रविवार, 27 जुलाई 2014

एसपी घूसकांड: पढिए एसपी और फरहीन घूस की पूरी कहानी

कोटा। निलंबित एसपी से अंतरंगता का फरहीन एक सीमा से ज्यादा ही फायदा उठाने लगी थी। आलम यह था कि वह खुद को कहीं भी एसपी से कमतर नहीं आंकती थी और खुद का परिचय इस तरह से कराती थी, जैसे वह पुलिस में किसी ओहदे पर हो। बाहरी लोगों से उसकी बातचीत कुछ इस अंदाज में होती थी- "फरहीन बोल रही हूं, एसपी ऑफिस से/पुलिस लाइन से"।

kota sp bribe case Satyaveer Singh and Farheen Khan sheet filed in court


इधर, पुलिस बेड़े में यह महिला "मैडम" के नाम से पहचान बढ़ाती जा रही थी। एसीबी ने अपनी चार्जशीट में हर पहलु को करीब से छुआ है और तथ्यों के साथ हर संवाद को जोड़ते हुए मामले को बेनकाब किया है।

लोगों को फांसने में माहिर इस महिला ने अपने पति के साथ मिलकर शहर में सट्टे-जुएं तक चलवाए। अलग-अलग अवसरों पर हुई वार्ताएं, जो इस रैकेट का पर्दाफाश कर रही हैं-

अपन ऎसा करते हैं, सट्टे को जुआ बना देते हैं...
[ 23 अप्रेल : सटोरिए राजेन्द्र अग्रवाल के यहां रेड के बाद फरहीन ने उद्योग नगर सीआई पुष्पेन्द्र आढ़ा को फोन कर वार्ता की। ]
सीआई : वो तो क्या है कि, एक्च्युअली क्या है मैडम, तीन है मैडम, डिप्टी साहब, सीआई साहब, दो-तीन है। टीम उन्हें पकड़कर लाएं हैं, मैडम ये...
फरहीन : अच्छा डीवाईएसपी वगैरह सारे होंगे ये
सीआई : हां सारे ही थे ये, मैं नहीं गया, मैंने तो इनके पास में ही सब कुछ, क्योंकि पांच आदमी लाए हैं, इसी की तो सब है।
फरहीन : तो ये आदेश किसने दिया? एसपी साहब का तो आदेश नहीं था ये, हो ही नहीं सकता, क्योंकि एसपी साहब तो जयपुर है
सीआई : आदेश तो पता नहीं, कोई सूचना होगी, डिप्टी साहब के पास होगा, हां इनके पास ही होगा कोई मैसेज, हां कोई डिप्टी साहब के पास ही कोई फोन-वोन आ गया होगा, हां चलो कोई नहीं अभी कराकर फ्री कर देंगे

फरहीन : आप ऎसा करो, दूसरे के ऊपर जाए, ये (राजेन्द्र) कैसे ना कैसे एडजेस्ट कर दो, इसको तो निकाल दो
सीआई : हां, निकालना तो मैडम वो लेकर आए हैं अपन थोड़े लाए हैं, मैं लियाता तो अपन कर ही लेते, ये तो क्या है ये लोग उनको लेकर आए हैं ना, टीम जैसे, महावीर नगर वाले सीआई साहब, डिप्टी साहब थे, ये सब लाए ना, तो अपन ऎसा करते हैं, सट्टा नहीं बनाकर जुआ बना देते हैं

फरहीन : फिर भी नाम तो आया ना इनका
सीआई : हां नाम तो आएगा, लेकिन सट्टे में नहीं आकर जुआ में आएगा, जुए में तो जैसे चार-पांच आदमियों के ऊपर चला जाएगा, सट्टे पर तो क्या है यह खुद ही पर्टिकूलर विख्यात है, तो ज्यादा सट्टा नहीं होकर, ये हो जाएगा कि सामूहिक ही थे ये लोग

फरहीन : तो ये इन्होंने करा दुष्यंत जी ने... हां मैं बात करती हूं आज उनसे, हाईकमान से बात करेंगे अपन तो
सीआई : नहीं-नहीं, अब तो हो ही गया, अब क्या बात करनी है, बाद में देखेंगे, मैं देख लेता हूं, इनका सट्टा नहीं बनाकर जुआ बना देते हैं, हैं ना!
(आखिरकार सीआई ने फरहीन के प्रभाव में सट्टे को जुआ बना दिया)

बताओ, किसको देनी है जांच?
[ 28 अप्रेल : झूठे परिवाद दिलाकर युवराज व मशरूल से वसूली की साजिश की वार्ता ]
फरहीन : वो युवराज का और मशरूल का... दोनों के भिजवए थे मैंने... नहीं वो थाने पर भिजवा दिया इन लोगों न...
सत्यवीर : डाक में आते हैं ना लेटर, उनका मेरे ध्यान में नहीं रहता, सैकड़ों चिटि्ठयां आती है... मुझे पर्सनली देना चाहिए था ना... मैं सारे कागज थोड़े ही पढ़ता हूं...

फरहीन : नहीं तो अब मेरी बात तो सुन लो, अब तो वहां गया है कागज, रतन सिंह जी के पास जांच चली गई, आप मंगवा लो ना
सत्यवीर : एक कागज और दे देना मेरे को... उसको कॉपी दे दो मेरे को... किसी से भी कोई लिफाफा मुझे दे जाए..
फरहीन : दोनों की.. कोई आपको डायरेक्ट देनी पड़ेगी

(इसी संबंध में फिर 2 मई को फिर दोनों के बीच वार्ता होती है)
सत्यवीर : तुम तो ये बताओ वो जांच किसको देनी है, वो कागज मंगवा लिए थे मैंने.. वो जो हिस्ट्रीशीटर युवराज वाली
फरहीन : उसकी जांच तो आपके ऑफिस में कोई विश्वासपात्र आदमी को दो
सत्यवीर : भाई मुझे तो बताओ ना, वो तुम्हारा कौन है, कराएगा, उसी को दे देता हूं कि भाई तू कर, मैं क्या जानूं कौन है, कैसा है?
फरहीन : नहीं तो वो तो आप बुलाओगे ना उसको तो डायरेक्ट ही... मतलब जैसे आपने ये कागज बुलाए हैं
सत्यवीर : आप बताओ किसको देनी है, उसी को दे दें... जो मजबूत हो, कोई आदमी विश्वास का हो.. हां बताओ, किसको दें, जो काम करें..
फरहीन : वैसे क्या है, मैं मेरी तरफ से रख रही हूं बात... वैसे पुष्पेन्द्र जी है, जो है ना, वो भी ठीक आदमी है और ये जो हिस्ट्रीशीटर है ना... वो उसी थाने का है... वो जिसमें पुष्पेन्द्र जी हैं... या सुनो-सुनो, कृष्णियां जी को... दूसरे थाने में नहीं दे सकते?

मुझे मकान लेना है
[ 2 मई : बोरखेड़ा के प्रोपर्टी व्यवसायी जगदीश उर्फ डाबर के संबंध में सत्यवीर-फरहीन ]
फरहीन : सलाम के साथ वाले डाबर के मामले में ठीक से जांच कराने के लिए डाबर के आदमी मेरे पास आ रहे हैं...
सत्यवीर : तुम्हें कह देना चाहिए कि हमारी इतनी हम बात नहीं करते हैं, तुम मना कर देते ना कि हमारी नहीं सुनते, हमने पहले ही कह दिया कि तुम सब को मना कर दो, मेरी कोई बात नहीं होती
फरहीन : वो तो पैसे दे रहे हैं ना...
सत्यवीर : कितने? 50 लाख...
फरहीन : वो आया था और वो 10 के लिए हां कर रहा है... 10-10 करके डाउन पेमेंट तो इकट्ठा कर लें यार...
सत्यवीर : छोड़ो इन चक्करों में नहीं पड़ेंगे, उसको तो मैंने टाइट करने के लिए बोला है इनको, ढीला करने के लिए नहीं बोला, टाइट करने के लिए बोला है
फरहीन : कर लेने दो मुझे देवाशीष (कॉलोनी) में मकान लेना है।

मैडम कहां आऊं मिठाई लेकर
[ 6 मई : पुलिसकर्मी जसवंत सिंह के तबादले के संबंध में फरहीन की किसी अन्य व्यक्ति से ]
फरहीन : बिल्कुल वो जसवंत जी को वापस टेलीफोन करवा दिया, वो सस्पेंड कर दिया था ना फिर क्या मेरे मुंह जुबानी आदेश पे उनको है ना जो बोलने भी नहीं दिया और पक्का काम भी नहीं होने दिया, वापिस है ना जो उसमें लगवा दिया ट्रैफिक में
अन्य व्यक्ति : किसने लगवाया ट्रैफिक में?
फरहीन : अप्पन ने ही करवाया, सस्पेंड कर रखा था ना उसको... कर दिया था..
अन्य व्यक्ति : हां, किसे?
फरहीन : जसवंत सिंह जी को जो फिर करवा दिया उसका तिया पांचा और अभी नौकरी कर रहे हैं, कह रहे थे मैडम कहां आऊं काजू कतली लेकर.. मैंने कहा - आ जाना जहां भी आओ।

बोल देना, एसपी साहब की फैमिली में हूं
[ 13 मई : अन्वेषण भवन में मेहमान ठहराने के संबंध में सत्यवीर-फरहीन ]
सत्यवीर : कोई व्यवस्था कराऊं यहां, कोई व्यवस्था... क्या-क्या करानी है, बता देना मुझे..
फरहीन : यहां तो ये... छोटे वाले भाई है, उनकी वाइफ, बड़े वाले भाई की एक बेटी, मम्मी... मनीषा और उसके दो बच्चे, मनीषा के हसबैंड नहीं है। मैं अलग से मम्मी के साथ रूक गई थी।
सत्यवीर : कितने कमरे लिए?
फरहीन : तीन कमरे लिए हैं।
सत्यवीर : तो तुम घर पर हो अभी?
फरहीन : नहीं मैं तो यहीं हूं, अन्वेषण भवन में ही।
(इसी बीच फरहीन का बेटा उसे कॉल कर बात करता है।) फरहीन अपने बेटे से कहती है : "सुन-सुन तू अंदर एंट्री मारेगा तो कह देना, जो एसपी साहब की फैमिली गई है ना, उन्हीं का बेटा हूं मैं"

एक सस्पेंड किया, दो को नहीं
[ 16 मई : अपने नौकर की गाड़ी पकड़ने
वाले दो ट्रैफिक पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के संबंध में एसपी-फरहीन की वार्ता ]
फरहीन : आप करो तो दोनों का करना, और गलत नहीं और प्रेस्टीज का भी सवाल है, देखो- उन्होंने बहुत बुरा किया है... इतना गुस्सा आ रहा है उन लोगों पर सच्ची में... उनको सजा भी जल्दी मिलनी चाहिए, सारा मामला ठण्डा होने पर उनको सजा मिली तो कोई सजा नहीं है.. हालत ऎसी थी उनकी ऑन स्पॉट होना चाहिए था उनके साथ... मैं क्या मेरा दिमाग भी काम नहीं कर रहा, करो तो दोनों के साथ ही कर देना मतलब...
एसपी : कर दूंगा... मैं मण्डे को कर दूंगा... कल और परसों तो छुट्टी है.. सोमवार को कर दूंगा।

[चार दिन बाद 20 मई को]
फरहीन : पेपर पढ़ रही थी... गुस्सा भी आ रहा था... आप ऑफिस बैठे हो.. एक को सस्पेंड किया, दो को नहीं किया। मेरा क्या खून जला-जलाकर मारकर करोगे क्या? मत करना अब। भाड़ में जाने दो उसको.. मतलब यह मानो.. इस व्यवहार के लिए मेरा रोज खून जल रहा है.. उसके साथ ही हटा देते ना जल्दी...
सत्यवीर : हट जाएंगे आज

काम भी नहीं, पैसे भी नहीं
[ 21 मई : व्यवसायी मशरूल हसन और निसार में बातचीत ]
मशरूल : अरे भाई जान एसपी साहब ने तो अपनी पॉजिटिव रिपोर्ट करी है तो रिपोर्ट पॉजिटिव भेजी है, लैटर आ गया.. मेरे पास अभी खारिज करी.. उन्होंने बताया कि एसपी साहब की रिपोर्ट पॉजिटिव है।
निसार : पॉजिटिव खराब है.. यूं
मशरूल : हां, खराब है..
निसार : तो एसपी साहब से मैंने बात ही कहां करी
मशरूल : नहीं तो अपण ने तो पैसे दिए थे तब बात तो करी थी आपने 50 हजार
निसार : यार उस टाइम मैंने तुम्हारा काम करवाया, तुम्हें पता है कि तुम्हारी रिपोर्ट पॉजिटिव है, लिखकर गई थी उस टाइम बात खत्म हो चुकी अपनी

[अपने रिवॉल्वर लाइसेंस का आवेदन निरस्त होने पर मशरूल निसार के रेस्टोरेंट पर अपने 50 हजार रूपए लेने गया। इसके बाद फोन पर हुई वार्ता]

निसार : पैसे खत्म हो गए, मतलब कुल मिलाकर कि भई काम भी नहीं, पैसे भी नहीं। - 

कौन है राजस्थान में दहशत का पर्याय आनंद पाल?

जयपुर। राजस्थान में दहशत के दूसरे नाम से आनंद पाल सिंह को जाना जाता है।
know about criminal anandpal singh

हाल ही में आनंद पाल सिंह ने अपने विरोधियों को बीकानेर सेंट्रल जेल में गोलियों से छलनी कर दिया था।

नागौर के लाडनूं तहसील के गांव सांवराद में हुकम सिंह के घर आनंद पाल का जन्म हुआ।

अक्सर बुलेट प्रूफ जैकेट पहनकर खून की होली खेलना आनंद पाल का शौक रहा है। खतरनाक हथियारों केबल पर आनंद पाल प्रदेश के अपराध जगत का मसीहा बनकर बैठ गया।

लूट, डकैती, हत्या सहित दो दर्जन से भी ज्यादा मामलों में प्रदेश की पुलिस को मोस्ट वांटेड क्रिमिनल आनंद पाल की तलाश थी। आनंद पाल को पकड़ने का जिम्मा दबंग पुलिस अधिकारियों को सौंपा गया।

जयपुर पुलिस, एसओजी और एटीएस की संयुक्त टीम ने फागी कस्बे के पास मोहब्बतपुरा गांव से इस खूंखार अपराधी को पकड़ा था। पुलिस की टीम ने आनंद पाल के कब्जे से एके 47 सरीखे खतरनाक हथियार, ऑटोमैटिक मशीन गन, बम और बुलेट प्रूफ जैकेट बरामद किए।

बता दें कि सरकारी सुरक्षा बलों के पास ही एके 47 बंदूक पाई जाती है। अपराध जगत में आनंद पाल का जन्म वर्ष 2006 में हुआ था। जब उसने डीडवाना में जीवनराम गोदारा की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी।

गोदारा की हत्या के अलावा आनंदपाल के नाम डीडवाना में ही 13 मामले दर्ज है। जहां 8 मामलों में कोर्ट ने आनंदपाल को भगौड़ा घोषित किया हुआ था। सीकर के गोपाल फोगावट हत्याकांड को भी आनंद पाल ने ही अंजाम दिया।

गोदारा और फोगावट की हत्या करने का मामला समय-समय पर विधानसभा में गूंजता रहा है। आनंदपाल के जुर्म की फेहरिस्त का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब उसने किसी को मौत के घाट उतारा वो ही मुद्दा सरकार के लिए जवाब का विषय बन गया।

सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो विपक्ष लचर कानून व्यवस्था और पनपते शराब माफियाओं के नाम पर सरकार को निशाने पर ले ही लेता है।

विधानसभा सत्र में भी बीकानेर जेल में हुई गैंगवार पर खूब हंगामा मचा। जहां आनंद पाल को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर रही।

29 जून 2011 को आनंद पाल ने सुजानगढ़ में भोजलाई चौराहे पर गोलियां चलाकर तीन लोगों को घायल कर दिया। उसी दिन गनौड़ा में शराब ठेके पर सेल्समैन के भाई की हत्या के आरोप में भी आनंद पाल का हाथ होने की बात सामने आई।

लिकर किंग बनने के चलते आनंद पाल ने बीकानेर जेल में ही अपने प्रतिद्वंदी को गोलियों से उड़ा दिया। सेंट्रल जेल में मचे रक्तपात में अपराध जगत के दो और लोगों को आनंदपाल की गैंग ने मार गिराया।

पुण्यतिथि विशेष: खलनायकी के बेताज बादशाह थे अमजद खान -



ब्लॉकबस्टर हिंदी फिल्म शोले में गब्बर सिंह का किरदार निभा कर अमर होने वाले अमजद खान शुरू में इस रोल को नहीं करना चाहते थे। बहुत कम लोग जानते हैं कि पहले यह रोल डैनी के लिए लिखा गया था परन्तु उनके मना करने पर अमजद खान को फिल्म दी गई। पहले तो अमजद खान घबरा से गए लेकिन बाद में उन्होंने इसे एक चैलेंज केरूप में लेते हुए हिंदी सिनेमा का एक अविस्मरणीय इतिहास लिख दिया।
Amjad Khan made Gabbar Singh immortal
12 नवंबर 1940 जन्मे अमजद खान को अभिनय की कला विरासत में मिली। उनके पिता जयंत फिल्म इंडस्ट्री में खलनायक रह चुके थे। अमजद खान ने बतौर कलाकार अपने अभिनय जीवन की शुरूआत वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म अब दिल्ली दूर नही से की। इस फिल्म में अमजद खान ने बाल कलाकार की भूमिका निभाई। अपने अभिनय मे आई एकरूपता को बदलने और स्वंय को चरित्र अभिनेता के रूप में स्थापित करने के लिये अमजद खान ने अपनी भूमिकाओं में परिवर्तन भी किया। इसी क्रम में वर्ष 1980 मे प्रदर्शित फिरोज खान की सुपरहिट फिल्म कुर्बानी में अमजद खान ने हास्य अभिनय कर दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया। वर्ष 1981 मे अमजद खान के अभिनय का नया रूप दर्शकों के सामने आया। प्रकाश मेहरा की सुपरहिट फिल्म लावारिस में वह अमिताभ बच्चन के पिता की भूमिका निभाने से भी नही हिचके। हांलाकि अमजद खान ने फिल्म लावारिस से पहले अमिताभ बच्चन के साथ कई फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाई थी पर इस फिल्म के जरिये भी अमजद खान दर्शको की वाहवाही लूटने में सफल रहे ।

वर्ष 1981 में प्रदर्शित फिल्म याराना में उन्होंने सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के दोस्त की भूमिका निभाई। फिल्म मे अपने दमदार अभिनय के लिये अमजद खान अपने सिने कैरियर में दूसरी बार सर्वश््रेष्ठ सह कलाकार के फिल्मफेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए। इसके पहले भी वष्ाü 1979 में भी उन्हें फिल्म दादा के लिए सर्वश््रेष्ठ सह कलाकार के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा वर्ष 1985 में फिल्म मां कसम के लिए अमजद खान सर्वश््रेष्ठ हास्य अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए। वर्ष 1983 में अमजद खान ने फिल्म चोर पुलिस के जरिए निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रखा लेकिन यह फिल्म बॉकस ऑफिस पर बुरी तरह से नकार दी गई।

वर्ष 1986 में एक दुर्घटना के दौरान अमजद खान लगभग मौत के मुंह से बाहर निकले थे और इलाज के दौरान दवाइयों के लगातार सेवन करने से उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आती रही। उनका शरीर लगातार भारी होता गया। नब्बे के दशक में स्वास्थ्य खराब रहने के कारण अमजद खान ने फिल्मों मे काम करना कुछ कम कर दिया। अपनी अदाकारी से लगभग तीन दशक तक दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करने वाले हरदिल अजीज अभिनेता अमजद खान आज ही के दिन 27 जुलाई 1992 को इस दुनिया से रूखसत हो गए।

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भांजे रेहान को गोद लेंगे कुवांरे राहुल गांधी!

नई दिल्ली। नेहरू-गांधी परिवार के राजनीतिक उत्तराधिकारी से जुड़ा सवाल कांग्रेस नेताओं के बीच जोर पकड़ रहा है। कांग्रेस के बड़े नेताओं में चर्चा है कि राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के बेटे रेहान को गोद लेंगे। इससे रेहान भविष्य में गांधी उपनाम लगा सकेंगे।Speculation grows over rahul gandhi adopting sister Priyankas son rehan
एक अंग्रेजी अखबार "द संडे गार्जियन" के अनुसार, दून स्कूल में कुछ समय पहले दाखिला लेने पर रेहान ने गांधी सरनेम लगाया। साथी छात्रों ने इसकी वजह पूछी तो रेहान ने वाड्रा उपनाम लगाना शुरू कर दिया।

सूत्रों के अनुसार, स्कूल रिकॉर्ड में रेहान के संरक्षक के रूप में राहुल का नाम दर्ज है। परिवार को मिली खास सुरक्षा की वजह से इसे गोपनीय रखा गया है। रेहान को गोद लेने की अटकलें तब और तेज हो गईं जब राहुल बीते साल उत्तराखंड में बाढ़ से हुई तबाही के बाद राज्य के दौरे पर थे। तब राहुल रेहान को आउटिंग पर भी ले गए थे। - 

"जुबां एक, खून एक, फिर क्यों रहें जुदा-जुदा"

जयपुर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा है कि इंसान रोजे के संदेश जिन्दगी में उतार लें तो दुनिया जन्नत बन सकती है। राजे शनिवार शाम यहां सिविल लाइन्स पर आयोजित रोजाइफ्तार में प्रदेशभर से आए रोजेदारों को सम्बोधित कर रही थी। cm vasundhara raje gave roza iftar party
उन्होंने जुबां एक है, खून एक है.एक है आंखों की पुतलियां हमारी,, फिर क्यूं हम आपस में जुदा जुदा, परवरदिगार रखे सबको खुश, यही इल्तजा हमारी..का शेर पढ़ते हुए प्रदेश में अमन चैन और खुशहाली की कामना के साथ परवरदिगार से रोजेदारों की इबादत कबूल करने की दुआ की।

उन्होंने कहा कि रोजे हमें मालिक के करीब लाकर इंसानियत और भाईचारे का पैगाम देते हैं। ये जात पात और मजहब का फर्क मिटाकर जीवन में नेकी की राह पर चलने और बुराइयों से बचने की राह दिखाते हैं।

राजे ने कहा कि इस्लाम के पांच बुनियादी सिद्घान्तों में से एक रोजा केवल भूखे रहने का नाम ही नहीं है, बल्कि रोजे इन्सान को ख्वाहिशों पर काबू रखते हुए आत्म नियंत्रण एवं त्याग की सीख देते हैं। उन्होंने सभी को रमजान माह एवं ईद की अग्रिम मुबारक देते हुए प्रदेश की 36 की 36 कौमों में एकजुटता, प्यार, मोहब्बत और आपसी भाईचारे की दुआ मांगी। इस अवसर पर राज्यपाल मार्ग्रेट अल्वा ने भी रोजेदारों को मुबारकबाद दी। इस मौके सार्वजनिक निर्माण मंत्री युनूस खान ने मुख्यमंत्री का पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया।

प्रदेशभर से आए रोजेदारों को चीफ काजी खालिद उस्मानी ने मगरीब की नमाज अदा कराई। राजे का अजमेर दरगाह शरीफ की ओर से अंजुमन दरगाह शरीफ के अध्यक्ष सैय्यद हिसामुद्दीन नैयाजी, सचिव सैय्यद वाहिद हुसैन चिश्ती ने चुनरी ओढ़ा कर अभिनन्दन किया।

इस अवसर पर विधायक अशोक परनामी, अमीन पठान, मदरसाबोर्ड के पूर्व चेयरमैन हिदायत खान, हज कमेटी के पूर्व सदस्य फिरोज खान, अखिल भारतीय हकीम अजमल खान मेमोरियल संगठन के अध्यक्ष मसीमुद्दीन खान प्यारे मियां, पूर्व विधायक मो.माहिर आजाद, सलीम कागजी, जामे मस्जिद के नायब सदर अनवर शाह सहित मुस्लिम समाज के गणमान्य लोग उपस्थित थे।

थाने तक पहुंची राजघराने की लड़ाई, 9 पर केस

anant vikram singh including 9 other booked for robbery and trespassing


अमेठी। उत्तर प्रदेश के अमेठी में राजघराने के भूपति भवन में कांग्रेस सांसद एवं अमेठी नरेश संजय सिंह के समर्थकों और उनकी पहली पत्नी गरिमा सिंह तथा उनके साथ गए लोगों के बीच शुक्रवार को हुई घटना के सिलसिले में अनन्त विक्रम सिंह समेत नौ लोगों के खिलाफ शनिवार को डकैती डालने का अमेठी कोतवाली में मामला दर्ज कराया गया है।

पुलिस के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की भतीजी एवं संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह, उनके पुत्र अनन्त विक्रम सिंह, गरिमा सिंह की दो पुत्रियों तथा बहू ने करीब 30 समर्थकों के साथ राजमहल पर धावा बोला था। इस पर दोनों पक्षों में जमकर मारपीट हुई और पथराव हुआ।

इस मामले में भपति भवन के व्यवस्थापक संतोष सिंह की तहरीर पर गरिमा सिंह के पुत्र अनन्त सिंह समेत नौ लोगों के खिलाफ डकैती डालने और अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है।

गौरतलब है कि शुक्रवार को संजय सिंह की पहली पत्नी के पुत्र अनन्त विक्रम सिंह ने 12 नामजद और आठ अज्ञात लोगों के खिलाफ्क मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। -

हे भगवान, 14 साल से कभी सोया नहीं ये शख्स




नई दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली में रहने वाले सतीश कुमार, 14 साल से कभी सोए नहीं है। खास बात यह है कि उनका इजाल करने वाले डॉक्टर भी इस बात से पेरशान है कि इसके बावजूद वे स्वस्थ कैसे हैं? दरअसल मेडिकल साइंस में 80 घंटे से ज्यादा कोई इंसान बिना सोए नहीं रह सकता है।

सतीश कुमार पूरी तरह से स्वस्थ भी और और उन्हें कोई बीमारी भी नहीं है। हर दिन अपने काम पर भी जाते हैं। अब नहीं करवा रहे इलाज सतीश कहते हैं कि उन्होंने नींद नहीं आने की समस्या का इलाज एम्स, सफदरजंग, आरएमएल जैसे बड़े बड़े अस्पतालें में कराया, लेकिन डॉक्टरों ने हर जगह उन्हें हल्के में लिया।

सतीश ने बताया कि जब वह पहली बार इलाज के लिए एम्स गए थे तो उनकी परेशानी को जानकार डॉक्टर ने कहा फैमिली वालों को बुलाकर लाइए।
Delhi man has not slept for last 14 years
जब दूसरे दिन फैमिली वालों को लेकर गए और उन्होंने भी ऎसा ही कहा तब उन्होंने पहली बार मुझे दवा दी। डॉक्टरों ने नींद की हैवी होज मेडिसिन दी थी, लेकिन उसका असर नहीं हुआ था।

सतीश के बड़े बेटे सोनू ने कहा, पहले ऎसा नहीं था, पापा सुबह 9 बजे तक सोते थे, लेकिन पिछले 14 सालों से उन्हें नींद आ ही नहीं रही है। अब कई जगह दिखाने के बाद सतीश अपना इलाज नहीं करवा रहे हैं।

11 दिन का है रिकॉर्ड
साल 1964 में एक साइंस फेयर के दौरान 17 साल के रैंडी गार्डनर नाम के व्यक्ति ने 264 घंटे (लगभग 11 दिन) बिना सोए रह कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था।

इस दौरान इस छात्र ने फिजिकल और मेंटल प्रॉब्लम्स का अनुभव किया। स्टडी में पाया गया कि नींद की कमी से इंसान को मेंटल लेवल पर असर पड़ता है।

स्लीप स्टडी की जरूरत
दिल्ली की डॉक्टर मनवीर भाटिया के अनुसार एक रात की नींद खराब होने पर ब्लड शूटर से लेकर बीपी तक बढ़ जाता है, प्रोडक्टिविटी पर असर पड़ता है, इसलिए ऎसा संभव नहीं है।

कई बार लोगों को लगता है कि वे सो नहीं रहे हैं लेकिन वो नहीं में होते हैं। सतीश की स्लीप स्टडी होनी चाहिए उनकी बीमारी का पता चल सकता है। - 

शनिवार, 26 जुलाई 2014

बाड़मेर सड़क हादसे में वायुसेना के दो अधिकारियो की मौत

बाड़मेर सड़क हादसे में वायुसेना के दो अधिकारियो की मौत 


बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर में जोधपुर रोड पर स्थित नागाणा थाना क्षेत्र के माडपुरा गांव के समीप शनिवार प्रातः वाहन के आगे ऊँठ आ जाने से वाहन पलट कर क्षतिग्रस्त हो गया तथा उसमे सवार वायुसेना के दो अधिकारियो की मौत हो गयी जबकि तीन जने घायल हो गए। सूत्रानुसार नागाणा थाना क्षेत्र के माडपुरा गांव के समीप उत्तरलाई वायुसेना के वाहन में सवार वायुसेना के अधिकारी जा रहे थे ,माडपुरा सरहद पर यकायक सड़क पर ऊँठ आ जाने से वाहन से टक्कर गया जिससे वाहन पलटी खा गया ,जिससे वहां में सवार लोग बुऋ तरह घायल हो गए ,इनमे से दो जनो ने दम  तोड़ दिया जबकि तीन घायलो को उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया। 

दिल्ली 5 पैसे की लड़ाई में बीत गए 41 साल



महज़ 5 पैसे के भ्रष्टाचार का एक मामला को 4 दशक से खींच रहा है.
5 पैसे की लड़ाई में बीत गए 41 साल
कुछ ऐसा ही एक मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है, जिसमें 41 साल पहले एक कंडक्टर ने गलती से एक महिला को 15 पैसे की बजाय 10 पैसे का टिकट दे दिया था.

टिकट चेकर ने कंडक्टर की इस लापरवाही को पकड़ लिया और उसे इस मामले में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया. कंडक्टर ने अपनी नौकरी पाने के लिए अदालत का सहारा लिया.

श्रम अदालत व हाईकोर्ट एक बार इस कंडक्टर के पक्ष में फैसला दे चुकी हैं, परंतु डी.टी.सी. ने फिर से न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है, जिसके कारण मामला खींचता चला जा रहा है.

हालात ये हो चुके हैं कि अब अदालत चाहे तो भी इस कंडक्टर को नौकरी पर नहीं रखवा पाएगी क्योंकि उसकी वह रिटायरमेंट की उम्र को पार कर चुका है.

अब इस कंडक्टर ने कहा है कि कम से कम उसका मामला जब तक निपटे तब तक उसे पेंशन की सुविधा तो दे ही दी जाए. इसी मांग पर अपना जवाब दायर करते हुए डी.टी.सी. ने कहा है कि वह इस मामले के निपटने तक याचिकाकर्ता को नौकरी से जुड़ा कोई लाभ नहीं देंगे.

न ही उसे पेंशन दी जा सकती है क्योंकि जिस समय पेंशन की योजना शुरू की गई थी, उस समय वह नौकरी पर नहीं था. ऐसे में उसे पैंशन की सुविधा भी नहीं दी जा सकती है.

डी.टी.सी. के मायापुरी डिपो के रीजनल मैनेजर ने अपना यह जवाब अधिवक्ता सुमित पुष्करणा के जरिए न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अदालत में दायर किया है. न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई के लिए अब 12 अगस्त की तारीख तय की है.

क्या है ये पूरा मामला

यह मामला रणवीर सिंह यादव नामक डी.टी.सी. कंडक्टर से जुड़ा है. एक अगस्त 1973 को वह मायापुरी इलाके में चल रही एक बस पर तैनात था. इसी दौरान उसने एक महिला को 10 पैसे का टिकट दिया, जबकि दूरी के हिसाब से 15 पैसे का टिकट बनता था.

इसी दौरान बस में टिकट चैकर चढ़े और महिला का टिकट चैक किया तो यह गलती पकड़ी गई. पाया गया कि कंडक्टर की गलती से डी.टी.सी. को 5 पैसे का नुक्सान हुआ है, जिसके बाद यादव को निलंबित कर दिया गया.

विभागीय जांच के बाद यादव को 15 जुलाई 1976 को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया. यादव ने इस फैसले को श्रम अदालत में चुनौती दी तो श्रम अदालत ने 6 जुलाई 1982 को उसके पक्ष में फैसला देते हुए उसे नौकरी पर रखने का आदेश दिया.

इस आदेश को डी.टी.सी. ने उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी. 25 अप्रैल 2007 को न्यायालय ने डी.टी.सी. की याचिका को खारिज कर दिया. वर्ष 2008 में डी.टी.सी. ने दोबारा से पुनर्विचार याचिका दायर कर दी और यह मामला अभी तक विचाराधीन है.

अब यादव ने कहा था कि जब तक मामले का निपटारा नहीं हो जाता है, तब तक उसे पेंशन दी जाए.