मंगलवार, 20 सितंबर 2011

मौसमी बीमारियों ने थार के लोगों को झकझोर दिया

बाड़मेर। मौसमी बीमारियों ने थार के लोगों को झकझोर दिया है। घर घर में बुखार, खांसी, उल्टी दस्त के मरीजों ने खाट पकड़ ली है। समूचे बॉर्डर क्षेत्र के अस्पतालों में दिनभर इनडोर और आउटडोर में कतारें लगने लगी है। यहां से कतार खत्म होते ही डॉक्टर के घर के आगे मरीज खड़े हो जाते हैं। यह कतार सुबह से देर रात तक खत्म नहीं हो रही है।

थार में हुई अच्छी बारिश से आगत की फसलों में सिट्टे आ गए है और पाछत की बुवाई भी ने भी खेतों के हराभरा कर दिया है। केवल डेढ़ माह खेत में काम करने पर किसान बारह महीने की कमाई खुशी खाएगा,लेकिन मौसमी बीमारियो ने गांव गांव मे लोगों को परेशान कर दिया है।बुखार, खांसी और उल्टी दस्त के मरीजों की संख्या बेहिसाब बढ़ती जा रही है।

चिकित्सा विभाग इसको वायरल मानते हुए केवल तीन चार दिन की बीमारी बता रहा है इधर गांवों में परिवार में एक सदस्य खाट छोड़ रहा है तो दूसरा पकड़ लेता है। परिवार के लोगो की सुबह शाम इनकी सार संभाल और चिंता में जा रही है। अस्पताल, डॉक्टर के घर और अपने घर के बीच में चक्कर लगाकर लोग हैरान हो रहे हंै। गांव में इलाज नहीं मिला तो कस्बे में और कस्बे को छोड़कर जिला मुख्यालय तक पहुंचने लगे हैं। सर्वत्र इनडोर, आउटडोर बढ़ रहा है तो डॉक्टर के डोर पर तो कतार दिन ब दिन लंबी होती जा रही है।

बायतु क्षेत्र में मलेरिया की स्थिति खतरनाक

बायतु। क्षेत्र में बीमारियों से मरीजों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हो गई है। बायतु में मलेरिया की स्थिति भी काफी खतरनाक है। समय रहते पर्याप्त डीडीटी का छिड़काव नहीं होने से मच्छरों की तादाद भी बढ़ गई जिससे मलेरिया के रोगी हर दूसरे घर मिल रहे हंै। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बायतु में मरीजों की भारी भीड़ से पैर रखने की जगह नहीं मिल पा रही है। अस्पताल के सभी महिला व पुरूष वार्ड के बेड फुल है। एक बेड खाली होने से पहले ही दूसरा रोगी तैयार रहता है। पर्याप्त संख्या में बेड नहीं होने से मरीजों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

दोगुने हुए मरीज- पिछले सप्ताह जहां ओपीडी 1663 मरीजों की थी वहीं इसी सप्ताह लगभग दोगुने के करीब 2830 हो गई है। यह संख्या तो महज अस्पताल में पंजीकृत हुए मरीजों की है। करीब इतनी ही संख्या में मरीज चिकित्सकों के घरों पर दिखाकर गए है।

शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं- स्त्री रोग व अन्य मरीजों का इलाज करने के लिए अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक ही काम चला देते हैं लेकिन विशेषकर शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मौसम में आए बदलाव से बच्चों में भी बीमारियां बढ़ी है। चिकित्सक के अभाव में परिजनों को बालोतरा या बाड़मेर ले जाना पड़ता है।

पद रिक्त बनी कोढ़ में खाज- चिकित्सकों के साथ अन्य कम्पाउडर व नसिंüग स्टाफ के भी पद खाली होने के कारण मरीजों को सुई लगाने, ड्रिप चढ़ाने व पट्टी करवाने के लिए घंटों इन्तजार करना पड़ता है।

मरीज बेहाल
अस्पताल में जनरेटर व्यवस्था नहीं होने के कारण विद्युत कटौती होने पर मरीज बेहाल हो जाते है। अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन कपड़ो व तौलियों से हवा डालते हैं।

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