समाजसेवी और भजन गायक तन सिंह सोढा : एक युग का अंत

 समाजसेवी और भजन गायक तन सिंह सोढा : एक युग का अंत


1990 मे पाकिस्तान के गौ तस्करो की गैंग को पकड़वाने मे अहम भूमिका निभाई 



जैसलमेर और बाड़मेर की पवित्र भूमि ने एक ऐसे महान व्यक्तित्व को खो दिया, जिन्होंने समाजसेवा, गौसेवा और भजन-संगीत के माध्यम से अनेकों लोगों के हृदय को स्पर्श किया। तन सिंह सोढा  न केवल एक समाजसेवी थे, बल्कि वे एक ख्यातिप्राप्त भजन गायक भी थे, जिनकी मधुर आवाज में ऐसा जादू था कि सुनने वाला भावविभोर हो जाता था।


भजन गायकी और आध्यात्मिकता


तन सिंह सोडा की भजन गायकी की ख्याति इतनी व्यापक थी कि जब जसवंत सिंह जी वित्त और विदेश मंत्री थे, तब वे तन सिंह सोढा  को दिल्ली बुलाकर सत्संगत करवाते थे। उनकी मधुर वाणी और भजनों की गहराई ने न केवल आमजन, बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित कई राष्ट्रीय नेताओं को भी आकर्षित किया। वे भजनों के गहरे ज्ञाता थे और समयानुसार उपयुक्त भजन गाने की विलक्षण क्षमता रखते थे।


गौसेवा और पशुपालन में योगदान


तन सिंह सोडा न केवल एक आध्यात्मिक पुरुष थे, बल्कि वे एक समर्पित गोपालक और पशुपालक भी थे। वे जंगल में अपनी ढाणी में रहते थे, जहाँ हजारों गायों का पालन-पोषण होता था। उनके यहाँ का शुद्ध दूध और घी पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध था। वे घुड़सवारी के भी शौकीन थे और इस कला में कुशल माने जाते थे।


न्यायप्रियता और समाजसेवा


सामाजिक क्षेत्र में उनकी भूमिका अतुलनीय रही। वे निष्पक्षता और न्यायप्रियता के प्रतीक थे। उन्होंने क्षेत्र में सदैव निष्पक्ष निर्णय लिए और भाई-भतीजावाद से परे रहकर जनता के हित में कार्य किया। उनकी सामाजिक सक्रियता और निस्वार्थ सेवा भावना ने उन्हें जन-जन का प्रिय बना दिया।


गोरखनाथ महंत मठ ख्याला से संबंध


गोरखनाथ महंत मठ ख्याला के वे अनुयायी थे और गोरखनाथ जी भी उनके प्रति विशेष सम्मान रखते थे। मठ ख्याला में हर माह की ग्यारस को वे भव्य सत्संग का आयोजन करते थे, जहाँ उनके भजन लोगों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करते थे। इसके अलावा, वे सोढ़ाण बसिया, खंडाल जसोड़वाटी, ख़वाड सहित विभिन्न क्षेत्रों में सत्संग के लिए जाते थे।


सामाजिक संघर्ष और न्याय की मिसाल


1990 में, पाकिस्तान के तस्करों की गैंग को पुलिस के हवाले करने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिससे उनकी न्यायप्रियता का परिचय मिलता है।


एक अपूरणीय क्षति


उनका देहांत जैसलमेर और बाड़मेर जिले के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपने जीवनकाल में जो समाज और धर्म की सेवा की, वह हमेशा स्मरणीय रहेगी। उनकी भजनों की गूंज और न्यायप्रियता की मिसाल आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।


तन सिंह सोडा जैसे महापुरुष विरले ही जन्म लेते हैं। उनका जीवन दर्शन और सेवा कार्य हमें सदा प्रेरित करता रहेगा।


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