शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

रेतीले धोरों पर उफनती रहीं साँस्कृतिक धाराएँ बेस्ट ऑफ राजस्थान कार्यक्रम ने ला दी थिरकन रंगीन आतिशबाजी के साथ मरु महोत्सव का समापन







रेतीले धोरों पर उफनती रहीं साँस्कृतिक धाराएँ
बेस्ट ऑफ राजस्थान कार्यक्रम ने ला दी थिरकन
रंगीन आतिशबाजी के साथ मरु महोत्सव का समापन

जैसलमेर, 18 फरवरी/मरु भूमि से लेकर दुनिया के कोनेकोने तक जैसलमेर को गौरव दिलाने वाले मरु महोत्सव2011 का शुक्रवार रात जिला मुख्यालय से चालीस किलोमीटर दूर सम के रेतीले मखमली धोरों पर समापन हो गया। धरती पर साँस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम के बाद आसमान में रंगीन आतिशबाजी के सुनहरे नज़ारों के साथ ही तीन दिवसीय उत्सवी मेले ने विराम पा लिया।
इसका आयोजन राजस्थान पर्यटन तथा जैसलमेर जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। तीन दिनों में भारत के विभिन्न प्रदेशों के साथ ही विश्व के कई देशों से आए पर्यटकों को मिलाकर हजारों सैलानियों ने मरु महोत्सव के विभिन्न आयोजनों का लुत्फ उठाते हुए जैसाण की लोक संस्कृति, परम्पराओं, ऐतिहासिक शिल्पस्थापत्य के स्मारकों और नैसर्गिक सौन्दर्य से रूबरू होकर पर्यटन का आनंद पाया।
मरु महोत्सव के समापन पर हुई शानदार साँस्कृतिक कार्यक्रम में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के कलाकारों और दलों ने एक से ब़कर एक मनोहारी कार्यक्रम पेश कर रसिकों को खूब आनंदित किया।
थार संगीत की मिठास बिखेर चुके जिले के मूलसागर निवासी तगाराम भील ने अलगोजा एवं सितार पर राजस्थान लोकगीतों की धुनें बिखेर कर दर्शकों का मन मोह लिया। पारसनाथ के संगीत निर्देशन में प्रसिद्ध कालबेलिया पार्टी ने कालबेलिया नृत्य पेश का राजस्थानी संस्कृति की गंध धोरों पर बिखरा दी। बीन की धुन, डफली की ताल और ोलक की थाप पर नागिन की तरह बल खाती हुई कालबेलिया नृत्यांगनाओं ने ॔॔काल्यो कूद पड्यो मेला मा...; के बोल पर भावपूर्ण नृत्य पेश किया।
जैसलमेर के ख्यातनाम कलाकार थाने खां एवं उनकी टीम ने सूफियाना अंदाज में ॔॔दमादम मस्त कलन्दर......’’ बोल पर प्रस्तुति देते हुए पूरे माहौल को सूफी संगीत से सरोबार कर दिया। इसी टीम ने ॔॔जब देखूं बने री लाल पीली अंखियाँ..........’’ राजस्थानी गीत पेश किया।
मेवाती अंचल के भपंग वादक नरूदीन मेवाती ने ोलक की लय ताल पर ॔॔ राम नाम की भपंग वादन के साथ हास्य व्यंग से भरपूर गीत प्रस्तुत कर भरपूर मनोरंजन किया।
सांस्कृतिक संध्या में डीग भरतपुर के मशहूर लोक कलाकार अशोक शर्मा एण्ड पार्टी द्वारा ’’ब्रज की प्रसिद्ध फूलों की होली’’ एवं ॔॔मयूर नृत्य’’ की आकर्षण भरी प्रस्तुतियों से रेतीले धोरों को फागुनी मस्ती से भर दिया।
पोकरण के लोक कलाकार रेवताराम ने ॔कच्छी घोड़ी’ नृत्य पेश किया। आरंभ में लिटिल हार्ट एजुकेशन इंस्टीट्यूट, जैसलमेर के कलाकारों ने स्वागत गीत ॔॔केसरिया बालम आवो ने पधारो म्हारे देस........’’. पेश कर सभी मौजूद मेहमानों का स्वागत किया।
नाद स्वरम संगीत संस्थान, जैसलमेर के भजन गायकों ने सुमधुर भजन पेश कर जैसलमेर पर माँ शारदा की कृपा को सिद्ध कर दिखाया। इन भजन गायकों ने होरी भजन सुनाकर धोरों पर फागुनी मौजमस्ती का दरिया उमड़ा दिया।
आकाशवाणी के वरिष्ठ उद्घोषक जफर काँ सिंधी एवं बीना चित्तौड़ा ने खनकती आवाज में संचालन करते हुए शेरोशायरियों और मरु महिमा के जरिये मरु महोत्सव की इस अंतिम संध्या को खूब ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया।
रंगीन नज़ारों ने मीलों तक गायी मरु महिमा
सम के धोरों पर यादगार साँस्कृतिक समारोह के बाद आतिशबाजी के रंगीन नज़ारों ने मीलों तक मरु महोत्सव की सफलता का पैगाम गुंजा दिया। शोरगरों द्वारा सम के लहरदार रेतीले धोरों पर शानदार रंगीन आतिशबाजी की गई। आसमान में छाते रहे आतिशबाजी के रंगों ने दर्शकों को मजा ला दिया। इसके उपरान्त सैलानी अगले वर्ष फिर मरु महोत्सव में शामिल होने का संकल्प ले प्रस्थित हुए।
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सम के धोरों ने गुंजाया मरु महोत्सव का पैगाम
मखमली धरा पर उतरा उत्सवी उल्लास का ज्वार
जैसलमेर, 18 फरवरी/अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त मरु महोत्सव तीसरे दिन शुक्रवार को सम के धोरों पर केन्द्रित रहा जहाँ हजारों देशीविदेशी पर्यटकों और क्षेत्रवासियों की मौजूदगी में नैसर्गिक माहौल में सुरमई साँझ ने हर किसी को दिली सुकून का अहसास करा दिया।
प्रकृति की गोद में सम के रेतीले मखमली धोरों पर हुए विभिन्न कार्यक्रमों ने उल्लास का दरिया उमड़ा दिया। सम के विषम धोरों का आकर्षण देश के कोनेकोने से लेकर दुनिया के कई देशों के सैलानियों को अपनी ओर खीच लिया। सम के रेतीले धोरों पर शुक्रवार को पूरी दुनिया के सिमट आने जैसा नज़ारा दिखा। रेतीले धोरों पर उमड़े लोगों ने खूब आनंद लिया।
कैमल रेस देखने उमड़ी जनगंगा
सम के धोरों पर शुक्रवार को उमड़े हजारों सैलानियों ने ऊँटों की दौड़ का जमकर आनंद लिया। कैमल रेस में कुल 41 ऊँटों ने हिस्सा लिया। इनमें एक किलोमीटर रेस में बाद में पन्द्रह ऊँट शेष रहे जिनमें सम के सगरों की बस्ती के ऊँटों ने बाजी मारी। ऊँट दौड़ प्रतियोगिता में श्री जगमाल काँप्रथम, श्री साबू काँद्वितीय तथा श्री सुमार काँतृतीय रहे। इन्हें जिला कलक्टर श्री गिरिराजसिंह कुशवाहा तथा जिला पुलिस अधीक्षक श्री अंशुमन भोमिया ने नगद पुरस्कार, मरु महोत्सव का प्रतीक चिह्न तथा प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।
विजेताओं को दिया गया पुरस्कार
कैमल रेस के विजेताओं में प्रथम श्री जगमाल काँ को आठ हजार रुपए, द्वितीय रहे श्री साबू काँ को पांच हजार रुपए तथा तृतीय स्थान पर रहे श्री सुमार काँ को तीन हजार रुपए का नगद पुरस्कार प्रदान किया गया। इनके साथ ही अंतिम दौर में शामिल सभी ऊँटों के मालिकों को सांत्वना पुरस्कार के रूप में पाँच सौ पाँच सौ रुपए का नकद पुरस्कार दिया गया। इस आयोजन में कैमल रेस एसोसिएशन, होटल रंगमहल, पी.एस. राजावत आदि का योगदान रहा। इस दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री बलदेवसिंह उज्ज्वल, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री एच.एस. मीणा, पर्यटन विभाग के उपनिदेशक श्री नन्दलाल अलावदा एवं सहायक निदेशक श्री विकास पण्ड्या सहित जिलाधिकारी, सीमा सुरक्षाबल, वायुसेना तथा अन्य सैन्य अधिकारीगण, बड़ी संख्या में देशीविदेशी मेहमान और क्षेत्रवासी उपस्थित थे।
शुक्रवार को सैलानियों ने सम के स्पंजिया धोरों पर च़नेउतरने और सैर करने का आनंद लिया वहीं रेगिस्तान के जहाज की सवारी का मजा लेने वालों की संख्या भी कोई कम नहीं थी। शुक्रवार शाम हल्की बूंदाबांदी का भी सैलानियों ने मजा लिया।
जैसाण में बही लोक संस्कृति की रंगीन सरिताएँ
देशदुनिया के मेहमानों ने लिया भरपूर आनंद
मनोहारी रहा विभिन्न प्रदेशों की सँस्कृति का दिग्दर्शन
जैसलमेर, 18 फरवरी/मरु महोत्सव के अन्तर्गत जैसलमेर के शहीद पूनमसिंह स्टेडियम में पिछली दो संध्याओं में प्रस्तुत लोक साँस्कृतिक कार्यक्रमों ने हिन्दुस्तान के विभिन्न प्रदेशों की कलासंस्कृति और साहित्य की सरिताओं ने देशदुनिया के हजारों मेहमानों के दिलों पर खासी यादगार छाप छोड़ी।
राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सवों और समारोहों में धाक जमाने वाले मशहूर कलाकारों के समूहों ने अपनेअपने प्रदेशों की लोक संस्कृति के प्रतिनिधि कार्यक्रमों का प्रदर्शन करते हुए भारत की इन्द्रधनुषी संस्कृति का दिग्दर्शन कराते हुए भरपूर मनोरंजन किया। सर्द रात के बावजूद मनोहारी कार्यक्रमों और माधुर्य भरी प्रस्तुतियों की श्रृंखलाओं ने अलग ही उष्मा का अहसास करा दिया।
प्रदेश व देश के विभिन्न हिस्सों से आए सैलानियों, विदेशी पर्यटकों के साथ ही जैसलमेरवासियों ने दोनों ही दिन आयोजित साँस्कृतिक संध्या का पूरा लुत्फ उठाया।
इनमें गैर नृत्य (लाल आंगी), तेरहताली नृत्य, मशक वादन, भपंग वादन, कालबेलिया नृत्य, गवरी नृत्य, रासगरबा, मयूरचरकुला नृत्य, राजस्थानी नृत्यों, बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत नृत्यों, उत्तरमध्य क्षेत्रीय साँस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद से सम्बद्ध पंजाब, महाराष्ट्र, मथुरा, आंध्रप्रदेश, गुजरात, उड़ीसा और राजस्थान के कलाकारों के दल ने आकर्षक वेशभूषा, मनोहारी भावभंगिमाओं और माधुर्य से सिक्त सांगीतिक कार्यक्रमों ने रसिकों को आनंदित करते हुए खूब वाहवाही लूटी।
इन कार्यक्रमों में जिला प्रशासन के अधिकारियों, सैन्य अधिकारियों, देश के विभिन्न हिस्सों से आए विशिष्टजनों और हजारों की संख्या में देशीविदेशी सैलानियों ने हिस्सा लिया। बड़ी संख्या में पर्यटकों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों को अपने कैमरे में कैद किया।
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कुलधरा में पुरातन ग्राम्य जीवन से देशीविदेशी पर्यटक हुए रूबरू,
लोक कलाकारों ने गीतसंगीत और नृत्यों से मन मोहा
जैसलमेर, 18 फरवरी/ऐतिहासिक गाथाओं से भरे पालीवालों के प्राचीन परित्यक्त गाँव कुलधरा में शुक्रवार का दिन देशविदेश से आए सैलानियों के लिए आकर्षण का ख़ासा केन्द्र बना रहा।
इन सैलानियों ने कुलधरा की खण्डहर बस्तियों को देखा तथा प्राचीन भवन निर्माण और ग्राम्य लोक जीवन शैली को अपने कैमरों में कैद किया। इन सैलानियों ने पुराने मन्दिर, मकान और परिसरों को देखा तथा इनमें फोटो खिंचवाने का आनंद लिया। सैलानी कुलधरा की दूरदूर छितराए खण्डहरों में गए और पुरातन ग्राम्य जीवन शैली को करीब से देखा।
कुलधरा में स्थानीय लोक कलाकारों के समूहों ने गीतसंगीत, नृत्यों और कई मनोरंजक कार्यक्रमों के माध्यम से देशदुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से आए मेहमानों का मनोरंजन करते हुए दिल जीता। कई विदेशी और देशी मेहमानों ने इन कलाकारों के साथ नाचगान किया।

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

राजस्थानी भाषा को मान्यता संघर्ष में पूरा समर्थन-मानवेन्द्रसिह




बाडमेर [चन्दन भाटी] मायड भाषा राजस्थानी को मान्यता दिलाने के उद्देश्य से कृष्णा संस्था, संकल्प एज्यूकेद्गानल एण्ड सोद्गियल डवलपमेंन्ट सोसायटी, गु्रप फोर पीपुल्स द्वारा राजस्थानी भाषा मान्यता सघर्ष समिति बैनर तले चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान को आज बाड मेर जैसलमेंर के पूर्व सांसद मेजर मानवेन्द्रसिंह ने पूर्ण समर्थन देते हुए मान्यता मिलने तक सघर्ष जारी रखने का आहवान किया।

इस अवसर पर मेजर मानवेन्द्रसिंह ने कहा कि राजस्थानी भाषा म्हारे हिये में बसी है। राजस्थानी भाषा के मान्यता हर हाल मे मिलनी चाहिए। इसके लिए पूरा प्रयास किया जाएगा। उन्होने बाड मेर की जनता से अपील की है कि राष्ट्रीय कार्यक्रम जनगणना में सभी थार निवासी प्रथम भाषा के रूप में राजस्थानी दर्ज कराए। उन्होने कहा कि संविधान की आठवी सूची में राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए जरूरी है कि आम जनता मायड भाषा के प्रति संवेदनद्गील रह कर पूर्ण सहयोग करें उन्होने राजस्थानी भाषा मान्यता के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि मान्यता के लिए सतत्‌ प्रयासों की आवद्गयकता है मानवेन्द्रसिंह ने कहा कि जैसलमेंर में भी राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए अभियान चलाया जाएगा। इस अवसर पर समिति संयोजक रिड मलसिंह दांता ने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए चलाए जा रहे अभियान को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है लोगो के मन में राजस्थानी भाषा के प्रति आस्था का ज्वार उमड रहा है एक अवसर पर तरूण कागा ने कहा कि जननी भाषा को मान्यता मिलने तक सघर्ष को पूरा सहयोग किया जाएगा। इस अवसर पर तेजदान चारण ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि हमारी मायड भाषा की मान्यता के लिए अभियान चलाना पड रहा है। इस अवसर पर चन्दनसिंह भाटी ने कहा कि इस अभियान को गांव-गांव, ढाणी-ढाणी तक ले जाया जाएगा तथा हर व्यक्ति से समर्थन व सहयोग मांगा जाएगा। पार्षद सुरतानसिंह रेडाणा, वीरसिह भाटी, कचरा खां, सादिक खां, हरीद्गा मूदडा, सांगसिह लुणू, संकल्प संस्था के सचिव विजय कुमार ने भी राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए चलाए जा रहे अभियान को पूर्ण सहयोग का आहवान किया।

सघर्ष समिति द्वारा संचालित हस्ताक्षर अभियान को शुक्रवार को चूनाराम पूनड़, प्रेमजीत धोबी, दुर्जनसिह गुडीसर ईद्गाा खां, कचरा खां, युसुफ खां ने भी अपने हस्ताक्षर कर समर्थन जाहिर किया। प्रेमजीत धोबी ने कहा कि राजस्थानी भाषा हमारे हदय में बसी है। हमारी संस्कृति की परिचालक है। अभियान के दूसरे दिन बड ी तादाद में थारवासियों ने हस्ताक्षर कर अपना समर्थन जाहिए किया। पहाड सिह भाटी, भाखरसिंह गोरडि या, बद्रीद्गारदा, सजय रामावत, लजपतराज जागिड , द्गाक्षाविद्‌ देवीसिह चौधरी, रहमान खां हालेपोतरा, अमीन खां समा, सदर असरफ अली मजूंद अहमद, राजेन्द्रसिंह भीयाड श्रीमती उम्मेद बानू, कबूल खां, रहमद खां, अद्गवनी रामावत, सहित कई वरिष्ठ नागरिकों ने हस्ताक्षर कर अपना समर्थन दिया

राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिये हस्ताक्षर अभियान का आगाज


आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी
राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिये हस्ताक्षर अभियान का आगाज

बाड़मेर। राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवी सूची में शामिल कर मान्यता प्रदान करने के लिए राज्य भर में चलाए जा रहे आन्दोलन की कड़ी में गुरूवार को बाड़मेर जिला मुख्यालय पर कृष्णा संस्था, गु्रप फोर पीपुल्स, संकल्प एज्यूकेशनल एण्ड डवलपमेन्ट सोसायटी के तत्वाधान में राजधानी भाषा मान्यता सघर्ष समिति बाड़मेर के तत्वाधान में हस्ताक्षर अभियान का आगाज राजस्थानी साहित्य अकादमी से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार ओम पुरोहित कागद के नेतृत्व में जिला कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर आरम्भ किया गया। 10 मीटर लम्बे बैनर पर बाड़मेर जिले के निवासियों ने उत्साहपूर्वक राजस्थनी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए अपने हस्ताक्षर कर समर्थन दिया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार ओम पुरोहित कागद ने कहा कि राजस्थानी भाषा राजस्थान की जननी है। जननी भाषा को मान्यता का ना मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। राजस्थान भर में राजस्थानी भाषा बोलने वाले आठ से दस करोड़ जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ हो रहा है। उन्होने कहा कि बाड़मेर में राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिये आन्दोलन का अगाज स्पष्ट कर रहा है कि आम राजस्थानी दिल से अपनी मायड़ भाषा को मान्यता दिलाने के लिए कटिबद्ध है। उन्होने कहा कि आपणों राजस्थान, आपणी राजस्थानी तर्ज पर राजस्थानी भाषा को मान्यता प्रदान कराने के लिए सघर्ष ओर तेज किया जाएगा। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्सकार प्रेम प्रकाश व्यास ने कहा कि अपनी मायड़ भाषा को मान्यता प्रदान करने के लिए जन आन्दोलन करना दुःखदायी है। उन्होने कहा कि राजस्थान का गौरव है राजस्थानी भाषा। इस अवसर पर चन्द्रभान सिंह भाटी ने कहा कि राजस्थानी भाषा मॉ के आंचल से निकलती है। मां के आंचल से निकली मायड़ भाषा को मान्यता मिलना जरूरी है। इस अवसर पर साहित्यकार राजेन्द्र मोहन ने कहा कि जब हमारे घर में शादी विवाह, जन्मोत्सव, पर्व तीज त्यौहार के गीत राजस्थानी में गाए जाते है। राजस्थानी भाषा हमारे हदय में बसी है। राजस्थानी भाषा मान्यता सघर्ष समिति बाड़मेर के संयोजक रिड़द्यमलसिह दांता ने कहा कि मायड़ भाषा राजस्थानी को मान्यता प्रदान करने के लिये पूरा प्रयास किया जाएगा। आन्दोलन को ओर तेज किया जाएगा। समिति सदस्य सुलतानसिह रेडाणा ने कहा कि बाड़मेर जिले के निवासियों ने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए आयोजित प्रथम चरण हस्ताक्षर अभियान में जो उत्साह दिखाया वो काबिलए-तारिफ है। इस अवसर पर चन्दनसिंह भाटी ने बाड़मेर की जनता से आहवान किया कि राष्ट्रीय कार्यक्रम जनगणना में प्रथम भाषा के रूप में हर व्यक्ति राजस्थानी भाषा को दर्ज कराए। राजस्थानी भाषा एक भाषा ना होकर वृहद संस्कृति है। इस अवसर पर लक्ष्मण वडेरा, उदाराम मेघवाल पूर्व प्रधान, गोरधनसिह राठौड़, गोविन्दसिह राजपुरोहित, विजय कुमार, सहित अभिभावकों, शिक्षकों तथा आमजन ने इस अभियान को भरपूर समर्थन दिया।


बाढ़ाणा में मायड़ भाषा रौ हैलो राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू, लोगों ने दिखाया उत्साह



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