बुधवार, 1 अगस्त 2012

बाडमेर जैसलमेर कन्या हत्या का कलंक धोने में जुटे देवड़ा के युवा





जैसलमेर के बसिया क्षेत्र में राजपूत परिवारों के आँगन में खिलते फूल 
कन्या हत्या  का कलंक धोने में जुटे देवड़ा के युवा
जिस जमी को बेटियों की कब्रगाह कहा जाता था उसी रेलिले राजस्थान के देवड़ा गाव के युवा  अपने पुरखो के कलंक को धोने के साथ साथ आज बेटी को न केवल बचने का बल्कि उसके सम्पूर्ण लालन पोषण का जिम्मा अपने कंधे पर उठा चुके है . उनका यह काम न केवल काबिल-ए- गोर है बल्कि काबिल -ए- तारीफ है . 
 जैसलमेर 

बाडमेर बाडमेर जैसलमेर जिलों की सरहद पर बसे देवडा गांव में अब किसी भाई की कलाई सूनी नही हैं।कई सदियों तक इस गांव के ठाकुरों के परिवारों में किसी कन्या का जन्म नही होने दिया,मगर बदलाव और जागरूकता की बयार के चलतें इस गांव में अब हर आंगन बेटी की किलकारियॉ गूॅज रही हैं।इस गांव के भाईयों की कलाईयॉ सदियों तक सूनी रही।सामाजिक परम्पराओं और कुरीतियों के चलते इस गॉव सहित आसपास के दर्जनों गांवों सिंहडार,रणधा,मोडा,बहिया,कुण्डा,गजेसिंह का गांव,तेजमालता,झिनझिनियाली,मोघा,चेलक में कन्या के जन्म लेते ही उसें मार दिया जाता था।जिसके चलतें ये गांव बेटियों से वीरान थे।कोई एक दशक पहलें गांव में ठाकुर इन्द्रसिह के घर पहली बारात आई थी।जो पूरे देश में सूर्खियों में छाई थी।आमिर खान के सत्मेव जयते के प्रथम प्रसारण के बाद एक बार फिर देवड़ा और बसिया क्षेत्र चर्चाओ में आ गया था .गत तीन माह में जैसलमेर में नवजात कन्याओं के चार शव बरामद भी हुए मगर इस बसिया क्षेत्र में अब इस कलंक से निजात मिली हें .बसिया में अब कन्याओं को लक्ष्मी का रूप मान उन्हें उचित मान सम्मान देकर पढ़ाया लिखाया जा रहा हें .देवड़ा के युवा उत्तम सिंह भाटी ने बताया की देवड़ा में कन्या के प्रति अब काफी जागरूकता आई हें .अब हर घर में बालिकाए अपनी जिंदगी जी रही हें ,उन्हें पढाया लिखाया जा रहा हें ,उच्च शिक्षा के लिए आगे बड़े शहरों में भी भेजा जा रहा हें ,बसिया के
अब इस गांव में शिक्षा तथा सामाजिक जागरूकता के चलतें बेटियों को बडे नाज से पाला जा रहा हैं।इस गांव के हर परिवार में बेटी हैं।गांव की जागरूकता की सबसे बडी मिशाल हैं।इस गांव में उच्च प्राथमिक स्तर का विद्यालय है।पांच साल पहले इस विद्यालय में एक भी बेटी का नामांकन नही था।आज इस विद्यालय में लगभग 35 बालिकाऐं शिक्षित हो रही हैं।विद्यालय के प्रधानाध्यापक देवाराम मेघवाल ने बताया कि इतना बदलाव नई पी के युवाओं के शिक्षित होने तथा शहरी माहौल में रहने के कारण आया हैं।गांव के युवा शिक्षित हो गयें सरकारी सेवाओं के साथ,वकालात,व्यापार में आ गयें।
इस गांव के बुजुर्ग मलसिंह भाटी ने बताया कि विभाजन से पहले जैसलमेर के इन गांवों में अफगानी आताताइयों का आंतक था।अफगानी हुर लडकियों को उठा कर ले जाते थे।इसी से बचने के लिऐं भाटीयों के 12 गांवों ने सामुहिक निर्णय किया था कि घर में कन्या का जन्म नहीं होने देंगें।इसके बाद इसने कुप्रथा का जन्म ले लिया।सदियों तक इन गांवों में कन्या का जन्म होने नही दिया।रक्षा बन्धन का पता गांव में तब लगता जब शहर से ब्राहमण राखी बांधने गांव आता।अब बदलाव की बयार चल पडी हैं कि सिंहडार में 20,देवडा में 43,बहिया में 30 कन्याऐं घरों की रोशनी बा रही हैं।बहुत खुशी होती कि लक्ष्मी रूप कन्याऐं हमारे आंगन की शोभा बा रही हैं।

शहरी क्षैत्र का सकारात्मक प्रभाव के कारण आज घरों में कन्याऐं बडें नाज से पल रही हैं।पंचायत समिति के पूर्व सदस्य दुर्जनसिंह भाटी नें बताया कि सामाजिक जागरूकता और शिक्षा के कारण गांव में कुरीतियों का अन्त हो गया।जिन घरों में सदियों से बालिकाऐं नही थी,उन घरों के ऑगन बेटियों की खुश्बु से महक रहें हैं। हमारी कलाईयों पर कभी राखी नही बंधी।हमारी कलाईयॉ आज भी सूनी हैं।मगर आज की पी के हर भाई की कलाई पर राखी सजती हैे।

इस गांव की बुजुर्ग महिला श्रीमति हरखा कंवर ने बताया कि दस साल पहले तक इस गांव में राखी का त्यौहार मनाया ही नही जाता था क्योकि बहनें थी ही नहीं।अब हर घर में कन्या होने के कारण विशोष रूप से राखी सामुहिक रूप से मनाया जाता हैं।अब पुरानी बातें काला इतिहास हो गयी।अब नई उम्र की नइ र्फुसलें हैं।जी सोरो होवे जदै छोरियों नें स्कूल जावते देखा।गांव में आया बदलाव कन्या वघ के कलंक को धोने के लियें काफी हैं।यह बदलाव केवल देवडा गांव में ही नही अपितु आसपास के सभी उन गांवों में आया हैं,जहॉ कन्या को जन्म लेते ही मारने की कुर्प्रथा थीा।इन गांवों में रक्षा बन्धन का पर्व बडी धूमधाम से मनायार जाता हैं।परम्परागत रूप से मांगणियार गाने बजाने आते हैं ,हशी खुशी से बहनें भाइयों के राखी बांधती हें।कल तक कन्याओं के वध करने वाले हाथ आज बडे नाज से कन्याओं को पाठशाला शिक्षा के लिऐं भेजते हैं।सिहडार गांव की दिव्या नवी कक्षामें तथा नेमु कंवर ग्यारवीं वीं कक्षा में पढ रही हैं।

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आइये इस राखी (02 अगस्त,2012 ) को बनायें यादगार....इन उपायों द्वारा....


पंडित दयानन्द शास्त्री 
इस वर्ष पूर्णिमा तिथि का आरम्भ 1 अगस्त 2012 को सुबह 10 बजकर 59 मिनट से हो जाएगा | परन्तु सुबह 

10 बजकर 59 मिनट से से रात्रि 9 बजकर 59 तक भद्राकाल रहेगा |
इसलिए यह त्यौहार इसदिन न मनाकर अगले दिन 2 अगस्त को मनाया जाएगा |
वास्तु विशेषज्ञ एवं ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री (मोबाईल-09024390067 ) के अनुसार 2 अगस्त के दिन पूर्णिमा तिथि सुबह 8 बजकर 58 तक रहेगी | इसलिए इस दौरान राखी बांधना शुभ रहेगा |
रक्षाबंधन का पर्व जहां भाई-बहन के रिश्तों का अटूट बंधन और स्नेह का विशेष अवसर माना जाता है। रक्षाबंधन एक भारतीय त्यौहार है जो श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। सावन में मनाए जाने के कारण इसे सावनी या सलूनो भी कहते हैं।
राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चांदी जैसी मंहगी वस्तु तक की हो सकती है।
राखी सामान्यतः बहनें भाई को बांधती हैं परंतु ब्राहमणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित संबंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बांधी जाती है।

राखी का त्योहार कब शुरू हुआ यह कोई नहीं जानता। लेकिन भविष्य पुराण में वर्णन है कि देव और दानवों में जब युध्द शुरू हुआ तब दानव हावी होते नज़र आने लगे।
भगवान इन्द्र घबरा कर बृहस्पति के पास गये। वहां बैठी इंद्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन रही थी। उन्होंने रेशम का धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र कर के अपने पति के हाथ पर बांध दिया। वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था।
लोगों का विश्वास है कि इंद्र इस लड़ाई में इसी धागे की मंत्र शक्ति से विजयी हुए थे। उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बांधने की प्रथा चली आ रही है। यह धागा धन,शक्ति, हर्ष और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना जाता है।
स्कन्ध पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भागवत में वामनावतार नामक कथा में रक्षाबन्धन का प्रसंग मिलता है। कथा कुछ इस प्रकार है- दानवेन्द्र राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयत्न किया तो इन्द्र आदि देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थ्रना की। तब भगवान ने वामन अबतार लेकर ब्राम्हण का वेष धारण कर राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंचे। गुरु के मना करने पर भी बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी।
भगवान ने तीन पग में सारा अकाष पाताल और धरती नाप कर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। इस प्रकार भगवान विष्णु द्वारा बलि राजा के अभिमान को चकानाचूर कर देने के कारण यह त्योहार 'बलेव' नाम से भी प्रसिद्ध है। हते हैं कि जब बाली रसातल में चला गया तब बलि ने अपनी भक्ति के बल से भगवान को रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया। भगवान के घर न लौटने से परेशान लक्ष्मी जी को नारद जी ने एक उपाय बताया।
उस उपाय का पालन करते हुए लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जाकर उसे रक्षाबन्धन बांधकर अपना भाई बनाया और अपने पति भगवान बलि को अपने साथ ले आयीं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। विष्णु पुराण के एक प्रसंग में कहा गया है कि श्रावण की पूर्णिमा के दिन भागवान विष्णु ने हयग्रीव के रूप में अवतार लेकर वेदों को ब्रह्मा के लिए फिर से प्राप्त किया था। हयग्रीव को विद्या और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है।

इन उपायों से होगा आपको लाभ....जरुर करें---

1. भाई-बहन साथ जाकर गरीबों को धन या भोजन का दान करें।
2. गाय आदि को चारा खिलाना, चींटियों व मछलियों आदि को दाना खिलाना चाहिए। इस दिन बछड़े के साथ गोदान का बहुत महत्व है।
3. ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान दें और भोजन कराएं।
4. अगर कोई व्यक्ति पूरे माह शिव उपासना से वंचित रहा है तो अंतिम दिन शिव पूजा और जल अभिषेक से भी वह पूरे माह की शिव भक्ति का पुण्य और सभी भौतिक सुख पा सकता है।
5. यमदेव की उपासना का उपाय भाई-बहन और कुटुंब के लिए मंगलकारी माना गया है।शाम के वक्त यमदेव की प्रतिमा की पंचोपचार पूजा यानी गंध, अक्षत, नैवेद्य, धूप, दीप पूजा करें। इसके बाद घर के दरवाजे, रसोई या किसी तीर्थ पर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर नीचे लिखे चमत्कारी यम गायत्री मंत्र का यथाशक्ति या 108 बार जप करें - यम गायत्री मंत्र - “ ऊँ सूर्य पुत्राय विद्महे। महाकालाय धीमहि। तन्नो यम: प्रचोदयात्।। “
6. राखी बांधते समय बहनें निम्न मंत्र का उच्चारण करें, इससे भाईयों की आयु में वृ्द्धि होती है.

“येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: I तेन त्वांमनुबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल I “

राखी बांधते समय उपरोक्त मंत्र का उच्चारण करना विशेष शुभ माना जाता है. इस मंत्र में कहा गया है कि जिस रक्षा डोर से महान शक्तिशाली दानव के राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से में तुम्हें बांधती हूं यह डोर तुम्हारी रक्षा करेगी.
7. इस दिन एक पौधा ज़रूर लगाए।
इस राखी को अपनी राशी अनुसार मनाएं शुभ रंगों के प्रयोग द्वारा यह राखी शुभ-लाभकारी ---
( केसा हो आपकी राखी का रंग...???)-
“मेष-लाल,” केसरिया व पीली राखी भी शुभ रहेगी। केसर का तिलक लगाएं तथा वस्त्र या रूमाल पीले रंग का भेंट करें।
“वृष-सफेद,” चांदी की राखी भी बांध सकते हैं। रोली का तिलक लगाएं तथा सफेद रंग का रूमाल भेंट करें।
“मिथुन-हरा,” हल्दी का तिलक लगाएं और गहरे हरे रंग का रूमाल भेंट करें।
“कर्क-सफेद,” तिलक चंदन का हो। रूमाल का रंग क्रीम या हल्का पीला रखें।
“सिंह-लाल,” हल्दी मिश्रित रोली के तिलक लगाएं। हरा अथवा गुलाबी रंग का रूमाल अपने भाई को भेंट करें।
“कन्या-हरा मूंगिया,” हल्दी व चंदन के मिश्रण से तिलक करें। रूमाल सफेद या ग्रे रंग का भेंट करें।
“तुला-क्रीम,” केसर का तिलक करें व सफेद रंग का रूमाल दें।
“वृश्चिक-नारंगी,” रोली का तिलक लगाएं व क्रीम रंग का रूमाल भेंट करें।
“धनु-पीला,” हल्दी व कुमकुम का तिलक करें। रूमाल सुर्ख लाल रंग का भेंट करें।
“मकर- नीला,” केसर का तिलक लगाएं व रूमाल सफेद रंग का हो तो बेहतर रहेगा।
“कुंभ-हल्का नीला,” हल्दी का तिलक करें। रूमाल का रंग फीरोजी या आसमानी नीला शुभ रहेगा।
“मीन-बसंती या केसरिया,” हल्दी का तिलक लगाएं व रूमाल सफेद रंग का भेंट करें।

थलसेनाध्यक्ष का जयपुर से प्रस्थान

थलसेनाध्यक्ष का जयपुर से प्रस्थान


भारतीय थलसेनाध्यक्ष जनरल विक्रम सिंह तथा श्रीमती बबल्स सिंह, केन्द्रीय आवा अध्यक्षा सप्त शक्ति कमान के दो दिवसीय सफल दौरे के बाद भठिण्डा के लिए रवाना हुए। प्रस्थान करने से पहले सेनाध्यक्ष ने राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत से मुलाकात की। उन्होंने सिविल व सैन्य संबंधों तथा आपसी सहयोग के बारे में विस्तार से चर्चा की। इस दौरान सिविल व मिलिट्री प्रतिनिधियों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। राजस्थान सरकार द्वारा राजस्थान भूतपूर्व सैनिक निगम की स्थापना तथा सेना की कल्याणकारी योजनाओं के लिए भूमि और आर्थिक सहायता के प्रावधान पर विशोष रूप से चर्चा हुई। थलसेनाध्यक्ष ने राजस्थान सरकार द्वारा सिविल मिलिट्री सहायता के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों के लिए विशोष धन्यवाद दिया।



थलसेनाध्यक्ष तथा केन्द्रीय आवा अध्यक्षा, आर्मी कमाण्डर दक्षिण पिश्चमी कमान तथा क्षेत्रीय आवा अध्यक्षा के साथ चेतक कोर भठिण्डा के लिए रवाना हुए। इसके बाद वे दिल्ली वापस लौटेंगे।

आज भी कायम हैं धर्मेला करने की अनूठी परम्परा

थार की परंपरा पर विशेष आलेख

आज भी कायम हैं धर्मेला करने की अनूठी परम्परा

चन्दन सिंह भाटी

धर्म बहन के लिए मर मिटता हें धर्म भाई

बाडमेर भाई बहन के पवित्र रिश्तो का रक्षा बंधन भारतीय परम्पराव का प्रतिक हें ,इस त्यौहार पर भले ही सगे भाई बहन एक दुसरे के प्रति फर्ज निभाने की रश्म अदायगी करते हें ,सीमावर्ती बाड़मेर जिले में धरम भाई बनाने की परम्परा अनूठी हें .धर्मेला करने का यह रिश्ता जीवन पर्यंत बखूबी निभाया जाता हें ,थार नगरी की संस्कृति सभ्यता एवं परम्पराएं समृद्ध हैं। यहां की लोक संस्कृति, सभ्यता तथा परम्परा का जो रूप देखने को मिलता हैं वह सदियों से निर्वाह होता आ रहा हैं। ग्रामीण अंचलो से लेकर आधुनिक शहर में आज भी परम्पराओं का निर्वाह होता हैं।

क्षौत्र में धर्मेला करने की अनूठी परम्परा यहां की लोक संस्कृति व सभ्यता को ऊंचाई प्रदान करती हैं। परम्परा अनुसार ’’नवविवाहिता’’ जब शादी कर ’’ससुराल’’ पहली बार आती हैं तो अनजानी जगहों पर ’’अपनों’’ की कमी महसूस होती हैं। गोवों में तो आज भी युवक काम की तलाश में आज भी परदेश जाते हैं। पति के परदेश कमाने जाने के बाद नव विवाहिता घर में अकेली अपने मायके की याद में आंसू न बहाए मायके की याद कुछ कम हो इसके लिए गांव में ही नव विवाहिता को अच्छे परिवार के ’’खोले’’ डाला जाता हैं, जिसे स्थानीय भाषा में धर्मेला करना कहते हैं। धर्मेला की परम्परा में धर्मभाई या धर्म पिता बनाने की परम्परा हैं। धर्मेला में विवाहिता को अपने पीहर जितनी इज्जत, मान, सम्मान अपने दूसरे धर्मेले पीहर मे मिलता हैं। ब्याह, विवाह, सगाई, तीज, त्यौहार पर धर्मेला परिवार अपनी पुत्री के समान विवाहिता को सम्मान देते हैं। अपणायत व आत्मीयता के दर्शन मालाणी क्षेत्र में ही सम्भव हैं। इसी मस्स्थलीय जिले में ’’बाईबहनों’’ को ’’पानी पिलाने’’ की लोक परम्परा का निर्वाह आज भी कायम हैं। पुत्री के प्रथम प्रसव के सातवें अथवा नवें माह के प्रारम्भ में उसे सफल प्रसव हेतु ससुरालपीहर लाया जाता हैं। इसमें पिता अथवा भाई अपनी पुत्री अथवा बहन के प्रसव से पूर्व अच्छा मुहूर्त देखकर पीहर के लिए विदा करते हैं। प्रसव पश्चात पहीर पक्ष से अपनी पुत्री को ’’रीत’’ देकर ससुराल पहुंचाई जाती हैं। मायके में पुत्री को पूरा मान सम्मान थार की परम्परा हैं। मायरा लोक परम्परा में ऊंचा स्थान रखता हैं। भाईबहन के मधुर व आत्मीय सम्बन्धों को साकार व सुदृ़ करने की परम्परा बहुत पुरानी हैं। इस परम्परानुसार बहन के बड़े पुत्र या पुत्री की शादी से पूर्व ननिहाल की ओर से भेंट जाती हैं। यह भेंट जिसमें कपड़े, आभूषण, नकदी, फल, मिठाई आदि होती हैं को अपने लोगो को साथ लेकर थालों में सामान सजाकर बहन के घर ससम्मान पहुंचाया जाता हैं। ’’मायरा’’ लेकर आए भाई व परिजनों को कुंकुमटीका लगाकर आरती उतार कर ससम्मान घर में प्रवेश दिया जाता हैं। भाईबहन को चूनडी ओ़ाकर सिर पर हाथ फेरता हैं तथा बहन के साथ अपने आत्मीय व मधुर सम्बन्धों का साक्षी बनाता हैं। ’’मायरा’’ सभी लोगो को दिखाया जाता हैं। धर्मेला करने के साथ ही इसे हर परिवार सगे रिश्तो से ज्यादा महत्त्व देकर निभाया जाता हें ,--

एक्सईएन के बेटे का अपहरण, 50 लाख की फिरौती मांगी



भीलवाड़ा. शहर के शिवाजी गार्डन से मंगलवार शाम पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन भीमराव पिंजारे के नौ वर्षीय बेटे मधुर का अपहरण कर लिया गया। मांडलगढ़ में नियुक्त एक्सईएन से अपहरणकर्ताओं ने देर रात बच्चे की रिहाई के बदले 50 लाख रु. की मांग की। पुलिस ने रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, होटलों में तलाश की, लेकिन अपहरणकर्ताओं का कोई सुराग नहीं मिला। पुलिस को पता चला है कि जिस मोबाइल से पिंजारे के पास फोन आया, वह चित्तौड़गढ़ की एक महिला के नाम से है। इसके अलावा लैंडलाइन फोन से जो तीन कॉल आए, वे भी चित्तौड़गढ़ से किए गए थे। देर रात तक रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, होटल व धर्मशालाओं में तलाश जारी थी। एसपी डॉ. नितिनदीप ब्लग्गन ने बताया कि भीमराव पिंजारे मूलत: बैतूल (मप्र) के रहने वाले हैं। वे आरसी व्यास कॉलोनी में किराये से रहते हैं। मंगलवार शाम साढ़े चार बजे उनका छोटा बेटा मधुर साइकिल से शिवाजी गार्डन गया था। वह साढ़े छह बजे तक नहीं लौटा तो पिंजारे की पत्नी पूजा ने तलाश शुरू की। गार्डन के बाहर झाड़ियों में साइकिल तो पंक्चर हालत में मिल गई, लेकिन मधुर नहीं मिला। पूजा ने पति को सूचना दी। वे पुर रोड स्थित ऑफिस से मीटिंग छोड़कर घर पहुंचे। उन्होंने भी मधुर को तलाशा, लेकिन कहीं पता नहीं लगा। देर शाम पिंजारे के मोबाइल पर मोबाइल से फोन आया। फोनकर्ता ने मधुर उसके कब्जे में होने तथा उसकी रिहाई के लिए 50 लाख रु. देने की मांग की। मधुर मंदबुद्धि है और दूसरी कक्षा में पढ़ता है। उसने आसमानी टीशर्ट व इसी रंग की नेकर पहन रखी है। पिंजारे का बड़ा बेटा निहिर आठवीं में पढ़ रहा है।

बेटे अखिलेश की सरकार से नाराज हैं मुलाय‍म, दी चेतावनी



लखनऊ।उत्तरप्रदेश की अखिलेश यादव 'भैयाजी' की सरकार से खुद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह 'नेताजी' खुश नहीं हैं। उन्होंने साफ चेतावनी दी कि सरकार के मंत्री सुधर जाएं वरना कड़े व कड़वे फैसले लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चार महीने में सरकार जनता को परिवर्तन का संदेश देने में नाकाम रही है।



मुलायम सिंह सपा विधानमंडल दल की बैठक को संबोधित कर रहे थे। यादव ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने पांच साल तक बसपा राज के कुशासन के खिलाफ संघर्ष किया। इस सरकार से जनता को काफी उम्मीदें है। तमाम कठिनाइयों के बावजूद उन उम्मीदों को पूरा करने का उत्तरदायित्व सरकार पर है। इसमें कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी।



यह बैठक मुख्यमंत्री आवास पर अखिलेश यादव की अध्यक्षता में हुई। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि विधायकों, मंत्रियों को सन् 2014 के लोकसभा चुनावों को भी ध्यान में रखना चाहिए। इन चुनावों से केंद्र में सपा को मजबूती मिलेगी। इस वजह से केंद्र में कोई भी सरकार समाजवादी पार्टी के बिना नहीं बनेगी।

राजस्थान को सूखे से निबटने के लिए 424 करोड़ रु. का पैकेज

नई दिल्ली. देश के आधे से ज्यादा भाग में कमजोर मानसून की स्थिति से निपटने के लिए केंद्र ने मंगलवार को कई उपाय किए। इसके तहत सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहे राज्यों के लिए 2,000 करोड़ रुपए का राहत पैकेज मंजूर किया गया। राजस्थान को 424 करोड़ रुपए मिलेंगे। साथ ही खड़ी फसल बचाने के लिए किसानों को 50 प्रतिशत डीजल सब्सिडी देने का भी निर्णय हुआ। कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में सूखे पर गठित अधिकार प्राप्त मंत्री समूह (ईजीओएम) की बैठक में यह घोषणा की गई। देश के 627 जिलों में से लगभग 64% जिलों में कम बारिश हुई है। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में स्थिति गंभीर है। किस राज्य को क्या? राज्यराशि (करोड़ रु.) राजस्थान424 महाराष्ट्र 501 गुजरात 320 कर्नाटक 195 यह भी मिला453 करोड़ रुपए इन क्षेत्रों में पीने के पानी की आपूर्ति सुधारने 50 करोड़ रुपए पशु चारे की पैदावार बढ़ाने के लिए दिए जाएंगे। इन्हें डीजल सब्सिडी जहां 15 जुलाई तक बारिश सामान्य से 50 प्रतिशत कम रही है। जिन्हें राज्यों ने सूखा प्रभावित घोषित कर दिया है। जहां 15 दिन या इससे अधिक समय से बारिश नहीं हुई है। सब्सिडी का भार केंद्र और राज्य बराबर-बराबर वहन करेंगे।

दरिंदो ने ले ली बालिका की जान, कानून के रखवाले भी दे रहे हैं धोखा


दरिंदो ने ले ली बालिका की जान, कानून के रखवाले भी दे रहे हैं धोखा

बाड़मेर जिले के गुडा थाना क्षेत्र के सिंधासवा हरणियान गांव में एक बालिका की मौत को लेकर मंगलवार को बवाल हो गया। जोगी समुदाय के लोग भाजपा नेता सांवलाराम व उसके साथियों द्वारा मारपीट किए जाने के बाद उसकी मौत होने पर हत्या का आरोप लगाते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए शव लेकर बैठ गए।

लोगों का आरोप है कि पुलिस प्रभावशाली नेता की वजह से एकतरफा कार्रवाई कर रही है। हालात को देखते हुए वहां पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट  ने बताया कि बुधवार को परिजनों की मांग के अनुरूप शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा और उसकी रिपोर्ट के आधार पर पूर्व में दर्ज प्रकरण में धाराएं जोड़ी जाएगी।

जानकारी के अनुसार गुड़ामालानी के सिंधासवा हरणियान में एक जमीन से अतिक्रमण हटाया गया था। इस कार्रवाई के दौरान भाजपा नेता सांवलाराम व अन्य ने जोगी समाज के इस परिवार के साथ कथित रूप से मारपीट की। इसमें जीयो देवी पत्नी लालाराम जोगी की बेटी पिंटू कुमारी के चोटें पहुंची। इस घटना के संबंध में गत 10 जुलाई को गुड़ामालानी थाने में मामला दर्ज करवाया गया था।

तत्पश्चात् जोगी परिवार जालोर चले गए और वहां पिंटू का उपचार कराया गया, लेकिन इस दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद उसके परिजन शव लेकर सिंधासवा हरणियान पहुंचे और भाजपा नेता पर हत्या का आरोप लगाते हुए शव के साथ धरने पर बैठ गए। मामले की जानकारी मिलने पर एएसपी हनुमानराम विश्नोई व अन्य अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और धरने पर बैठे लोगों से समझाइश का प्रयास किया। देर रात तक शव का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया था।

क्या है मामला

पुलिस थाना गुड़ामालानी में 10 जुलाई को जीयो देवी पत्नी लालाराम ने मामला दर्ज करवाया था कि भाजपा नेता सांवलाराम पटेल पुत्र रुघाराम, समरथा पुत्र रुघाराम, नारणा पुत्र मूला, पुरखा पुत्र गंगा, भूपा पुत्र लक्ष्मण, मांगा पुत्र लक्ष्मणा, खिमा पुत्र लक्ष्मणा ने उसके परिवार को घर से बेघर किया। इस दौरान उसके व पुत्री के साथ मारपीट कर लज्जा भंग की।

EXCLUSIVE: 90वें जन्‍मदिन पर खुलेंगे दिलीप कुमार और पाकिस्‍तानी हसीना की लव स्‍टोरी के राज

 

नई दिल्ली। हिंदुस्तानी सिनेमा के लिविंग लीजेंड दिलीप कुमार 11 दिसंबर 2012 को 90 साल के हो जाएंगे। उनके प्रशंसकों के लिए यह मौका होगा उनकी जिंदगी के जाने-अनजाने पहलुओं से रू-ब-रू होने का। दरअसल इसी दिन दिलीप कुमार की पहली आधिकारिक आत्मकथा जारी होगी। इसमें पेशावर से बंबई (अब मुंबई) तक की उनकी यात्रा और सहयोगी अभिनेत्रियों से जुड़े रोचक प्रसंगों को उन्हीं की जुबानी बयां किया गया है। पाकिस्तानी हसीना अस्मा के साथ उनकी नजदीकियों को भी पुस्तक में स्थान दिया गया है। वरिष्ठ फिल्म लेखिका और सायरा बानो की मित्र उदयतारा नायर की मदद से आत्मकथा को अंतिम रूप दिया गया है।

अब तक तीन पुस्तकें

दिलीप कुमार पर अभी तक विनीता लांबा, संजीत नावरेकर और लॉर्ड मेघनाद देसाई की पुस्तकें आ चुकी हैं। लेकिन यह पहली आधिकारिक आत्मकथा होगी। 2013 में हिंदी सिनेमा के 100 साल पूरे होंगे और दिलीप साहब के फिल्मी सफर के 68 साल। करीब 600 पेज की यह आत्मकथा अंग्रेजी में कॉफी टेबलबुक जैसी होगी। इसमें दिलीप कुमार और उनके परिवार की कई एक्सक्लूसिव तस्वीरें भी होंगी। हिंदी और उर्दू में यही किताब पेपर बैक संस्करण के तौर पर उतारी जाएगी, जो सस्ती होगी।

इसलिए हुए रजामंद

शुरुआत में दिलीप कुमार नहीं चाहते थे किउनकी आत्मकथा प्रकाशित हो। वे कहते थे कि उनका जीवन इतना महत्वपूर्ण नहीं रहा किइस बारे में जानने की लोगों में रुचि हो। लेकिन अपने बारे में प्रकाशित एक दिवंगत फिल्म प्रचारक-लेखक की किताब के कुछ बयानों या अन्य जानकारियों का जब उन्हें पता चला तो वे काफी नाराज थे। पत्नी सायरा बानो समेत कुछ नजदीकी लोगों को उन्होंने बताया कि किताब की कई जानकारियां गलत हैं। इसमें छपे बयान उनके हैं ही नहीं। इस पर सायरा ने कहा कि इतिहास में वही झूठी बातें दर्ज न हो जाएं, इसलिए जरूरी है कि आप आत्मकथा पर काम करें। करीब तीन साल पहले दिलीप साब ने फिल्म लेखिका उदयतारा से अनुरोध किया कि वे आत्मकथा पर काम शुरू करें।

दो हिस्सों में है पुस्तक

आत्मकथा दो हिस्सों में है। पहले में पेशावर (अब पाकिस्तान) से शुरू हुए यूसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार की फिल्मी सफर की कहानी उन्हीं की जुबानी है। दूसरे हिस्से में अमिताभ बच्चन, सलीम खान, रमेश शिप्‍पी, यश चोपड़ा, सुभाष घई , सायरा बानो और वैजयंती माला जैसी हस्तियों की टिप्‍पणियां और अनुभव हैं। पुस्तक में कई ऐसी जानकारियां और प्रसंग हैं जो अब तक लोगों के सामने नहीं आए हैं। क्या पुस्तक में उनके जीवन से जुड़ी रोमांटिक घटनाओं और विवादों का भी जिक्र है, इस परतारा ने बताया कि दिलीप साब ने कामिनी कौशल, वहीदा रहमान, मधुबाला जैसी सह कलाकारों के बारे में विस्तार से बातचीत की है। वैसे वे यह दावा नहीं कर रहे कि उस जमाने की सभी हीरोइनें उनसे प्रेम करती थीं। हां, सायराजी के साथ लंबे समय तक चली लव स्टोरी पर जरूर उन्होंने लंबी बात की है। पाकिस्तानी हसीना अस्मा से रिश्ते पर पुस्तक में क्या है, इस पर तारा ने कहा कि इस बारे में दिलीप कुमार तो नहीं, लेकिन सायरा बानो बोली हैं। सायरा ने बताया है कि किस तरह यह उनके जीवन के सबसे कष्टप्रद दौर में से था। अस्मा और दिलीप कुमार के रिश्ते की शुरुआत सुभाष घई की फिल्म 'विधाता' की शूटिंग के दौरान हुई थी। घई ने पुस्तक में जानकारी दी है कि किस तरह ताज नगरी आगरा में शूटिंग के दौरान दिलीप-अस्मा के बीच मुलाकातें हुईं और इश्क परवान चढऩे लगा।

साथ ही होगी डॉक्यूमेंट्री रिलीज

आत्मकथा के साथ दिलीप कुमार के जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री भी रिलीज होगी। उनके बंगले में लगा एक कैमरा इसे रिकॉर्ड करता रहा है। इसके अलावा मुंबई के शेरिफ के तौर पर दिलीप कुमार के भाषण और पाकिस्तान दौरे के उनके संबोधन को भी इकट्ठा किया जा रहा है। दिलीप साहब द्वारा लिए गए अशोक कुमार (अब स्वर्गीय) के इंटरव्यू को भी डाक्यूमेंट्री में स्थान दिया जा रहा है। इसकी डीवीडी कम कीमत पर उपलब्ध होगी।