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शनिवार, 30 अप्रैल 2011

लोक संगीत का बादशाह अनवर खान बहिया







लोक संगीत का बादशाह अनवर खान बहिया


जब अनवर खान लोक गीत गाते हेैं,तो प्रकृति में शहद घुल जाता हैं।अनवर की गायकी में जादु हैं।थार के लोक गीत संगीत को अन्तराश्टृीय स्तर पर ले जाने में अनवर खान बहिया की गायकी का अहम योगदान हैं।जैसलमेर जिले के छोटे से गांव बहिया में लोक गायक रोजड़ खान के घर जन्में अनवर के दादा भी लोक गायक थे।लोक गीत संगीत अनवर खान को परम्परा में मिला।ंअनवर खान ने बाड़मेर को अपना ठिकाना बना दिया।अनवर लोक गीत संगीत के साधक हैं।चान्दण मुल्तान,सदीक खान जैसे उस्ताद लोक गायकों के शार्गिद अनवर खान ने इनसे लोक गीत सेगीत की बारीकियॉ सीखी।सम्पूर्ण भारत के साथ साथ लगभग 45 देशों में अपनी गायकी का परचम लहरा चुके अनवर खान ने विख्यात संगीतकार ए.आर.रहमान की फिल्मों में भी गा चुके हैं,साथ ही कई हिन्दी फिल्मों में अपनी लोक गायकी का जलवा बिखेर चुके हैं।लोक गायकी के अलावा अनवर खान बेहतरीन सुफी गायक हैं।जब अनवर सुफी ौली में लोक गीत गाते हैं,तो श्रोता मदमस्त हो कर झूम उठते हैंअनवर का अपना दल हैं जिसके माध्यम से देशविदेशों में लोक गीतसेगीत के कार्यक्रम करते हैं।अनवर खान का भाईबाबु खान और भतीज रईस खान भी बेहद अच्छे गायक हैं।बाबु खान लोक वाद्य कमायचा तथा रईस खान सारंगी बजाते हैं।शास्त्रीय संगीत की आत्मा लोक गीतों में बसती हैं यह अनवर का मानना हैं।अनवर रागों में विश्वास नहीं रखते।अनवर का मानना हैं किराग गीतो में होता हैं।लोक गीत प्रकृति की देन हैं,हम प्रकृति अका भरपूर आनन्द उठाते हैं।फिल्मी दुनिया में जाने के अनवर खिलाफ हैंअनवर का कहना हैं कि हम फिल्मों में चले गए तो लोक गीत संगीत की इस परम्परा को जिन्दा कौन रखेगा।अनवर को लोक गायक होने का गर्व हैं।मारवाड़ी,राजस्थानी,हिन्दी,उर्दु,पंजाबी,सिन्धी भाशाओं में गाने वाले अनवर खान लोक गीत संगीत को नई उॅचाईयों पर पहुॅचाना चाहते हैं।अनवर खान की गायिकी का लौहा गजल गायक जगजीत सिंह भी मानते हैं।जगजीत सिेंह की नई एलबम पधारों महारे देश में मुख्य गीत का मुखउा अनवर खान बहिया ने गाया हैं।अनवर राजस्थानी तथा सूफी गायिकी की मिसाल हैं।रेगिस्तान कें इस लाल को सलाम।