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मंगलवार, 2 जून 2020

जैसलमेर मनरेगा बनी वरदान ,बावन हजार से अधिक श्रमिकों को मिला रोजगार

जैसलमेर  मनरेगा बनी वरदान ,बावन हजार से अधिक  श्रमिकों को मिला रोजगार


जैसलमेर  काेराेना वैश्विक महामारी के बीच से पूरा देश ही नहीं विश्व जूझ रहा है। हर कोई घरों में बंद है। जो लोग बाहरी मजदूरी पर गए हुए थे, वो भी इस संकट के बीच घर पहुंच गए। ऐसे में जोब कार्ड धारी श्रमिकों को

नरेगा के तहत रोजगार दिया जा रहा है, इसके लिए जैसलमेर जिले में वर्तमान में 52931  लोगों को रोजगार मिल रहा है।  । नरेगा के तहत अब इन्हें  220 रुपए के हिसाब से मजदूरी का भुगतान किया जाएगा। ऐसे में इस कोरोना संकट में मनरेगा योजना ग्रामीण क्षेत्र के उन गरीब लोगों के लिए वरदान बनी हुई है, जो काम नहीं

मिलने से घर पर बैठे थे। पंचायतीराज विभाग ने ऐसे प्रवासी मजदूरों से भी अपील की है कि जिन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है, वे ग्राम पंचायत स्तर पर जाकर रोजगार के लिए आवेदन करें, उन्हें मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा।जैसलमेर  जिले में वर्तमान में 3 पंचायत समिति क्षेत्रों के 138 ग्राम पंचायतों में  1944 काम चल रहे  है।   फिलहाल पूर्व की ग्राम पंचायत अनुसार ही नरेगा, आवास योजना,  प्रधानमंत्री आवास ,अपना खेत अपना काम , नाड़ी खुदाई, ग्रेवल सड़क सहित अन्य सार्वजनिक काम हो रहे है। ऐसे में उन्हें रोजगार भी पूर्व पंचायत ही देगी।

368 प्रवासी परिवार को  रोजगार

जिला परिषद  जैसलमेर द्वारा 368  प्रवासी परिवारों को उनकी मांग पर रोजगार उपलब्ध कराया गया हैं ,अब तक 562  प्रवासी परिवारों ने रोजगार के लिये पंजीयन कराया ,इसके विरुद्ध  551  परिवारों को जॉबकार्ड उपलब्ध  कराये गए हैं,2249 प्रवासी परिवारों का पूर्व में पंजीयन हो रखा हे ,226 परिवार व्यापारी वर्ग तथा सक्षम होने के कारन जॉब कार्ड बनाने के इच्छुक नहीं हैं ,सरकार की ओर से बाहरी राज्यों से घर आए ऐसे प्रवासी मजदूरों से ज्यादा से ज्यादा अपील की है कि वे बाहर से घर आ गए, लेकिन रोजगार की तलाश में खाली बैठे है। वे ग्राम पंचायत से मनरेगा के तहत रोजगार की मांग करें। आवेदन भर कर दें, ताकि रोजगार उपलब्ध करवाया जा सके।

कोरोना गाइड लाइन की पालना 

नरेगा कार्य स्थलों पर राज्य सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण कल में जारी गाइड लाइन की पालनार्थ सोसाल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा जा रहा हैं ,श्रमिक को व्यक्तिगत चौकड़ी बनाकर सप्ताह भर की टास्क दी जा रही हैं ,मेट हजारी चौकड़ी पर जेक  व्ही मस्कट कार्य स्थलों पर अनिवार्य कर दिए ,कार्यस्थल पर सेनेटाइजर रखे गए हैं ,समय समय पर हाथ धुलाई  जाते हें,नरेगा कार्यो का नियमित निरीक्षण विकास ,अधिकारी तकनीतिक सहायको ,अभियंताओं और खुद सी ई ओ द्वारा किया जा रहा हैं

मनरेगा कोरोना संकट में रोजगार दिलाने के लिए वरदान बनी हुई है।प्रधानमंत्री आवास योजना ,अपना खेत अपना काम  ,ग्रेवल सड़क, आवास योजना, नाड़ी खुदाई ,खरंजा। सहित कई तरह के काम मनरेगा के तहत चल रहा है। इसमें जैसलमेर के 52931 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है। सरकार की ओर से बढ़ी मजदूरी की दर से इन्हें भुगतान किया जा रहा है। -ओमप्रकाश  ,सीईओ,जिला परिषद जैसलमेर

रविवार, 29 मार्च 2015

बाड़मेर मनरेगा और सोसियल ग्रुप मेरी मर्ज़ी की अनूठी पहल ,पक्षियों के लिए परिण्डे और आम जन के लिए प्याऊ लगाने का कार्य आरम्भ







बाड़मेर मनरेगा और सोसियल ग्रुप मेरी मर्ज़ी की अनूठी पहल ,पक्षियों के लिए परिण्डे और आम जन के लिए प्याऊ लगाने का कार्य आरम्भ

पक्षियों के लिए परिण्डे और आम जन के लिए प्याऊ लगाने का कार्य आरम्भ

पक्षियों के लिए परिंडे लगाना पुण्य का कार्य। कलेक्टर




बाड़मेर। बाड़मेर जिले में भीषण गर्मी से मूक पक्षियों को रहत देने के लिए वाट्स अप्प सोसियल ग्रुप मेरी मर्जी ,बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक ने महात्मा गांधी नरेगा योजना के साथ मिल कर अनूठी पहल कर रविवार को जिला कलेक्टर मधु सूडान शर्मा पुलिस अधीक्षक परिस देशमुख ,अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक सुरेश दाधीच कोषाधिकारी जसराज चौहान ने एक हज़ार एक परिंडे लगाने के अभियान का आगाज़ कलेक्टर परिसर से किया ,ग्रुप एडमिन चन्दन सिंह भाटी ने बताया की वाट्स अप्प ग्रुप मेरी मर्जी एक सोसियल ग्रुप हे जिसमे सकारात्मक सोच के लोग जुड़े हैं ,ग्रुप सदस्यों ने भीषण गर्मी में मूक पक्षियों के लिए परिण्डे लगाने का निर्णय लिया जिसमे बाड़मेर मनरेगा ने अपना सहयोग देते हुए जिले भर में एक हज़ार परिण्डे लगाने का निर्णय लिया ,

अभियान का आगाज़ रविवार को जिला कलेक्टर कार्यालय परिसर में लगे घने पेड़ो पर जिला कलेक्टर मधु सूदन शर्मा पुलिस अधीक्षक परिस देशमुख कोषाधिकारी जसराज चौहान अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक सुरेश दाधीच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रघुनाथ गर्ग ने पेड़ो पर परिण्डे लगा कर अभियान का आगाज़ किया ,




इस अवसर पर जिला कलेक्टर मधु सूदन शर्मा ने कहा मूक पक्षियों के लिए परिंडें लगाना पुण्य का कार्य हैं। इस भंयकर गर्मी में अपनी प्यास पक्षी परिंडों के पानी से बुझा सकते हैं।उन्होंने कहा सोसियल ग्रुप की अनूठी पहल हैं ,जीतनी सराहना की जाए कम हैं , उन्होंने कहा की पक्षियों को पानी मिलने से राहत मिलेगी ,उन्होंने जिला प्रशासन से हर तरह के सहयोग का आश्वाशन दिया ,इधर पुलिस अधीक्षक पेरिस देशमुख ने कहा की प्यासे को पानी पिलाना सबसे बड़ा धर्म हैं ,सोसियल ग्रुप से जुड़े युवा वर्ग ने एक बेहतरीन पहल की हैं ,सुरेश दाधीच ने हर घर के आगे एक परिंडे लगाने चाहिए ,गर्मी में मूक पक्षियों सबसे बड़ी सेवा हैं ,चन्दन ने जिला कलेक्टर से बस स्टेण्ड और रेलवे स्टेशन के बाहर ग्रुप की और से आम राहगीरों के लिए निह्शुल पानी की प्याऊ लगाने की स्वीकृति की मांग की जिस पर जिला कलेक्टर ने हाथो हाथ स्वीकृति दे दी ,ग्रुप जल्द दो निःशुल्क प्याऊ आरम्भ करेगा




ग्रुप कार्यकर्ता सुमेर सिंह शेखावत ,मदन बारुपाल ,किशन सोलंकी ,श्रीमती पुष्प चौधरी ,ललित छाजेड़ ,डॉ हितेश चौधरी ,दुर्जन सिंह गड़ीसर ,अखेदान बारहट ,भगवान आकोङा ,हिन्दू सिंह तामलोर सरपंच ,रमेश सिंह इन्दा ,लूणकरण नाहटा ,छगन सिंह चौहान ,बाबू भाई शेख ,मदन सिंह राठोड ,सुल्तान सिंह रेडाना पार्षद,मगाराम माली ,दिग्विजय सिंह चूली , राधेश्याम रामावत ,मूल सिंह गोयल ,तुलछा राम ,नेत सिंह राजपुरोहित सहित कई गणमान्य लोगो ने अपने हाथो से परिण्डे लगाए .

शनिवार, 5 जुलाई 2014

त्वरित टिपणी। … वसुंधरा राजे की मनरेगा को योजना में बदलने की सार्थक पहल ,स्वागत होना चाहिए


त्वरित टिपणी। … वसुंधरा राजे की मनरेगा को योजना में बदलने की सार्थक पहल ,स्वागत होना चाहिए

चन्दन  सिंह भाटी 

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने केंद्रीय ग्रामीण मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिख कर मनरेगा को गारंटी कानून से योजना में बदलने को लिख सार्थक और दूरदर्शी प्रयास किया हैं जिसका स्वागत होना चाहिए ,वसुंधरा मनरेगा की धरातलीय स्थति लिखी हैं की इस कानून से कोई फायदा जनता को नहीं हो रहा ,यही हकीकत हैं ,इस समय मनरेगा में सर्वाधिक भरष्टाचार ,हैं इस स्कीम से जुड़ा हर अधिकारी और कर्मचारी योजना का आनंद लेकर अपने घर भर रहे हैं ,जबकि जिन लोगो कानून को लाया गया उन्हें एक ढेले का फायदा नहीं हो रहा ,इस योजना से जुड़े अंतिम सरकारी व्यक्ति मेट से लेकर उच्च स्तरीय अधिकारी प्रति माह लाखो रुपयो से खेलते हैं जिन आवाम को रोजगार और मज़दूरी उपलब्ध करनी थी नहीं करा पाये ,कानून तो बना दिया मगर इसे व्यवस्थित रूप से लागु करने की सरकार नाकाम ,रही आज ग्राम पंचायत का सरपंच ,और ग्राम सेवक करोड़पति हो गए मेट लाखो में खेलता हैं ,मगर मज़दूर को उसकी मज़दूरी नहीं मिल रही। वसुंधरा की यह सोच की इसे योजना के रूप में चलाया सकारात्मक रूख हैं ,बाड़मेर हे ग्राम पंचायतो में आबादी से अधिक जॉब कार्ड जारी हो रखे हैं ,प्रत्येक में पचास से साठ फीसदी जॉब कार्ड फर्जी बने हे जिसका भुगतान सहायक से लेकर सरपंच तक मिलजुल कर बांटते हैं ,मनरेगा में एक भी काम सार्थक रूप से पुरे राजस्थान में नज़र नहीं आ रहा ,कहने को इस योजना में को दो लाख टांके बाड़मेर जिले हे मगर ऐसी से नब्बे फीसदी टांको का निर्माण हुए बिना भुगतान उठा लिया ,इस योजना में स्वीकृत कार्यो की उच्च स्तरीय जाँच हो जाये तो साड़ी पोल पट्टी सामने आ जाएगी ,बाड़मेर जिले में गत तीन सालो में कोई अठारह मगर धरातल पर पंचायत में कोई काम होता आपको दिखाई नहीं देगा ,मनरेगा कागजी गयी हे जिसका फायदा चंद प्रभावी लोग उठा रहे हैं ,इसे कानून से योजना में बदलने से शायद आम जान को रोजगार उपलब्ध हो जाये ,

गुरुवार, 2 मई 2013

सरहदी गांवों में मनरेगा बेमानी, रोजगार को मोहताज ग्रामीण


सरहदी गांवों में मनरेगा बेमानी, रोजगार को मोहताज ग्रामीण 

गडरारोड



मनरेगा से जरूरतमंद लोगों को रोजगार मुहैया करवाने के दावे सरहदी गांवों में बेमानी साबित हो रहे हैं। करीब एक दर्जन अकालग्रस्त गांवों में मनरेगा से एक भी कार्य स्वीकृत नहीं है। इसके चलते ग्रामीणों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। ताज्जुब की बात यह है कि जॉबकार्ड धारकों ने रोजगार की डिमांड कर रखी है, मगर प्रशासन की लापरवाही के चलते जरूरतमंद लोगों को रोजगार के लिए तरसना पड़ रहा है। अकाल के चलते लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। तहसील क्षेत्र के करीम का पार, लालासर, द्राभा, पूंजराज का पार, समद का पार, डोकर, सरगुवाला समेत एक दर्जन गांवों के लोगों के लिए मनरेगा योजना दूर की कौड़ी साबित हो रही है। अकाल की मार झेल रहे ग्रामीणों के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोजगार की है। नजदीक क्षेत्र में रोजगार नहीं मिलने से ग्रामीण मजबूरन दूर दराज के गांवों में दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर है। जबकि मनरेगा योजना के तहत प्रत्येक पंचायत में डिमांड के अनुसार करोड़ों रुपए का बजट आवंटित किया जा रहा है। सरहदी गांवों के लोगों की पीड़ा को प्रशासन समझ नहीं पा रहा है। नतीजतन लोगों को रोजगार के लाले पड़ रहे हैं। द्राभा गांव के ग्रामीण बताते हैं कि गांव में एक भी मनरेगा से कार्य स्वीकृत नहीं है। नजदीक के गांव व ढाणियों में भी कार्य मंजूर नहीं होने पर रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। डोकर गांव के खेतसिंह सोढ़ा ने बताया कि प्रशासन की अनदेखी के चलते मनरेगा कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। इस संबंध में ग्राम सेवक व सरपंच को कई बार अवगत करवाने के बावजूद कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। बीपीएल परिवारों को भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस स्थिति में पलायन की नौबत आ गई है।

फिर जाएं तो जाएं कहां: सरहदी गांवों में सरकारी योजनाओं के तहत कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। जबकि अन्य पंचायतों के प्रत्येक राजस्व गांव में कार्य स्वीकृत किए जा रहे हैं। ग्राम पंचायत खानियानी के पूर्व सरपंच जबल खां ने बताया कि करीम का पार, लालासर में बीते कई सालों से मनरेगा के कार्य बंद है। जॉबकार्ड धारक ग्राम सेवक के पीछे चक्कर काटते काटते थक चुके हैं। अकाल की घड़ी में लोगों के लिए दो जून की रोजी रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है। प्रशासन की अनदेखी का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।

मशीनों से कार्य, जॉबकार्ड ठेके पर: कई ग्राम पंचायतों में तो मनरेगा से स्वीकृत कार्य मशीनों से करवाए जा रहे हैं। जॉब कार्ड पंचायत के कार्मिकों ने ठेके पर ले रखे है। मस्टररोल में फर्जी नाम अंकित कर भुगतान उठाया जा रहा है। ग्राम पंचायत खानियानी, खबडाला में लंबे अर्से से श्रमिकों के जॉबकार्ड के आधार पर कार्य मशीनों से करवाया जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच व ग्रामसेवक अपने ही स्तर पर कार्य करवा रहे हैं।

अकाल त्रासदी 



एक दर्जन गांवों में एक भी कार्य स्वीकृत नहीं, फिर कैसे मिलेगा रोजगार, प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे है बेकसूर
॥सरहदी गांवों में सरकारी योजनाएं विफल साबित हो रहे हैं। अकाल पीडि़तों को रोजगार के लिए तरसना पड़ रहा है। प्रशासन ग्रामीणों को रोजगार मुहैया करवाने को तैयार ही नहीं है। डिमांड देने के बावजूद भी कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं।  उगमसिंह, सोढ़ा द्राभा 

॥रोजगार मुहैया करवाने की सरकार की मंशा के बावजूद प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। अगर समय रहते अकालग्रस्त गांवों में मनरेगा से कार्य स्वीकृत नहीं किए गए तो आंदोलन किया जाएगा।
दशरथ मेघवाल, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष भाजपा शिव
॥डिमांड पर रोजगार मुहैया करवाना अनिवार्य है। इस संबंध में रिपोर्ट मंगवाई जाएगी। ग्रामीणों की ओर से डिमांड दी गई है तो संबंधित ग्राम सेवकों को निर्देश दिए जाएंगे।
 एल.आर. गुगरवाल, सीईओ जिप

शुक्रवार, 22 मार्च 2013

मनरेगा में जल सरंक्षण के नाम करोडो लुटाये नतीजा सिफर

विश्व जल दिवस पर विशेष


मनरेगा में जल सरंक्षण के नाम करोडो लुटाये नतीजा सिफर 


बाड़मेर आज भी पानी के लिए पानी पानी हो रहा


बाड़मेर मीलों तक पसरे रेत के महासमंदर में सदियों से पानी की कमी, भीषण गर्मी और कठिनाइयों से भरे लोक जीवन वाले थार में हाल के वर्षों में जल संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर सर्वत्र जल संरक्षण और संग्रहण के हुए अथक प्रयासों ने बहुत बड़ा बदलाव का दावा जिला परिषद् द्वारा किया जा रहा हें जबकि वास्तविकता हें की जल सरंक्षण के नाम करोडो रुपये लुटा दिए .बाड़मेर आज भी पानी के लिए पानी पानी हो रहा हें ,


सरहदी जिले बाड़मेर में पेयजल की विकराल समस्या को देखते हुए ही महानरेगा और अन्य योजनाओं में सर्वाधिक काम जल संरक्षण एवं संग्रहण के लिए गए। नरेगा में अब तक करीब तीन लाख टांको का निर्माण बाड़मेर जिले में कराये जाने का दावा किया जा रहा हें जबकि हे की जिला परिषद् द्वारा स्वीकृत इन टांको में आधे भी कम का निर्माण हुआ हें बाकी का उठा लिया मगर टांको का निर्माण हुआ ही नहीं .बाड़मेर जिले में जल सरंक्षण के नाम पर बने इन टांको के लिए जिला प्रशासन ने करोडो रुपये जनप्रतिनिधियों की अनुसंशा पर लुटा दिया मगर आज भी थार वाशिय दो बूँद पानी के लिए तरस , हें बारीकी से टांको के निर्माण की जान्क्स्च निष्पक्ष एजेंसी से कराई जाए तो साड़ी पोल खुल जाए .जिला परिषद् द्वारा जरूरतमंद जनता को टाँके स्वीकृत की बजे उन लोगो को टाँके स्वीकृत किये जिन्हें पूर्व में किसी ना किसी योजना में टांको की स्वीकृति मिली हें ,अधिकाँश मामलो में लोगो ने टांको को नरेगा में बता कर भुगतान उठा लिया .यह कडवी सच्चाई हें ,बाड़मेर आज भी पानी के लिए पानी पानी हो रहा हें ,टांको पर वोटो की टिकी हें यह जनप्रतिनिधि जानते हें ,गत रामसर तहसील के एक छोटे से गाँव में एक साथ सौ तनको की स्वीकृति निकाली हें जबकि इस गाँव में पूर्व वर्ती योजनाओ में कई टांको का निर्माण हो रखा हें ,इसी तरह जिले की आठ पंचायत समितियो में से बायतु ,सिनधरी को टांको की सिक्रितिया जा की गई हें जबकि पानी के लिए तरस रहे शिव ,चौहटन और बाड़मेर को सबसे कम टाँके दिए गए .जिला परिषद् में सुविधा शुल्क देकर मनमर्जी से टाँके स्वीकृत कराये , हें जिन टांको की स्वीकृतिया जारी की हे उनमे कईयों के प्रस्ताव ग्राम द्वारा दिए ही नहीं गए ,नरेगा योजना के साथ बी आर जी ऍफ़ ,सांसद ,विधायक कोष से भी टांको की स्वीकृतिया जा की गई हें ,एक ही परिवार को तीन चार योजनाओ में टांका निर्माण की स्वीकृतिया जारी की गई हें ,बाड़मेर जिले में दो दशक पूर्व शिव पंचायत समिति में टांका निर्माण घोटाला हुआ था जिसमे पचास से अधिक सरकारी कारिंदे , जनप्रतिनिधियों के खिलाफ भरष्टाचार निरोधक विभाग्ग में मामले दर्ज हुए थे जिनकी जांच आज भी चल रही हें .इस घोटाले में प्रभावशाली जनप्रतिनिधि भी शामिल हें .मनरेगा में भी सबसे बड़ा टांका घोटाला हुआ हें जिसकी निष्पक्ष जांच हो जाए तो साड़ी पोल खुल जाए .टांको के आस पास दस दस पोधे लगाये जाने थे जिसकी अलग से राशि का प्रावधान हें मगर वन विभाग के आंकड़े कहते हें की पोधो का उठाव हुआ ही नहीं .विभाग द्वारा जिले में पांच सौ बेरियो के निर्माण का दावा किया जा रहा हें ,मगर हकीकत में बेरियो का निर्माण हुआ हें नहीं क्योको बेरियो का निर्माण किया नहीं जा सकता यह प्राकर्तिक होती , हें .मंरेगा योजना के तहत बाड़मेर जिले को जल सरंक्षण के नाम हें .