशम को छोड़ 2004 के आम चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी का दामन थामा। रामपुर से दो बार सांसद बनीं जयाप्रदा को अमर सिंह के साथ समाजवादी पार्टी से बाहर भी निकाल दिया गया है। हाल ही में उन्होंने आंध्र प्रदेश का दौरा किया है और घोषणा की है कि वह जल्द ही राज्य की राजनीति में वापस आने वाली हैं।

एक समय यह भी अफवाह थी कि जयाप्रदा वाईएसआर कांग्रेस में जा सकती हैं लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनकी हालिया मुलाकात ने उनके कांग्रेस में जाने के ही संकेत दिए हैं।

सरबजीत को छोड़ें या तीसरे देश भेजें

सरबजीत को छोड़ें या तीसरे देश भेजें
 

नई दिल्ली। भारत ने पाकिस्तान को प्रस्ताव किया है कि सरबजीत को सही इलाज के लिए भारत या किसी तीसरे देश भेजा जाए। भारत ने पाक से कहा है कि सरबजीत के जीवन की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए।


विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है,हम सरबजीत की बिगड़ती हालत पर चिंतित हैं। जिन्ना अस्पताल में सरबजीत का इलाज कर रहे डाक्टरों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में सरबजीत की बिगड़ती हालत के बारे में बताया गया है।


बयान में कहा गया है,हमारे उच्चायुक्त ने पाकिस्तान के विदेश सचिव से मुलाकात कर पाक सरकार से सरबजीत सिंह को मानवीय आधार पर तुरंत रिहा किए जाने की मांग की है ताकि उसे भारत में बेहतर इलाज मुहैया कराया जा सके। साथ ही हमने यह प्रस्ताव भी किया है कि सरबजीत को इलाज के लिए किसी तीसरे देश भेजा जाए।

उल्लेखनीय है कि 26 अप्रेल को लहौर की कोट लखपत जेल में सरबजीत पर चार-पांच कैदियों ने जानलेवा हमला कर दिया था। वह तभी से कोमा में है तथा उसे वेंटीलेटर पर रखा गया है। पाकिस्तान के डाक्टरों का मानना है कि सरबजीत की हालत अत्यंत नाजुक है। लेकिन उसे किसी ओर देश या अस्पताल भेजे जाने से इनकार किया है।

बुलेट के शौकिनों के लिए खुशखबरी...

नई दिल्ली: एनफील्ड के शौकिनों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। रॉयल एनफील्ड बनाने वाली कंपनी ने आज मीडिया के समक्ष कहा है कि कंपनी ने आज कहा है कि इस वित्त वर्ष की अंत तक वे मार्केट में 525-सीसी इंजन क्षमता वाली बुलेट एनफील्ड उतारेगी। कांटिनेंटल-जीटी नाम के इस वैरिएंट की इंजन क्षमता 525-सीसी होगी। आयशर मोटर्स लिमिटेड के एमडी व सीईओ सिद्धार्थ लाल ने कहा इस बारे में बताया कि इस वित्त वर्ष के अंत तक इसे मार्केट में उतारा जाएगा।
चेन्नई के नजदीक ओडागराम में दूसरे संयंत्र से पहली मोटरसाइकिल के रोल-आउट के मौके पर एक सवाल के जवाब में लाल ने मीडिया को बताया कि हम ओडागराम स्थित दूसरे संयंत्र से ही 525-सीसी क्षमता वाली इस कांटिनेंटल जीटी बाइक की प्रोडक्शन के बारे में सोच रहे हैं।


वर्तमान में कंपनी देशभर में 11 स्टोर्स और 250 डीलर्स के जरिए बाइक की बिक्री कर रही है। कंपनी संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए), जापान व ब्रिटेन समेत 40 देशों में अपनी बाइक का निर्यात भी करती है।

लाल ने इस दौरान बताया कि आयशर मोटर्स की शाखा रॉयल एनफील्ड फिलहाल बुलेट, क्लासिक और थंडरबर्ड मॉडल की बाइक की बिक्री कर रही है। इनकी क्षमता 350-500 सीसी है।

बाड़मेर प्रशासनिक समाचार आज की खबरें



बाडमेर जिले को चीनी का आवंटन प्राप्त

बाडमेर, 1 मर्इ। राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड द्वारा जिले को माह अप्रेल व मर्इ, 2013 हेतु प्रतिमाह 342.6 मै0 टन चीनी का आवंटन किया गया है। उक्त आवंटित चीनी को संबंधित मिल से उठाने हेतु जिले के थोक विक्रेताओं को उप आवंटन किया गया है।

जिला रसद अधिकारी उम्मेदसिंह पूनिया ने बताया कि थोक विक्रेता आवंटित चीनी मिल से उठाव कर उचित मूल्य दुकानदारों को उनके यहां पंजीकृत बीपीएल व अन्त्योदय यूनिट के आधार पर 450 ग्राम प्रति यूनिट से चीनी की आपूर्ति की जाएगी। खुदरा विक्रेता बीपीएल व अन्त्योदय परिवारों को 450 ग्राम चीनी प्रति यूनिट के हिसाब से 10.00 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से वितरण लेवी चीनी राशन टिकिट पर व नियमानुसार राशनकार्ड में इन्द्राज करते हुए करेंगे।

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सीमान्त क्षेत्र विकास कार्यक्रम
जिला स्तरीय समिति की बैठक 4 को

बाडमेर, 1 मर्इ। सीमान्त क्षेत्र विकास कार्यक्रम की जिला स्तरीय समिति की बैठक जिला कलेक्टर भानु प्रकाष एटूरू की अध्यक्षता में 4 मर्इ को प्रात: 11.00 बजे कलेक्ट्रेट कांफ्रेन्स हाल में आयोजित की जाएगी।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी एल.आर. गुगरवाल ने बताया कि उक्त बैठक में सीमान्त क्षेत्र विकास कार्यक्रम की वर्ष 2013-14 की वार्षिक कार्य योजना तैयार करने के संबंध में प्रस्तावों पर विचार विमर्श एवं अनुमोदन तथा बीएडीपी के कार्यो की प्रगति की समीक्षा की जाएगी।

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कानून व्यवस्था के लिए
क्षेत्रवार मजिस्टे्रट नियुक्त

बाडमेर, 1 मर्इ। जिला मजिस्टे्रट भानु प्रकाष एटूरू ने एक आदेश जारी कर 6 मर्इ को सैन जयन्ती, 12 को परशुराम जयन्ती, 13 को अक्षय तृतीया, 25 मर्इ को बुद्ध पूर्णिमा एवं 24 जून को शब ए बारात के धार्मिक पर्वो के आयोजन के मध्यनजर कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए दण्ड प्रकि्रया संहिता की धारा 22 के तहत क्षेत्रवार मजिस्टे्रट नियुक्त किये है।

जिला मजिस्टे्रट द्वारा जारी आदेशानुसार उपखण्ड मजिस्टे्रट बाडमेर को बाडमेर शहर, उपखण्ड मजिस्टे्रेट बालोतरा को बालोतरा शहर, उपखण्ड मजिस्टे्रट शिव को तहसील क्षेत्र शिव, उपखण्ड मजिस्ट्रेट सिवाना को तहसील क्षेत्र सिवाना, उपखण्ड मजिस्टे्रट रामसर को तहसील क्षेत्र रामसर, उपखण्ड मजिस्ट्रेट चौहटन को तहसील क्षेत्र चौहटन, उपखण्ड मजिस्ट्रेट बायतु को तहसील क्षेत्र बायतु एवं उपखण्ड मजिस्टे्रट गुडामालानी को तहसील क्षेत्र गुडामालानी के लिए मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया है। इसी प्रकार तहसील क्षेत्र बाडमेर (ग्रामीण) पचपदरा (ग्रामीण), सिणधरी एवं सेडवा के लिए संबंधित तहसीलदार एवं कार्यपालक मजिस्टे्रटों को मजिस्टे्रट नियुक्त किया गया है। उक्त मजिस्टे्रटस को निर्देश दिये गये है कि वे त्यौहारों के दौरान कानून व्यवस्था बनाये रखने की पालना सुनिशिचत करेंगे। संबंधित उपखण्ड मजिस्टे्रट अपने उपखण्ड की शांति व्यवस्था एवं निगरानी की व्यवस्था सुनिशिचत करेंगे।

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दलबीर कौर ने मांगा पीएम का इस्तीफा

दलबीर कौर ने मांगा पीएम का इस्तीफा

अमृतसर/ लाहौर। पाकिस्तान से भारत लौटीं भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का इस्तीफा मांगा है। दलबीर ने कहा कि वे तब तक कुछ नहीं खाएंगी जब तक सरबजीत घर नहीं आ जाता। दलबीर ने कहा,सरबजीत को वापिस नहीं ला पाने के लिए मैं उसके बच्चों से माफी मांगती हूं।


सरबजीत सिंह का परिवार बुधवार को वाघा बॉर्डर से भारत लौटा। पाकिस्तान में डाक्टरों के कथित रूप से सरबजीत के ब्रेन डैड होने का संकेत देने के बाद भारत लौटा। इमरजेंसी वीजा दिए जाने पर सरबजीत की बहन दलबीर कौर,उसकी पत्नी व दो बेटियां रविवार को पाकिस्तान गई थीं।


भारत लौटने पर सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने कहा कि उनका परिवार यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने की कोशिश करेगा। दलबीर ने कहा कि वे भारत सरकार के रवैये से निराश हैं। दलबीर ने कहा कि सरकार ने सरबजीत की मदद के लिए ठोस कदम नहीं उठाए। मैंने सरकार को लगातार बताया कि सरबजीत की जान को खतरा है। पीएम को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।


उधर,सरबजीत की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है। लाहौर के जिन्ना अस्पताल के डाक्टरों ने मंगलवार को कहा कि सरबजीत सिंह ब्रेन डैड है। हालांकि पाकिस्तानी अधिकारियों ने मेडिकल अपडेट देने से इनकार कर दिया। ब्रेन डैड वह स्थिती है जिसमें दिमाग अपरिवर्तनीय ढंग से क्षतिग्रस्त हो जाता है लेकिन अन्य महत्वपूर्ण अंग कृत्रिम सहारे से काम करते रहते हैं।


सरबजीत पर गत शुक्रवर को लाहौर की कोट लखपत जेल में कैदियों ने जानलेवा हमला किया था। वह तभी से कोमा में है। उसके शरीर पर घातक चोटों के बावजूद डाक्टरों का कहना है कि उसका शरीर सर्जरी की स्थिति में नहीं है। एक वरिष्ठ डाक्टर ने एक अखबार को बताया - अब सरबजीत को कोई चमत्कार ही बचा सकता है।


सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कोर ने मंगलवार को कहा था कि अगर पाकिस्तान के डाक्टर उनके भाई को ब्रेन डैड घोषित कर देते हैं तो भी वे उसका वेटिलेटर हटाने नहीं देंगी। दलबीर ने कहा कि उन्होंने भारत सरकार से अपील की है कि वह डाक्टरों का एक दल सरबजीत सिंह की हालत की जांच करने के लिए पाकिस्तान भेजे। दलबीर ने कहा कि वे जिन्ना हॉस्पिटल में उसे दिए जा रहे इलाज से संतुष्ट नहीं हैं।


सरबजीत की पत्नी व बेटियां को मंगलवार को कोई मेडिकल अपडेट नहीं दिया गया। हालांकि कुछ डाक्टरों ने कहा कि वह ब्रेन डैड है। एक डाक्टर ने कहा,वह बेन डैड है। उसे डीप कोमा की स्थिति में अस्पताल लाया गया। तभी से उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। ऎसे मामलो में मरीज तभी तक जीवित रहता है जब तक कि वह वेंटिलेटर पर रहता है। दलबीन ने कहा,मैंने एक डाक्टर से बात की थी। उन्होंने कहा,प्रार्थना कीजिए। उसे ठीक होने में 10 दिन से तीन महीने लग सकते हैं।


दलबीर ने कहा कि उहें सरबजीत के पास जाने नहीं दिया जाता। अभी तक सरबजीत को एक चादर से आधा ही ढ़क रखा था लेकिन मंगलवार को जब मैंने आईसीयू में झांका तो देखा कि उसे पूरा ढ़क रखा था। दलबीर ने कहा,मैं सरबजीत के बाएं हाथ के अंगूठे पर स्याही का निशान देखकर हैरान रह गई थीं। मुझे लगता है कि पाकिस्तान सरकार ने किसी दस्तावेज पर उसका अंगूठा लिया होगा। उल्लेखनीय है कि सरबजीत पर लाहौर की कोट लखपत जेल में जानलेवा हुआ था। उस पर 26 अप्रेल को कैदियों ने हमला किया था। तभी से उसकी हालत बेहद नाजुक बनी हुई है।

जयपुर में बिल्डिंग गिरी,2 की मौत

जयपुर में बिल्डिंग गिरी,2 की मौत

जयपुर। राजधानी के आदर्श नगर इलाके में बुधवार दोपहर एक निर्माणाधीन इमारत गिरने से दो लोगों की मौत हो गई। आदर्श नगर थाना इलाके के अशोक चौक के पास हुए इस हादसे में कई अन्य लोगों के जख्मी होने की खबर है।


पुलिस के अनुसार यह हादसा इमारत में चल रहे निर्माण कार्य में लापरवाही के चलते हुआ है। हालांकि देर शाम तक इमारत के मालिक और ठेकेदार के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।


आदर्श नगर एसीपी नरेश कुमार ने बताया कि जिस इमारत में हादसा हुआ वहां बेसमेंट की खुदाई की जा रही थी। खुदाई के दौरान इमारत की पुरानी नींव के ढहने से दुर्घटना घटी और वहां मौजूद दो लोगों की मलबे में दबने से मौत हो गई। फिलहाल,इस घटना में किसी अन्य के गंभीर चोट लगने की सूचना नहीं है।

सड़क दुर्घटनाओ में दो की मौत

सड़क दुर्घटनाओ में दो की मौत 

बाड़मेर सरहदी बाड़मेर जिले के दो अलग स्थानों पर हुए सड़क हादसों में दो जनों की मौत हो गई .पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट के अनुसार रमेष व्यास पुत्र जयनारायण व्यास नि. जोधपुर ने मुलजिम अज्ञात के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि अज्ञात मुलजिम द्वारा वाहन को तेजगति व लापरवाही से चलाकर मुस्तगीस की गाड़ी के टकर मारने से चालक की मृत्यु होना वगेरा पर मुलजिम के विरूद्व पुलिस थाना नागाणा पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।इसी तरह देवीसिंह पुत्र उतमसिंह राजपुरोहित नि. कालूड़ी ने मुलजिम ट्रेलर नम्बर आरजे 07 जीसी 0871 का चालक के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिम द्वारा वाहन को तेजगति व लापरवाही से चलाकर शंकरसिंह के टकर मारना जिससे मोके पर ही मृत्यु होना वगेरा पर मुलजिम के विरूद्व पुलिस थाना बालोतरा पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।

गौड़ ने लोकपाल का पदभार संभाला



गौड़ ने लोकपाल का पदभार संभाला

-जन अभाव अभियोग निराकरण के लिए गौड़ बाड़मेर के लोकपाल नियुक्त


बाड़मेर, 01 मर्इ। महात्मा गांधी नरेगा योजना के कि्रयान्वयन से संबंधित जन अभाव अभियोग निराकरण के लिए नियुक्त बाड़मेर जिले के लोकपाल मांगीलाल गौड़ ने पदभार संभाला। गौड़ के साथ प्रदेश के 11 जिलाें में कुछ समय पूर्व लोकपाल नियुक्त किए गए थे। गौड़ बाड़मेर जिले के पहले लोकपाल है।

गौड़ ने लोकपाल का पदभार संभालने के बाद बताया कि उनकी प्राथमिकता आमजन की शिकायताें का त्वरित निस्तारण करना रहेगा। अनियमितता एवं भ्रष्टाचार पर अंकुश के साथ उनका प्रयास रहेगा कि नरेगा कार्यों की गुणवत्ता अच्छी हो। महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत श्रमिकाें को रोजगार के साथ समय पर मजदूरी का भुगतान मिल सके। लोकपाल नियोजन के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय के आदेश एवं राज्य स्तरीय चयन समिति की अनुशंषा पर गौड़ की आगामी दो साल के लिए लोकपाल के रूप में नियुकित की गर्इ है। इस अवधि को आगे बढ़ाया भी जा सकता है। महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत कि्रयान्वयन से संबंधित जन अभाव अभियोग लोकपाल को प्रस्तुत किए जा सकते है।

तांत्रिक के झांसे में ज्वैलर ने गंवाई जान

तांत्रिक के झांसे में ज्वैलर ने गंवाई जान

जयपुर। महाराष्ट के तांत्रिक के झांसे में आए जयपुर के एक ज्वैलर को बुधवार दोपहर जान से हाथा धोना पड़ा। ज्वैलर घर पर खजाने की तलाश में खुदाई कर रहा था,तभी दीवार ढह गई और मलबे में दबने से उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया। घटना के बाद पुलिस ने तांत्रिक को गिरफ्तार कर लिया है।


पुलिस के अनुसार घटना झोटवाड़ा स्थित श्रीराम नगर-बी कॉलोनी की है। यहां प्लॉट नम्बर 137ए में महाराष्ट मूल का ज्वैलर भारत गोपीनाथ परिवार के साथ रह रहा था। गोपीनाथ की झोटवाड़ा और मुरलीपुरा में दो ज्वैलरी शॉप भी हैं। हाल ही,ज्वैलर महाराष्ट के तांत्रिक त्रियम्बानंद उर्फ तुकारामके सम्पर्क में आया। तांत्रिक ने ज्वैलर को घर में खजाना दबे होने की बात कही और इसके लिएपूजा-पाठ के साथ खुदाई शुरू करवा दी। खुदाई के दौरान ही यह हादसा हुआ और ज्वैलर की मौत हो गई।



सब इंस्पेक्टर दिलीप सिंह ने   बताया कि 35 वर्षीय ज्वैलर गोपीनाथ लम्बे समय से जयपुर में ही ज्वैलरी कारोबार कर रहा था। गोपीनाथा हाल ही तांत्रिक से सम्पर्क आया था और उसके बहकावे में आकर जमीन में गडे धन को हासिल करने की फिराक में था। इसी लालच में उसने बुधवार को जमीन खोदनी शुरू की और इसी दौरान दीवार ढह गई। मलबे के नीचे दबे गोपीनाथ को जब तक निकाला जाता वह बेहोश हो चुका था। परिवारजन उसे तुरंत सवाई मानसिंह अस्पताल लेकर पहुंचे,जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया गया।


फिलहाल,पुलिस मामले की जांच में जुटी है। मृतक के शव को शाम तक अस्पताल से घर ले जाया गया। इस बीच मृतक के परिवार की ओर से देर शाम तक थाने में कोई मामला दर्ज नहीं करवाया गया।

महिला कांस्टेबल ने लगाया रेप का आरोप

महिला कांस्टेबल ने लगाया रेप का आरोप

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की एक महिला कांस्टेबल ने बुधवार को अपने वरिष्ठ पर शादी का वादा करके रेप करने का आरोप लगाया है। इस कांस्टेबल ने मंगलवार को जहर खाकर खुदकुशी की कोशिश की थी, जिसे अचेतावस्था में अस्पताल में दाखिल कराया गया था। महिला कांस्टेबल ने पूर्वी दिल्ली के खजूरी खास पुलिस थाने में सब-इंस्पेक्टर विशेष खोखर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। खोखर फिलहाल फरार है।

महिला कांस्टेबल की खोखर के साथ दोस्ती वर्ष 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान हुई थी। तभी से दोनों किराए के मकान में लिव-इन में साथ रह रहे थे। पिछले कुछ महीने से खोखर महिला कांस्टेबल की उपेक्षा कर रहा था। उसने महिला से यह भी कहा कि वह उससे शादी नहीं करेगा।

पुलिस के अनुसार, महिला कांस्टेबल ने मंगलवार को जहर खाकर खुदकुशी करने की कोशिश की। वह अपने घर के पास के बस स्टॉप के नजदीक अचेतावस्था में मिली, जहां से उसे अस्पताल ले जाया गया। उसने अस्पताल में अपना बयान दर्ज कराया। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि खोखर की तलाश के लिए एक टीम का गठन किया गया है।

थानेदार ने किया दुष्कर्म,माता-पिता गिरफ्तार

थानेदार ने किया दुष्कर्म,माता-पिता गिरफ्तार

जयपुर। राजस्थान पुलिस के एक शादीशुदा सब इंस्पेक्टर के झूठी शादी रचाने और 4 महीने तक एक युवती का देहशोषण करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोपी भीलवाड़ा में तैनात है और उसके 13 साल की एक बेटी भी है।


मामले का खुलासा तब हुआ जब 22 साल की पीडिता ने राजधानी के रामगंज थाने में थानेदार और उसके माता-पिता के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस ने मेडिकल मुआयना कराते हुए घटनाक्रम की पुष्टि कर आरोपी के माता-पिता को बुधवार चाकसू थाना इलाके से गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि,आरोपी थानेदार अशोक नावंरिया(40) मौके से फरार हो गया और पुलिस उसे पकड़ने के प्रयास कर रही है।


पीडिता के बयान के अनुसार भीलवाड़ा में त्ौनात इस सब इंस्पेक्टर ने जयपुर में रामगंज थाना इलाके में रहने वाली युवती से झूठी शादी रचाई और चाकसू में उसके साथ महीनों तक दुष्कर्म किया। करीब चार माह बाद आरोपी ने युवती को घर से निकाल दिया।


थानेदार का शादी से इनकार


पीडित युवती का आरोप है कि उसके साथ चार महीने तक सब इंस्पेक्टर ने देह शोष्ाण किया और यह कहते हुए घर से निकाल दिया कि मैंने तेरे से कोई शादी नहीं की है। अपने घर वापस लौट कर पीडिता ने आरोपी व उसके माता-पिता को नामजद करते हुए मामला दर्ज कराया। रामगंज थाना प्रभारी नरेन्द्र शर्मा ने बताया कि आरोपी थानेदार का पहली पत्नी से अक्सर झगड़ा रहता था। जिसका मामला न्यायालय में विचाराधीन है।

तलाक के बहाने झठी शादी


डीसीपी (उत्तर) महेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि मूलत: चाक सू निवासी हाल भीलवाड़ा जिले में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात अशोक नावंरिया (40) करीब चार महीने पहले मां मनभव देवी व पिता घासीराम के साथ रिश्तेदारी में रामगंज थाना क्षेत्र स्थित मंडी खटीकान आया हुआ था। यहां वह अपने माता-पिता के साथ स्थानीय निवासी 22 वष्ाीüय एक युवती के घर पहुंचा। उन्होंने पहली पत्नी से तलाक हो जाने की बात कहते हुए युवती से अशोक का रिश्ता पक्का कर लिया। इसके बाद शादी भी साधारण तरीके से कर ली गई। शादी बाद युवती को चाकसू स्थित मकान पर रखा।

एससी ने मौत की सजा उम्रकैद में बदली

एससी ने मौत की सजा उम्रकैद में बदली

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के मामले में मृत्युदंड की सजा पाए एक दोषी की सजा उम्रकैद में बदल दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय इस आधार पर लिया कि राष्ट्रपति कार्यालय ने उसकी दया याचिका रद्द करने में काफी देरी की।


सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उसके द्वारा हाल ही दी गई महत्वपूर्ण व्यवस्था के विपरीत है। शीर्ष कोर्ट ने फैसला दिया था कि एक दया याचिका पर फैसला लेने में देरी मृत्युदंड को उम्रकैद में बदलने का आधार नहीं हो सकती।


सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जो फैसला दिया वह एमएन दास के मामले का है। दास को सुप्रीम कोर्ट ने 1999 में हत्या का दोषी पाया था। उसकी दया याचिका सालों बाद 2011 में खारिज की गई। उसके वकीलों ने "देरी मौत से भी बुरी है" का तर्क रखा।


11 अप्रेल को सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजिज ने देवेंदर पाल सिंह भुल्लर के मामले में यह तर्क खारिज कर दिया था। भुल्लर को दिल्ली में 1993 में एक बम विस्फोट के मामले में दोषी पाया गया था। इस फैसले का असर मौत की सजा पाए 15 कैदियों के मामले पर पड़ सकता है।

अरबपति डिजाइनर है रूश्दी की लेडी लव

अरबपति डिजाइनर है रूश्दी की लेडी लव

लंदन। विवादित लेखक सलमान रूश्दी की जिंदगी में नया चैप्टर शुरू हो गया है। खबर है कि रूश्दी इन दिनों न्यूयॉर्क की अरबपति फैशन डिजाइनर व सोशलाइट मिसी ब्रॉडी के साथ रोमांस कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में रूश्दी को मिसी के साथ कई पॉश आयोजनों में देखा गया है।


हाल ही उन्हें पिछले सप्ताह वैनिटी फेयर के ट्रिबेका फिल्म फेटिस्वल बैश में भी मिसी के साथ देखा गया था। दोनों की करीबियों को देखते ही उनकी कैमिस्ट्री समझ आ रही थी। वैसे मिसी की शक्ल रूशदी की पूर्व पत्नी पद्मा लक्ष्मी में काफी मेल खाती है।


उम्र में मिसी रूश्दी से 20 साल छोटी हैं और पति व बिजनेसमैन ब्रेन क्रॉस को तलाक दे चुकी हैं। रूशदी के वक्ता ने खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि दोनों डेटिंग कर रहे हैं। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक सलमान और मिसी एक म्यूचुअल फ्रेंड के जरिए मिले थे और एक दूसरे को लम्बे अरसे से जानते हैं।


उन्होंने गुरूवार को आयोजित हुए न्यूयॉर्क सिटी ओपेरा स्प्रिंग गाला की तस्वीरें भी शेयर की हैं,इस गाला में वे एक साथ हाथ पकड़ कर एंटर हुए थे। गौरतलब है कि मिसी मशहूर फैंशन मर्चेट और मारक्राफ्ट एपेरल ग्रुप के अध्यक्ष शेल्डन ब्रॉडी की बेटी हैं।


पिछले वर्ष सलमान ने पांचवी शादी रचाने को कोशिश की थी, लेकिन उनकी पूर्व लेडी लव ने उनका प्रपोजल ठुकरा दिया था। "मिडनाइट चिल्ड्रन" के लेखक रूशदी को मिशेल बेरिश ने ठुकरा दिया था और सात कैरेट एम्रल्ड-कट हीरे की अंगूठी भी लौटा दी थी।

भूकंप के झटकों से हिला पूरा उत्तर भारत



नई दिल्ली।। पूरा उत्तर भारत एक बार फिर भूकंप के झटकों से हिल उठा। दिल्ली और नोएडा में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटकों से कई जगहों पर दहशत फैल गई। लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। जम्मू-कश्मीर से नुकसान की खबरें भी आ रही हैं। भूकंप का केंद्र कश्मीर के डोडा में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 5.7 मापी गई।

बुधवार की दोपहर करीब 12.30 बजे पूरा उत्तर भारत भूकंप के झटकों से हिल उठा। भूकंप के झटके काफी देर तक महसूस किए गए और लोग अपने दफ्तरों से बाहर निकल आए। भूकंप को पूरे उत्तर भारत में महसूस किया गया। पाकिस्तान के भी बड़े इलाके में झटकों को महसूस किया गया है।

भूकंप का केंद्र हिमालय के इलाके में था। केंद्र कश्मीर के डोडा जिले के भदरवाह में बताया जा रहा है। कश्मीर के कई इलाकों में मकानों के ढहने की खबरें आ रही हैं। हालांकि, अब तक किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं मिली है।


गौरतलब है कि पिछले हफ्ते अफगानिस्तान, पाकिस्तान सहित उत्तर भारत के बड़े हिस्से भूकंप के झटकों से हिल गए उठे थे। पिछले एक महीने में यह तीसरी बार है जब उत्तर भारत में भूकंप के झटके महसूस किए हैं।

इलाहाबाद में छात्रा से गैंग रेप, मुरादाबाद में युवक की हत्या



मुरादाबाद/इलाहाबाद।। उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार में कानून व्यवस्था की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। विशेषकर महिलाओं के प्रति हिंसा के मामले में। इलाहाबाद में एक कॉलेज स्टूडेंट को कुछ छात्रों ने जबरन चलती गाड़ी से उठा लिया और उसके साथ गैंग रेप किया। सदमे के कारण छात्रा बेहोश हो गई। फिलहाल छात्रा की हालत नाजुक बनी हुई है। वहीं, मुरादाबाद के छजलैट के किशनपुर गांव में मंगलवार रात बहन से छेड़छाड़ का विरोध करने पर बीएससी के छात्र की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। आरोपी फरार बताए जा रहे हैं।
gang-rape
इलाहाबाद में सरेराह एक एक छात्रा का अपरहण कर लिया गया। उससे चलती गाड़ी में गैंग रेप किया गया। सदमे के कारण लड़की बेहोश हो गई। बाद में उसे गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया है। होश आने पर उसने बताया है कि 4 लड़कों ने उसके साथ गैंग रेप किया है। यही नहीं छात्रा ने आरोप लगाए हैं कि पुलिस आरोपियों के दबाव में है। फिलहाल छात्रा की हालत नाजुक बनी हुई है। कहा जा रहा है कि सदमे के कारण छात्रा 2 बार कोमा में जा चुकी है।

जांच में जुटे एसपी क्राइम अरुण पांडेय का कहना है कि छात्रा के बयान पर रेप की धाराएं जोड़कर आरोपियों की तलाश की जा रही है। मामले में मंगलवार को पीड़ित परिवार ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर जमकर हंगामा भी किया।





वहीं मुरादाबाद में एक दूसरी घटना में छजलैट के किशनपुर गांव में मंगलवार रात बहन से छेड़छाड़ का विरोध करने पर बीएससी के छात्र की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस सनसनीखेज वारदात की रिपोर्ट पड़ोसी युवकों के विरुद्ध दर्ज कराई गई। आरोपी फरार बताए जा रहे हैं।

किशनपुर में ओमेंद्र उर्फ मल्लू (22) बीएससी के छात्र थे। मंगलवार की रात करीब 8 बजे वह घर के पीछे पशुओं को चारा डालने गए थे। वहां पहले से घात लगाए बैठे पड़ोस के विनोद और रणजीत से गोली मार दी। गोली की उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हत्या की पृष्ठभूमि में बताया जाता है कि दोनों आरोपी ओमेंद्र के घर के बाहर बैठकर उनकी बहन पर फब्तियां कसते थे। कुछ दिन पहले इसकी शिकायत पीड़ित परिवार ने छजलैट थाने में की थी। पुलिस ने दोनों से पूछताछ की, मगर कार्रवाई करने के बजाय दोनों को थाने से ही छोड़ दिया गया। छात्र के पिता जयपाल ने बताया कि इससे आरोपियों के हौसले बढ़ गए। मंगलवार रात उन्होंने मौका पाकर ओमेंद्र की हत्या कर दी।

लीबिया की जेल से भागे 170 कैदी

लीबिया की जेल से भागे 170 कैदी
त्रिपोली। लीबिया की राजधानी त्रिपोली से लगभग 800 किलोमीटर दूर सेभा में 170 कैदी कारावास तोड़कर भाग गए।

सेभा के स्थानीय परिषद के प्रवक्ता अबोबकर हम्जा ने कहा कि यह घटना उस वक्त हुई जब कैदियों के बीच शुरू हुए विवाद ने बड़े झगड़े का रूप ले लिया। इस झगड़े के दौरान कुछ को चोटें भी आई हैं।

उन्होंने कहा कि स्थानीय परिषद के सदस्यों ने इस स्थिति से निबटने के लिए दक्षिण लीबिया के सैन्य गवर्नर रामादान बरासी से मुलाकात की है। सेभा कारावास की सुरक्षा की बदतर होती स्थिति के बीच पिछले दो महीने में इस तरह की चार घटनाएं सामने आ चुकी हैं।

भारत के गुजरात प्रान्त जूनागढ एक नगर ,



जूनागढ एक नगर , भारत के गुजरात प्रान्त में एक नगर पालिका एवं जनपद मुख्यालय है। यह शहर गिरनार पहाड़ियों के निचले हिस्से पर स्थित है।मंदिरों की भूमि जूनागढ़ गिरनार हिल की गोद में बसा हुआ है। यह मुस्लिम शासक बाबी नवाब के राज्य जूनागढ़ की राजधानी था। गुजराती भाषा में जूनागढ़ का अर्थ होता है प्राचीन किला। इस पर कई वंशों ने शासन किया। यहां समय-समय पर हिंदू, बौद्ध, जैन और मुस्लिम, इन चार प्रमुख धर्मों का प्रभाव रहा है। विभिन्न राजनीतिक और धार्मिक शाक्तियों के समन्वय के कारण जूनागढ़ बहुमूल्य संस्कृति का धनी रहा है। इसका उदाहरण है जूनागढ़ की अनोखी स्थापत्य कला, जिसकी झलक जूनागढ़ में आज भी देखी जा सकती है।

जूनागढ़ दो भागों में विभक्‍त है। एक मुख्‍य शहर है जिसके चारो ओर दीवारों से किलेबन्‍दी की गई है। दूसरा पश्‍िचम में है जिसे अपरकोट कहा जाता है। अपरकोट एक प्राचीन दुर्ग है जो शहर से बहुत ऊपर स्थित है। यह किला मौर्य और गुप्त शासकों के लिए बहुत मजबूत साबित हुआ क्योंकि इस किले ने विशिष्ट स्थान पर स्थित होने और दुर्गम राह के कारण पिछले 1000 वर्षो से लगभग 16 आक्रमणों का सफलतापूर्वक सामना किया। अपरकोट का प्रवेशद्वार हिंदू तोरण स्थापत्य कला का अच्छा नमूना है। बौद्ध गुफा और बाबा प्यारा की गुफा (दूसरी शताब्दी), अड़ी-काड़ी वाव, नवघन कुआं और जामी मस्जिद यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल है।

जूनागढ़ के प्राचीन शहर का नामकरण एक पुराने दुर्ग के नाम पर हुआ है। यह गिरनार पर्वत के समीप स्थित है। यहाँ पूर्व-हड़प्पा काल के स्थलों की खुदाई हुई है। इस शहर का निर्माण नौवीं शताब्दी में हुआ था। यह चूड़ासमi राजपूतों की राजधानी थी। यह एक रियासत थी। गिरनार के रास्ते में एक गहरे रंग की बेसाल्ट चट्टान है, जिस पर तीन राजवंशों का प्रतिनिधित्व करने वाला शिलालेख अंकित है। मौर्य शासक अशोक (लगभग 260-238 ई.पू.) रुद्रदामन (150 ई.) और स्कंदगुप्त (लगभग 455-467)। यहाँ 100-700 ई. के दौरान बौद्धों द्वारा बनाई गई गुफ़ाओं के साथ एक स्तूप भी है। शहर के निकट स्थित कई मंदिर और मस्जिदें इसके लंबे और जटिल इतिहास को उद्घाटित करते हैं। यहाँ तीसरी शताब्दी ई.पू. की बौद्ध गुफ़ाएँ, पत्थर पर उत्कीर्णित सम्राट अशोक का आदेशपत्र और गिरनार पहाड़ की चोटियों पर कहीं-कहीं जैन मंदिर स्थित हैं। 15वीं शताब्दी तक राजपूतों का गढ़ रहे जूनागढ़ पर 1472 में गुजरात के महमूद बेगढ़ा ने क़ब्ज़ा कर लिया, जिन्होंने इसे मुस्तफ़ाबाद नाम दिया और यहाँ एक मस्जिद बनवाई, जो अब खंडहर हो चुकी है।
 
कृषि और खनिज

जूनागढ़ के प्रमुख कृषि उत्पादों में कपास, ज्वार-बाजरा, दलहन, तिलहन और गन्ना शामिल हैं। वेरावल तथा पोरबंदर यहाँ के प्रमुख बंदरगाह हैं और यहाँ मछली पकड़ने का काम भी होता है। इस नगर में वाणिज्यिक एवं निर्माण केंद्र हैं।
 
शिक्षा

यहाँ गुजरात कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय हैं। यहाँ के शैक्षणिक संस्थानों में कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी और द जे.सी ई. टी. एस. कामर्स कॉलेज शामिल हैं।
प्रमुख आकर्षण
अशोक के शिलालेख (आदेशपत्र)
गिरनार जाने के रास्ते पर सम्राट अशोक द्वारा लगवाए गए शिलालेखों को देखा जा सकता है। ये शिलालेख विशाल पत्‍थरों पर उत्‍कीर्ण हैं। अशोक ने कुल चौदह शिलालेख लगवाए थे। इन शिलालेखों में राजकीय आदेश खुदे हुए हैं। इसके अतिरिक्‍त इसमें नैतिक नियम भी लिखे हुए हैं। ये आदेशपत्र राजा के परोपकारी व्यवहार और कार्यो का प्रमाणपत्र है। अशोक के शिलालेखों पर ही शक राजा रुद्रदाम तथा स्‍कंदगुप्‍त के खुदवाये अभिलेखों को देखा जा सकता है। रुद्रदाम ने 150 ई. में तथा स्‍कंदगुप्‍त ने 450 ई. में ये अभिलेख खुदवाये थे। इस अभिलेख की एक विशेषता यह भी है कि रुद्रदाम के अभिलेख को ही संस्‍कृत भाषा का प्रथम शिलालेख माना जाता है।
अपरकोट किला

माना जाता है कि इस किले का निर्माण यादवों ने द्वारिका आने पर करवाया था (जो कृष्ण भगवान से संबंधित थे)। अपरकोट की दीवारें किसी-किसी स्थान पर 20 मीटर तक ऊंची है। किले पर की गई नक्‍काशी अभी भी सुरक्षित अवस्‍था में है। इस किले में बहुत सी रूचिजनक और दर्शनीय वस्तुओं में पश्चिमी दीवार पर लगी दो तोपे हैं। इन तोपों का नाम नीलम और कांडल है। इन तोपों का निर्माण मिस्र में हुआ था। इस किले के चारों ओर 200 ईस्वी पूर्व से 200 ईस्वी तक की बौद्ध गुफाएं है।
सक्करबाग प्राणीउद्यान
जूनागढ़ का यह प्राणीउद्यान गुजरात का सबसे पुराना प्राणीउद्यान है। यह प्राणीउद्यान गिर के विख्यात शेर के अलावा चीते और तेंदुआ के लिए प्रसिद्ध है। गिर के शेरों को लुप्‍तप्राय होने से बचाने के लिए जूनागढ़ के नवाब ने 1863 ईस्वी में इस प्राणीउद्यान का निर्माण करवाया था। यहां शेर के अलावा बाघ, तेंदुआ, भालू, गीदड़, जंगली गधे, सांप और चिड़िया भी देखने को मिलती है। यह प्राणीउद्यान लगभग 500 एकड़ में फैला हुआ है।
गिर वन्यजीव अभ्यारण्य

वन्य प्राणियों से समृद्ध गिर अभ्यारण्य लगभग 1424 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस वन्य अभ्यारण्य में अधिसंख्‍य मात्रा में पुष्प और जीव-जन्तुओं की प्रजातियां मिलती है। यहां स्तनधारियों की 30 प्रजातियां, सरीसृप वर्ग की 20 प्रजातियां और कीडों- मकोडों तथा पक्षियों की भी बहुत सी प्रजातियां पाई जाती है। दक्षिणी अफ्रीका के अलावा विश्‍व का यही ऐसा एकलौता स्थान है जहां शेरों को अपने प्राकृतिक आवास में रहते हुए देखा जा सकता है। जंगल के शेर के लिए अंतिम आश्रय के रूप में गिर का जंगल, भारत के महत्वपूर्ण वन्य अभ्यारण्यों में से एक है। गिर के जंगल को सन् 1969 में वन्य जीव अभ्यारण्य बनाया गया और 6 वर्षों बाद इसका 140.4 वर्ग किलोमीटर में विस्तार करके इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित कर दिया गया। यह अभ्‍यारण्‍य अब लगभग 258.71 वर्ग किलोमीटर तक विस्तृत हो चुका है। वन्य जीवों को सरक्षंण प्रदान करने के प्रयास से अब शेरों की संख्या बढकर 312 हो गई है।

सूखें पताड़ वाले वृक्षों, कांटेदार झाड़ियों के अलावा हरे-भरे पेड़ों से समृद्ध गिर का जंगल नदी के किनारे बसा हुआ है। यहां के मुख्य वृक्षों में सागवान, शीशम, बबूल, बेर, जामुन, बील आदि है।

भारत के सबसे बड़े कद का हिरण, सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा और बारहसिंगा भी यहां देखा जा सकता है साथ ही यहां भालू और बड़ी पूंछ वाले लंगूर भी भारी मात्रा में पाए जाते है। कुछ ही लोग जानते होंगे कि गिर भारत का एक अच्छा पक्षी अभ्यारण्य भी है। यहां फलगी वाला बाज, कठफोडवा, एरीओल, जंगली मैना और पैराडाइज फलाईकेचर भी देखा जा सकता है। साथ ही यह अधोलिया, वालडेरा, रतनघुना और पीपलिया आदि पक्षियों को भी देखने के लिए उपयुक्त स्थान है। इस जंगल में मगरमच्छों के लिए फॉर्म का विकास किया जा रहा है जो यहां के आकर्षण को ओर भी बढा देगा।

दर्शकों के लिए गिर वन्य अभ्यारण्य मध्य अक्टूबर महीने से लेकर मध्य जून तक खोला जाता है लेकिन मानसून के मौसम में इसे बन्द कर दिया जाता है।
बौद्ध गुफा

बौद्ध गुफा चट्टानों को काट कर बनायी गई है। इस गुफा में सुसज्जित खंभे, गुफा का अलंकृत प्रवेशद्वार, पानी के संग्रह के लिए बनाए गए जल कुंड, चैत्य हॉल, वैरागियों का प्रार्थना कक्ष, चैत्य खिडकियां स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण पेश करती हैं। शहर में स्थित खापरा-कोडिया की गुफाएं भी देखने लायक है।
अड़ी-काड़ी वेव और नवघन कुआं
अड़ी-काड़ी वेव और नवघन कुआं का निर्माण चूडासमा राजपूतों ने कराया था। इन कुओं की संरचना आम कुओं से बिल्‍कुल अलग तरह की है। पानी के संग्रह के लिए इसकी अलग तरह की संरचना की गई थी। ये दोनों कुएं युद्ध के समय दो सालों तक पानी की कमी को पूरा कर सकते थे। अड़ी-कड़ी वाव तक पहुंचने के लिए 120 पायदान नीचे उतरना होता है जबकि नवघन कुंआ 52 मीटर की गहराई में है। इन कुओं तक पहुंचने के लिए गोलाकार सीढियां बनी हुई है।
जामी मस्जिद

जामी मस्जिद मूलत: रानकीदेवी का निवास स्थान था। मोहम्मद बेगड़ा ने जूनागढ़ फतह के दौरान (1470 ईस्वी) अपनी विजय की याद में इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया था । यहां अन्य आकर्षणों में नीलम तोप है जिसे तुर्की के राजा सुलेमान के आदेश पर पुर्तगालियों से लड़ने के लिए बनवाया गया था। यह तोप मिस्र से दीव के रास्ते आई थी।
अन्य दर्शनीय स्थल
अम्बे माता का मंदिर

अम्बे माता का मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। यहां पर नवविवाहित जोड़े शादी के बाद अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए माता का आशीर्वाद लेने आते है।
मल्लिनाथ का मंदिर

9वें जैन तीर्थंकर मल्लिनाथ की याद में 1177 ईस्वी पूर्व में दो भाईयों ने इस त्रिमंदिर का निर्माण करवाया था। उत्सवों के समय यह मंदिर साधुओं के रहने का पंसदीदा स्थान होता है। नवंबर-दिसम्बर महीने की कार्तिक पूर्णिमा पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।
जूनागढ संग्रहालय

जू में स्थित इस संग्रहालय में हस्तलिपि, प्राचीन सिक्के, चित्रकला और पुरातत्वीय साहित्य के साथ-साथ प्राकृतिक इतिहास का एक विभाग है।
 
आयुर्वेदिक कॉलेज

जूनागढ़ के पूर्व नवाब के राजमहल सदरबाग में स्थित यह महाविद्यालय आयुर्वेदिक दवाईयों का एक छोटा संग्रहालय है।
 

दरबार हॉल संग्रहालय

यह वह हॉल है जहां जूनागढ़ के नवाब अपने दरबार का आयोजन करते थे। यहां पर चित्रों, पालकियों और शस्त्रों के प्रर्दशन के बहुत से विभाग बने हुए है।
 
नरसिंह मेहता चोरो

यह एक विशाल स्‍थान है। यह सादगीपूर्ण तरीके से बना हुआ है। इसी जगह पर 15वीं शताब्दी में महान संत कवि नरसिंह मेहता के प्रवचनों और सभाओं का आयोजन होता था। यहां पर गोपनाथ का एक छोटा मंदिर तथा श्री दामोदर राय जी और नरसिंह मेहता की प्रतिमाएं भी है।
दामोदर कुंड

इस पवित्र कुंड के चारों ओर घाट (नहाने के लिए) का निर्माण किया गया है। ऐसा विश्‍वास किया जाता है कि इस घाट पर भगवान श्री कृष्ण ने महान संत कवि नरसिंह मेहता को फूलों का हार पहनाया था।
आवागमनहवाई मार्ग

जूनागढ़ से तकरीबन 40 किलोमीटर की दूरी पर केशोढ और 113 किलोमीटर की दूरी पर पोरबन्दर एयरपोर्ट है। राजकोट भी हवाई मार्ग से इससे जुड़ा हुआ है।रेल मार्ग

जूनागढ़ रेलवे स्टेशन अहमदाबाद और राजकोट रेलवे लाईन पर पड़ता हैसड़क मार्ग

जूनागढ़ राजकोट से (102 किलोमीटर), पोरबंदर से (113 किलोमीटर) और अहमदाबाद से (327 किलोमीटर) की दूरी पर स्थित है। साथ ही यह वरावल से भी जुड़ा हुआ है। स्थानीय परिवहन: ऑटो रिक्शा और स्थानीय बसों से आसानी से जूनागढ़ पहुंचा जा सकता है। प्राइवेट और राज्य परिवहन की लक्जरी बसें आसानी से उपलब्ध हो जाती है और विभिन्न प्रकार की कार भी किराये पर मिलती

कच्‍छ में मनाया जाता है 38 दिनों तक रण उत्सव


कच्‍छ में मनाया जाता है 38 दिनों तक रण उत्सव

चांद के रोशनी में ऊंट की सवारी का आनंद लेना हो तो चले आइए ऊंटों के देश गुजरात में. हजारों की संख्‍या में प्रतिदिन यहां विदेशी सैलानी रण उत्सव में हिस्‍सा लेने पहुंचते हैं. इस उत्‍सव का आयोजन कच्‍छ के रेगिस्‍तान में किया जाता है. नमक की बहुलता वाले इस क्षेत्र में रात में रेगिस्‍तान सफेद रेगिस्‍तान में बदल जाता है. यहां आकर आप खुली हवा में कल्‍चरल प्रोग्राम का आनंद उठा सकते हैं. सै‍लानियों के मनोरंजन के लिए यहां थियेटर की सुविधाएं भी हैं.

इस दौरान चांदनी रात में गुजरात के स्‍वादिष्‍ट रेसिपी का आनंद लेने का अपना मज़ा है, जिसे यहां आकर ही लिया जा सकता है. यहां से पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र का नजारा भी देखने को मिलता है जो कच्‍छ से थोड़ी दूर पर ही स्थि‍त है. हां, एक बात और बता दूं कि यह क्षेत्र स्वामी विवेकानंद के कारण भी काफी मशहूर है. बताते हैं कि अट्ठारह सौ तिरानवे में शिकागो सम्मेलन के लिए रवाना होने से पहले उन्‍होंने कच्छ की यात्रा की थी.

ऊंट की सवारी और रेत की कलाकारी
उत्तरी गुजरात के कच्छ जिले में दिसंबर में कच्छ कार्निवल मनाया जाता है, जिसे रण उत्सव के रूप में भी जाना जाता है. भारत-पाकिस्तान सीमा पर आयोजित रण उत्सव के दौरान ऊंट की सवारी का लुत्फ लिया जा सकता है. हर साल होने वाले रण उत्सव में हजारों लोग शामिल होते हैं. रण उत्सव की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीन दिनों तक चलने वाला यह उत्सव अब पूरे महीने आयोजित किया जाता है. इस दौरान कलाकार रेत पर अपनी कला के माध्यम से भारत के इतिहास की झलक पेश करते हैं. पिछले सालों तक कलाकारों ने इस रण उत्सव के दौरान रामायण के पात्रों से लेकर स्वामी विवेकानंद की कच्छ यात्रा तक को चित्रित कर दिखाया है.

हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है रण उत्सव
अरब सागर से घिरे रण ऑफ कच्छ का नाम सुनते ही गुजरात राज्य के उस क्षेत्र का चित्र जहन में उभरता है, जहां के निवासी अपनी क्राफ्ट्समैनशिप के अलावा ब्लॉक प्रिंटिंग, पॉटरी, वुड कार्विग तथा मैटल क्राफ्ट के लिए सारी दुनिया में प्रसिद्ध हैं. वैसे तो सैलानियों का तांता तो साल भर लगा रहता है, परन्तु यह क्षेत्र तब और भी जीवंत हो उठता है, जब गुजरात पर्यटन निगम द्वारा आयोजित होने वाला तीन दिवसीय रण उत्सव शुरू होता है. इसका मुख्य उद्देश्य सैलानियों को यहां के लोगों के रहन-सहन और संस्कृति से परिचित कराने के अलावा, आसपास की हस्त शिल्प कला के लिए प्रसिद्ध गांवों में काम करते लोगों से रूबरू कराना है. चांदनी रात में रण के विशाल मैदान में चांदनी रात में चमकती रेत का सौंदर्य देखने का आनंद तो पर्यटकों को अलग सा अनुभव कराता है.

रण उत्सव में आयोजित होने वाले कार्यक्रम
‘रण उत्सव’ में हजारों सैलानियों के पहुंचने से पूरा क्षेत्र जीवंत हो उठता है. भुज से पांच किलोमीटर दूर रण के विशाल मैदान के बीच धोरडो गांव के पास एक विशाल टूरिस्ट कैंप बस जाता है, जहां पर्यटकों को सभी सुविधाओं से युक्त टैंटों में ठहराया जाता है. यहां के मिट्टी के बने कलात्मक घर इतने सुंदर होते हैं कि सैलानी इन घरों को देखकर खुद को इनकी प्रशंसा करने से नहीं रोक पाता.

इस उत्सव में भाग लेने वाले पर्यटकों को पहले दिन ‘भुज’ के पास हमीरसर लेक के किनारे आयोजित कार्निवाल की सैर कराई जाती है, जो यहां की संस्कृति को समझने एवं जानने का बेहतरीन अवसर प्रदान करता है. दूसरे दिन ‘रण सफारी’ का रोमांच तथा चांदनी रात में चमकते दूधिया रण में आयोजित होने वाले लोक संगीत एवं लोक नृत्यों का आनंद उठाते हैं. इन कार्यक्रमों के अलावा हस्तशिल्प के कलाकारों को अपने घरों में काम करते देखना हर सैलानी को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है.

यहां के दर्शनीय स्थलों में ‘ढोलावीरा’ जहां हड़प्पन सभ्यता को दर्शाता है, वहीं धार्मिक स्थलों में भगवान शिव को समर्पित नारायण सरोवर, कोटेश्वर मंदिर, माता नो मांध, थान मोनेस्ट्री तथा लखपत किला प्रसिद्ध हैं. काला डूंगर से रण का दृश्य देखते ही बनता है तथा पहाड़ी स्थित दत्तात्रेय मंदिर से सायंकाल की आरती के बाद पुजारी की आवाज पर सैकड़ों की संख्या में सियारों का दौड़ कर आना पर्यटकों को अचंभित करता है.

कैसे पहुंचे
यहां हवाई सेवा, रेल और सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है. भुज हवाई सेवा से जुड़ा है तथा देश के प्रमुख शहरों से एयर लाइंस सेवा द्वारा पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा भुज देश के प्रमुख रेल नेटवर्क से भी जुडा़ है. जहां तक बात रही सड़क मार्ग से यहां पहुंचने की तो राज्य के प्रमुख शहरों से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. इस उत्सव का रोमांच इतना है कि सैलानी यहां पैकेज टूर के साथ आते हैं.


 

एडवांस लेकर शादी में घोड़ा नहीं भेजने पर 10 हजार का जुर्माना


एडवांस लेकर शादी में घोड़ा नहीं भेजने पर 10 हजार का जुर्माना 



उपभोक्ता मंच का फैसला   अपनी पुत्री के विवाह के दौरान दूल्हे की स्वागत रस्म के लिए बुक करवाया था घोड़ा , एडवांस में दिए थे सात हजार रुपए फिर भी नहीं पहुंचाया घोड़ा, उपभोक्ता मंच ने लगाया जुर्माना



जालोर विवाह में घोड़ा बुक करने के बाद नहीं ले जाने पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच ने घोड़े मालिक को 17 हजार रुपए देने के आदेश दिए हैं।

फैसले के अनुसार आहोर तहसील के मोरू गांव निवासी खंगाराराम पुत्र लच्छाजी जाति मेघवाल ने अपनी पुत्री के विवाह में दूल्हे के स्वागत की रस्म के लिए आहोर तहसील के अगवरी गांव निवासी चूनिया (चूनाराम) पुत्र छोगाजी सरगरा के पास घोड़ा बुक करवाया था। इसके लिए खंगाराराम ने घोड़ा मालिक की ओर से मांगी गई पूरी रकम 7 हजार रुपए एडवांस दे दिए तथा 29 जून 2012 को सुबह 5 बजे घोड़ा लेकर पहुंचने पर सहमति हुई। लेकिन चूनिया (चूनाराम) 7 बजे तक भी घोड़ा लेकर नहीं गया। मोबाइल पर संपर्क करने पर कहा घोड़ा लेकर नहीं आऊंगा तथा फोन बंद कर दिया। उसके बाद खंगाराराम उसके पास गया तो चूनिया ने कहा कि कुछ लोगों ने उसे मना किया है इसलिए वह घोड़ा लेकर नहीं आएगा। एडवांस में दिए पैसे मांगे तो वह भी नहीं दिए। बाद में खंगाराराम को 11 हजार रुपए देकर दूसरे स्थान से घोड़ा मंगवाना पड़ा। इससे परिवादी को मानसिक व आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा।

परिवादी खंगाराम ने चूनिया (चूनाराम)के खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत वाद पेश किया। मंच ने इस मामले को सेवा में त्रुटि मानते हुए घोड़े वाले को आदेश दिए कि वह 18 अप्रैल 2013 से एक माह में एडवांस में लिए 7 हजार रुपए तथा मानसिक क्षति के रूप में प्रार्थी को 10 हजार रुपए अदा करें। यह निर्णय मंच के अध्यक्ष एसआर मेघवंशी, सदस्य अंजू चारण व केशरसिंह राठौड़ के निर्देशन में खुले मंच में सुनाया गया।

चुनावी फायदे के लिए हटाए नियमों के बैरियर


चुनावी फायदे के लिए हटाए नियमों के बैरियर 

जयपुर राज्य सरकार ने चुनावी साल में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 50 लाख से ज्यादा लोगों को सीधे फायदा पहुंचाने की तैयारी कर ली है। पेंशन योजना में सभी प्रमुख राइडर हटाते हुए 20 लाख से ज्यादा लोगों को वृद्धावस्था और विधवा पेंशन देने जा रही है। यह संख्या पांच लाख तक बढ़ सकती है। तीन लाख से ज्यादा छात्रों को आठवीं में टॉप टेन रहने पर 6-6 हजार के चेक और करीब 60 हजार को 8वीं प्रथम रहने पर लैपटॉप दिए जाएंगे। ये लैपटॉप 20 हजार रुपए से ज्यादा कीमत का होगा। एक लाख 17 हजार शहरी बीपीएल को मकान के लिए अब 50 हजार रुपए की जगह 70 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। नरेगा में सौ दिन पूरे करने वाले परिवारों, जननी सुरक्षा योजना और शुभ लक्ष्मी में आने वाली महिलाओं और बेटियों को भी इसमें लाभान्वित किया जा रहा है। राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में इन योजनाओं को लेकर भारी चर्चा है।  

ये बैरियर हटाए 

> पहले आय का निर्धारण करने के लिए जमीन का बैरियर था। जो हर जिले में अलग- अलग था। उसे हटा दिया है।

> परिवार में 25 वर्ष से अधिक आयु के पुत्र की शर्त को हटाया।

> एसडीएम और तहसीलदार से प्रमाणित आय प्रमाणपत्र की शर्त।
सामाजिक न्याय विभाग के अनुसार 20 लाख नए लोगों को पेंशन देने जा रही हैं। सरकार ने इसके लिए 1500 करोड़ रुपए का बजट रखा है और ऐसे प्रावधान हटा दिए हैं, जो लोगों को सीधे फायदा पहुंचाने में बाधा बने हुए थे। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक अजिताभ शर्माने बताया कि विभाग ने एक जुलाई तक 20 लाख नए लोगों को पेंशन राशि मिलना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने 20 अप्रैल से शुरू पेंशन महाभियान के तहत 29 अप्रैल तक 3 लाख 11 हजार व्यक्तियों को पेंशन स्वीकृत की है। यह विशेष अभियान 31 मई तक चलेगा। इसमें वृद्धावस्था, विधवा, परित्यक्ता, तलाकशुदा और विशेष योग्यजन पेंशन मौके पर ही स्वीकृत की जा रही है। अजिताभ शर्मा के मुताबिक इन आठ दिनों में 2 हजार 121 शिविर लगे। जिनमें 3 लाख 34 हजार व्यक्तियों के आवेदन मिले। इस दौरान मुख्यमंत्री असहाय पुनर्वास योजना के तहत 325 व्यक्तियों का चयन किया। 

पेंशन के लिए यह शर्त

अधिकारियों के मुताबिक वृद्धावस्था, विधवा, परित्यक्ता, तलाकशुदा के लिए आय सीमा 48 हजार रु. वार्षिक और विशेष योग्यजन के लिए आय सीमा को 60 हजार रु. वार्षिक रखा है। आय सीमा के लिए आवेदक का खुद और नोटेरी पब्लिक से सत्यापित प्रमाण पत्र मान्य होगा और तहसीलदार के पास जाने वाली पुरानी प्रक्रिया खत्म कर दी गई है। सरकार ने 55 वर्ष से अधिक उम्र की महिला और 58 साल से अधिक के पुरुष को पेंशन के लिए पात्र माना है। इन्हें अब 400 रु. प्रतिमाह की जगह 500 रु. प्रतिमाह पेंशन मिलेगी। इसके साथ ही 75 वर्ष से अधिक व्यक्ति को 750 रु. और दंपत्तियों के लिए 1500 रु. प्रतिमाह पेंशन की व्यवस्था। 

इनके लिए कोई शर्त नहीं 

बीपीएल, स्टेट बीपीएल, आस्था कार्डधारी, अंत्योदय परिवार, सहरिया, कथौड़ी, खैरवा जाति के व्यक्ति बिना किसी शर्त के पेंशन पाने के पात्र हैं। ऐसे बौने जिनकी ऊंचाई साढ़े तीन फीट से कम है वे भी अब विशेष योग्यजन पेंशन पाने के पात्र होंगे। 


मनरेगा में 2100 रुपए की प्रोत्साहन राशि

राज्य सरकार मनरेगा में 100 दिन का रोजगार पूरा कर चुके व्यक्ति को 21 सौ रुपए नकद प्रोत्साहन राशि दे रही है।

आठवीं के 3.22 लाख टॉपर्स को मिलेंगे 6-6 हजार के चैक

राज्य के सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा के 3.22 लाख टॉपर्स को टेबलेट-पीसी के लिए 6-6 हजार रुपए के चैक मिलेंगे। कक्षा में दूसरे से 11वें स्थान पर आने वाले ये विद्यार्थी राजीव गांधी डिजिटल विद्यार्थी योजना के तहत यह राशि मिलेगी। स्कूल स्तर पर 14 मई को स्कूल प्रबंध समिति और अभिभावकों के समक्ष समारोह आयोजित कर ये चैक वितरित किए जाएंगे। इसके अलावा आठवीं में पहले स्थान पर रहने वाले करीब 58 हजार विद्यार्थियों को पिछले साल की तरह टेबलेट मिलेंगे।

राजीव गांधी डिजिटल विद्यार्थी योजना के तहत मिलने वाली राशि से छात्र को अपने स्तर पर 30 सितंबर तक टैबलेट-पीसी खरीदना होगा। स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार संबंधित विद्यार्थी को 31 अक्टूबर तक खरीद का स्वघोषणा-पत्र देना होगा। सभी जिला शिक्षा अधिकारी ब्लॉक और संभागवार विद्यार्ियों की सूची बनाकर बजट आबंटन सुनिश्चित करेंगे। विभाग की ओर से जिला शिक्षाधिकारियों को चैक वितरण कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं। इनकी मॉनीटरिंग कलेक्टर स्तर पर होगी।

इन योजनाओं से भी मिल रहा है

शुभलक्ष्मी योजना

-बालिका के जीवित जन्म होने पर प्रसूता को 2100 रुपए की राशि। यह राशि जननी सुरक्षा योजना के अलावा मिलेगी। बालिका की उम्र एक साल पूरी होने तथा सभी टीके लगवाने पर 2100 रुपए की अतिरिक्त राशि मिलेगी। बालिका की उम्र 5 साल होने तथा स्कूल में प्रवेश लेने पर तीसरे लाभ के तहत महिला को 3100 रुपए की राशि मिलेगी।

जननी सुरक्षा योजना

संस्थागत प्रसव पर शहरी क्षेत्र की महिलाओं को एक हजार रुपए। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपए। घर से आने-जाने का किराया।

15 लाख पेंशनधारकों के घर पहुंचेगा मुख्यमंत्री का आत्मिक संदेश

- पेंशन के आर्डर के साथ ही मुख्यमंत्री का हस्ताक्षरित पत्र भी हर व्यक्तिको मिलेगा।

- पहले चरण में सरकार ने छपवाए 4 लाख आत्मिक संदेश के पत्र।

प्रदेश में 15 लाख लोग से अधिक लोगों को पेंशन आर्डर के साथ ही लोगों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आत्मिक संदेश भी मिलेगा। इसमें वृद्ध, विधवा और विशेष योग्यजन को मुख्यमंत्री बीपीएल जीवन रक्षा कोष के अंतर्गत गंभीर बीमारियों को मुफ्त इलाज, मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना, मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना और मुख्यमंत्री असहाय पुनर्वास योजना के बारे में सरकार के प्रयास से अवगत कराया जा रहा है। साथ ही गहलोत ने सामाजिक उत्थान और कल्याण की सभी योजनाओं को लागू करना सरकार का कत्र्तव्य बताया है।

यह पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से भेजे जा रहे हैं। पहले चरण में 4 लाख आत्मिक संदेश प्रिंट करवाएं हैं। यह आत्मिक संदेश पेंशन स्वीकृत होने के बाद भुगतान आदेश के साथ मिलेगा।

लुभावनी योजनाएं

राज्य सरकार कई योजनाओं में नियम आसान कर देगी 50 लाख लोगों को सीधा फायदा

28 साल से पाक जेल में बंद भगू के परिजन भी चिंतित

28 साल से पाक जेल में बंद भगू के परिजन भी चिंतित


कलेक्टर से पति की खैर खबर जानने लक्ष्मी बेटे व बेटी के साथ पहुंची 




 बाड़मेर  
पाक के लाहौर की कोट लखपतराय जेल में सरबजीत पर हुए जानलेवा हमले के बाद बाड़मेर के धनाऊ गांव के लोग भी मायूस हैं और चिंता में डूबे हैं। इस गांव का एक लाड़ला भगूसिंह भी पिछले 28 सालों से पाक की लखपत जेल में बंद है। सरबजीत की खबरें सुनकर ही भगूसिंह की पत्नी लक्षमी का बुरा हाल हो रहा है। वह हर दिन अपने पिया मिलन की आस में गुजारती है। लक्ष्मी कहतीं हैं कि अब हर दिन ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि मेरे पति की रक्षा करें। लंबे अर्से से रिहाई की उम्मीद कर रहे भगूसिंह के परिजनों की भी बैचनी बढ़ गई है कि परिवार का मुखिया पाक जेल में किस हाल में है। पति की खैर खबर जानने के लिए लक्ष्मी अपनी बेटी व बेटे के साथ मंगलवार को कलेक्टर के पास पहुंच गई। बिछोह की दास्तां सुनाते हुए लक्षमी की आंखें नम हो गई। मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंपकर पाक जेल में बंद पति की रिहाई की मांग रखी। धनाऊ गांव निवासी भगूसिंह वर्ष 1985 में भारत-पाक सीमा के पास भेड़ बकरियां चराने गया था। भूलवश पाक सीमा में घुसने पर पाक रेंजर्स ने भगूसिंह को शक के आधार पर पकड़ कर जेल में डाल दिया। पति को खोने के बाद लक्ष्मी अकेली रह गई। दो बेटे व एक बेटी के पालन पोषण के साथ घर की पूरी जिम्मेदारी अकेली अबला पर आ गई। विकट हालात में उसने हिम्मत नहीं हारी। पति की रिहाई की उम्मीद के साथ जिंदगी का संघर्ष जारी रखा। बीते दिनों पाक की लाहौर की कोट लखपत जेल में सरबजीत पर हुए हमले के समाचार मिलने के बाद परिवार के सदस्यों की चिंताएं बढ़ गई। लक्ष्मी कंवर बताती है कि पाक की जेल में ही उसका पति भगूसिंह कैद है। वे किस हाल में है इस बारे में कोई खैर खबर नहीं है। इस बारे में पता लगाने के लिए कलेक्टर से मिलकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया है। कहीं से उसके पति की खैर खबर मिल जाए तो मन को सुकून मिल जाए। अर्जुन सोढ़ा ने बताया कि जब पिता पाक चले गए थे, तब वे छोटे थे। पिता का चेहरा तक उन्हें याद नहीं है। पुराने फोटो देखकर ही पिता की याद सलामत होती है। 

रिफाइनरी पर अब तय होगा मुआवजा

रिफाइनरी पर अब तय होगा मुआवजा

बाड़मेर। बाड़मेर जिला प्रशासन ने रिफाइनरी के लिए 9976 बीघा जमीन अवाप्ति के तीनों फेज की सुनवाई का अंतिम काम मंगलवार को पूरा कर लिया। प्रशासन अब अवार्ड जारी करने के लिए संभवत: बुधवार को रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज देगा। सरकार को किसानों से बात कर मुआवजा तय करना होगा। इसके बाद अवार्ड जारी होंगे।


बाड़मेर प्रशासन के अफसरों के मुताबिक जमीन के दो फेज की आपत्तियों की सुनवाई का काम पहले ही पूरा किया जा चुका था। मंगलवार को तीसरे फेज की अंतिम सुनवाई थी, लेकिन सुनवाई के दौरान प्रभावित किसानों ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई। ऎसे में जमीन अवाप्ति की धारा 9 के तहत सुनवाई का काम पूरा कर मंगलवार शाम सरकार को सूचना दे दी गई। यह काम पूरा होने से प्रशासन व राज्य सरकार ने राहत की सांस ली है।



एक बीघा के मांगे एक करोड़ रूपए
रिफाइनरी के लिए जमीन देने के एवज में किसानों ने एक करोड़ रूपए बीघा का मुआवजा मांगा है। इसके अलावा रॉयल्टी सहित अन्य कई मांगें सरकार के सामने रखी हैं। किसानों से वार्ता के लिए संभागीय आयुक्त जोधपुर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। लेकिन कमेटी की अभी बैठक नहीं हुई है। संभागीय आयुक्त स्तर पर मुआवजा को लेकर समझौता न हुआ तो राज्य की उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी फैसला लेगी।

अगला कदम
जमीन अवाप्ति को लेकर जिला प्रशासन की कार्रवाई पूरी हो चुकी है। जानकारों की मानें तो किसानों को मुआवजे के लिए रिकॉर्ड दर्ज करने का काम अंतिम चरण में है। अब सरकार व किसानों के बीच मुआवजा दरें तय होनी हैं। इसके साथ अवार्ड जारी कर जमीन का कब्जा लेने का काम शुरू होगा।

खाली है जमीन
मौके पर पूरी जमीन लगभग खाली पड़ी है। ऎसे में कब्जा लेने की सिर्फ कागजी कार्रवाई ही करनी होगी। इसके तत्काल बाद रिफाइनरी निर्माण का काम किसी भी वक्त शुरू किया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार जून में रिफाइनरी के शिलान्यास की तैयारी में है।

पत्नी व उसका प्रेमी गिरफ्तार

पत्नी व उसका प्रेमी गिरफ्तार
कुचेरा। कुचेरा पुलिस ने प्रेमी संग मिलकर पति को मारने की नीयत से हौद में धकेलने की आरोपी महिला और उसके प्रेमी को आकेली गांव की ढाणियों से दबोच लिया। थानाधिकारी रामेश्वर भाटी ने बताया कि कॉल डिटेल मिलने के बाद मंगलवार दोपहर किशोर सिंह की ढाणी पर दबिश दी गई। जहां रेखा व उसका प्रेमी सुखराम छिपे हुए थे। पुलिस को देखकर सुखराम भाग गया। रेखा को पुलिस ने ढाणी से ही गिरफ्तार कर लिया। सुखराम का पीछा किया, जिसे करीब दो घण्टे की मशक्कत के बाद सात किलोमीटर दूर से पकड़ लिया। मंगलवार शाम को दोनों को थाने लाया गया। आरोपियों से पूछताछ जारी है। कार्रवाई में एएसआई अल्लानूर खां, सहदेव राम, बेणीराम, कैलाश साथ थे।

यह था मामला
आरोपी रेखा व उसके प्रेमी कुचेरा निवासी सुखराम माली ने 25 अप्रेल को दिन दहाड़े गागूड़ा निवासी रामदयाल पुत्र श्रवणराम नाई (रेखा के पति) के साथ मारपीट की। गले में फंदा लगाकर कस्बे के आकेली बी रोड स्थित गोचर के पास बने पानी के हौद में मारने की नीयत से धकेल दिया। हौद में पानी कम होने के कारण रामदयाल 24 घण्टे तक उसमें तड़फता रहा। चरवाह ने उसे देखकर बाहर निकाला और अस्पताल पहंुचाया। पुलिस ने शुक्रवार को घायल रामदयाल का पर्चा बयान लेकर रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू की।

देर रात तक सजती है शराब की महफिलें

देर रात तक सजती है शराब की महफिलें
जैसलमेर। एक तरफ जहां पुलिस शराबियों के विरूद्ध अभियान चला रही है, वहीं दूसरी तरफ जैसलमेर शहर के पर्यटन व सार्वजनिक स्थलों पर शराबी शाम ढलने के साथ ही मौज मना रहे है। शहर में रात नौ बजे के बाद पटवा हवेली, गीता आश्रम के पास, गडीसर तालाब के किनारे शराबियों की महफिलें सजने लगती है, जो देर रात तक चलती हंै। ये महफिलें शांति से चले तब तक तो कोई नहीं, लेकिन नशा चढ़ने पर ये आसपास के लोगों के लिए आफत बन जाती है। शहर के भीतरी भाग के सार्वजनिक स्थल हो या फिर पर्यटन स्थलों पर बैठने की जगह हो, हर जगह सवेरे शराब की बोतलें पड़ी नजर आती हंै।

अंधेरे का सहारा
शराबियों को शराब की महफिल सजाने के लिए केवल अंधेरे की तलाश और साफ सुथरी जगह की आवश्यकता होती है। ये जगह चाहे गली मोहल्ले में हो या फिर किसी पर्यटन स्थल और सरकारी विभागों के सूने भवन व खेल मैदान ही क्यों न हो। शराबी यहां अंधेरा होते ही शराब की बोतलों के साथ धमक जाते हैं और फिर पैग पर पैग लगा कर शराब की पार्टियां करते है।

आठ बजे बाद भी मिलती है शराब
राज्य सरकार ने भले ही शराब की दुकानों पर रात आठ बजे शराब बेचने पर पाबंदी लगाई हो, लेकिन जैसलमेर में शराब की दुकानों पर देर रात तक खुलेआम शराब की बोतलें बेची जाती है। शराब की दुकानें कहने को तो बंद रहती हैं, लेकिन ग्राहक के आने पर दुकान का शटर ऊपर होता है और शराब की बोतलें पकड़ाने के बाद वापस बंद हो जाता है। कई दुकानदार शटर के पास बनी खिड़की खुली रखते हैं और वहां से शराब बेचते हैं। ये सब होता है पुलिस व आबकारी विभाग की अनदेखी के चलते।

दस से बीस रूपए की अधिक वसूली
शराब की दुकान बंद होने के बाद शराब धड़ल्ले से मिलती है, लेकिन इसकी कीमत बोतल की प्रिंट रेट से दस से बीस रूपए बढ़ जाती है।

फायदे का सौदा
सरकार द्वारा रात आठ बजे के बाद शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाने का निर्णय शराब विक्रेताओं के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। शराब की काफी बिक्री रात आठ बजे के बाद ही शुरू होती है, ऎसे में दुकानदार उपभोक्ता से अतिरिक्त राशि वसूली कर काली कमाई बटोरने में जुटा रहता है।

यहां होती है शराब पार्टी
पटवा हवेली के पास।
गड़ीसर सरोवर के किनारे।
डेडानसर स्टेडियम खेल मैदान।
पूनम स्टेडियम मैदान।
रेलवे स्टेशन के पास।
नई कटी कॉलोनियां।
महाराणा प्रताप मैदान।
सार्वजनिक उद्यान, बगीचे।
ग्रामीण हाट आदि एकांत स्थान।
इनके अलावा भी अन्य कई क्षेत्र हैं जहां रात के समय आवागमन कम रहता है और अंधेरा पसरा रहता है, वहां शराब की महफिलें जमना अब आम बात बनती जा रही है।

घर में रहेगी कैमरे की नजर

घर में रहेगी कैमरे की नजर

जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक वृद्धा की याचिका पर उसके पुत्र व पुत्रवधु द्वारा की जा रही घरेलू हिंसा रोकने के लिए उसके घर में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए हैं।

हाईकोर्ट ने महामंदिर थानाधिकारी को कैमरों की निगरानी करने और अदालत में रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है। महामंदिर निवासी 72 वर्षीया वृद्धा विमला धारीवाल की ओर से अधिवक्ता नदीश सिंघवी के जरिए पेश फौजदारी निगरानी याचिका पर न्यायाधीश संदीप मेहता ने यह आदेश पारित किया।

अधिवक्ता सिंघवी ने हाईकोर्ट में दलील दी कि विमला के पति शांतिलाल धारीवाल ने अपना व्यावसायिक प्रतिषान व रहवासीय मकान की वसीयत विमला के हक में कर रखी है। उसके बावजूद उसके पुत्र अरूण धारीवाल जबरन कब्जा कर उसमें व्यवसाय कर रहा है।

विमला धारीवाल को बेदखल करने के आशय से उसके साथ मारपीट कर घरेलू हिंसा की जा रही है। न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए अरूण धारीवाल व उसके परिवार को विमला को भरण पोषण के लिए आठ हजार रूपए मासिक भत्ता देने और उसके घर में पुत्र के खर्चे पर चार सप्ताह में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने महामंदिर थानाधिकारी को कैमरों की निगरानी करने और अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट (आर्थिक अपराध) को रिपोर्ट पेश करने के भी आदेश दिए हैं।

ट्रोलर ने अधेड़ को कुचला

ट्रोलर ने अधेड़ को कुचला

बालोतरा। फलोदी-पचपदरा-रामजी का गोल मेगा स्टेट हाइवे पर कालुड़ी गांव में मंगलवार दोपहर बाद तेज रफ्तार ट्रोलर की टक्कर से एक जने की मौत हो गई। ट्रोलर उसे सड़क पर करीब पैंतीस फीट तक घसीट कर साथ ले गया। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने शव सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन किया और हाइवे पर जाम लगा दिया। तकरीबन डेढ़ घंटे तक जाम के दौरान सड़क के दोनो तरफ वाहनों की लम्बी कतारें लग गई। बाद में समझाइश कर पुलिस ने जाम खुलवाया तब जाकर मामला शांत हुआ।

मेगा स्टेट हाइवे पर कालुड़ी गांव में मंगलवार दोपहर बाद शंकरसिंह (55) पुत्र रामसिंह निवासी कालुड़ी सड़क पार कर रहा था। इसी दौरान सिणधरी से बालोतरा की तरफ जा रहे तेज रफ्तार ट्रोलर के चालक ने लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाकर शंकरसिंह को टक्कर मारी। पहियों में फंसा शंकरसिंह तकरीबन पैंतीस फीट तक ट्रोलर के साथ सड़क पर घिसटता रहा।

मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद गुस्साए कालुड़ी गांव के ग्रामीणों ने मेगा हाइवे पर जमा लगा दिया। पत्थर, कंटीली झाडियां आदि डालकर व मानव श्रृंखला बनाकर रास्ते को अवरूद्ध कर दिया। सड़क के दोनो तरफ वाहनो की लम्बी कतारें लग गई। तकरीबन डेढ़ घंटे तक जाम रहा। शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की।

सूचना मिलने पर सीओ रामेश्वरलाल मेघवाल, थानाधिकारी कैलाशचंद्र मीणा मय जाप्ता मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से वार्ता कर समझाइश की। बाद में प्रदर्शनकारियों ने शव उठाकर जाम हटाया। तब जाकर यातायात सामान्य हो पाया।

विकास की उल्टी गंगा? 24 गांव हटा देने से यूआईटी को लेकर संशय की स्थिति

विकास की उल्टी गंगा?

बाड़मेर। रिफाइनरी की हकीकत व इससे जुड़े सपनों के बीच नगरीय विकास विभाग बाड़मेर में विकास की उल्टी गंगा बहा रहा है। शहर के भावी विस्तार व भावी विकास योजनाओं को लेकर बनाया गया मास्टर प्लान छियालीस गांवों से सिकुड़कर केवल बाइस गांवों तक सिमट गया है। नगरीय विकास विभाग के एक आदेश के तहत बाड़मेर के नगरीय क्षेत्र (मास्टर प्लान) में सम्मिलित किए गए चौबीस गांव हटा दिए गए हैं।

एक दशक से विकास की पटरी पर तेज गति से दौड़ रहे जिला मुख्यालय के सुनियोजित विकास की भावी योजना के तहत नगरीय विकास विभाग ने 23 नवम्बर 2011 को बाड़मेर शहर के इर्द-गिर्द स्थित छियालीस राजस्व गांवों को मास्टर प्लान में अधिसूचित किया। करीब आठ माह पहले अधिसूचित गांवों को मास्टर प्लान में शामिल कर इस पर अंतिम मुहर लगाई गई। इससे ये सभी गांव नगरपरिषद के मास्टर प्लान में आ गए। नए मास्टर प्लान के अनुरूप आवासीय क्षेत्र, संस्थानिक क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, ग्रीन बेल्ट इत्यादि को लेकर कार्ययोजना बनाने का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है। चौबीस गांवों को मास्टर प्लान से बाहर करने के बाद अब नए सिरे से कार्ययोजना बनानी होगी।

ये गांव मास्टर प्लान से बाहर
राजस्व गांव बांदरा, अलाणियों की ढाणी, जालीपा आगोर, वीरमनगर, चक धोलका, सांसियों की बस्ती, उण्डखा, धांधुपुरा, मुरटाला गाला, पीथलपुरा, उदे का तला, जादाणियों का वास, महाबार पीथल, कुर्जा, महाबार, वांकलपुरा, विशनपुरा, करणपुरा, मगने की ढाणी, नैनवा, पिण्डियों का तला, मारूड़ी, गोरधनपुरा, पाबूपुरा मास्टर प्लान से बाहर कर दिए गए हैं।

यू आई टी पर होगा असर
मास्टर प्लान का दायरा सिकुड़ने का सर्वाधिक असर नगर विकास न्यास (यूआईटी) पर पड़ेगा। हालिया बजट में राज्य सरकार ने बाड़मेर में यूआईटी की घोषणा की है। बाड़मेर शहर के इर्द-गिर्द स्थित छियालीस राजस्व गांवों को मास्टर प्लान में शामिल करने के बाद ही यूआईटी घोषित करने का आधार बना, लेकिन अब 24 गांव हटा देने से यूआईटी को लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

विकास पर विपरीत असर नहीं
मास्टर प्लान में ज्यादा गांव हो गए थे। इसलिए कुछ कम कर दिए। अभी भी 22 गांव मास्टर प्लान में है, जो पर्याप्त हैं। गांवों की संख्या कम करने से विकास पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मेवाराम जैन, विधायक, बाड़मेर