बुधवार, 5 मई 2010

विकलांगता से नहीं, मुफलिसी से हारीं माण्ड गायिका रुकमा देवी

विकलांगता से नहीं, मुफलिसी से हारीं माण्ड गायिका रुकमा देवी


: बाड़मेर: दलित समाज की परम्पराओं को तोड़ कर माण्ड गायिकी को थार के मरुस्थल से सात समंदर पार विदेशों में ख्याति दिलाने वाली क्षेत्र की पहली माण्ड गायिका रुकमा देवी, जिन्‍हें ‘थार की लता’, कहा जाता है, आर्थिक अभाव में मुफलिसी के दौर से गुजर रही हैं। संदुक भरे सम्मान और पुरस्कार उन्‍हें दो वक्त की रोटी नहीं दे पा रहे हैं। रुकमा विकलांगता के आगे कभी नहीं हारी, मगर अब मुफलिसी के आगे हार बैठी हैं।


अपने सुरीले कण्ठों से सात समंदर पार थार मरुस्‍थल के लोक गीतों की सरिता बहाने वाली रुकमा को दाद तो खूब मिली, मगर दो वक्त चुल्हा जल सके, इतनी कमाई नहीं। दोनों पैरों से विकलांग 55 वर्षीया रुकमा की गायिकी में गजब की कशिश है।


रुकमा देवी इस वक्त बाड़मेर से पैंसठ किलोमीटर दूर रामसर गांव के छोर पर बिना दरवाजों के कच्चे झोपड़े में रह रही हैं। लोक गीत-संगीत की पूजा करने वाली रुकमा देवी ने अपने जीवन के पचास साल माण्ड गायिकी को परवान चढाने में खर्च कर दिए। विकलांग, विधवा, पिछड़ी और दलित र्वग की इस महिला कलाकार को देश-विदेश में मान-सम्मान खूब मिला। ‘राष्‍ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान’, ‘सत्य शांति सम्मान’, ‘भोरुका सम्मान’, ‘कर्णधार सम्मान’ सहित अनेक सम्मान प्रमाण पत्रों, ताम्र पत्रों, लौह पत्रों से रुकमा का संदूक भरा पड़ा है। कला के कद्रदानों ने उन्‍हें दाद तो खूब दी, मगर जीवन निर्वाह के लिए किसी ने मदद नहीं की।


अन्तराष्‍ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित करने वाली रुकमा देवी के नाम से इन्टरनेट पर साईटें भरी पड़ी हैं। इतना नाम होने के बावजूद रुकमा अपने रहने के लिये एक आशियाना नहीं बना सकीं। कला के नाम पर उनका आर्थिक शोषण ही हुआ। अन्तराष्‍ट्रीय महिला कलाकार रुकमा ने विकलांगता की परवाह किए बिना माण्ड गायिकी को नई उंचाईयां दीं। उम्र के इस पड़ाव में रुकमा अपने यजमानों के यहां भी नहीं जा सकती।


मांगणियार जाति में आज भी महिलाओं के स्टेज पर गाने पर प्रतिबन्ध हैं। सामाजिक परम्पराओं के विरुद्ध रुकमा ने साहस दिखा कर अपनी कला को सार्वजनिक मंच पर प्रदर्शित किया। यह भी विडंबना ही है कि उनके अपने समाज ने माण्ड गायिकी में क्षेत्र का नाम उंचा करने की सजा उन्‍हें दी।






एक खाट और कुछ गुदड़ों की पूंजी के साथ रह रही रुकमा को इस बात की पीड़ा है कि उनकी कला को जिन्दा रखने के कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। लुप्त होती माण्ड गायिकी के सरंक्षण के लिए कोई संस्था या प्रशासन आगे नहीं आ रहा है। रुकमा को कला के सरंक्षण की चिन्ता के साथ साथ विरासत को सरंक्षित रखने की चिन्ता भी सता रही हैं। लेकिन, आर्थिक अभावों में अपना जीवन गुजार रही रुकमा को विश्‍वास है कि कोई तो उनकी सुध लेगा। कहने को रुकमा के दो जवान बेटे हैं, मगर दोनों बेटे अपने घर-परिवार के पालण-पोषण में इस कदर उलझे हैं कि उन्हें अपनी मां की देखभाल की परवाह नहीं। रुकमा की देखभाल उनकी विधवा पुत्री फरीदा करती हैं।


मुफलिसी में अपना जीवन गुजार रही रुकमा को बीपीएल में चयनित नहीं किया गया। विकलांग और विधवा होने के बावजूद उन्‍हें पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल रहा। लोक कलाकारों के पुर्नवास और उत्थान के लिए सरकारें कई योजनाएं चला रही हैं, मगर उसका लाभ रुकमा जैसी जरुरतमन्द कलाकार को नहीं मिलता। आखिर अपने र्दद को किसके आगे बयां करे रुकमा! ‘कृष्णा संस्था’ के सचिव चन्दन सिंह भाटी ने बताया कि रुकमा के पेंशन की कार्यवाही कर ली गई है। उनकी आर्थिक मदद के प्रयास जारी है।

मंगलवार, 4 मई 2010

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बाड़मेर: पाकिस्‍तान की सीमा से सटे राजस्थान के बाड़मेर जिले के सरहदी गांव खच्चरखडी की मुस्लिम बस्ती में लड़की के जन्म पर खुशियां मनाने की अनूठी परम्परा है। शिव तहसील के इस गांव में करीब चालीस परिवारों की मुस्लिम बस्ती है, जहां बेटी की पैदाइश पर खुशियां मनाई जाती हैं तथा खास तरह के नृत्य का आयोजन होता है। किसी भी घर में बेटी के जन्म पर गांव भर में गुड़ बांटा जाता है और सामुहिक भोजन की अनूठी परम्परा का निर्वाह किया जाता है।

इस सीमावर्ती जिले के कई गांवों में भ्रूण हत्या की कुप्रथा की वजह से जहां सदियों से बारातें नहीं आईं, वहीं खच्चरखडी की लड़कियों के लिए अच्छे परिवारों से रिश्तों की कोई कमी नहीं रहती है। अच्छे नाक-नक्श वाली इस गांव की खूबसूरत लडकियां और महिलाएं कांच कशीदाकारी में सिद्धहस्त होती हैं। हस्तशिल्प की इस कला से उन्हें खूब काम मिलता है। इससे घर चलाने लायक पैसा आ जाता है। हस्तशिल्प कला में अग्रणी इस गांव की लडकियों के रिश्ते आसानी से होने और साथ ही, ससुराल पक्ष द्वारा शादी-विवाह का खर्चा देने की परम्परा के चलते भी यहां बेटियों का जन्म खुशियों का सबब बना हुआ है।

इसी गांव के खुदा बख्‍श बताते हैं, ‘सगाई से लेकर निकाह तक सारा खर्चा लड़के वालों की तरफ से होता है। निकाह के कपड़े, आभूषण, भोजन आदि का खर्चा लड़के वाले ही उठाते हैं। यहां तक की मेहर की राशि भी लड़के वाले अदा करते हैं। लड़की जितनी अधिक सुन्दर और गुणवान होगी, निकाह के वक्त उतनी ही अधिक राशि मिलती है।’ गांव की बुजुर्ग महिला सखी बाई ने बताया कि गांव की लडकियों के रिश्‍ते की मांग अच्छे परिवारों में लगातार बनी हुई है।

भारत-पाकिस्तान विभाजन से पहले सिन्ध से (वर्तमान में पाकिस्‍तान का एक प्रांत) इस गांव की लडकियों के रिश्ते बहुत आते थे। इस गांव की लड़कियां गजब की खुबसूरत, घरेलू कामकाज में निपुण और गुणी होती हैं। बहरहाल, भारत-पाक सरहद पर बसे खच्चरखडी गांव में उच्च प्राथमिक विद्यालय की जरूरत गांव के लोगों को महसूस हो रही हैं।ताकि बेटियों को पढ़ाई सही तरीके से चल सके।

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सोमवार, 3 मई 2010

विकलांगता से नहीं, मुफलिसी से हारीं माण्ड गायिका रुकमा देवी

विकलांगता से नहीं, मुफलिसी से हारीं माण्ड गायिका रुकमा देवी

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सरहद पर पानी के लिए मारा-मारी, बंदूकों के साये में पानी की सुरक्षा


बाड़मेर: पाकिस्तान की सरहद से सटे राजस्‍थान के रेगिस्तानी जिले बाड़मेर में तापमान बढ़ने के साथ-साथ पानी की समस्या विकराल होती जा रही है। सरहदी गांवों में ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। पानी की विकट समस्या के कारण गांवों में पलायन की स्थिति बन गई है। गांवों में पारंपरिक पेयजल स्रोत सूख गए हैं। लगातार छठे साल पड़े अकाल के कारण पारंपरिक कुएं, तालाब, बावडि़यों, बेरियों तथा टांकों का पानी सूख चुका है। हालात ये हैं कि जिले के लगभग 860 गांव पेयजल की किसी योजना से जुड़े नहीं हैं। इन कमीशंड, नॉन कमीशंड गांवों में प्रशासन द्वारा पानी के टेंकरों की व्यवस्था की गई है, मगर, यह महज खानापूर्ति तक ही सीमित है। गांवों में टैंकर पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। ऐसे में गांवों में लोगों ने पानी पर पहरेदारी शुरू कर दी है।



जिले के सीमावर्ती क्षेत्र चौहटन के विषम भोगोलिक परिस्थितियों में बसे गफनों के 14 गांवों में पेयजल सबसे बडी त्रासदी है। इन 14 गांवों- रमजान की गफन, आरबी की गफन, तमाची की गफन, भोजारिया, भीलों का तला, मेघवालों का तला, रेगिस्तानी धोरों के बीच बसे हुए हैं। इन गांवों में पहुंचने के लिए कोई रास्ता तक नहीं है। ऐसे में ग्रामीण अपनी छोटी-छोटी पानी की बेरियों पर ताले लगा कर रखते हैं। तालों के साये में पानी रखना यहां की परम्परा और जरूरत है। इन गांवों के लोग पानी की एक-एक बूंद की कीमत और उपयोगिता जानते हैं।



पानी के कारण गांवों में होने वाले झगडों के कारण ग्रामीण मजबूरी में पानी को सुरक्षित रखने के लिए ताले लगा कर रखते हैं ताकि पानी चोरी ना हो जाए। मगर, इस बार पानी की जानलेवा किल्लत ने ग्रामीणों को पानी की सुरक्षा के लिए बंदूकों का सहारा लेने पर मजबूर कर दिया। गांव के सलाया खान निवासी तमाची की गफन ने संवाददाता को बताया कि टांकों पर ताले जड़ने के बाद भी पानी चोरी हो जाता है। पानी की समस्या इस कदर है कि ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डाल कर पानी चोरी कर ले जाते हैं। चोरों का पता लगाने का प्रयास भी किया मगर सफलता नहीं मिली, तो ग्रामीणों ने पंचायत बुलाकर निर्णय लिया कि जिन ग्रामीणों के पास लाइसेंसी बंदूकें हैं, वो अपनी बंदूकों के साथ पानी की सुरक्षा करेंगे।



उन्होंने बताया कि ग्रामीणों का इरादा किसी की जान लेने का नहीं है, मगर पानी की सुरक्षा के लिए बंदूको के पास में होने से चोरों में भय पैदा होगा। पानी की सुरक्षा की इससे बेहतर व्यवस्था नहीं हो सकती। उन्होंने बताया कि चालीस किलोमीटर के दायरे में पेयजल का कोई स्रोत नहीं है। पानी का एक टैंकर टांके में डलवाते हैं, तो प्रति टैंकर छह सौ रूपए का खर्चा आता है। ऐसे में पानी चोरी होने से आर्थिक नुकसान के साथ पानी की समस्या भी खड़ी हो जाती है। हालांकि, इस समस्या और ग्रामीणों द्वारा की जा रही सुरक्षा व्यवस्था पर कोई प्रशासनिक अधिकारी बोलने को तैयार नहीं। मगर, यह सच है कि रेगिस्तानी इलाकों में प्रशासनिक लापरवाही और उपेक्षा के चलते ग्रामीणों को पानी की सुरक्षा के लिए बंदूकें उठानी पड रही हैं। यह है भारत के लोकतंत्र का नजारा। बाड़मेर जिले के गांवों में पानी की समस्या कोई नई बात नहीं है। मगर, प्रशासनिक लापरवाही के चलते हालात इतने विकट होंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था।

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रविवार, 2 मई 2010

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 मुख्यमंत्री को जातीय पंचायत की रिपोर्ट को हल करने की मांग की
      


: बाड़मेर: तंग एक मामले में इच्छामृत्यु की अनुमति के लिए गुरुवार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कलेक्टर गौरव गोयल के बाड़मेर जिले की मांग जोड़ी से Himda ग्राम पंचायत डिक्री तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है. इस मामले में Baytu Gida स्टेशन और दो अलग - अलग मामले दर्ज किया गया है.

जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने कहा कि पंचायती गुरुवार के लिए तथ्यात्मक रिपोर्ट में डिक्री कार्यालय के मुख्य निर्देशित कर रहे हैं मिला. पंचों में एक कथित नस्लीय के मामले समयनिष्ठ कुछ में गया है - Actararam कमला और सुरक्षा गार्ड से प्रभावित किया है प्रदान की गई है.

जातीय जोड़ी के अत्याचारों से पीड़ित पंचों में एक मौत का प्रयास

कलेक्टर ने कहा: "Baytu एसडीएम और सपा के मामले में जांच करने के लिए निर्देश दिया गया है की जांच में दोषी अभियुक्त". जाति पंचायत वहाँ है कि मामला पंचायत नहीं किया गया है पर कार्रवाई की जाएगी.. Himda Jeharam जाति कहना पंच हम इस मामले में एक पंचायत में नहीं किया था, '. ये दोनों स्वेच्छा से शादी कर ली. हमारी ओर से कोई संघर्ष है. हम झूठा फंसाया जा रहा है. "

मनोज ने कहा कि कमला और उसके कथित दूसरे पति से Actararam Thanadhikahari Baytu Muand महिला कलेक्टर पत्र की एक प्रतिलिपि को दी शिकायत कलेक्ट्रेट एसडीएम Baytu द्वारा प्राप्त किया गया है. इस जवान औरत को मजबूर शादी के आधार पर है और उसे मामले लेने के लिए पंजीकृत किया गया है मजबूर.
बाड़मेर जिले में एक नवविवाहित जोड़े के लिए एक जिला पंचायत khap के बाद उनके जीवन को समाप्त करने की अनुमति की मांग मजिस्ट्रेट से संपर्क किया है उनकी जुदाई रुपए और 5 लाख के भुगतान का आदेश दिया. पंचायत उन्हें मारने के लिए अगर अपनी असफल निर्देश का पालन करने के लिए धमकी दी थी.

स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, Bhimda गांव की पंचायत khap 5 मार्च को खारिज कर दिया था कि एक गंभीर खामा उसे कानूनी चतरा पति राम के साथ उसके संबंध होता है और एक ही गांव के एक रेखा राम के साथ रहते हैं. Khap पंचायत मामा और खामा के भाई के अनुरोध पर बुलाया गया था, क्योंकि वे कथित तौर पर राम रेखा से 5 लाख रुपए एक वादा है कि खामा उससे शादी हो जाएगा के साथ लिया था.

Khap जोड़ी पूछा रुपये रेखा राम, करने के लिए 5 लाख का भुगतान किसके साथ खामा जाना बताया गया था. Khap तो फैसला सुनाया कि जोड़ी को मार डाला होगा, अगर वे निर्देश का अनुपालन करने के लिए असफल.

खामा और फिर राम चतरा जिला मजिस्ट्रेट से संपर्क किया और कथित तौर पर एक विचित्र अनुरोध डाल: कि वे स्वयं पिछले करने के लिए khap निर्देश भागने की कोशिश को मारने की अनुमति दी जाए.

गौरव गोयल, डीएम ने कहा: "कुछ मेरे पास आए और धमकियों और जबरन वसूली के बारे में शिकायत हम एक मामला दर्ज किया है.." उन्होंने कहा खामा भी बलात्कार की शिकायत की थी और एक शिकायत दर्ज की गई है. ", गोयल ने कहा कि पुलिस की शिकायत की जांच और कार्रवाई कर रहे हैं अपराधियों के खिलाफ लिया जाएगा." उन्होंने कहा कि प्रशासन सुरक्षा के लिए जोड़े को एक गार्ड प्रदान की गई है और khap सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.

रिपोर्टों के अनुसार, खामा 2001 में उसके दादा और उसकी माँ की सहमति से चतरा राम के लिए प्रयासरत थे. हालांकि, फरवरी 2010 के बाद से, उसके मामा और भाई उसके Mokhab गांव के राम रेखा से शादी करने के बाद वे कथित तौर पर उसके पास से धन ले लिया गया मजबूर था. खामा दावा है कि वह जबरन रेखा राम, जो कथित तौर पर रखा के साथ भेजा गया था उसे रस्सियों से बंधे हैं.

सूत्रों के अनुसार, वह भागने में कामयाब और सीधे चतरा राम के पास गया. जोड़े मार्च 2010 में जोधपुर के पास आकर शादी आर्य समाज की परंपराओं के अनुसार.

बहरहाल, खामा भाइयों पुलिस के साथ जोड़ी के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई. पुलिस जालौर जिले से चतरा राम को गिरफ्तार किया.

अदालत में, खामा व्यक्त उसे चतरा राम के साथ रहना है जिसके बाद अदालत ने उन्हें एक साथ रहने के लिए के रूप में वे वयस्क थे और कोई भी बल या बाध्यता के बिना शादी की अनुमति चाहते हैं.

खामा है भाई तो khap की मदद मांगी लिए दंडित जोड़ी मिलता है.

गूगल साइट एक href = "http://sites.google.com/?hl=en&tab=w3&pli=1">

बुधवार, 28 अप्रैल 2010

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Without AC Give the coolness, the Sindh Thar style Anute Zoanpa


Barmer, Rajasthan,

: vast desert land - located in difficult circumstances at the Barmer district of Rajasthan dreams are no less beautiful paintings. Tharwasioan's tough but colorful lifestyle affects everyone. Dhoroan made between desert - like attract like Zoanpa everyone.

Made by villagers along the Pakistani border region where the desert of Sindh style Anute Zoanpa colorful lifestyle show, the Thar Desert is the tree to heat the retort Zoanpa These indigenous, in the 48-50 degree heat without the cooler air Kanadishne and provide a feeling of coldness. Rajasthani desert area and go in any direction, Zoanpo different - different kinds Zonkiyon hundreds of eyes are relaxed. For many, the riot of the village Zoanpo meet the diversified, some village Zoanpere, Perve, Ghdaal, filters, etc. forms niches in texture, Mandai, Rupokanne and comfort - features beautiful nature will be saved.

Murr Zoanpo village in the wall, vertical, ash or cement is used. Zoanpoan walls of the upper part of the work area available in dendritic Mandai - plants, grass and bushes are appropriate. Chan or Zoanpa beautiful as the inner portion of the roof is used to Sarkandoan. The Mandan are taken care of in the traditional craft and ritual. Zoanpo conventional flooring is featured Lipa dung. Zoanpo Basaoo the farm is at high altitude location or Dhore. Before fixing the air space, water and guarding fields is taken into account. Zoanpa approach of building full of air time are considered. Face to face Moake windows are placed on the walls, which sustained wind comes.

Sindh border area became Zoanpa style are high. Thar region of Sindh Zoanpo Zoanpo like to make them appealing to the inner portion of Gehru Hanto Pndo and the color is. On his dry, and empty niches and places around Mokhoan folk culture tend Maandne Maande. Maandne Bhuarrangee, and bright colors of these occur. Pndo and wrist watch is made of the effect of their riot. These dendritic Maandono folk style - plants, vegetation, sun, Chanu, Bell - Bute; animal - birds, folk instruments, folk deities are adorable illustration. Somewhere - somewhere Pndo colors instead of the white surface of the Gehru Chitaram are sculpted.

The courtyard is decorated Zoanpa little. Mite and smooth plaster of cow dung in the courtyard of the skirting and between Gehru and Pndo - Maand Maandne between tax court is made attractive. Zoanpa Hotleo elegance of a five-star general homes have become. Domestic - foreign tourists, especially Zoanpoan demand. Charrayo Zopoan is also fond of public officials. Each officer's bungalow usually two - three Zoanpa must seem.


रविवार, 25 अप्रैल 2010

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राजस्‍थान: गो-तस्‍करों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर रोड जाम



बाड़मेर: पाकिस्‍तान की सीमा से लगे राजस्‍थान के बाड़मेर जिले के शिव कस्बे में हजारों गो-भक्तों ने शनिवार देर रात गो-तस्करों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर रास्ता जाम कर दिया। तनावपूर्ण स्थिति के बीच रविवार को पूरे दिन शिव कस्बा पूरी तरह से बंद रहा। गो-भक्‍त दिन भर रास्तों का घेराव करते रहे। इस दौरान करीब चार-पांच घंटे तक राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम किया गया। आंदोलनकारियों का नेतृत्व शिव के पूर्व विधायक जालमसिंह रावलोत और राजस्थान गो-सेवा आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष स्वामी प्रतापपुरी ने किया। घटना की जानकारी मिलने के बाद शनिवार देर रात ही दोनों नेता घटनास्थल पर पहुंच गए। घटना की खबर आग की तरह पूरे कस्बे में फैली और रविवार सवेरे से शिव मुख्यालय पर गो-भक्तों को जमावड़ा शुरू हो गया। समाचार लिखे जाने तक करीब पांच हजार लोग मौके पर जमा हो गए थे।

आक्रोशित गो-भक्तों ने रास्ता जाम करने के साथ ही कुछ वाहनों के शीशे तोड़ने और दुकानों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी की। तनाव को देखते हुए शिव में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। रविवार को दिन भर पूरा शिव कस्‍बा पुलिस छावनी में तब्दील रहा। पुलिस ने स्थिति तनावपूर्ण, लेकिन नियंत्रण में होने का दावा किया है। गो-भक्तों के मुताबिक, शनिवार रात को गो-वंश की खुली तस्करी की जानकारी के बावजूद पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बना रहा और गो-तस्करों को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया गया। बताया गया कि कस्बे में पुलिस थाने के सामने से गायों और बछड़ों से भरे तीन ट्रक गो-तस्कर ले गए।

इस बात की जानकारी आस-पास ग्रामीणों को मिलने पर रात को ही सैकड़ों लोग शिव थाने के बाहर जमा हो गए तथा गो-तस्करों के ट्रक की बरामदगी और तस्करों को गिरफ्तार करने की मांग करने लगे। रात को को ही आक्रोशित ग्रामीणों ने शिव कस्‍बे की ओर आने और वहां से जाने के सारे रास्ते जाम कर दिए। पुलिस मुख्यालय पर घटना की सूचना मिलने के बाद अतिरिक्त पुलिस बल को मौके पर भेजा गया। इसके बावजूद ग्रामीणों ने थाने पर अपना प्रर्दशन जारी रखा। भारी तनाव और नारेबाजी के बीच रात भर ग्रामीणों ने शिव से आवागमन के सारे रास्ते जाम कर दिए। गो-सेवा आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष स्वामी प्रतापपुरी, पूर्व विधायक डॉ. जालमसिंह के नेतृत्व में रविवार प्रातः हजारों गो भक्त शिव मुख्यालय पर एकत्रित हो गए। आक्रोशित भीड़ ने कई स्थानों पर टायरों में आग लगा कर रास्तें जाम कर दिए। उन्‍होंने मुख्यालय पर स्थित दुकानों और केबिनों में तोड़फोड़ भी की, जिसके कारण स्थिति तनावपूर्ण हो गई। समाचार लिखे जाने तक ग्रमीणों का प्रर्दशन जारी था।

जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संतोष चालके ने बताया कि पुलिस ने तीनों ट्रको को बरामद कर दिया हैं। आन्दोलनकारियों से र्वाता चल रही है और स्थिति शान्तिपूर्ण है।

वहीं दूसरी ओर आन्दोलनकारियो ने गो-तस्करों को गिरफ्तारी, दोषी पुलिसकर्मियों को निलम्बित करने तथा गौवंश की बरामदगी की मांग रखी। अतिरिक्‍त पुलिस अधीक्षक श्रीराम मीणा और उप अधीक्षक जस्साराम बोस के साथ प्रशासन की ओर से उपखण्ड अधिकारी आंदोलनकारियों से वार्ता का प्रयास कर स्थिति नियंत्राण के प्रयास में लगे रहे। सूत्रों ने बताया कि आंदोलनकारियों की तमाम मांगे मान ली गई, साथ ही मामले के चार मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस को अब तक घटना के मुख्य अभियुक्त सहित एक जने की तलाश है।
बाडमेर: केयर्न्‍स इंडिया ने मंगला से सलाया तक तेल परिवहन शुरू किया


बाड़मेर: राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले में केयर्न्‍स इंडिया के मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल (एमपीटी) के उत्पादन श्रृंखला द्वितीय के एक सिरे से रविवार प्रात: खनिज तेल प्रवाहित करने का काम आरंभ हो गया।

केयर्न्‍स इंडिया के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि वैदिक मंत्रोच्चार और पूजा अर्चना के साथ तेल प्रवाहित किए जाने की प्रक्रिया आरंभ की गई। तेल उत्पादन सुविधा श्रृंखला द्वितीय की अधिकतम क्षमता 50 हजार बैरल प्रतिदिन है। तेल प्रवाहित करने संबंधी प्रक्रिया के लिए कार्मिकों को विशेष सुरक्षा प्रशिक्षण दिया गया है।

इस प्रक्रिया में तेल कुओं के समूह से उत्पादित खनिज तेल एमपीटी के सेपरेटर, हीटिंग, स्टोरेज इत्यादि इकाइयों से होकर लगभग एक सप्ताह की अवधि में मंगला तेल क्षेत्र से गुजरात के सलाया तक बिछाई गई विशिष्ट प्रकार की तेल परिवहन पाइप लाइन के एक सिरे तक पहुंचेगा। मुख्य पाइप लाइन के दूसरे सिरे तक तेल पहुंचने में करीब एक माह का समय लगेगा।

सूत्रों के अनुसार, तेल उत्पादन सुविधा श्रृंखला एक से वर्तमान में प्रतिदिन लगभग तीस हजार बैरल उत्पादित तेल का परिवहन टेंकरों से किया जा रहा है। उत्पादन श्रृंखला तृतीय वर्ष 2010 के अंत तक विकसित की जानी है। अगले वर्ष भाग्यम और ऐश्वर्या तेल क्षेत्र से भी उत्पादित तेल का परिवहन पाइप लाइन से किया जाएगा।

बाड़मेर से गुजरात के समुद्री तट तक बिछाई गई पाइप लाइन की तेल परिवहन क्षमता करीब ढाई लाख बैरल प्रतिदिन है। अगले वर्ष के अंत तक इससे रोजाना पौने दो लाख बैरल तेल परिवहन का लक्ष्य है। आवश्यकतानुसार इसमें वृद्धि की जा सकेगी। राज्य में रिफाइनरी लगने पर इसी पाइप लाइन से तेल की आवक भी संभव होगी।

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24 दिन में 70 हिरणों की मौत

भीषण गर्मी में पानी और भोजन की तलाश में भटकते वन्यजीव आवारा कुत्तों व सड़क दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। अप्रैल महीने में 24 दिन में जोधपुर के जिले में 70 हिरणों की मौत हो चुकीं है। यह भी केवल रैस्क्यू सेंटर तक घायल अवस्था में पहुंचने वाले हिरणों के आंकड़े हैं, आधे हिरण तो मौके पर ही दम तोड़ देते हैं।

पानी व भोजन की कमी से वन्यजीवों के सामने संकट पैदा हो गया है। पानी की सूखी खेलियों और हरे चारे की कमी के चलते वन्यजीव आवासीय क्षेत्रों की ओर रुख कर रहे हैं। वन्यजीव सड़क पर आते हैं, जहां वाहनों की टक्कर और आवारा कुत्ते उन पर हमला कर उन्हें घायल कर देते हैं।




विश्नोई कमांडो फोर्स के अध्यक्ष पुखराज विश्नोई ने बताया कि वन्यजीवों के प्रति वन विभाग गंभीर नहीं है। हिरणों के मरने की संख्या में बढ़ोतरी सरकार के लिए घातक है। विश्नोई ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में लगातार हो रहे शिकार के बावजूद विभाग नींद में सोया है।




गर्मी के साथ बढ़े मामले




जोधपुर के निकट गुढ़ा विश्नोइयां, जाजीवाल, रूड़कली, हेमनगर-जोलियाली, धोरीमन्ना, बनाड़, ओसियां व सालोड़ी जैसे हिरण बहुल क्षेत्रों में विचरण करने वाले वन्यजीवों के सामने गर्मी बढ़ने से भोजन और पानी का संकट गहरा गया है। इससे पहले जोधपुर जंतुआलय के रैस्क्यू सेंटर में एक महीने में यह आंकड़ा 15 को भी नहीं छू रहा था।




जनवरी से मार्च तक स्थिति




वन विभाग में दर्ज आंकड़ों के अनुसार जनवरी में 11, फरवरी में 13 व मार्च में 12 घायल हुए हिरणों की मौत हुई।




मामले की जांच होगी




वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए सरकार हर तरह के प्रयास कर रही है। 2४ दिन में 70 हिरण मरना मुझे मालूम नहीं था। मामले की जांच करवाता हूं।




- रामलाल जाट, वन एवं पर्यावरण मंत्रh

. बाड़मेर
सुबह शहर के नेहरुनगर क्षेत्र स्थित तीन किराणे की दुकानों पर छापा मारकर आबकारी दल ने करीब पांच लाख रुपए की अवैध शराब बरामद की। इससे पूर्व नेहरु फाटक के निकट अवैध शराब बेचने की फिराक में घूम रहे दो लोगों को पकड़कर उनसे अवैध शराब के 21पव्वे बरामद किए। इस कार्रवाई में आबकारी दल ने एक किराणा व्यापारी को अवैध शराब बेचने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जबकि दो अन्य व्यापारियों की तलाश जारी है। जिला आबकारी अधिकारी कोजाराम ताडा ने बताया कि शनिवार सुबह नेहरु नगर स्थित तीन किराणे की दुकानों में बारी-बारी से छापा मार यहां अवैध रूप से बिक्री के लिए रखी शराब बरामद की इस कार्रवाई में तीनों दुकानों से अवैध अंग्रेजी शराब की 780 बोतल, 5 हजार 808 पव्वे तथा बीयर की 168 बोतलें बरामद कर मेघसिंह पुत्र ओमसिंह नामक एक व्यापारी को गिरफ्तार किया गया। जबकि अवैध शराब बेचने के दो अन्य आरोपी प्रेमसिंह पुत्र मेहताब सिंह व प्रेमसिंह पुत्र भैरूसिंह भायल मौके से नदारद थे इनकी तलाश शुरू कर दी गई है। उधर आबकारी दल ने एक अन्य कार्रवाई में शहर के नेहरू फाटक के पास अवैध शराब बेचने की फिराक में घूम रहे त्रिलोकाराम के कब्जे से 12 पव्वे तथा अचलाराम के कब्जे से 9 पव्वे अवैध शराब बरामद कर दोनों गिरफ्तार कर लिया। उपनिदेशक प्रवर्तन आबकारी दईदानसिंह भाटी के नेतृत्व में आबकारी दल के स्टॉफ ने कार्रवाई को अंजाम दिया।

अवैध शराब के व्यापारियों में मचा हड़कंप

शनिवार को शहर के नेहरु नगर क्षेत्र में आबकारी दल की कार्रवाई से अवैध शराब बेचने वाले व्यापारियों में हड़कंप मच गया। इससे नेहरु नगर से जोधपुर रोड तक चोरी छिपे अवैध शराब बेचने वाले कई व्यापारी दुकान बंद करके भाग छूटे।

बालोतरा. पांच साल से फरार स्थायी वारंटी गिरफ्तार: पुलिस ने पांच वर्ष से फरार एक स्थायी वारंटी को गिरफ्तार कर एसीजेएम कोर्ट में पेश किया। जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार हैड कांस्टेबल चुतराराम मय जाब्ता मारपीट के मामले में पांच साल से फरार चल रहे स्थायी वारंटी लूणाराम पुत्र दलाराम भील निवासी मेवानगर को शनिवार को गिरफ्तार किया। पुलिस दल ने मुखबिर की इत्तला पर उसके गांव में दबिश देकर उसे पकड़ा।
महिला व्याख्याता ने छात्रा का गला दब
बाड़मेर. स्थानीय गल्र्स कॉलेज में शनिवार सुबह परीक्षा दे रही एक छात्रा व महिला व्याख्याता के बीच नकल प्रकरण को लेकर हुई तकरार से परीक्षा दे रही छात्रा बेहोश हो गई। आनन-फानन में कॉलेज के प्राचार्य व अन्य शिक्षक उसे स्टाफ रूम में लेकर आए और मुंह पर पानी के छींटे देकर जैसे-तैसे होश में लाए।




तब कहीं छात्रा होश में आई और वापिस परीक्षा दे पाई। पुलिस ने बताया कि छात्रा गंगा पत्नी प्रहलादराम ने मामला दर्ज करवाया कि शनिवार को वह गल्र्स कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष की लोक प्रशासन विषय की परीक्षा देने सुबह 7 बजे कॉलेज गई थी। 7.15 बजे जब वह परीक्षा दे रही थी, तभी उड़न दस्ते में शामिल व्याख्याता मृनाली चौहान ने नकल करने के शक पर उससे पूछताछ की और उसे धमकाते हुए मारपीट शुरू कर दी।




उसने मारपीट का विरोध किया तो व्याख्याता ने उसका गला दबाकर उसे धक्का दे दिया। इससे वह बेहोश होकर नीचे गिर गई। थोड़ी देर बाद जब उसे होश आया तो वह स्टाफ रूम में थी जहां अन्य व्याख्याताओं ने उसके मुंह पर पानी के छींटे डाले तो उसे होश आया, तब तक परीक्षा का आधा समय बीत चुका था। प्रिंसीपल आरपी. माथुर ने बताया कि छात्रा के पास किसी तरह की नकल सामग्री नहीं मिली।




छात्रा का आरोप मेरे साथ हुई मारपीट




नकल के शक पर व्याख्याता मृनाली ने मेरे साथ मारपीट की और गला दबा दिया। इससे मैं बेहोश हो गई और परीक्षा के आधे समय मैं परीक्षा नहीं दे सकी।




- गंगा, परीक्षार्थी, बीए प्रथम वर्ष




व्याख्याता की सफाई कागज निगल गई छात्रा




सुबह 7.15 बजे जब मैंने छात्रा गंगा को नकल करते हुए देखा, तो उसके पास गई। इस पर उसने नकल के कागज को निगल लिया और घबराकर बेहोश सी हो गई। मैंने छात्रा के साथ कोई मारपीट नहीं की।