रविवार, 16 जनवरी 2011

जहॉ बच्चे मॉ के नाम से जाने जाते

जहॉ बच्चे मॉ के नाम से जाने जाते हैं
बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले के सिवाना क्षैत्र के सांवरड़ा गांव जिले की एक मात्र बदनाम बस्ती हैं।जहॉ सदियों से नगर वधुऐं देह व्यापार में लिप्त हैं।साटिया जाति के लगभग सत्तर परिवार यहा आबाद हैं।पुरुषविहीन इस बस्ती में नगर वधुऐं और उनके बच्चें निवास करते हैं।यहा पैदा हुए बच्चों को कभ्ज्ञी पिता का नाम नहीं मिला जिसके कारण ये बच्चे अपनी माताओं के नाम से ही जाने जाते हैं।यहॉ तक की इन बच्चों के विद्यालयों में भी पिता के नाम के सिन पर माता का नाम दर्ज हैं।बाड़मेर जिले का सांवरडा गांव सदियों से देह व्यापार के धन्धे में लिप्त हे।ंसत्तर परिवारों के इस गांव में 132 नगर वधुऐं हैं वहीं 4045 बच्चे हैं।इस गांव में प्राथमिक स्तर का एक विद्यालय हैं।जिसमें नगर वधुओं के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं।इन बच्चों के नाम विद्यालय में दर्ज हैं।इन बच्चों के पिता के नाम के सिन पर माता का नाम दर्ज हैं।विद्यालय के अध्यापक पुखराज जो इसी बस्ती का बेटा हैं ने बताया कि बस्ती की महिलाऐं देह व्यापार कर दो जून की रोटी का इंतजाम कर अपना और अपने परिवार का पेट पालती हैं।इन परिवारों में शादी का रिवाज नही हैं।जिसके कारण घर पुरुष विहीन हैं।बस्ती के बच्चों को पिता का भान नहीं हैं।बच्चो के लिए उनको जन्म देने वाली मॉ ही मॉबाप का फर्ज अदा करती हैं।देह व्यापार से जुड़ी पेम्पली देवी ने बताया कि बस्ती में परम्परागत रुप से देह व्यापार होता हैं।कुछ नगर वधुऐं पी लिखी हैं।पहले हम बच्चों को विद्यालय नहीं भेजते थे।कृष्णा संस्था के द्घारा हमें समझाइ्रस कर बच्चो को विद्यालय में भिजवाना आरम्भ किया।समाज की मुख्य धारा में शामिल होने की चाह के चलते इन नगर वधुओं ने अपना नाम देकर बच्चों को शिक्षित करने का साहस दिखाया।विद्यालय दस्तावेजों में देवा पुत्र छगनी,राजु पुत्र शारदा ,संतोष पुत्री मदनी देवी आदी दर्ज हैं।विद्यालय में इन बच्चो को माकुल सुविधा तो दूर आवश्यक सुविधा तक उपलब्ध नही हैं।इन विद्यार्थियों को नि:शुल्क पुस्तके,पोशाके और पाठय सामग्री तक नहीं मिलती।कृष्णा संस्था द्घारा प्रयास कर इन बच्चो के लिए पानी का एक टेंक बनाया गया था।इसके बाद इनकी तरफ प्रशासन या सरकार ने कभी झांका तक नही॥बस्ती की महिलाओं ने विद्यालय की क्रमोनति की कई र्मतबा प्रशासन से मांग की मगर कोई कार्यवाही नही हुई।इस बस्ती के पुखराज,शांति,और मदन प लिख कर सरकारी सेवा तक पहुॅचने में सफल हुए हैं।इन बच्चों को सम्बल की आवश्यक्ता हैं।प लिख कर बच्चे समाज की मुख्य धारा में जुड़ना चाहते हैं।   

गुरुवार, 13 जनवरी 2011

शिविरों के माध्यम से छात्रों को सशक्त करनें की अनूठी पहल

जिला कलेक्टर गिरिराज सिंह कुशवाह
शिविरों के माध्यम से छात्रों को सशक्त करनें की अनूठी पहल


जैसलमेर सीमावर्ती जैसलमेर जिले के जिला कलेक्टर गिरिराज सिंह कुशवाह नें विशय अध्यापक विहीन विद्यालयों के छात्रों के लियें आवासीय भौक्षणिक शिविरों का आयोजन करा छात्रों को साक्त करनें की अनूठी पहल कर छात्रों कों बेहतरीन अवसर प्रदान किया।कुशवाह नें जन सहयोग से जैसलमेर जिला मुख्यालय और पोकरण उपखण्ड मुख्यालय पर दस दिवसीय आवासीय शिविरों का आयोजन करा ना केवल विशय अध्यापकों की सेवाऐं उपलब्ध कराई अपितु छात्रों को नैतिकता और योगा शिक्षा का भी पाइ पा जीवन में आगे बने का अवसर प्रदान किया।जिला कलेक्टर गिरिराज सिंह नें बताया कि जैसलमेर के विभिन्न गांवों में भ्रमण के दौरान विधालयों में विशय अध्यापकों की कमी प्रमुखता से सामने आई।दूरस्थ गांवों में दसवीं कक्षा के छात्रों कें सामनें गणित और विन जैसे विशयाके पद विधायों में रिक्त होनें कें कारण पाठयक्रम पूरा करनें की प्रमुख समस्या थीं।छात्रों की अस समस्या के समाधान के लिऐं जिले के शिक्षाविदों कों बुला कार्ययोजना बनानें का कहा ।जिस पर जैसलमेर तथा पोकरण में दों भौक्षणिक उन्नयन्न आवासीय शिविरों कें आयोजन को अंतिम रूप दिया। पाकिस्तसन सीमा सें लगे सरहदी गांवों सहित 24 विद्यालयों को चिन्हित किया जिसमें विशय अध्यापकों के पद रिक्त थे।इन विद्यालयों सें दसवी कक्षा कें 387 छात्र छात्राओं का चयन कर जैसलमेर शिविर में 113 तथा पोकरण शिविर में 175 छात्रों का चयन कर बुलाया गया।एनर्जी कम्पनी एनरकोन कें आर्थिक सहयोग सें इन शिविरों का संचालन किया गया।िविरों में दूरस्थ गांवों सें पहली बार छात्राऐं भी शिविरों पहूॅच शिक्षा ग्रहण कीं।जैसलमेर शिविर प्रभारी सुरो चन्द्र पालीवाल नें बताया कि आवासीय िविरों का मूल विषय गणित तथा विन विशयों का कोर्स छात्रों कों पूरा कराया जाऐ ताकि प्एने की ललक वाले छात्रों कों इसका लाभ परीक्षाओं में मिल सके।िविर संयोजक प्रका व्यास नें बताया कि छात्रों को स्ओनरी ,भोजन,आवास सुविधा निुल्क उपलब्ध कराइ्र गइ्रंर्।शिविरों में प्रात पॉच बजें योग िक्षा के साथ दिन चर्या आरम्भ होती ,जो रात दस बजें तक अनवरत चलती।इस दौरान छात्रो को नाता,भोजन,चाय ,दूध,,बस्किट की सूविधा उपलब्ध कराई गई थी।दस दिवसीय शिविर में छात्रों में जबरदस्त बदलाव आया।छात्रों का कोर्स पूरा करनें कें साथ शिविरों में रह का नीति तथा योग शिक्षा की भी ज्ञान अर्जित किया।शिविर में आई छात्रा इतिया मेगवाल नें बताया कि वह गरीब परिवार सें हैं।पढने की ललक के कारण अपनें गांव से पॉच किलोमीटर दूर विद्यालय में पने जाती,मगर स्कूल में विशय अध्यापकों के पद रिक्त होनें कें कारण प्ढाई नही होती ंकोर्स भी नहीं हुआ।शिविर में आकर मेरा कोर्स भी पूरा हुआ और कई नई इबारतें सीखी।शिविर सें सभी छात्रों को फायदा मिला। बहरहाल जिला कलेक्टर के अनुसार इन शिविरों परीक्षाऐंली गई।जिन परीक्षाथीरयों कें साठ फीसदी सें अधिक अंक आऐंगें उनके लिऐं परीक्षाओं सें पहले एक और शिविर लगा कर इन्हें लाभान्वित किया जाऐंगा।राजसथान भर में यह अनूठी पहल हैं।

शनिवार, 8 जनवरी 2011

chandan bhati: दिन में डीएम, रात को ‘ऑपरेशन 8 पीएम

chandan bhati: दिन में डीएम, रात को ‘ऑपरेशन 8 पीएम

collector barmer gaurav goyal....दिन में डीएम, रात को ‘ऑपरेशन 8 पीएम








दिन में डीएम, रात को ‘ऑपरेशन 8 पीएम


दिन में डीएम, रात को ‘ऑपरेशन 8 पीएम
 बाड़मेरजिला कलेक्टर के नेत्तृत्व में प्रशासन की टीम ने देर रात एक बार फिर विभिन्न जगहों पर संचालित हो रहे अवैध शराब की ठिकानों पर दबिश देकर हरियाणा व चंडीगढ़ निर्मित शराब व बीयर बरामद की। अलग-अलग टीमों ने नेहरू नगर, सिणधरी चौराहे के पास विभिन्न दुकानों व ढाबों पर शराब बरामद की।

शराब माफियों का अड्डा बने शहर में जगह-जगह तस्करों से जाल बिछा रखा है
 देर रात कलेक्टर गौरव गोयल ने आला अधिकारियों के साथ विभिन्न दुकानों व ढाबों पर शराब बेचते रंगे हाथों पकड़ा। नेहरू नगर स्थित जय अंबे व भवानी प्रोविजन स्टोर में दबिश देने पर मकान के अंदर बने पानी के टांके में हरियाणा व चंडीगढ़ निर्मित शराब मिली। पुलिस ने यहां से सात से ज्यादा कार्टन बरामद किए। प्रशासन की अचानक कार्रवाई से दुकान संचालक एक बारगी भागने की कोशिश की लेकिन उसे पकड़ लिया गया। जिन ढाबों में बैठे लोग शराब पी रहे थे वे इधर-उधर भाग छूटे। इसके बाद कलेक्टर टीम के साथ सिणधरी चौराहे से सदर पुलिस थाने की तरफ निकले। जहां विभिन्न ढ़ाबों पर अवैध रूप से शराब बिक्री करते पाए गए। वहां कुछ युवक शराब के जाम छलका रहे थे। इस पूरी कार्रवाई के दौरान एडीएम रामनिवास मीणा, एसडीएम सी.आर.देवासी, आबकारी पुलिस के अधिकारी व कार्मिक मौजूद थे।
फिर खुली पुलिस की पोल
अब तक शराब की दुकानों पर दबिश देकर पकड़ी गई शराब को इससे पहले पुलिस पकडऩे में कामयाब नहीं हुई। गुरूवार को किराणा व जनरल स्टोर पर खुलेआम अवैध शराब की बिक्री ने पुलिस प्रशासन की पोल खोल दी। नेहरू नगर में लंबे अर्से से हरियाणा व चंडीगढ़ की शराब की बिक्री की जानकारी के बावजूद पुलिस की ओर से कार्रवाई को अंजाम नहीं दिया गया लेकिन शिकायतों के बाद हुई रैकी को अंजाम देने खुद कलेक्टर के पहुंचते ही सब पोल खुल गई।
 
पहले रैकी, फिर कार्रवाई

रात्रि को कलेक्टर ने पहले अलग-अलग टीमों को भेजकर रैकी करवाई। इस दौरान विभिन्न दुकानों व ढ़ाबों से शराब खरीदी। इस बीच आबकारी दल के सदस्यों को कलेक्टर आवास पर रखा गया। इसके बाद कार्रवाई को अंजाम दिया गया।



मंगलवार, 4 जनवरी 2011

कलेक्टर की अगुवाई में दो स्थानों पर दबिश, दुकानों से शराब बरामद,

कलेक्टर की अगुवाई में दो स्थानों पर दबिश, दुकानों से शराब बरामद, दो आरोपी गिरफ्तार
बाड़मेर

रात्रि आठ बजे के बाद सरकारी प्रतिबंध के बावजूद पुलिस व आबकारी विभाग की नाक के नीचे खुलेआम शराब माफियों की ओर से बेरोक-टोक शराब बिक्री के मामले को जिला कलेक्टर ने गंभीरता से लेते हुए सोमवार को देर रात नेहरू नगर व बीएनसी चौराहे स्थित एक होटल में दबिश देकर बड़ी मात्रा में शराब बरामद की। अचानक हुई कार्रवाई से एक बारगी तो यहां हड़कंप मच गया। इन दुकानों से शराब खरीदने आए ग्राहक भागने लगे तो पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। नेहरू नगर स्थित शराब की दुकान से एक जने को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसी तरह बीएनसी होटल में अवैध रूप से शराब बेचे जाने पर कार्रवाई को अंजाम देते हुए वहां से शराब बरामद की।
राज्य सरकार ने भले ही रात आठ बजे के बाद देशी व अंग्रेजी शराब की दुकानों पर शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है। लेकिन शहर में रात्रि आठ बजे के बाद शराब की खुले आम बिक्री का सिलसिला लंबे अर्से से जारी है। यह सबकुछ पुलिस व आबकारी विभाग के सामने चल रहा है। लंबे समय से मिल रही शिकायतों के बाद जब पुलिस व आबकारी विभाग की ओर से कार्रवाई नहीं की गई तो कलेक्टर गोयल ने शराब माफियों पर नकेल कसने को अलग-अलग टीमें गठित की। टीम के सदस्यों को पहले विभिन्न दुकानों पर भेजा गया,जहां दुकानों से उन्होंने शराब खरीदी। इसके बाद कलेक्टर गौरव गोयल, गुड़ामालानी एसडीएम सी.आर. देवासी, भूमि अवाप्ति अधिकारी एम.एल. नेहरा, नायब तहसीलदार बाड़मेर जगदीश आचार्य,
पहली बार जिला कलेक्टर के नेत्तृत्व में प्रशासन की टीम ने अलग-अलग स्थानों पर दबिश देकर शराब माफियों का पटाक्षेप कर दिया। यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई रही। जब कलेक्टर व आला अधिकारियों की उपस्थिति में कार्रवाई शुरू हुई तो भगदड़ मच गई। इस दौरान मोहल्ले के लोग व सड़क मार्ग से गुजरने वाले लोग एकत्रित हो गए। यहां करीब आधे घंटे तक चली कार्रवाई के दौरान वाहनों की लंबी कतारें लग गई। 
शहर में वैध के साथ अवैध रूप से शराब बेचने का कारोबार लंबे अर्से से जारी है। इसे अंजाम देने के पीछे कई गिरोह सक्रिय है। हर गली-नुक्कड़ पर शराब की दुकान के पास अवैध शराब की बिक्री खुलेआम चल रही है। शराबमाफिया की ओर से पंजाब, हरियाणा राज्यों की शराब रातों-रात सप्लाई की जा रही है। पूर्व में पुलिस प्रशासन की ओर से बड़ी मात्रा में कई बार शराब बरामद की गई।

सोमवार, 3 जनवरी 2011

करोड़पति बीपीएल!

करोड़पति बीपीएल! 

 बाड़मेर। अनुसूचित जाति के एक बीपीएल के खाते में एक ही दिन में करीब डेढ़ करोड़ रूपए जमा होने और इस राशि से कई लोगों को भुगतान व व्यवसायिक भूखण्ड की खरीद किए जाने का मामला सामने आया है।
चौहटन के देवपुरा गांव निवासी भगाराम पुत्र चिमाराम मेघवाल का वर्ष 2002 बीपीएल में चयन हुआ। भगाराम की पत्नी के पास गुजारे लायक राशि नहीं होने से वृद्धावस्था पेंशन के 500 रूपए मासिक दिए जा रहे हंै। इसी भगाराम के नाम से वर्ष 2005 में बाड़मेर शहर के निकट दो बीघा जमीन क्रय की गई। लाखों में हुए इस सौदे के बावजूद वह बीपीएल सूची में ही रहा। इतना ही नहीं बाद में इस गरीब ने नगर पालिका में 18 लाख 25 हजार नगद जमा करवा कर इस दो बीघा जमीन का व्यावसायिक में भू उपयोग परिवर्तन करवाया और एक लाख दस हजार रूपए देकर जमीन का पंजीयन कराया।
इसके बाद वर्ष 2010 में बीपीएल भगाराम ने एक करोड़ 43 लाख रूपए में इस व्यावसायिक जमीन का बेचान जोधपुर के एक बिल्डर को किया और यह राशि 23 दिसंबर को उसके खाते में जमा हुई। भगाराम ने इस राशि में से कई लोगों को राशि का भुगतान किया और अब भी उसके खाते में 17 लाख 30 हजार रूपए शेष है।
बीपीएल के इस्तेमाल का आरोप
मैने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की है। यह गंभीर मामला है। इस बीपीएल परिवार के नाम का इस्तेमाल किया गया है। प्रभावशाली लोग बाड़मेर में ऎसा कर रहे हंै। इस मामले के पीछे ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज राज्यमंत्री का दामाद है। इसलिए मामले की पूरी जांच होनी चाहिए और दलितों का इस्तेमाल रूकना चाहिए।
-उदाराम मेघवाल, पूर्व प्रधान, शिव

वे गुलाब भेंट करते है राजस्थान भारत का गुलाब

जैसलमेर । वे भारत में जहां-जहां घूमते हंै, वहां की संस्कृति के रंग में रंग जाते हैं। वे भले ही दूसरे देश की माटी में जन्मे हो, लेकिन हिन्दुस्तान की भूमि से उन्हें अपार लगाव है। अपनी संस्कृति और परम्पराओं से भटके हुए लोगों को राह दिखाना उनके जीवन का हिस्सा है तो परोपकार व समाज सेवा से जुडे कार्यो से जुडे लोगो की मदद करना उनकी ख्वाहिश। ये हैं जर्मन के दम्पती मिस्टर हूडी हर्ट्ज और मिसेज आयरस। इजरायल मे जन्मे जर्मन निवासी हूडी और उनकी पत्नी को भारत इतना प्यारा लगा कि उन्होने देशवासियो से दिल का रिश्ता बनाने के लिए हिन्दी भाषा भी सीख ली।
विशेषकर राजस्थान उनका पसंदीदा इलाका है और उनकी नजर मे राजस्थान भारत का गुलाब है। इस काराण जो भी उन्हे राजस्थान मे अपना अजीज लगता है, उसे वे गुलाब भेंट करते है। जैसलमेर मे आकर ये दम्पती यहीं के रंग मे रंग गए है। उनका कहना है वे बार-बार भारत इसलिए आते हैं कि यहां की संस्कृति और परम्पराओं से प्यार है।
...लेकिन दिल है हिंदुस्तानी
इस दम्पती को राजस्थान की संस्कृति व परम्पराएं इतनी भाईं कि उन्होंने इसे अपनी जिंदगी का एक हिस्सा बना लिया है। अब तक चार बार राजस्थान आ चुका यह दम्पती दूसरी बार जैसलमेर आया है। उनका कहना है कि जब 33 वष्ाü पहले वे यहां आए थे तो उन्हे केवल धोरे नजर आते थे, जैसे वे अलीबाबा की कहानी वाले शहर आ गए हो, लेकिन अब सब कुछ बदल गया है और पूरा नजारा अलग ही नजर आ रहा है। नहीं बदली है तो बस यहां की महान परंपराएं और लोगो का विनम्र स्वभाव। यह मरूप्रदेश की कला, संस्कृति व धरोहर लोगो को सांस्कृतिक गौरव को अपनाने की सीख देते हैं। यहां की विविध संस्कृति में भी एकता नजर आती है। पेशे से डॉक्टर जैसलमेर मे आंखो के मरीजो के लिए कुछ करना चाहती है। करीब 33 वर्ष पहले जैसलमेर मे आए हूडी को रेलवे स्टेशन के पास एक धर्मशाला मे रूकना पडा था। उस दौरान उसकी भेंट स्थानीय युवक ओमप्रकाश सैन से हुई थी, जिसने उसे जैसलमेर के बारे मे जानकारी दी थी। संयोग से इस दम्पती ने 33 वर्ष बाद इसी शहर मे ओमप्रकाश से ही भेट की और उसे लाल गुलाब भेंट किया। उसके बाद जो भी उन्हे शहर मे अजीज लगता है, उसे वे लाल गुलाब भेंट करते हैं, लाल गुलाब प्यार का।

राजस्थानी साफा अब विश्व में नई पहचान लेने जा रहा है

राजस्थानी साफा अब विश्व में नई पहचान लेने जा रहा है।

जोधपुर के एमडी रंगरेज ने इसे ‘सिरमौर’ बनाने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा साफा बनाने का दावा किया है। यह पचरंगी साफा बगैर जोड़ वाले 450 मीटर लंबे कपड़े से बना है। रंगरेज अब इस साफे को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवाने के लिए आवेदन करेंगे। बचपन से ही साफे व शेरवानी के अपने पुश्तैनी काम से जुड़े रंगरेज देश-विदेश की कई जानी मानी हस्तियों के यहां आयोजित समारोह में साफे बांध चुके हैं। इनमें बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन की शादी भी शामिल है। 

स्पेशल ऑर्डर से आया कपड़ा: रंगरेज ने इस साफे के लिए बिना जोड़ का कपड़ा बनाने का जिम्मा एक स्थानीय फैक्ट्री को सौंपा था जिसने स्पेशल ऑर्डर देकर मुम्बई से 450 मीटर का सफेद कपड़े का थान मंगवाया। इस थान को जोधपुर में पांच रंगों में रंगने के बाद सात दिन तक इसे कलफ लगाई गई। रंगरेज ने इसे अपनी दुकान हमजोली साफा एंड शेरवानी में सजा रखा है। 

मेजरसिंह के नाम दर्ज है 400 मीटर की पगड़ी: गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में फिलहाल ‘टरबन’ श्रेणी का रिकॉर्ड पंजाब के मेजरसिंह के नाम है। उसने गत एक दिसंबर को ही 400 मीटर कपड़े से बनी पगड़ी पहन कर यह रिकॉर्ड बनाया था। रंगरेज के प्रयास से अगर गिनीज बुक में राजस्थानी साफे को स्थान मिला तो यह प्रदेश के लिए गौरव की बात होगी। 

सवा सात सौ मीटर का साफा: हस्तशिल्प उत्सव में स्थित केन्द्रीय पंडाल में लगाए गए राजस्थानी साफों के स्टॉल लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। ऋषभ साफा नामक इस स्टॉल में एक साफा ऐसा भी है जिसकी कुल लंबाई 729 मीटर है तथा बांधने के बाद इसका व्यास ढाई फीट से भी ज्यादा हो जाता है। स्टॉल संचालक सरदारमल पटवा के अनुसार नौ मीटर के 81 पीसेज को मिला कर बनाए गए इस साफे को टाई एंड डाई से तैयार करने में एक सप्ताह से अधिक का समय लगा।