बुधवार, 5 मई 2010

विकलांगता से नहीं, मुफलिसी से हारीं माण्ड गायिका रुकमा देवी

विकलांगता से नहीं, मुफलिसी से हारीं माण्ड गायिका रुकमा देवी


: बाड़मेर: दलित समाज की परम्पराओं को तोड़ कर माण्ड गायिकी को थार के मरुस्थल से सात समंदर पार विदेशों में ख्याति दिलाने वाली क्षेत्र की पहली माण्ड गायिका रुकमा देवी, जिन्‍हें ‘थार की लता’, कहा जाता है, आर्थिक अभाव में मुफलिसी के दौर से गुजर रही हैं। संदुक भरे सम्मान और पुरस्कार उन्‍हें दो वक्त की रोटी नहीं दे पा रहे हैं। रुकमा विकलांगता के आगे कभी नहीं हारी, मगर अब मुफलिसी के आगे हार बैठी हैं।


अपने सुरीले कण्ठों से सात समंदर पार थार मरुस्‍थल के लोक गीतों की सरिता बहाने वाली रुकमा को दाद तो खूब मिली, मगर दो वक्त चुल्हा जल सके, इतनी कमाई नहीं। दोनों पैरों से विकलांग 55 वर्षीया रुकमा की गायिकी में गजब की कशिश है।


रुकमा देवी इस वक्त बाड़मेर से पैंसठ किलोमीटर दूर रामसर गांव के छोर पर बिना दरवाजों के कच्चे झोपड़े में रह रही हैं। लोक गीत-संगीत की पूजा करने वाली रुकमा देवी ने अपने जीवन के पचास साल माण्ड गायिकी को परवान चढाने में खर्च कर दिए। विकलांग, विधवा, पिछड़ी और दलित र्वग की इस महिला कलाकार को देश-विदेश में मान-सम्मान खूब मिला। ‘राष्‍ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान’, ‘सत्य शांति सम्मान’, ‘भोरुका सम्मान’, ‘कर्णधार सम्मान’ सहित अनेक सम्मान प्रमाण पत्रों, ताम्र पत्रों, लौह पत्रों से रुकमा का संदूक भरा पड़ा है। कला के कद्रदानों ने उन्‍हें दाद तो खूब दी, मगर जीवन निर्वाह के लिए किसी ने मदद नहीं की।


अन्तराष्‍ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित करने वाली रुकमा देवी के नाम से इन्टरनेट पर साईटें भरी पड़ी हैं। इतना नाम होने के बावजूद रुकमा अपने रहने के लिये एक आशियाना नहीं बना सकीं। कला के नाम पर उनका आर्थिक शोषण ही हुआ। अन्तराष्‍ट्रीय महिला कलाकार रुकमा ने विकलांगता की परवाह किए बिना माण्ड गायिकी को नई उंचाईयां दीं। उम्र के इस पड़ाव में रुकमा अपने यजमानों के यहां भी नहीं जा सकती।


मांगणियार जाति में आज भी महिलाओं के स्टेज पर गाने पर प्रतिबन्ध हैं। सामाजिक परम्पराओं के विरुद्ध रुकमा ने साहस दिखा कर अपनी कला को सार्वजनिक मंच पर प्रदर्शित किया। यह भी विडंबना ही है कि उनके अपने समाज ने माण्ड गायिकी में क्षेत्र का नाम उंचा करने की सजा उन्‍हें दी।






एक खाट और कुछ गुदड़ों की पूंजी के साथ रह रही रुकमा को इस बात की पीड़ा है कि उनकी कला को जिन्दा रखने के कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। लुप्त होती माण्ड गायिकी के सरंक्षण के लिए कोई संस्था या प्रशासन आगे नहीं आ रहा है। रुकमा को कला के सरंक्षण की चिन्ता के साथ साथ विरासत को सरंक्षित रखने की चिन्ता भी सता रही हैं। लेकिन, आर्थिक अभावों में अपना जीवन गुजार रही रुकमा को विश्‍वास है कि कोई तो उनकी सुध लेगा। कहने को रुकमा के दो जवान बेटे हैं, मगर दोनों बेटे अपने घर-परिवार के पालण-पोषण में इस कदर उलझे हैं कि उन्हें अपनी मां की देखभाल की परवाह नहीं। रुकमा की देखभाल उनकी विधवा पुत्री फरीदा करती हैं।


मुफलिसी में अपना जीवन गुजार रही रुकमा को बीपीएल में चयनित नहीं किया गया। विकलांग और विधवा होने के बावजूद उन्‍हें पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल रहा। लोक कलाकारों के पुर्नवास और उत्थान के लिए सरकारें कई योजनाएं चला रही हैं, मगर उसका लाभ रुकमा जैसी जरुरतमन्द कलाकार को नहीं मिलता। आखिर अपने र्दद को किसके आगे बयां करे रुकमा! ‘कृष्णा संस्था’ के सचिव चन्दन सिंह भाटी ने बताया कि रुकमा के पेंशन की कार्यवाही कर ली गई है। उनकी आर्थिक मदद के प्रयास जारी है।

मंगलवार, 4 मई 2010

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बाड़मेर: पाकिस्‍तान की सीमा से सटे राजस्थान के बाड़मेर जिले के सरहदी गांव खच्चरखडी की मुस्लिम बस्ती में लड़की के जन्म पर खुशियां मनाने की अनूठी परम्परा है। शिव तहसील के इस गांव में करीब चालीस परिवारों की मुस्लिम बस्ती है, जहां बेटी की पैदाइश पर खुशियां मनाई जाती हैं तथा खास तरह के नृत्य का आयोजन होता है। किसी भी घर में बेटी के जन्म पर गांव भर में गुड़ बांटा जाता है और सामुहिक भोजन की अनूठी परम्परा का निर्वाह किया जाता है।

इस सीमावर्ती जिले के कई गांवों में भ्रूण हत्या की कुप्रथा की वजह से जहां सदियों से बारातें नहीं आईं, वहीं खच्चरखडी की लड़कियों के लिए अच्छे परिवारों से रिश्तों की कोई कमी नहीं रहती है। अच्छे नाक-नक्श वाली इस गांव की खूबसूरत लडकियां और महिलाएं कांच कशीदाकारी में सिद्धहस्त होती हैं। हस्तशिल्प की इस कला से उन्हें खूब काम मिलता है। इससे घर चलाने लायक पैसा आ जाता है। हस्तशिल्प कला में अग्रणी इस गांव की लडकियों के रिश्ते आसानी से होने और साथ ही, ससुराल पक्ष द्वारा शादी-विवाह का खर्चा देने की परम्परा के चलते भी यहां बेटियों का जन्म खुशियों का सबब बना हुआ है।

इसी गांव के खुदा बख्‍श बताते हैं, ‘सगाई से लेकर निकाह तक सारा खर्चा लड़के वालों की तरफ से होता है। निकाह के कपड़े, आभूषण, भोजन आदि का खर्चा लड़के वाले ही उठाते हैं। यहां तक की मेहर की राशि भी लड़के वाले अदा करते हैं। लड़की जितनी अधिक सुन्दर और गुणवान होगी, निकाह के वक्त उतनी ही अधिक राशि मिलती है।’ गांव की बुजुर्ग महिला सखी बाई ने बताया कि गांव की लडकियों के रिश्‍ते की मांग अच्छे परिवारों में लगातार बनी हुई है।

भारत-पाकिस्तान विभाजन से पहले सिन्ध से (वर्तमान में पाकिस्‍तान का एक प्रांत) इस गांव की लडकियों के रिश्ते बहुत आते थे। इस गांव की लड़कियां गजब की खुबसूरत, घरेलू कामकाज में निपुण और गुणी होती हैं। बहरहाल, भारत-पाक सरहद पर बसे खच्चरखडी गांव में उच्च प्राथमिक विद्यालय की जरूरत गांव के लोगों को महसूस हो रही हैं।ताकि बेटियों को पढ़ाई सही तरीके से चल सके।

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सोमवार, 3 मई 2010

विकलांगता से नहीं, मुफलिसी से हारीं माण्ड गायिका रुकमा देवी

विकलांगता से नहीं, मुफलिसी से हारीं माण्ड गायिका रुकमा देवी

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सरहद पर पानी के लिए मारा-मारी, बंदूकों के साये में पानी की सुरक्षा


बाड़मेर: पाकिस्तान की सरहद से सटे राजस्‍थान के रेगिस्तानी जिले बाड़मेर में तापमान बढ़ने के साथ-साथ पानी की समस्या विकराल होती जा रही है। सरहदी गांवों में ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। पानी की विकट समस्या के कारण गांवों में पलायन की स्थिति बन गई है। गांवों में पारंपरिक पेयजल स्रोत सूख गए हैं। लगातार छठे साल पड़े अकाल के कारण पारंपरिक कुएं, तालाब, बावडि़यों, बेरियों तथा टांकों का पानी सूख चुका है। हालात ये हैं कि जिले के लगभग 860 गांव पेयजल की किसी योजना से जुड़े नहीं हैं। इन कमीशंड, नॉन कमीशंड गांवों में प्रशासन द्वारा पानी के टेंकरों की व्यवस्था की गई है, मगर, यह महज खानापूर्ति तक ही सीमित है। गांवों में टैंकर पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। ऐसे में गांवों में लोगों ने पानी पर पहरेदारी शुरू कर दी है।



जिले के सीमावर्ती क्षेत्र चौहटन के विषम भोगोलिक परिस्थितियों में बसे गफनों के 14 गांवों में पेयजल सबसे बडी त्रासदी है। इन 14 गांवों- रमजान की गफन, आरबी की गफन, तमाची की गफन, भोजारिया, भीलों का तला, मेघवालों का तला, रेगिस्तानी धोरों के बीच बसे हुए हैं। इन गांवों में पहुंचने के लिए कोई रास्ता तक नहीं है। ऐसे में ग्रामीण अपनी छोटी-छोटी पानी की बेरियों पर ताले लगा कर रखते हैं। तालों के साये में पानी रखना यहां की परम्परा और जरूरत है। इन गांवों के लोग पानी की एक-एक बूंद की कीमत और उपयोगिता जानते हैं।



पानी के कारण गांवों में होने वाले झगडों के कारण ग्रामीण मजबूरी में पानी को सुरक्षित रखने के लिए ताले लगा कर रखते हैं ताकि पानी चोरी ना हो जाए। मगर, इस बार पानी की जानलेवा किल्लत ने ग्रामीणों को पानी की सुरक्षा के लिए बंदूकों का सहारा लेने पर मजबूर कर दिया। गांव के सलाया खान निवासी तमाची की गफन ने संवाददाता को बताया कि टांकों पर ताले जड़ने के बाद भी पानी चोरी हो जाता है। पानी की समस्या इस कदर है कि ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डाल कर पानी चोरी कर ले जाते हैं। चोरों का पता लगाने का प्रयास भी किया मगर सफलता नहीं मिली, तो ग्रामीणों ने पंचायत बुलाकर निर्णय लिया कि जिन ग्रामीणों के पास लाइसेंसी बंदूकें हैं, वो अपनी बंदूकों के साथ पानी की सुरक्षा करेंगे।



उन्होंने बताया कि ग्रामीणों का इरादा किसी की जान लेने का नहीं है, मगर पानी की सुरक्षा के लिए बंदूको के पास में होने से चोरों में भय पैदा होगा। पानी की सुरक्षा की इससे बेहतर व्यवस्था नहीं हो सकती। उन्होंने बताया कि चालीस किलोमीटर के दायरे में पेयजल का कोई स्रोत नहीं है। पानी का एक टैंकर टांके में डलवाते हैं, तो प्रति टैंकर छह सौ रूपए का खर्चा आता है। ऐसे में पानी चोरी होने से आर्थिक नुकसान के साथ पानी की समस्या भी खड़ी हो जाती है। हालांकि, इस समस्या और ग्रामीणों द्वारा की जा रही सुरक्षा व्यवस्था पर कोई प्रशासनिक अधिकारी बोलने को तैयार नहीं। मगर, यह सच है कि रेगिस्तानी इलाकों में प्रशासनिक लापरवाही और उपेक्षा के चलते ग्रामीणों को पानी की सुरक्षा के लिए बंदूकें उठानी पड रही हैं। यह है भारत के लोकतंत्र का नजारा। बाड़मेर जिले के गांवों में पानी की समस्या कोई नई बात नहीं है। मगर, प्रशासनिक लापरवाही के चलते हालात इतने विकट होंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था।

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रविवार, 2 मई 2010

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 मुख्यमंत्री को जातीय पंचायत की रिपोर्ट को हल करने की मांग की
      


: बाड़मेर: तंग एक मामले में इच्छामृत्यु की अनुमति के लिए गुरुवार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कलेक्टर गौरव गोयल के बाड़मेर जिले की मांग जोड़ी से Himda ग्राम पंचायत डिक्री तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है. इस मामले में Baytu Gida स्टेशन और दो अलग - अलग मामले दर्ज किया गया है.

जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने कहा कि पंचायती गुरुवार के लिए तथ्यात्मक रिपोर्ट में डिक्री कार्यालय के मुख्य निर्देशित कर रहे हैं मिला. पंचों में एक कथित नस्लीय के मामले समयनिष्ठ कुछ में गया है - Actararam कमला और सुरक्षा गार्ड से प्रभावित किया है प्रदान की गई है.

जातीय जोड़ी के अत्याचारों से पीड़ित पंचों में एक मौत का प्रयास

कलेक्टर ने कहा: "Baytu एसडीएम और सपा के मामले में जांच करने के लिए निर्देश दिया गया है की जांच में दोषी अभियुक्त". जाति पंचायत वहाँ है कि मामला पंचायत नहीं किया गया है पर कार्रवाई की जाएगी.. Himda Jeharam जाति कहना पंच हम इस मामले में एक पंचायत में नहीं किया था, '. ये दोनों स्वेच्छा से शादी कर ली. हमारी ओर से कोई संघर्ष है. हम झूठा फंसाया जा रहा है. "

मनोज ने कहा कि कमला और उसके कथित दूसरे पति से Actararam Thanadhikahari Baytu Muand महिला कलेक्टर पत्र की एक प्रतिलिपि को दी शिकायत कलेक्ट्रेट एसडीएम Baytu द्वारा प्राप्त किया गया है. इस जवान औरत को मजबूर शादी के आधार पर है और उसे मामले लेने के लिए पंजीकृत किया गया है मजबूर.
बाड़मेर जिले में एक नवविवाहित जोड़े के लिए एक जिला पंचायत khap के बाद उनके जीवन को समाप्त करने की अनुमति की मांग मजिस्ट्रेट से संपर्क किया है उनकी जुदाई रुपए और 5 लाख के भुगतान का आदेश दिया. पंचायत उन्हें मारने के लिए अगर अपनी असफल निर्देश का पालन करने के लिए धमकी दी थी.

स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, Bhimda गांव की पंचायत khap 5 मार्च को खारिज कर दिया था कि एक गंभीर खामा उसे कानूनी चतरा पति राम के साथ उसके संबंध होता है और एक ही गांव के एक रेखा राम के साथ रहते हैं. Khap पंचायत मामा और खामा के भाई के अनुरोध पर बुलाया गया था, क्योंकि वे कथित तौर पर राम रेखा से 5 लाख रुपए एक वादा है कि खामा उससे शादी हो जाएगा के साथ लिया था.

Khap जोड़ी पूछा रुपये रेखा राम, करने के लिए 5 लाख का भुगतान किसके साथ खामा जाना बताया गया था. Khap तो फैसला सुनाया कि जोड़ी को मार डाला होगा, अगर वे निर्देश का अनुपालन करने के लिए असफल.

खामा और फिर राम चतरा जिला मजिस्ट्रेट से संपर्क किया और कथित तौर पर एक विचित्र अनुरोध डाल: कि वे स्वयं पिछले करने के लिए khap निर्देश भागने की कोशिश को मारने की अनुमति दी जाए.

गौरव गोयल, डीएम ने कहा: "कुछ मेरे पास आए और धमकियों और जबरन वसूली के बारे में शिकायत हम एक मामला दर्ज किया है.." उन्होंने कहा खामा भी बलात्कार की शिकायत की थी और एक शिकायत दर्ज की गई है. ", गोयल ने कहा कि पुलिस की शिकायत की जांच और कार्रवाई कर रहे हैं अपराधियों के खिलाफ लिया जाएगा." उन्होंने कहा कि प्रशासन सुरक्षा के लिए जोड़े को एक गार्ड प्रदान की गई है और khap सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.

रिपोर्टों के अनुसार, खामा 2001 में उसके दादा और उसकी माँ की सहमति से चतरा राम के लिए प्रयासरत थे. हालांकि, फरवरी 2010 के बाद से, उसके मामा और भाई उसके Mokhab गांव के राम रेखा से शादी करने के बाद वे कथित तौर पर उसके पास से धन ले लिया गया मजबूर था. खामा दावा है कि वह जबरन रेखा राम, जो कथित तौर पर रखा के साथ भेजा गया था उसे रस्सियों से बंधे हैं.

सूत्रों के अनुसार, वह भागने में कामयाब और सीधे चतरा राम के पास गया. जोड़े मार्च 2010 में जोधपुर के पास आकर शादी आर्य समाज की परंपराओं के अनुसार.

बहरहाल, खामा भाइयों पुलिस के साथ जोड़ी के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई. पुलिस जालौर जिले से चतरा राम को गिरफ्तार किया.

अदालत में, खामा व्यक्त उसे चतरा राम के साथ रहना है जिसके बाद अदालत ने उन्हें एक साथ रहने के लिए के रूप में वे वयस्क थे और कोई भी बल या बाध्यता के बिना शादी की अनुमति चाहते हैं.

खामा है भाई तो khap की मदद मांगी लिए दंडित जोड़ी मिलता है.

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