सोमवार, 29 अप्रैल 2013

24 लोगों ने मांगी इच्छामृत्यु!

24 लोगों ने मांगी इच्छामृत्यु!

जयपुर। राजस्थान के एक खान संचालक ने अपनी पत्नी,तीन लड़के,बहुएं और 16 पोते-पोतियों के परिवार के साथ सामूहिक इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है। राज्यपाल से इच्छामृत्यु की गुहार करने वाला शख्स धौलपुर के बसेड़ी के झील गांव का रहने वाला विजय सिंह है और खनन माफिया से खौफजदा है।

प्रदेश में खनन माफियाओं के खौफ और खनन विभाग के अधिकारियों की मनमानी से परेशान सिंह का पूरा परिवार पिछले 1 महीने से घर नहीं गया है। पीडित का कहना है कि वह प्रदेश में सब जगह न्याय की गुहार लगा चुका है,लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगी है। अब उसके और परिवार के 24 जनों के पास और कोई चारा नहीं है।


पुलिस की बदले की कार्रवाई !

खनन विभाग ने पत्थर खनन के लिए चार खानें आवंटित कराईं,जिनके पट्टे विभाग ने नदी क्षेत्र में आने का हवाला देकर निरस्त कर दिए थे। इसके बाद एक अन्य खान जिसका खसरा संख्या 744/1 आवंटित करा लिया। आरोप है कि पूर्व में निरस्त की गई सिंह की खानों से एक व्यक्ति खनन कर रहा है। विभाग के अधिकारी मधुसुदन पालीवाल से मामले की शिकायत करने पर भी राहत नहीं मिली। वहीं सिंह के खिलाफ एक मामले में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। सिंह का आरोप है कि यह भी बदले की कार्रवाई थी।

बेटे को मारने की धमकी


मामले की मुख्य सचिव से शिकायत करने पर उन्होंने जांच दल खनन विभाग भेजा। आरोप है कि पीडित के पुत्र मोहन को जान से मारने की धमकी दे,जांच दल के सामने आरोपियों के पक्ष में बयान देने का दबाव बनाया गया। सिंह का आरोप है कि बयान के दौरान उनका पुत्र आरोपियों के कब्जे में था। परेशान विजय सिंह ने बीते गुरूवार को प्रदेश की राज्यपाल को रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजकर सामूहिक इच्छामृत्यु की अनुमति देने की मांग की है।


पुलिस को जानकारी नहीं

धौलपुर पुलिस अधीक्षक हरेन्द्र कुमार के अनुसार मामले की मुझे जानकारी नहीं है। इस प्रकार की यदि कोई लिखित शिकायत मिलती है तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

ट्रेन में सफर कर रहे यात्री की अटैची से गहने चोरी




बाड़मेरबाड़मेर-जोधपुर पैसेंजर ट्रेन में सफर कर रहे यात्री की अटैची से सोने के गहने पार हो गए। गोल स्टेशन पहुंचने के बाद अटैची खोली तो पता चला कि सोने के गहने व नकदी गायब थी। इस पर ओमप्रकाश गौड़ ने जीआरपी पुलिस थाना बाड़मेर में चोरी का मामला दर्ज करवाया है।
जीआरपी पुलिस ने बताया कि ओमप्रकाश गौड़ पुत्र गणेशाराम गौड़ निवासी हिरकन का थान ((मीठड़ा)) धोरीमन्ना 27 अप्रैल को बाड़मेर से जोधपुर जाने वाले पैसेंजर ट्रेन में दोपहर दो बजे पत्नी व ब\'चों के साथ गोल स्टेशन के लिए रवाना हुए। वे शादी समारोह में शरीक होने के लिए जा रहे थे।
ट्रेन में सवार होने के बाद अटैची ऊपर के स्लीपर पर रख थी। जब वे ट्रेन से उतरकर रिश्तेदार के घर पहुंचे तो अटैची खोलने पर सोने के गहने गायब थे। इस पर ओमप्रकाश ने मामला दर्ज करवाया कि उसकी अटैची में साढ़े तीन तौला का तिमणिया, साढ़े तीन तौला की रखड़ी, 4 तौला का बाजूबंद, एक तौला का टोपस व आधा तौला की तीन फीणी तथा तीन सौ रुपए नकद रखे थे। जीआरपी ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की।

बाप ने बेटी को बनाया हवस का शिकार

बाप ने बेटी को बनाया हवस का शिकार
जयपुर। राजस्थान की राजधानी में एक कलयुगी बाप के अपनी 15 साल की बेटी को ही हवस का शिकार बना डालने की शर्मनाक घटना सामने आई है। रिश्तों को तार-तार करने वाली यह घटना शहर के मुरलीपुरा थाना क्षेत्र की है। यहां आरोपी सोतेला पिता ने पत्नी को नींद की गोली खिला कर शनिवार की रात बेटी को हवस का शिकार बना डाला।


सौतेली बेटी के साथ बलात्कार करने के इस मामला मामले में पीडित बच्ची की मां की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने यह मामला बलात्कार व लैंगिक अपराध से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज किया है। पीडिता का मेडिकल भी करावाए जाने के बाद पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है।


पुलिस के अनुसार मूलत: बगरू निवासी 36 वष्ाीüया महिला ने रिपोर्ट दी है कि करीब दस साल से वह आर्य नगर में एक व्यक्ति के साथ पत्नी के रूप में रह रही है। पहले पति से उसके एक लड़का और एक लड़की थी और दूसरे पति से उसे एक लड़का हुआ। परिवार राजीखुशी रहने लगा था। गत 27 अप्रैल की रात्रि में आरोपी पति ने उसकी 15 वष्ाीüया बेटी को हवस का शिकार बनाया। जिसके बाद महिला ने मामला दर्ज करवाया। पुलिस ने पीडिता के बयान ले कर मेडिकल करवाया है।


बेटे ने बताई करतूत


पुलिस के अनुसार रविवार सुबह उठने पर महिला को उसके आठ वष्ाीüय बेटे ने घटनाक्रम की जानकारी दी। पति के करतूत सुन महिला ने बेटी से जानकारी ली। बलात्कार की शिकार बेटी ने मां को बताया कि पिता ने उसका मुंह हाथ से बंद कर रखा था, जिस कारण वह चिल्ला भी नहीं सकी। साथ ही उसके साथ मारपीट भी की। महिला ने बताया कि उसको रात्रि में हुए घटनाक्रम की जानकारी नहीं थी। सुबह बेटे के द्वारा मामला पता चला। महिला का आरोप है कि उसके पति ने उसको संभवत: रात्रि में नींद की गोली दे दी थी, जिस कारण उसे मामले की जानकारी नहीं हुई।

पाकिस्तान की जेलों में बंद बाड़मेर जैसलमेर के कैदियों की सुरक्षा को लेकर घरवाले चिंतित

पाकिस्तान की जेलों में बंद बाड़मेर जैसलमेर के कैदियों की सुरक्षा को लेकर घरवाले चिंतित

बाड़मेर पाकिस्तान की लखपत जेल में बंद भारतीय कैदी सरबजीत पर हुए कातिलाना हमले के बाद राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर जैसलमेर जिले के पाकिस्तानी जेलों में बंद नागरिको की सुरक्षा को लेकर घरवाले चिंतित हें ,बाड़मेर जिले के चौहटन तहसील के धनाऊ गाँव के भग सिंह ,स्वरूपे का तला निवासी सहुराम भीलो का तला निवासी तील सिंह ,जैसलमेर के रामगढ़ निवासी जमालदीन पिछले अट्ठाईस सालो से पाकिस्तान की जेलों में बंद हें .लम्बे समय से उनकी वतन वापसी की राह देखि जा रही हें ,इसके लिए उच्च स्तरीय प्रयास भी किये गए ,अब जबकि पक्लिस्तान की लखपत जेल में बंद सरबजीत पर हमले के बाद इस कैदियों के परिवार भी इनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हें ,पाकिस्तान की जेल में बंद भाग सिंह के बीस वर्षीय पुत्र अर्जुन सिंह ने बताया की पिछले दो दशको से मेरी माँ मेरे पिता के लौटने का इंतज़ार कर रही हें .पहले उनकी चिठ्ठी पटरी आती थी मगर अब वो भी बंद हो गई ,वो कान्हा और किस हल में हें यह जानकारी नहीं हें मगर उनकी सुरक्षा को को लेकर अब चिंता हो रही हें .उन्होंने बताताया की भारत सरकार को इसके लिए पहल करनी चाहिए ताकि भारतीय बंदियों की सुरक्षा का दबाव पाकिस्तान पर बने .उनका मानना हें की भारत में कसब और अफज़ल को फांसी देने के बाद से कट्टरपंथी भारतीय नागरिको के जानी दुश्मन बन गए हें .इधर टीलाराम के भाई हुकमाराम और बहन राधा अपने भाई की सुरक्षा को लेकर चिंतित दिखे.वहि भाग सिंह की पत्नी लक्ष्मी कँवर कई दशको से अपने सुहाग के लौटने का इंतज़ार कर रही हें ,अब उसे अपने सुहाग की चिंता सता रही हें ,भाग सिंह के पुत्र अर्जुन सिंह और प्रताप सिंह अपने पिता की सुरक्षा की खबर पाने वके लिए हर संभव प्रयास कर रहे हें .जैसलमेर जिले के रामगढ़ निवासी जमालदीन की पत्नी हनीफा भी उसके लौटने का इंतज़ार कर राझी हें .उसकी आँखों में विशवास झलकता हें की जमालदीन वापस जरुर आएगा अलबता सरबजीत पर हमले के बाद चिंतित हें .हनीफा का मानना हें की भारत सरकार भरिय कैदियों की सुरक्षा को लेकर पुख्ता प्रबंध करे .पूर्व संसद मानवेन्द्र सिंह ने बताया की पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीयों की सुरक्षा को लेकर वो जल्द भारत सरकार के उच्च स्तरीय अधिकारियो से मिलेंगे .उनकी रिहाई के प्रयास करेंगे .

मेरा पति जरुर लौटकर आएगा


पाकिस्तान की जेल में बंद भाग सिंह की पत्नी को विशवास 
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मेरा पति जरुर लौटकर आएगा
बाड़मेर.अट्ठाईस वर्ष पूर्व लक्ष्मी का पति सीमा पार कर पाकिस्तान चला गया तो उस पर दु:खों का पहाड़ टूट गया। एक तरफ पति का वियोग तो दूसरी तरफ संतान की परवरिश की जिम्मेदारी। इस अग्नि परीक्षा की घड़ी में लक्ष्मी ने हिम्मत नहीं हारी। विकट परिस्थितियों में जिंदगी से संघर्ष शुरु किया। अपनी संतान पर जान न्यौछावर करने वाली लक्ष्मी ने दिहाड़ी मजदूरी से पालन पोषण किया। उसकी अट्ठाईस वर्ष की तपस्या से बेटी व दो बेटों की पढ़ाई के साथ विवाह की महत्वूपर्ण जिम्मेदारी बखूबी निभाते हुए उन्हें पिता की कमी का अहसास तक नहीं होने दिया।

पाकिस्तान के छाछारों के पास स्थित पाणियों गांव से आई लक्ष्मी ने वर्ष 1974 में धनाऊ निवासी भगूसिंह से शादी रचाई। महज ग्यारह साल तक पति का साथ मिला। इस बीच सन् 1985 में भगुसिंह पड़ौसी गांव गोहड़ का तला में पशुओं को चराने के साथ खेती करने की बात कहकर गया था। वह पशु चराते वक्त भूल से सीमा पार कर गया। यह दुखद समाचार मिलते ही लक्ष्मी की पैरों तले जमीन खिसक गई। इस गांव में लक्ष्मी के अलावा परिवार का कोई सदस्य नहीं होने से घर की पूरी जिम्मेदारी लक्ष्मी पर आ गई। वह पति के बिछोह का दर्द सहते हुए एक बेटी व दो बेटों के सहारे जिंदगी का सफर शुरु किया।

उसने कशीदाकारी के कार्य के बदले मिलने वाले मेहनताने से संतान का पालन पोषण शुरु किया। इस दौरान कभी काम नहीं मिलने पर वह भूखे ही सो जाती। संघर्ष के सफर में कई चुनौतियां का सामना करते हुए बच्चों की पढ़ाई शुरु करवाई। इसके साथ ही लक्ष्मी कशीदाकारी के साथ दिहाड़ी मजदूरी पर जाने लगी। धीरे -धीरे वक्त बीतता गया लेकिन लक्ष्मी पर दुखों का साया बना रहा। पति के लौटने की आस में हिम्मत से कार्य करती रही।

इस बीच लक्ष्मी पति की खैर खबर जानने सबसे पहले पुलिस थाना चौहटन पहुंची। जहां पर अपनी फरियाद सुनाई तो केवल आश्वासन देकर रवाना कर दिया। लंबे अर्से बाद जब कोई समाचार नहीं मिला तो फिर वह अपनी फरियाद लेकर तहसील कार्यालय की चौखट पहुंची। उसने अपनी पूरी कहानी सुनाते हुए पति का पता लगाने के साथ सहायता की गुहार लगाई।

यहां भी उसे आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। थकी हारी लक्ष्मी ने आखिरी दरखवास्त अपने गांव के मौजिज लोगों के सामने दर्ज करवाई। लेकिन सारे प्रयास विफल रहे। किसी ने भगुसिंह की पैरवी नहीं की। उसने ईश्वर पर पूरा भरोसे रखते हुए अपने बूते बेटी की शादी की। इसके बाद दो बेटों का विवाह कर दिया। तीनों की शादियां से लक्ष्मी कर्जदार बन गई। फिर भी उसने मेहनत कर धीरे -धीरे कर्जा उतारा। आज भी मुफलिसी की जिंदगी जी रही लक्ष्मी नरेगा कार्य पर दिहाड़ी मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण कर रही है।
कलेक्टर का फरमान बेअसर
तत्कालीन जिला कलेक्टर रवि जैन ने वर्ष 2008 में धनाऊ गांव में रात्रि चौपाल आयोजित की। फरियाद लेकर पहुंची लक्ष्मी ने कलेक्टर को अपना दुखड़ा सुनाया। धनाऊ गांव निवासी अचलसिंह व संजय बोहरा बताते है कि पाक जेलों बंद पांच भारतीय रिहा होकर आ गए। लेकिन भगुसिंह के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है।

सुख की आस में बेगानी हो गई. पाकिस्तान के छाछरों के पास स्थित पाणियों गांव में लक्ष्मी का बचपन गुजरा। भारत-पाक युद्ध के बाद हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के चलते कई परिवार सुख की आस में हिन्दुस्तान आ गए। इसमें लक्ष्मी का परिवार भी शामिल था। यहां आकर शादी रचाने के ग्यारह साल बाद पति पाकिस्तान चले जाने से उसकी खुशियां गम में बदल गई।
चिट्ठी आई न कोई संदेशपचीस वर्ष पूर्व पाकिस्तान गए भगुसिंह की न तो कोई चिट्ठी आई है और नहीं कोई संदेश। मां के आंचल में पले अर्जुन व प्रताप को विश्वास है उनके पिता के आने का शुभ समाचार आएगा।

मेरा पति जहां कहीं है, वह जरुर लौटकर आएगा। इसकी आस से मैने आज भी सुहाग की प्रतीक चुडियां पहन रखी है। मैने पच्चीस वर्ष तक संघर्ष करते हुए ईश्वर पर भरोसा किया है। वह मेरे साथ न्याय करेगा।
लक्ष्मी कंवर, पत्नी, भगुसिंह धनाऊ

पाकिस्तानी किशोर की वतन वापसी

पाकिस्तानी किशोर की वतन वापसी

श्रीगंगानगर। अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर भारतीय सीमा में घुसे एक पाकिस्तानी किशोर को रविवार को सीमा सुरक्षा बल ने पाक रेंजर्स को सुुपुर्द कर दिया। श्रीगंगानगर सेक्टर के अनूपगढ़ क्षेत्र में दोनों देशों के कम्पनी कमाण्डर स्तर के अधिकारियों की फ्लैग मीटिंग के बाद किशोर की वतन वापसी हुई।

बीएसएफ के राजस्थान फ्रंटियर के उप महानिरीक्षक आर.के. थापा ने बताया कि शनिवार शाम 5 बजकर 45 मिनट पर अनूपगढ़ क्षेत्र में कैलाश चेकपोस्ट के पास बल के जवानों ने पाकिस्तान के भावलनगर जिले के गांव 242 एचएल निवासी नदीम माहर (14) पुत्र आमीन माहर को पकड़ा। पूछताछ में पता चला कि नदीम अपने माता-पिता से नाराज होकर घर से निकल गया था और अनजाने में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर भारत में आ गया। तलाशी में उसके पर्स से भारतीय फिल्मी अभिनेताओं के फोटो मिले।

पैरों के निशान दिखाए

नदीम को पुशबैक करने के लिए बीएसएफ की ओर से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पिल्लर नम्बर 369 के पास पाकिस्तानी रेंजर के साथ कम्पनी कमाण्डर स्तर की फ्लैग मीटिंग की गई। पाक रेंजर के प्रतिनिधि को नदीम के जीरो लाइन पार करने के पैरों के निशान दिखाए गए। इस पर उन्होंने नदीम को वापस लेने पर सहमति दी। इसके बाद दोपहर एक बजे अनूपगढ़ क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नदीम को पाक रेंजर को सौंप दिया।

तीन दिन की जगह एक दिन

सीमा सुरक्षा बल की ओर से बीते एक साल के दौरान श्रीगंगानगर सेक्टर में 12 पाक नागरिकों को पुशबैक किया गया है। इनमें एक महिला और उसका बच्चा भी शमिल है। पिछले दिनों खाजूवाला क्षेत्र में भारतीय बालिका भूलवश पाकिस्तान की सीमा में घुस गई थी। पाकिस्तान ने उसे तीन बाद लौटाया, जबकि भारतीय सीमा में घुसे नदीम को महज एक दिन में पाक के सुपुर्द कर दिया।

ग्रामीणों ने कायम की पानी सहेजने की मिसाल


ग्रामीणों ने कायम की पानी सहेजने की मिसाल 

जायल  



न तो इस तालाब पर टैंकर भरे जा सकते हैं और न ही तालाब के पानी का दुरुपयोग किया जा सकता है। अनमोल पानी की कीमत को पहचानते हुए ग्रामीणों ने यहां पानी का दुरुपयोग रोकने के लिए बाकायदा एक व्यक्ति नियुक्त कर रखा है। शायद इसी का नतीजा है कि साल भर तक यहां के तालाबों में पानी हिलोरें मारता नजर आता है।

यहां बात हो रही है जायल क्षेत्र गांव गुढ़ा गुगरियाली व गोठ के तालाब की। जहां पर 20 से ज्यादा गांवों के लोगों को इस तपती वैशाख में भी पानी की मौजूदगी प्रदर्शित करती है। तहसील के गांव गोठ का सोहिल्या तालाब पर अलसुबह गांव गोठ, रातंगा, मांगलोद व तेजासर की महिलाएं यहां पानी लेने पहुंचती है। यहां पशुपालक भी पशुधन को पानी पिलाने के लिए यहां पहुंचते हैं। वहीं गांव गुढ़ा गुगरियाली में गंवाई तालाब आज भी लबालब भरा हुआ है। यहां सैकड़ों की तादात में हिरण, गाय, खरगोश आदि विचरण करते हुए गला तर करने के लिए यहां पहुंचते हैं। सौभाग्य यह है कि गांव के महंत स्वामी केशर पुरी महाराज यहां पर अपने आश्रम में हजारों पक्षियों को दाना डालते हैं और वन्यजीवों के शिकार करने वालों से संघर्ष करते हैं। जिससे यहां पर दोनों तालाबों में पीने का पानी बारह महीनों तक टिका रहता है।

परंपरा जीवित है...

इन सरोवरों पर कई महिलाओं के पहुंचने के बाद मंगलगीतों की किलकारियां सुनाई देती है। सुबह-सुबह महिलाएं पक्षियों के लिए दाना लेकर यहां पर पनघट के लिए आती हैं। इन तालाबों का ऐतिहासिक महत्व भी है। इनके किनारों पर कई प्राचीन देवलियां लगी हुई है। सोहिल्या तालाब पर लगी एक संगमरमर की देवली पर 16 वीं सदी की संस्कृत में कुछ देवलियां पर कुछ श्लोक अंकित है जो पुराने अतीत को और जानने की लिए प्रेरित करते हैं। 

पहल   गुढ़ा गुगरियाली और गोठ गांव में पानी बचाने के लिए चलता है ग्रामीणों का अनुशासन, चंदा एकत्रित कर रखा पानी का रखवाला 




होती है रखवाली 
इन तालाबों में ग्रामीणों टैंकर पूर्णतया मनाही है व पानी का दुरुपयोग रोकने के लिए रखवाली के लिए व्यक्ति नियुक्त कर रखा है, जो किसी भी व्यक्ति को पानी को गंदा करने से रोकता है। ग्रामीण चंदा करके रखवाले को तनख्वाह देते हैं। सोहिल्या तालाब में आस-पास के गांवों के लोगों के पानी ले जाने के कारण तालाब में मौजूद पानी ज्यादा दिनों का नजर नहीं आ रहा है। 

ये भी खूब! पति को मायके ही ले आती हैं पत्नियां

ये भी खूब! पति को मायके ही ले आती हैं पत्नियां

अशोकनगर।अशोकनगर से लगे आदिवासी ग्राम टकनेरी में लड़कियां विवाह के बाद ससुराल में जाकर नहीं बसतीं, बल्कि अपने पति को ही मायके ले आती हैं। इस परंपरा के चलते 6 परिवारों का यह गांव 20-25 साल में ही 300 परिवारों की बस्ती बन चुका है।

गांव की जनसंख्या 690 है, जहां सभी एक-दूसरे के रिश्तेदार हैं। गांव में महिलाओं की संख्या 60 फीसदी है। ग्राम टकनेरी जिला मुख्यालय से मात्र 2 किमी की दूरी पर है। आदिवासियों की यह एक अजीब परंपरा कई सालों से चलती आ रही है।


गांव की जिस भी लड़की की शादी होती है, वह एक या दो बार ही अपने ससुराल जाती है। उसके बाद वह अपने पति के साथ गांव में ही बस जाती है। गांव के प्रताप (65) पुत्र गंपू आदिवासी ने बताया कि पहले यहां कुल छह घर थे और अब करीब 300 घर हैं। शादी के साल-छह माह बाद ही यहीं आ जाती हैं, जिससे गांव के दामादों की संख्या बढ़ती जा रही है।

मूलभूत सुविधाओं दूर


जपं अध्यक्ष मलकीतसिंह गांव से करीब एक किमी दूर ग्राम पंचायत के ही दूसरे गांव पंवारगढ़ में रहते हैं। इसके बाद भी गांव के आदिवासी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। यहां 6 में से मात्र 1 हैंडपंप चालू हैं। करनसिंह ने बताया कि यह भी 15-20 दिन में बंद हो जाएगा।

आ रहे बिजली के बिल


गणेशराम आदिवासी ने बताया कि बिजली विभाग का लाइनमैन करीब 4-5 साल पहले तार काट गया था। इसके बाद भी बिल हर महीने आ रहा है। जिस घर में मीटर नहीं है, उसके नाम से भी बिल आ रहा है। बिजली मिलती नहीं है और मिलती भी है तो वोल्टेज कम आता है। हमने 19 हजार का बिल भी जमा किया था, फिर भी तार नहीं जोड़े गए।


टकनेरी की जिस लड़की की शादी होती है वह ससुराल में न रहकर मायके में ही आकर बस जाती है। लड़कियों के दबाव के कारण लड़के यहां आकर रहने लगते हैं। लड़कियां कहती हैं कि तुम यहां रहोगे तो हम यहां रहेंगे नहीं तो नहीं रहेंगे। गांव में मुख्यमंत्री आवास मिशन से 70 कुटीरें, एक खेल का मैदान व सभा भवन भी बनाया जाएगा। - ज्ञानजीत कौर, सरपंच ग्राम बरखेड़ा


परंपरा के अनुसार विदाई के बाद एक-दो बार और जाती हैं, फिर वापस यहीं आकर बस जाती हैं। रज्ोबाई, आदिवासी।

हम भांडरी के रहने वाले हैं। शादी को बीस साल हो गए हैं। दूसरी विदाई के बाद से यहीं आकर बस गए। मेरे ससुर भी यहीं के दामाद हैं। सिरनाम सिंह आदिवासी।


हमारे ससुर भी यहीं के दामाद हैं और हम भी। यहां मजदूरी अधिक मिलती है, इसलिए यहां आकर रहने लगते हैं। रघुनंदन पुत्र देवचंद आदिवासी।

हौद में डूबने से तीन कारिंदों की मौत


हौद में डूबने से तीन कारिंदों की मौत 



अजमेर।दरगाह क्षेत्र में मध्य रात्रि बाद एक गेस्ट हाउस के गंदे पानी के हौद से तीन लाशें मिलने से सनसनी फैल गई। हौद की सफाई करने के दौरान यह हादसा पेश आया। गेस्ट हाउस का एक कारिंदा रविवार रात हौद की सफाई करते समय हादसे का शिकार हुआ जबकि दो अन्य उसकी जान बचाने की कोशिश में काल का ग्रास बन गए। हादसे की सूचना पाकर पहुंचे दरगाह थाना पुलिस ने शवों को बाहर निकाला। दो कारिंदों की पहचान हो गई है जबकि पुलिस तीसरे मृतक की शिनाख्त के प्रयास में जुटी है।

पुलिस के अनुसार हटूंडी निवासी अकबर ने मध्य रात्रि गेस्ट हाउस की रसोई में स्थित गंदे पानी के हौद की सफाई करना शुरू किया। अकबर ने ज्यों ही हौद का ढक्कन खोला वह असंतुलित होकर उसमें जा गिरा। उसे गिरता देख मैनेजर शेख सलीम ने बचाने का प्रयास किया। इस बीच वह भी हौद में जा गिरा। यह देख वहां मौजूद एक अन्य गेस्ट हाउस के कर्मचारी ने अकबर एवं सलीम को बचाने की कोशिश की। वह भी नाकाम रहा और खुद भी हौद में गिर गया। 


उनके गिरने की सूचना मिलते ही दरगाह बाजार में शोर मच गया। पुलिस ने तीनों को बाहर निकाला तब तक वे दम तोड़ चुके थे। शवों को जवाहरलाल नेहरू अस्पताल के चीरघर में रखा है। पुलिस ने तीनों की मौत संदिग्ध परिस्थिति में होना मानते हुए अनुसंधान शुरू कर दिया है। 


हौद में बनी गैस से हादसा


पुलिस ने प्रारंभिक अनुसंधान के आधार पर हौद में जहरीली गैस बनने से हादसा होना माना है। दरअसल हौद में रसोई के गंदे पानी की निकासी होती है। इसे लम्बे समय बाद सफाई के लिए खोला गया। फिलहाल पुलिस का मानना है कि उसमें से निकली गैस की वजह से तीनों कारिंदे बेहोश होकर हौद के पानी में डूब गए।



चौथे की बची जान

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार तीनों के गिरने के बाद एक अन्य कर्मचारी ने उन्हें बचाने की कोशिश की। हालांकि वह ज्यों ही हौद तक पहुंचा, गैस की वजह से उसका दम घुटने लगा। नतीजतन वह घबराकर पीछे हट गया। उसी ने अन्य लोगों को हादसे की सूचना दी।