सनावड़ा गेर मेले लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सनावड़ा गेर मेले लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 14 मार्च 2017

foto सनावड़ा गेर मेले में हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़, मनमोहक अंदाज में गेर नृत्य









बाड़मेर. सनावड़ा गेर मेले में हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़, मनमोहक अंदाज में गेर नृत्य
एशियाड में धूम मचा चुके सनावड़ा गेर नृत्य की प्रस्तुति होली के दूसरे दिन धुलंडी के अवसर पर सनावड़ा गेर मेले में हुई।

विशेष पोशाक पहने सैकड़ों कलाकारों ने ढोल व थाली की थाप पर मनमोहक अंदाज में गेर नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मेले में बाड़मेर जिलेभर से हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी।

गेर मेले में हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ के बीच लाल-सफेद आंगी पहने कलाकार गोल घेरे में डांडियों को टकराते हुए थिरकते नजर आए।

मेले में युवाओं के साथ बुजुर्ग कलाकारों में भी जोश कम नहीं था। रंग बिरंगी आंगी पहने हाथों में डांडिया लिए गोल घेरे में नर्तकों ने लय व ताल के साथ डांडियों की डंकार से सनावड़ा गूंज उठा।

170 सालों से गेर मेले का आयोजन:

170 वां गेर मेला धुलंडी के दिन दोपहर 3 बजे से प्रारंभ हुआ। इस दौरान गेर नृतक चार दिशाओं में गेर खेलते हुए मैदान में पहुंचे।

चार दिशाओं में पंक्तिबद्ध नृत्य करते हुए गोल घेरा बना दिया। देखते ही देखते गैरिये थाली की टंकार और ढोल की थाप पर गोल घेरे में पारंपरिक अंदाज में थिरकते लगे।

कभी खड़े होकर तो कभी योग मुद्रा में नर्तकों ने अपना प्रदर्शन किया।

आसपास के गांवों से गेरियों ने भाग लिया:

गेर मेले में जाखड़ों की ढाणी, सनावड़ा, सोडियार, लीलसर, बाछड़ाऊ, मूढों का तला, रामदेरिया, जेठाणी जाखड़ों की ढाणी, सादुलानियों का तला, सुथारों का तला, कुम्हारों का तला, अणदे का तला, नवा तला, पिंडेलों का तला सहित 15-20 गांवों से गेर कलाकारों ने भाग लिया।

दर्शकों की भारी भीड़ के कारण पर्याप्त जगह नहीं होने पर दर्शक मकान, पेड़ व पोल पर चढ़कर गेर मेले का आनंद लिया।

जेठाणी जाखड़ों का तला पर पहली बार गेर नृत्य की शुरूआत हुई, जहां दर्शकों ने उत्साह के साथ गेर नृत्य की प्रस्तुति दी।

इस दौरान नानगाराम मायला, प्रेमाराम, तगाराम, चैनाराम, कुंभाराम मूढ़, खेराज राम, सहित कई युवाओं ने उत्साह के साथ भाग लेते हुए गेर नृत्य की प्रस्तुति दी।

यह है कलाकारों की वेशभूषा:

गेर नृतक आंगी, बागी घाघरा, कमर कड़बंद्धा, पांवों में घुंघरु और विभिन्न रंगों में लाल पीला साफा पहने हुए थे। साफों में कलंकी लगाए, गले में कांच कसीदाकारी की बनी हुई पेसी पहने हुए थे।

थाली और ढोल बजाने के तौर तरीकों के आधार पर ही गेरियों ने नृत्य की प्रस्तुतियां दी। थाली और ढोल की थाप के साथ ही गेरियों ने नृत्य प्रारंभ कर दिया।

जैसे ही थाली की टंकार प्रथम बार बंद होकर पुन: शुरु होती है तो गेर नृतक खड़े होकर खेलने की बजाय योग मुद्रा की स्थिति में आ गए।

जब दूसरी बार थाली की टंकार बंद होकर पुन: शुरू होती है तो हैरी नृत्य शुरु हो गया।

नहीं पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी:

गेर मेले में इस बार प्रशासनिक अधिकारी के नाम पर बाड़मेर पुलिस अधीक्षक गंगनदीप सिंगला, गंगानगर विघायक कामिनी जिंदल, तहसीलदार ही पहॅूचे।

प्रशासनिक व जनप्रतिनिधीयों की उदासीनता के कारण दर्शकों में निराशा नजर आई।

कई ग्रामिणों का मेले में सहयोग रहा।