रविवार, 1 जुलाई 2012

पत्रकार बालमुकुन्द जोशी को पश्चिम रेलवे की मुम्बई डिवीजनल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति का सदस्य मनोनीत

 पत्रकार बालमुकुन्द जोशी को पश्चिम रेलवे की मुम्बई डिवीजनल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति का सदस्य मनोनीत 
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सीकर के पत्रकार बालमुकुन्द जोशी को पश्चिम रेलवे की मुम्बई डिवीजनल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति का सदस्य मनोनीत किया गया है।


जोशी को पश्चिम रेलवे मुम्बई क्षेत्र में आने वाले रेलवे स्टेशनों की ड्यूटी पर मौजूद स्टेशन मास्टर के साथ जांच करने के लिए अधिकृत किया गया हैै। इसके अलावा जोशी ठेकेदारों अथवा विभागीय तौर से चलने वाले दोनों प्रकार के खान-पान एवं वैनिन्डंग संस्थापनों और गाडिय़ों में लगे रेतरां भोजन बर्फयानों का निरीक्षण करने के लिए भी अधिकृत किये गये हैं। श्री जोशी पूर्व में उार पश्चिम रेलवे की क्षेत्रिय एवं उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति (जेडआरयूसीसी) के सदस्य भी रह चुके हैं।

शोभायात्रा में फायरिंग,महिला की मौत

शोभायात्रा में फायरिंग,महिला की मौत
भरतपुर। गांव जघीना में शनिवार सुबह करीब नौ बजे मूर्ति स्थापना के लिए निकाली जा रही शोभायात्रा के दौरान छींटाकशी करने से दो पक्ष आपस में भिड़ गए। इस दौरान फायरिंग व पथराव के बाद मची भगदड़ में महिला कमला पत्नी राजेन्द्र फौजी की ंमौत हो गई। तनाव को देखते हुए जघीना में पुलिस बल तैनात किया है।

पुलिस ने बताया कि गांव जघीना में सुबह कुंवरजीत के परिवार की ओर से ट्रैक्टर-ट्रॉली से शिव परिवार व हनुमानजी की मूर्ति स्थापना के लिए शोभायात्रा निकाली जा रही थी। शोभायात्रा दूसरे पक्ष बाबूलाल के घर के सामने से निकल रही थी, उस दौरान यहां किसी ने छींटाकशी कर दी। इस पर दोनों पक्षों में झगड़ा हो गया। देखते ही देखते वहां पथराव हुआ। इसी बीच, एक पक्ष ने फायरिंग कर दी। इससे भगदड़ मच गई। भगदड़ की चपेट में आने से महिला कमला बेसुध होकर गिर गई। बाद में अस्पताल में चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। प्रथम दृष्टया कमला की मौत का कारण हार्ट अटैक माना जा रहा है।

12 जने गिरफ्तार
पुलिस ने जघीना व आसपास के गांवों में दबिश देकर 12 जनों को गिरफ्तार कर लिया। घायल केशव पुत्र तेजा के पर्चा बयान पर 8-10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। घटना के बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण यहां थाने पहुंचे और ट्रैक्टर सहित मूर्तियों को भी ले आए। पुलिस के अनुसार गांव के कंुवरजीत व बाबूलाल के परिवार में रंजिश बनी हुई है। करीब दो वर्ष पूर्व बाबूलाल के भतीजे की हत्या हो गई, जिसमें कुंवरजीत को गिरफ्तार किया था। इसी कारण दोनों पक्षों के बीच शनिवार को घटना घटी।

साधु बनने की चाह में बन बैठा नपुंसक

साधु बनने की चाह में बन बैठा नपुंसक
अजमेर। पत्नी की मौत के बाद वियोग में डूबा राजस्थान के एक शख्स पर साधु बनने की धुन इस कदर सवार हुई कि वह इस जुनून में नपुंसक बन बैठा। नागौर के इस युवक ने शुक्रवार को अपना लिंग काट लिया, जिसके बाद उसे गंभीर हालत में अजमेर के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।

जानकारी के अनुसार पीडित युवक कैलाश नागौर बडू निवासी है। करीब 8 साल पहले कैलाश की पत्नी की मौत हो गई थी। तभी से वह मानसिक रूप से परेशान रहता था। पिछले कई दिनों से उसपर साधु बनने की धुन सवार थी। इसी चक्कर में वह अपना लिंग काट बैठा।

कैलााश के छोटे भाई राधेश्याम के अनुसार कई दिनों से उसका भाई मानसिक हालत रूप से परेशान था। वह हमेशा घर पर आध्यात्म और संयासी बनने की बात करता था। शुक्रवार को उसने लिंग काट लिया और जब उसकी हालत बिगड़ती देखी तो अस्पताल में भर्ती कराया।

फिर कोई माहि होगी शिकार इन ओपन वेल की

फिर कोई माहि होगी शिकार इन ओपन वेल की
बाड़मेर जिले के कई स्थानों पर कुएं खुले पड़े हैं, जिनमें बच्चों के गिरने की संभावना अक्सर बनी रहती है। खुले बोरवेल और मेनहोल की तरह आवासीय बस्तियों के आसपास खुले कुएं से भी बराबर खतरा बना हुआ है। ऐसा नहीं है कि इस तरह के कुओं की उपयोगिता है, बल्कि वे वर्षों से सूने पड़े है। गुडग़ांव में छह दिन पूर्व बोरवेल में गिरी मासूम बालिका माही पांच दिन बाद जिंदगी की जंग हार गई। इस घटना के बाद भास्कर टीम ने गांवों का दौरा किया तो कई स्थानों पर इस तरह की लापरवाही के कई नमूने देखने को मिले।

बाड़मेर जिले के क्षेत्र के अनेक गांवों में आज भी वर्षों पुराने कुएं पानी के अभाव में पूरी तरह सूख चुके हैं, मगर इन कुओं पर किसी तरह की सुरक्षा नहीं है। हर वक्त खुले रहने वाले इन कुओं से हादसे की आशंका लगी रहती है। इसकी जानकारी स्थानीय ग्राम पंचायत व प्रशासन को होने के बावजूद आज तक इन हादसेनुमा कुओं पर सुरक्षा कवच नहीं लगाया गया है। इस कारण आम लोगों के साथ पशुओं की जान भी खतरे में रहती है।

बालोतरा क्षेत्र की ग्राम पंचायत मंडली के विभिन्न गांव के मुख्य बस स्टैंड व सार्वजनिक भवन के पास वर्षों पुराना कुआं पानी के अभाव में पूरी तरह सूख चुका है। इस कुएं पर आज तक सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। लोगों ने इसकी जानकारी कई बार ग्राम पंचायत को दी, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। नीमतलाई गांव के लोग बताते हैं कि इस खुले पड़े कुएं से कुछ दूरी पर सरकारी स्कूल है। स्कूल की छुट्टी के समय बच्चे इस कुएं में नीचे झांकने लगते हैं। गांव के लोगों को बच्चों को दूर भगाना पड़ता है। इसी तरहबायतु ,चौहटन ,शिव ,गडरा ,धोरीमन्ना .सिंधारी .क्षेत्रो के गांव में भी कई सार्वजनिक कुँए पानी के अभाव में पूरी तरह से सूख चुके है, मगर उस पर भी आज तक सुरक्षा कवच नहीं लगाया गए है। वहीं कस्बे में नाला नंबर पांच के पास भी दो कुएं पूरी तरह जर्जर अवस्था में हैं और उन पर भी सुरक्षा कवच नहीं होने के कारण हर वक्त हादसे को न्योता दे रहे हैं।
होना यह चाहिए

जानकारों का मानना है कि जिन कुओं की उपयोगिता अब नहीं रही अथवा जिनमें पीने योग्य पानी नहीं है, ऐसे कुओं को पहले तो बंद करवा दिए जाने चाहिए और ऐसा नहीं हो पाता है तो कुएं के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाई जानी चाहिए। इससे जाने-अनजाने में भी लोग उधर से गुजरें तो हादसे का शिकार होने से बच सकें। नगर परिषद, नगर पालिका तथा ग्राम पंचायत प्रशासन आवासीय मोहल्ले में बिना उपयोगिता वाले खुदे कुओं को बंद कराए अथवा उसके चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाए, ताकि किसी तरह की अनहोनी नहीं हो। साथ ही खुद कुआं मालिक को भी इसके लिए पहल करनी चाहिए।

जिले में सरकारी योजनाओ में हज़ारो की तादाद में खुले कुओ का निर्माण किया गया कई कुँए खुदाई के बाद असफल रहने पर यूँही खुले छोड़ दिए गए .इन्हें ना तो बंद किया गया हें न ही ढक्कन लगाया गया .प्रशासन की लापरवाही से माही जेसे काण्ड इस क्षेत्र में भी हो सकते हें .जिले में भी पहले ऐसी घटाने हो चुकी हें .इसके बावजूद प्रशासन चेता नहीं

जालोर थार की धार आज के समाचार अपराध


किशोरी को भगा ले जाने का आरोप

सिरोही  मांडवा निवासी एक विधवा ने उसकी पुत्री को २२ जून की रात बहला फुसलाकर ले जाने के आरोप में युवक के खिलाफ नामजद मामला दर्ज कराया है। मांडवा निवासी एक विधवा ने पुलिस को रिपोर्ट देकर बताया कि उसकी पुत्री रात को उसके कमरे में सो रही थी। देर रात उसने देखा तो उसकी पुत्री घर में नहीं थी। उसकी तलाश करने पर पता चला कि उसका पड़ोसी कैलाश पुत्र कांतिलाल भील बहला फुसला कर ले गया। घर से जाते समय उसकी पुत्री चांदी के ६५ तोला जेवरात और २५०० रुपए भी ले गई। महिला ने बताया कि उसकी पुत्री को बहला फुसला कर ले जाने में उसके गांव की गंगा पत्नी राणा भील, ओबाराम भील पुत्र परबाराम भील और अशोक पुत्र होलाराम भील ने सहयोग किया। घटना की रिपोर्ट महिला पुलिस थाने में दर्ज करवाने के बावजूद उसका कोई पता नहीं चल सका।

कार की टक्कर से बालक की मौत

 जालोर निकटवर्ती पहाड़पुरा गांव में कार की टक्कर से दस वर्षीय बालक की मौके पर ही मौत हो गई। एसआई प्रेमाराम ने बताया कि बालोतरा की तरफ से आ रहे कार चालक लालसिंह पुत्र मानसिंह निवासी भीनमाल ने रास्ता क्रॉस कर रहे लक्ष्मण (10) पुत्र ईश्वरलाल को चपेट में ले लिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। सूचना के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर वाहन को जब्त कर चालक को गिरफ्तार किया।

एटीएम कार्ड बदलकर खाली कर देते थे अकाउंट


टीएम कार्ड बदलकर खाली कर देते थे अकाउंट



तीन सदस्यों का है गिरोह




आहोर में एटीएम बदलकर रुपए निकालने की वारदातों का खुलासा, पुलिस ने पकड़े दो आरोपी, बातों में उलझाकर बदल लेते थे एटीएम। पुलिस की सलाह- अनजान व्यक्ति को न बताएं अपना कोड

आहोर कस्बे में पिछले दिनों एटीएम कार्ड बदलकर रुपए पार करने के मामलों में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये दोनों ऐसे ही अन्य मामलों में अजमेर जेल में बंद थे। जहां से इन्हें प्रोडक्शन वारंट के तहत गिरफ्तार किया गया। इन आरोपियों ने पिछले दिनों आहोर क्षेत्र में अनेक वारदातों को अंजाम देकर लोगों के एटीएम कार्ड के जरिए उनके अकाउंट्स से रुपए निकाल लिए थे। लंबे समय से पुलिस इनमें से किसी भी मामले का खुलासा नहीं कर पाई थी। जिसके बाद अब यह आरोपी पकड़े गए हैं। पूछताछ में सामने आया है कि इनका पूरा एक गिरोह है, जिसके अधिकांश सदस्य हरियाणा के रहने वाले हैं। ये लोग भीड़भाड़ वाले एटीएम में घुसकर मदद करने के नाम पर ग्रामीणों का एटीएम बदल लेते थे और बाद में दूसरे एटीएम पर जाकर उसके अकांउट से सारी राशि निकाल लेते थे। फिर वह एटीएम किसी दूसरे को पकड़ा देते थे।

मदद के नाम पर धोखा

पुलिस के अनुसार ये लोग ऐसे एटीएम केंद्र में घुसते थे जहां भीड़ अधिक हो। भीड़ में कुछ ऐसे लोग जिनको शेषत्नपेज १७

एटीएम संचालन नहीं करना आता था। ये उसकी मदद की बात कहकर कार्ड ले लेते थे और फिर कोड नंबर पूछते थे। इसके बाद ग्रामीण के कहे अनुसार रुपए निकालकर दे देते थे, लेकिन साथ ही अपनी जेब से दूसरा कार्ड निकालकर उसे थमा देते थे। इसके बाद पास ही के किसी दूसरे एटीएम केन्द्र पर जाकर उस खाते से सारी राशि निकाल लेते थे और फिर यह कार्ड किसी दूसरे व्यक्ति को पकड़ा देते थे।

अजमेर जेल से किया गिरफ्तार

आहोर थानाधिकारी नारायणलाल विश्नोई ने बताया कि हरियाणा के भवानी खेड़ा के पास स्थित बड़सी गांव निवासी रामेहर पुत्र रघुवीर व संजू पुत्र मदनलाल साफी एटीएम कार्ड की धोखाधड़ी के मामले में बंद थे। जहां से जानकारी मिलने पर दोनों को वहां से गिरफ्तार कर आहोर लाया गया। पूछताछ में इन्होंने आहोर स्थित एक एटीएम केन्द्र से 30 जनवरी को पचानवा निवासी फतेहसिंह पुत्र अचलसिंह राजपूत का एटीएम कार्ड बदलकर उसे फर्जी एटीएम कार्ड थमा कर अन्य एटीएम केन्द्र से रुपए पार करना कबूल किया। इसके अलावा अन्य कुछ मामले भी सामने आए हैं। पुलिस दोनों से पूछताछ कर रही है।

आमजन बरतें सावधानी

॥पुलिस ने एटीएम बदलने के मामले में दो जनों को गिरफ्तार किया है। यह पूरे राज्य में कई जगहों पर वांटेड थे। वैसे इनसे पूछताछ में सामने आया है कि ये लोग मदद के नाम पर एटीएम कार्ड बदल लेते थे। ऐसे में आमजन को चाहिए कि वे सावधानी बरतें। अपना कार्ड किसी अन्य व्यक्ति को नहीं दे और ना ही केंद्र में आहरण करते समय किसी अन्य को घुसने दें। देवकिशन शर्मा, पुलिस उप अधीक्षक, जालोर

पुलिस के अनुसार एटीएम कार्ड बदलने और रुपए निकालने वाला यह एक गिरोह है। जिसमें अभी तीन जनों के नाम सामने आए हैं। जिसमें से दो जने पुलिस की पकड़ में आए गए हंै जबकि तीसरे की तलाश है।

दो दर्जन कार्ड मिले

आहोर थानाधिकारी ने बताया कि अजमेर में पुलिस की नाकाबंदी के दौरान ये दोनों हरियाणा राज्य के एक वाहन में थे। पुलिस ने गाड़ी रुकवाकर इनकी तलाशी ली तो इनके पास से करीब 20-25 एटीएम कार्ड मिले। शक होने पर पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में इन्होंने आहोर में एटीएम कार्ड बदलकर वारदातें करने की बात कही। इसके बाद आहोर पुलिस ने दोनों को अजमेर पुलिस से गिरफ्तार किया।

सत्यमेव जयते: कभी पक्के शराबी थे जावेद अख्तर

 
बॉलीवुड के मशहूर गीतकार जावेद अख्तर 26-27 साल तक घनघोर शराबी रहे। उन्होंने बताया कि 19 साल की उम्र में ग्रेजुएशन के दौरान उन्होंने शराब पीनी शुरू कर दी थी। धीरे-धीरे लत लगती चली गई। आखिरी 11-12 सालों में तो वह रोज एक बोतल शराब पीते रहे।
उन्होंने कहा कि शराब पीने के बाद आदमी के तीन रूप हो जाते हैं। या तो वह घिनौने होते हैं या गधे या दोयम। गधा इसलिए होता है क्योंकि एक ही बात को बार-बार रिपीट करता है। शराब की टेंडेंसी यह होती है कि पीने वाला धीरे-धीरे अपने डोज बढाता चला जाता है।
जावेद ने कहा कि उनको लोग इंटेलीजेंट कहते हैं लेकिन उन्होंने स्वीकार किया 'अगर मैं वाकई इंटेलीजेंट हूं तो 27 साल लगे क्यूं समझने में कि शराब इतनी बुरी चीज है। मैंने जिंदगी की सारी गलतियां शराब पीने के बाद ही की। 21 साल पहले मैं शराब छोड़ चुका हूं। लोगों को सलाह दूंगा कि शराब न पीएं।'

आमिर खान आज शो में शराब पीने की लत और उससे होने वाली बर्बादी पर चर्चा कर रहे है। इसमें सबसे पहले उन्होंने तहलका से जुड़े फेमस पत्रकार विजय सिम्हा से बात की। वह एक जमाने में बहुत बड़े शराबी रहे।
कॉलेज में दाखिल होने के बाद विजय शराबी हो चुके थे। पत्रकारिता की पढ़ाई करने के दौरान लगी शराब की लत बढती गई। दिल्ली में नौकरी लगने के बाद वह और ज्यादा पीने लगे। उन्होंने बताया कि वह जितनी बड़ी स्टोरी लिखते थे, उतनी ज्यादा पीते थे। एक बार मां-बाप उनके पास आए तो उनको उन्होंने घर से निकाल दिया। पत्रकारिता की नौकरी भी छूट गई।
उसके बाद वह दोस्तों, रिश्तेदारों और यहां तक कि घर में काम करने वाली बाई तक से पैसे उधार मांगने लगे। मां-बाप के पास गए तो उन्होंने उनको नहीं अपनाया।
विजय घर से बेघर हो गए। नौ महीने तक वह नई दिल्ली की सड़कों पर, रेलवे स्टेशन पर जीते रहे और भटकते रहे। इसके बाद नशा मुक्ति केंद्र में उनको ले जाया गया। वहां से वह भागने की सोच रहे थे।
जब वह वहां से भाग रहे थे तो एक बूढे सज्जन ने उनको भागने से रोका।

विजय ने कहा, 'वहां पांचवें दिन वही बूढे सज्जन हम सबको शराब से होने वाली बर्बादी के बारे में हम सबको बता रहे थे। मेरे अंदर जो दर्द था वह वही कह रहे थे। मेरा दर्द कोई समझ रहा था। मैंने उनसे पूछा कि उन्होंने कहा, 'मैं तो नशे की बीमारी के बारे में बता रहा था।''
विजय ने बताया कि उस पल से उन्होंने कभी मुड़के नहीं देखा। शराबी अगर फिर से जिंदगी में आना चाहे तो सबसे पहले उनको जिंदगी में किए भूलों को सुधारना चाहिए । 'हर इंसान से मैंने माफी मांगी जिनके दिल को मैंने ठेस पहुंचाया था। जब मैंने पहली बार अपने मां-बाप को घर से निकाला था उसके दो हफ्ते बाद मेरे पापा ने मुझे पत्र में लिखा- तुम्हारे जैसा बेटा होना श्राप है। एक महीने बाद उनका देहांत हुआ। मां अभी भी मुझसे अलग रहती हैं। उन्होंने मुझे आज तक माफ नहीं किया है।'

सरबजीत के लिए सलमान ने शुरू किया ऑनलाइन अभियान

अमृतसर. सरबजीत की रिहाई के लिए आगे आए सिने स्टार सलमान खान ने शनिवार को लाहौर हाईकोर्ट में ऑनलाइन रिट दायर की है। इसके साथ देशभर के लोगों की ओर से किए गए हस्ताक्षर की कॉपी भी पाकिस्तान को भेज दी गई है। उसकी रिहाई को लेकर लोगों में इस कदर उत्साह दिखा कि मात्र दो घंटे में सात हजार लोगों ने हस्ताक्षर कर दिए। 
फिरोजपुर में रहने वाले सुरजीत सिंह की रिहाई के दौरान उपजे भ्रम के बाद सुरजीत सिंह तो आ गया, मगर सरबजीत सरहद पार ही रह गया। खैर, इसके बाद देशभर में उसकी रिहाई को लेकर उबाल आ गया। इसी के तहत शुक्रवार को सलमान खान ने पाकिस्तान से खुदा का वास्ता देकर रिहाई की अपील की थी। फिलहाल शनिवार को उन्होंने ऑनलाइन रिट की, जिसमें लोगों के हस्ताक्षर भी भेजे गए हैं। शूटिंग में व्यस्त होने के कारण सलमान से संपर्क नहीं हो सका, मगर उनके पिता सलीम खान ने दैनिक भास्कर को फोन पर बताया कि सरबजीत का मामला सियासी नहीं, बल्कि इंसानी है।

उसकी रिहाई के लिए भारत ही नहीं अपितु सारी दुनिया के लोगों को खड़ा होना होगा। सलीम का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह भी पाकिस्तान जाएंगे और पाक हुक्मरानों से उसकी रिहाई की अपील करेंगे। सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने बताया कि पहले महेश भट्ट, फिर रजा मुराद और अब सलमान खान तथा उनके पिता ने इस तरफ कदम बढ़ा कर उनके परिवार को संबल दिया है। वह कहती हैं कि पाकिस्तान से अवाम के फोन आ रहे हैं और लोग सलमान के साथ खड़े होने को तैयार हैं।

पापा घर आएं तो पूरी हो जाए जिंदगी की सबसे बड़ी मुराद

‘आंखों में आंसू, स्याह सफर, रोशनी लेके निकले तुम्हारे लिए, दिल धड़कता रहा, सांसें चलती रहीं, तुम्हारे लिए, तुम्हारे लिए’ आंखों में आंसू का सैलाब लिए, अंधेरे रास्ते पर हाथ में मोमबत्तियों की रोशनी लेकर चल रही सुखप्रीत कौर को देख कर ऐसा ही लग रहा था। जैसे उसका दिल पति सरबजीत के लिए ही धड़क रहा है और सांसें चीख-चीख कर उसे घर लौट आने को सदाएं दे रही हों।

अखिल भारतीय ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन की तरफ से शनिवार की शाम निकाले गए कैंडल मार्च में उसकी बेटी पूनम जो पिता के जाने के समय मात्र 23 दिन की थी, भी शामिल हुई। मालवीय रोड स्थित अबहरो के आफिस से संस्था के सेक्रेटरी जनरल हवा सिंह तंवर के नेतृत्व में निकाले गए इस मार्च में शहर के सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।

इनके हाथों में थमीं सरबजीत की रिहाई की तख्तियां यह बताने के लिए काफी थीं कि सरबजीत निदरेष है और पाकिस्तान इंसानियत के नाते उसे रिहा कर दे। सुखप्रीत ने अश्रुपूरित नेत्रों से मार्च में शामिल लोगों का धन्यवाद करते हुए कहा कि अब तो जिंदगी की आखिरी उम्मीद यही है कि वह जल्द से जल्द सही-सलामत घर आ जाएं। बेटी पूनम का कहना है कि पापा घर आ जाएं तो जिंदगी के सबसे बड़ी मुराद मिल जाएगी। उक्त दोनों ने कहा कि अब उम्मीद हो गई है कि वह एक दिन जरूर लौट कर आएंगे। इस मौके पर दलजीत सिंह धुप्पड़, राजकुमार खोसला, कुलदीप सिंह, कुलवंत सिंह मठारू, अवन कुमार पराशर, सुदर्शन भनोट, ज्योति ठाकुर, रमिंदर कौर, सरोज शर्मा, संदीप कालिया, मेहताब शर्मा, रुपिंदर कौर, विजय कुमार आदि मौजूद थे।

धर्म के नाम पर कुछ यूं खेला जाता रहा है 'सेक्स' का खेल!


PHOTOS: धर्म के नाम पर कुछ यूं खेला जाता रहा है 'सेक्स' का खेल!PHOTOS: धर्म के नाम पर कुछ यूं खेला जाता रहा है 'सेक्स' का खेल!PHOTOS: धर्म के नाम पर कुछ यूं खेला जाता रहा है 'सेक्स' का खेल!PHOTOS: धर्म के नाम पर कुछ यूं खेला जाता रहा है 'सेक्स' का खेल!PHOTOS: धर्म के नाम पर कुछ यूं खेला जाता रहा है 'सेक्स' का खेल!PHOTOS: धर्म के नाम पर कुछ यूं खेला जाता रहा है 'सेक्स' का खेल!



धर्म के नाम पर औरतों के यौन शोषण का इतिहास काफी पुराना है। हिंदू धर्म के तहत जहां मंदिरों में देवदासी प्रथा का प्रचलन हुआ, वहीं बेबीलोन के मंदिरों में भी देवदासियां रहा करती थीं। ईसाई धर्म के तहत चर्च और कॉन्वेन्ट्स में नन रहने लगीं जो चिरकुमारियां कही जाती हैं। जैन धर्म में संतों के साथ साध्वियां भी होती हैं।

महात्मा बुद्ध मठों में औरतों को शामिल करने के विरुद्ध थे। उनका मत था कि औरतों की मौजूदगी में व्यक्ति काम वासना के आकर्षण से बच नहीं सकता, पर उनके महाप्रयाण के बाद मठों के द्वार औरतों के लिए खुल गए। बौद्ध धर्म की एक शाखा पूरी तरह तंत्र पर आधारित हो गई और तंत्र क्रिया में औरतों की देह का इस्तेमाल 'मोक्ष' यानी निर्वाण पाने के नाम पर किया जाने लगा। सभी धर्मों में कमोबेश ऐसी ही बातें जुड़ी हुई हैं।भारत के कुछ क्षेत्रों में महिलाओं को धर्म और आस्था के नाम पर वेश्यावृत्ति के दलदल में धकेला जाता है। सामाजिक-पारिवारिक दबाव के चलते ये महिलाएं इस धार्मिक कुरीति का हिस्सा बनने को मजबूर हैं। देवदासी प्रथा के अंतर्गत ऊंची जाति की महिलाएं मंदिर में खुद को समर्पित करके देवता की सेवा करती थीं। देवता को खुश करने के लिए मंदिरों में नाचती थीं।इस प्रथा में शामिल महिलाओं के साथ मंदिर के पुजारियों ने यह कहकर शारीरिक संबंध बनाने शुरू कर दिए कि इससे उनके और भगवान के बीच संपर्क स्थापित होता है। धीरे-धीरे यह उनका अधिकार बन गया, जिसको सामाजिक स्वीकार्यता भी मिल गई। उसके बाद राजाओं ने अपने महलों में देवदासियां रखने का चलन शुरू किया। मुगल काल में, जबकि राजाओं ने महसूस किया कि इतनी संख्या में देवदासियों का पालन-पोषण करना उनके वश में नहीं है, तो देवदासियां सार्वजनिक संपत्ति बन गईं।कर्नाटक के 10 और आंध्र प्रदेश के 14 जिलों में यह प्रथा अब भी बदस्तूर जारी है। देवदासी प्रथा को लेकर कई गैर-सरकारी संगठन अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं। बताते चलें कि देवदासी हिन्दू धर्म में ऐसी स्त्रियों को कहते हैं, जिनका विवाह मन्दिर या अन्य किसी धार्मिक प्रतिष्ठान से कर दिया जाता है। समाज में उन्हें उच्च स्थान प्राप्त होता है और उनका काम मंदिरों की देखभाल तथा नृत्य तथा संगीत सीखना होता हैपरंपरागत रूप से वे ब्रह्मचारी होती हैं, पर अब उन्हे पुरुषों से संभोग का अधिकार भी रहता है। यह एक अनुचित और गलत सामाजिक प्रथा है। इसका प्रचलन दक्षिण भारत में प्रधान रूप से था। बीसवीं सदी में देवदासियों की स्थिति में कुछ परिवर्तन आया। पेरियार तथा अन्य नेताओं ने देवदासी प्रथा को समाप्त करने की कोशिश की। कुछ लोगों ने अंग्रेजों के इस विचार का विरोध किया कि देवदासियों की स्थिति वेश्याओं की तरह होती है।सदियों से चली आ रही परम्परा का अब ख़तम होना बहुत ही जरुरी है। देवदासी प्रथा हमारे इतिहास का और संस्कृति का एक पुराना और काला अध्याय है, जिसका आज के समय में कोई औचित्य नहीं है। इस प्रथा के खात्मे से कहीं ज्यादा उन बच्चियों के भविष्य की नींव का मजबूत होना बहुत आवश्यक है, जिनके ऊपर हमारे आने वाले भारत का भविष्य है। उनके जैसे परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधरनी बहुत जरुरी है।इसी तरह कैथोलिक चर्चों में भी सेक्स के खुले खेल के खुलासे होते रहे हैं। कुछ दिन पहले ही एक पूर्व नन ने पादरियों के व्यभिचार के बारे में सनसनीखेज खुलासा किया था। उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि पादरी ननों के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं। जब वह गर्भवती हो जाती हैं तो बच्चों को गर्भ में ही मार देते हैं। नन सिस्टर मैरी चांडी अपनी आत्मकथा 'ननमा निरंजवले स्वस्ति' लिखा है कि, 'मैंने वायनाड गिरिजाघर में हासिल अनुभवों को सहेजने की कोशिश की है। चर्च के भीतर की जिंदगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी। एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार की कोशिश की थी। मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचाई थी।' उनके मुताबिक चर्च में ननें सेक्सी किताबें पढ़ती है। इसी तरह से नन सिस्टर जेस्मी ने एक किताब लिखकर धार्मिक पाखंडों का खुलासा किया था। इस किताब का नाम 'आमेन: द आटोबायोग्राफी' था1982 में कर्नाटक सरकार ने और 1988 में आंध्र प्रदेश सरकार ने देवदासी प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन कर्नाटक के 10 और आंध्र प्रदेश के 15 जिलों में अब भी यह प्रथा कायम है। उड़ीसा में बताया गया कि केवल पुरी मंदिर में एक देवदासी है, लेकिन आंध्र प्रदेश ने 16,624 देवदासियों का आंकड़ा पेश किया। महाराष्ट्र सरकार ने कोई जानकारी नहीं दी। जब महिला आयोग ने उनके लिए भत्ते का एलान किया, तब आयोग को 8793 आवेदन मिले, जिसमें से 2479 को भत्ता दिया गया। बाकी 6314 में पात्रता सही नहीं थी।