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गुरुवार, 30 जून 2016

पाकिस्तान: सिंध में मानसून की पहली बारिश में 10 की मौत

पाकिस्तान: सिंध में मानसून की पहली बारिश में 10 की मौत


कराची। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मॉनसून की पहली बार बारिश के बाद इससे जुड़ी घटनाओं में कम-से-कम 10 लोगों की मौत हो गई। इससे अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई और प्रांतीय राजधानी और देश के आर्थिक केेन्द्र कराची में सामान्य जनजीवन पटरी से उतर गया।

अधिकारियों ने बताया कि कराची में बिजली का करंट लगने और मिट्टी के घर की छत गिर जाने से दो बच्चों समेत चार लोगों की मौत हो गई और शेष छह लोगों की मौत थारपरकर, उमरकोट और बदीन इलाके में हो गई।

लगातार दूसरे दिन भारी बारिश से पाकिस्तान के आर्थिक और वित्तीय केन्द्र कराची में अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई।

भीषण गर्मी और उमस से परेशान दो करोड़ लोगों को बेसब्री से बारिश का इंतजार था लेकिन यह उनके लिए बुरा सपना साबित हुआ क्योंकि लगातार बारिश के कारण सडक़ों और गलियों में पानी भर गया। कई इलाकों में लगातार बिजली कट रही है और सडक़ों पर जाम लगा हुआ है।

रमजान के महीने में इफ्तार से पहले घर पहुंचने के लिए लोग सडक़ों पर निकले लेकिन जाम में फंसे रहे। वहीं कई इलाकों के लोग लंबे समय तक बिजली कटने के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए सडक़ों पर आ गए।

शनिवार, 29 अगस्त 2015

थार थळी सिंध री लोक गायिका माई धाई



थार थळी सिंध री लोक गायिका माई धाई




थार री थळी रो लोक गीत संगीत अनूठो हैं ,मांगणियार लोक कलाकारों रे कंठ रे मांय सरस्वती विराजमान हे ,पश्चिमी राजस्थान रे बाड़मेर जैसलमेर जिलो रे मांय खासी तादाद में मंगनिया लंगा लोक कलाकार हे जिको परदेशों रे मांय राजस्थानी संस्कृति रो परचम लहराओ। उणी भेंट में पाकिस्तान रे सिंध प्रान्त रे उमरकोट जिला री माई धाई महिला लोक गायिका हैं ,ऊनि आवाज़ में जादू हैं ,थर रे मिठास ने और बढ़ावे। माई डोडी रे पाछे माई ढाई रे गायोडे गाना री गन विदेशो में गूंजी ,आप भी िनि आवाज़ जरूर सुन जो।

रविवार, 2 नवंबर 2014

खास खबर पाकिस्तान में दो बालिकाओ के साथ कट्टरपंथियों का अत्याचार

अंजलि मेघवार 

काजल भील 


खास खबर पाकिस्तान में दो  बालिकाओ के साथ कट्टरपंथियों का अत्याचार 


पिछले चंद एक दिनों में पाकिस्तान के सिंध सूबे से दो हिन्दू नाबालिग लड़कियोँ हरएक १२ वर्ष आयु की अंजलि मेघवाल तथा १२ वर्ष काजल भील को मकामी मुस्लमान लड़कों ने अपहरण करके जबरदस्ती मुस्लमान बनाकर शादी करली हे. सुचना के अनुसार दोनों को अदालत में फर्जी  आयु दिखाकर बालिग़ बताया गया हे जबकि लड़कियों के रिश्तेदारों ने आयु के सर्टिफिकेट पेश किये जिनमें वो १२ वर्ष की नाबालिग लड़कियां साबित होती हैं. इस के बावजूद काजल भील को इसलिए नहीं लौटाया जा रहा हे के उस को अपहरण करने वाला व्यक्ति  पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के किसी बड़े नेता का आशीर्वाद ले बैठा हे. जब कि अंजलि मेघवाल का तो कोर्ट ने भी माना के उस की आयु १२ वर्ष हे और कोर्ट में अंजलि मेघवाल ने ये भी बताया के उसे मौलवियों से डर हे वो कहीं उसे मार डालेंगे. 

इस के बावजूद कोर्ट ने अंजलि की कोई भी नही सुनी और उसे माता पिता को वापस करने के बजाए आज ही शेल्टर होम ये कह कर भेजने का आदेश दिया हे के उसे वापस माता पिता को देने से खून खराबा हो सकता हे. इस मामले पर टिपणी करते हुए सिंध के वरिष्ठ  मिनोरटी सोशल एक्टिविस्ट राज कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा हे के उन्हें शक हे शेल्टर होम भजने से अंजलि से भी रिंकल कुमारी जैसा वेहवार होगा. याद रहे के दो वर्ष पहले सिंध की रिंकल कुमारी ने भी पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में कहा था के उसे अपने मान के साथ जाना हे लेकन उसे पहले शेल्टर होम भेजा गया और बाद में लके छुपे उस को अपरहण करने वाले वेक्ति को सौंपा गया. राज कुमार ने ये भी लिखा हे के उससे संदेह हे के ये सारा कुछ देश के ताकतवर लोग भरचूनड़ी के पीरों के माद्यम से शायद इस लिये करवा रहे हैं ताके सिंध के हिन्दुओं को सिंध से भगाया जासके.

बुधवार, 18 दिसंबर 2013

बेनजीर भुट्टो के प्रति सरहद पर अब भी दीवानगी





बेनजीर भुट्टो के प्रति सरहद पर अब भी दीवानगी

बाड़मेर: राजस्‍थान के थार मरुस्‍थल के सरहदी इलाकों में इन दिनों पाकिस्तान के सिंध सूबे के लोक गीत गूंज रहे हैं। इन लोक गीतों में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के जीवन से जुड़े प्रसंगों को फिल्माने के साथ संगीतबद्ध किया गया है।बेनजीर कि मौत के कई साल बाद भी इन अलबमों के प्रति दीवानगी सरहदी क्षेत्रो में देखि जा रही हें। पाकिस्तान सीमा से सटे बाड़मेर जिले के कई गाँवो के लोग बेनजीर भुट्टो से ख़ास लगाव रखते हें उनकी शहादत को आज भी इस अलबमों के जरिये सुनते हें।

थार और सिंध का पुराना नाता रहा है। इतना ही नहीं, रस्मों-रिवाज के साथ यहां की रवायतों में भी गहरा ताल्लुक रहा है। आपस में रिश्तेदारियां तो आज भी होती हैं। हां, इससे पहले लोकगीतों में अपने इलाके से जुड़े किस्से, रस्मों-रिवाजों का गुनगान होता था, लेकिन अब सिंधी लोक कलाकार अपने गीतों में भुट्टों के जीवन से जुड़े प्रसंगों को गुनगुना रहे है। इंटरनेट पर यूट्यूब के अलावा थार एक्सप्रेस में आने वाले यात्री अपने साथ मोबाइल चिप और पेन ड्राइव में ये गीत लेकर आ रहे हैं।

सिंध के लोक कलाकारों ने अपनी जुबां में गाए गीतों में भुट्टों को ‘चार सूबों की जंजीर, दुश्मनों के सीने में थी तीर’ बताया है। कलाकारों ने गाया है कि ‘या अल्लाह या रसूल बेनजीर बेकसूर।’ ‘आठ साल बाद रखा देश में कदम और कदम पर दुश्मनों ने रखा बम’ एक खास गीत है, जिसमें भुट्टों के पाकिस्तान छोड़ देने के आठ साल बाद पाकिस्तान आने और फिर उनकी हत्या के प्रसंग का उल्‍लेख किया गया है।

गीतों में बेनजीर को शहीद और सिंध की रानी बताते हुए उनके राजनैतिक दौरे, तीखे भाषण, समर्थकों की भीड़ और उनकी अपनी आवाज में ‘क्या मुल्क को बचाने में मेरा साथ दोगे’ जैसे तीखे तेवरों को दिखाया गया है। वीडियों में उनकी हत्या के फुटेज को भी दिखाया गया है। इस अलबम में एक गीत है- ‘सिन्ध की रानी हुई शहीद, घर-घर में कोहराम आया।’

इस विषय में बाड़मेर के लोकगीत म्‍यूजिक कंपोजर सत्तारभाई का कहना है, ‘थार-सिंध के लोक गीतों को पहले भी दोनों मुल्कों में सुना जाता था, लेकिन लोक कलाकारों की ओर से राजनेताओं के बारे में गीत और चित्रण अभी प्रचलन में आने के साथ ही हमजुबां होने से भी पंसद किए जा रहे हैं।’




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रविवार, 6 अक्तूबर 2013

हुरमुचो भारत की प्राचीन और पारम्परिक सिंध कशीदा शैली

हुरमुचो भारत की प्राचीन और पारम्परिक सिंध कशीदा शैली

बाड़मेर. कशीदाकारी भारत का पुराना और बेहद खूबसूरत हुनर है । बेहद कम साधनों और नाममात्र की लागत के साथ शुरु किये जा सकने वाली इस कला के कद्रदान कम नहीं हैं । रंग बिरंगे धागों और महीन सी दिखाई देने वाली सुई की मदद से कल्पनालोक का ऎसा संसार कपड़े पर उभर आता है कि देखने वाले दाँतों तले अँगुलियाँ दबा लें । लखनऊ की चिकनकारी,बंगाल के काँथा और गुजरात की कच्छी कढ़ाई का जादू हुनर के शौकीनों के सिर चढ़कर बोलता है। इन सबके बीच सिंध की कशीदाकारी की अलग पहचान है । तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी में जबकि हर काम मशीनों से होने लगा है, सिंधी कशीदाकारों की कारीगरी "हरमुचो" किसी अजूबे से कम नज़र नहीं आती । बारीक काम और चटख रंगों का अनूठा संयोजन सामान्य से वस्त्र को भी आकर्ष्क और खास बना देता है । हालाँकि वक्त की गर्द इस कारीगरी पर भी जम गई है । नई पीढ़ी को इस हुनर की बारीकियाँ सिखाने के लिये भोपाल के राष्ट्रीय मानव संग्रहालय ने पहचान कार्यक्रम के तहत हरमुचो के कुशल कारीगरों को आमंत्रित किया था । इसमें सरला सोनेजा, कविता चोइथानी और रचना रानी सोनेजा ने हरमुचो कला के कद्रदानों को सुई-धागे से रचे जाने वाले अनोखे संसार के दर्शन कराये । हुरमुचो सिंधी भाषा का शब्द है जिसका शब्दिक अर्थ है कपड़े पर धागों को गूंथ कर सज्जा करना। हुरमुचो भारत की प्राचीन और पारम्परिक कशीदा शैलियों में से एक है। अविभाजित भारत के सिंध प्रांत में प्रचलित होने के कारण इसे सिंधी कढ़ाई भी कहते हैं। सिंध प्रांत की खैरपुर रियासत और उसके आस-पास के क्षेत्र हरमुचो के जानकारों के गढ़ हुआ करते थे। यह कशीदा प्रमुख रूप से कृषक समुदायों की स्त्रियाँ फसल कटाई के उपरान्त खाली समय में अपने वस्त्रों की सज्जा के लिये करती थीं। आजादी के साथ हुए बँटवारे में सिंध प्रांत पाकिस्तान में चला गया किंतु वह कशीदा अब भी भारत के उन हिस्सों में प्रचलित है, जो सिंध प्रान्त के सीमावर्ती क्षेत्र हैं। पंजाब के मलैर कोटला क्षेत्र, राजस्थान के बाड़मेर ,जैसलमेर ,बीकानेर और श्री गंगानगर, गुजरात के कच्छ, महाराष्ट्र के उल्हासनगर तथा मध्य प्रदेश के ग्वालियर में यह कशीदा आज भी प्रचलन में है। हुरमुचो कशीदा को आधुनिक भारत में बचाए रखने का श्रेय सिंधी समुदाय की वैवाहिक परंपराओं को जाता है। सिंधियों में विवाह के समय वर के सिर पर एक सफेद कपड़ा जिसे ’बोराणी’ कहते है, को सात रंगो द्वारा सिंधी कशीदे से अलंकृत किया जाता है। आज भी यह परम्परा विद्यमान है। सिंधी कशीदे की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें डिजाइन का न तो कपड़े पर पहले कोई रेखांकन किया जाता है और न ही कोई ट्रेसिंग ही की जाती है। डिजाइन पूर्णतः ज्यामितीय आकारों पर आधारित और सरल होते हैं। जिन्हें एक ही प्रकार के टांके से बनाया जाता है जिसे हुरमुचो टांका कहते हैं। यह दिखने में हैरिंघ बोन स्टिच जैसा दिखता है परंतु होता उससे अलग है। पारम्परिक रूप से हुरमुचो कशीदा वस्त्रों की बजाय घर की सजावट और दैनिक उपयोग में आने वाले कपड़ों में अधिक किया जाता था। चादरों,गिलाफों,रूमाल,बच्चों के बिछौने,थालपोश,थैले आदि इस कशीदे से सजाए जाते थे । बाद में बच्चों के कपड़े, पेटीकोट, ओढ़नियों आदि पर भी हरमुचो ने नई जान भरना शुरु कर दिया । आजकल सभी प्रकार के वस्त्रों पर यह कशीदा किया जाने लगा है।मैटी कशीदे की तरह सिंधी कशीदे में कपड़े के धागे गिन कर टांकों और डिजाइन की एकरूपता नहीं बनाई जाती। इसमें पहले कपड़े पर डिजाइन को एकरूपता प्रदान करने के लिए कच्चे टाँके लगाए जाते हैं। जो डिजाइन को बुनियादी आकार बनाते हैं। सिंधी कशीदा हर किस्म के कपड़े पर किया जा सकता है। सिंधी कशीदे के डिजाइन अन्य पारम्परिक कशीदो से भिन्न होते हैं।


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