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शुक्रवार, 16 नवंबर 2018

जैसलमेर पुलिस के जवानों को तनाव मुक्त रखने लिए जिला पुलिस अधीक्षक की पहल

जैसलमेर पुलिस के जवानों को तनाव मुक्त रखने लिए जिला पुलिस अधीक्षक की पहल
जवानांे को तनाव मुक्त रहने के उपाय के संबंध में पुलिस लाईन में रखी कार्यशाला
योग, एक्यूप्रेशर एवं मेडिटेशन के द्वारा तनाव मुक्त के बताये तरिके 



आज के परिवेश में बहुत अधिक व्यस्त जिन्दगी में मनुष्य चाहकर भी तनाव मुक्त नहीं रह सकता, तनाव किसी ना किसी रूप में मनुष्य पर हावी हो जाता है। जिसमें पुलिस विभाग ऐसा विभाग है जिसका पाला तनाव से जरूर पडता है तथा उस तनाव के कारण पुलिस के जवान विभिन्न बिमारियों की गिरफ्त में आ जाता है।
पुलिस अधीक्षक जिला जैसलमेर जगदीश चन्द्र शर्मा की पहल पर पुलिस विभाग के जवानों में तनाव कम करने एवं तनाव मुक्त रहने के लिए आज दिनंाक 16.11.2018 को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जिला जैसलमेर जयनारायण मीणा के निर्देशन में पुलिस लाईन जैसलमेर में कार्यशाला रखी गई। जिसमे सीमा ठाकुर, प्रोफेसर दिल्ली द्वारा योग, एक्यूप्रेशर एवं मेडिटेशन के द्वारा पुलिस के जवानों एवं पुलिस लाईन में चल रहा नेशनल एनसीसी कैडर कोर्स में आये एनसीसी कैडेट्स को तनाव मुक्त रहने के लिए अभ्यास करवाया तथा तनाव मुक्त रहने के कई तरीके बताए।
इस दौरान रिजर्व इन्स्पेक्टर पुलिस लाईन जैसलमेर किशनसिंह के नेतृत्व में पुलिस लाईन मैजर जालमसिंह के साथ 100 पुलिस के जवान, एनसीसी केम्प कमाण्डर कर्नल सुदान्सु शर्मा के नेतृत्व में 300 एनसीसी कैडैट्स एवं पुलिस थाना कोतवाली, सदर एवं महिला थाना का पुलिस स्टाॅफ उपस्थित रहा। इनके अलावा प्रोफेसर सीमा ठाकुर की सहयोगी किरण भाटी उपस्थित रही। पुलिस अधीक्षक जिला जैसलमेर की पहल पर पूर्व में भी जिले में इस प्रकार की कार्यशालाओं को आयोजन करवाया गया है।
’’’ज्भ्म  मदक’’’

शनिवार, 12 मार्च 2011

शशशश....इस थाने मे कोई हें



शशशश....इस थाने मे कोई हें

बाड़मेर.. . कोई अपराध और जुल्म का शिकार बन जाये तो उसे राहत की उम्मीद होती हें पुलिस से लेकिन अगर कही पुलिस ही आहत हो तो क्या किया जाये . राजस्थान के बाड़मेर मे एक ऐसा थाना हें जिसका नाम है मंडली


 थाना जहा किसी भी अधिकारी का जाना अभिशप्त माना जाता हें . इस बात को गलत साबित करने के लिए जो भी वहा गया खुद का अनिष्ट करवा बेठा . आज आलम यह हें की अब अधिकारियो में इतना खोफ है कि  कोई अधिकारी इस थाने के रासते तक पर कदम नही रखता . 
. बरसों से इलाके के हर पुलिस वाले के लिए खोफ का पर्याय बन चुके मण्डली थाने के पीछे की कहानी कम चोकने वाली नही हें . अंधविश्वास को दरकिनार करने वाले अब तक 3 दर्जन के करीब अधिकारी इस थाने मे कदम रखकर खुद का बुरा कर चुके हें . अब आलम यह हें की यहा के कप्तान तक इस थाने मे आने की हिम्मत नही रखते
 
अभिशप्त थाने का दर्जा अपने सर ले चुके इस थाने की कहानी भी
  बड़ी  चोकने वाली है दरसल 100  साल पहले इस थाने में परिसर में एक बाबा रहते थे जिसकी   सेवा पुलिस के सिपाही करते थे और उस बाबा का इस गाव पर विशेष  आशीर्वाद  रहता था उसी समय इस थाने में तेनात शो बाबा की सेवा करते थे उन्ही दिनों में   तेनात थानेदार की माता  का देहांत हो गया था और उसे  तत्कालीन पुलिस अधिशक ने   छुट्टी नही दी गई . इस पर उस थाना अधिकारी ऩे बाबा से गुहार की और गुस्से मे  भोले बाबा  ने इस थाने  को  ही  श्राप दे दिया था  कि  इस थाने में कोई बड़ा  अधिकारी नहीं आएगा अगर आया तो उसके साथ कुछ भी बुरा  हो जाएगा  और यही श्राप सेकड़ो बरसों बाद आज भी इस थाने के साथ लगा हें . बाड़मेर के पुलिस अधिशक संतोष चालके   के अनुसार जेसा की लोग बताते है की बाबा ने थानेदार को पुलिस अधिशक .ने छुटी नहीं दी तो बाबा ने इस  को थाने को श्राप दे दिया था कि इस थाने में कोई भी पुलिस अधिकारी नहीं आ सकता है अगर ऐसा कोई आने कि हिमत करेगा तो अधिकारी  खुद का बुरा करेगा 
फिर बाबा ने इसी थाने में है जिन्दा समाधी ले ली तब से गाव वाले और पुलिस मानती है की इस थाने की खुर्शी पर और
  के कमरे में बाबा के श्राप का है असर आज भी लागु है मंडली थाना अधिकारी रेवत सिंह भाटी के अनुसार पिछले एक साल में तीन अधिकारी ने इस जाने की हिमम्त तो उनमे से एक अधिकारी तो थाने से निकलते बाड़मेर मुख्लाय  पहचने से पहले ही सस्पेंड कर दिये गया  जिनका प्रदीप मोहन दस ADD SP और पिछले साल दिसबर में ही दो  C .O  रामावतार मीणा और बालोतरा के SDM राजेश चोहान ने इस थाने में जाने की हिमत की थी जिनका तबादला 24 घंटो में ही हो गया थाने दर के अनुसार अब तक श्राप को गलत साबित करने के लिए दर्जनों पुलिस के अधिकारियो ने हिमत की तो उनका या तबादल हो गया या फिर सस्पेंड हो गए 
रेवत सिंह भाटी,थाना अधिकारी   मंडली थाना C .O  रामावतार मीणा और बालोतरा के SDM राजेश चोहान ने इस थाने में जाने की हिमत की थी जिनका तबादला 24 घंटो में ही हो गया थाने दर के अनुसार अब तक श्राप को गलत साबित करने के लिए दर्जनों पुलिस के अधिकारियो ने हिमत की तो उनका या तबादल हो गया या फिर सस्पेंड हो गए )
आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हो कि साल में बार पुलिस के कप्तान को थाने का निरक्षण करना जरुरी होता है लेकिन बाड़मेर के पुलिस कप्तान संतोष चालके की पोस्टिंग को एक साल हो गया चालके ने मण्डली थाने को छोड़ सभी थानों का निरक्षण कर दिया है संतोष चालके के मन में भी वाही खोफ है की अगर वो इस थाने गए तो उनके साथ भी कुछ बुरा हो सकता है

शुक्रवार, 11 मार्च 2011

बाड़मेर अस्पताल से गायब हुआ ‘दलित’


बाड़मेर अस्पताल से गायब हुआ ‘दलित’
देर रात तीन बजे गायब हुआ, सिणधरी थाने में प्रताडऩा का मामला
ये है मामला
सिणधरी निवासी जबरनाथ जोगी को सिणधरी थाने में छह दिन तक पुलिस ने जबरन बंधक बना कर रखा था। इस दौरान उसकी पिटाई करने के साथ शराब और पेशाब पिलाई गई। हालत बिगडऩे के बाद उसे छोड़ दिया गया। परिवार के सदस्य उसे लेकर राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर पहुंचे। जहां जांच के बाद मेल सर्जिकल वार्ड के बेड नंबर 5 पर उसे भर्ती किया गया।
शक की सुई पुलिस पर
 
जबरनाथ को उपचार के दौरान अचानक हॉस्पीटल से गायब करने का शक पुलिस पर है। मेल सर्जिकल वार्ड में ड्यूटी कर रहे मेल नर्स धनसिंह ने बताया कि बुधवार को टिकट पर्ची संख्या ५०३ पर जबरनाथ को भर्ती किया गया। रात्रि दो बजे तक उसका उपचार चल रहा था। लेकिन रात्रि तीन बजे के बाद वो अचानक गायब हो गया।
बाड़मेर 
राजकीय अस्पताल के बेड नंबर ५ पर भर्ती एवं पुलिस यातना से पीडि़त दलित जबरनाथ कालबेलिया गुरुवार तड़के यकायक गायब हो गया। लेकिन वो कहां गया और उसे कौन ले गए इस बारे में न तो अस्पताल प्रशासन को जानकारी है और न ही पुलिस को। यहां तक की वार्ड इंचार्ज तक को उसके गायब होने की भनक नहीं लगी। इस मामले में पुलिस अधीक्षक ने देर रात ही थानेदार व दो कांस्टेबल को निलंबित करने के साथ पीडि़त के परिवार और जातीय पंचो से मिलकर मामले की जानकारी ली। दलित समाज के नेताओं ने घटना पर रोष जताते हुए पुलिस पर मामले को दबाने का आरोप लगाया है।

 मामले की जानकारी मिली है लेकिन किसने और क्यों ऐसा किया इसकी जानकारी नहीं है। कई बार मरीज स्वयं भी बिना बताए चले जाते हैं। संभवतया इस मामले में भी ऐसा हुआ है।

अ ार.के. माहेश्वरी, पीएमओ


 पुलिस और पीडि़त में राजीनामा चल रहा है। उसे पुलिस ने अस्पताल से नहीं उठाया बल्कि उनमें राजीनामा होने के बाद वह स्वयं ही चला गया होगा। मैंने सुबह जानकारी ली तो वो अस्पताल में नहीं था।’

संत ोष चालके, जिला पुलिस अधीक्षक, बाड़मेर


 ‘ यह सीधा मानवाधिकार हनन का मामला है। इस मामले में एसपी को निर्देश दिए गए है कि वे स्वयं पूरे मामले की तहकीकात करें। जहां तक सवाल मरीज के अस्पताल से गायब होने का है, निश्चित ही गंभीर मामला है। पीएमओ से इस बारे में जवाब मांगा है। रोगी को तलाशने के भी प्रयास किए जा रहे हैं जिससे हकीकत सामने आ सके।

गौर व गोयल, जिला कलेक्टर, बाड़मे



रविवार, 30 जनवरी 2011

बेबस डायल 100 मेरी शादी कराओ



बेबस डायल 100
मेरी शादी कराओ
. बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर जिला मुख्यालय स्थान पुलिस कन्ट्रोल रूम समय रात सो बारह बजे, कन्ट्रोल रूम स्थ्ति टेलिफोन की धण्टी बजती हैं। कन्ट्रोलर हैलो पुलिस कन्ट्रोल रूम, सामने से आवाज आती है एक औरत की आपके साथ कौन है,जी मेरे अधिकारी, कन्ट्रोलर जवाब देता हें,औरत बोलती हैं कि आपकी औरत तो पास में नही हैं,आप मुझसे दोस्ती करोगे।मरी सगाई हो रखी हैं,धर वाले शादी नही कर रहे।आप मेरी शादी कराओ।नही तो आप ही आ जाओ। कन्ट्रोलर जवाब दे उससे पहले फोन कट जाता हैं।
मुल्क भर में किसी भी अप्रिय घटना की जानकारी कर लिए आपातकालीन डायल 100 की सुविधा  आम आवम को मुहेया करवाई गई हें लेकिन अब ये सुविधा पुलिस के लिए ही दुविधा बन रही हें . राजस्थान पुलिस ईन दिनों डायल 100 पर आने वाले फोन के आगे बेबस नजर आ रही हें . एक तरफ जहा ईन नम्बरों पर राहत के लिए आने वाले फोन काल की तादात बेहद कम हें हें वही अशलील बाते और धमकिय देने वालो की तादात बेहद ज्यादा बढ़ गई हें . 

भारत और पाकिस्तान की सीमा से सटा जिला बाड़मेर , सरहद पर बसे इस जिले में जहा सामरिक ठिकानो की भरमार हें वही किसी भी अप्रिय घटना से दो दो हाथ करने के लिए पुलिस को हर वक्त मुस्तेद रहना पड़ता हें लेकिन पुलिस का किसी भी घटना तक पहुचने का आधार ही ईन दिनों पुलिस के लिए सर दर्द बना हुआ हें . यह हें बाड़मेर का सबसे बड़ा पुलिस कंट्रोल रूम जहा पर हर दिन 2000-3000 फोन आते हें लेकिन ईन फ़ोनों के कारण यहा तेनात हर कोई बेबस हें . यहा किसी काम से आने वाले फोन की तादात बेहद कम हें जनकी ईन लोगो से अशलील बाते और धमकिया देने वाले लोगो की तादात बेहद  ज्यादा हें 

बीते कई दिनों से चल रहे इस सिलसिले से जहा कई पुलिस वाले कंट्रोल रूम से अपनी ड्युटी केंसिल करवा चुके हें और कई अपनी बेबसी पर आसू बहाने के आलावा कुछ भी नही कर पा रहे हें . यहा तेनात 55 साल के  के एक कानिस्टेबल के मुताबित यहा फोन पर मिल रही गलिया असहनीय हें . ईन के लिए जहा हर किसी का फोन उठाना जरूरी हें वही ईन फोन करने वालो की बात इनके लिए किसी सजा से कम नही हें . 

लीला धर ,पुलिस कानिस्टेबल बाड़मेर ने बताया कि यहा फोन पर मिल रही गलिया असहनीय हें . ईन के लिए जहा हर किसी का फोन उठाना जरूरी हें वही ईन फोन करने वालो की बात इनके लिए किसी सजा से कम नही हें .    

पुलिस अधीक्षक संतोष चालके ने बताया कि बाड़मेर पुलिस ने पिछले 2 सालो में हमने 500  से जायदा नम्बरों के खिलाफ क़ानूनी करवाई की गई है हम 10 फीसदी ही इन मामलो में करवाई कर पाते है क्योकि   हर दिन एसे फर्जी  कॉल सकडो की तादाद में आते है जिसके चलते हर एक के खिलफ करवाई करना संभव  नहीं होता है इस मामले में तो पुलिस खुद बेबस हो गयी है  ये समस्या राजस्थान के हर एक कंट्रोल रूम में है 

राजस्थान पुलिस  का अपना  नारा  हें अपराधियों में डर, आम जन में विश्वास लेकिन राजस्थान के डायल 100 के हालात देख कर लगता हें की यहा पुलिस के पास हें बेबसी और आम जन हें बिंदास