सोमवार, 3 जनवरी 2011

वे गुलाब भेंट करते है राजस्थान भारत का गुलाब

जैसलमेर । वे भारत में जहां-जहां घूमते हंै, वहां की संस्कृति के रंग में रंग जाते हैं। वे भले ही दूसरे देश की माटी में जन्मे हो, लेकिन हिन्दुस्तान की भूमि से उन्हें अपार लगाव है। अपनी संस्कृति और परम्पराओं से भटके हुए लोगों को राह दिखाना उनके जीवन का हिस्सा है तो परोपकार व समाज सेवा से जुडे कार्यो से जुडे लोगो की मदद करना उनकी ख्वाहिश। ये हैं जर्मन के दम्पती मिस्टर हूडी हर्ट्ज और मिसेज आयरस। इजरायल मे जन्मे जर्मन निवासी हूडी और उनकी पत्नी को भारत इतना प्यारा लगा कि उन्होने देशवासियो से दिल का रिश्ता बनाने के लिए हिन्दी भाषा भी सीख ली।
विशेषकर राजस्थान उनका पसंदीदा इलाका है और उनकी नजर मे राजस्थान भारत का गुलाब है। इस काराण जो भी उन्हे राजस्थान मे अपना अजीज लगता है, उसे वे गुलाब भेंट करते है। जैसलमेर मे आकर ये दम्पती यहीं के रंग मे रंग गए है। उनका कहना है वे बार-बार भारत इसलिए आते हैं कि यहां की संस्कृति और परम्पराओं से प्यार है।
...लेकिन दिल है हिंदुस्तानी
इस दम्पती को राजस्थान की संस्कृति व परम्पराएं इतनी भाईं कि उन्होंने इसे अपनी जिंदगी का एक हिस्सा बना लिया है। अब तक चार बार राजस्थान आ चुका यह दम्पती दूसरी बार जैसलमेर आया है। उनका कहना है कि जब 33 वष्ाü पहले वे यहां आए थे तो उन्हे केवल धोरे नजर आते थे, जैसे वे अलीबाबा की कहानी वाले शहर आ गए हो, लेकिन अब सब कुछ बदल गया है और पूरा नजारा अलग ही नजर आ रहा है। नहीं बदली है तो बस यहां की महान परंपराएं और लोगो का विनम्र स्वभाव। यह मरूप्रदेश की कला, संस्कृति व धरोहर लोगो को सांस्कृतिक गौरव को अपनाने की सीख देते हैं। यहां की विविध संस्कृति में भी एकता नजर आती है। पेशे से डॉक्टर जैसलमेर मे आंखो के मरीजो के लिए कुछ करना चाहती है। करीब 33 वर्ष पहले जैसलमेर मे आए हूडी को रेलवे स्टेशन के पास एक धर्मशाला मे रूकना पडा था। उस दौरान उसकी भेंट स्थानीय युवक ओमप्रकाश सैन से हुई थी, जिसने उसे जैसलमेर के बारे मे जानकारी दी थी। संयोग से इस दम्पती ने 33 वर्ष बाद इसी शहर मे ओमप्रकाश से ही भेट की और उसे लाल गुलाब भेंट किया। उसके बाद जो भी उन्हे शहर मे अजीज लगता है, उसे वे लाल गुलाब भेंट करते हैं, लाल गुलाब प्यार का।

राजस्थानी साफा अब विश्व में नई पहचान लेने जा रहा है

राजस्थानी साफा अब विश्व में नई पहचान लेने जा रहा है।

जोधपुर के एमडी रंगरेज ने इसे ‘सिरमौर’ बनाने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा साफा बनाने का दावा किया है। यह पचरंगी साफा बगैर जोड़ वाले 450 मीटर लंबे कपड़े से बना है। रंगरेज अब इस साफे को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवाने के लिए आवेदन करेंगे। बचपन से ही साफे व शेरवानी के अपने पुश्तैनी काम से जुड़े रंगरेज देश-विदेश की कई जानी मानी हस्तियों के यहां आयोजित समारोह में साफे बांध चुके हैं। इनमें बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन की शादी भी शामिल है। 

स्पेशल ऑर्डर से आया कपड़ा: रंगरेज ने इस साफे के लिए बिना जोड़ का कपड़ा बनाने का जिम्मा एक स्थानीय फैक्ट्री को सौंपा था जिसने स्पेशल ऑर्डर देकर मुम्बई से 450 मीटर का सफेद कपड़े का थान मंगवाया। इस थान को जोधपुर में पांच रंगों में रंगने के बाद सात दिन तक इसे कलफ लगाई गई। रंगरेज ने इसे अपनी दुकान हमजोली साफा एंड शेरवानी में सजा रखा है। 

मेजरसिंह के नाम दर्ज है 400 मीटर की पगड़ी: गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में फिलहाल ‘टरबन’ श्रेणी का रिकॉर्ड पंजाब के मेजरसिंह के नाम है। उसने गत एक दिसंबर को ही 400 मीटर कपड़े से बनी पगड़ी पहन कर यह रिकॉर्ड बनाया था। रंगरेज के प्रयास से अगर गिनीज बुक में राजस्थानी साफे को स्थान मिला तो यह प्रदेश के लिए गौरव की बात होगी। 

सवा सात सौ मीटर का साफा: हस्तशिल्प उत्सव में स्थित केन्द्रीय पंडाल में लगाए गए राजस्थानी साफों के स्टॉल लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। ऋषभ साफा नामक इस स्टॉल में एक साफा ऐसा भी है जिसकी कुल लंबाई 729 मीटर है तथा बांधने के बाद इसका व्यास ढाई फीट से भी ज्यादा हो जाता है। स्टॉल संचालक सरदारमल पटवा के अनुसार नौ मीटर के 81 पीसेज को मिला कर बनाए गए इस साफे को टाई एंड डाई से तैयार करने में एक सप्ताह से अधिक का समय लगा।