शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

रेतीले धोरों पर उफनती रहीं साँस्कृतिक धाराएँ बेस्ट ऑफ राजस्थान कार्यक्रम ने ला दी थिरकन रंगीन आतिशबाजी के साथ मरु महोत्सव का समापन







रेतीले धोरों पर उफनती रहीं साँस्कृतिक धाराएँ
बेस्ट ऑफ राजस्थान कार्यक्रम ने ला दी थिरकन
रंगीन आतिशबाजी के साथ मरु महोत्सव का समापन

जैसलमेर, 18 फरवरी/मरु भूमि से लेकर दुनिया के कोनेकोने तक जैसलमेर को गौरव दिलाने वाले मरु महोत्सव2011 का शुक्रवार रात जिला मुख्यालय से चालीस किलोमीटर दूर सम के रेतीले मखमली धोरों पर समापन हो गया। धरती पर साँस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम के बाद आसमान में रंगीन आतिशबाजी के सुनहरे नज़ारों के साथ ही तीन दिवसीय उत्सवी मेले ने विराम पा लिया।
इसका आयोजन राजस्थान पर्यटन तथा जैसलमेर जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। तीन दिनों में भारत के विभिन्न प्रदेशों के साथ ही विश्व के कई देशों से आए पर्यटकों को मिलाकर हजारों सैलानियों ने मरु महोत्सव के विभिन्न आयोजनों का लुत्फ उठाते हुए जैसाण की लोक संस्कृति, परम्पराओं, ऐतिहासिक शिल्पस्थापत्य के स्मारकों और नैसर्गिक सौन्दर्य से रूबरू होकर पर्यटन का आनंद पाया।
मरु महोत्सव के समापन पर हुई शानदार साँस्कृतिक कार्यक्रम में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के कलाकारों और दलों ने एक से ब़कर एक मनोहारी कार्यक्रम पेश कर रसिकों को खूब आनंदित किया।
थार संगीत की मिठास बिखेर चुके जिले के मूलसागर निवासी तगाराम भील ने अलगोजा एवं सितार पर राजस्थान लोकगीतों की धुनें बिखेर कर दर्शकों का मन मोह लिया। पारसनाथ के संगीत निर्देशन में प्रसिद्ध कालबेलिया पार्टी ने कालबेलिया नृत्य पेश का राजस्थानी संस्कृति की गंध धोरों पर बिखरा दी। बीन की धुन, डफली की ताल और ोलक की थाप पर नागिन की तरह बल खाती हुई कालबेलिया नृत्यांगनाओं ने ॔॔काल्यो कूद पड्यो मेला मा...; के बोल पर भावपूर्ण नृत्य पेश किया।
जैसलमेर के ख्यातनाम कलाकार थाने खां एवं उनकी टीम ने सूफियाना अंदाज में ॔॔दमादम मस्त कलन्दर......’’ बोल पर प्रस्तुति देते हुए पूरे माहौल को सूफी संगीत से सरोबार कर दिया। इसी टीम ने ॔॔जब देखूं बने री लाल पीली अंखियाँ..........’’ राजस्थानी गीत पेश किया।
मेवाती अंचल के भपंग वादक नरूदीन मेवाती ने ोलक की लय ताल पर ॔॔ राम नाम की भपंग वादन के साथ हास्य व्यंग से भरपूर गीत प्रस्तुत कर भरपूर मनोरंजन किया।
सांस्कृतिक संध्या में डीग भरतपुर के मशहूर लोक कलाकार अशोक शर्मा एण्ड पार्टी द्वारा ’’ब्रज की प्रसिद्ध फूलों की होली’’ एवं ॔॔मयूर नृत्य’’ की आकर्षण भरी प्रस्तुतियों से रेतीले धोरों को फागुनी मस्ती से भर दिया।
पोकरण के लोक कलाकार रेवताराम ने ॔कच्छी घोड़ी’ नृत्य पेश किया। आरंभ में लिटिल हार्ट एजुकेशन इंस्टीट्यूट, जैसलमेर के कलाकारों ने स्वागत गीत ॔॔केसरिया बालम आवो ने पधारो म्हारे देस........’’. पेश कर सभी मौजूद मेहमानों का स्वागत किया।
नाद स्वरम संगीत संस्थान, जैसलमेर के भजन गायकों ने सुमधुर भजन पेश कर जैसलमेर पर माँ शारदा की कृपा को सिद्ध कर दिखाया। इन भजन गायकों ने होरी भजन सुनाकर धोरों पर फागुनी मौजमस्ती का दरिया उमड़ा दिया।
आकाशवाणी के वरिष्ठ उद्घोषक जफर काँ सिंधी एवं बीना चित्तौड़ा ने खनकती आवाज में संचालन करते हुए शेरोशायरियों और मरु महिमा के जरिये मरु महोत्सव की इस अंतिम संध्या को खूब ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया।
रंगीन नज़ारों ने मीलों तक गायी मरु महिमा
सम के धोरों पर यादगार साँस्कृतिक समारोह के बाद आतिशबाजी के रंगीन नज़ारों ने मीलों तक मरु महोत्सव की सफलता का पैगाम गुंजा दिया। शोरगरों द्वारा सम के लहरदार रेतीले धोरों पर शानदार रंगीन आतिशबाजी की गई। आसमान में छाते रहे आतिशबाजी के रंगों ने दर्शकों को मजा ला दिया। इसके उपरान्त सैलानी अगले वर्ष फिर मरु महोत्सव में शामिल होने का संकल्प ले प्रस्थित हुए।
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सम के धोरों ने गुंजाया मरु महोत्सव का पैगाम
मखमली धरा पर उतरा उत्सवी उल्लास का ज्वार
जैसलमेर, 18 फरवरी/अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त मरु महोत्सव तीसरे दिन शुक्रवार को सम के धोरों पर केन्द्रित रहा जहाँ हजारों देशीविदेशी पर्यटकों और क्षेत्रवासियों की मौजूदगी में नैसर्गिक माहौल में सुरमई साँझ ने हर किसी को दिली सुकून का अहसास करा दिया।
प्रकृति की गोद में सम के रेतीले मखमली धोरों पर हुए विभिन्न कार्यक्रमों ने उल्लास का दरिया उमड़ा दिया। सम के विषम धोरों का आकर्षण देश के कोनेकोने से लेकर दुनिया के कई देशों के सैलानियों को अपनी ओर खीच लिया। सम के रेतीले धोरों पर शुक्रवार को पूरी दुनिया के सिमट आने जैसा नज़ारा दिखा। रेतीले धोरों पर उमड़े लोगों ने खूब आनंद लिया।
कैमल रेस देखने उमड़ी जनगंगा
सम के धोरों पर शुक्रवार को उमड़े हजारों सैलानियों ने ऊँटों की दौड़ का जमकर आनंद लिया। कैमल रेस में कुल 41 ऊँटों ने हिस्सा लिया। इनमें एक किलोमीटर रेस में बाद में पन्द्रह ऊँट शेष रहे जिनमें सम के सगरों की बस्ती के ऊँटों ने बाजी मारी। ऊँट दौड़ प्रतियोगिता में श्री जगमाल काँप्रथम, श्री साबू काँद्वितीय तथा श्री सुमार काँतृतीय रहे। इन्हें जिला कलक्टर श्री गिरिराजसिंह कुशवाहा तथा जिला पुलिस अधीक्षक श्री अंशुमन भोमिया ने नगद पुरस्कार, मरु महोत्सव का प्रतीक चिह्न तथा प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।
विजेताओं को दिया गया पुरस्कार
कैमल रेस के विजेताओं में प्रथम श्री जगमाल काँ को आठ हजार रुपए, द्वितीय रहे श्री साबू काँ को पांच हजार रुपए तथा तृतीय स्थान पर रहे श्री सुमार काँ को तीन हजार रुपए का नगद पुरस्कार प्रदान किया गया। इनके साथ ही अंतिम दौर में शामिल सभी ऊँटों के मालिकों को सांत्वना पुरस्कार के रूप में पाँच सौ पाँच सौ रुपए का नकद पुरस्कार दिया गया। इस आयोजन में कैमल रेस एसोसिएशन, होटल रंगमहल, पी.एस. राजावत आदि का योगदान रहा। इस दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री बलदेवसिंह उज्ज्वल, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री एच.एस. मीणा, पर्यटन विभाग के उपनिदेशक श्री नन्दलाल अलावदा एवं सहायक निदेशक श्री विकास पण्ड्या सहित जिलाधिकारी, सीमा सुरक्षाबल, वायुसेना तथा अन्य सैन्य अधिकारीगण, बड़ी संख्या में देशीविदेशी मेहमान और क्षेत्रवासी उपस्थित थे।
शुक्रवार को सैलानियों ने सम के स्पंजिया धोरों पर च़नेउतरने और सैर करने का आनंद लिया वहीं रेगिस्तान के जहाज की सवारी का मजा लेने वालों की संख्या भी कोई कम नहीं थी। शुक्रवार शाम हल्की बूंदाबांदी का भी सैलानियों ने मजा लिया।
जैसाण में बही लोक संस्कृति की रंगीन सरिताएँ
देशदुनिया के मेहमानों ने लिया भरपूर आनंद
मनोहारी रहा विभिन्न प्रदेशों की सँस्कृति का दिग्दर्शन
जैसलमेर, 18 फरवरी/मरु महोत्सव के अन्तर्गत जैसलमेर के शहीद पूनमसिंह स्टेडियम में पिछली दो संध्याओं में प्रस्तुत लोक साँस्कृतिक कार्यक्रमों ने हिन्दुस्तान के विभिन्न प्रदेशों की कलासंस्कृति और साहित्य की सरिताओं ने देशदुनिया के हजारों मेहमानों के दिलों पर खासी यादगार छाप छोड़ी।
राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सवों और समारोहों में धाक जमाने वाले मशहूर कलाकारों के समूहों ने अपनेअपने प्रदेशों की लोक संस्कृति के प्रतिनिधि कार्यक्रमों का प्रदर्शन करते हुए भारत की इन्द्रधनुषी संस्कृति का दिग्दर्शन कराते हुए भरपूर मनोरंजन किया। सर्द रात के बावजूद मनोहारी कार्यक्रमों और माधुर्य भरी प्रस्तुतियों की श्रृंखलाओं ने अलग ही उष्मा का अहसास करा दिया।
प्रदेश व देश के विभिन्न हिस्सों से आए सैलानियों, विदेशी पर्यटकों के साथ ही जैसलमेरवासियों ने दोनों ही दिन आयोजित साँस्कृतिक संध्या का पूरा लुत्फ उठाया।
इनमें गैर नृत्य (लाल आंगी), तेरहताली नृत्य, मशक वादन, भपंग वादन, कालबेलिया नृत्य, गवरी नृत्य, रासगरबा, मयूरचरकुला नृत्य, राजस्थानी नृत्यों, बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत नृत्यों, उत्तरमध्य क्षेत्रीय साँस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद से सम्बद्ध पंजाब, महाराष्ट्र, मथुरा, आंध्रप्रदेश, गुजरात, उड़ीसा और राजस्थान के कलाकारों के दल ने आकर्षक वेशभूषा, मनोहारी भावभंगिमाओं और माधुर्य से सिक्त सांगीतिक कार्यक्रमों ने रसिकों को आनंदित करते हुए खूब वाहवाही लूटी।
इन कार्यक्रमों में जिला प्रशासन के अधिकारियों, सैन्य अधिकारियों, देश के विभिन्न हिस्सों से आए विशिष्टजनों और हजारों की संख्या में देशीविदेशी सैलानियों ने हिस्सा लिया। बड़ी संख्या में पर्यटकों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों को अपने कैमरे में कैद किया।
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कुलधरा में पुरातन ग्राम्य जीवन से देशीविदेशी पर्यटक हुए रूबरू,
लोक कलाकारों ने गीतसंगीत और नृत्यों से मन मोहा
जैसलमेर, 18 फरवरी/ऐतिहासिक गाथाओं से भरे पालीवालों के प्राचीन परित्यक्त गाँव कुलधरा में शुक्रवार का दिन देशविदेश से आए सैलानियों के लिए आकर्षण का ख़ासा केन्द्र बना रहा।
इन सैलानियों ने कुलधरा की खण्डहर बस्तियों को देखा तथा प्राचीन भवन निर्माण और ग्राम्य लोक जीवन शैली को अपने कैमरों में कैद किया। इन सैलानियों ने पुराने मन्दिर, मकान और परिसरों को देखा तथा इनमें फोटो खिंचवाने का आनंद लिया। सैलानी कुलधरा की दूरदूर छितराए खण्डहरों में गए और पुरातन ग्राम्य जीवन शैली को करीब से देखा।
कुलधरा में स्थानीय लोक कलाकारों के समूहों ने गीतसंगीत, नृत्यों और कई मनोरंजक कार्यक्रमों के माध्यम से देशदुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से आए मेहमानों का मनोरंजन करते हुए दिल जीता। कई विदेशी और देशी मेहमानों ने इन कलाकारों के साथ नाचगान किया।

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

राजस्थानी भाषा को मान्यता संघर्ष में पूरा समर्थन-मानवेन्द्रसिह




बाडमेर [चन्दन भाटी] मायड भाषा राजस्थानी को मान्यता दिलाने के उद्देश्य से कृष्णा संस्था, संकल्प एज्यूकेद्गानल एण्ड सोद्गियल डवलपमेंन्ट सोसायटी, गु्रप फोर पीपुल्स द्वारा राजस्थानी भाषा मान्यता सघर्ष समिति बैनर तले चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान को आज बाड मेर जैसलमेंर के पूर्व सांसद मेजर मानवेन्द्रसिंह ने पूर्ण समर्थन देते हुए मान्यता मिलने तक सघर्ष जारी रखने का आहवान किया।

इस अवसर पर मेजर मानवेन्द्रसिंह ने कहा कि राजस्थानी भाषा म्हारे हिये में बसी है। राजस्थानी भाषा के मान्यता हर हाल मे मिलनी चाहिए। इसके लिए पूरा प्रयास किया जाएगा। उन्होने बाड मेर की जनता से अपील की है कि राष्ट्रीय कार्यक्रम जनगणना में सभी थार निवासी प्रथम भाषा के रूप में राजस्थानी दर्ज कराए। उन्होने कहा कि संविधान की आठवी सूची में राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए जरूरी है कि आम जनता मायड भाषा के प्रति संवेदनद्गील रह कर पूर्ण सहयोग करें उन्होने राजस्थानी भाषा मान्यता के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि मान्यता के लिए सतत्‌ प्रयासों की आवद्गयकता है मानवेन्द्रसिंह ने कहा कि जैसलमेंर में भी राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए अभियान चलाया जाएगा। इस अवसर पर समिति संयोजक रिड मलसिंह दांता ने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए चलाए जा रहे अभियान को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है लोगो के मन में राजस्थानी भाषा के प्रति आस्था का ज्वार उमड रहा है एक अवसर पर तरूण कागा ने कहा कि जननी भाषा को मान्यता मिलने तक सघर्ष को पूरा सहयोग किया जाएगा। इस अवसर पर तेजदान चारण ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि हमारी मायड भाषा की मान्यता के लिए अभियान चलाना पड रहा है। इस अवसर पर चन्दनसिंह भाटी ने कहा कि इस अभियान को गांव-गांव, ढाणी-ढाणी तक ले जाया जाएगा तथा हर व्यक्ति से समर्थन व सहयोग मांगा जाएगा। पार्षद सुरतानसिंह रेडाणा, वीरसिह भाटी, कचरा खां, सादिक खां, हरीद्गा मूदडा, सांगसिह लुणू, संकल्प संस्था के सचिव विजय कुमार ने भी राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए चलाए जा रहे अभियान को पूर्ण सहयोग का आहवान किया।

सघर्ष समिति द्वारा संचालित हस्ताक्षर अभियान को शुक्रवार को चूनाराम पूनड़, प्रेमजीत धोबी, दुर्जनसिह गुडीसर ईद्गाा खां, कचरा खां, युसुफ खां ने भी अपने हस्ताक्षर कर समर्थन जाहिर किया। प्रेमजीत धोबी ने कहा कि राजस्थानी भाषा हमारे हदय में बसी है। हमारी संस्कृति की परिचालक है। अभियान के दूसरे दिन बड ी तादाद में थारवासियों ने हस्ताक्षर कर अपना समर्थन जाहिए किया। पहाड सिह भाटी, भाखरसिंह गोरडि या, बद्रीद्गारदा, सजय रामावत, लजपतराज जागिड , द्गाक्षाविद्‌ देवीसिह चौधरी, रहमान खां हालेपोतरा, अमीन खां समा, सदर असरफ अली मजूंद अहमद, राजेन्द्रसिंह भीयाड श्रीमती उम्मेद बानू, कबूल खां, रहमद खां, अद्गवनी रामावत, सहित कई वरिष्ठ नागरिकों ने हस्ताक्षर कर अपना समर्थन दिया

राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिये हस्ताक्षर अभियान का आगाज


आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी
राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिये हस्ताक्षर अभियान का आगाज

बाड़मेर। राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवी सूची में शामिल कर मान्यता प्रदान करने के लिए राज्य भर में चलाए जा रहे आन्दोलन की कड़ी में गुरूवार को बाड़मेर जिला मुख्यालय पर कृष्णा संस्था, गु्रप फोर पीपुल्स, संकल्प एज्यूकेशनल एण्ड डवलपमेन्ट सोसायटी के तत्वाधान में राजधानी भाषा मान्यता सघर्ष समिति बाड़मेर के तत्वाधान में हस्ताक्षर अभियान का आगाज राजस्थानी साहित्य अकादमी से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार ओम पुरोहित कागद के नेतृत्व में जिला कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर आरम्भ किया गया। 10 मीटर लम्बे बैनर पर बाड़मेर जिले के निवासियों ने उत्साहपूर्वक राजस्थनी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए अपने हस्ताक्षर कर समर्थन दिया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार ओम पुरोहित कागद ने कहा कि राजस्थानी भाषा राजस्थान की जननी है। जननी भाषा को मान्यता का ना मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। राजस्थान भर में राजस्थानी भाषा बोलने वाले आठ से दस करोड़ जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ हो रहा है। उन्होने कहा कि बाड़मेर में राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिये आन्दोलन का अगाज स्पष्ट कर रहा है कि आम राजस्थानी दिल से अपनी मायड़ भाषा को मान्यता दिलाने के लिए कटिबद्ध है। उन्होने कहा कि आपणों राजस्थान, आपणी राजस्थानी तर्ज पर राजस्थानी भाषा को मान्यता प्रदान कराने के लिए सघर्ष ओर तेज किया जाएगा। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्सकार प्रेम प्रकाश व्यास ने कहा कि अपनी मायड़ भाषा को मान्यता प्रदान करने के लिए जन आन्दोलन करना दुःखदायी है। उन्होने कहा कि राजस्थान का गौरव है राजस्थानी भाषा। इस अवसर पर चन्द्रभान सिंह भाटी ने कहा कि राजस्थानी भाषा मॉ के आंचल से निकलती है। मां के आंचल से निकली मायड़ भाषा को मान्यता मिलना जरूरी है। इस अवसर पर साहित्यकार राजेन्द्र मोहन ने कहा कि जब हमारे घर में शादी विवाह, जन्मोत्सव, पर्व तीज त्यौहार के गीत राजस्थानी में गाए जाते है। राजस्थानी भाषा हमारे हदय में बसी है। राजस्थानी भाषा मान्यता सघर्ष समिति बाड़मेर के संयोजक रिड़द्यमलसिह दांता ने कहा कि मायड़ भाषा राजस्थानी को मान्यता प्रदान करने के लिये पूरा प्रयास किया जाएगा। आन्दोलन को ओर तेज किया जाएगा। समिति सदस्य सुलतानसिह रेडाणा ने कहा कि बाड़मेर जिले के निवासियों ने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए आयोजित प्रथम चरण हस्ताक्षर अभियान में जो उत्साह दिखाया वो काबिलए-तारिफ है। इस अवसर पर चन्दनसिंह भाटी ने बाड़मेर की जनता से आहवान किया कि राष्ट्रीय कार्यक्रम जनगणना में प्रथम भाषा के रूप में हर व्यक्ति राजस्थानी भाषा को दर्ज कराए। राजस्थानी भाषा एक भाषा ना होकर वृहद संस्कृति है। इस अवसर पर लक्ष्मण वडेरा, उदाराम मेघवाल पूर्व प्रधान, गोरधनसिह राठौड़, गोविन्दसिह राजपुरोहित, विजय कुमार, सहित अभिभावकों, शिक्षकों तथा आमजन ने इस अभियान को भरपूर समर्थन दिया।


बाढ़ाणा में मायड़ भाषा रौ हैलो राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू, लोगों ने दिखाया उत्साह



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गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

desert fair jaisalmer photo














मरु महोत्सव का दूसरा दिन रहा रेगिस्तानी जहाज के नाम पणिहारी मटका रेस एवं देशीविदेशी सेलानियों की रस्साकस्सी रही आकर्षण का केन्द्र


















मरु महोत्सव का दूसरा दिन रहा रेगिस्तानी जहाज के नाम
पणिहारी मटका रेस एवं देशीविदेशी सेलानियों की रस्साकस्सी रही आकर्षण का केन्द्र
जैसलमेर ,17 फरवरी। मरु महोत्सव 2011 के कार्यक्रमों की कड़ी में दूसरे दिन गुरुवार को स्वर्ण नगरी जैसलमेर के पास स्थित देदानसर मैदान में रेगिस्तानी जहाज के विभिन्न कार्यक्रम बहुत ही रोचक रहे वहीं महोत्सव में पहली बार लीडर नीतिन खन्ना के निर्देशन में एयरो मॉडल फ्लाईंग प्रदर्शन दर्शकों को मोहित कर गया। समारोह के अवसर पर एयर मार्शल श्री राजवीर, महानिरीक्षक रेल्वे, श्री गोपाल गुप्ता, जिला कलक्टर श्री गिरिराज सिंह कुशवाहा, पुलिस अधीक्षक श्री अंशुमन भोमिया, स्टेशन कमान्डर एयरफोर्स स्टेशन जैसलमेर ग्रुप केप्टन श्री राजीव रंजन, नगरपालिकाध्यक्ष श्री अशोक तंवर, अतिरिक्त जिला कलक्टर बलदेव सिंह उज्जवल के साथ ही मेला व्यवस्थाओं से जुड़े अधिकारीगण एवं भारी संख्या में देशीविदेशी सैलानी उपस्थित थे।
पणिहारी मटका रेस ने सभी दर्शकों को किया मोहित
मरु महोत्सव के दूसरे दिन पणिहारी मटका रेस प्रतियोगिता से देशीविदेशी महिलाएँ यहां की पणिहारी पेयजल सँस्कृति से रूबरू हुई। पणिहारी मटका रेस में महिलाओं ने दस मीटर पर रखी ई़ाणी को अपने सिर पर रख कर पानी से भरी हुई मटकी को उठाया एवं आगे के लिये दौड़ लगाई। शहरी संस्कृति की महिलाओं के साथ ही विदेशी महिलाऍ भी इसमें शामिल हुई।
पणिहारी मटका रेस में 19 महिलाओं ने भाग लिया। जिसमें ठेठ ग्रामीण परिवेश की बालिका शीला विश्नोई तेज दौड़ती हुई सबसे पहले पहुँची। उसके बाद दूसरे नम्बर पर मीरा मोयल एवं तीसरे नम्बर पर मिस रीना रही। मटका रेस में दौड़ती हुई महिलाऍं जहां पानी से भीग गई वहीं कई महिलाऍ मटका नहीं उठा सकीं। इस पणिहारी रेस को देख कर दर्शकगण अपनी हँसी नहीं रोक सके।
विदेशी मेहमानों ने रस्साकसी में मारी बाजी
देदानसर मैदान में आयोजित भारतीय एवं विदेशी पुरुषों तथा महिलाओं की रस्साकसी भी बहुत ही रोचक एवं आकर्षण का केन्द्र रही। इस बार दोनों वर्ग की प्रतियोगिताओं विदेशी मेहमानों ने बाजी मारी।
पुरुष व महिला रस्साकस्सी प्रतियोगिता में विदेशी पुरुषों एवं महिलाओं ने अपने दमखम का जोर लगा कर लगातार दोनों राऊण्ड में भारतीय मेजबानों को अपनी और खींच कर विजयश्री हासिल की। विदेशी महिलाऍं इस जीत की खुशी से झूम उठी।
ऊँटों के श्रृंगार से रूबरू हुए दर्शक
मरु महोत्सव में गुरुवार को ऊँट श्रृंगार प्रतियोगिता भी बहुत ही आकर्षण का केन्द्र रही एवं दर्शक ऊँट के श्रृंगार से रूबरू हुए। इस प्रतियोगिता में 5 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। ऊँंटों को मोरी, गोरबन्ध, कन्ठमाल, लूम, परची, पिलाण, तंग, मोड़, पायल, घूघरा, पूँछ बंधनी इत्यादि श्रृंगारों से ऊँटों को सजाया और उन पर सजेधजे सवार थे।
ऊँंट श्रृंगार प्रतियोगिता के निर्णायक एयर मार्शल राजवीर, रेल्वे आई.जी गोपाल कृष्ण गुप्ता तथा डॉ. शालिनी गुप्ता ने श्रृंगारित ऊँंट को बारीकी से जाँच परख कर होटल पैराडाईज के श्री मीरेखां पतंग द्वितीय ऊँट को प्रथम स्थान पर रखा। इसमें द्वितीय स्थान पर के.के ट्रेवल्स के श्री गिरधरराम का तथा पैराडाईज का ही फतनखां का जॉनी ऊँट तृतीय स्थान पर रहा।
ऊंट की मंथर चाल से दर्शक हुए अभिभूत
शानए-मरूधरा प्रतियोगिता भी रेगिस्तानी जहाज के नाम रही। इसमें 6 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसमें प्रति प्रतियोगी को मात्र कच्छीबनियान धारण किए हुए उन्हें निर्धारित 100 मीटर की दूरी तय करनी थी। ऊँट सवार ने निर्धारित दूरी पर रखे जूते पहने अपना टेवटा बांधा तथा कुर्ता पहना एवं उसके बाद साफा बांध कर ऊंट पर गद्दी एवं पिलाणा जमा कर उसे तंग से बांध कर मंथर चाल से पहुँचा। यह नजारा इतना मनोहारी और हास्यप्रधान रहा था कि दर्शक हंसहंस का लोटपोट हो गए। इसमें मानाराम का ऊंट सबसे पहले पहुॅचा एवं प्रथम स्थान पर रहा। इसमें चैनाराम द्वितीय एवं बिसनाराम तृतीय स्थान पर रहे।
कैमल पोलो मैच में ऊंटों ने निभाया पूरा साथ, सीमा सुरक्षा बल ने 20 से जीता मैच
कैमल पोलो संघ इण्डिया एवं सीमा सुरक्षा बल की टीमों के मध्य खेले गए कैमल पोलो मैच में अनबोल पशु ऊँट ने पोलो खिलाड़ियों को पूरा साथ दिया। इस पोलो मैच में सीमा सुरक्षा बल की टीम ने 2 गोल दाग कर विजयश्री हासिल की एवं कैमल पोलो एसोसियेशन की टीम को पराजित किया। ऊँट पर सवार पोलो खिलाड़ियों ने बड़ी स्टीक के सहारे अच्छा प्रदर्शन किया।
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प्रतियोगिताओं के विजेताओं को किया पुरस्कृत
विजेताउप विजेता टीमों को शील्ड प्रदान की
जैसलमेर,17 फरवरी। मरु महोत्सव के दूसरे दिवस गुरुवार को देदानसर मैदान में आयोजित हुई विविध प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया।
ऊँट श्रृंगार प्रतियोगिता के प्रथम विजेता श्री मीराखां ( पैराडाईज ), द्वितीय विजेता श्री गिरधर राम ( के.के.टेवल्स ) तथा तृतीय विजेता फतनखां ( पैराडाईज ) को जिला कलक्टर श्री गिरिराज सिंह कुशवाहा ने पुरस्कार एवं स्मृति चिन्ह भेंट किए। इसी प्रकार शानए-मरूधरा प्रतियोगिता में प्रथम विजेता रहे मानाराम, द्वितीय विजेता चैनाराम एवं तृतीय विजेता विशनाराम को पुलिस अधीक्षक श्री अंशुमन भोमिया ने पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।
रस्साकस्सी प्रतियोगिता के महिला टीम विजेता को श्रीमती कुशवाहा ने तथा पुरुष विजेता टीम को गु्रप कैप्टन राजीव रंजन ने स्मृति चिन्ह प्रदान किए। पणिहारी मटका रेस में प्रथम विजेता शीला विश्नोई, द्वितीय विजेता मीरा मोयल एवं तृतीय विजेता मिस रीना को जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने तथा कैमल पोलो मैंच की विजेता टीम सीमा सुरक्षा बल के कप्तान को जिला कलक्टर ने शील्ड प्रदान की एवं उप विजेता टीम कैमल पोलो एसोसिएशन के कप्तान को नगरपालिकाध्यक्ष श्री अशोक तंवर ने शील्ड प्रदान की।

देखते देखते हुजुम उमड़ा बाणे में राजस्थानी भाषा रो हैलो



देखते देखते हुजुम उमड़ा
बाणे में राजस्थानी भाषा रो हैलो
बाड़मेर। राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए बाड़मेर जिला मुख्यालय पर राजस्थानी भाषा मान्यता सघर्ष समिति बाड़मेर द्वारा गुरूवार प्रातः प्रारम्भ किए प्रथम चरण हस्ताक्षर अभियान में बाड़मेर की जनता का राजस्थानी भाषा के प्रति अपार उत्साह सामने आया। देखते देखते इस अभियान को समर्थन के लिए हुजुम उमड़ पड़ा। पार्षद अशोक दर्जी, अरविन्द जागिड़, रमेश मंगलिया, सुरतानसिह, शिक्षक नेता शेरसिह भूरटिया, बालसिह राठौड़, महेन्द्र कुमार चौधरी, नूतनपुरी गोस्वामी, जिला परिषद कोसर बानो, समाजसेवी भाखरसिंह भूरटिया, अभिभाषक सम्पत बोथरा, अलसाराम कुमावत, कैलाशसिंह कोटड़िया, भगवानसिह रोहिली, शेलेन्द्र अरोड़ा, पूर्व पार्षदमोहनसिंह सोा, डॉ. रामेश्वरी चौधरी, दलित नेता लक्ष्मण वडेरा, सुखदेव वैष्णव, उगमसिंह द्रराबा सहित 900 से अधिक लोगो से हस्ताक्षर कर अभियान का आगाज किया। बाणे जिले में राजस्थानी भाषा रो हैलो के प्रथम चारण में दस हजार से अधिक हस्ताक्षर कराए जाने का लक्ष्य समिति द्वारा रखा गया है। बाड़मेर निवासियों ने हस्ताक्षर बैनर पर दिलचस्प नारे भी लिखे जैसे म्हारी रोटी बेटी राजस्थानी म्हारी बोटीबोटी राजस्थानी, मत फैके राजनीति पासा, म्यारी सगली मात्र राजस्थानी भाषा, बिना चैरे किकर करू धड़ री पैचाण राजस्थानी राखिया, रहसी राजस्थानी, सगली भाषा ने मानता राजस्थानी ने टालौ क्यू, म्हारे जुबान पर तालौ क्यू जैसे नारे लिख बाड़मेरवासियों ने अपने दिलों में बसी राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर किए जा रहे सघर्ष में अपना समर्थन दिया।
हस्ताक्षर अभियान के प्रति उत्साह देखते बनता था दुल्हा कपिल वडेरा व ट्राई साईकिल पर आये विकलांग युवा देवाराम सासिया सहित मौलाना कमरूदीन एवं अन्य अल्पसंख्यक नागरिको ने भी अपने हस्ताक्षर कर अभियान को समर्थन दिया।

मरु महोत्सव का भव्य आगाज राजस्थान के रंगों से सराबोर जैसलमेर



मरु महोत्सव का भव्य आगाज राजस्थान के रंगों से सराबोर जैसलमेर की धरा
जैसलमेर

राजस्थान के रंगों से सराबोर जैसलमेर की धरा पर बुधवार को मरु महोत्सव का भव्य आगाज हुआ। सुबह 10 बजकर 5 मिनट पर गड़सीसर सरोवर से विशाल आकर्षक शोभा यात्रा निकली जिसमें राज्य भर की संस्कृति की झलक दिखाई दे रही थी। इन्हीं झलकियों के बीच भारतीय सीमा के जांबाज सिपाही सजे धजे ऊंटों पर सवार होकर राष्ट्र की सामरिक शक्ति का संदेश दिया। ऊंटों पर सवार बीएसएफ की माउंटेन बैंड की धुन सभी को आकर्षित कर रही थी। लोक कलाकारों के साथ ही राज्य भर से आए अनेक कलाकारों ने समां बांधा। मि. डेजर्ट प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को देखने के लिए रास्ते भर में भीड़ उमड़ी रही। शोभायात्रा के साथ चल रहे ये प्रतिभागी जैसलमेर की शान को प्रदर्शित कर रहे थे। शोभायात्रा में मंगल कलश लिए बालिकाएं, गैर नृत्य, कच्ची घोड़ी नृत्य व मूमल महेन्द्रा की झांकियां भी आकर्षण का केन्द्र बनी रही। यह शोभायात्रा गड़सीसर से रवाना होकर, आसनी रोड, गोपा चौक, सदर बाजार, गांधी चौक व हनुमान चौराहा होती हुई पूनम स्टेडियम पहुंची।
 

इससे पूर्व बुधवार की सुबह जैसलमेर के आराध्य देव लक्ष्मीनाथजी की विधिवत पूजा अर्चना व मंगला भजनों के साथ मरु महोत्सव के सफल आयोजन की कामना की गई। नादस्वरम संस्था के कलाकारों ने शानदार भजनों की प्रस्तुतियां दी। महोत्सव में आयोजित प्रतियोगिताओं में निर्णायक की भूमिका में अधिकारी वर्ग हावी रहा। किसी भी स्थानीय प्रबुद्धजन को निर्णायक नहीं बनाया गया। हर प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका अधिकारियों व उनकी पत्नियों ने निभाई। कार्यक्रम के दौरान लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बना रहा।
 

ढोल पर थाप लगाकर मरु महोत्सव 2011 का आगाज
 

मरु महोत्सव के कार्यक्रमों का आगाज पूनम स्टेडियम मैदान में आस्ट्रेलिया से आए विदेशी मेहमान इयान डिकंसन व क्रिस ने ढोल पर थाप लगाकर किया। इस अवसर पर कलेक्टर गिरिराजसिंह कुशवाहा, पुलिस अधीक्षक अंशुमन भोमिया, उप निदेशक पर्यटन नंदलाल अलावदा, नगरपालिका अध्यक्ष अशोक तंवर व सहायक निदेशक पर्यटन विकास पंड्या भी उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत राजकीय बालिका उमावि की 101 बालिकाओं ने विभिन्न लोक गीतों के मुखड़ों पर आधारित घूमर नृत्य किया।

सेंटपॉल की झांकी रही प्रथम

आयोजन के तहत प्रतियोगिताओं की शुरुआत राजस्थान की प्रेम कहानी मूमल महेन्द्रा झांकी से हुई। इस प्रतियोगिता में छह झांकियों ने हिस्सा लिया। ऊंट गाड़ों पर सवार इन झांकियों को मंच के आगे से निकाला गया। इसमें सेंटपॉल स्कूल की ओम शिखा तंवर व सक्षम मल्होत्रा की झांकी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसी प्रकार राजस्थान बाल भारती की प्रीति भाटिया व आयुष भाटिया द्वितीय व लाल बहादुर शास्त्री विद्यालय की गुडिय़ा माली व खेताराम चौधरी की झांकी तृतीय रही।
 

जैसलमेर. माउंटन बैंड ने बढ़ाई शोभा यात्रा की शोभा।

जैसलमेर. मूमल महेन्द्रा प्रतियोगिता में विजयी रही ओमशिखा तंवर व सक्षम मल्होत्रा की झांकी।

जैसलमेर. मिस्टर डेजर्ट प्रतियोगिता में विजयी हुए श्यामदेव कल्ला।

जैसलमेर. मरुमहोत्सव के अवसर पर ढोल की थाप के साथ ही मरु मेले का आगाज करते विदेशी पर्यटक।

जैसलमेर. मिस मूमल प्रतियोगिता में विजयी हुई दिव्या जंगा।


विदेशी सैलानियों ने बांधे साफे

विदेशी सैलानियों की साफा बांधो प्रतियोगिता में राजस्थान संस्कृति में रंगने के लिए 10 प्रतिभागियों ने उत्साह से भाग लिया। इन सैलानियों को पर्यटन विभाग के कुंभाराम चौधरी ने साफा बांधने का प्रदर्शन करके दिखाया। इसके बाद विशल बजने के साथ ही विदेशी प्रतिभागी राजस्थानी साफे में इस कदर उलझे कि सभी दर्शकों हंसी छूट गई। यह प्रतियोगिता काफी मनोरंजक रही। प्रतियोगिता में स्पेन की अजरा सांचेज ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। वहीं विक्टर लेंडर द्वितीय व कार्न तृतीय स्थान पर रहे। स्थानीय लोगों की साफा बांधों प्रतियोगिता में संतोष कुमार माहेश्वरी प्रथम रहे। बृजवल्लभ द्वितीय व एस कुमार हठीला तृतीय स्थान पर रहे।
 

फोटोग्राफी करने की होड़
 

देसी विदेशी सैलानियों में कार्यक्रमों की फोटोग्राफी करने ही होड़ सी मची रही। विदेशी सैलानी तो हर एक दृश्य को लेने के लिए उत्सुक नजर आ रहे थे। शोभायात्रा के रास्ते भर में बड़ी संख्या में सैलानी सड़क के दोनों किनारों पर खड़े होकर फोटोग्राफी करते नजर आए। वहीं पूनम स्टेडियम में सैलानी हर एक लम्हे की फोटोग्राफी करने की कोशिश में लगे रहे। मरु महोत्सव के पहले दिन सैलानियों के साथ स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

फिल्मों में काम करने की चाहत - मि. डेजर्ट
 

मि. डेजर्ट 2011 श्यामदेव कल्ला बीकानेर के रहने वाले हैं। 33 वर्षीय कल्ला ने पहली बार मरु श्री प्रतियोगिता में भाग लिया। खिताब हासिल करने के बाद कल्ला ने बताया कि उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हमारी आन बान शान राजस्थानी वेशभूषा को आज भी जीवित रखने में इस प्रतियोगिता की महत्ती भूमिका है। मैं सभी को यही संदेश देना चाहता हंू कि राजस्थानी संस्कृति को कभी न भूलें। कल्ला ने कहा कि बचपन से ही मुझे कलाकार बनने की इच्छा थी और अब मि. डेजर्ट बनने के बाद मैं राजस्थानी फिल्मों में काम करने की चाहत रखता हंू।
 

सादगी में ही सुंदरता - मिस मूमल
 

जैसलमेर की रहने वाली दिव्या जंगा ने मिस मूमल का खिताब हासिल किया। बीकॉम प्रथम वर्ष की स्टूडेंट व कंपनी सैक्रेट्री की तैयारी कर रही दिव्या ने बताया कि मॉडलिंग व फिल्मों में जाने का नहीं सोचा है। वर्तमान में केवल मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रही हंू। उसने अपनी जीत का श्रेय परिजनों के आशीर्वाद को दिया। दिव्या ने कहा कि सादगी से ही खूबसूरती निखरती है और राजस्थान की सुंदरता की झलक यहां की वेशभूषा में देखी जा सकती है।

रामसिंह व गिरधर ने जीती मूंछ प्रतियोगिता

मूंछ प्रतियोगिता में 11 प्रतिभागियों ने भाग लिया। निर्णायक मंडल में ग्रुप केप्टन राजीव रंजन, डीआईजी बीएसएफ बी.आर. मेघवाल व विंग कमांडर अनिल एंगले शामिल थे। इसमें रामसिंह राजपुरोहित व गिरधर व्यास को प्रथम घोषित किया। इसी प्रकार प्रतियोगिता में मनोज कुमार व्यास द्वितीय तथा सुभाष पुरोहित व थिरपालदास खत्री ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
 

हैरतअंगेज करतब दिखाए
 

मरु महोत्सव के पहले दिन सबसे आकर्षक वायुसैनिकों के हैरतअंगेज करतब रहे। भारतीय वायुसेना के जांबाजों ने छह हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर हर किसी को दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया। हवाई जहाज से विंग कमांडर बसंतराज के नेतृत्व में सात जवानों ने छलांग लगाई और पैराशूट से पूनम स्टेडियम में निर्धारित स्थान पर उतरे। वायुसैनिकों के एयर ड्रिल कार्यक्रम में हाथों में बंदूकें लिए करतब को भी सराहा गया।
 

बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

’’आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी ’


राजस्थानी को मान्यता के लिए संघर्ष जारी
राजस्थान भाषा को मान्यता को लेकर मुहिम तेज, विचार गोष्ठी कागद
बाड़मेर। राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार, राजस्थान साहित्य अकादमी से सम्मानित ओम पुरोहित ने कहा कि राजस्थान की क्षेत्रीय भाषाओं रूपी मोतियो की राजस्थानी रूपी माला में पिरोकर इस मायड भाषा को संविधान की आठवी सूची में शामिल करने तथा मान्यता मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा। उन्होने कहा कि हर राजस्थानी अपनी मां के आंचल से राजस्थानी भाषा ही सीखता हैं। वरिष्ठ साहित्यकार ओम पुरोहित ग्रुप फोर पिपुल्स एवं कृष्णा संस्था बाड़मेर के तत्वाधान में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय महावीर नगर में मंगलवार को आयोजित राजस्थानी भाषा को मान्यता को लेकर आपणो राजस्थान आपणी राजस्थान विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि राजस्थान में प्राथमिक शिक्षा स्तर से ही विद्यालय में राजस्थानी भाषा अनिवार्य करनी चाहिए। उन्होने कहा कि देश के अन्य प्रांतो में क्षेत्रीय भाषा की अनिवार्यता सरकारी नौकरियों में की गई हैं। जब तक राजस्थान में भी सरकार सरकारी नौकरियों मे राजस्थानी भाषा की अनिवार्यता लागू नही करेगी तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा। उन्होने कहा कि हिन्दी भाषा की उत्पति राजस्थानी से हुई हैं। इस बात का खुलासा विख्यात कवि नामवर ने भी किया। उन्होने बाड़मेर की जनता से आव्हान किया कि राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए जन जागरण का शंखनाद करे। वरिष्ठ साहित्यकार मोहन प्रकाश शर्मा ने कहा कि मायड भाषा कहलाने वाली राजस्थानी अपनो के बीच अनजानी हो गई हैं। अपनी मायड भाषा जन जन की भाषा होने के बावजुद आठवी सूची में शामिल ना करना दुर्भाग्यपूर्ण हैं। साहित्यकार एवं ए.डी.पी.सी प्रेम प्रकाश व्यास ने कहा कि प्रदेश भर के साहित्य कार, पत्रकार, लेखक एक स्वर मे मायड भाषा को मान्यता दिलाने के लिये संघर्ष कर रहे हैं। इस अवसर पर पार्षद सुरतानसिंह देवडा ने कहा कि राजस्थानी भाषा का मान्यता दिलाने के लिए बाड़मेर की जनता पूरा सहयोग करेगी। विचार गोष्ठी को चंदन सिंह भाटी, हरपालसिंह राव, राजेश जोशी, ताराचंद शर्मा, डॉ. रामेश्वरी चौधरी, भागीरथ विश्नोई, विजय माथुर आदि ने भी संबोधित किया।

हस्ताक्षर अभियान गुरूवार को...राजस्थानी भाषा को आठवी सूची में शामिल कर मान्यता दिलाने के लिए कृष्णा संस्था तथा ग्रुप फोर पीपुल्स गुरूवार को वरिष्ठ साहित्यकार ओम पुरोहित कागद के नेतृत्व में हस्ताक्षर अभियान आरम्भ करेगी। संस्था अध्यक्ष रिडमल सिंह दांता ने बताया कि मायड भाषा के प्रति आमजन को जागरूक करने तथा राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के उद्देश्य से कलेक्टट परिसर के बाहर ’’आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी ’’ को मान्यता दो विषय बैनर पर हस्ताक्षर अभियान आरम्भ किया जाएगा। उन्होने बताया कि जिले भर के निवासी इस वैनर पर हस्ताक्षर कर राजस्थानी भाषा कों मान्यता संबंधित संघर्ष को मजबूत करे। वरिष्ठ साहित्य पर ओम पुरोहित कागद ने जिले के निवासियों से आह्वान किया हैं कि मायड भाषा के प्रति अपना फर्ज अदा करे और हस्ताक्षर अभियान को पूर्ण समर्थन दे। हस्ताक्षर अभियान प्रातः दस बजे से शाम छः बजे तक चलेगा।

रविवार, 13 फ़रवरी 2011

थार की प्रेम कहानी कोटड़ा के किले से निकली बाघा भारमली प्रेम कहानी






थार की प्रेम कहानी


कोटड़ा के किले से निकली बाघा भारमली प्रेम कहानी


बाडमेर प्रेम की कथा अकथ है, अनिवर्चनीय है। फिर भी प्रेम कथा विविध प्रकार से कही जाती है, कही जाती थी और की जाएगी। मरुप्रदो की प्रेम गांथाएं मूमल महेन्द्रा, ढोला मारु तथा बाघा भारमली प्रेम का जीवंत उदाहरण है॥ प्रेम भावत और जीवन नियन्तता है। प्रेम एक व्यवस्थित एवं स्थिर मनोदा है। जब एक व्यक्ति का आकशर्ण दूसरे व्यक्ति पर इतना प्रबल हो कि उसकी प्राप्ति, उसका सानिध्य, उसकी रक्षा और उसकी प्रसन्नता में ही सुख की अनुभूति होने लगे तब उस मनोवृति को प्रेम का नाम दिया जाता है। मानव मन की सबसे सुन्दर दुर्बलता प्रेम है।


थार के इस समुन्द्र में कई प्रेम गाथाओं ने जन्म लिया होगा। मगर बाघा भारमली की प्रेम कथा राजस्थान के लोक साहित्यिक के अन्तर्गत अपना विश्ट स्थान रखती है। समाज और परम्पराओं के विपरित बाघा भारमली की प्रेम कथा बाड़मेर के कणकण में समाई है। इस प्रेम कथा को रुठी रानी में अवय विस्तार मिला है। मगर स्थानीय तौर पर यह प्रेम कथा साहित्यकारो द्वारा अपेक्षित हुई है। किन्तु चारण कवियों ने अपने ग्रन्थो में इस प्रेम कथा का उल्लेख अवय किया है। कोटड़ा के किले से जो प्रेम कहानी निकली वह बाघा भारमली के नाम से अमर हुई।


मारवाड़ के पिचमी अंचल बाड़मेरजैसलमेर से सम्बन्धित यह प्रणय वृतान्त आज भी यहां की सांस्कृतिक परम्परा एवं लोकमानस में जीवन्त है।


उपर्युक्त प्रेमगाथा का नायक बाघजी राठौड़ बाड़मेर जिलान्तर्गत कोटड़ा ग्राम का था। उसका व्यक्तित्व शूरवीरता तथा दानाशीलता से विशेश सम्पन्न था। जैसलमेर के भाटियों के साथ उसके कुल का वैवाहिक संबंध होने के कारण वह उनका समधी (गनायत) था।


कथानायिक भारमली जैसलमेर के रावल लूणकरण की पुत्री उमादे की दासी थी। 1536 ई में उमा दे का जोधपुर के राव मालदेव (153162ई) से विवाह होने पर भारमली उमा दे के साथ ही जोधपुर आ गई। वह रुपलावण्य तथा भारीरिकसौश्ठव में अप्सरावत अद्वितीय थी।


विवाहोपरान्त मधुयामिनी के अवसर पर राव मालदेव को उमा दे रंगमहल में पधारने का अर्ज करने हेतु गई दासी भारमली के अप्रतीत सौंदर्य पर मुग्ध होकर मदस्त राव जी रंगमहल में जाना बिसरा भारमली के यौवन में ही रम गये। इससे राव मालदेव और रानी उमा दे में ॔॔रार॔॔ ठन गई, रानी रावजी से रुठ गई। यह रुठनरार जीवनपर्यन्त रही, जिससे उमा दे ॔॔रुठी रानी॔॔ के नाम से प्रसिद्व हुई।


राव मालदेव के भारमली में रत होकर रानी उमा दे के साथ हुए विवासघात से रुश्ट उसके पीहर वालो ने अपनी राजकुमारी का वैवाहिक जीवन निर्द्वन्द्व बनाने हेतु अपने यौद्वा ॔॔गनायत॔॔ बाघजी को भारमली का अपहरण करने के लिए उकसाया। बाघजी भारमली के अनुपम रुपयौवन से माहित हो उसे अपहरण कर कोटड़ा ले आया एवं उसके प्रति स्वंय को हार बैठा। भारमली भी उसके बल पौरुश हार्द्विक अनुसार के प्रति समर्पित हो गई। जिससे दोनो की प्रणयवल्लरी प्रीतिरस से नियप्रति सिंचित होकर प्रफुल्ल और कुसुमितसुरभित होने लगी। इस घटना से क्षुब्ध राव मालदेव द्वारा कविराज आसानन्द को बाघाजी को समझा बुझा कर भारमली को लौटा लाने हेतु भेजा गया। आसानन्द के कोटड़ा पहुॅचने पर बाघ जी तथा भारमली ने उनका इतना आदरसत्कार किया कि वे अपने आगमन का उद्देय भूल अत्यंत होकर वही रहने लगे। उसकी सेवासुश्रूशा एवं हार्दिक विनयभाव से अभिभूत आसाजी का मन लौटने की सोचता ही नही था। उनके भाव विभोर चित्त से प्रेमीयुगल की हृदयकांक्षा कुछ इस प्रकार मुखरित हो उठी


जहं तरवर मोरिया, जहं सरवर तहं हंस।


जहं बाघो तहं भारमली, जहं दारु तहं मंस॥


तत्पचात आसान्नद बाघजी के पास ही रहे। इस प्रकार बाघभारमली का प्रेम वृतान्त प्रणय प्रवाह से आप्यायित होता रहा। बाघजी के निधन पर कवि ने अपना प्रेम तथा भाौक ऐसे अभिव्यक्त किया


ठौड़ ठौड़ पग दौड़, करसां पेट ज कारणै।


रातदिवस राठौड़, बिसरसी नही बाघनै॥