शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

जैसलमेर के शासक तथा इनका संक्षिप्त इतिहास








जैसलमेर के शासक तथा इनका संक्षिप्त इतिहास

जैसलमेर राज्य की स्थापना भारतीय इतिहास के मध्यकाल के आरंभ में ११७८ई. के लगभग यदुवंशी भाटी के वंशज रावल-जैसल के द्वारा किया गया। भाटी मूलत: इस प्रदेश के निवासी नहीं थे। यह अपनी जाति की उत्पत्ति मथुरा व द्वारिका के यदुवंशी इतिहास पुरुष कृष्ण से मानती है। कृष्ण के उपरांत द्वारिका के जलमग्न होने के कारण कुछ बचे हुए यदु लोग जाबुलिस्तान, गजनी, काबुल व लाहौर के आस-पास के क्षेत्रों में फैल गए थे। कहाँ इन लोगों ने बाहुबल से अच्छी ख्याति अर्जित की थी, परंतु मद्य एशिया से आने वाले तुर्क आक्रमणकारियों के सामने ये ज्यादा नहीं ठहर सके व लाहौर होते हुए पंजाब की ओर अग्रसर होते हुए भटनेर नामक स्थान पर अपना राज्य स्थापित किया। उस समय इस भू-भाग पर स्थानीय जातियों का प्रभाव था। अत: ये भटनेर से पुन: अग्रसर होकर सिंध मुल्तान की ओर बढ़े। अन्तोगत्वा मुमणवाह, मारोठ, तपोट, देरावर आदि स्थानों पर अपने मुकाम करते हुए थार के रेगिस्तान स्थित परमारों के क्षेत्र में लोद्रवा नामक शहर के शासक को पराजित यहाँ अपनी राजधानी स्थापित की थी। इस भू-भाग में स्थित स्थानीय जातियों जिनमें परमार, बराह, लंगा, भूटा, तथा सोलंकी आदि प्रमुख थे। इनसे सतत संघर्ष के उपरांत भाटी लोग इस भू-भाग को अपने आधीन कर सके थे। वस्तुत: भाटियों के इतिहास का यह संपूर्ण काल सत्ता के लिए संघर्ष का काल नहीं था वरन अस्तित्व को बनाए रखने के लिए संघर्ष था, जिसमें ये लोग सफल हो गए।



सन ११७५ ई. के लगभग मोहम्मद गौरी के निचले सिंध व उससे लगे हुए लोद्रवा पर आक्रमण के कारण इसका पतन हो गया व राजसत्ता रावल जैसल के हाथ में आ गई जिसने शीघ्र उचित स्थान देकर सन् ११७८ ई. के लगभग त्रिकूट नाम के पहाड़ी पर अपनी नई राजधानी स्थापित की जो उसके नाम से जैसल-मेरु - जैसलमेर कहलाई।

जैसलमेर राज्य की स्थापना भारत में सल्तनत काल के प्रारंभिक वर्षों में हुई थी। मध्य एशिया के बर्बर लुटेरे इस्लाम का परचम लिए भारत के उत्तरी पश्चिम सीमाओं से लगातार प्रवेश कर भारत में छा जाने के लिए सदैव प्रयत्नशील थे। इस विषय परिस्थितियों में इस राज्य ने अपना शैशव देखा व अपने पूर्ण यौवन के प्राप्त करने के पूर्व ही दो बार प्रथम अलउद्दीन खिलजी व द्वितीय मुहम्मद बिन तुगलक की शाही सेना का
कोप भाजन बनना पड़ा। सन् १३०८ के लगभग दिल्ली सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की शाही सेना द्वारा यहाँ आक्रमण किया गया व राज्य की सीमाओं में प्रवेशकर दुर्ग के चारों ओर घेरा डाल दिया। यहाँ के राजपूतों ने पारंपरिक ढंग से युद्ध लड़ा। जिसके फलस्वरुप दुर्ग में एकत्र सामग्री के आधार पर यह घेरा लगभग ६ वर्षों तक रहा। इसी घेरे की अवधि में रावल जैतसिंह का देहांत हो गया तथा उसका ज्येष्ठ पुत्र मूलराज जैसलमेर के सिंहासन पर बैठा। मूलराज के छोटे भाई रत्नसिंह ने युद्ध की बागडोर अपने हाथ में लेकर अन्तत: खाद्य सामग्री को समाप्त होते देख युद्ध करने का निर्णय लिया। दुर्ग में स्थित समस्त स्रियों द्वारा रात्रि को अग्नि प्रज्वलित कर अपने सतीत्व की रक्षा हेतु जौहर कर लिया। प्रात: काल में समस्त पुरुष दुर्ग के द्वार खोलकर शत्रु सेना पर टूट पड़े। जैसा कि स्पष्ट था कि दीर्घ कालीन घेरे के कारण रसद न युद्ध सामग्री विहीन दुर्बल थोड़े से योद्धा, शाही फौज जिसकी संख्या काफी अधिक थी तथा खुले में दोनों ने कारण ताजा दम तथा हर प्रकार के रसद तथा सामग्री से युक्त थी, के सामने अधिक समय तक नहीं टिक सके शीघ्र ही सभी वीरगति को प्राप्त हो गए।




तत्कालीन योद्धाओं द्वारा न तो कोई युद्ध नीति बनाई जाती थी, न नवीनतम युद्ध तरीकों व हथियारों को अपनाया जाता था, सबसे बड़ी कमी यह थी कि राजा के पास कोई नियमित एवं प्रशिक्षित सेना भी नहीं होती थी। जब शत्रु बिल्कुल सिर पर आ जाता था तो ये राजपूत राजा अपनी प्रजा को युद्ध का आह्मवाहन कर युद्ध में झोंक देते थे व स्वयं वीरगति को प्राप्त कर आम लोगों को गाजर-मूली की तरह काटने के लिए बर्बर व युद्ध प्रिया तुर्कों के सामने जिन्हें अनगिनत युद्धों का अनुभव होता था, निरीह छोड़े देते थे। इस तरह के युद्धों का परिणाम तो युद्ध प्रारंभ होने के पूर्व ही घोषित होता था।

सल्तनत काल में द्वितीय आक्रमण मुहम्मद बिन तुगलक (१३२५-१३५१ ई.) के शासन काल में हुआ था, इस समय यहाँ का शासक रावल दूदा (१३१९-१३३१ ई.) था, जो स्वयं विकट योद्धा था तथा जिसके मन में पूर्व युद्ध में जैसलमेर से दूर होने के कारण वीरगति न पाने का दु:ख था, वह भी मूलराज तथा रत्नसिंह की तरह अपनी कीर्ति को अमर बनाना चाहता था। फलस्वरुप उसकी सैनिक टुकड़ियों ने शाही सैनिक ठिकानों पर छुटपुट लूट मार करना प्रारंभ कर दिया। इन सभी कारणों से दण्ड देने के लिए एक बार पुन: शाही सेना जैसलमेर की ओर अग्रसर हुई। भाटियों द्वारा पुन: उसी युद्ध नीति का पालन करते हुए अपनी प्रजा को शत्रुओं के सामने निरीह छोड़कर, रसद सामग्री एकत्र करके दुर्ग के द्वार बंद करके अंदर बैठ गए। शाही सैनिक टुकड़ी द्वारा राज्य की सीमा में प्रवेशकर समस्त गाँवों में लूटपाट करते हुए पुन: दुर्ग के चारों ओर डेरा डाल दिया। यह घेरा भी एक लंबी अवधि तक चला। अंतत: स्रियों ने एक बार पुन: जौहर किया एवं रावल दूदा अपने साथियों सहित युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ। जैसलमेर दुर्ग और उसकी प्रजा सहित संपूर्ण-क्षेत्र वीरान हो गया।

परंतु भाटियों की जीवनता एवं अपनी भूमि से अगाध स्नेह ने जैसलमेर को वीरान तथा पराधीन नहीं रहने दिया। मात्र १२ वर्ष की अवधि के उपरांत रावल घड़सी ने पुन: अपनी राजधानी बनाकर नए सिरे से दुर्ग, तड़ाग आदि निर्माण कर श्रीसंपन्न किया। जो सल्तनत काल के अंत तक निर्बाध रुपेण वंश दर वंश उन्नति करता रहा। जैसलमेर राज्य ने दो बार सल्तनत के निरंतर हमलों से ध्वस्त अपने वर्च को बनाए रखा।

मुगल काल के आरंभ में जैसलमेर एक स्वतंत्र राज्य था। जैसलमेर मुगलकालीन प्रारंभिक शासकों बाबर तथा हुँमायू के शासन तक एक स्वतंत्र राज्य के रुप में रहा। जब हुँमायू शेरशाह सूरी से हारकर निर्वासित अवस्था में जैसलमेर के मार्ग से रावमाल देव से सहायता की याचना हेतु जोधपुर गया तो जैसलमेर
के भट्टी शासकों ने उसे शरणागत समझकर अपने राज्य से शांति पूर्ण गु जाने दिया। अकबर के बादशाह बनने के उपरांत उसकी राजपूत नीति में व्यापक परिवर्तन आया जिसकी परणिति मुगल-राजपूत विवाह में हुई। सन् १५७० ई. में जब अकबर ने नागौर में मुकाम किया तो वहाँ पर जयपुर के राजा भगवानदास के माध्यम से बीकानेर और जैसलमेर दोनों को संधि के प्रस्ताव भेजे गए। जैसलमेर शासक रावल हरिराज ने संधि प्रस्ताव स्वीकार कर अपनी पुत्री नाथीबाई के साथ अकबर के विवाह की स्वीकृति प्रदान कर राजनैतिक दूरदर्शिता का परिचय दिया। रावल हरिराज का छोटा पुत्र बादशाह दिल्ली दरबार में राज्य के प्रतिनिधि के रुप में रहने लगा। अकबर द्वारा उस फैलादी का परगना जागीर के रुप में प्रदान की गई। भाटी-मुगल संबंध समय के साथ-साथ और मजबूत होते चले गए। शहजादा सलीम को हरिराज के पुत्र भीम की पुत्री ब्याही गई जिसे 'मल्लिका-ए-जहांन' का खिताब दिया गया था। स्वयं जहाँगीर ने अपनी जीवनी में लिखा है - 'रावल भीम एक पद और प्रभावी व्यक्ति था, जब उसकी मृत्यु हुई थी तो उसका दो माह का पुत्र था, जो अधिक जीवित नहीं रहा। जब मैं राजकुमार था तब भीम की कन्या का विवाह मेरे साथ हुआ और मैने उसे 'मल्लिका-ए-जहांन' का खिताब दिया था। यह घराना सदैव से हमारा वफादार रहा है इसलिए उनसे संधि की गई।'

मुगलों से संधि एवं दरबार में अपने प्रभाव का पूरा-पूरा लाभ यहाँ के शासकों ने अपने राज्य की भलाई के लिए उठाया तथा अपनी राज्य की सीमाओं को विस्तृत एवं सुदृढ़ किया। राज्य की सीमाएँ पश्चिम में सिंध नदी व उत्तर-पश्चिम में मुल्तान की सीमाओं तक विस्तृत हो गई। मुल्तान इस भाग के उपजाऊ क्षेत्र होने के कारण राज्य की समृद्धि में शनै:शनै: वृद्धि होने लगी। शासकों की व्यक्तिगत रुची एवं राज्य में शांति स्थापित होने के कारण तथा जैन आचार्यों के प्रति भाटी शासकों का सदैव आदर भाव के फलस्वरुप यहाँ कई बार जैन संघ का आर्याजन हुआ। राज्य की स्थिति ने कई जातियों को यहाँ आकर बसने को प्रोत्साहित किया फलस्वरुप ओसवाल, पालीवाल तथा महेश्वरी लोग राज्य में आकर बसे व राज्य की वाणिज्यिक समृद्धि में अपना योगदान दिया।

भाटी मुगल मैत्री संबंध मुगल बादशाह अकबर द्वितीय तक यथावत बने रहे व भाटी इस क्षेत्र में एक स्वतंत्र शासक के रुप में सत्ता का भोग करते रहे। मुगलों से मैत्री संबंध स्थापित कर राज्य ने प्रथम बार बाहर की दुनिया में कदम रखा। राज्य के शासक, राजकुमार अन्य सामन्तगण, साहित्यकार, कवि आदि समय-समय पर दिल्ली दरबार में आते-जाते रहते थे। मुगल दरबार इस समय संस्कृति, सभ्यता तथा अपने वैभव के लिए संपूर्ण विश्व में विख्यात हो चुका था। इस दरबार में पूरे भारत के गुणीजन एकत्र होकर बादशाह के समक्ष अपनी-अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया करते थे। इन समस्त क्रियाकलापों का जैसलमेर की सभ्यता, संस्कृति, प्राशासनिक सुधार, सामाजिक व्यवस्था, निर्माणकला, चित्रकला एवं सैन्य संगठन पर व्यापक प्रभाव पड़ा।

मुगल सत्ता के क्षीण होते-होते कई स्थानीय शासक शक्तिशाली होते चले गए। जिनमें कई मुगलों के गवर्नर थे, जिन्होंने केन्द्र के कमजोर होने के स्थिति में स्वतंत्र शासक के रुप में कार्य करना प्रारंभ कर दिया था। जैसलमेर से लगे हुए सिंध व मुल्तान प्रांत में मुगल सत्ता के कमजोर हो जाने से कई राज्यों का जन्म हुआ, सिंध में मीरपुर तथा बहावलपुर प्रमुख थे। इन राज्यों ने जैसलमेर राज्य के सिंध से लगे हुए विशाल भू-भाग को अपने राज्य में शामिल कर लिया था।
अन्य पड़ोसी राज्य जोधपुर, बीकानेर ने भी जैसलमेर राज्य के कमजोर शासकों के काल में समीपवर्ती प्रदेशों में हमला संकोच नहीं करते थे। इस प्रकार जैसलमेर राज्य की सीमाएँ निरंतर कम होती चली गई थी। ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत आगमन के समय जैसलमेर का क्षेत्रफल मात्र १६ हजार वर्गमील भर रह
गया था। यहाँ यह भी वर्णन योग्य है कि मुगलों के लगभग ३०० वर्षों के लंबे शासन में जैसलमेर पर एक ही राजवंश के शासकों ने शासन किया तथा एक ही वंश के दीवानों ने प्रशासन भार संभालते हुए उस संझावत के काल में राज्य को सुरक्षित बनाए रखा।

जैसलमेर राज्य में दो पदों का उल्लेख प्रारंभ से प्राप्त होता है, जिसमें प्रथम पद दीवान तथा द्वितीय पद प्रधान का था। जैसलमेर के दीवान पद पर पिछले लगभग एक हजार वर्षों से एक ही वंश मेहता (महेश्वरी) के व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता रहा है। प्रधान के पद पर प्रभावशाली गुट के नेता को राजा के द्वारा नियुक्त किया जाता था। प्रधान का पद राजा के राजनैतिक वा सामरिक सलाहकार के रुप में होता था, युद्ध स्थिति होने पर प्रधान, सेनापति का कार्य संचालन भी करते थे। प्रधान के पदों पर पाहू और सोढ़ा वंश के लोगों का वर्च सदैव बना रहा था।

मुगल काल में जैसलमेर के शासकों का संबंध मुगल बादशाहों से काफी अच्छा रहा तथा यहाँ के शासकों द्वारा भी मनसबदारी प्रथा का अनुसरण कर यहाँ के सामंतों का वर्गीकरण करना प्रारंभ किया। प्रथा वर्ग में 'जीवणी' व 'डावी' मिसल की स्थापना की गई व दूसरे वर्ग में 'चार सिरै उमराव' अथवा 'जैसाणे रा थंब' नामक पदवी से शोभित सामंत रखे गए। मुगल दरबार की भांति यहाँ के दरबार में सामन्तों के पद एवं महत्व के अनुसार बैठने व खड़े रहने की परंपरा का प्रारंभ किया। राज्य की भूमि वर्गीकरण भी जागीर, माफी तथा खालसा आदि में किया गया। माफी की भूमि को छोड़कर अन्य श्रेणियां राजा की इच्छानुसार नर्धारित की जाती थी। सामंतों को निर्धारित सैनिक रखने की अनुमति प्रदान की गई। संकट के समय में ये सामन्त अपने सैन्य बल सहित राजा की सहायता करते थे। ये सामंत अपने-अपने क्षेत्र की सुरक्षा करने तथा निर्धारित राज राज्य को देने हेतु वचनबद्ध भी होते थे।

ब्रिटिश शासन से पूर्व तक शासक ही राज्य का सर्वोच्च न्यायाधिस होता था। अधिकांश विवादों का जाति समूहों की पंचायते ही निबटा देती थी। बहुत कम विवाद पंचायतों के ऊपर राजकीय अधिकारी, हाकिम, किलेदार या दीवान तक पहुँचते थे। मृत्युदंड देने का अधिकार मात्र राजा को ही था। राज्य में कोई लिखित कानून का उल्लेख नही है। परंपराएँ एवं स्वविवेक ही कानून एवं निर्णयों का प्रमुख आधार होती थी।

भू-राज के रुप में किसान की अपनी उपज का पाँचवाँ भाग से लेकर सातवें भाग तक लिए जाने की प्रथा राज्य में थी। लगान के रुप में जो अनाज प्राप्त होता था उसे उसी समय वणिकों को बेचकर नकद प्राप्त धनराशि राजकोष में जमा होती थी। राज्य का लगभग पूरा भू-भाग रेतीला या पथरीला है एवं यहाँ वर्षा भी बहुत कम होती है। अत: राज्य को भू-राज से बहुत कम आय होती थी तथा यहाँ के शासकों तथा जनसाधारण का जीवन बहुत ही सादगी पूर्ण था।

"रेयाण'........दरीखाने में अफीम- सेवन




यह अत्यंत आश्चर्य की बात है कि मेवाड़ व मालवा के इलाके, जहाँ अफीम की खेती की जाती है, उससे कही बहुत अधिक, इसका प्रचलन मारवाड़ में जैसलमेर व बाड़मेर के गाँवों में है, जहाँ कभी- कभी कोसों दूरी से पानी लाया जाता है। कहीं- कहीं तो पूरे ग्रामवासी अफीमची है। "डिंगल कोष' में अफीम के कई नाम दिये गये हैं-- नाग-झाग, कसनाग रा, काली, अमल (कुहात), नागफैण, पोस्त (नरक), आकू, कैफ (अखात), अफीण, कालागर, सांवलौ, दाणावत, कालौ आदि। बोलचाल की भाषा में इसे अफीम, अमल, कसूंबो, कहूंबो, कालियो आदि कहा जाता है।

राजस्थानी भाषा में अफीम की उत्पत्ति के विषय में एक दोहा प्रचलित है --


अमल भैंस, ग चावल, चौथी रिजका चार,
इतरी दीना दायजै, वासंग रै दरबार

(अर्थात अफीम, भैंस, गेहूँ, चावल और रिजका, घोड़े को खाने वाला हरा घास, कर्ण के विवाह पर वासंग द्वारा दहेज में दिया गया था।)

एक अन्य कहावत है --


अहिधर मुख सूं ऊपणों, अह- फीण नाम अमल,
(अर्थात सपं के मुख से जो झाग उपजा, उसका नाम अमल हुआ।)

यहाँ के समाज में संत जांभोजी का प्रभाव व्यापक था। उनके संपर्क में आकर राठौड़ों ने मांस तथा मदिरा का सेवन छोड़ दिया। अफीम ने शराब का स्थान ले लिया और धीरे- धीरे इसका महत्व बढ़ता गया। विवाह, सगाई, मरण, मिलन, विछोह, मान- मनुहार, मेलजोल व आपसी समझौते के समय अफीम की मनुहार का यहाँ विशेष महत्व है। अमल के समय विभिन्न इतिहास पुरुषों को स्मरण किया जाता है। इन्हें वे "रंग देना' कहते हैं। इसमें वे ब्रम्हा से लेकर देश के राजा व चौधरी तक को अपने अमूल्य योगदान के लिए रंग देते हैं। इनका एक उदाहरण इस प्रकार दिया जा रहा है --

""रंग उदयपुर रै राणा नै, रंग रुप नगर रै ढ़ाणा नै, रंग मंडोवर री बाड़ी नै, रंग नींबाज रा किंवाड़ा नै, रंग सूरा साकदड़ा नै, रंग कोटड़ा रा घोड़ा नै, रंग तेजा जूंझारा नै, रंग मेड़ता रा अमवारां नै, रंग जसवंत सिघ री हाडी राणी नै, रंग रुपादे मल्लीनाथ री राणी नै, रंग सीता रै सत नै, रंग लिछमण जती नै, रंग ईसरदास नै, रंग जेतमाल दसमा सालगराम नै, रंग जैसल री राणी नै, रंग भीम रा अपांण नै, रंग दीवाण रोहितास नै, रंग सती कागण नै, रंग पाबू रा भाला नै, रंग जायल रा जाट नै, रंग खिंवाड़ा रा चौधरी नै, रंग जेत रा थाल नै, रंग सोनगरा री आण नै, रंग सहजादी री जबान नै, रंग हम्मीरां रा हठ नै, रंग सवाईसिंध रा वट नै, रंग महाराजा ईष्ट नै, रंग ब्रम्हा रा तृष्ट नै।

समाज में एक- दूसरे को अफीम देने की प्रथा विद्यमान रही है। अक्षय तृतीया को सभी ग्रामवासी जागीरदार के दरीखाने में अफीम- सेवन के लिए एकत्रित होते थे। इस सभा को "रेयाण' कहते हैं। जागीरदार स्वयं उस दिन अपने दाहिने हाथ से प्रत्येक ग्रामवासी को अफीम का विशेष घोल सम्मान के साथ पिलाते थे। विशेष सम्मानस्वरुप ग्रामवासी जागीरदार के हाथ को अपने "साफे' को खोलकर उसके पल्लू से हाथ साफ करते थे। अपने हाथ से प्रत्येक व्यक्ति को अफीम की मनुहार करने के बाद, उसे अपना हाथ पीकदानी में धोना पड़ता था और स्वच्छ हाथ से दूसरे ग्रामवासी को अफीम की मनुहार की जाती थी।

यहाँ के गाँवों में रिवाज के अनुसार जमाई आने को सूचना"अमल के हेले' से होती है। ग्रामीण लोग बड़ी संख्या में अफीम की आस में उनके घर मिलने जाते हैं तथा तोले का तोला अफीम खा जाते हैं।

नियमित " मावे' से अमल लेने वालों को तीन बार हथेली भर कर अमल दिया जाता है। इसे तेड़ा कहते हैं। बड़े अफीमचियों को तृप्त करने के लिए हाथ की हथेली की अंगुलियों व अंगूठे को जोड़कर एक छोटी तलाई का रुप दिया जाता है। इस प्रकार की भरपूर हथेली को "खोबा' कहा जाता है। अधिक "खोबे' पीने वाले लोगों की चर्चा रेयाण में विशेष रुप से होती है। जिस अफीमची की मनुहार भारी पड़ रही हो, वह काव्यमयी भाषा में रंग देना प्रारंभ करता है। प्रत्येक रंग के साथ वह अपने अनामिका से हथेली में भरे हुए अफीम से छीटा देने लगता है। रंग देते हुए आधा अफीम छींटे देकर ही कम कर देता है। जितना अफीम आवश्यक लगता है, उतना पी लेता है। लेकिन परंपरानुसार जब तक अफीम समाप्त न हो जाए, हथेली को बिना हिलाए सामने की तरफ रखना पड़ता है।

जब किसी अफीमची को "अमल' ज्यादा लेना होता है, तो वे अपने निकट बैठे किसी सबल अफीमची के मुँह में जबरदस्ती अफीम दे देते थे, जिसके प्रतिक्रिया में वह दुगुनी मात्रा में सुखी अफीम उसके मुँह में डाल देता था, जिसके लिए वह पहले से तैयार रहता था। कुछ अफीमचियों को नशा चढ़ाने के लिए मजाक में ही हाथापाई करनी पड़ती है। कई अफीमची तो रेयाण मे मनुहार करने पर बड़ी मात्रा में अफीम मुँह में डाल लेते थे। फिर कभी बड़ी चालाकी से उसे अमल की हंडिया में संग्रहित कर लेते थे, जिसका बाद में पुनः प्रयोग किया जा सके। रेयाण में, ऐसी मजलिस प्रायः मध्याह्म तक चलती रहती है।

रेयाण की समाप्ति के बाद अफीम की कड़वाहट को दूर करने के लिए मिसली, बताशे जैसे मीठे खाद्य बाँटे जाते हैं। इसे खारभंजणा कहा जाता है। इसका वितरण आर्थिक स्थिति के अनुसार किया जाता है। ज्यादा "खारभंजणा' वितरित करने वालों की इज्जत बढ़ती है। वितरण की जिम्मेदारी गाँव के "नाई' की होती है, जिसके बदले उसे "नेग' मिलती है।

पहले दो समूहों के झगड़े को शांत करने के लिए, पंच लोग अफीम दिलाकर आपस में एक- दूसरे की सुलह कराते थे। ऐसी मान्यता थी कि कैसी भी पुरानी दुश्मनी हो, एक- दूसरे के हाथ से अफीम ले लेने के बाद बैर खत्म हो जाती है। विवाह- सगाई में भी अफीम की मनुहार के बाद ही बात पक्की मानी जाती थी। सगाई- संबंध के गवाह के रुप में ग्रामीणों को अफीम का हेला (न्योता) किया जाता रहा है। मृत्युपरांत शोक- संतप्त परिवार से मिलने आये रिश्तेदारों को भी अफीम की मनुहार की जाती है।

गाँवों में अफीम का प्रयोग कई प्रकार से, दवाओं के रुप में भी किया जाता है, शरीर के किसी अंग में दर्द होने पर अफीम की मालिश की जाती है। किसान अपनी
कमर दर्द कम करने के लिए तो प्रायः इसी घरेलु औषधि का प्रयोग करते हैं। अफीम कब्ज पैदा करने वाला पदार्थ है, अतः दस्त होने पर भी गाँव वाले इसका प्रयोग करते हैं। सर्दी- जुकाम में अफीम को गर्म करके लेने की भी परंपरा रही है। युद्ध के समय मल- मुत्र रोकने के लिए अफीम पी जाती थी।

अफीमचियों से अफीम की लत छुड़वाना, हमेशा से ही एक समस्या रही है। कर्नल टॉड ने भी माना है -- राजपूतों का नाश अफीम ने किया। कई लोगों ने इस जहर से मुक्ति की दिशा में प्रयास किये हैं। वि. सं. १९२३ (सन् १८६६ ई.) में लिखित एक ग्रंथ में बाघसिंह का एक गुटका मिला है, जिसमें अमल छोड़ने की दवा का नुस्खा इस प्रकार दिया गया है --


।। षुरणांणी अजमो:।। कुचीला।। मोठ की जडः।। कटील की जड़।।

इस आरु चीजां कूं कूट कपड़ छांण करके रोज जिते अमल घटाना, जिती इस माँय से दवा लेणी, कुचीला पै लाती लिपटी में भेला भिजावणों दिनह की मजीसा को नाम लेकर दवा देणी।



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चिकनी चमेली पर थिएटर में भड़का दंगा, 9 गिरफ्तार

 

मुंबई. मुंबई के एक सिनेमा हॉल में अग्निपथ फिल्म देखने गए एक परिवार पर स्कूली छात्रों ने हमला कर दिया। झगड़ा चिकनी चमेली गाने पर थिएटर में डांस करने को लेकर हुआ।


दरअसल वैटी परिवार गुरुवार को फिल्म अग्निपथ देखने गया था। थिएटर में स्कूली छात्र भी थे। जैसे ही चिकनी चमेली गाना आया छात्र डांस करने लगे और महिलाओं पर फब्तियां कसने लगे।


इसी दौरान एक छात्र लुईस वैटी के ऊपर गिर गए। वैटी ने एक छात्र को थप्पड़ जड़ दिया और सिनेमा प्रबंधन से शिकायत की जिस पर छात्रों को बीच फिल्म से ही सिनेमा से बाहर निकाल दिया गया।


इसी बीच छात्रों ने रमेश विश्वकर्मा नाम के एक स्थानिय गुंडे को बुला लिया। जैसे ही वैटी परिवार फिल्म देखकर बाहर निकला उन पर रमेश की अगुवाई में छात्रों ने हमला कर दिया। हमले में सनी वैटी, अनूप वैटी और उनके पिता लुईस वैटी घायल हो गए। अनूप और लुईस गंभीर हालत अस्पताल में भर्ती हैं।


छात्रों ने वैटी परिवार की कार भी क्षतिग्रस्त कर दी। पुलिस ने इस मामले में रमेश विश्वकर्मा समेत 9 लोगों को गिरफ्तार किया है जिसमें आठ नाबालिग हैं।


पीड़ित परिवार का यह भी आरोप है कि जब उन पर हमला हुआ तो उन्होंने 100 नंबर पर पुलिस को कॉल किया लेकिन पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। हालांकि मामले के तूल पकड़ने पर पुलिस ने 9 छात्रों को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया।

अफीम तस्करी के आरोपी की जमानत खारिज

 

राजस्थान हाईकोर्ट ने अफीम की तस्करी में लिप्त एक आरोपी को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है। यह आदेश न्यायाधीश निशा गुप्ता ने प्रार्थी ओसियां तहसील के तहत लाखेटा मतोड़ा निवासी प्रार्थी आरोपी ओमप्रकाश की ओर से दायर जमानत आवेदन की सुनवाई में दिए।



मामले के अनुसार 20 अप्रैल 2011 को पाली पुलिस ने नाकाबंदी के दौरान एक बोलेरो को रोका, लेकिन ये लोग नाकाबंदी तोड़कर भाग गए। इस पर उनका पीछा किया तो एक व्यक्ति गाड़ी से उतर कर हाथ में दो थैलियां लेकर भागने लगा। पुलिस ने उसे पीछा कर पकड़ लिया। पप्पू राम विश्नोई पुत्र बग्गाराम विश्नोई नामक इस व्यक्ति के से पास साढ़े तीन किलो अफीम के दूध की थैली व दूसरी थैली में 3 लाख 29 हजार रुपए नकद मिले।



बोलेरो में बैठे दो अन्य व्यक्तियों में से एक प्रार्थी आरोपी ओमप्रकाश था। उसकी ओर से कहा गया कि उसे झूठा फंसाया गया है। जबकि सरकारी वकील महीपाल विश्नोई ने आरोपी की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि जिस गाड़ी में आरोपी बैठा था उसमें काफी मात्रा में अफीम का दूध तस्करी किया जा रहा था।



शराब तस्करी के आरोपियों को जमानत देने से इनकार
राजस्थान हाईकोर्ट ने शराब की तस्करी में लिप्त एक आदतन अपराधी को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है। यह आदेश न्यायाधीश निशा गुप्ता ने प्रार्थी आरोपियों सांचौर तहसील के तहत पुरथाना निवासी रतनराम विश्नोई तथा अरणाय निवासी हरीराम विश्नोई की ओर से दायर जमानत आवेदन की सुनवाई में दिए।



मामले के अनुसार 19 जून 2011 को वृत्ताधिकारी पोकरण ने सूचना मिलने पर नाचना फांटा रामदेवरा की ओर से आ रहे एक टर्बो ट्रक को पकड़ा तो ट्रक में 648 कार्टन्स विभिन्न ब्रांड की अंग्रेजी शराब व बीयर पायी गई। ट्रक ड्राइवर रतनराम तथा खलासी हरीराम के पास इतनी शराब परिवहन का कोई वैध लाइसेंस अथवा परमिट नहीं मिला। जिस पर इन्हें गिरफ्तार किया गया था।

मिशेल ओबामा के शाही अंदाज अंतर्वस्त्र खरीदने में ही 50,000 डॉलरखर्च

जरा सोचिए कि आपकी बीवी या प्रेमिका ने जो ब्रा पहनी हुई है, उसकी अधिकतम कीमत कितनी होगी? सोच लिया। कहां तक पहुंच पाए? सौ-दो सौ, हजार-दो हजार..लेकिन मिशेल ओबामा के शाही अंदाज को सुनकर आप चकित रह जाएगें। अमेरिका की प्रथम महिला मिशेल ओबामा ने अंडरगार्मेंट्स खरीदने में ही 25 लाख रूपए खर्च कर दिए। मिशेल ने पिछले वर्ष लिंगरी ब्रांड एजेंट प्रोवोकेटर से अंतर्वस्त्र खरीदने में ही 50,000 डॉलर (लगभग 25 लाख रूपए) खर्च कर दिए।
 

बकौल डेली टेलीग्राफ मिशेल ने एजेंट प्रोवोकेटर के मेडिसन एवेन्यू (न्यूयार्क) से अंतर्वस्त्रों की खरीददारी की। मिशेल की खरीददारी के कारण ब्रांड की सेल में 12 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।



हालांकि एजेंट प्रोवोकेटर के सीईओ गैरी होगार्थ ने मिशेल द्वारा अंतर्वस्त्रों पर हजारों डॉलर खर्च करने के मामले की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है और व्हाइट हाउस प्रेस सेकेट्री जे कार्ने ने भी इसका खंडन किया है।



गौरतलब है कि वर्ष 2006 में अमेरिकन अदाकारा केटी होम्स ने भी अपनी शादी के वस्त्र खरीदने में 3000 अमेरिकी डॉलर खर्च कर दिए थे। इन कपड़ों में उनके मंहगे कपड़ों से लेकर अंतर्वस्त्र भी शामिल थे।

आप भी मां बनने वाली हैं आज से ही नारियल का सेवन शुरू कर दीजिये

 

अक्सर जिनेक घरों में बड़े-बूढ़े लोग होते हैं और उनके घर में कोई महिला मां बनने वाली होती है तो अक्सर सुना जाता है कि महिला को नारियल खिलाओं ताकि बच्चा या बच्ची का रंग गोरा हो। जानते हैं इसके पीछे कारण क्या हैं, नारियल के पानी में इतनी ताकत होती है जितनी की सोयाबीन में, इसके अलावा नारियल में बहुत ज्यादा पोटेशियम होता है जो कि बच्चे की त्वचा और बाल के लिए अच्छा होता है।

जरा गौर फरमाये, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र यहां पर अक्सर लोग नारियल पानी पीते है, जानते हैं क्यों इसलिए एक तो वो पूर्ण से पौष्टिक और स्वच्छ होता है और वो सस्ता भी होता है, इन क्षेत्रों की महिलाओं पर आप गौर फरमाये तो उनके बाल लंबे , काले और घने होते है। त्वचा के रंग पर मत जाईये क्योंकि इन क्षेत्रों के लोगों का रंग श्याम इसलिए होता है क्योंकि ये क्षेत्र समुद्र के काफी निकट जिससे यहां की जलवायु गर्म होती है।

नारियल खाने में भी स्वादिष्ट होता है, मुलायम होता है और पाच्य भी होता है, उसका सफेद रंग त्वचा के मिलेनिन में मिलकर रक्त संचार में मदद करता है जिसके चलते बॉडी में त्वचा का रंग साफ होता है, यही कारण है कि घर के बुजुर्ग गर्भवती महिला को नारियल खाने और नारियल पानी पीने की सलाह देते हैं। इसलिए अगर आप भी मां बनने वाली हैं और आप चाहती है आपका भी सुंदर सलोना और प्यारा बच्चा हो तो आज से ही नारियल का सेवन शुरू कर दीजिये

अंक ज्ञान से हर तरह के मामले की भविष्वाणी

- अंक ज्ञान से हर तरह के मामले की भविष्वाणी की जा सकती है, लेकिन इसका गहरा संबंध स्वास्थ्य से भी है। शरीर के विभिन्न महत्वपूर्ण हिस्सों के सही माप के साथ-साथ उन अंकों की जानकारी होना भी जरूरी है,जो स्वस्थ रहने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। इस अंक को उसके उसी स्तर तक बनाए रखना क्यों जरूरी है।




HEART HEALTH

कोलेस्ट्रॉल नंबर 5: देखा जाए,तो शरीर में कुल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 5 एमएमआंएल/एल से अधिक नहीं होना चाहिए।

एमएमओएल/एल स्वास्थ्य को मापने की इकाई है। यदि किसी को दिल की बीमारियां होने का खतरा अधिक है,तो ज्यादा से ज्यादा 5 नंबर सुरक्षित माना जाता है। भारतीयों में यह स्तर औसतन 5.7 से 6.0 होता है,जो कि अधिक माना जाता है। जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल बहुत अधिक बढ जाता है। तो यह धमकियों की दीवारों में जमा हो जाता है। इससे दिल का दौरा बढने का खतरा बढ जाता है।

क्या करें: सेचुरेटेड वसा कम से कम खांए। यह डेयरी प्रोडक्ट,बिस्कुट और केक में मिलता है। मोनोसनुरेटेड वसा (ऑलिव ऑइल) और ओमेगा-3 (मछली) को भोजन में शामिल करें। जौ और दालों (मसर,मटर,बींस) में कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक फाइबर होत हैं। नियमित रूप से व्यायाम करने से सुरक्षा प्रदान करनेवाले अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ सकता है।
कमर 32: यदि कमर का साइज 32 इंच से अधिक होगा। ऎसा समझा जाता है कि कमर पर चरबी का चढा होना उस हिस्से के अंगों जैसे लिवर के लिए अच्छा नहीं समझा जाता। इस तरह के अंगों पर चरबी चढने से उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है और इनमें से ऎसे रसायन निकलते हैं, जो शरीर के इंसुलिन सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे टाइप 2 डाइबिटीज होने को खतरा बढ सकता है।


HEALTH FOOD

क्या करें: स्वास्थ्यपूर्वक डाइट लें। सप्ताह में 5 दिन नियमित रूप से 30 मिनट के लिए व्यायाम करें। मेनोपॉज के बाद कमरवाले हिस्से पर खासतौर से ध्यान दें। हारमोन्स में बदलाव आने का मतलब है कि चरबी हिप्स और जांघों पर चढने की बजाय कमर को अपना निशाना बनाएगी। हमेशा अपनी कमर का माप खडे हो करर लें। माप लेते समय शांत रहें और ध्यान रहे इस हिस्से पर कपडे ना हों,तो बेहतर है। टेप को अपने पेट के सबसे चौडे हिस्से पर रख कर माप लें।
हडि्डियों का घनत्व -1.5: यदि हड्डियों का घनत्व 0से-1.5 के बीच है,तो यह सामान्य है। अगर यह-1.5 से -2.1 के बीच है,तो इसका अर्थ है कि ऑस्टियोपीनिया है। यदि हड्डियों का घनत्व औसत से कम होने पर जीवनशैली में सुधार लाने की जरूरत होती है। ऑस्टियोपोरोसिस के शिकार होती है। ऑस्टियोपोरिसिस से फै्रक्चर होने की जरूरत होती हैं।
क्या करें: सैर,डांस या एरोबिक्स जैसे व्यायाम करें।इनसे वजन कम होता है,हड्डियों मजबूत और स्वस्थ होती हैं। हड्डियों को मजबूत बनाने में मददगार कैल्शियम से भरपूर चीजें जैसे प्रोडक्ट और हरी पतेदार सब्जियां भरपूर मात्रा में खाएं। नियमित रूप से सूर्य की रोशनी का सेवन करें। इसमें मिलनेवाला विटामिन डी कैल्शियम को सोखने में मदद करता है रोज 5 मिनट के लिए सूर्य की रोशनी लेना पर्याप्त हैं। ऎसे में बाजू और चेहरा आदि ढके हुए नहीं होने चाहिए।
दिल की धडकन 74 (62-85) होना: दिल की धडकन भी आपके स्वास्थ्य का हाल बताती है। हाल ही में की गयी रिसर्च से पता चलता है कि आराम करते समय दिल की धडकन के 90 बीपीएम (बीट्स पर मिनट)से अधिक होने से हार्ट अटैक का खतरा बढ सकता है। लेकिन 62से 85 के बीच के अंक को सामान्य समझा जाता है। ब्लड पे्रशर,कोलेस्ट्रॉल का स्तर, वजन और फिटनेस आदि सभी इसके महत्वपूर्ण कारण माने जाते हैं।
क्या करें:अधिक व्यायाम करें। दिल भी मांसपेशियों की तरह है,जिसे व्यायाम की आवश्यकता होती है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि वह शरीर में प्रभावी ढंग से खून पंप कर सकता है। राजमर्रा के कामों जैसे सैर,बागवानी करने आदि हर उस काम का अपना महत्व है, जिसे करने के बाद सांसे नियंत्रण से थोडा बाहर हो जाती हैं। जिस समय आप आराम कर रहे होते हैं,उस समय अपनी नाडी की गति जांचें। इसका पता लगाने के लिए अपने सीधे हाथ की पहली और दूसरी उंगली के आगे के हिस्से को बाएं हाथ के थोडा नीचे रखें। अब एक मिनट के अंदर नाडी के स्पंदन की दर का पता लगाएं। यह स्पंदन मजबूत और नियमित होना चाहिए। अगर यह अनियमित से नीचे या लगातार 60 बीपीएम से नीचे या 90 से अधिक है,तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
ब्लड शुगर का अंक-6.1: यदि फॉस्टिंग में ब्लड-ग्लूकोज (शुगर) का स्तर 109 एमजी यानी 6.1 एमएमओएल/एल से अधिक चला जाता है,तो यह इस बात का संकेत है कि आपका शरीर ग्लूकोज को ऊर्जा में परिवर्तित नहीं कर रहा है,जैसा कि इसे करना चाहिए। फॉस्टिंग में ब्लड टेस्ट कराने का मतलब है कि कम से कम 8 घंटे के लिए कुछ खाया ना हो। यह इस बात का सूचक है कि डाइबिटीज होने का खतरा बढ गया है,जो कि 125 एमजी यानी 7 एमएमओएल/एल के बीच है,तो इसे आईजीटी या इंपेयर्ड ग्लूकोज टोलरेंस कहते हैं, जिसका अर्थ है कि दिल की बीमारी और स्ट्रोक का खतरा थोडा ज्यादा बढ गया है।
क्या करें: स्वास्थ्यकारी चीजें खाएं। व्यायाम अधिक करें। यदि वजन अधिक है,तो अपना वजन कम करें। डाइबीटीज के लक्षणों का खास यूरिन आना, बेवजह वजन का घटना या बढना,ठीक से दिखाई ना देना आदि।यदि इसमें से कोई भी लक्षण नजर आए,तो नुरंत अपने डॉक्टर से मिलें। ब्लड शुगर का स्तर अचानक बहुत अधिक या कम ना हो जाए, इस स्थिति से बचने के लिए बेहतर यही है कि ऎसी चीजे खाएं, जिनका ग्लाइसीमिक इंडेक्स कम या मध्यम हो। इस तरह की चीजों में सेब,अंगूर,सूखी खुबानी,आलूबुखरा और दही आदि शामिल हैं।
ब्लड पे्रशर का अंक 140/85: ब्लड पे्रशर 140/85 से अधिक नहीं होना चाहिए। अगर ब्लड पे्रशर की रीडिंग इससे कम आए,तो दिल की बीमारियां व स्ट्रोक होने का खतरा कम होता है। यदि किसी को हार्ट अटैक,स्ट्रोक या दिल की बीमारी या डाइबिटीज है,तो इससे गुरदे की बीमारी,डिमेंशियां और आंखों की समस्याएं हो सकती हैं।
क्या करें: रोज ज्यादा से ज्यादा फल और सब्जियां खाएं। लेकिन नमक ज्यादा मात्रा में ना खाएं। सप्ताह में 5 बार 30 मिनट के लिए व्यायाम करें। यदि ब्लड पे्रशर अधिक है, तो डॉक्टर की सलाह से दवा लें।
टेस्ट क्या हों
यदि 45 वर्ष से अधिक आयु के हैं, तो डॉक्टर कार्डियोवेस्कुलर टेस्ट की जांच के लिए कह सकते हैं। इसमें सामान्य रूप से स्वास्थ्य की जांच के साथ-साथ ब्लड पें्रार और कोलस्ट्रॉल के स्तर की जांच की जाती है। उम्र के इस दौर में ब्लड पे्रशर की जांच नियमित रूप से कराना जरूरी है,क्योंकि इसका कोई खास लक्षण होता है। चाहें,तो घर पर ब्लड पे्रशर को मापनेवाला यंत्र रख सकते हैं और इससे समय-समय पर इसकी जांच कर सकते हैं। यदि टाइप 2 डाइबिटीज होने का खतरा है,तो डॉक्टर फॉास्टिंग में प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा होने पर डेक्सा (डीईएक्सए यानी डुअल एनर्जी एक्स-रे अब्सोरपटिओमेट्री) स्कै न कराने के लिए कहते हैं। इससे हिप्स और रीढ की हडि्डयों के घनत्व के बारे में पता चलता है। स्कै न तो फायदेमंद होता ही है, लेकिन उसके साथ ही अन्य कारण जैसे फैमिली हिस्ट्री और पहले कभी हुए फै्रक्चर भी ओस्टियोपोरासिस/फै्रक्चर भी ओस्टियोपोरोसिस रिस्क का पता लगाने में मददगार होते हैं। हडि्डयों का घनत्व औसत से कम होने पर लाइफ स्टाइल में सुधार लाने की जरूरत होती है। ऑस्टियोपोरासिस से फै्रक्चर होने का खतरा बढ जाता है और तब उसका इलाज कराना पडता है।

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

नसबंदी के लिए महिलाओं को लगाने पड़े चक्कर

नसबंदी के लिए महिलाओं को लगाने पड़े चक्कर

 

इनकी लापरवाही, उनकी परेशानी

जालोर जनसंख्या वृद्धि पर रोकथाम के लिए परिवार नियोजन जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भी चिकित्सा विभाग की ओर से लापरवाही बरती जा रही है। एक ओर जहां सरकार इसमें करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं जिला मुख्यालय पर एक एएनएम समेत चार महिलाओं को नसबंदी ऑपरेशन के लिए दो दिन से परेशान होना पड़ा। जब ये महिलाएं पूरी तरह से परेशान हो गई तब जाकर आनन फानन विभाग के अधिकारियों ने व्यवस्था करवाई, जिसके बाद इन महिलाओं का ऑपरेशन हो पाया।

जानकारी के अनुसार निकटवर्ती मादलपुरा गांव से एएनएम सुमन 31 जनवरी को चार महिलाओं बादली देवी, भंवरी देवी, पूसी देवी और नबूड़ी को नसबंदी करवाने के लिए जालोर अस्पताल लेकर पहुंचीं। यहां सर्जन डॉ. वल्लभ भंडारी ने शिविर में होने की बात कही। इस पर महिलाएं फिर अपने गांव लौट गईं। इसके अगले दिन एक फरवरी को डॉ भंडारी का ऑफ था। एएनएम द्वारा ऑपरेशन के लिए दिन पूछने पर डॉक्टर ने 2 फरवरी की तारीख दी। इस पर चारों महिलाएं और एएनएम गुरुवार को फिर अस्पताल पहुंच गईं, लेकिन गुरुवार को भी कोई सर्जन अस्पताल में नहीं मिला। ऐसे में यह महिलाएं दिनभर अस्पताल में परेशान होती रहीं। दोपहर बाद डॉ वल्लभ भंडारी ने अस्पताल आकर इनके ऑपरेशन किए।

एएनएम ने खुद दिया किराया

नसबंदी केस में महिला को 600 रुपए तथा एएनएम को मोटिवेशन के रूप में 150 रुपए मिलते हैं। इस स्थिति में एएनएम जब महिलाओं को ऑपरेशन के लिए 31 जनवरी को जालोर लेकर पहुंचीं तो उनके किराए का भुगतान उसे ही करना पड़ा, जबकि ऑपरेशन नहीं हो पाया। ऐसे में उसे चारों महिलाओं को फिर 2 फरवरी को ऑपरेशन के लिए पहुंचना पड़ा। इस स्थिति में किराए का भुगतान दुबारा करना पड़ा, जबकि मोटिवेशन फीस के रूप में प्रति केस एएनएम को केवल 150 रुपए ही मिल पाते हैं।



नहीं तो भेजते भीनमाल

दोपहर तक ये महिलाएं परेशान होती रहीं, लेकिन किसी ने इनकी समस्या नहीं सुनी। दोपहर बाद जब महिलाएं बहुत ज्यादा परेशान हुईं तो डिप्टी सीएमएचओ एसके चौहान ने आहोर अस्पताल में बात की, लेकिन वहां भी सर्जन अवकाश पर था। इसके बाद उन्होंने भीनमाल बात की तो वहां सर्जन डॉ. प्रेमराज परमार ने ऑपरेशन करने की बात स्वीकार कर ली। इस पर महिलाओं को एंबुलेंस से भीनमाल भेजने की तैयारी की गई। इस बीच जालोर में ही डॉ. वल्लभ भंडारी महिलाओं के ऑपरेशन को तैयार हो गए। आखिरकार तीन दिन परेशान होने के बाद गुरुवार को इन महिलाओं का ऑपरेशन हो पाया।




न्यूज़ इनबॉक्स बाड़मेर.... शुक्रवार ३ फरवरी २०१२

राह चलते बालक को चाकू मारा


 बालोतरा  कुंपलिया गांव में गुरुवार को सड़क किनारे जा रहे एक 17 वर्षीय बालक को मोटरसाइकिल पर आए चार युवकों ने चाकू से वार कर घायल कर दिया। बालक को परिजन बालोतरा राजकीय अस्पताल उपचार के लिए लेकर पहुंचे। पुलिस ने बताया कि रामाराम पुत्र आदूराम जाट निवासी झिपाणियों की ढाणी कुंपलिया ने गिड़ा थाने में रिपोर्ट पेश कर बताया कि गुरुवार प्रात: 10.30 बजे उसका भाई मोतीराम घर से सड़क-सड़क परेऊ गांव मेला देखने जा रहा था। इतने में पीछे से मोटरसाइकिल नं आरजे 04 2एम 3503 पर सवार होकर आए मुल्जिमान सोनाराम पुत्र कानाराम जाति जाट निवासी सारणों की बेरी, भंवराराम पुत्र वालाराम जाट निवासी मीठी बेरी कालेवा, धनराज पुत्र दलाराम दर्जी सारणों की बेरी व हरचंदराम पुत्र भंवरलाल दर्जी निवासी हड़मान सागर साबा ने उसके भाई को रोककर मारपीट शुरू कर दी। इस दौरान सोनाराम ने चाकू से मेरे भाई के दांयी आंख के पास से जबड़े तक जान से मारने की नीयत से वार किया। चाकू आंख से जबड़े तक होते हुए काफी अंदर तक घुस गया। इस दौरान रास्ते से गुजर रहे बालाराम पुत्र आदूराम जाट ने बमुश्किल मेरे भाई को आरोपियों से छुड़ाया। आरोपी मेरे भाई को जान से मारने की धमकी देते हुए मोटरसाइकिल लेकर वहां से फरार हो गए। उन्होंने बताया कि वह अपने भाई को लेकर गिड़ा स्थित चिकित्सालय गए जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे बालोतरा स्थित राजकीय नाहटा चिकित्सालय रेफर किया गया। यहां पर उपचार के दौरान मोतीराम के करीब 13 टांके लगाए गए।


विवाहिता फंदे से झूली


बाड़मेर  सदर थाना क्षेत्र में बुधवार रात एक विवाहिता ने अपने घर में फंदा लगा आत्महत्या कर ली। इसको लेकर विवाहिता के पिता ने मर्ग दर्ज कराया है। आत्महत्या के कारणों का अब तक पता नहीं चल सका है।

पुलिस के अनुसार भादरेश निवासी रईसा (21) पत्नी लतीफ खां मांगणियार ने बुधवार रात करीब आठ बजे घर में बने ईंटों के कमरे में लोहे की पट्टी पर फंदा लगा आत्महत्या कर ली। घटना के समय घर में कोई भी मौजूद नहीं था। बुधवार को रात में ही विवाहिता के घरवालों को आत्महत्या का पता चल गया था। इस संबंध में मृतका के पिता ने सदर थाने में रिपोर्ट पेश की। पुलिस ने मर्ग दर्ज कर गुरूवार को पोस्टमार्टम करा शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया।


हत्या के मुख्य आरोपी गिरफ्तार

गडरा रोडरासलानी गांव में गत दिनों हुए खूनी संघर्ष में एक ही समुदाय के दो गुटों में संघर्ष हुआ। जिसमें सतारराम पुत्र हकीम राम की मौत हो गई थी। हत्या के मुख्य आरोपियों को पुलिस ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया।

थानाधिकारी हुकमाराम ने बताया कि हत्या के मुख्य आरोपी देवाराम, मूलाराम, धीराराम पुत्र जेताराम, प्रभुराम पुत्र दयाराम, धाणूराम पुत्र जवाराराम एवं रणजीताराम, रायधन राम पुत्र धादूराम को पुलिस ने गिरफ्तार कर हत्या का पर्दाफाश किया। उल्लेखनीय है कि गत दिनों महारात का जश्न खूनी संघर्ष में बदल गया जिसमें एक जने की मौत हो गई थी और दूल्हे सहित सत्रह अन्य घायल हो गए।

जैन मंदिर चोरी मामले में एक और आरोपी गिरफ्तार

सिवाना पादरु कस्बे में स्थित जैन मंदिर में 23 जुलाई 2011 को हुई चोरी के मामले में पादरु पुलिस ने गुरुवार को एक और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। चौकी प्रभारी प्रेम कुमार ने बताया कि आरोपी राजूसिंह पुत्र चंदनसिंह राजपूत निवासी पादरु को गिरफ्तार कर गुरुवार को स्थानीय न्यायालय में पेश किया गया जहां से उसे दो दिन के पुलिस रिमांड पर सौंपा गया। प्रेम कुमार ने बताया कि इस मामले में अब तक दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जिसमें हीराराम पुत्र बाबूलाल प्रजापत को 27 जनवरी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया। वहीं तीसरा आरोपी नरपतराम पुत्र हिम्मताराम निवासी सेरणा जालोर पुलिस की गिरफ्त में आ चुका है जिसे शीघ्र ही यहां पर लाया जाएगा। पुलिस चौथे फरार आरोपी की तलाश में जुटी हुई है।

वांकल धाम विरात्रा में मेले का आगाज 5 को

वांकल धाम विरात्रा में मेले का आगाज 5 को

चौहटनविश्व विख्यात शक्तिपीठ वांकल वीरात्रा धाम में 5 फरवरी को तीन दिवसीय मेले का आगाज होगा। मेले में देशभर से लाखों श्रद्धालु मां के दरबार में धोक लगाएंगे। मेले को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। मंदिर को रंग बिरंगी रोशनी से सजाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि वांकल धाम में साल में तीन बार चैत्र, भादवा व माघ शुक्ल पक्ष में मेले आयोजित होते हैं। साथ ही वर्ष में दो बार चैत्र व आश्विन में नवरात्रा महोत्सव का आयोजन होता है। श्री वांकल वीरात्रा माता धर्मार्थ ट्रस्ट वीरात्रा भेरसिंह सोढ़ा ने बताया कि माघ मेले में विशेषकर नवविवाहित जोड़े अपने सफल जीवन की कामना, नवजात शिशुओं का उपनयन संस्कार विरात्रा धाम के तहत आने वाले 12 मंदिरों की परिक्रमा कर रात्रि विश्राम विरात्रा धाम पर करते हैं। वैसे तो यह मेला माघ सुदी दूज से शुरू हो जाता है। लेकिन यात्रियों का आवागमन माघ सुदी 13, 14 व पूर्णिमा को रहता है। मेले को लेकर विरात्रा ट्रस्ट की ओर से यात्रियों के लिए बिजली, पानी, आवास व भोजन के माकूल बंदोबस्त किए जा रहे हैं। मेले के दौरान पुलिस जवान तैनात रहेंगे। साथ ही डिस्कॉम, जलदाय विभाग व चिकित्सा विभाग की सेवाएं 24 घंटे उपलब्ध रहेगी। रोडवेज की विशेष मेला बसों की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही यात्रियों की सुविधा के लिए मोबाइल टॉवर की 24 घंटे व्यवस्था रहेगी। यात्रियों के प्रसाद के लिए अलग से दुकानों की व्यवस्था की जा रही है। इस दौरान भजन पार्टियों की ओर से भजनों की प्रस्तुतियां दी जाएगी। मेला स्थल पर स्टालें लगाई जाएगी।

वेर माता मंदिर पाटोत्सव 4 को: वांकल विरात्रा माता धर्मार्थ ट्रस्ट के अंतर्गत आने वाले 12 मंदिरों में से वेर माता का मंदिर प्रमुख है। यह मंदिर चौहटन से पांच किलोमीटर दूर चौहटन की पहाड़ी के पीछे स्थित है। वेर माता मंदिर का पाटोत्सव 4 फरवरी सुबह गणेश पूजन, वेर माता पूजन, षोडषोपचार पूजन, हवन किया जाएगा। ध्वजा चढ़ाई जाएगी। पूर्णाहुति दोपहर के बाद होगी। माताजी का महाप्रसाद वितरण किया जाएगा। यह कार्यक्रम पंडित गोपाल दवे के सानिध्य में किया जाएगा। इसी क्रम में तोरणिया माता मंदिर का पाटोत्सव 6 फरवरी को व वांकल माता गढ़ मंदिर विरात्रा धाम में पाटोत्सव कार्यक्रम 7 फरवरी को पंडित कांतिलाल दवे के सानिध्य में मनाया जाएगा। इन मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की जाएगी।

मरु मेले पर बुकिंग फुल


मरु मेले पर बुकिंग फुल

विश्व विख्यात मरु महोत्सव के लिए सैलानियों में उत्साह

जैसलमेर  स्वर्णनगरी में 5 से 7 फरवरी तक मरु महोत्सव का आयोजन होगा। महोत्सव में राजस्थान व देश की अन्य संस्कृतियों से लबरेज कार्यक्रमों को देखने के लिए सैलानियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। इन दिनों शहर की सभी होटलों में बुकिंग फुल हो गई है। पर्यटन व्यवसाय मानते हैं 4 से लेकर 10 फरवरी तक नो रूम की स्थिति बन चुकी है। वर्तमान में भी सैलानियों की आवक शुरू हो गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार मरु महोत्सव में रिकार्ड तोड़ देसी सैलानियों पहुंचेंगे। वहीं विदेशी सेलानी भी इस महोत्सव को देखने के लिए आतुर दिखाई दे रहे हैं।

छोटी बड़ी सभी होटलों में बुकिंग फुल: आगामी दिनों में जैसलमेर में हजारों की तादाद में सेलानी उमड़ेंगे। भीड़ भाड़ को देखते हुए सैलानियों ने अग्रिम बुकिंग करवा ली है जिसके चलतेे आगामी सप्ताह हाउस फुल की स्थिति बनी हुई है। छोटे से लगाकर बड़े होटलों में नो रूम की स्थिति बन चुकी है। वहीं सम व खुहड़ी के रिसोर्ट भी बुक हैं। पर्यटन व्यवसायियों के अनुसार इस बार मरु महोत्सव का रेस्पोंस काफी अच्छा दिखाई दे रहा है। होटल सूर्यागढ़ के मैनेजर अर्पित पंत के अनुसार बुकिंग हो चुकी है और मरु महोत्सव को देखने के लिए अच्छी संख्या में सैलानी यहां आएंगे। उन्होंने होटल में मरु महोत्सव के लिए दो नाइट का स्पेशल पैकेज रखा है। वहीं होटल हेरीटेज इन के एमडी नरेन्द्रसिंह बताते हैं कि इस बार देसी सैलानियों का काफी अच्छा रूझान है। रेणुका होटल के सुभाष पुरोहित के अनुसार टेलीफोन और मेल पर आगामी दिनों की बुकिंग हो चुकी है। सैलानी मरु महोत्सव के कार्यक्रमों के अनुसार ही बुकिंग करवा रहे हैं। देसी विदेशी सैलानियों में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है।

राम मंदिर पर फिर जनजागरण: तोगडिया

राम मंदिर पर फिर जनजागरण: तोगडिया

जोधपुर। राममंदिर के मुद्दे को लेकर विश्व हिन्दू परिष्ाद की ओर से एक बार फिर देश में जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। मुस्लिम आरक्षण को गलत बताते हुए विहिप ने इसके खिलाफ भी जनजागरण अभियान का एलान किया है, जिसके तहत 4 फरवरी को लखनऊ में पहली हिन्दू सर्वजातीय महापंचायत होगी।

विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगडिया ने गुरूवार को यहां पत्रकारों को यह जानकारी दी। उन्होंने आरोप लगाया कि वोट बैंक बढ़ाने के लिए सरकार मुस्लिम आरक्षण का खेल खेल रही है। इसके विरोध में विहिप की ओर से "हिन्दू रोटी एवं शिक्षा बचाओ" आंदोलन करेंगे। लखनऊ के चार बाग रेलवे स्टेशन से इसकी शुरूआत होगी।

इसमें मुख्यत: रंगनाथ मिश्र व सच्चर कमेटी की रिपोर्ट खारिज करने, मुस्लिम समुदाय को ओबीसी से दिया गया साढ़े चार प्रतिशत का आरक्षण खत्म करने, अनुसूचित जाति के आरक्षण से मुस्लिम व ईसाई को आरक्षण नहीं देने समेत सात मांगें शामिल हैं। तोगडिया ने कहा कि मुस्लिम आरक्षण के विरोध में शुरू होने वाले देशव्यापी अभियान में हर वर्ग को जोड़ा जाएगा।

प्रमुख शहरों में बैठकों का दौर पूरा होने के बाद जिला व तहसील स्तर पर भी बैठकें की जाएगी और पुरूष्ा, महिला, बुजुर्ग व युवा वर्ग के साथ-साथ स्कूली व कॉलेज के छात्र-छात्राओं की भी संघष्ाü समितियां गठित की जाएगी। उन्होंने कहा कि राममंदिर के मुद्दे को लेकर भी जनजागरण किया जाएगा। भाजपा व कांग्रेस साथ दें या नहीं दें, विहिप मंदिर बनाने के लिए कृत संकल्पित होकर कार्य करेगा। इससे पहले तोगडिया ने यहां विहिप कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों से चर्चा की।

जहां नमाज नहीं, वो मस्जिद नहीं : अमीन

बाद में दी सफाई- मेरी बात का गलत अर्थ निकाला, मेरा मतलब था मस्जिदों को आबाद किया जाए  
अजमेर मामलात राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अमीन खान गैर आबाद मस्जिदों के संबंध में बयान देकर फिर विवादों में घिर गए। मुस्लिम समुदाय के विरोध के बाद उन्हें सफाई देनी पड़ी। मंत्री खान ने गैरआबाद मस्जिदों के संबंध में कहा कि जिन मस्जिदों में नमाज नहीं होती, अजान नहीं होती, वे मस्जिदें नहीं हो सकतीं। वे संभागीय आयुक्त कार्यालय में 15 सूत्रीय कार्यक्रम, अल्पसंख्यक विभाग के कार्यों और वक्फ संबंधी मामलों की समीक्षा बैठक में अध्यक्षीय संबोधन दे रहे थे। इस दौरान वहां मौजूद भीलवाड़ा की जामा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना हफीजुर्रहमान रिजवी और मुस्लिम समुदाय से संबद्ध अन्य लोगों ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई। मौलाना रिजवी ने कहा कि मंत्रीजी मसला यह है कि जो इमारत एक बार मस्जिद बन गई, कयामत तक वो मस्जिद ही रहेगी। उसकी हैसियत को कोई नहीं बिगाड़ सकता। रिजवी और समुदाय के अन्य लोगों का रोष देख कर मंत्री सफाई देते नजर आए और बोले कि उनके कहने का गलत अर्थ निकाला गया है। वे यह कहना चाहते हैं कि पहले मस्जिदों को आबाद किया जाए। इतना कह कर मंत्री बैठक से बाहर निकल गए।
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,इस मौके पर शिक्षा राज्य मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ, वक्फ बोर्ड चेयरमैन लियाकत अली, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष माहिर आजाद समेत विभिन्न विभागों के आला अधिकारी मौजूद थे।

बच्‍चों का दिमाग तेज करता है मां का प्‍यार

मां का प्‍यार न सिर्फ बच्‍चों को भावनात्‍मक रूप से मजबूत बनाता है बल्कि मां के स्‍पार्ट से बच्चे का दिमाग तेज हो सकता है। 


वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने पाया कि जिन बच्चों के बचपन में मम्मियां ज्यादा ध्यान देती हैं और सुख दुख की घड़ी में उनके साथ होती हैं उनके हिप्पोकैंपस में ज्यादा नर्व सेल्स डिवेलप होते हैं, जिससे उनकी मेमोरी और दिमाग ज्यादा तेज होता है।



'प्रोसिडिंग्स ऑफ द नैशनल अकादमी आफ साइंस' में छपी स्टडी के अगुआ प्रो. जान लुबे के मुताबिक कि हमारा मानना है कि यह नतीजा इस बात पर जोर देता है कि शुरू के जीवन में बच्चे पर ध्यान देना बेहतर रहता है।



शोधकर्ताओं ने 92 बच्चों पर स्कूल जाने से पहले से लेकर स्कूल जाने वाले छोटे बच्‍चों पर शोध किया। दिमाग के स्कैन से पता लगा कि जिनके माता पिता ने तनाव कम करने में बच्चों का ज्यादा साथ दिया उनका हिप्पोकैंपी ज्यादा बड़ा निकला।



साथ ही जिन बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण जल्द पाए गए उनमें इसका प्रभाव काफी कम देखा गया। इसका मतलब हुआ कि उन्हें मां का ज्यादा सपोर्ट नहीं मिला।


इस शोध से यह प्रमाणित होता है कि लाइफ में टेंशन या दुख की घड़ी के समय जिन बच्चों को मां का सपोर्ट मिलता है, ऐसे बच्चों का दिमाग बाद में तेज होता है।

शादी की सालगिरह पर बीवी और मासूम बेटे का गला घोंटा



नई दिल्‍ली. देश की राजधानी दिल्‍ली में डबल मर्डर से सनसनी मची हुई है। शहर के रोहिणी इलाके में एक शख्‍स पर अपनी बीवी और चार साल के बच्‍चे का कत्‍ल करने का आरोप है। आरोपी ने खुद पुलिस को फोन कर हत्‍या की जानकारी दी। हत्‍या की वजह का अभी तक पता नहीं चल सका है।

नितिन और श्‍वेता की छह साल पहले दो फरवरी को ही प्रेम विवाह हुआ था। रात करीब साढ़े बजे तक दोनों ने शादी की सालगिरह का जश्‍न मनाया।

 

नितिन करीब तीन साल पहले एक हादसे का शिकार हुआ था जिसके बाद से वह ह्वील चेयर पर है। नितिन ने रात करीब डेढ़ बजे पीसीआर को फोन कर बताया कि उसने अपनी बीवी और चार साल के बेटे गर्व मैनी की हत्‍या कर दी है।



पुलिस जब नितिन के घर पहुंची तो दरवाजा अंदर से बंद पड़ा था। आरोपी ने कहा कि वह दरवाजा नहीं खोल सकता ऐसे में पुलिस दरवाजा तोड़कर अंदर घुसी तो देखा कि वहां श्‍वेता और गर्व की लाश जमीन पर पड़ी हुई है।



लेकिन पुलिस आरोपी की बात पर यकीन नहीं कर रही है क्‍योंकि वह अपने पैरों से ठीक से चल नहीं सकता तो आखिरकार वह हत्‍या कैसे कर सकता है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में गला दबाकर हत्‍या करने की बात सामने आ रही है।

ऐसे पाएं दमकता निखार और चमकती त्वचा सिर्फ दस मिनट में

सुंदर और चमकदार त्वचा के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते? कुछ लोग इसके लिए तरह-तरह के कॉस्मेटिक्स लगाते हैं तो कुछ ब्युटी टिप्स अपनाते हैं। लेकिन कॉस्मेटिक्स के अधिक उपयोग से स्कीन प्रॉब्लम्स होने का डर भी रहता है साथ ही समय से पहले ही उम्र अधिक दिखने लगती है। इसीलिए सौंदर्य को हमेशा बनाएं रखने के लिए जरूरी है प्राकृतिक तरीका और शीतली प्राणायाम एक ऐसा ही उपाय है। 
कैसे करें शीतली प्राणायाम:

जीभ बाहर निकालें। जीभ को दोनों ओर से इस प्रकार मोड़ें कि जीभ की आकृति ट्यूब जैसी बन जाए। इस ट्यूब की मदद से आप मुंह से सांस भरिए। हवा इस ट्यूब से गुजरकर मुंह और तालु को ठंडक प्रदान करेगी। इसके बाद जीभ अंदर कर लीजिए और सांस धीरे धीरे नाक के से बाहर निकालें।सांस भरते हुए आपको आवाज सुनाई देगी जिस प्रकार तेज हवा चलने पर हमारे आसपास आवाज सुनाई देती है।रोज शीतली प्राणायाम का अभ्यास दस मिनट कभी भी कर सकते हैं।

लाभ

नियमित शीतली प्राणायाम के अभ्यास से भूख-प्यास पर नियंत्रण होता है। शरीर को ठंडक मिलती है। गर्मियों में इसका अभ्यास करना चाहिए। इस प्राणायाम के अभ्यास से बल एवं सौन्दर्य बढ़ता है। रक्त शुद्घ होता है। भूख, प्यास, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग और अल्सर में रामबाण का काम करता है।

डीएसपी का कत्ल, पास में मिला महिला का अर्धनग्न शव!



लुधियाना. हंबड़ां में प्रेमी युगल की हत्या के बाद गुरुवार देर रात एक और डबल मर्डर हो गया। मोगा में तैनात डीएसपी बलराज सिंह गिल की नृशंस हत्या कर दी गई।
 
उसका शव हंबड़ा रोड पर गोल्फ लिंक इलाके में उनके दोस्त के फार्म हाउस से मिला। पास ही एक महिला का अर्धनग्न शव पड़ा था। महिला की शिनाख्त लुधियाना में रहने वाले एक होजरी उद्यमी की पत्नी के रूप में हुई है। दोनों को हथियारों से काट दिया गया है। डीएसपी गिल बुधवार शाम छह बजे से लापता थे।





फार्म हाउस के मेन गेट से बीस फुट अंदर, लॉन तथा कमरे तक तीन जगह खून मिला। लॉन में कुछ पौधे टूटे हुए तथा घास दबी हुई थी, जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि डीएसपी और हत्यारों में भिड़ंत हुई है। डीएसपी का शव कमरे में सोफे पर बैठी हालत में मिला, जबकि बाथरूम के दरवाजे के पास महिला मरी पड़ी थी।



डीएसपी के सिर, कान तथा गर्दन पर तेजधार हथियारों के गहरे घाव थे। इसके अलावा बाजू और पीठ पर भी वार किए गए। महिला के सिर पर गहरे घाव थे, जबकि बाजुओं पर हलके वार हुए थे। घटनास्थल से डीएसपी के दोनों मोबाइल गायब थे।



फरार होते समय हत्यारे फार्म हाउस को बाहर से ताला लगा कर उनकी शेवरले ऑपट्रा कार भी ले गए, जिसे डीएसपी गिल अपने दोस्त से मांग कर लाए थे। हत्यारे कार को नूरपुर बेट इलाके में छोड़ कर फरार हो गए, जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया है। कमिश्नर पुलिस ईश्वर चंद्र शर्मा और डीसीपी आशीष चौधरी ने बताया कि हत्यारे तीन से ज्यादा हो सकते हैं। मामले की तह तक जाने के लिए डीएसपी के मोबाइल की कॉल डिटेल निकलवाई जा रही है।



तीन माह पहले ही हुआ था तबादला



बलराज सिंह गिल तीन पहले ही मोगा में ट्रांसफर होकर आए थे। बताया जाता है कि चुनाव से पहले नवंबर माह में किली चाहला से उनका तबादला यहां किया गया था। इसके बाद हाल ही में मोगा में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में पुलिस टुकड़ी के प्रमुख के तौर पर शामिल हुए थे।



रात एक बजे मिले दोनों के शव



तफ्तीश में जुटी पुलिस को वीरवार देररात करीब एक बजे पता चला कि बलराज सिंह गिल अपने उद्यमी दोस्त संजय अग्निहोत्री से चाबी लेकर उनके फार्म हाउस में गए थे। पुलिस वहां पहुंची तो फार्म हाउस के मुख्य गेट पर बाहर से ताला लटका हुआ था, अंदर लाइट जल रही थी। पुलिस ने संजय अग्निहोत्री की मौजूदगी में ताला तुड़वाया। अंदर घुसते ही पुलिस को फर्श पर खून के निशान मिले। कमरे में खून से लथपथ दोनों के शव पड़े हुए थे।



हत्या के पीछे साजिश



मोगात्न डीएसपी के परिजन आरएस सिद्धू ने आरोप लगाया है कि हत्या एक साजिश के तहत की गई है। वहीं, पुलिस का कहना है कि हत्या के पीछे अवैध संबंधों के साथ साथ कई अन्य पहलुओं पर भी जांच जारी है। बलराज लुधियाना के टैगोर नगर में रहने वाले थे। पिछले एक माह से चुनावी ड्यूटी में व्यस्तता के बाद 1 फरवरी की सुबह वह लुधियाना में अपने परिवार के पास चले गए थे। इसी दौरान बुधवार शाम वह दोस्तों से किसी काम पर जाने की कहकर निकले थे।

श्रीकृष्ण का ये फोटो कहां और क्यों लगाएं?

विष्णु अवतार श्रीकृष्ण का नाम ही प्राणियों के पापों को नष्ट करने वाला है। मात्र श्रीकृष्ण के स्मरण से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। भगवान कृष्णा सभी सुखों को प्रदान करने वाले हैं। इनकी भक्ति से हमारे सभी कष्ट, क्लेश, बाधाएं दूर हो जाती हैं और जीवन में खुशहाली फैल जाती है। इनके दर्शन से हमारे कई जन्मों के पाप स्वत: ही नष्ट हो जाते हैं। इसी वजह से अधिकांश घरों में भगवान की श्रीकृष्ण की तस्वीर या मूर्ति अवश्य ही रहती है। कुछ लोग श्रीकृष्ण की रासलीला के चित्र में भी रखते हैं। 
श्रीकृष्ण को सभी 64 कलाओं से युक्त माना गया है। इनका व्यक्तित्व इतना आकर्षक है कि गोकुल में सभी गोपियां इनके रूप को देखकर मोहित थीं। सभी श्रीकृष्ण से नि:स्वार्थ प्रेम करती थीं। शास्त्रों में उल्लेख है कि इन सभी गोपियों के साथ श्रीकृष्ण ने रासलीला की। रासलीला का मूल भाव नि:स्वार्थ प्रेम ही है। जो कि इनके चित्रों में भी साफ झलकता है। ये चित्र इतने सुंदर और आकर्षक होते हैं कि सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसी वजह से इन चित्रों को घर में लगाना सभी पसंद करते हैं।

घर में श्रीकृष्ण की रासलीला के चित्र लगाने के लिए पूर्व दिशा श्रेष्ठ स्थान है। घर की पूर्व दिशा की किसी भी दीवार पर यह चित्र लगाया जा सकता है। इसके प्रभाव से घर में खुशनुमा वातावरण निर्मित होगा और नकारात्मक ऊर्जा निष्क्रीय हो जाएगी। सभी सदस्यों पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ेगा। भगवान के नित्य दर्शनों से सभी मुश्किलें दूर होती जाएंगी।

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

नीयत है खोटी, गर्लफ्रैंड को बना लिया बेटी


फ्लोरिडा के अरबपति जॉन गुडमेन ने अपनी 42 साल की गर्लफ्रैंड को बेटी बना लिया है। गुडमेन पर शराब पीकर गाड़ी चलाने और पैट्रिक विल्सन को कार से कुचलने का मुकदमा चल रहा है। मुकदमा हारने की स्थिति में उनका पैसा न छिन जाय इसलिए उन्होंने ट्रस्ट बनाकर सारा पैसा अपने दो बच्चों के नाम कर दिया। उसने अपनी गर्लफ्रैंड को इस ट्रस्ट का तीसरा सदस्य बनाया है।
विल्सन के मां-बाप ने जॉन गु़डमेन पर मुकदमा कर रखा है। 2010 में गुडमेन के कार से कुचलकर पैट्रिक विल्सन की मौत हो गई थी। एल्कोहल जांच में पाया गया कि गुडमेन के अंदर एल्कोहल का लेवल कानूनी सीमा से दोगुना था।

अपने सारे पैसे से ट्रस्ट बना देने के बाद गुडमेन का पैसा अब मुकदमा हारने की स्थिति में भी सुरक्षित रहेगा।

सिर्फ दो मोबाइल और दो घड़ियों के लिए भारतीय मूल के दंपति की हुई हत्‍या


लंदन. ब्रिटेन के बर्मिंघम में पिछले दिनों भारतीय मूल के दंपति की हत्‍या केवल दो सेलफोन और दो घड़ियां लूटने के लिए की गई थी। भारतीय मूल के अवतार सिंह कोलार और उनकी ब्रिटिश पत्नी कारलोले की हत्या मामले में 37 वर्षीय लथुआनिया के नागरिक पर आरोप लगाए गए हैं।


स्‍थानीय अखबार ‘डेली मेल’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक बीते शनिवार को जेल में मृत पाए गए हत्‍या के संदिग्ध रिमवायदास लिवारेंस ने सुसाइड नोट छोड़ा है जिसमें भारतीय मूल के दंपति की हत्‍या का जिक्र किया गया है।


आरोपी ने चोरी के सेलफोन शहर स्थित एक गैराज में काम करने वाले एक शख्‍स को बेच दिया था जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया है। हत्‍या के बाद आरोपी ने इस मोबाइल फोन का इस्‍तेमाल किया था।


अखबार ने कहा है कि दंपति की हत्या लूट के दौरान की गई और हत्‍यारे ने दंपति के मोबाइल फोन और कुछ जेवरात लूट लिया था।



अवतार सिंह (62) और कारलोले (58) के शव बर्मिंघम के हैंड्सवर्थ वुड में मिले थे। हालांकि आरोपी इस हत्‍या के बारे में और कुछ बता पाता कि शनिवार को उसका शव जेल की कोठरी में लटका मिला।

बाडमेर, 2 फरवरी.आज की ताजा खबर.


जिला कलेक्टर करेगी जन सुनवाई, समस्याओं का होगा हाथों हाथ निस्तारण 




बाडमेर, 2 फरवरी। आम जन की समस्याओं के त्वरित निस्तारण के उदृेय से फरवरी माह में एक विोश अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान स्वयं पंचायत समिति मुख्यालयों पर जन सुनवाई करेगी। 
जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान ने बताया कि विोश अभियान के दौरान राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान की गारन्टी अधिनियम का जन सामान्य में प्रचार प्रसार, अधिनियम के तहत आने वाले विशयों की जानकारी, कार्यो के निर्धारित समयावधि में निश्पादक एवं अधिनियम के तहत प्राप्त होने वाले अभ्यावेदनों का निस्तारण की प्रकि्रया विकसित करने व अधिनियम में निर्धारित अवधि में निस्तारित करना सुनिचत करने के उदृेय से पंचायत समिति/तहसील मुख्यालय पर जन सुनवाई तथा ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर रात्रि चौपालों का आयोजन किया जाएगा। 
जिला कलेक्टर डॉ. प्रधान ने बताया कि 3 फरवरी को प्रातः 11.00 बजे पंचायत समिति सिणधरी तथा दोपहर 3.00 बजे पंचायत समिति धोरीमना में जन सुनवाई का आयोजन किया जाएगा। इसी दिन गुडामालानी तहसील के मांगता ग्राम पंचायत मुख्यालय पर रात्रि चौपाल भी आयोजित की जाएगी। उन्होने बताया कि 9 फरवरी को प्रातः 11.00 बजे रामसर तहसील व दोपहर 3.00 बजे चौहटन पंचायत समिति में जन सुनवाई तथा इसी दिन चौहटन तहसील के आलमसर ग्राम पंचायत मुख्यालय पर रात्रि चौपाल आयोजित की जाएगी। इसी प्रकार 17 फरवरी को प्रातः 11.00 बजे पंचायत समिति बालोतरा व दोपहर 3.00 बजे सिवाना पंचायत समिति में जन सुनवाई तथा इसी दिन सिवाना तहसील के करमावास ग्राम पंचायत मुख्यालय पर रात्रि चौपाल का आयोजन होगा। जिला कलेक्टर ने बताया कि 24 फरवरी को प्रातः 11.00 बजे बायतु पंचायत समिति व दोपहर 3.00 बजे िव पंचायत समिति में जन सुनवाई तथा इसी दिन िव तहसील के राजबेरा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर रात्रि चौपाल का आयोजन किया जाएगा। 
उन्होने बताया कि प्रत्येक जन सुनवाई के दौरान समस्त विभागों के ब्लॉक स्तरीय अधिकारी (पीएचईडी, पीडब्ल्युडी, डिस्कॉम के संबंधित अधिशी अभियन्ता) उपस्थित रहेंगे किन्तु रात्रि चौपाल में जिला स्तरीय अधिकारी ही मौजूद रहेंगे। उन्होने बताया कि जन सुनवाई के दौरान राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान की गारन्टी अधिनियम के तहत प्राप्त होने वाले अभ्यावेदनों का अलग से रजिस्टर तैयार किया जाएगा। संबंधित विकास अधिकारी द्वारा रजिस्टर का संधारण किया जाएगा तथा अभ्यावेदनों को संबंधित अधिकारियों को प्रेशित कर स्थिति से दूसरे दिन जिला कार्यालय को अवगत कराया जाएगा। इसी प्रकार अभ्यावेदनों के निस्तारण से संबंधित सूचना भी प्रति सप्ताह प्रेशित की जाएगी। 
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टास्क फोर्स की बैठक 8 को 
बाडमेर, 2 फरवरी। राश्ट्रीय टीकाकरण दिवस (पल्स पोलियों अभियान 19 फरवरी) के सफल कि्रयान्वयन हेतु जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान की अध्यक्षता में टास्क फोर्स की बैठक 8 फरवरी को दोपहर 3.00 बजे जिला स्वास्थ्य भवन में आयोजित की जाएगी। 
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पोंन प्रकरणों के भाीध्र निस्तारण के निर्दो 


बाडमेर, 2 फरवरी। जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान ने सेवा निवृत होने वाले राज्य कर्मचारियों एवं अधिकारियों के पोंन प्रकरणों को भाीध्र निस्तारित कराने के निर्दो दिए है। 
जिला कलेक्टर डॉ. प्रधान ने बताया कि वर्तमान में सेवा निवृत अधिकारियों व कर्मचारियों के पोंन प्रकरणों के निस्तारण की सेवा को समयबद्ध प्रदायगी के लिए राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान गारन्टी अधिनियम 2011 के अन्तर्गत सम्मिलित कर लिया गया है। इस अधिनियम में पोंन प्रकरण का समय पर निस्तारण न होने पर दोशी पर 250 रूपये प्रतिदिन की दर से न्यूनतम 500 रूपये अर्थदण्ड का प्रावधान है। 
जिला कलेक्टर ने जिले के समस्त कार्यालयाध्यक्षों को निर्दोित किया है कि राजस्थान सिविल सेवा पोंन नियम 1996 के नियम 78 में सेवा निवृत होने वाले कर्मचारियों की सूची 24 से 30 माह पूर्व प्रति वशर जनवरी एवं जुलाई में जारी कराने हेतु कार्यवाही की जाए। उन्होने बताया कि एक वशर पूर्व सेवा निवृति आदो जारी करने, नियम 81 में पोंन प्रकरण तीन चरणों में पूरा करने एवं नियम 83 में सेवा निवृति से 6 माह पूर्व पोंन प्रकरण पोंन विभाग को भिजवाने का प्रावधान है, लेकिन देखा गया है कि बहुत से प्रकरण तो सेवा निवृति तिथि के बाद भिजवाये जाते है या भेजे जाने वाले पोंन प्रकरण अपूर्ण होते है जिन्हे पूर्ण कराने हेतु समय, श्रम एवं धन का अपव्यय होता है। उन्होने बताया कि सेवा निवृति लाभ समय पर नहीं मिलने पर ब्याज की देयता बनती है तथा विधिक जटिलताएं भी उत्पन्न होती है। उन्होने बताया कि जिन प्रकरणों में विभागीय कार्यवाही, जांच लम्बित, कोर्ट को चल रहे होते है, उनमें नियमानुसार प्रोविजनल पोंन का प्रकरण तैयार कर यथाीध्र प्रेशित किया जाए। 
उन्होने जिले के समस्त कार्यालयाध्यक्षों को निर्दो दिए है कि उनके कार्यालय में आगामी छः माह में सेवा निवृत होने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों के पोंन प्रकरणों को आवयक रूप से तैयार कर सामान्यतः पाई जाने वाली कमियों को चैक लिस्ट से स्वयं जांच कर हस्ताक्षरित चैक लिस्ट सहित पूर्ण पोंन प्रकरण पोंन विभाग को प्रेशित करना सुनिचत करें। उन्होने बताया कि सेवा निवृत कर्मचारियों को पीपीओ एवं बकाया दायित्वों यथा राज्य बीमा, जीपीएफ भुगतान, उपार्जित अवका का नकद भुगतान इत्यादि के चैक सेवा निवृति तिथि को इस विचारधारा से दिलाए जाए कि एक दिन हमे भी सेवा निवृत होना है। 
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परिवार कल्याण िविरों का कार्यक्रम निर्धारित 
बाडमेर, 2 फरवरी। जिला प्रासन, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सहयोग से फरवरी माह में जिले में विभिन्न स्थानों पर परिवार कल्याण िविरों का आयोजन किया जाएगा। उक्त िविरों में परिवार कल्याण के साथ साथ मातृ एवं िु स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध रहेगी। 
अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जितेन्द्रसिंह ने बताया कि 3 फरवरी को साता, 4 को होडू, 6 को कवास, राणीगांव व मजल, 7 को बिला, भूणिया व समदडी, 8 को गडरारोड, 9 को िव व सोनडी, 10 को सरनू, बायतु व खण्डप, 11 को रामसर व सिवाना, 12 को चौहटन व कल्याणपुर, 13 को सिणधरी, खडीन व गिडा, 14 को ओगाला, गूंगा व पचपदरा, 15 को भीयाड व मण्डली, 16 को तारातरा, गडरारोड व गुडामालानी, 17 को धोरीमना, सेडवा व पादरू, 18 को गिराब, गागरिया, जसोल व मोकलसर, 21 को कवास, हरसाणी व समदडी, 22 को बिला, नोखडा व राखी, 23 को कानासर व बाखासर, 24 को िव, बुरहान का तला व सिवाना, 25 को भाडखा, सनावडा व बायतु, 26 को रामसर, पचपदरा व कल्याणपुर, 27 को चौहटन, सिणधरी व पाटोदी, 28 को गुडामालानी व पारलू तथा 29 फरवरी को धोरीमना व रमणिया में परिवार कल्याण िविर लगाए जाएगें। 
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बायतु, बालोतरा व सिवाना के उचित 
मूल्य दुकानदारों की बैठक आज 
बाडमेर, 2 फरवरी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली की मासिक समीक्षा हेतु उचित मूल्य दुकानदारों की बैठक का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। 
जिला रसद अधिकारी उम्मेदसिंह पूनिया ने बताया कि बायतु पंचायत समिति के उचित मूल्य दुकानदारों की बैठक 3 फरवरी को प्रातः 11.00 बजे बायतु पंचायत समिति के सभा कक्ष तथा बालोतरा एवं सिवाना पंचायत समिति के दुकानदारों की बैठक इसी दिन दोपहर एक बजे बालोतरा पंचायत समिति के सभाकक्ष में आयोजित होगी। इसी प्रकार 4 फरवरी को प्रातः 11.00 बजे बाडमेर भाहर, पंचायत समिति बाडमेर, िव, चौहटन व धोरीमना के उचित मूल्य दुकानदारों की बैठक महावीर टाउन हॉल बाडमेर में आयोजित की जाएगी। 
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योजनाओं के प्रभावी कि्रयान्वयन के 
लिए अधिकारियों को लक्ष्य आवंटित 
बाडमेर, 2 फरवरी। जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान ने एक आदो जारी कर मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा मॉनिटर की जा रही फ्लेगिप योजनाएं यथा जननी िु सुरक्षा योजना, नि:ाुल्क दवा योजना, 2 रूपये किलोग्राम गेहॅू योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास योजना एवं राजस्थान लोक सेवाओं प्रदान गारन्टी अधिनियम के प्रभावी कि्रयान्वयन हेतु अधिकारियों को लक्ष्य आवंटित कर प्रभावी निरीक्षण के निर्दो दिए है। 
जारी आदो के अनुसार संबंधित अधिकारी उन्हें आवंटित लक्ष्यों का प्रभावी निरीक्षण कर योजनाओं की उपलब्धि सुनिचत करेंगे तथा निरीक्षण कार्य की मासिक सूचना प्रतिमाह 5 तारीख तक आवयक रूप से प्रस्तुत करेंगे। 
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जैसलमेर ....पुलिस न्यूज़ इनबॉक्स ..


बिना परमिट पिस्टल बरामद, तीन ओर गिरफतार 


जैसलमेर पुलिस अधीक्षक ममता बिश्नोई जिला जैसलमेर के निर्देशनुसार अवैध रूप हथियार रखने वालो के विरूद्ध पुलिस थाना जैसलमेर की गई कार्यवाही में आज को जरिये मुखबीर की सूचना अनुसार दौराने गस्त श्री विरेन्द्रसिंह निपु थानाधिकारी पुलिस थाना कोतवाली मय टीम श्री चिमनाराम उ.नि. मय श्री शोभसिंह सउनि, हैड कानि0 श्री प्रेमशंकर कानि0 बालेन्द्रसिंह, गंगासिंह, माधोसिंह, चालक श्री अकबरखां के मुल्जिम हबीबखॉ पुत्र हाजी इलमदीन मुसलमान नि0 हिन्दालगोल पुलिस थाना फलोदी जिला जोधपुर व भजनलाल पुत्र केशराराम जाति विश्नोई नि0 धोलिया पुलिस थाना पोकरण को यूनियन चौराहा से 03 किलोमीटर आगे म्याजलार रोड से गिरफतार किया गया तथा दौराने पुछताछ दोनो ने कबूल किया कि 01 पिस्टल जोकि उनके साथी के पास है जिस पर पुलिस थाना के जाब्ते द्वारा दोनो मुलजिमो के साथी को दोनो की निशानदेही पर मिठेखॉ उर्फ गफूरखॉ मुसलमान नि0 ब्बि पाडा जैसलमेर जयनारायण व्यास कॉलोनी से गिरफतार कर उनके कब्जा से बिना लाईसेंस, अवैध रूप से रखी पिस्टल बरामद कर आम्र्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। अनुसंधान जारी है। 




एनॉर कॉन कम्पनी की साईड से ताम्बे चोरी के अपराधी को गिरफ्तार कर केबल 
बरामद 
जैसलमेर जिले में चोरी की वारदातो पर रोक लगाने एवं चारो को पडने के लिए जिला 
पुलिस अधीक्षक ममता बिश्नोई द्वारा जिले के समस्त वृताधिकारियो,थानाधिकारियो को दिये गये निर्देशो पर 
पुलिस थाना जैसलमेर द्वारा चोरो के विरूद्ध बडी कार्यवाही करते हुऐ दिनांक 04.01.12 को श्री 
पेहपसिंह सुरक्षा अधिकारी एनॉर कॉन कम्पनी जैसलमेर ने प्राथमिकी दर्ज करवाई कि सरहद 
जोधा की साईड से दिनांक 25.12.11 की रात्रि में अज्ञात चोरों द्वारा टावर नम्बर 54 से केबल 
चोरी कर ली हैं इस सिलसिले में प्रकरण सं0 11/12 धारा 136 विद्युत अधिनियम में दर्ज कर 
माल मुल्जिमान की सुरागरसी हेतु श्री वीरेन्द्रसिंह नि.पु. मय जाब्ता श्री शोभसिंह सउनि, श्री 
प्रयाग भारती सउनि, कानि0 बालेन्द्रसिंह, गंगासिंह व जाब्ता द्वारा प्रयास कर मुल्जिमान पठानराम 
पुत्र लाभूराम भील नि0 कीता व नवीन पुत्र ईश्वरलाल जाति खटीक उम्र 20 साल नि0 आरपी. 
कोलोनी जैसलमेर को दस्तयाब कर गहन पुछताछ की गई तो जुर्म स्वीकार किया जिस पर 
मुल्जिमान की ईतलानुसार 05 किलो ताम्बे की तार बरामद की गई तथा शेष माल व अन्य 
चोरी के प्रकरणों में माल मसरूका के बारे में गहन पुछताछ जारी हैं 

मासूम फलक की हालत नाजुक

नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती दो साल की बच्ची फलक की हालत दो हफ्ते बाद गुरुवार को भी चिंताजनक बनी रही। एम्स के ट्रामा सेंटर के सहायक प्रोफेसर (न्यूरो सर्जन) दीपक अग्रवाल ने कहा, "बच्ची के बचने की सम्भावना 50 फीसदी से भी कम है।

जांच में पता चला है कि बच्ची को रक्त संक्रमण (सेप्टीसीमिया) हो गया है जिसके अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक फैलने की आशंका है। जबकि फलक का सीना एवं मस्तिष्क पहले से ही संक्रमित है। अग्रवाल ने कहा, "हम उसके महत्वपूर्ण अंगों पर नजर रखे हैं और संक्रमण शरीर के अन्य भागों में पहुंचने से रोकने के लिए कड़ी एंटीबायोटिक्स दे रहे हैं। वह अपनी आंख, बांह एवं पैरों को हिला रही है लेकिन वह अभी भी गहरी अचेतावस्था में है।"

उन्होंने कहा, "हम फलक का अभी कोई भी ऑपरेशन नहीं करने जा रहे हैं। अभी हम दवाओं के प्रभाव को देख रहे हैं।" ज्ञात हो कि बुरी तरह घायल दो साल की फलक को 18 जनवरी को एक किशोरी लाई थी। बच्ची का सिर फूटा हुआ था और मस्तिष्क में दाईं ओर खून जम गया था। उसके समूचे शरीर पर इंसान के दांत के काटने के निशान थे।

इस किशोरी ने खुद को बच्ची की मां बताया था। किशोरी को बाल संरक्षण गृह भेज दिया गया। पुलिस ने बुधवार को किशोरी के पिता एवं उसे जबरिया देह व्यापार कराने वाले दो लोगों को गिरफ्तार करने के बाद मामला सुलझाने का दावा किया था।

तीन संतानें हैं तो नहीं दे पाएंगे छत्तीसगढ़ सर्विस कमिशन की परीक्षा!

 

रायपुर. राज्य लोक सेवा आयोग 2011 की प्रारंभिक परीक्षा में ऐसे उम्मीदवार आवेदन नहीं कर सकते जिनकी 26 जनवरी 2001 के बाद तीसरी संतान का जन्म हुआ है। आयोग के सचिव एसएन राठौर ने बताया कि राज्य शासन ने हाल ही में छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को आयु सीमा में तीन साल की छूट दी है। अब मूल निवासियों के लिए अधिकतम आयु सीमा 35 से बढ़कर 38 साल हो गई है।

आयु सीमा में छूट के बाद आयोग के पास ऐसे कई आवेदन आए हैं जिनमें उम्मीदवारों के तीन बच्चे हैं। राज्य शासन के नियम के मुताबिक 26 जनवरी 2001 के बाद अगर किसी व्यक्ति की तीसरी संतान का जन्म होता है तो वह सरकारी सेवा का पात्र नहीं है। तीन बच्चे वालों के आवेदन फार्म को स्वीकार ही नहीं किया जा रहा है, लेकिन अगर किसी उम्मीदवार की 26 जनवरी 2001 से पहले एक संतान है और उसके बाद जुड़वा बच्चे होते हैं तो ऐसे उम्मीदवार परीक्षा दे सकते हैं।

छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को तीन साल की आयु सीमा में छूट पुलिस सेवा में भी मिल रही है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब 31 साल तक राज्य के उम्मीदवारों को डीएसपी बनने का अवसर मिलेगा। 2008 की परीक्षा में भी आयु सीमा में छूट दी गई थी मगर वह पुलिस सेवा में लागू नहीं थी।

आवेदन करने के लिए छह दिन अतिरिक्त

आयोग ने आयु सीमा बढ़ने के बाद आवेदन फार्म जमा करने की तारीख भी बढ़ा दी है। अब उम्मीदवार 16 फरवरी तक आवेदन फार्म जमा कर सकते हैं। वे आवेदन फार्म की त्रुटियों में 17 से 27 फरवरी तक संशोधन कर सकते हैं। साथ ही ऐसे उम्मीदवार जो शासकीय संस्थानों में संविदा पर काम कर रहे हैं, उन लोगों को जितने साल उन्होंने संविदा में काम किया है उतने साल की छूट मिलेगी। मगर यह छूट 38 साल की उम्र से अधिक नहीं होगी।

महोत्सव 5 से 7 फरवरी तक ...मरू मेले की प्रतियोगिताओं के नियम भी हैं खास


मरू मेले की प्रतियोगिताओं के नियम भी हैं खास

साफा बांध प्रतियोगिता   महोत्सव 5 से 7 फरवरी तक



जैसलमेर  मरू महोत्सव में आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं के नियम तय कर दिए गए हैं। पर्यटन विभाग एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में 5 से 7 फरवरी तक महोत्सव चलेगा। जिला प्रशासन एवं पर्यटन विभाग की ओर से इसको लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।

मिस मूमल :

गल्र्स के लिए आयोजित होने वाली मिस. मूमल प्रतियोगिता के लिए प्रतिभागी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी जरूरी है जिसका प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा। मिस. मूमल प्रतियोगी अविवाहित होनी चाहिए एवं कोहनी के ऊपर वाला चूड़ा पहने हुए नहीं हो। प्रतियोगी को किसी प्रकार का यात्रा भत्ता एवं आवास सुविधा देय नहीं होगी। आवेदक को अतिरिक्त फोटो देना होगा। मिस. मूमल प्रतियोगी राजस्थान की मूलनिवासी होना आवश्यक है। पूर्व प्रथम विजेता मिस.मूमल सम्मिलित नहीं हो सकेगी।

साफा बांध प्रतियोगिता के प्रतियोगी को स्वच्छ एवं पारंपरिक पोशाक में स्टेज पर पहुंचना आवश्यक होगा। प्रतियोगी को जैसलमेर शैली का ही साफा बांधना अनिवार्य होगा। प्रतियोगी को शोभायात्रा में भाग लेना आवश्यक होगा। साफा पर्यटन विभाग द्वारा उपलब्ध करवाया जाएगा जो प्रतियोगिता पूर्ण होने पर वापिस लौटाना होगा।

मूंछ प्रतियोगिता

मूंछ प्रतियोगिता में भाग लेने वाला प्रतिभागी वयस्क होना आवश्यक है एवं उसकी अच्छी कद काठी होनी चाहिए। मूंछ विजेता को मेले के तीनों दिन उपस्थित रहना होगा एवं उसे अनुबंधित फोटोग्राफर से फोटो खिंचवाने होंगे एवं प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी मूंछ प्रतिभागियों को शोभायात्रा में भाग लेना होगा।

मूमल-महेंद्रा प्रतियोगिता

मूमल-महेंद्रा प्रतियोगिता में भाग लेने वालों की उम्र 10 से 18 वर्ष तक होना जरूरी है। इसका प्रमाण-पत्र देना होगा। मूमल व महेंद्रा एक साथ ऊंट पर नहीं बैठेंगे। मूमल व महेंद्रा की वेशभूषा पश्चिमी राजस्थान के मारवाड़ पद्धति पर आधारित होनी चाहिए एवं उनके गहने, परिधान एवं पूर्ण वेशभूषा एक अविवाहित लड़की व लड़के की अभिव्यक्ति एवं प्रस्तुतीकरण होनी चाहिए।

मरू श्री प्रतियोगिता

पर्यटक स्वागत केन्द्र के सहायक निदेशक अजीत सिंह ने बताया कि पहले दिन मरुश्री प्रतियोगिता आयोजित होगी। इसके लिए प्रतिभागी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष होनी चाहिए जिसका उसे प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा। इसी प्रकार प्रतिभागी की लंबाई 5 फीट 6 इंच से कम नहीं होनी चाहिए। मरुश्री विजेता को मेले के तीनों दिवस तक मरुश्री पोशाक में उपस्थित रहना होगा एवं उन्हें विभाग द्वारा अनुबंधित फोटोग्राफरों से फोटो खिंचवाना होगा। इसके साथ ही प्रतियोगी को शोभायात्रा में भाग लेना भी आवश्यक होगा। प्रतियोगी को किसी प्रकार का यात्रा भत्ता एवं आवास सुविधा देय नहीं होगा। मरुश्री प्रतियोगी राजस्थान का मूल निवासी होना आवश्यक है। पूर्व प्रथम विजेता मरुश्री सम्मिलित नहीं हो सकेगा।

बाड़मेर गुरुवार २ फरवरी २०१२ पुलिस...आज की ताजा खबर.



चिंकारा शिकार प्रकरण तीनों आरोपियों को जेल भेजा


बाड़मेर धोरीमन्ना कस्बे में 27 जनवरी की रात गश्त के दौरान पकड़े गए चिंकारा शिकार के आरोपियों को पुलिस ने बुधवार को कोर्ट में पेश किया। जहां तीनों ही आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के निर्देश दिए गए।

धोरीमन्ना थानाधिकारी मूलाराम चौधरी ने बताया कि चिंकारा शिकार के मामले में पकड़े गए आरोपियों को तीन दिन की रिमांड के बाद बुधवार को एसीजेएम कोर्ट बाड़मेर में पेश किया गया। न्यायालय ने धोरीमन्ना निवासी दीपाराम पुत्र भंवराराम भील, कातरला निवासी शंकरा पुत्र फौजा और धोरीमन्ना निवासी मोहम्मद पुत्र भंवरु खां को न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के निर्देश दिए। वहीं कातरला निवासी रेशमा पुत्र सता भील की उम्र 18 वर्ष से कम होने के कारण उसे पहले ही बाल सुधार गृह भेज दिया गया था। थानाधिकारी ने बताया कि फरार आरोपी धोरीमन्ना निवासी हुकमाराम देशांतरी की तलाश की जा रही है।


सड़क हादसे में एक की मौत, तीन घायल

बालोतरा बांगुडी फांटा के निकट बुधवार रात ग्यारह बजे ऊंट गाड़ी को पीछे से इंडिका कार ने टक्कर मार दी जिससे कार में सवार विवाहिता ने घटना स्थल पर ही दम तोड़ दिया।विवाहिता बालोतरा से बाड़मेर जा रही थी।हादसे में घायल हुए तीन जनों को इलाज के लिए नाहटा अस्पताल में भर्ती कराया गया। पचपदरा थाने के एएसआई हरलाल सिंह ने बताया कि बांगुडी फांटा के निकट ऊंट गाड़े के पीछे चल रही इंडिका कार ने टक्कर मार दी। इस हादसे में इंडिका में सवार आहोर निवासी पुष्पा पत्नी प्रेमदास वैष्णव की मौके पर ही मौत हो गई। कार में विवाहिता के साथ आहोर निवासी सुरेश कुमार पुत्र पूनमचंद माहेश्वरी, गुलशन पुत्र सुरेश कुमार भी थे।ऊंट गाड़े पर सवार अकदड़ा निवासी बाबूलाल पुत्र बगताराम व भंवरलाल पुत्र मंगलाराम बूगडी भी गंभीर रूप से घायल हो गए।

दोनों का इलाज राजकीय अस्पताल नाहटा में चल रहा है।



खूनी संघर्ष के आरोपियों को जेल भेजा

बाड़मेर गडरारोड में मंगलवार को एक ही समुदाय के दो गुटों में हुए खूनी संघर्ष के मामले में हत्या के तीन आरोपियों को पुलिस ने बुधवार को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के निर्देश दिए गए। चौहटन पुलिस उप अधीक्षक नरेंद्र गोदारा ने बताया कि गडरारोड में मंगलवार को जानलेवा हमला करने और सताराम पुत्र हकीमराम भील की हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए चंदणाराम, रहीमराम पुत्र धाणाराम व भंवराराम पुत्र दयाराम निवासी रासलाणी को बुधवार को कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के निर्देश दिए गए। डिप्टी गोदारा ने बताया कि हत्या के अन्य आरोपी राजकीय अस्पताल बाड़मेर में एडमिट है। वहां से उन्हें डिस्चार्ज करते ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

ग्राम पंचायत बिजावल के राजस्व गांव रासलाणी में सोमवार देर रात महारात कार्यक्रम के दौरान पुरानी रंजिश के चलते एक ही समुदाय के दो गुटों में हुए खूनी संघर्ष हो गया। मारपीट में एक की मौत हो गई, वहीं दूल्हा सहित 16 अन्य घायल हो गए। जिन्हें उपचार के लिए राजकीय अस्पताल बाड़मेर लाया गया। जहां गंभीर रूप से घायल दो व्यक्तियों को जोधपुर रेफर किया गया।परिवार में गुरुवार को शादी होनी थी। इसी उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित किया गया था। हंसी-ठिठोली के बीच ही विवाद बढ़ गया। सूचना मिलने पर चौहटन डीएसपी नरेन्द्र गोदारा मौके पर पहुंचे। इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

खूनी संघर्ष में भारथाराम पुत्र सताराम, अंतरी देवी पत्नी सखीराम, पीथाराम पुत्र सताराम, कोयल देवी पत्नी रहीमराम, ढेली देवी पत्नी दयाराम, भंवराराम पुत्र दयाराम, देवाराम पुत्र जेताराम, प्रभुराम पुत्र दयाराम, धीराराम पुत्र जेताराम, चांदी देवी पत्नी धाणूराम, धाणूराम पुत्र जवाराराम, रायधनराम पुत्र धाणूराम, मूलाराम पुत्र धाणूराम, आंबू देवी पत्नी मुढाराम व रहीम पुत्र धाणूराम घायल हो गए। जिन्हें उपचार के लिए बाड़मेर रेफर किया गया। इस दौरान गंभीर रूप से घायल सताराम (55)पुत्र हकीमराम भील ने रास्ते में दम तोड़ दिया। राजकीय अस्पताल बाड़मेर में प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर रूप से घायल दो जनों को जोधपुर रेफर किया गया। थानाधिकारी हुक्माराम ने बताया कि करमूराम पुत्र सताराम ने मामला दर्ज करवाया कि पुरानी रंजिश के चलते देवाराम वगैरह ने उसके पिता पर जानलेवा हमला कर दिया जिससे उनकी मौत हो गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी चंदणाराम, रहीमराम पुत्र धाणाराम व भंवराराम पुत्र दयाराम निवासी रासलाणी को गिरफ्तार किया है।

हिरासत में मौत, थाना प्रभारी और जांच अधिकारी निलंबित

हिरासत में मौत, थाना प्रभारी और जांच अधिकारी निलंबित



जयपुर  चोरी के मामले में पूछताछ के लिए मानसरोवर थाने लाए गए तिलक नगर निवासी योगेश सपरा (५२) की मौत हो गई। पुलिस कमिश्नर बीएल सोनी ने थाना प्रभारी धर्मवीर सिंह और जांच अधिकारी एएसआई जगदीश प्रसाद को निलंबित कर दिया है। एसएमएस अस्पताल के मेडिकल बोर्ड ने योगेश की मौत हार्ट अटैक से होना का अंदेशा जताया है।

पुलिस ने योगेश के घर से करीब 20 लाख रु. का चोरी का माल बरामद किया था। उसे मंगलवार को शाम चार बजे पूछताछ के लिए थाने लाया गया, जहां वह रात करीब ९:४० बजे बेहोश हो गया। एसएमएस अस्पताल में रात करीब ११ बजे उसने दम तोड़ दिया। योगेश मानसरोवर थाने के हिस्ट्रीशीटर हरीश थापा का परिचित था। थापा चोरी के आरोप में गिरफ्तार है। उसी ने चोरी का माल योगेश के घर होना बताया था।

यूं हुई थी जान-पहचान

हरीश को 2005 में चोरी के आरोप में 7 साल की सजा हुई थी। इस दौरान योगेश को भी मालवीय नगर थाना पुलिस ने धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया था। जिसे एक मई 2007 को दो साल का कारावास व दो हजार रुपए जुर्माने की सजा हुई। जेल में रहते हुए योगेश की हरीश से जान-पहचान हो गई। जेल में ही हरीश ने योगेश को धर्म का पिता बना लिया था। जेल से छूटने के बाद दोनों एक ही मकान में किराए से रह रहे थे। हरीश थापा चोरी करता और माल योगेश के पास जमा करता था।

चोरी के आरोप में किया था हरीश को गिरफ्तार

जेल से बाहर आने पर हरीश थापा ने शहर के विभिन्न थाना इलाकों में 10 चोरी की वारदात की। पूछताछ में हरीश थापा ने मानसरोवर, शिप्रापथ, जवाहरनगर में दो दो वारदातें, मालवीय नगर, सोडाला, वैशाली नगर, मोती डूंगरी में चोरी की एक एक वारदात करना कबूल किया। हरीश थापा 21 जनवरी को मानसरोवर निवासी एसपी सिंह के सू ने घर में चोरी कर रहा था। इसी दौरान वे घर पर आ गए। तब हाथापाई में हरीश ने एसपी सिंह के सिर में नकब की मार कर भाग गया लेकिन उसका मोबाइल वहीं गिर गया। जिसके आधार पर मानसरोवर थाना पुलिस ने हरीश को मंगलवार सुबह गिरफ्तार किया था।

बहन को प्रेमी के साथ देख पगलाया भाई, निकाली बंदूक-मार दी गोली



लुधियाना. गांव हंबड़ां में बहन को एक युवक के साथ आपत्तिजनक हालत में देख भाई ने दोनों को गोली मार दी। बचने की कोई गुंजाइश न रहे, इसलिए दोनों के सिर पर गोली मारी गई।
 

घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी ने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया। हत्या में इस्तेमाल की गई रिवाल्वर पुलिस ने कब्जे में ले ली है। लड़की हंबड़ां की नवदीप कौर (25) व लड़का गांव थरीके का हरप्रीत सिंह जौहल उर्फ हैप्पी (26) था। आरोपी की पहचान बलजिंदर सिंह गिल के रूप में हुई है। घटना बुधवार तड़के की है।



बलजिंदर और उसकी बहन नवदीप कोठी में अकेले थे। बलजिंदर बेडरूम में सो रहा था जबकि नवदीप ड्राइंगरूम में थी। पुलिस को दिए बयान में बंटी ने बताया कि तड़के 4:30 बजे बाहर आवाज सुनकर उसकी आंख खुल गई। किसी खतरे की आशंका से वह अपने पिता का 32 बोर का लाइसेंसी रिवाल्वर लेकर बाहर निकला। ड्राइंगरूम का दरवाजा खुला था। वहां नवदीप और हरप्रीत आपत्तिजनक हालत में थे। बंटी को देख हैप्पी सोफे के पीछे छिप गया। गुस्से में पागल बंटी ने उसके सिर पर एक के बाद एक चार फायर किए।



....बालों से पकड़ा और दाग दी गोलियां



भाई को गुस्से में देख नवदीप बेडरूम की तरफ भागी। बंटी ने वहां पहुंच उसे बालों से पकड़ा और कनपटी में दो गोलियां दाग दीं। सब इंस्पेक्टर गुरप्रीत सिंह ने बताया कि नवदीप के पिता तेजा सिंह मंगलवार को पत्नी छिंदर कौर और छोटे बेटे हरजिंदर सिंह के साथ धर्मकोट के गांव किशनपुरा में अपने ससुराल गए थे। इस दौरान नवदीप ने हैप्पी को घर बुला लिया। हैप्पी की इंडिका कार ललतों गांव से मिली है। मोगा में रहने वाला हैप्पी का दोस्त उसे हंबड़ां छोड़कर गया था।

तीन कप काली चाय (बिना दूध वाली) पीना रक्तचाप को कम करने में मददगार

चाय पीना और पिलाना आज हमारे दैनिक आवभगत के पेय में सम्मिलित हो चुका है,क्या गांव शहर शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो, जिसने अपने जीवन में चाय की चुस्कियों का एहसास न लिया हो,अभी हाल के ही एक शोध में यह बताया गया है, कि प्रतिदिन तीन कप काली चाय (बिना दूध वाली) पीना रक्तचाप को कम करने में मददगार होता है।  
यह खबर उन लोगों के लिए एक खुशखबरी हो सकती है,जो अपने दिन की शुरुआत ही चाय से करते हैं। युनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न आस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने बिना दूध वाली काली चाय पर किये गए अध्ययन से इस बात की पुष्टि की है(दूध डालकर बनायी गयी चाय पर ऐसे परिणामों की पुष्टि अभी बाकी है), पूर्व में भी ऐसे कई परिणाम सामने आ चुके हैं, जो चाय के हृदय पर अच्छे प्रभाव की पुष्टि कर चुके हैं।

प्रमुख शोधकर्ता जोनाथन होजसन ने आस्ट्रेलिया के अखबार डेली मेल को बताया कि यह अध्ययन चाय और हृदय रोगों के बीच के सम्बन्ध को स्थापित करने कि दिशा में एक महत्वपूर्ण खोज होगा। हृदय द्वारा सम्पूर्ण शरीर को रक्त छोडऩे के दौरान उत्पन्न धड़कन का दबाव सीसटोलिक एवं हृदय द्वारा रक्त को लेने की स्थिति में उत्पन्न धड़कन का दवाब डायस्टोलिक को रक्तचाप के दौरान मापा जाता है।

35 से 75 आयु के 95 लोगों में कराये गए अध्ययन, जिनको प्रतिदिन तीन कप काली चाय पिलाई गई और एक दूसरा प्लेसिबो समूह जिसे किसी और स्रोत से प्राप्त कैफीन पिलाया गया में इस परीक्षण के परिणाम छ: महीने के बाद उक्त प्लेसीबो समूह से तुलनात्मक रूप में अध्ययन द्वारा देखे जाने पर यह पाया गया कि जिन लोगों ने काली चाय पी थी उनका सीसटोलिक एवं डायस्टोलिक रक्तचाप 2-3 घट गया। शोधकर्ताओं का मानना है, कि दो से तीन की रक्तचाप में कमी, उच्च रक्तचाप एवं हृदयरोगों की संभावना को दस प्रतिशत तक कम कर देती है। यह अध्ययन आर्चीव ऑफ इंटर्नल मेडीसिन में प्रकाशित हुआ है ...।

सिद्धपुरुष खेमा बाबा

सिद्धपुरुष खेमा बाबा


बाड़मेर जिलै रै बायतू गाम मांय जनम्या खेमा बाबा जाटा हा। अै सदीव साधु-संन्यासी रै बेस मांय रैया करता हा, जिणरी वजै सूं लग इणां नै 'खेमा बाबा' रै नाम सूं बतलावता। अै आपरै जीवण मांय जैरीलै जीव-जंतुवां रै काटियौड़ै लोगां रा झाड़ा-झपटा करिया करता। इण भांत अै अणगिणत लोगां नै अभयदान दिया। आपरै जीवण रै छहलै बगत ताईं अै बायतूं मायं इज रैया। सुरगवास सूं पांच-सात घड़ी पैला अै आपरै सगै-संबंधियां, मित्रां अर गामवासियां सूं आग्रह करियौ हौ के अबै म्हारौ अंतिम बगत आयग्यौ है, थे लोग म्हनै अमुक जगै लिजाय'र बिना बालियां गाड दीजौ अर उण जगै अेक चबूतरौ बणवाय दीजौ। जे किणी नै कोई तकलीफ हुय जावै तौ चबूतरै माथै नालेर इत्याद चढा देवैला तौ उणनै किणी ई तरै री तकलीफ नीं हुवैला। खास तौर सूं जैरीलै जीव-जंतुवां रै काटियां तौ तत्काल इज आराम हुय जावैला।
सिद्धपुरुष जाट खेमाराम जाखड़ आपरौ नश्वर शरीर त्याग दियौ। उणां रै कैयां मुजब उणां नै अमुक स्थान माथै गाडण सारू लेयग्या, पण वा जमीन बायतू रै अेक ठाकर री ही, जिकां अपणी जमीन मांय गाडण नीं दिया। कीं बगत बाद अचाणचक ठाकर नै निपटण री शंका हुई। ठाकर निपटण सारू गाम रै बारै गया। सिद्धपुरुष खेमा बाबा रै नश्वर शरीर नै आपरी जमीन मांय नीं गाडण देवण री बजै सूं जैरीला जीवजन्तु ठाकर नै घेर लियौ। ठाकर जद अणूंती देर तांी बावड़िया नीं तौ परिवार रा सगला ई लोग उणां रै नीं बावड़ियां चिंतातुर हुवण लागग्या। उठीनै खेमा बाबा रै नश्वर शरीर नै उणी जगै गाडण री मंजूरी सारू हजारूं लोग उडीक रैया हा। जद ठाकर नै सोधण सारू नौकर भेजीजियौ तौ पतौ लागियौ के वै तौ जैरीलै जीव-जंतुवां रै जाल सूं मुगत हुया। ठाकर खेमा बाबा रै चमत्कार सूं प्रभावित हुय'र आपरी जमीन मांय उणां रै शरीरर नै गाडण री मंजूरी देय दी अर खुद आपरै खरजै सूं उण माथै चबूतरौ बणवाय'र पैलौ नालेर चढायौ।
आज वौ इज चबूतरौ अेक सुंदर मिंदर रै रूप मांय नागदेवता री बणियोड़ी प्रतिमावां अेक नीं, अनेकूं विराजमान है। मिंदर रै च्यारूंमेर पक्की दीवारां रौ परकोटौ अर उणरै बीच मांय जातरूवां रै ठैरण अर मिंदर रै कर्मचारियां अर पुजारियां रै रैवास सारू पक्का मकान बणियोड़ा है। मिंदर रे लारली कानी 150 फुट सूं ई ऊंचौ रेतीलौ धोरौ आयौ थकौ है। मेला स्थल माथै तीन टांकां रौ निरमाण ई हुयोड़ौ है।
मेलै मांय हिस्सौ लेवण सारू दूर-दूर सूं हजारूं जातरूं अेकठ हुवै। जैरीलै जीव-जंतुवां सांप-बिच्छु इत्यार रै काटियां उणी बगत इणां रै स्थल री जातरा करण, पूजा चढावण री जाचना करण अर मोरपांख नै काडियौडै़ स्थल माथै बांधियां सूं तत्काल आराम मिल जावै। अैड़ौ करियां अेक नीं, अनेकूं श्रद्धालू भगतां नै आराम अर राहत मिली है। नतीजन मैलै रै मौकै माथै हजारूं री तादाद में स्त्री, पुरुष, बच्चा, बूढ़ा सगला ी आवै, जिका आपरै साथै छोटौ-सोक सफेद कपड़ौ त्रिकोण आकार रौ लावै अर आपरी जाचना, चढावै चढायां रे बाद उणनै नजीक खड़ै पेड़ रै बांध देवै।
मेलै रै अेक दिन विसाल पैमानै माथै ठाकर री बणियोड़ी कोटी माथै भजन-कीरतन रौ आयोजन हुवै। उण मांय चमार जाति रै लोगां रै अलावा हर जाति रा लोग हिस्सौ लेवै। औ कार्यक्रम रात भर चालू रैवै। सूबै-सवाणी हजारूं लोग खेमा बाबा रै मिंदर दरसणां सारू जावै अर प्रसाद चढावै। प्रसाद सूं नीं जाणै कित्ती ई बोरियंा भर जावै। औ प्रसाद बाद में भजन करण वालां अर पिछड़ी जातियां रै लोगां मांय बांट दियौ जावै। सिंझ्या तांी मैलौ बिखरणौ सरू हुय जावै।
खेमा बाबा रै इम मेलै नै औरूं बेसी विसाल रूप देवण सारू पंचायत समिति, बायतु इणी स्थल माथै पशु मैलै रौ आयोजन करै जिकौ कोई सात दिन तांई रैवै। माघ सुदी 7 लेय'र माघ सुदी 13 तांई लगातार औ मेलौ चालै। इण मेलै मांय हजारूं री संख्या में उन्नत नस्ल रा थारपारकर अर कांकरेज नस्ल रै बलदां नै मारवाड़ी नस्ल रै ऊंटा रै अलावा दूजा केई पशु ई खरीदण-बेचण सारू लाया जावै। पशुवां री खरी सारू राजस्थान रै अलावा दूजै प्रदेशां रा केई वौपारी ई आवै। इण मेलै मांय पशुवां री अच्छी कीमत आंकीजै।