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सोमवार, 15 अक्तूबर 2018

मानवेन्द्र सिंह राष्ट्रीय राजनीति में तो चित्रा सिंह सूबे की सियासत संभालेगी,चुनाव लड़ने की संभावना

मानवेन्द्र सिंह राष्ट्रीय राजनीति में तो चित्रा सिंह सूबे की सियासत संभालेगी,चुनाव लड़ने की संभावना


राजस्थान में चुनावी जंग अब टिकट वितरण तक पहुंच गई है. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही मैराथन बैठकों के जरिए दावेदारों के नाम पर रायशुमारी कर रही हैं. इस बीच बीजेपी का साथ छोड़ चुके मानवेंद्र सिंहद्वारा कांग्रेस का हाथ थामने की प्रक्रिया भी अंतिम दौर में पहुंचती नजर आ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि मानवेंद्र 17 अक्टूबर को लाव-लश्कर के साथ कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. हालांकि, ये बात अलग है कि वो खुद प्रदेश की जगह राष्ट्रीय राजनीति में हाथ आजमाएंगे.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पू्र्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंहके बेटे मानवेंद्र सिंह फिलहाल शिव विधानसभा सीट से विधायक हैं. राजपूत समाज से आने वाले मानवेंद्र के कांग्रेस में शामिल होने से पश्चिमी राजस्थान की राजनीति में बड़ा बदलाव होने की उम्मीद है. इस इलाके में राजपूत परंपरागत रूप से बीजेपी के वोटर रहे हैं, ऐसे में राजपूत वोटर बड़ी संख्या में कांग्रेस से जुड़ सकते हैं.
पत्नी चित्रा सिंह लड़ सकती हैं चुनावबाड़मेर में मानवेंद्र सिंह के परिवार का प्रभुत्व रहा है. वो खुद बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए हैं. 1999 में मानवेंद्र ने पहली बार लोकसभा चुनाव इसी सीट से लड़ा था, हालांकि वो जीत नहीं पाए थे. इसके बाद 2004 में शाइनिंग इंडिया का नारा फेल होने के बावजूद मानवेंद्र सिंह बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से चुनाव जीत गए.

2013 के विधानसभा चुनाव में मानवेंद्र सिंह ने बाड़मेर की शिव सीट से बीजेपी के टिकट पर किस्मत आजमाई और वो जीत गए. लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव में जब उनके पिता जसवंत सिंह को बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो उनकी दूरी बीजेपी से बढ़ गई. अब जबकि मानवेंद्र सिंह कांग्रेस में जाना तय माना जा रहा है, ऐसे में चर्चा ये है कि पत्नी चित्रा सिंह बाड़मेर की पचपदरा सीट से चुनाव लड़ेगी।।

एक्टिव हुईं चित्रा सिंह

बाड़मेर के पचपदरा में 22 सितंबर को बुलाई 'स्वाभिमान रैली' मानवेंद्र सिंह ने बीजेपी को बड़ी भूल बताते हुए सब कुछ स्पष्ट कर दिया था. लेकिन इस रैली से पहले ही मानवेंद्र की पत्नी चित्रा सिंह सार्वजनिक तौर पर एक्टिव नजर आने लगी थीं.

स्वाभिमान रैली से पहले बाड़मेर में युवा आक्रोश रैली के दौरान चित्रा सिंह ने घूंघट के पीछे से कहा था कि ऐसी सरकार को उखाड़ फेंको, जो स्वाभिमान की रक्षा नहीं करती है. उन्होंने वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा पर तंज किया था. इसके अलावा भी चित्रा सिंह कई मोर्चों पर खुलकर अपने विचार रख रही हैं.

मानवेंद्र के पिता रहे केंद्रीय मंत्री

मानवेंद्र सिंह के पिता जसवंत सिंह बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में रहे हैं. जसवंत सिंह सबसे ज्यादा सांसद रहने वाले नेताओं में शुमार किए जाते हैं. वो चार बार लोकसभा सांसद रहे हैं, जबकि पांच बार राज्यसभा सांसद के बतौर उन्होंने सेवाएं दी हैं. लेकिन 2014 के चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, जिसके पीछे वसुंधरा राजे को वजह माना गया.

हालांकि, जसवंत सिंह और सीएम वसुंधरा राजे के बीच पहले काफी अच्छे संबंध थे, लेकिन पिछले सात-आठ साल में दोनों के बीच दूरी पैदा हो गई. इसी का नतीजा था कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बाड़मेर से जसंवत सिंह को टिकट देने के बजाय कर्नल सोनाराम चौधरी को मैदान में उतारा.

बीजेपी से टिकट न मिलने के बाद जसवंत सिंह निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़े थे. मोदी लहर के बावजूद जसवंत सिंह 4 लाख से ज्यादा वोट पाने में कामयाब रहे थे, हालांकि वह जीत नहीं पाए थे. मानवेंद्र ने इस चुनाव में अपने पिता के खिलाफ और बीजेपी प्रत्याशी सोनाराम चौधरी के पक्ष में प्रचार करने से मना कर दिया था. जिसका नतीजा उन्हें पार्टी से साइड लाइन करने के रूप में झेलना पड़ा.

अब यह चर्चा है कि मानवेंद्र सिंह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे बल्कि बाड़मेर से अगले साल लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. अब तक मानवेंद्र सिंह के ग्रुप को पांच सीटों के आवंटन के दावे किए जा रहे हैं. इनमें उनकी पत्नी चित्रा के शिव सीट से लड़ने की उम्मीद है. जबकि राष्ट्रीय राजनीति की पिता कि विरासत को मानवेंद्र सिंह आगे बढ़ाएंगे.



सोमवार, 1 अक्तूबर 2018

*बाड़मेर विधानसभा चुनाव तब से अब तक* *राजनीती के कई रंग दिखे बाड़मेर के अब तक के चुनावो में* *सात बार कांग्रेस और सात बार गैर कांग्रेस जीत पाई यह सीट*

*बाड़मेर विधानसभा चुनाव तब से अब तक*

*राजनीती के कई रंग दिखे बाड़मेर के अब तक के चुनावो में*

*सात बार कांग्रेस और सात बार गैर कांग्रेस जीत पाई यह सीट*

चन्दन सिंह भाटी

सरहदी बाड़मेर जिले में विधानसभा चुनाव पहले चुनाव 1952 से आरम्भ हो गए थे। बाड़मेर जिले की राजनीती आज़ादी के बाद हर पांच साल बाद करवटें बदलती रही। कांग्रेस और गैर कांग्रेस के कई बार दिलचस्प मुकाबले हुए। चौदह बार हुए विधानसभा चुनावो में सात बार कांग्रेस और सात बार गैर कांग्रेस फ़तेह हासिल कर चुकी हें। जिसमें विरधी चंद जैन चार बार सर्वाधिक बाड़मेर से विधायक रहे ,वाही तन सिंह महेचा और मेवाराम जैन दो बार गंगा राम चौधरी तीन बार ,रावत उम्मेद सिंह ,तगाराम चौधरी ,पंडित देवदत्त तिवारी , एक एक बार विधायक रहे। जातिगत आंकड़ो की राह पर चली हें बाड़मेर की राजनीती। बाड़मेर विधानसभा चुनावो में अब तक सिर्फ तीन महिलाओ ने चुनाव लड़ा जिसमे किसी को सफलता ना मिली।

*बाड़मेर विधान सभा मे इस बार कुल 2,32,229 मतदाता है जिसमे 1,22,803 पुरुष और 1,09,426 महिला मतदाता है।।इस साल कोई इकतीस हजार मतदाता बढ़े है।।*

*जातिगत आंकड़े:बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र में जातिगत आंकड़ो की बात करे तो करीब 14 हजार राजपूत,24 हजार राणा राजपूत,42 हजार जाट,पैंतीस से चालीस हजार अनुसूचित जाति जनजाति,17 हजार मुसलमान ,12 हजार जैन ,इतने ही ब्राह्मण है।।जाट,मुस्लिम मेघवाल का गठबंधन कांग्रेस को मजबूत बनाता है।।*

*प्रथम चुनाव 1952*

राजस्थान विधान सभा के लिए प्रथम चुनाव चार से चौबीस जनवरी 1952 तक यानि बीस दिन तक चला था। बाड़मेर ऐ विधानसभा क्षेत्र से राम राज्य परिषद् के तन सिंह महेचा ने कांग्रेस के विरधी चंद जैन को 1655 मतों से हरा पहले विधायक बनाने का इतिहास रच विधानसभा पहुंचे।


*दूसरा विधानसभा चुनाव 1957*


दुसरे चुनावो में बाड़मेर विधानसभा सीट स्वतंत्र रूप से अलग हो चुकी थी। दुसरे चुनावो में राम राज्य परिषद् के तन सिंह महेचा दूसरी बार लगातार मैदान में उतारे तथा कांग्रेस की महिला प्रत्यासी रुख्मानी देवी को हराया। तन सिंह को 9866 ,रुख्मानी देवी को 5507 तथा निर्दलीय अचलाराम को 498 मत मिले। तन सिंह ने 4359 मतों से चुनाव जीता।

*तीसरा चुनाव 1962*

तीसरे विधान सभा के लिए चुनाव उनीस फरवरी को हुआ जिसमे बाड़मेर विधानसभा के 63502 मतदाताओं में से 27813 ने मत डाले ,राम राज्य परिषद् के रावत उम्मेद सिंह को 13254 कांग्रेस के विरधी चंद जैन को 11936 ,निर्दलीय जोधारण को 1130 मत मिले। इस प्रकार निर्दलीय उम्मेद सिंह विधायक बन विधानसभा पहुंचे

*चौथा चुनाव 1967*

चौथी विधानसभा के लिए हुए चुनावो में कांग्रेस के विरधी चंद जैन ने रावत उम्मेद सिंह को सोलह हज़ार से अधिक मतों से हरा कर विधानसभा पहुंचे


*पांचवा चुनाव 1972*

पांचवी विधान सभा के चुनाव छ मार्च को आयोजित हुए जिसमे बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र के ७९१५० मतदाताओ में से 45765 मतदाताओं ने वोट डाले जिसमे कांग्रेस के विरधी चंद जैन को 22141 स्वतंत्र पार्टी के रावत उम्मेदसिंह को 14026 ,अमराराम को 7749 हरिराम को 678 मत मिले इस प्रकार कांग्रेस के विरधी चंद जैन पहली बार 8837 ,मतों से विजयी बन कर विधायक बने

*छठा चुनाव 1977*

छठी विधानसभा के लिए इकतीस जून को चुनाव हुए जिसमे बाड़मेर के 80908 मतदाताओं में से 46703 मतदाताओ ने 96 मतदान केन्द्रों पर वोट डाले। इन चुनावो में कांग्रेस के विरधी चंद जैन को 26729 जनता पार्टी के रावत उमेदसिंह को 17892 कवेंद्र कुमार को 1168 मत मिले। विरधी चंद तिसरी बार 8837 मतो से जीत कर विधायक बने

*सातवाँ चुनाव 1980*


सातवी विधानसभा के लिए इकतीस मई को चुनाव हुए जिसमे बाड़मेर के 93773 मतदाताओ में से 54848 मतदाताओ ने 111 मतदान केन्द्रों पर वोट डाले इन चुनावो में कांग्रेस ने पंडित देव दत्त तिवाड़ी को मैदान में उतारा तो भाजपा ने पहली बार अपना उम्मीदवार रतन लाल बोहरा को उतरा। इन चुनावो में पंडित को 23320 रतनलाल को 15682 पुनमचंद को 5058 अग्रेन्द्र कुमार को 116 मत मिले। कांग्रेस के देव डट तिवाड़ी 7638 मतो से विजयी रहे


*आठवां चुनाव 1985*

आठवीं विधानसभा चुनावो के लिए पांच मार्च को वोट पड़े जिसमे बाड़मेर के 118871 मतदाताओ में से 63098 मतदाताओ ने 143 मतदान केन्द्रों पर वोट डाले। इन चुनावो में लोकदल के गंगाराम चौधरी को 29134 ,कांग्रेस के रिखबदास जैन को 25718 अग्रेन्द्र कुमार को 2311 द्वारकेश को 1984 सफी को 1052 मोहम्मद अयूब को 344 और अन्य सात उम्मीदवारों को तिहाई अंको में तीन सौ और उससे कम मत मिले। इन चुनावो में लोकदल के गंगाराम ने 3416 मतों से विजय हासिल की


*नवा चुनाव 1990*

नवी विधानसभा के गठन के लिए राजस्थान में सत्ताईस फरवरी को चुनाव रखे गए ,इन चुनावो में बाड़मेर के 141885 मतदाताओ में से 78285 मतदाताओ ने 162 मतदान केंडो पर वोट डाले। इन चुनावो में रिकार्ड तेबिस उम्मीदवार मैदान में थे ,जिनमे जनता दल के गंगाराम चौधरी को 34371 कांग्रेस के हेमाराम चौधरी को 21363 हरी सिंह राठोड को 15062 मत मिले शेष उम्मीदवारों को चार सौ से कम मत मिले। गंगाराम ने यह चुनाव 13008 मतों से जीता


*दशवाँ चुनाव 1995*

 दशवीं विधानसभा के लिए राजस्थान में हुए चुनावो में बाड़मेर के 151091 मतदाताओ में से 82888 मतदाताओ ने भाग लिया। १७० मतदान केन्द्रों पर वोट पड़े। इन चुनावो में उनीस उम्मीदवार मैडम में उतरे जिसमे भाजपा समर्थित निर्दलीय गंगाराम चौधरी को 36578 कांग्रेस के विरधी चंद जैन को 33101 मत मिले। निर्दलीय फुसाराम को 8335 अन्य उन्न्निद्वारो को सात सौ और उससे कम मत मिले। गंगाराम ने लगातार तीसरी बार चुनाव जीत तिकड़ी बनाई ,विशेषता रही की तीनो चुनाव अलग अलद दलों से लड़े


*ग्याहरवी विधानसभा चुनाव 1998*


ग्यारहवी विधानसभा के लिए हुए मध्यावधि चुनाव पच्चीस नवम्बर को हुए जिसमे बाड़मेर के 168541 मतदाताओ में से 100994 मतदाताओ ने वोट डाले। २७४ मतदान केन्द्रों पर पड़े मतों में कांग्रेस के विरधी चंद जैन को 66616 भाजपा के तगाराम चौधरी को 33005 मत मिले सीधे मुकाबले में विरधी चंद जैन को 33111 मतो से जीत हासिल हुई।


*बहरावी विधानसभा 2003*

बहरावी विधानसभा के लिए एक दिसंबर को चुनाव हुए जिसमे बाड़मेर के 193536 मतदाताओ में से 119036 मतदाताओ ने मत डाले जिसमे भाजपा के तगाराम को 65780 कांग्रेस के विरधी चंद जैन को 35252 इनेलो के उम्मेदाराम को 7528 मत श्रवण चन्देल को 5156 मत राजेंद्र को 2436 नानक दास को 1456 पप्पू देवी को 1029 मत मिले। इस प्रकार भाजपा के तगाराम में पिछली हार का बदला लेते हुए विस्धि चंद जैन को 30523 मतो से हराया


*तेरहवी विधानसभा 2008*

तेरहवीं विधानसभा के लिए चार दिसंबर को मतदान हुआ जिसमे बाड़मेर के 180127 मतदाताओ में से 118085 मत पड़े। इन चुनावो में कांग्रेस के मेवाराम जैन को 62219 भाजपा की मृदुरेखा चौधरी को 38125 बसपा के कंवराज सिंह को 6908 लूनाराम को 3626 सवाई सिंह को 2945 सफी मोहम्मद को 1796 ,हरखाराम मेघवाल को 1703 नानकदास को 1666 मत मिले। कांग्रेस के मेवाराम जैन 24044 मतों से विजयी रहे।।

*चौदहवी विधान सभा चुनाव 2013

बाड़मेर. विधानसभा क्षेत्र में बीएसपी के चंद्रप्रकाश को 1921, सीपीआई के नानकदास धारीवाल को 1557, भाजपा की डॉ. प्रियंका चौधरी को 58042, कांग्रेस के मेवाराम जैन को 63955, बीवाईएस के मदन मोहन को 2249, जागो पार्टी के लालचन्द गोदारा को 684, शिव सेना के हुक्मीचंद लूणिया को 443, निर्दलीय बन्नाराम दर्जी को 595, भवानीसिंह को 1059, डॉ. मृदुरेखा चौधरी को 19518, शंकरलाल को 2279, सफी मोहम्मद को 2221 तथा हरीश चंडक 1412 मत मिले.इस प्रकार लगातार दूसरी बार कांग्रेस के मेवाराम जैन जीतने में कामयाब रहे।।जाट वोटों के प्रियंका चौधरी,मेवाराम जैन और मृदुरेखा चौधरी के बीच होने से मेवाराम जैन की राह आसान हुई।।

2018 में क्या हुआ

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो चला था, कांग्रेस की ओर से मेवाराम जैन, भाजपा की ओर से कर्नल सोनाराम चौधरी और निर्दलीय के तौर पर डॉ राहुल बामणिया ताल ठोक रहे थे. तीनों ही नेताओं का अपना-अलग अलग वर्चस्व था. जहां मेवाराम जैन को जनता का नेता माना जाता है, तो वहीं कर्नल सोनाराम चौधरी के लिए कहा गया कि उन्होंने जिद करके बाड़मेर की टिकट ली, क्योंकि वह मेवाराम जैन को हराना चाहते थे, जबकि अनुसूचित जाति जनजाति मोर्चे ने राहुल बामणिया को अपना उम्मीदवार बनाया. तीनों नेताओं का मकसद साफ था कि जिला मुख्यालय जीतेंगे तो पूरे इलाके में उसका ठरका रहेगा. वहीं कहा जाता है कि कांग्रेस का वोट काटने के लिए 2018 के विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने भी अपनी पार्टी से एक मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया था, ताकि कांग्रेस के अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध लगाई जा सके. हालांकि सारे समीकरण फेल हो गए और मेवाराम जैन लगातार तीसरी बार बाड़मेर सीट 30 से विजयी हुए.

मंगलवार, 25 सितंबर 2018

थार की चुनाव रणभेरी 2018 शिव विधानसभा चुनाव तब से अब तक,लगातार दूसरी बार अमिन खान कभी नहीं जीते , दस चुनावो में एक मात्र महिला उतरी मैदान में ,छह बार कांग्रेस तो पांच बार गैर कांग्रेस जीती

थार की चुनाव रणभेरी 2018

 शिव विधानसभा चुनाव तब से अब तक,लगातार दूसरी बार अमिन खान कभी नहीं जीते ,

दस चुनावो में एक मात्र महिला उतरी मैदान में ,छह बार कांग्रेस तो पांच बार गैर कांग्रेस जीती

-भाटी चन्दन सिंह- बाड़मेर


 सरहदी जिले बाड़मेर कि शिव विधानसभा क्षेत्र में अब तक दिलचस्प मुकाबले हुए। ज़िसमे कांग्रेस छह बार तो भाजपा दो बार ,जनता पार्टी दो बार जीती। शिव विधानसभा क्षेत्र विषम परिश्ठियो में बसा हें। एक तरफ उण्डू कश्मीर ,दूसरी तरफ हरसाणी गिराब ,तीसरी तरफ रामसर गागरिया ,चौथी तरफ गड़रा रोड सुन्दर तो छठी तरफ बिजराड और गफणो के गाँव शुमार हें। संसाधनविहीन इन गाँवों में मतदान करना किसी चुनौती से कम नहीं हें। कहने को शिव सर्वाधिक महत्त्व पूर्ण विधान सभा क्षेत्र हें ,यह वो क्षेत्र हें जहा कभी प्रत्यासी चुनाव लड़ने को तैयार नहीं होते थे। उन्हें जोर जबर्दस्ती घरो से उठाकर पर्चे भराये जाते थे ,

*जातिगत आंकड़े शिव*

 विधानसभा क्षेत्र में इस बार करीब डॉ  पांच हज़ार या इससे अधिक मतदाता होंगे। नाम जुड़ने कि प्रक्रिया चल रही हें। शिव में मुसलमान 58000 ,राजपूत रवाना राजपूत 48 हजार हज़ार ,अनुसूचित जाती चौंतीस हज़ार जाट  पैंतीस हज़ार ,प्रजापत आठ हज़ार चारण छह हज़ार ,पुरोहित चार हज़ार।  यह हे जातिगत आंकड़े जिससे राजनितिक खेल फिट होते हे
शिव निरीक्षक मंडल। . विधान सभा क्षेत्र में आर आई सर्किल शिव के 11 ,भींयाड कि दस ,हरसाणी कि 11 गडरा रोड कि दस ,रामसर कि सात ,खड़ींन कि छह गागरिया कि आठ तथा बिजराड के 11 पटवार मंडल शामिल हें जिसमे 470 गाँव 74 ग्राम पंचायते आठ राजस्व मंडल 74 पतवार मंडल शामिल हें
सबसे कम अंतर कि जीत। । शिव विधानसभा क्षेत्र में दूसरे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हुकम सिंह मात्र नौ मतों से जीते उन्होंने स्वतंत्र पार्टी के कान सिंह को नौ मतों से हराया वाही सर्वाधिक वोटो से गत चुनावो में कांग्रेस के अमिन खान उन्तीस हज़ार से अधिक मतों से विजयी रहे।।


*प्रथम विधानसभा चुनाव 1967*

शिव विधानसभा सन 1967 में पहली बार स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में आया। प्रथम चुनावो में शिव विधानसभा के 58752 मतदाताओ में से 21888 मतदाताओ ने वोट डाले ,जिसमे कांग्रेस के हुकम सिंह को 11564 स्वतंत्र पार्टी के कान सिंह को 9335 वोट मिले प्रथम विधायक बनाने का गौरव हुकम सिंह को मिला।


*दूसरा चुनाव 1972*

शिव विधानसभा क्षेत्र का दूसरा चुनाव 1972 में हुआ ,जिसमे शिव के 61444 मतदाताओं में से 29089 वोटरो ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इन चुनावो में कांग्रेस ने फिर हुकम सिंह को मैदान में उतरा जिन्हे 9376 मत मिले तो स्वतंत्र पार्टी के कान सिंह को 9367 ,केवल चंद को 6953 तेजूराम को 2413 मत मिले। हुकम सिंह मात्र नौ मतों से विजयी घोषित हुए

*तीसरा चुनाव 1977*

तीसरे चुनावो में शिव विधानसभा क्षेत्र के 72169 मतदाताओं में से 39495 मतदाताओ ने 97 मतदान केन्द्रो पर वोट डाले जिसमे जनता पार्टी के कान सिंह को 12680 कांग्रेस के तगाराम चौधरी को 12155 शोभ सिंह को 3136 ,केवल चंद को 2560 सवाई सिंह को 1847 शांकतरदान को 1605 मदन लाल 1573  लाल चंद को 1350 भीखाराम को 1293 जोगराज सिंह को 346 मत मिले ,पहली बार जनता पार्टी के कान सिंह 525 मतों से विजयी हुए ,

*चौथा चुनाव 1980*

शिव के चौथे चुनाव में शिव के 94449 मतदाताओ में से 43619 मतदाताओं ने 116 मतदान केन्द्रो पर वोट डाले जिसमे कांग्रेस के अमिन खान को 16700 निर्दलीय शोभ सिंह को 11731 सवाई सिंह जनता पार्टी को 9141 सोमी उर्फ़ शोभ को 3532 गणपत सिंह को 1105 कण सिंह को 450 सोहन सिंह को 215 मत मिले। इस बार अमिन खान 4969 मतों से विजयी हुए।

*पांचवा चुनाव 1985*

 शिव के पांचवे और राज्य विधानसभा के आठवे विधान सभा चुनावो में शिव विधानसभा के 112787 मतों में से 70220 मतदाताओ ने 155 मतदान केन्द्रो पर वोट डाले जिसमेजनता पार्टी के रावत उम्मेद सिंह को 40002 कांग्रेस के अमिन खान को 28865 और निम्बाराम को 459 मत मिले। बाड़मेर के रावल उम्मेद सिंह ने 11137 मतों से शानदार जीत हासिल कि।

*छठा चुनाव 1990*

छठा चुनाव शिव का सताईस फरवरी को सम्पन हुआ जिसमे 155 मतदान केन्द्रो पर 127854 मतदाताओ में से 77362 मतदाताओ ने वोट डाले जिसमे कांग्रेस के अमिन खान को 38576 जनता दल के हरी सिंह को 34169 कन्हैयालाल को 2055 शोभ सिंह को 375 गोमती देवी को 340 अन्य चार उम्मीदवारो को डॉ सौ और उससे कम मत मिले। इस बार पुनः अमिन खान 4587 मतों से विजयी होकर दूसरी बार विधानसभा पहुंचे

*सातवा चुनाव 1993*

सातवा चुनाव शिव में 145151 मतदाताओ में से 98098 मतदाताओं ने १५५ मतदान केन्द्रो पर वोट डाले जिसमे भाजपा के हरी सिंह सोढ़ा को 47881 कांग्रेस के अमिन खान को 41739 पृथ्वी राज को 2232 गफूर को 1255 अर्जुनदान को 805 अन्य पांच को पांच सौ या कम मत मिले। शिव में पहली बार हरी सिंह ने कमल खिलाया भाजपा ने यह सीट 6142 वोटो से जीती।

*आठवां चुनाव 1998*

आठवे चुनाव में शिव के 162087 मतदाताओं में से 115051 मतदाताओ ने 350 मतदान केन्द्रो पर वोट डाले। जिसमे अमिन खान को 64552 भाजपा के हरी सिंह को 45235 बसपा के मूल चंद तंवर को 3396 मत पड़े। अमिन खान ने हरी सिंह को 19317 मतों से अंतर से जित विधायक बने

*नोवां चुनाव*

बेहद दिलचस्प रहा। इन चुनावो में 192409 मतदाताओ में से 146143 मतदाताओ ने 405 मतदान केन्द्रो पर वोट डाले जिसमर भाजपा के डॉ जालम सिंह रावलोत को 72526 अमिन खान कांग्रेस को 61529 ,इनेलो के मंगलाराम सुथार को 5412 अली मोहम्मद को 2715 सोनाराम को 2553 हरकलहाराम को 1354 वोट मिले। भाजपा के डॉ जालम सिंह ने यह सीट 10997 मतों से जीत कर भाजपा कि झोली में डाली


*दशवां चुनाव 2008*

 तेहरवीं विधानसभा के लिए परिसीमन के बाद जैसलमेर जिले के बसिया क्षेत्र कि 13 पंचायते इस क्षेत्र से अलग हो गयी वाही चौहटन के बिजराड क्षेत्र कि पंचायते जुड़ने से राजपूत वोट कम हो गए।  शिव में हुए चुनावो में शिव के 197153 मतदाताओ में से 143659 मतदाताओ ने 516 मतदान केन्द्रो पर वोट डाले जिसमे कांग्रेस के अमिन खान को 75787 जालम सिंह रावलोत को 45927 , कुन्दनदान को 6657 नीम्ब सिंह को 6157 अचलाराम को 3914 गोर्धन सिंह को 3126 जान मोहम्मद को 2297 पदमाराम को 2232 मत मिले ,अमिन खान पुनः इस सीट पर सर्वाधिक 29861 मतों से विजयी हुए

*ग्याहरवा चुनाव 2013*


शिव. विधानसभा क्षेत्र शिव में कांग्रेस के अमीन खान को 69509, भाजपा के मानवेन्द्र सिंह को 100934, बहुजन समाज पार्टी के रेखाराम को 2619, बहुजन संघर्ष दल के किशनाराम मेघवाल को 886, भारत नव निर्माण पार्टी के दमाराम को 562, जागो पार्टी के सवाईसिंह को 431, भारतीय युवा शक्ति पार्टी के हसन को 756 तथा निर्दलीय कैलाश बेनीवाल को 1960 मत मिले।मानवेन्द्र सिंह ने तेंतीस हज़ार मतों से विजयी हासिल की।

*खासियत*- शिव क्षेत्र के चुनावो में अमिन खान लगातार दो चुनाव जीतने में कभी सफल नहीं हुए। एक चुनाव जीतने के बाद दूसरा चुनाव हारे अमिन खान। शिव के चुनावो के इतिहास में एक मात्र महिला उम्मीदवार गोमती देवी ही चुनाव लड़ी जीने करीब साढे तीन सौ मत ही मिल सके

शुक्रवार, 18 जुलाई 2014

विश्नोई ने विधानसभा में नर्मदा नहर में पानी की आवक बढ़ने सहित बिजली ,हिरा कटिंग इकाईयों का मामला उठाया


विश्नोई ने विधानसभा में नर्मदा नहर में पानी की आवक बढ़ने सहित बिजली ,हिरा कटिंग इकाईयों का मामला उठाया




बाड़मेर बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी विधानसभा क्षेत्र से विधायक लादूराम विश्नोई ने बजट भाषण में क्षेत्र की पानी बिजली और हीरा कटिंग इकाईयों की स्थापना के मुद्दे पुरजोर तरीके से रखे। शुक्रवार को बजट बहस में भाग लेते हुए लादूराम विश्नोई ने बताया की गत कांग्रेस सरकार ने किसानो पर टांस्फर राशि वसूली की नीति अपनी थी। आज़ादी के बाद कभी किसी सरकार ने किसानो से कीमत नहीं कांग्रेस राज में किसानो से ट्रांसफॉर्मर के बदले तीस हज़ार से डेढ़ लाख रुपये तक वसूले जो किसानो के लिए भरी पड़ा साथ ही सरकार पर कर्ज बढ़कर पिचहतर हज़ार करोड़ का हो गया जो शोध और जाँच का विषय हैं ,उन्होंने कहा की कांग्रेस राज में किसानो को चार साढ़े चार ग्फ्हांते ही बिजली मिलती वे अपनी फैसले नहीं ले पाये मगर भाजपा के शासन में आते हे सात घंटे की बिजली उपलब्धता सुनिश्चिंत की जिसके कारन क्षेत्र के किसानो ने पचास से सौ क्विंटल तक बाजरा का उत्पादन किया ,उन्होंने बताया की गुड़ामालानी सांचोर ,भीनमाल ,जालोर , किसानो को बिजली पूरी मिलने से उत्पादित कर पाये। उन्होंने कहा की राज्य की भाजपा सरकार ने 220 के वी के नौ ,132 के वी के ग्यारह 400 के वी के तीन 33 के वी के 220 विद्युत सब स्टेशन मंजूर कर किसानो को बड़ी राहत दी हैं। उन्होंने बताया की इससे क्षेत्र में एक लाख पच्चीस हज़ार करोड़ का विनियोजन होगा ,विश्नोई ने बताया की कांग्रेस सरकार ने दिल्ली की बिजली कंपनी ज्योति को बी पी एल कनेक्सन का था जिसने बिजली मनमर्जी करते हुए भरष्टाचार और रिश्वत का खेल खेल गरीब लोगो को। कंपनी ने साथ फीसदी काम के बाद काम छोड़ भाग कड़ी हुई ,उन्होंने चालीस फीसदी कार्य सरकार अपने स्तर से कराये ,उन्होंने कहा की सरकार ने रामजी की गोल से फलौदी तक टोल नाको को बंद कर जनता को रहत दी हैं ,विश्नोई ने नर्मदा नहर में पानी की का आग्रह राज्य सरकार से करते हुए कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरोवर का गेट सतरह मीटर ऊंचा स्वीकृत किया हैं जिसका फायदा राजस्थान के किसानो को भी मिलाना किसानो को अधिक पानी मिले जिससे बेहतर फैसले हो ,उन्होंने वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री से आग्रह किया की यात्रा के प्रवास पर घर हीरा कटिंग की इकाईयों से प्रभावित होकर इन इक्कीयो को बाड़मेर जिले के सिणधरी ,गुड़ामालानी और धोरीमन्ना उद्योग के रूप में स्थापित करने की बात कही थी साथ ही हीरा कटिंग की लघु इकाईया स्थापित करने पर सरकार की तरफ से पानी ,बिजली और जमीं की कही थी , क्षेत्र में हीरा कटिंग इकाईया स्थापित करने के प्रयास होने उपलब्ध हो


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रविवार, 21 जुलाई 2013

चौहटन विधानसभा ख़ास चुनावी रिपोर्ट भीड़ को वोटों बदलना होगा चुनौती भरा काम भाजपा के लिए

चौहटन विधानसभा ख़ास चुनावी रिपोर्ट


भीड़ को वोटों बदलना होगा चुनौती भरा काम भाजपा के लिए


एम् आर गढ़ावीर ,पदमाराम और रूपा राम धनदे कांग्रेस और तरुण काग ,आदुराम भाजपा के संभावित प्रत्यासी 


चन्दन सिंह भाटी


बाड़मेर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वसुंधरा राजे की बाड़मेर जिले की सफलतम रही सुराज यात्रा के दौराम बाड़मेर विधानसभा में गुटबाजी की कारण भीड़ नहीं जुटाने को छोड़कर जिले की समस्त विधान सभा क्षेत्रो में वसुंधरा राजे की सभाओं में भारी भीड़ जुटी ,भीड़ में वसुंधरा राजे को लेकर खासा उत्साह भी देखा गया ऽब जबकि वसुंधरा अपना दौर पूरा कर जा चुकी हें ,स्थानीय भाजपा संघठन और नेताओं के समक्ष भीड़ को वोटों में बदलने की चुनौती सामने हें .चोउहतन विधानसभा क्षेत्र में वसुंधरा की दस हजारी से अधिक भीड़ की सभा ने यह साबित कर दिया की उनको लोग अगले मुख्यमंत्री के रूप में लोग स्वीकार करना चाह रहे हें ंअगर स्थानीय गुटबाजी के कारन वसुंधरा राजे की म्हणत पर पानी फिर जाए तो कोई आश्चर्य नहीं .बद्मेर भाजपा कला जिला संघटन वैसे ही बेहद कमज़ोर हें .

चौहतन में भाजपा के स्थानीय नेता खुले रूप से स्थानीय उम्मीदवार की मांग कर रहे हें .भज्प के पिछला चुनाव हातरे तरुण कागा के प्रति सहानुभूति भी हें और उनके समुदाय के खासे वोट भी उनके साथ हें .ब्लोक संघठन भी तरुण काग के पक्ष में हें .भजप को चुनावी चौसर अदब से सजनी होगी ऽब्यथ चौहटन की राह मुस्किल हें ,आदुराम मेघवाल दुसरे उम्मीदवार हें .उङ्का संघ में दबदबा हें संघ के हस्तक्षेप से अगर टिकट लाने में कामयाब भी हो गए तो भाजपा के सामने मुश्किलें आ कसकती हें .चोङ्ग्रेस्स का मूड वर्तमान विधायक पदमा राम को पुनः मैदान में उतरने की योजना हें मगर एम् आर गढ़वीर और रूपाराम धनदे सशक्त उम्मीदवारी पेश कर रहे हें .इतन तय हें की चौहटन में कांग्रेस टिकट अब्दुल हादी परिवार के कहने से ही देगी ,क्यूंकि हादी परिवार का वर्चस्व अभी भी कायम हें ,उनके बिना कांग्रेस जीत की कल्पना नहीं कर सकती कांग्रेस . 

पश्चिमी राजस्थान की सात विधान सभा सीटो में सरहदी विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक पदम राम चार साल के कार्यकाल में अपनी विधायकी हैसियत का अहसास नहीं करा पाए .रब्बर स्टाम्प विधायक बन कर रह गए बाड़मेर से लेकर विधानसभा तक अपने क्षेत्र के विकास के मुद्दे उठाने में पूरी तरह विफल रहे .राज्य सरकार में सत्ता पक्ष के विधायक होने के बावजूद पदमा राम कोई काम नहीं करा पाए .इस सरहदी क्षेत्र में पेयजल समस्या मुख्य मुद्दा था जिसके समदशन की आस आम जन को विधायक से थी मगर इन चार सालो में पेयजल की कोई नई योजना पर कार्य नहीं हुआ तो नर्मदा नहर का पानी भी चौहटन तक लाने में पदम राम विफल रहे .चौहटन के लोगो की जीविका हस्तशिल्प उत्पाद पर निर्भर हें मगर इस उद्योग के विकास के लिए विधायक द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया .चौहटन में हेंडीक्राफ्ट बिक्री केंद्र की महती आवश्यकता महसूस की जा रही थी ताकि इस इस घरेलु उद्योग से जुड़े परिवारों को दलालों से मुक्ति मिल सके ,मगर ऐसा नहीं हो पाया .क्षेत्र के बाखासर में नमक उत्पादन के जो प्रयास गत वसुंधरा राजे सरकार ने शुरू किये थे वो इन चार सालो में आगे नहीं बढे ,लोगो को नमक उद्योग स्थापित होने की उम्मीदें थी .मगर बाखासर क्षेत्र में कोई प्रयास ही नहीं हुए ,कांग्रेस विधायक द्वारा चौहटन के किसानो की मूलभूत सुविधाए बिजली ,पानी और रोजगार उपलब्ध करने में भी कोई खास रूचि नहीं दिखाई ,चौहटन में राजनीती हालत जातीय समीकरणों पर निर्भर हें मुस्लिम ,मेघवाल और जातो का ध्रुवीकरण से सीट निकलती हें ,

आगामी विधानसभा चुनावो के लिए कांग्रेस पेराशूट उम्मीदवार आज़मा सकती हें ,एम् आर गढ़ावीर गोपाराम मेघवाल और रूपाराम घनदे का नाम प्रमुखता से चल रहा हें ,इतना भी तय हें हादी परिवार की सहमति के बिना किसी को टिकट नहीं मिलेगी ,राज्यमंत्री का दर्ज पाने के बाद अब्दुल गफूर का मजबूत हुए हें वही चौहटन प्रधान सम्मा खान की लोकप्रियता काफी बड़ी हें ,हालाँकि शम्मा खान शिव विधानसभा क्षेत्र कोंग्रेस की सशक्त दावेदार हें ,राजनीती क्षेत्र में सम्मा खान ने कम समय में बड़ी छलांग लगी हें ,भाजपा की तरफ से आदुराम मेघवाल ,तरुण काग , वेदारी में हें ,चौहटन विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय व्यक्ति को टिकट पर लोबिंग अभी से शुरू हो गई हें ,वर्तमान विधायक आम जन की उमीदो पर खरे नहीं उतारे .उनकी रिपोर्ट कार्ड बेहद कमज़ोर हें ,आम जन में उनकी छवी और हैसियत विधायक की कम और हादी परिवार के अनुयायी की ज्यादा हें ,

शुक्रवार, 31 मई 2013

सांग सिंह प्रबल दावेदार पर साले मोहम्मद से पैक्ट की चर्चाएँ पड़ सकती हें भारी



जैसलमेर की ताज़ा राजनीती पर ख़ास रिपोर्ट जैसलमेर किस करवट बदलेगी राजनीती


सांग सिंह प्रबल दावेदार पर साले मोहम्मद से पैक्ट की चर्चाएँ पड़ सकती हें भारी



चन्दन सिंह भाटी


जैसलमेर भारत पाकिस्तान की सरहद पर बसे राजस्थान के अंतिम जिले जैसलमेर में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर स्थानीय नेताओं की जोर आश्माऎस शुरू हो गयी .जिले में दप विधानसभा सीटें जैसलमेर और पोकरण हें ,जन्हा वर्त्तमान में जैसलमेर सीट भाजपा और कांग्रेस के पास पोकरण हें .वर्त्तमान भाजपा विधायक छोटू सिंह भाटी का कार्यकाल कोई नहीं रहा .राजनितिक नासमझ के कारण कई मौको पर छोटू सिंह जनता के बीच अपनी छवि नहीं बना पाए वाही छोटू सिंह द्वारा वर्त्तमान कांग्रेस सरकार का हर कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज करने से भाजपा के आला नेता भी उनसे नाराज़ हें ,बताया जा रहा हें की कांग्रेस के हर कार्यक्रम में शरीक होकर छोटू सिंह गुणगान करते नज़र आने से भाजपा कार्यकर्ता खफा हें ,विकास के नाम पर भी छोटू सिंह कुछ भी नहीं कर पाए .विधायक कोटे का भी उपयोग नहीं कर पाए ,वर्तमान विधायक भाजपा प्रदेश अध्यक्षा वसुंधरा राजे की टीम से मेल नहीं खाते उन पर गाज गिर सकती हें ,भाजपा के पास दावेदारों में पूर्व विधायक सांग सिंह ,रेणुका भाटी ,मनोहर सिंह अडबाला ,रणवीर सिंह सोढा शामिल हें ,सांग सिंह ने गत पांच सालो में अपनी छवि जन नेता की बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी .जनता हो या किसान या छात्र हर आन्दोलन में साथ खड़े नज़र आये वही जन हित मुद्दों की पैरवी ,कांग्रेस नेताओं ,मंत्रियों का घेराव करने में भी अग्रणी ,रहे सांग सिंह जैसलमेर से सशक्त दावेदार हें मगर दो मर्चों पर वो भी कमज़ोर साबित हो रहे हें छोटू सिंह पर राजनितिक आरोप हें की उन्होंने अल्पसंख्यक नेता और पोकरण विधायक साले मोहम्मद से पेक्ट कर रखा हें की वो पोकरण में उनकी मदद करेंगे साले मोहम्मद जैसलमेर में मुसलमानों के वोट दिला कर मदद करे।इसी पेस्ट की शिकायत वसुंधरा राजे तक भाजपा के स्थानीय नेताओ ने की हें ,सांग सिंह पर कथित सी डी प्रकरण में शामिल होने की चर्चे हें ,इस सी डी को राज्य के एक चेनल ने चलाया था जिसके चलते उनकी टिकट कटी थी , इस बार सांग सिंह को टिकट मिली तो काफी भरी उम्मीदवार साबित होंगे अलबता एनी उम्मीदवारों में मनोहर सिंह अडबाला की साफ़ छवि और युवा होने के कारन उन्हें प्राथमिकता मिले तो कोई आश्चर्य नहीं सांग सिंह अगर फ़क़ीर परिवार के साथ किये कथित पेक्ट को छोड़ते हें तो भाजपा को पोकरण में भी सफलता मिल सकती हें ,कांग्रेस के पास भी जैसक्मेर में दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त हें ,उम्मेद सिंह तंवर ,सुनीता भाटी ,सभापति अशोक सिंह तंवर ,गोवर्धन कल्ला ,दिनेश पाल सिंह ,जनक सिंह सत्तो ,देव्कारम माली ,इनमे उम्मेद सिंह तंवर और सुनीता भाटी सशक्त दावेदार हें ,अशोक गहलोत से नज़दीकियों का फायदा उम्मेद सिंह तंवर को मिले तो कोई आश्चर्य नहीं ,पोकरण में कांग्रेस के पास एक मात्र उम्मीदवार साले मोहम्मद हें वहीं भाजपा की और से गत चुनावों में बहुत कम अंतर से हरे शैतान सिंह ,पूर्व शिव विधायक जालम सिंह रावलोत ,मुराद अली मेहर के साथ साथ पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह नाम भी चर्चा में हें ,शैतान सिंह को भाजपा एक और मौका दे सकती हें क्योंकि गत चुनावों में एक बारगी शैतान सिंह की जीत तय हो गयी थी मगर पोस्टल मतों में गणित बिगाड़ दिया लगभग पांच सौ मतों से चुनाव हार गए थे .भाजपा को पोकरण सीट निकलने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे क्योंकि वर्तमान विधायक साले मोहम्मद ने अपने कार्यकाल में हर वर्ग के लोगो का काम किया हें ,अलबता पोकरण और जैसलमेर प्रशासन में साले मोहम्मद समर्थको का दबदबा अन्य समाज के लोगो को पसंद नहीं आ रहा ,साले मोहम्मद के समर्थको का जिला प्रशासन में इस कदर आंतक हें की कोई अधिकारी इनके खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते ,हर किसी के पास साले मोहम्मद जैसा पॉवर होना साले मोहम्मद के खिलाफ जा सकता हें .फ़क़ीर परिवार की बादशाहत को ग्रान लग चुका हें ,गाजी फ़क़ीर के नेपथ्य में जाने से और अल्पसंख्यक समुदाय में गाजी फ़क़ीर के विरोध के कारण कई मुस्लिम नेता उनके खिलाफ हो गए वर्तमान में जैसलमेर की राजनीती में भाजपा कांग्रेस के पास एक एक सीट जीतने का मौका हें मगर जो चुनाव में पूर्ण राजनितिक कूटनीति और रन निति से लडेगा उसे सफलता मिल सकती हें ,पिछली बार बागियों ने दोनों दलों का खेल बिगाड़ दिया था ,छोटू सिंह को शहरी मतदाताओ के अतिरिक्त समर्थन के कारन सफलता मिल गयी थी .--