सोमवार, 1 अगस्त 2011

छात्रा से दुष्कर्म, बड़े लोगों का गिरेबां पकड़ने से डर रही खाकी!


जयपुर। जिस युवती की बरामदगी के मामले में प्रतापनगर थाना प्रभारी रामनिवास विश्नोई व दो अन्य पुलिसकर्मी गिरफ्तार हुए थे, उसी के बयानों के बाद पुलिस उन आरोपियों को गिरफ्तार करने से बच रही है, जिन्होंने छात्रा से दुष्कर्म किया था। पुलिस ने एक डाक्टर को गिरफ्तार किया, जबकि दो आरोपी फरार हैं। इनमें एक मजिस्ट्रेट का बेटा व एक बीडीएस छात्र है।

 
छात्रा को पुलिस ने 5 मई को मथुरा के पास से बरामद किया था। मजिस्ट्रेट के सामने बयान में छात्रा ने डाक्टर सौरभ आर्य, शांतनु कुमार तथा बीडीएस छात्र अमित चौधरी पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। जिस युवती को पुलिस पूछताछ के लिए थाने लाई थी, उसे घटनाक्रम के बारे में पता था। पुलिस जांच में सामने आया कि शांतनु नाम का युवक मजिस्ट्रेट का बेटा है, जबकि भरतपुर निवासी अमित ने बीडीएस के बाद पीजी किया है। छात्रा के बयानों के पौने तीन माह बाद पुलिस ने फागी के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर सौरभ आर्य को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

 
सूत्रों की मानें तो एक मुल्जिम आरपीएस अफसर का रिश्तेदार है। चर्चा है कि पुलिस अधिकारी के दबाव के चलते मुल्जिम को बचाया जा रहा है। दूसरी तरफ पुलिस अब छात्रा की सहेली के बयान लेगी, क्योंकि उसने सहेली पर ही आरोप लगाया है।

 
एडीशनल डीसीपी योगेश दाधीच ने बताया कि डॉ.सौरभ आर्य (38) जगतपुरा गोल्डन डोम में रहते हैं। बयानों में पीड़ित छात्रा ने बताया था कि उसकी सहेली ने ही उसे डॉ. सौरभ राज उर्फ रामवीर और अमित चौधरी से मिलवाया था। डॉ. सौरभ उसे संसारचंद्र रोड स्थित एक होटल में ले गया था तथा ज्यादती की थी। छात्रा को पुलिस ने पांच मई को मथुरा के पास से बरामद किया था।

 
इस तरह से चला मामला:

 
—18 जनवरी को प्रताप नगर इलाके से छात्रा लापता —23 जनवरी को छात्रा की सहेली को पूछताछ के लिए प्रताप नगर थाने बुलाया गया —24 जनवरी को सहेली ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या का प्रयास किया, पास में मिले सुसाइड नोटमें प्रताप नगर थाना प्रभारी रामनिवास विश्नोई पर दुष्कर्म के प्रयास का आरोप लगाया —मामले की जांच सीआईडी सीबी को सौपी, थाना प्रभारी गिरफ्तार —5 मई को लापता छात्रा मथुरा के पास मिली —6 मई को मजिस्ट्रेट बयान कराए, छात्रा ने मजिस्ट्रेट के बेटे, डॉक्टर सहित कई लोगों पर दुष्कर्म का आरोप लगाया —24 जुलाई को पुलिस ने डॉक्टर सौरभ को गिरफ्तार किया।

छात्रा से दुष्कर्म, बड़े लोगों का गिरेबां पकड़ने से डर रही खाकी!


जयपुर। जिस युवती की बरामदगी के मामले में प्रतापनगर थाना प्रभारी रामनिवास विश्नोई व दो अन्य पुलिसकर्मी गिरफ्तार हुए थे, उसी के बयानों के बाद पुलिस उन आरोपियों को गिरफ्तार करने से बच रही है, जिन्होंने छात्रा से दुष्कर्म किया था। पुलिस ने एक डाक्टर को गिरफ्तार किया, जबकि दो आरोपी फरार हैं। इनमें एक मजिस्ट्रेट का बेटा व एक बीडीएस छात्र है।

 
छात्रा को पुलिस ने 5 मई को मथुरा के पास से बरामद किया था। मजिस्ट्रेट के सामने बयान में छात्रा ने डाक्टर सौरभ आर्य, शांतनु कुमार तथा बीडीएस छात्र अमित चौधरी पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। जिस युवती को पुलिस पूछताछ के लिए थाने लाई थी, उसे घटनाक्रम के बारे में पता था। पुलिस जांच में सामने आया कि शांतनु नाम का युवक मजिस्ट्रेट का बेटा है, जबकि भरतपुर निवासी अमित ने बीडीएस के बाद पीजी किया है। छात्रा के बयानों के पौने तीन माह बाद पुलिस ने फागी के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर सौरभ आर्य को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

 
सूत्रों की मानें तो एक मुल्जिम आरपीएस अफसर का रिश्तेदार है। चर्चा है कि पुलिस अधिकारी के दबाव के चलते मुल्जिम को बचाया जा रहा है। दूसरी तरफ पुलिस अब छात्रा की सहेली के बयान लेगी, क्योंकि उसने सहेली पर ही आरोप लगाया है।

 
एडीशनल डीसीपी योगेश दाधीच ने बताया कि डॉ.सौरभ आर्य (38) जगतपुरा गोल्डन डोम में रहते हैं। बयानों में पीड़ित छात्रा ने बताया था कि उसकी सहेली ने ही उसे डॉ. सौरभ राज उर्फ रामवीर और अमित चौधरी से मिलवाया था। डॉ. सौरभ उसे संसारचंद्र रोड स्थित एक होटल में ले गया था तथा ज्यादती की थी। छात्रा को पुलिस ने पांच मई को मथुरा के पास से बरामद किया था।

 
इस तरह से चला मामला:

 
—18 जनवरी को प्रताप नगर इलाके से छात्रा लापता —23 जनवरी को छात्रा की सहेली को पूछताछ के लिए प्रताप नगर थाने बुलाया गया —24 जनवरी को सहेली ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या का प्रयास किया, पास में मिले सुसाइड नोटमें प्रताप नगर थाना प्रभारी रामनिवास विश्नोई पर दुष्कर्म के प्रयास का आरोप लगाया —मामले की जांच सीआईडी सीबी को सौपी, थाना प्रभारी गिरफ्तार —5 मई को लापता छात्रा मथुरा के पास मिली —6 मई को मजिस्ट्रेट बयान कराए, छात्रा ने मजिस्ट्रेट के बेटे, डॉक्टर सहित कई लोगों पर दुष्कर्म का आरोप लगाया —24 जुलाई को पुलिस ने डॉक्टर सौरभ को गिरफ्तार किया।

बिग बॉस में आ रहे हैं माइक टायसन

mike.jpgबॉक्सिंग चैंपियन माइक टायसन जितने अपनी बॉक्सिंग के लिए मशहूर हैं। उतनी ही कॉन्ट्रोवर्सी रिंग के अंदर और बाहर उनके नाम रही हैं। अब माइक टायसन को बिग बॉस ने न्योता भेजा है। बिग बॉस चाहते हैं कि माइक इस साल के सीजन 5 में उनके घर मेहमान बनकर आएं। पिछले साल बिग बॉस के घर पामेला ऐंडरसन की एंट्री के साथ इस शो की टीआरपी काफी ऊपर चली गई थी। लेकिन पैम तो कुछ ही दिन के लिए आई थीं। इसीलिए इस साल बिग बॉस ने इस विदेशी मेहमान को पूरे सीजन के लिए बुलाया है।

45 वर्षीय हैवीवेट बॉस्किस चैंपियन माइक टायसन रिंग में अपने प्रतिद्वंदी का कान काटने को लेकर काफी विवादों में रहे थे। टायसन ने हॉलिवुड की सुपरहिट फिल्म हैंगओवर में स्पेशल अपीरियेंस भी किया है।

टायसन के करीबी सूत्रों के अनुसार वह इस शो में आने को लेकर काफी उत्साहित हैं और माना जा रहा है कि वह अक्टूबर तक भारत आ जाएंगे। गौरतलब है कि बिग बॉस का भी इतिहास रहा है कि जितना कॉन्ट्रोवर्शल मेहमान उतनी ही ज्यादा शो की टीआरपी। राहुल महाजन, वीना मलिक वगैरह ने भी बिग बॉस के शो से काफी नाम कमाया था। और इस बार सीजन-5 को लेकर पहले ही विवाद शुरू हो गए हैं। शो के होस्ट सलमान खान और संजय दत्त की बीच झगड़े की खबरें भी इसी का हिस्सा हैं। बिग बॉस सीजन 5 की शूटिंग अक्टूबर से शुरू होने जा रही है। 

रहमत की बारिश का महीना ‘माह-ए-रमजान’


रहमत और बरकत से भरे रमजान के महीने का आगाज हो चुका है। मोमिनों को अल्लाह से प्यार और लगन जाहिर करने के साथ खुद को खुदा की राह की सख्त कसौटी पर कसने का मौका देने वाला यह महीना बेशक हर बंदे के लिए नेमत है।

रमजान में दिन भर भूखे-प्यासे रहकर खुदा को याद करने की मुश्किल साधना करते रोजेदार को अल्लाह खुद अपने हाथों से बरकतें नवाजता है।

दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना कहते हैं कि यह महीना कई मायनों में अलग और खास है। अल्लाह ने इसी महीने में दुनिया में कुरान शरीफ को उतारा था जिससे लोगों को इल्म और तहजीब की रोशनी मिली। साथ ही यह महीना मोहब्बत और भाईचारे का संदेश देने वाले इस्लाम के सार तत्व को भी जाहिर करता है।

उन्होंने कहा कि रोजा न सिर्फ भूख और प्यास बल्कि हर निजी ख्वाहिश पर काबू करने की कवायद है। इससे मोमिन में न सिर्फ संयम और त्याग की भावना मजबूत होती है बल्कि वह गरीबों की भूख-प्यास की तकलीफ को भी करीब से महसूस कर पाता है।

रमजान का महीना सामाजिक ताने-बाने को भी मजबूत करने में मददगार साबित होता है। इस महीने में सक्षम लोग अनिवार्य रूप से अपनी कुल सम्पत्ति का एक निश्चित हिस्सा निकालकर उसे जकात के तौर पर गरीबों में बाँटते हैं।

फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मौलाना मुकर्रम अहमद बताते हैं कि रमजान की शुरुआत सन् दो हिजरी से हुई थी और तभी से अल्लाह के बंदों पर जकात भी फर्ज की गई थी।

मौलाना अहमद ने बताया कि रमजान के महीने में अल्लाह के लिए हर रोजेदार बहुत खास होता है और खुदा उसे अपने हाथों से बरकत और रहमत नवाजता है। रमजान की खासियत का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि इसमें बंदे को एक रकात फर्ज नमाज अदा करने पर 70 रकात नमाज का सवाब 'पुण्य' मिलता है। साथ ही इसमें शबे कद्र की रात में इबादत करने पर एक हजार महीनों से ज्यादा वक्त तक इबादत करने का सवाब हासिल होता है।

मौलाना ने कहा कि कुरान शरीफ में लिखा है कि मुसलमानों पर रोजे इसलिये फर्ज किए गए हैं ताकि इस खास बरकत वाले रूहानी महीने में उनसे कोई गुनाह नहीं होने पाए। उन्होंने कहा कि यह खुदाई असर का नतीजा है कि रमजान में लगभग हर मुसलमान इस्लामी नजरिए से खुद को बदलता है।

आतंकवाद को कहीं न कहीं इस्लाम से जोड़े जाने के बीच रमजान की महत्ता के बारे में मौलाना ने कहा कि रमजान का संदेश ही इस धारणा को गलत साबित करने के लिये काफी है।

यह पूछे जाने पर कि नई पीढ़ी में रोजे के लिए अकीदत किस हद तक है, मौलाना ने कहा कि वह तथाकथित ‘मॉडर्न’ बच्चों के बारे में कोई टिप्पणी नहीं कर सकते लेकिन जहाँ तक उनका मानना है तो नई पीढ़ी के मुसलमानों में भी रमजान के प्रति श्रद्धा और आस्था में कोई कमी नहीं आई है।

बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है.....घृष्‍णेश्‍वर महादेव का मंदिर



महाराष्ट्र में औरंगाबाद के नजदीक दौलताबाद से 11 किलोमीटर दूर घृष्‍णेश्‍वर महादेव का मंदिर स्थित 
है. यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. कुछ लोग इसे घुश्मेश्वर के नाम से भी पुकारते हैं. बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं इस मंदिर के समीप ही स्थित हैं. इस मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में इसे अंतिम ज्योतिर्लिंग कहते हैं. इसे घुश्मेश्वर, घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर भी कहा जाता है. घुश्मेश्वर महादेव के दर्शन करने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा उसी प्रकार सुख-समृद्धि होती है, जिस प्रकार शुक्ल पक्ष में चन्द्रमा की.
दक्षिण देश के देवगिरि पर्वत के निकट नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी सुदेश के साथ रहता था. वे दोनों शिव भक्त थे किंतु सन्तान न होने से चिंतित रहते थे. सुकर्मा ने पत्नी के आग्रह पर उसकी बहन घुश्मा के साथ विवहा किया जो परम शिव भक्त थी. शिव कृपा से उसे एक पुत्र धन की प्राप्ति हुई. इससे सुदेश को ईष्या होने लगी और उसने अवसर पा कर सौत के बेटे की हत्या कर दी. लेकिन घुश्मा ने भगवान् शिव की आराधना करना नहीं छोड़ा. अगले दिन शिवजी की कृपा से ही बालक जी उठा. उसी समय भगवान् शिव प्रकट हुए और घुश्मा से वर मांगने को कहने लगे. घुश्मा ने हाथ जोड़कर भगवान् शिव से कहा- 'प्रभो! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मेरी उस अभागिन बहन को क्षमा कर दें. निश्चित ही उसने अत्यंत जघन्य पाप किया है किंतु आपकी दया से मुझे मेरा पुत्र वापस मिल गया. अब आप उसे क्षमा करें और प्रभो! मेरी एक प्रार्थना और है, लोक-कल्याण के लिए आप इस स्थान पर सर्वदा के लिए निवास करें. भगवान् शिव ने उसकी ये दोनों बातें स्वीकार कर लीं. ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर वह वहीं निवास करने लगे. उस तालाब का नाम भी तबसे शिवालय हो गया. सती शिवभक्त घुश्मा के आराध्य होने के कारण वे यहां घुश्मेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हुए. कहते हैं घुश्मेश्वर-ज्योतिर्लिंग का दर्शन लोक-परलोक दोनों के लिए अमोघ फलदाई है