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शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

जैसलमेर जिले की घोटुआं मिठाई विदेशी सैलानियों में है खासी लोकप्रिय

जैसलमेर घोटुआं मिठाई का निराला स्वादजैसलमेर जिले की यह मिठाई विदेशी सैलानियों में है खासी लोकप्रिय
जैसलमेर कलात्मकता एवं भव्यता की धनी धोरों की धरती जैसलमेर का खान-पान भी बेहद निराला है। मरुप्रदेश की विषम परिस्थितियों में जीवनयापन करने वाले बांशिदें जहां केर-सांगरी की सब्जी और बाजरे की रोटी के दीवाने हैं, वहीं सरहदी जिले की प्रसिद्ध घोटुआं मिठाई की मिठास भी बेहद अनोखी है।

घोटुआं मिठाई का निराला स्वाद

वैभवता एवं आलीशान नक्काशी के दम पर विश्‍व पर्यटन पर अनूठा स्थान बना चुकी स्वर्णनगरी की सुन्दरता बेहद निराली है। स्वर्णनगरी की सुन्दरता को निहारने प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में सैलानी धोरों की धरती पहुंचते हैं। कलात्मकता एवं भव्यता के साथ ही मरूप्रदेश का खान-पान भी कई मायनों में अपना विशेष स्थान रखता है। चाहे मिठाई हो या फिर नमकीन, मरूभूमि के स्वाद का चटकारा बेहद निराला है।

स्वर्णनगरी की प्रसिद्ध मिठाई घोटुआं का नाम सुनते ही आमजन के मुंह में पानी आ जाता है। बूंदी को कूटकर बनाई जाने वाली स्वादिष्ट मिठाई की कोई सानी नहीं है। बेसन व घी से बनने वाली मिठाई की स्वादिष्टता को कोई मुकाबला नहीं है।




धनराज राणमल भाटिया की दुकान से हुई शुरूआत

अब तो स्वर्णनगरी की लगभग सभी मिठाई की दुकानों में घोटुंआ मिठाई बनाई जाती है, लेकिन इस मिठाई की शुरुआत धनराज राणमल भाटिया की दुकान से हुई थी। लम्बे समय से घोटुआं मिठाई का प्रचलन स्वर्णनगरी में हो रहा है। शादी-समारोह हो या फिर कोई भी आयोजन स्वर्णनगरी में घोटुआं मिठाई पहली पसंद मानी जाती है। इतना ही नहीं, सात समंदर पार तक यह मिठाई अपनी छाप छोड़ चुकी है।

विदेशी सैलानी भी बेहद चाव से इस मिठाई का स्वाद चखते हैं और फिर इसके दीवाने हो जाते हैं। सबसे बड़ी खासियत इस मिठाई की यह है कि करीबन एक महीने तक बिना फ्रीज के घोटुआं खराब नहीं होते हैं। देश के कोने-कोने में इस मिठाई को भेजा जाता है। स्वर्णनगरी की सुन्दरता के साथ-साथ घोटुआं मिठाई ने भी सात समंदर पार तक अपना विशेष स्थान बनाए रखा है।