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बुधवार, 5 फ़रवरी 2020

*कुल्लू का हैंडसम बॉय रैम्बो फिल्मों में,पहली फ़िल्म कन्नड़ सुपर स्टार मोहनलाल और सूर्या के साथ*

*कुल्लू का हैंडसम बॉय रैम्बो  फिल्मों में,पहली फ़िल्म कन्नड़ सुपर स्टार मोहनलाल और सूर्या के साथ*

*चन्दन सिंह भाटी*






*कुल्लू देव भूमि हिमाचल प्रदेश का कुल्लू मनाली अपनी प्राकृतिक छटाओं से लोगो के दिलो में राज करता है तो कुल्लू का हैंडसम बॉय सुभाष गौतम जिन्हें रैम्बो के नाम से कुल्लू मनाली का बच्चा बच्चा जानता है लोगो के दिलो पे राज करते है।कुल्लू गए और रैम्बो से न मिले तो कुल्लू की आपकीं यात्रा निर्थक है।।पेशे से टूर ट्रेवल्स का काम।।आप एक दिन इनके साथ सफर करेंगे तो यकीनन इनकी सादगी और अपनेपन के दीवाने हो जाएंगे।।मस्त मलंग रैम्बो के बिंदास अंदाज़ ने उन्हें फिल्मों में धमाकेदार एंट्री दिला दी।।कुल्लू बॉय रैम्बो को पहली बार कन्नड़ फ़िल्म में काम मिला।।यह काम उनको उनकी पर्सनैलिटी के हिसाब से मिला।पहली फ़िल्म में ही वो कन्नड़ फिल्मों के सुपर स्टार मोहनलाल और सूर्या जैसे मंजे हुए कलाकारों के साथ काम कर गए।।उन्हें कन्नड़ फ़िल्म कापपण में पुलिस अधिकारी का पावरफुल रोल करने को मिला।।पुलिस की वर्दी उन पर बहुत जमी।इस फ़िल्म को हिंदी में बर्दास्त के नाम से रिलीज किया गया।फ़िल्म में रिलीज होते ही धूम मचा दी।।कुल्लू बॉय रैम्बो के पहली बार पर्दे पर जोरदार स्वागत हुआ।।रैम्बो ने बताया कि वह कल्पना भी नही कर रहा कि फिल्मों में एंट्री हो जाएगी।।कन्नड़ फ़िल्म की कुल्लू में शूटिंग थी।टूर ट्रेवल्स का उनका काम है।फ़िल्म यूनिट ने उनकी पर्सनैलिटी को देख पुलिस अधिकारी का रोल उन्हें ऑफर किया।।उनकी खुशी का ठिकाना नही रह।।वैसे उनका व्यक्तित्व किसी फिल्मी नायक से कम नही है।।कुल्लू में रैम्बो बहुत लोकप्रिय है।।पहली फ़िल्म में उनकी धांसू एंट्री ने उनकी लोकप्रियता में चार चांद लगा दिए।।पर्यटकों को अपने वाहन में कुल्लू मनाली की सैर कराते अपनेपन और सद्व्यवहार से खुशनुमा माहौल पर्यटकों को देने वाले सुभाष गौतम उर्फ रैम्बो के व्यक्तित्व में गजब का आकर्षण है।।कुल्लू की हरीभरी वादियों से फिल्मों का सफर तय कर रहे रैम्बो अपनी पहली फ़िल्म में अपने अभिनय से काफी संतुष्ट दिखे।कन्नड़ सुपर स्टार मोहनलाल और सूर्या ने भी उनके अभिनय की तारीफ की।।

रविवार, 25 जून 2017

पर्यटन परिक्रमा। . कुल्लू के बिजली महादेव अद्भुत चमत्कारी मंदिर ,बारह साल में बिजली गिरती हे शिवलिंग पर



पर्यटन परिक्रमा। . कुल्लू के बिजली महादेव अद्भुत चमत्कारी मंदिर ,बारह साल में बिजली गिरती हे शिवलिंग पर

Bijli Mahdev - Kullu- History

भारत में भगवन शिव के अनेक अद्भुत मंदिर है उन्हीं में से एक है हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्तिथ बिजली महादेव। कुल्लू का पूरा इतिहास बिजली महादेव से जुड़ा हुआ है। कुल्लू शहर में ब्यास और पार्वती नदी के संगम के पास एक ऊंचे पर्वत के ऊपर बिजली महादेव का प्राचीन मंदिर है।पूरी कुल्लू घाटी में ऐसी मान्यता है कि यह घाटी एक विशालकाय सांप का रूप है। इस सांप का वध भगवान शिव ने किया था। जिस स्थान पर मंदिर है वहां शिवलिंग पर हर बारह साल में भयंकर आकाशीय बिजली गिरती है। बिजली गिरने से मंदिर का शिवलिंग खंडित हो जाता है। यहां के पुजारी खंडित शिवलिंग के टुकड़े एकत्रित कर मक्खन के साथ इसे जोड़ देते हैं। कुछ ही माह बाद शिवलिंग एक ठोस रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। इस शिवलिंग पर हर बारह साल में बिजली क्यों गिरती है और इस जगह का नाम कुल्लू कैसे पड़ा इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जो इस प्रकार है।



रहता था कुलान्त राक्षस

कुल्लू घाटी के लोग बताते हैं कि बहुत पहले यहां कुलान्त नामक दैत्य रहता था। दैत्य कुल्लू के पास की नागणधार से अजगर का रूप धारण कर मंडी की घोग्घरधार से होता हुआ लाहौल स्पीति से मथाण गांव आ गया। दैत्य रूपी अजगर कुण्डली मार कर ब्यास नदी के प्रवाह को रोक कर इस जगह को पानी में डुबोना चाहता था। इसके पीछे उसका उद्देश्य यह था कि यहां रहने वाले सभी जीवजंतु पानी में डूब कर मर जाएंगे। भगवान शिव कुलान्त के इस विचार से से चिंतित हो गए।






अजगर के कान में धीरे से बोले भगवान शिव



बड़े जतन के बाद भगवान शिव ने उस राक्षस रूपी अजगर को अपने विश्वास में लिया। शिव ने उसके कान में कहा कि तुम्हारी पूंछ में आग लग गई है। इतना सुनते ही जैसे ही कुलान्त पीछे मुड़ा तभी शिव ने कुलान्त के सिर पर त्रिशूल वार कर दिया। त्रिशूल के प्रहार से कुलान्त मारा गया। कुलान्त के मरते ही उसका शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया। उसका शरीर धरती के जितने हिस्से में फैला हुआ था वह पूरा की पूरा क्षेत्र पर्वत में बदल गया। कुल्लू घाटी का बिजली महादेव से रोहतांग दर्रा और उधर मंडी के घोग्घरधार तक की घाटी कुलान्त के शरीर से निर्मित मानी जाती है। कुलान्त से ही कुलूत और इसके बाद कुल्लू नाम के पीछे यही किवदंती कही जाती है।



भगवान शिव ने इंद्र से कहा था इस स्थान पर गिराएं बिजली

कुलान्त दैत्य के मारने के बाद शिव ने इंद्र से कहा कि वे बारह साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराया करें। हर बारहवें साल में यहां आकाशीय बिजली गिरती है। इस बिजली से शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है। शिवलिंग के टुकड़े इकट्ठा करके शिवजी का पुजारी मक्खन से जोड़कर स्थापित कर लेता है। कुछ समय बाद पिंडी अपने पुराने स्वरूप में आ जाती है

बिजली शिवलिंग पर ही क्यों गिरती है


आकाशीय बिजली बिजली शिवलिंग पर गिरने के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव नहीं चाहते चाहते थे कि जब बिजली गिरे तो जन धन को इससे नुकसान पहुंचे। भोलेनाथ लोगों को बचाने के लिए इस बिजली को अपने ऊपर गिरवाते हैं। इसी वजह से भगवान शिव को यहां बिजली महादेव कहा जाता है। भादों के महीने में यहां मेला-सा लगा रहता है। कुल्लू शहर से बिजली महादेव की पहाड़ी लगभग सात किलोमीटर है। शिवरात्रि पर भी यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।


:  भगवान शिव ने इंद्र से कहा था इस स्थान पर गिराएं बिजली

कुलान्त दैत्य के मारने के बाद शिव ने इंद्र से कहा कि वे बारह साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराया करें। हर बारहवें साल में यहां आकाशीय बिजली गिरती है। इस बिजली से शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है। शिवलिंग के टुकड़े इकट्ठा करके शिवजी का पुजारी मक्खन से जोड़कर स्थापित कर लेता है। कुछ समय बाद पिंडी अपने पुराने स्वरूप में आ जाती है।



बिजली शिवलिंग पर ही क्यों गिरती है
आकाशीय बिजली बिजली शिवलिंग पर गिरने के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव नहीं चाहते चाहते थे कि जब बिजली गिरे तो जन धन को इससे नुकसान पहुंचे। भोलेनाथ लोगों को बचाने के लिए इस बिजली को अपने ऊपर गिरवाते हैं। इसी वजह से भगवान शिव को यहां बिजली महादेव कहा जाता है। भादों के महीने में यहां मेला-सा लगा रहता है। कुल्लू शहर से बिजली महादेव की पहाड़ी लगभग सात किलोमीटर है। शिवरात्रि पर भी यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

सर्दियों में भारी बर्फबारी






यह जगह समुद्र स्तर 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शीत काल में यहां भारी बर्फबारी होती है। कुल्लू में भी महादेव प्रिय देवता हैं। कहीं वे सयाली महादेव हैं तो कहीं ब्राणी महादेव। कहीं वे जुवाणी महादेव हैं तो कहीं बिजली महादेव। बिजली महादेव का अपना ही महात्म्य व इतिहास है। ऐसा लगता है कि बिजली महादेव के इर्द-गिर्द समूचा कुल्लू का इतिहास घूमता है। हर मौसम में दूर-दूर से लोग बिजली महादेव के दर्शन करने आते हैं।



शुक्रवार, 9 जून 2017

foto पर्यटन परिक्रमा। ..प्राकृतिक खूबसूरती से सरोबार पहाड़ो की रानी शिमला













पर्यटन परिक्रमा। ..प्राकृतिक खूबसूरती से सरोबार पहाड़ो की रानी शिमला 

हिमाचल के प्राकृतिक सौंदर्य का जितना वर्णन किया जाए बहुत कम होगा। देवभूमि हिमाचल जहां धर्म और आस्था से परिपूर्ण है वहीं प्राकृतिक सौंदर्य का अलौकिक रूप भी है। आईए हम आपको प्रकृति की अलौकिक छटा और देवभूमि हिमाचल की राजधानी शिमला से रूबरू करवाएं। शिमला को पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है और यह हिमाचल प्रदेश की राजधानी भी है




सुंदर घाटियों और पहाड़ियों से घिरा शिमला  प्रकृति का एक अद्भुत उपहार है। यह शहर भारत देश का प्रसिद्ध हिल स्टेशन है जो ब्रिटिश काल की ग्रीष्मकालीन राजधानी होने का ताज पहने हुए है। यहाँ आकर और इसके सौन्दर्य को करीब से देखकर, अनुमान लगाया जा सकता है कि क्यों अंग्रेजों का दिल इस शहर पर आया था।


लम्बी सड़कें, घुमावदार रोड, हरे-भरे पहाड़, निर्मल झरने, शांत झीलें, ऊंचीं चोटियाँ और यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित की गयी कालका-शिमला टॉय ट्रेन (Kalka-Shimla Toy Train) का सफ़र, प्रकृति के ऐसे ही कई खूबसूरत रंगों से सजा है शिमला, जो पर्यटकों को कभी न भूलने वाली यादें देता है।


वातावरण को प्रदुषण मुक्त रखने के लिए शहर के मध्य में गाड़ियों के आने-जाने पर प्रतिबन्ध लगाया गया है लेकिन बिना गाड़ियों के सुंदर वादियों के बीच, पहाड़ों को निहारते हुए चलना ही आपको सुकून से भर देता है। शहर के केंद्र में स्थित स्कैंडल पॉइंट (Scandal Point) के सामने खुला भाग रिज (The Ridge) है, जोकि पूर्व में क्राइस्ट चर्च तक फैला है। यहीं शहर के पारंपरिक उत्सव और कार्यक्रम होते हैं। सर्दियों में सफ़ेद बर्फ की चादर, शिमला को और भी आकर्षित और मनोरम बना देती है।


इस शहर के नाम की उत्पत्ति को लेकर कई मान्यताएं हैं उनमें से एक के अनुसार, "शिमला" नाम माँ काली के अवतार "श्यामला" से प्रेरित है जिसका अर्थ है "नीली औरत"। माँ काली का मंदिर जाखू पहाड़ी पर स्थित था जिसे अंग्रेजों ने वर्तमान में काली बाड़ी मंदिर में स्थानांतरित कर दिया था।

सन् 1819 में लेफ्टिनेंट रोस ने यहाँ एक लकड़ी का कॉटेज बनवाया था और 1821 में मेजर कैनेडी ने यहाँ एक आलीशान कोठी का निर्माण करवाया। सन् 1829 में लॉर्ड एम्ह्सर्ट के बाद से यहाँ यूरोपीय बसने शुरू हो गये थे। आज़ादी के बाद शिमला पंजाब की राजधानी बना और बाद में यह हिमाचल प्रदेश की राजधानी बन गया।


शिमला मे घूमने के लिए प्रमुख स्थल –

रिज- शिमला के बिलकुल बीच में रिज़ है जहा से पहाड़ की चोटियों का सुंदर दृश्य दीखता है | शिमला रिज़ एक खुली जगह है जो पूर्व से पश्चिम तक फ़ैली हुयी विशाल जगह है | यह पश्चिम में स्केंडल पॉइंट को जोडती है | अगर आपको पहाड़ देखना पसंद है तो ये शिमला की सबसे सुंदर जगह है | बादलो से घिरे पहाड़ आपको मोहित कर देंगे |


जाखू मंदिर – जाखू मंदिर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह प्रसिद्ध मंदिर ‘जाखू पहाड़ी’ पर स्थित है। भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान को समर्पित यह मंदिर हिन्दू आस्था का मुख्य केंद्र है। रिज पर बने चर्च के पास से पैदल मार्ग के अलावा मंदिर तक जाने के लिए पोनी या टैक्सी द्वारा भी पहुंचा जा सकता है।


मॉल रोड - यह शिमला का मुख्य शापिंग सेंटर है। अच्छे रेस्तरां हैं। यह स्थान पुराने ब्रिटिश थियेटर का ही रूप है। अब सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र है। कार्ट रोड से माल के लिए लिफ्ट से जाया जा सकता हैं।


इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज़- इसका निर्माण वायसराय लॉर्ड डफरिन के आवास हेतु किया गया था, किन्तु अब इसका उपयोग इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज़ के लिए किया जाता है। इसके टैरेस से सूर्यास्त और सूर्योदय का शानदार नज़ारा देखना न भूलें।


तारादेवी शिमला- कालका सड़क मार्ग पर यह पवित्र स्थान के लिए रेल, बस और कार सेवा उपलब्ध है। स्टेशन/सड़क से पैदल अथवा जीप/टैक्सी द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है।


नारकंडा- हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग पर स्थित नारकंडा से बर्फ से ढकी पर्वत-श्रंखला केसुंदर दृश्य देखे जा सकते हैं। देवदार के जंगलों से घिरा ऊपर की ओर जाता मार्ग हाटु चोटी (8 कि.मी.) तक जाता है। हाटु माता का प्राचीन मंदिर पर स्कीइंग करने वालों की भीड़ रहती है। सर्दियों में यहां शार्ट स्कीइंग कोर्स आयोजित किए जाते हैं।


समर हिल- शिमला-रेलवे लाइन पर, समुद्र तल से 1283 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। आगंतुक इस खूबसूरत जगह के शांत वातावरण में एक प्रकृति वॉक ले सकते हैं। ‘मैनोर्विल हवेली’ और ‘हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय’ इस पहाड़ी पर स्थित हैं।


संकट मोचन मंदिर शिमला – कालका-शिमला राजमार्ग पर समुद्र तल से ऊपर 1975 मीटर की ऊंचाई पर है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है, और यह शिमला टाउन और शक्तिशाली हिमालय पर्वतमाला के सम्मोहित कर देने वाले मनोरम दृश्यों को प्रदर्शित करता है।


हम आपको बता देते हैं कि शिमला कैसे पहुंचा जा सकता है

हवाई मार्ग – शिमला का नजदीकी डोमेस्टिक एयरपोर्ट शिमला है और अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा चंडीगढ़ में है जहाँ से बस या टैक्सी द्वारा शहर पहुँच सकते हैं।

रेल मार्ग – नजदीकी रेलवे स्टेशन कालका और शिमला के बीच में 806 ब्रिज और 103 टनल बनाये गए हैं जो ब्रिटिश इंजिनियरिंग का एक बेहतरीन नमूना है, जिसे “पूर्वी ब्रिटिश आभूषण (British Jewel of the Orient)” कहा जाता है। कालका से लगभग 6 घंटे में शिमला पहुंचा जा सकता है, कालका देश के अनेक रेलवे मार्गो से जुडा हुआ है। शिमला और कालका के बीच में आने जाने के लिए टॉय ट्रेन से सफ़र करने का अपना अलग ही मजा है।

कालका से शिमला के बीच के स्टेशन-

1. कालका 2. टकसाल 3. गुम्मन 4. कोटी 5. जाबली 6. सनवारा 7. धर्मपुर 8.कुमारहट्टी 9. बड़ोग 10.सोलन 11. सोलन ब्रूरी 12. सलोगड़ा 13. कंडाघाट 14.कनोह 15. कैथलीघाट 16. शोधी 17. तारादेवी 18. जतोग 19. समरहिल 20. शिमला




सड़क मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग 22 शिमला और चंडीगढ़ को जोड़ता है इसके अलावा राज्य के अन्य शहरों से बस या टैक्सी द्वारा भी शिमला पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से शिमला के लिए सरकारी और निजी बस सेवाएँ चलती हैं, पर्यटक प्राइवेट टैक्सी से भी शहर आसानी से पहुँच सकते हैं।

बुधवार, 7 जून 2017

फोटो पर्यटन परिक्रमा हिमाचल की खूबसूरत चैल की वादियां

फोटो पर्यटन परिक्रमा हिमाचल की खूबसूरत चैल की वादियां 
चैल एक ख़ूबसूरत पहाड़ी स्थान है, जो हिमाचल प्रदेश के सोलन ज़िले में स्थित है। यहाँ का क्रिकेट और पोलो मैदान भी बहुत प्रसिद्ध है। चैल का वन्यजीव अभ्यारण्य भी बहुत ख़ास है, जो वन्यजीव प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस अभ्यारण्य में वन्यजीवों के साथ ही विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे भी पाये जाते हैं।















समुद्र तल से 2,226 मीटर ऊँची और सध टिब पहाड़ी पर स्थित चैल हिमाचल प्रदेश का बहुत ही सुन्दर स्थान है। शेनल के होम स्टे किंग्सवुड में पहुँचने पर सर्वनिवृत आईएएस  जे एस राणा और सना विमल से जब पर्यटन स्थलों पे चर्चा हुई तब उन्होंने चैल देखने का सुझाव दिया ,दूसरे दिन कुफरी से सीधे शिवपाल  सिंह चौहान के साथ चैल रवाना हुए ,बीच रस्ते एक रेस्टोरेंट के बहुत स्वादिष्ट राजमा ,चावल ,हिमाचली कढ़ी का स्वाद भी लिया। 

लॉर्ड किच्नर के आदेश के अनुसार पटियाला के महाराजा, अधिराज भूपिंदर सिंह को शिमला से निर्वासित कर दिया गया था। इसका बदला लेने के लिए भूपिन्दर सिंह ने चैल को अपनी गीष्मकालीन राजधानी बनाया और यहाँ सुंदर चैल महल का निर्माण करवाया। इस महल में ऐतिहसिल  लायक हैं तो यहाँ महाराजा पटियाला के   समय का पियानो बेहद खूबसूरत और आकर्षक हैं तो यहाँ गलियारों में लगी खूबसूरत पेंटिंग आपको मंत्रमुग्ध कर देगी ,महाराजा का भोजन कक्ष अब शाही डिन्नर हाल में तब्दील हो चूका हैं ,महल में संगीत सम्बंधित साज़ देखने लायक हैं ,    

चैल महल का निर्माण 1891 में हुआ और यह चैल की शाही वीरासत है। इसके अलावा चैल का वन्यजीव अभयारण्य जहाँ कई प्रकार के पेड़ पौधे पाए जाते हैं, चैल के प्रमुख आकर्षण का केंद्र हैं। इस अभयारण्य में कई वन्यजीव जैसे इंडियन मुन्टैक, तेंदुआ, कलगीदार साही, जंगली सूअर, गोरल, साम्भर, यूरोपीय लाल हिरण पाए जाते हैं।

चैल का क्रिकेट और पोलो मैदान समुंदरी तट से 2444 मीटर ऊँचा है। यह दुनिया का सब से ऊँचा स्थित क्रिकेट मैदान है। अब यह चैल सैन्य पाठशाला के अंतर्गत है







गुरुद्वारा साहिब, काली का टिब्बा, महाराजा महल यहाँ के प्रमुख पर्यटक स्थल है। यह ट्रैकिंग और फिशिंग के लिए उत्तम स्थान है। चैल जाने के लिए रोड मार्ग, रेल मार्ग, हवाई मार्ग की सेवा उपलब्ध है। इस स्थान को देकने का सबसे बढ़िया समय मार्च और मई के बीच है जब यहाँ सर्दी होती है। यहाँ का मधुर वातावरण गर्मियों में भी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

वन्यजीव अभयारण्य




चैल महल का निर्माण वर्ष 1891 में हुआ था और यह चैल की शाही वीरासत है। इसके अतिरिक्त चैल का वन्यजीव अभयारण्य, जहाँ कई प्रकार के पेड़ पौधे पाए जाते हैं, चैल के प्रमुख आकर्षण का केंद्र हैं। इस अभयारण्य में कई वन्यजीव पाये जाते हैं, जैसे-




इंडियन मुन्टैक

तेंदुआ

कलगीदार साही

जंगली सूअर

गोरल

साम्भर

यूरोपीय लाल हिरण

पर्यटक स्थल

चैल का क्रिकेट और पोलो मैदान भी बहुत प्रसिद्ध है, जो समुद्री तल से 2,444 मीटर ऊँचा है। यह दुनिया का सबसे अधिक ऊँचाई पर स्थित क्रिकेट मैदान है। अब यह चैल सैन्य पाठशाला के अंतर्गत है। गुरुद्वारा साहिब, काली का टिब्बा, महाराजा महल यहाँ के प्रमुख पर्यटक स्थल है। यह ट्रैकिंग और फिशिंग के लिए भी उत्तम स्थान है।[1]




कब और कैसे जाएँ




चैल जाने के लिए सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग की सेवा उपलब्ध है। इस स्थान को देकने का सबसे बढ़िया समय मार्च और मई के बीच है, जब यहाँ सर्दी होती है। यहाँ का मधुर वातावरण गर्मियों में भी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।



सोमवार, 5 जून 2017

foto...पर्यटन परिक्रमा खूबसूरत हरी वादियों के बीच हिल स्टेशन कुफरी

foto...पर्यटन परिक्रमा खूबसूरत हरी वादियों के बीच हिल स्टेशन कुफरी 














हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से कुछ ही दूरी पर स्थित कुफरी एक छोटा सा और बेहद प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। यह शिमला से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कुफरी को हिमाचल प्रदेश के राज्य पक्षी 'मोनाल' का घर भी कहा जाता है। कुफरी हिल स्टेशन का नाम शब्द 'कुफ्र' से बना है जिसका अर्थ 'झील' होता है। यहां हर प्रकार के स्नो स्पोर्ट्स का केन्द्र भी बना हुआ है। कुफरी की ऊंची चोटियों तक पहुँचाना थोड़ा मुश्किल होता है, इसके लिए पर्यटक खच्चर  या टट्टू की सवारी कर सकते हैं। हम लोग शेनल की खूबसूरत वादियों के बीच किंग्सवुड होम स्टे में ठहरे थे ,शानदार व्यवस्था के साथ ही आप प्राकृतिक नज़ारे देख खुश हो जायेंगे ,किंग्सवुड के मालिक सेवानिवृत आईएएस जे एस राणा बेहद सरल और सहज व्यक्तित्व के धनि हैं तो उनके सुपुत्र हिमांशु शेर राणा इस होम स्टे को शालीनता से संचालित करते हैं ,. 


 डॉ अशोक तंवर और मेरा परिवार दो वाहनों में शेनल से कुफरी पहुंचे ,भरी भीड़ और शोर शराबे के बीच वाहन चालक यशपाल चौहान ने घोड़ो की सवारी के लिए परिचित से मिलाया ,पांच सौ रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से पैसा लेकर रसीद देदी ,खच्छर पर पहाड़ियों का भ्रमण हमारे लिए रोमांच भरा होना था ,इसी बीच बच्चो ने एडवेंचर एक्टिविटी की जिद की तो उनके लिए भी एडवेंचर के टिकट लिए ,सभी एडवेंचर एक्टिविटी के प्रति व्यक्ति एक हज़ार रुपये ,इसके बाद शुरू हुआ हमारा कुफरी की और पलायन ,खच्चर वर्षो से इसी रास्ते जाते जाते माहिर हो गए ,खच्चर पे पहली बार सवारी की। रोमांचित हुए ,जब कुफरी पहुंचे तो दस दस रुपये की रसीद फिर कटी गयी ,उन्हें बोलै भैया अभी दस रूपये दिए तो बोले पंचायत बदल गयी फागु आ गया हैं ,चलो ऐसी रूपये की रसीद फिर कट गयी ,कुफरी में छोटा सा बाजार भी लगा हे जिसमे आप चाय नास्ता ,स्नेक्स आदि लेने के साथ खरीददारी भी कर सकते हैं ,


कुफरी 

अनंत दूरी तक चलता आकाश, बर्फ से ढकी चोटियां, गहरी घाटियां और मीठे पानी के झरने, कुफरी में यह सब है। यह पर्वतीय स्‍थान शिमला के पास समुद्री तल से 2510 मीटर की ऊंचाई पर हिमाचल प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित है। कुफरी में ठण्‍ड के मौसम में अनेक खेलों का आयोजन किया जाता है जैसे स्‍काइंग और टोबोगेनिंग के साथ चढ़ाडयों पर चढ़ना। ठण्‍ड के मौसम में हर वर्ष खेल कार्निवाल आयोजित किए जाते हैं और यह उन पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है जो केवल इन्‍हें देखने के लिए यहां आते हैं। यह स्‍थान ट्रेकिंग और पहाड़ी पर चढ़ने के लिए भी जाना जाता है जो रोमांचकारी खेल प्रेमियों का आदर्श स्‍थान है। हिमाचल प्राकृतिक सौंदर्य से लबालब है। यहां की खूबसूरत हरी भरी वादियां, यहां की संस्कृति, उत्सव, मेले और यहां के भोले-भाले लोगों का स्नेह यहां आने वालों को बार-बार आने के लिए उत्साहित करता है। प्रकृति की गोद में बसा हिमाचल पर्यटकों को यहां बर्बस ही खींच लाता है। वहीं सर्दी के मौसम में यह पर्यटन स्थल कुफरी बर्फ की चादर ओढ़े ओर भी खुबसूरत हो उठता है। ऐसे ही हिमाचल प्रदेश के दक्षिणी हिस्से में स्थित कुफरी जो शिमला से करीब  17 किमी. दूर स्थित है। एक छोटा सा शहर है जो शिमला में ही स्थित है। यहां आप अपने परिवार के साथ पिकनिक पर जा सकते हैं। यहां आप हॉर्स राइडिंग, बंज्जी जंपिंग, रोप क्लाइम्बिंग, जिप लाइनिंग का लुत्फ उठा सकते हैं। हालांकि यह जगह थोड़ी महंगी है, लेकिन आप यहां भरपूर आनंद उठा सकते हैं।

कुफरी में स्किंग, ट्रेकिंग और हाइकिंग करते पर्यटक

हिमाचल प्रदेश स्थित कुफरी को सर्दियों का हॉटेस्ट प्लेस कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान पर्यटक अपने स्कीइंग गीयर्स के साथ यहां पहुंचते हैं और एक-दूसरे पर बर्फ के गोले फेंकने और स्नो मैन बनाने के लिए तैयार रहते हैं। इस दौरान आने वाले पर्यटकों के कोलाहल से यहां की पहाडिय़ां जीवंत हो उठती हैं। स्की स्लोप्स से लोगों को उतरते देखना काफी रोमांचक होता है। कुफरी की सफेद भुरभुरी दुनिया में प्रवेश कर आप भी बर्फ के साम्राज्य का आनंद ले सकते हैं। कुफरी अपने ट्रेकिंग और हाइकिंग रूट्स के कारण भी जाना जाता है। यह हिल रिसोर्ट समुद्र तल से 2,510 मी. की ऊंचाई पर स्थित है और विभिन्न आकर्षणों से भरपूर है। प्रत्येक वर्ष हजारों पर्यटक कुफरी पहुंचते हैं और एक बार यहां पहुंचने पर हमेशा के लिए यहीं बसना चाहते हैं। हाइकिंग, स्कीइंग, खूबसूरत नजारे, देवदार के वृक्षों की मीठी सुगंध और ठंडी-ठंडी बहती हवाएं-यह सब आपको कुफरी में मिलेगा।

शिमला की बर्फीली इस जगह का नाम कुफ्र शब्द से पड़ा है, जिसका स्थानीय भाषा में मतलब है झील। इस जगह के साथ जुड़े आकर्षण के कारण यहां वर्ष भर पर्यटक आते हैं। महासू पीक, ग्रेट हिमालयन नेचर पार्क, और फागू कुफरी में कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं।

कुफरी का तापमान

कुफरी मानसून के मौसम के दौरान अल्प वर्षा प्राप्त करता है और तापमान 10 डिग्री तक गिर जाता है। सर्दियों में बहुत ठंड होती हैं और इस दौरान तापमान शून्य से नीचे गिर सकता है। मार्च और नवंबर के बीच की अवधि में इस जगह का दौरा करने के लिए आदर्श माना जाता है।

कब जाएं- जैसा कि हमने पहले ही कहा है कि शिमला की हसीन वादियां वर्षपर्यंत पर्यटकों का स्वागत करती हैं। सावधानी बरतें।यहां सालभर किसी भी मौसम में जाया जा सकता है। केवल भारी बर्फबारी के समय सड़क बंद होने की स्थिति में ही पर्यटकों को तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है। यदि आप सर्दियों के मौसम में शिमला जाने की तैयारी करें तो पहले शिमला और हिमाचल के मौसम के बारे में जरूर पता कर लें।

नलडेरा

हिमाचल के एक क्विक टूरिस्ट डेस्टिनेशन नलडेरा। नलडेरा तक पहुचने का रास्ता बड़ा ही मजेदार है। कांडा घाट ले नलदेरा की और जाते समय रास्ते में पड़ती है ग्रीन वैली जो बहुत ही खूबसूरत है। इस पूरी वैली में सिर्फ पाइन के पेड़ हैं। नलडेरा में आपको खास तरह के गर्म जुराब मिलेंगे जिनको यहां की स्थानीय महिलाएं बड़ी कुशलता से बुनती हैं। यहां से आप ऊन के बने जूते भी खरीद सकते हैं।


ग्रीन वैली के बाद हिमाचल का और शानदार टूरिस्ट डेस्टिनेशन आता है कुफरी। कुफरी शिमला से 16 किमी दूर है दजो अपने बेहतरीन प्राकृतिक नजारों के लिए जाना जाता है। कुफरी जाते समय रास्ते में आपको बहुत सारे याक दिखते हैं जिनके साथ लोग तस्वीरें खिंचवाते हैं कोई उनपर बैठकर राइड करता है। महासु चोटी कुफरी की सबसे ऊंची चोटी है। जहां टट्टू पर सवार होकर जाया जा सकता है। कुफरी में एक टेलिस्कोप प्वाइंट है जहां से आसमान के नजारे का मजा लिया जा सकता है। शहर के भागम-भाग से दूर पहाड़ो की शांति आपको आपको एक अलग तरह की अनुभूति देती है। आप कुफरी में तेजी से गाड़ी दौड़ाने का मजा भी ले सकते हैं।


कुफरी कैसे जाएं
कुफरी कैसे जाएं-कालका, चंडीगढ़, दिल्ली, अमृतसर, जम्मू और पंजाब शहर से शिमला के लिए नियमित रूप से बस सेवा उपलब्ध है। इसके अलावा आप यहां से टैक्सी भी किराए पर ले सकते हैं। यदि स्वयं के वाहन को चला रहे हैं तो कुफरी और ऊंची पहाडिय़ों पर अतिरिक्त सुरक्षा का पूरा ध्यान रखे ,

कुफरी रेलमार्ग:- यदि आप शिमला आ रहे हैं तो कालका से टॉयट्रेन लेना न भूलें। कालका से शिमला का सफर 95 किमी तक का है।

कुफरी वायुमार्ग- चूंकी शिमला हिमाचल की राजधानी है, इसलिए हर प्रमुख शहर से यहाँ के लिए वायुसेवा उपलब्ध है।

कुफरीसड़क मार्ग राज्य परिवहन की बसें और निजी डीलक्स बसें दोनों, आसानी से शिमला से कुफरी के लिए उपलब्ध हैं। कुफरी का क्षेत्र में अप्रैल और जून के महीने के बीच गर्मियों के दौरान समशीतोष्ण जलवायु का पाया जाता है। इस मौसम के दौरान इस जगह का तापमान 12 डिग्री सेल्सियस और 19 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।