शनिवार, 1 दिसंबर 2012

सड़क हादसे में तीन की मौत,4 घायल

सड़क हादसे में तीन की मौत,4 घायल
राजसमंद। राजसमंद जिले के देलवाड़ा थाना क्षेत्र में शुक्रवार देर रात ट्रक-जायलो भिड़ंत में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और चार गंभीर घायल हो गए। जायलों सवार सभी लोग उदयपुर में एक शादी में शामिल होकर झुंझुनूं जिले के खेतड़ी स्थित घर लौट रहे थे। हादसे में घायल हुए चार लोगों में से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है।

पुलिस के अनुसार देलवाड़ा के पास स्थित नला गांव से होकर गुजरते समय तेज गति से आ रहे एक ट्रक ने अचानक जायलो को टक्कर मार दी। टक्कर से गाड़ी पलट गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने गाड़ी को सीधा किया,लेकिन तब तक जायलो चालक महेश चौधरी,मंजू सिंह और सोलह वष्ाीüय स्नेहा की मौत हो चुकी थी। हादसे में परिवार के चार अन्य सदस्य घायल हो गए

कुर्सी खाली या भरी,जनता करेगी फैसला

कुर्सी खाली या भरी,जनता करेगी फैसला
जयपुर। राजस्थान के इतिहास में रिकॉल के लिए पहली बार मतदान होने जा रहा है। शहरी निकायों में सीधे वोट से चुनाव जिताने के बाद निकाय प्रमुख को वापस बुलाने का अधिकार तो जनता को मिल गया लेकिन इसका पहला इस्तेमाल मांगरोल में होने जा रहा है।

मांगरोल नगर पालिका अध्यक्ष अशोक जैन के खिलाफ पार्षदों की ओर से पारित अविश्वास प्रस्ताव पर रिकॉल के लिए 12 दिसम्बर को जनमत संग्रह किया जाएगा। नतीजा 14 दिसम्बर को आएगा। ईवीएम में सिर्फ दो ही बटन होंगे जिनमें से एक बटन पर खाली कुर्सी का निशान और दूसरे पर एक व्यक्ति की बैठी मुद्रा में भरी कुर्सी का निशान होगा।

यह है मामला
नवम्बर 2009 में हुए चुनाव में मांगरोल में निर्दलीय प्रत्याशी अशोक जैन नगर पालिका अध्यक्ष निर्वाचित हुए। जनवरी 2012 में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ। नई चुनाव प्रणाली में जनता अध्यक्ष को वापस बुला सकती है लेकिन इससे पहले अविश्वास प्रस्ताव पारित होने अनिवार्य है।

फर्जीवाड़े के मामले में बैंक प्रबंधक सहित चार को सजा

जोधपुर.सीबीआई मामलात की विशेष अदालत ने सरकार की मैसिव योजना में फर्जी तरीके से लाखों रुपए का ऋण स्वीकृत करने के मामले में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की उम्मेदनगर शाखा के तत्कालीन प्रबंधक सहित चार लोगों को दोषी मानते हुए एक-एक वर्ष के कठोर कारावास व अर्थदंड की सजा सुनाई है।

विशेष न्यायाधीश अतुल कुमार चटर्जी ने जोधपुर जिले में उम्मेद नगर स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन शाखा प्रबंधक वाईपी पेशवा, मथानिया में महेश्वरी ऑटो सेल्स के प्रोप्राइटर सत्यनारायण बूब व मथानिया के ही मोहनलाल मेघवाल व पुखराज माली को भ्रष्टाचार व फर्जीवाड़े का दोषी ठहराते हुए यह सजा सुनाई।

वरिष्ठ लोक अभियोजक सीबीआई एसएस यादव का कहना था कि शाखा प्रबंधक ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए वर्ष 1990 में ऐसे व्यक्ति के नाम का ऋण खाता अपनी बैंक में खोला, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं था। शाखा प्रबंधक ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर डीआरडीए जोधपुर द्वारा उस काल्पनिक व्यक्ति के नाम 30,518 रुपए का अनुदान भी दिलवा दिया।

विशन दास नाम के इस काल्पनिक व्यक्ति का कोई वजूद ही नहीं था। उसके बावजूद उसकी जमीन में नलकूप खुदाई की मजदूरी के 32,100 रुपए उठा लिए। इसके अलावा पंप सेट एवं अन्य सामान के 30,000 रुपए तिंवरी की मेसर्स स्वास्तिक इलेक्ट्रॉनिकल फर्म को अदा कर दिए।

शाखा प्रबंधक ने इसी प्रकार 77,000 रुपए का ऋण आरोपी मोहनलाल को वितरित कर दिया। 31,000 रुपए आरोपी फर्म मेसर्स महेश्वरी ऑटो सेल्स मथानिया व 42,600 रुपए पंप सेट के नाम पर फर्जी तरीके से भुगतान किया। यादव ने बताया कि पेशवा ने पंजीयन कार्यालय में पहचानकर्ता के रूप में हस्ताक्षर भी किए।

आरोपी मोहनलाल के नाम ऋण वितरण के मामले में उसकी भूमि के पास स्थित अन्य कृषि भूमि जो आरोपी सत्यनारायण के नाम थी उसमें नलकूप खुदवा कर पंप सेट लगवा दिया। आरोपियों के वकीलों का कहना था कि आरोपी पिछले 17 साल से ट्रायल भुगत रहे हैं इसलिए सजा में नरमी का रुख अपनाया जाए। गौरतलब है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, जोधपुर ने इस मामले में 1995 में आरोप पत्र दाखिल किया था।

सरकारी चपरासी से भी कम तनख्वाह पाते हैं नरेंद्र मोदी!



अहमदाबाद. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी हर महीने कितना कमाते हैं? यह सवाल गुजरात की मणिनगर विधानसभा सीट से पर्चा दाखिल करने वाले मोदी के हलफनामे के सामने आने के बाद उठा है। मोदी ने अपने हलफनामे में जो दावा किया है, उसके मुताबिक मोदी किसी सरकारी बाबू सरकारी विभाग में काम करने वाले वरिष्ठ चतुर्थ श्रेणी कर्मी से भी कम कमाते हैं।
सरकारी चपरासी से भी कम तनख्वाह पाते हैं नरेंद्र मोदी!


मोदी  ने वित्त वर्ष 2011-2012 के लिए दिए गए अपने ब्योरे में कहा है कि उनकी सालाना आय 1,50,630 रुपये है। इसमें 12,553 रुपये उनका मासिक वेतन है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि वेतन के तौर पर मोदी को मिलने वाली राशि किसी मंत्री के मासिक वेतन (66,000 रुपये) के पांचवें हिस्से के बराबर है। एक विधायक को अन्य भत्तों के अलावा करीब 56,000 रुपये हर महीने मिलते हैं। मंत्री को अतिरिक्त यात्रा भत्ता, डीए, बंगला और नौकर वगैरह की सुविधा दी जाती है। गौर करने वाली बात यह है कि 2007 के चुनाव में मोदी ने अपनी सालाना आय नहीं बताई थी।

जीत रही है "जिदंगी"

जीत रही है "जिदंगी"

बाड़मेर। एचआईवी पॉजीटिव यानि जिंदगी खत्म। सामाजिक जीवन समाप्त और एक अंतहीन दर्द के साथ जीवन से छुटकारा। इन सारी मान्यताओं को छोड़कर रेगिस्तान में अब एचआईवी को लेकर सकारात्मक सोच बढ़ी है। इसे बीमारी समझकर लोग खुलकर इलाज करवाने लगे है और नतीजा है कि कई परिवार उजड़ने से बच गए है। बच्चों के सिर पर मां बाप का साया है और फिर से उनको पालने के लिए माता पिता के कदम उठने लगे है। बूढ़ी पथराई आंखों में उम्मीदें जगी है।

बाड़मेर जिले में वर्ष 2005 से 2009 का दौर एचआईवी को लेकर काफी भय वाला रहा। रोगियों की संख्या बढ़ने के साथ ही लोग खुलकर सामने नहीं आ रहे थे। ऎसे में अंदर ही अंदर रोगी बढ़ने के साथ घुट घुटकर मर रहे थे। अब यह स्थिति बदली है। जांच और सामने आए रोगियों की संख्या यही दिखाती है।

यह है स्थिति
जिलेभर के पंद्रह काउंसलिंग केन्द्रों पर हुई जांच दर्शाती है कि वर्ष 2009 में 19640 लोगों ने जांच करवाई इसमें से 257 पॉजीटिव मिले। इसी तरह 2010 में 27857 ने जांच करवाई और 202 पॉजेटिव पाए गए। वष्ाü 2011 में 42 हजार 382 ने जांच करवाई और 171 पॉजीटिव मिले। इस वर्ष 44 हजार लोग जांच करवा चुके है और अब तक 130 पॉजीटिव मिले है।

बाड़मेर अस्पताल पहुंचे 343
बाड़मेर अस्पताल में निरंतर चल रही जांच बताती है कि पिछले सात साल में 343 रोगी पहुंचे है।

पलायन थमने का हुआ असर
बाड़मेर में एचआईवी पॉजीटिव रोगियों की संख्या सैकड़ो में है। इसमें से अधिकांश पलायन के कारण है। ट्रक चालक व अन्य कार्य के लिए बाहर जाने वाले लोगों को यह रोग हुआ। अब जिले में रोजगार मिलने से पलायन रूका है,लिहाजा रोगियों की संख्या भी कम हो रही है।

हां, एचआईवी है
जिले मे कार्य कर रही बाड़मेर पीपुल लिविंग विद एचआईवी संस्थान में अब तक 569 लोग जुड़ गए है। ये लोग खुलकर सामने आए है। ये लोग अपना इलाज करवाने के साथ ही एचआईवी के साथ जी रहे लोगों को प्रेरित कर रहे है कि घुटन को छोड़े और उपचार को अपनाएं।
जागरूकता जरूरी
जागरूकता जरूरी है। लोग इसे छिपा रहे है। बीमारी को छिपाना ठीक नहीं है। अन्य बीमारियों की तरह इसका भी उपचार है। जागरूकता होगी तो रोग हारेगा।- मनीष शर्मा, काउंसलर, जिला अस्पताल

विरहणियों की वेदना
बाड़मेर. जिले में सैकड़ों महिलाएं है जिनको इस रोग ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। इक्का दुक्का मामलों को छोड़ दिया जाए तो इन महिलाओं का इसमें कोई दोष नहीं है। पति को यह रोग लग जाता है और पति पत्नी को भी यह रोग दे रहे हंै। पति के बाहर जाने पर इंतजार करने वाली विरहणियों को इसके बाद एचआईवी की वेदना मिल रही है। उनके लिए जीवन किसी सजा से कम नहीं है। रोगी पति की मृत्यु,इसके बाद खुद का इस रोग से तड़पना और साथ ही बच्चों के भी एचआईवी पॉजीटिव होने की जानकारी मिलने पर उनकी चिंता में घुट घुटकर जीना।

पूरा परिवार ही पॉजीटिव
शिव क्षेत्र में एक चालक को एचआईवी पॉजीटिव था। उससे उसकी पत्नी और इसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों को हो गया। चालक और उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई है। अब उसके भाई व पत्नी इसी रोग से ग्रसित है। दो बच्चे भी पॉजीटिव है। परिवार के सामने फांकाकशी की नौबत आ गई है।

एड्स को मिटाने का संकल्प
बाड़मेर. राजकीय चिकित्सालय, एआरटी सेंटर व आईसीटीसी के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय अस्पताल परिसर में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ$ आर के माहेश्वरी व एआरटी प्रभारी डा$ रविन्द्र कुमार शर्मा व आईसीटीसी प्रभारी डॉ बी एल मसूरिया के सान्निध्य में नसिंüग छात्रों को विश्व एड्स दिवस की पूर्व संध्या पर मोमबत्ती जलाकर एड्स को जड़ से समाप्त करने का संकल्प कराया। इस अवसर पर राजकीय अस्पताल के डाक्टर्स, स्टाफ नर्स, नसिंüग विद्यार्थियों ने एड्स के प्रति फैली भ्रान्तियों को दूर करने का आह्वान किया।